महारानी देवरानी 093

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सुहागरात में भोजन
3.6k words
3.33
11
00

Part 93 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 93

सुहागरात में भोजन

सुहागरात 9 बजे

देवरानी दरवाजा बंद करके थाली को मेज पर रखती है।

आधी साडी में लिपटी हुई देवरानी बलदेव को बहुत कामुक लग रही थी, बलदेव उसके बड़े दूध को देख रहा था...देवरानी की नज़र बलदेव से मिलती है तो देवरानी मुस्कुरा देती है।

देवरानी: अब बास मुझे ताड़ना बंद करो 9 बज गए हैं खाना खा लेते हैं।

कहते हुए देवरानी थाली जो कपड़े से ढकी हुई थी उस कपड़े से खोल कर देखती है।

बलदेव पलंग पर लेटा था अब उसने अपने ऊपर रखी चादर का हटा दी तो उसका लौड़ा नजर आने लगा जो अब भी आसमान की ओर देख रहा था।

बलदेव अपनी मुछे पर हाथ फेरते हुए।

बलदेव: रानी माँ मुझे तो तुम्हें खाना है, आज बस और किसी चीज़ की भूख नहीं है।

देवरानी थाली खोल कर देखते हैं तो उसमें काई प्रकार के व्यंजन थे या उसके सुगंध मात्र से देवरानी खुश हो जाती है देवरानी जैसी पलट कर देखती है कि बलदेव उसकी ओर देख अपने लौड़े को हाथ में ले कर अपने दुसरे हाथ से अपने मुछो पर ताव दे रहा है।

देवरानी लज्जा कर पानी-पानी हो जाती है।

देवरानी: बदमाश जाओ हाथ धो कर आओ और पहले खाना खाओ उसके बाद कुछ और अगर सिर्फ मुझे खाते रहोगे और खाना नहीं खाओगे तो कमज़ोर हो जाओगे।

बलदेव: माँ तुम्हें खा कर तो बूढ़ा भी जवान हो जायेगा।

देवरानी: उह हो! जाईये ना पति देव! मुझे तो खाना है, पिछले तीन घंटे से थका दिया है आपने।

बलदेव: रानी माँ इतने प्यार से बोलोगी तो तुम्हारा पति जान भी दे देगा!

बलदेव उठ कर स्नान गृह में घुस जाता है और मुँह हाथ धो कर वापस आता है।

देवरानी बलदेव के बाद स्नानघर में जाती है और अपने हाथो को और अपने चेहरे को अच्छे से धोती है फिर बाहर आती है।

बलदेव, देवरानी हम कुर्सी पर बैठ के खाएंगे नीचे नहीं।

देवरानी: पर आप तो हमेशा नीचे बैठ कर खाते थे ना!

बलदेव: अब विवाह तुम से किया है देवरानी तो। ससुराल वाले ने मुझे जो दहेज दिया है हम उसका इस्तेमाल करेंगे।

देवरानी चिढ़ जाती है और मेज पर खाना लगाने लगती है।

देवरानी: दहेज़ चाहिए तो कहो अपने साले देवराज से...अब भी मांग लो तो देखती हूँ आपकी हिम्मत।

बलदेव: अरे रानी माँ! उसकी बहन को इधर पिछले तीन घंटे से रगड़ रहा हूँ। उसे यहीं खबर नहीं होगी। वह साला देवराज! दहेज क्या देगा?

देवरानी: चुप करो मेरे भाई को गाली ना दो। वह तो बस हमारे रिश्ते को मान ही नहीं रहे। नहीं तो तुम्हें दुनिया की हर वह चीज देते जो तुम्हें चाहिए। अपनी बहन को इतना चाहते है वो।

बलदेव: ओह हो! मेरी रानी को गुस्सा आया उसके भाई के बारे में कुछ कहा तो।

बलदेव और देवरानी एक कुर्सी पर बैठ जाते हैं।

बलदेव: मेरा पनीर की सब्जी कहाँ है?

देवरानी: चुप रहो और ये खीर और बादाम का हलवा खाओ!

बलदेव खीर खाने लगता है और देवरानी बलदेव को देखती रहती है।

बलदेव का जैसी ही देवरानी की तरफ ध्यान जाता है तो देखता है देवरानी उसे गुस्से से देख रही है।

बलदेव: अरे माँ मुझ तो ध्यान ही नहीं रहा इधर आओ मेरी जान तुम्हें भी खिला दूँ।

देवरानी: मुझे नहीं खाना मैं खुद से खा लुंगी।

बलदेव देवरानी का हाथ पकड़ कर अपना ओर खीचता है।

"आह इधर आओ मेरी महारानी।"

देवरानी अब बलदेव से सट कर खड़ी हो जाती है।

बलदेव एक निवाला देवरानी को ऊपर करते हुए बैठे-बैठे उसकी तरफ बढ़ता है।

देवरानी अपना मुँह फेर लेती है।

देवरानी: मुझे नहीं खाना है।

बलदेव देवरानी के हाथ पकड़ कर नीचे खीचता है और एक हाथ कमर में रख कर देवरानी को नीचे कर अपने दहिने जाँघ पर बिठा देता है।

"बोलो ना माँ गुस्सा हो गयी क्या।"

"बलदेव में समझ सकती हूँ तुम्हारे भी अरमान होंगे, ससुराल वाले से और बहुत सारी अपेक्षा भी होंगी जिसको तुम मुझसे विवाह कर के पूरी नहीं कर पाए।"

बलदेव अब देवरानी को अपने ऊपर चढ़ाते हुए छेड़ता है।

"हट पगली मुझे तुम चाहिए थी और आज तुम मेरी हो गई, अब मुझे किसी और की परवा नहीं है, यहाँ तक कि मामा देवराज की भी नहीं।"

बलदेव देवरानी को अपने गोद बिठाए बाहो में कसते हुए कहता हैं।

"मुझे ऐसे बिठाए रहे तो तुम्हारी टाँगे थक जाएगी, मैं मोटी हूँ।"

और फिर देवरानी उठती है।

"तुम तो गदरया हुआ माल हो, तुम्हारे साथ तो अभी तक मेरा लौड़ा भी नहीं थका। देखो, तो भला मैं क्या थकूंगा।"

बलदेव अपने खड़े लंड पर इशारा करता है।

बलदेव उस समय नंगा था और देवरानी सिर्फ एक साडी लपेटे हुए थी।

देवरानी अपने पति बन चुके अपने बेटे के लंड को देख शर्मा कर अपना मुँह घुमा लेती है।

"सुनिए अगर आपके साले साहब को पता चल जाएगा कि हमने विवाह करने के बाद सुहागरात भी मना ली तो वह बहुत क्रोधित होंगे।"

"होंगे तो मेरे लंड से, होते रहे, मुझे क्या! मैं तो गया था उनसे उनकी बहन का हाथ मांगने, बदले में उन्होंने मुझे थप्पड़ मारा। अब अपनी बहन चुदाए साला देवराज!"

"ऐसा नहीं कहते जी जैसा भी है, है तो वह आपका साला और मेरे भाई हैं। वह अपनी बहन किसी और को क्यू देंगे?"

"किसी या से क्यू चुदवाएँगे अपनी बहन। जब मैं हूँ उनकी हसीन और माल बहन की चूत को रगड़ने वाला। ठीक हैं ना मेरी रानी!"

देवरानी प्यार से एक हल्की चपत बलदेव के गाल पर मारती है।

"हट! बदमाश!"

बलदेव फिर से खीर उठाता है और देवरानी की ओर बढ़ता है इस बार देवरानी मुंह खोल कर खाने लगती है, फिर देवरानी अपने हाथ से बलदेव को खिलाने लगती है और बलदेव देवरानी को खिलाने लगता है।

बलदेव ने अब देवरानी को गोद में पूरी तरह से अपने लौड़े पर बैठा लिया था जिस से उसका लौड़ा देवरानी के गरम गांड से स्पर्श करने के बाद खड़ा हो जाता है।

देवरानी: पहले मुझे खाना खा लेने दो और तब तक संभालो अपने शेर को!

बलदेव: अब शेर गुफा करीब हो तो वह बिना घुसे कहाँ मानेगा।

देवरानी ये सुन कर हल्का उठने को होती है बलदेव कमर में हाथ डाल कर उसे अपने लौड़े पर बिठा लेता है।

खाना तो खा ले मेरी रानी अपनी राजा के साथ में। कहाँ जा रही हो? "

ये कह कर बलदेव देवरानी की साडी दी को खीच कर निकाल देता है और देवरानी फिर से पूरी नंगी हो जाती है।

"बलदेव अन्न के सामने ये सब नहीं! पाप लगेगा।"

बलदेव अब देवरानी को एक हाथ से पकड़ के हल्का-सा उठाता है या दूसरे हाथ से अपना लौड़ा पकड़ के देवरानी की चूत के मुंह पर रखता है।

"अच्छा ठीक है! अब बैठो मेरी रानी माँ।"

"आज राजा!"

देवरानी चूत पर लैंड लगते ही गरम हो जाती है और धीरे से बैठने लगती है। बलदेव नीचे से हल्का धक्का मारता है और लैंड एक बार में ही आधा घुस जाता है

"आआह राजा।"

"आह रानी थोड़ा और नीचे!"

"उम्म्म्म आह दर्द हो रहा है!"

बलदेव अब देवरानी के कंधे को पकड़ता है और आला ढकेलता है और नीचे से अपना लौड़ा ऊपर पेलता है तो देवरानी की चूत में "खच्छ" से पूरा लौड़ा घुस जाता है और देवरानी अपने आखे बंद कर के।

"आआआह"

कर बलदेव के गोद में बैठी बलदेव की गर्दन में हाथ डाल देती है।

"आह मार डाला रे!"

"माँ हलवा खाओगी?"

"हम्म खाउंगी पर रुको तुम्हारा हाथ गंदा हो गया है।"

देवरानी आगे बढ़ कर हलवा कभी खुद खाती हैं और कभी बलदेव के मुँह में डाल उसे खिलाती है ।

"साली बहुत नखरे करती है, लंड छुआ तो मेरे हाथ गंदे हो गए और खुद पूरा लौड़ा अपनी चूत के लिए बैठी है।"

"आह चुप करो और जल्दी से खाऔ! "

बलदेव एक धक्का नीचे से लगाता है।

"आआआह! पहले हलवा खा ले बेटा।"

"मां तुम तो हलवा के साथ मेरा केला भी खा रही हो।"

ऐसे हो ही देवरानी बलदेव का लंड अपनी चूत में फंसाए कुर्सी पर बैठी खाना खत्म करती है, फिर गिलास में दूध ढाल कर पहले अपने बेटे को पिलाती है फिर खुद पीती है।

"मां अब सब कुछ हो गया तो चले!"

"राजा हाथ तो धो लो।"

बलदेव सामने कपड़ा उठा लेता है फिर अपनी माँ के और अपने हाथ पूँछ कर साफ़ कर लेता है।

बलदेव माँ की चूत में लंड घुसाये हुए देवरानी को उठा कर अपनी कर बिस्तर पर लाकर पटक देता है और खुद खड़ा हो कर देवरानी की चूत में घस्से मारने लगता है।

"आह आराम से राजा!"

फच फछ की आवाज पूरी तरह से फिर से गूंज रही थी, साथ में देवरानी की पायल की छन-छन की आवाज आ रही थी। देवरानी अपने दांत को पीसते हुए बलदेव के धक्के से पीछे न हो जाए इसलिए अपने दोनों हाथ से बिस्तर की चादर को पकडे हुए थी ।

"आह माँ!"

फच्च कर फिर पूरा लौड़ा अंदर उतार देता है। थप्प की आवाज से बलदेव की जंघ देवरानी की चूत पर टकराती है । देवरानी के बड़े पपीतो की घुंडी कड़क हो गई थी । वह हर धक्के के साथ आगे पीछे हो रहे थे । हर धक्के से उन्हें ऐसे हिलते देख उन्हें बलदेव घूर रहा था।

देवरानी: उम्म-उम्म आह!

बलदेव: ये ले।

इधर महल में कमला देवरानी को खाना दे कर नीचे आ जाती हैर रसोई में अपना काम निपटाती है फिर बार-बार सब को बुला कर खाने के लिए बुलाती है।

उतने में वैध जी के साथ शमशेरा और सेनापति भी आते हैं।

कमला: अरे आप लोग कह रह गए आज भोजन करना है के नहीं?

शमशेरा: वो बाहर बहुत ज्यादा लोग थे उनको खाना बंटवाटे-बंटवाटे काफी वक्त लग गया।

वैध: हाँ ऐसा लग रहा था कि पूरा घटराष्ट्र दरबार में आ गया हो!

कमला: चलो पूरा तो गया ना । सबको मिल गया कम तो नहीं हुआ?

उतने में श्रुष्टि आती है।

शुरष्टि: घटराष्ट्र के महाराज की विवाह का भोज पूरे राज्य के बच्चे-बच्चे को मिलना चाहिए।

शमशेरा: रानी साहिबा हम से जितना हो सके हमने बंटवा दिया है एक दिन में तो सबको नहीं बटवाया जा सकता है। दो चार दिन तक लोग आते रहेंगे।

कमला: वो सब छोड़िये । बाटता रहेगा! रानी शुरष्टि आप लोग भी खाना खा लीजिये।

शुरष्टि: ठीक है तुम माँ जी को बुला लो।

कमला: हाँ सेनापति जी और वैध जी आप लोग भी आज महल में भोजन कर लीजिए।

सोमनाथ: हाँ भाई हमें भी महल का खाना चाहिए सेनागृह का खाना खा कर थक चुके।

सोमनाथ शुरष्टि को देख कर मुस्कुरा कर बोलता है।

थोड़ी देर में सब आसन पर बैठ जाते हैं कमला और राधा खाना लगाने लगती हैं।

शुरष्टि: कमला हम सब तो बैठ गए दूल्हे दुल्हन को कुछ खिलाओगी या नहीं?

जीविका: उन्हें भूख लगेगी तो खुद आवाज़ देंगे ऊपर से।

शुरष्टि: माँ जी आज उनका विवाह हुआ है आज वह दुल्हन कैसे भला रसोई में आकर खाना लेंगी।

कमला: बस भी कीजिए आप दोनों कमला कोई बेवकूफ़ नहीं, सबसे पहले मैंने दूल्हा दुल्हन का खाना बनाया, उसने तयार कर के उनके कक्ष में पहुँचा दिया है।

सोमनाथ: वाह कमला तू तो बहुत चतुर है।

और सब हसने लगते हैं।

वैध: अब जरा चतुराई से थोड़ी खीर और दे दो

कमला आगे बढ़ कर वैध जी को खीर देती है ऐसे ही सब खाना खाने लगते हैं।

उधर ऊपर अपनी कक्ष में देवरानी को लिटाये अब बलदेव देवरानी की दोनों टाँगे उठा कर उसे पेलने लगता है।

"आह राजा!"

कुछ धक्को के बाद बलदेव "पक्क" की आवाज से अपना लौड़ा बाहर खिंचता है।

"देवरानी अब घोड़ी बन जा, अब तेरा घोड़ा तुझे झुका कर पेलेगा।"

देवरानी उठ कर घोड़ी बनने लगती है।

जिसे देख बलदेव का लौड़ा और तन जाता है देवरानी की बड़ी गांड खुल के और बड़ी हो जाती हैं ।

बलदेव आगे बढ़ के देवरानी के दोनों गांड के पटो पर बारी-बारी दो थप्पड मारता है।

"पट्ट पट्ट!"

"आआह" "आह! "

"क्या कर रहे हो राजा?"

"मां तुम्हारी ये गांड तबले से कम नहीं है ।"

अब देवरानी की गांड पकड़ कर अपना लौड़ा चूत के मुहाने पर टिकाए एक दो बार थपकी मारता है फिर से एक बार में ही लंड पेल देता है अंदर तक तो देवरानी कराह उठती है ।

"आआआआह मैं मर गयी!"

बलदेव आखे बंद किये मजे से कराहता है ।

"आह माँ! "

बलदेव को लगता है जैसा उसने किसी गरम भट्टी में अपना लंड डाल दिया हो । अंदर देवरानी की चूत आग उगल रही थी और बलदेव के लौड़े पर ऐसा लगता है जैसे लावा फूट कर उसके लौड़े को चटका देगा । देवरानी की चूत का पानी इतना गरम था कि लावे जैसा लग रहा था । बलदेव ने घस्से लगाने जारी रखे ।

"घप्प घप्प घप्प!"

कर के बलदेव अपना लौड़ा पेलने लगता है और देवरानी जोर से चिल्लाने लगती है ।

"आह राजा आह धीरे आआह्ह्हह्ह्ह्ह! अरररररर!"

: रानी तेरी चूत अभी भी आग उगल रही है और रानी तेरी जैसी माल की चूत धीरे से चोदने से कभी ठंडी नहीं होगी। "

"आह मैं मर जाउंगी इतना ज़ोर से पेल रहे हो!"

"ज़ोर से पेलने से ही तुम जैसी माल ठंडी होती है।"

"आआह आआह ऐसे ही पेलो फिर मेरे राजा बेटा, इसे आज तक किसी ने ऐसा नहीं पेला है! आआह! जोर से करो!"

"ये ले माँ आज के बाद ही तुझे समझ आएगा कि असली चुदाई किसे कहते है।"

"आह राजा तुम्हारा लौड़ा मेरे पेट तक मेहसूस हो रहा है आह।"

"देवरानी तेरे पहले पति का लौड़ा कैसा था या फिर वह था ही नहीं?"

बलदेव घप्प के आवाज से हमच के फिर से अपना लंड डाल देता है।

"आह राजा हमें उस नपुंसक की याद न दिलाओ. उसका लौड़ा नहीं वह तो लुल्ली थी जो 3 इंच की होगी पर तुम्हारे तो उससे तीन गुना बड़ा है। आआह उसकी लुल्ली तो मेरी चूत के मुँह पर वह ख़त्म हो जाती थी । "

"आह माँ मेरा लौड़ा कहाँ तक ख़तम हो रहा है।"

"आह राजा तेरा लौड़ा मेरे बच्चेदानी से टकरा रहा है ।"

इन दोनों की ये बाते और साथ में "ठप्प ठप्प और छन्न छन्न" सुन साथ के कमरे में बंधा हुआ राजपाल पानी-पानी हुआ जा रहा था ।

बलदेव सटा सटऔर ज़ोर से अपना लौड़ा देवरानी को झुकाये हुए घोड़ी बना कर पेले जा रहा था और साथ में उसकी चिकनी गोल गांड पर हाथ फेर कर बीच-बीच में उसे चपत मार रहा था ।

"आह बेटा ऐसे ही आह बेटा मेरा घुटना दुखने लगा!"

बलदेव देवरानी के कमर को पकड़ कर खुद लेट जाता है और देवरानी को अपने ऊपर ले लेता अब तक लंड उसकी चूत में फंसा हुआ था।

"मां अब खुद सवारी करो अपने घोड़े की।"

देवरानी की पीठ बलदेव के मुंह की तरफ थी जिस से देवरानी की बड़ी गांड दिख रही थी । देवरानी धीरे-धीरे ऊपर नीचे कर रही थी और बलदेव उसकी चूत का छेद को बंद और खुलते हुए देखता है। उत्तेजना के मारे देवरानी अपने ओंठ खुद के दांत से काट रही थी । पछ-पछ की आवाज से देवरानी बलदेव के लंड के ऊपर नीचे हो रही थी। कमरे में तेज पछ पच की आवाज गूँज रही थी जिसे साथ के कमरे में बंधा हुआ राजपाल सुन रहा था ।

बलदेव अब देवरानी के कमर पर हाथ रख नीचे से धक्के लगाने लगा।

"मां ज़ोर से उछलो, मेरे लौड़े पर तेजी से उठक बैठक करो! "

बलदेव के बात सुन देवरानी खूब तेजी से अपने गांड ऊपर कर रही थी और नीचे से बलदेव भी झटके मार रहा था । पूरे कक्ष में एक सुंदर संगीत सुनने को मिल रहा था जो काम के सुंदर ध्वनि पैदा कर रहा था, फछ-फछ थप थप-थप खान खान छन-छन देवरानी की चूत के साथ चूड़ी या पायल भी बज रहे थे सब मिल कर चुदाई का मधुर संगीत पहली मंजिल पर बज रहा था ।

अब बलदेव उठ खड़ा होता है और देवरानी को पलंग से उतार कर खड़ा कर देता है फिर एक टांग को ऊपर उठा कर अपना लौड़ा देवरानी की चूत पर लगा देता है।

"आह राजा! "

"रानी पैर थोडा और उठाओ! नीचे नहीं आने चाहिए ।"

"आह राजा ऐसा कौन करता है भला! "

"ऐसे मैं करता हूँ। हम करते हैं और रोज़ करेंगे । आह माँ आपकी चूत रस से भर गई है।"

घप्प घप्प बलदेव एक हाथ से देवरानी के कमर पर हाथ रखे या दूसरे हाथ से देवरानी को एक टांग को ऊपर आसमान की तरफ उठाएँ हल्का टेढ़ा हो कर अपना लैंड पेले जा रहा था देवरानी भी अपने मजे के सागर में डूबी हुई चुदवा रही थी । उसने बलदेव को कुछ भी करने पूरी आज़ादी दे थी इसलिए बलदेव भी अपनी माँ को घपाघप चोदे जा रहा था।

"आआह आह राजा मेरे अंदर सुर सूरी मची है अब मेरा हो जाएगा आआह।"

बलदेव इतना सुनना था कि उसकी माँ अब पानी छोड़ने वाली है अपनी माँ की गांड पर एक थप्पड़ मारता है या आगे बढ़कर देवरानी के मम्मो को दबा लेता है।

"घप्प घप्प" ज़ोर से धक्के मारते हुए उसकी चुदाई जारी रखता है ।

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के होठ अपने होठ में ले लेता है और चूसने लगता है।

"चुम्म्म चममम गलप्प गैलप्प उह्म्म आआह गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प।"

देवरानी की टांग को नीचे कर देवरानी को दीवार से सटाता है। फिर हल्का-सा झुक कर देवरानी अपने दोनों हाथो को दीवार पर रख अपनी गांड को बाहर निकालती है, बलदेव का लंड अब भी देवरानी की चूत में था और वह फिर से घपा घप देवरानी के बचे दानी तक अपना लंड पेलने लगता है।

दो चार झटके उसने दिए थे के देवरानी अपने आखे बंद कर झड़ती है।

"आह आआह राजा मैं गई उह्म्म्म आह!"

बलदेव धक्के और तेजी से मारने लगता है।

"आह राजा उन्म्म ऐसे ही पेलो आह!"

बलदेव ज़ोरो से देवरानी को पेल रहा अगले दस मिनट तक देवरानी झड़ती रही।

झड़ने के बाद पीछे देखती है कि बलदेव उसकी कमर पकड़ कर ज़ोरो से उसे पेले जा रहा था।

देवरानी और बलदेव की आंखे मिलती है तो देवरानी मुस्कुरा देती है ।

बलदेव आगे बढ़कर देवरानी के होठ अपने होठ में ले लेता है।

"ऐसे ना मुस्कुराओ मेरी जान नहीं तो अगले दस दिन तक नहीं छोड़ूंगा ।"

बलदेव फच्च से लौड़ा पेले जा रहा था। कुछ देर और पेलने के बाद बलदेव को लगता है जैसा उसका निकलने वाला है, फिर उसे कुछ सूझता है और वह खच से अपना लौड़ा निकाल कर कहता है ।

"देवरानी नीचे बैठो!"

देवरानी नीचे बैठ जाती है।

बलदेव देवरानी के खूबसूरत चेहरे को पकड़ता है फिर अपना लौड़ा उसको मुंह की तरफ करता है और देवरानी की ठोड़ी पकड़ कर उसका मुंह खोल लंड अपनी माँ के मुंह में डाल देता है।

देवरानी: ह्म्म् ऑप अम्म!

बलदेव अपना लौड़ा जड़ तक घुसा देता है और ऊपर नीचे होता है जिस तरह से देवरानी लंड पर अपने सिर को घुमा कर अपनी जीभ घुमा-घुमा कर चूस रही थी उससे बलदेव के लंड का अग्रभाग लंडमुंड बेहद संवेदनशील हो गया।

फिर बलदेव के लंड उसके मुँह में धँसने और फूलने लगा और फिर अचानक ही लंड ने पिचकारी मार दी और उसके लंड से एक तेज़ धार निकलती है। मोटे, अकड़े हुए लंड ने वीर्य को इतने वेग से निकाल दिया गया की वीर्य सीधा देवरानी के गले पर पहुँच गया। वीर्य की धार गले में जा लगी पहली धार से उबरने की कोशिश करते समय उसे घुटन और खांसी हो गई और इसके कारण बलदेव का वीर्य उसकी नाक से बाहर आ गया। यह बिलकुल नाक से पानी निकलने जैसा था।

वह पहले उत्सर्जन से उबर पाती इससे पहले ही लंड ने अगली धार मार दी और ये पहली से भी जोरदार थी।

इसी तरह, देवरानी ने पिचकारी की अगली 2-3 शॉट को अपने मुँह ने लिया लेकिन यह अंतहीन लग रहा था। वह अपने हाथो से लंड को ज़ोर जोर से हिला रही थी। बलदेव बस उसके मुँह में वीर्य डाल रहा था।

देवरानी को आखिरकार एहसास हुआ कि वह अब वीर्य निगलने लगी है। उसे वीर्य निगलने से कोई समस्या नहीं थी लेकिन यहाँ बलदेव का वीर्य इतना गाढ़ा और इतना ज़्यादा था कि उसे निगलना उसके लिए लगभग असंभव था। आखिरकार उसने नली को टटोलते हुए अपने सिर को इस तरह से मोड़ा की उसके मुँह से लंड की नली जहाँ खुलती है वह उसके मुँह से बाहर हो गया और फिर बलदेव ने तीन चार शॉट और मारे, पहला उसकी आँख में सीधे गया उसके छींटे गाल पर पड़े और मेरा वीर्य उसकी आँखों नाक बालो और गालो पर फ़ैल गया।

बलदेव ने एक बार फिर देवरानी का सर पकड़ लिया तो उसने एक सेकंड के लिए सोचा बलदेव उसका सर लंड से हटाने वाला है। लेकिन बलदेव ने लंड फिर से देवरानी के मुँह में डाला आवर आगे धक्का दे दिया । लंड सीधा गले तक गया और-और देवरानी की हलक से नीचे बलदेव के लंड का रस सीधा देवरानी के पेट में गिरने लगता है।

बलदेव अपने आखे बंद किये था । देवरानी बलदेव के कमर को ऊपर से नीचे तक सहला रही थी।

बलदेव अब अपना लौड़ा देवरानी के मुंह से खींचता है और अपने लौड़े को आगे पीछे करता है और पिचकारी की धार अपनी माँ के सुंदर चेहरे पर गिराता है।

देवरानी के मुंह में भी बलदेव का वीर्य था अब देवरानी के चेहरे पर बलदेव अपने लौड़े के पानी से उसको भीगाने लगता है। देवरानी अपना मुंह खोलकर जीभ बाहर कर रही थी और वीर्य को चूसने की कोशिश कर रही थी जिस से सारा वीर्य उसके मुंह में आ जाए।

कुछ देर झड़ने के बाद बलदेव एक आह के साथ अपना लौड़ा बार निकाल छोड़ देता है पर देवरानी को देख वह मुस्कुरा देता है । देवरानी का आख नाक गाल होठ माथा जहाँ पर सिन्दूर था सब भीग गया था और देवरानी अपने जीभ से अपने होठ पर लगे पानी अदर ले कर गटक रही थी।

"रानी माँ कैसा लगा अपने बेटे के लंड का पानी।"

"मेरे बेटे नहीं मेरे पति, तुम्हार वीर्य बहुत स्वादिष्ट नमकीन है ।"

ये कह कर देवरानी शर्मा जाती है और अपना सर नीचे करती है। वह घुटनो के बल बैठी थी।

देवरानी के चेहरे पर लगा बलदेव का वीर्य बह कर चेहरे से लटक कर गिरने लगता है।

बलदेव देखता है उसकी माँ लज्जा कर चेहरा ऊपर से नीचे कीये हुए थी और उसके चेहरे पर फैला हुआ वीर्य टपकने लगा थे और बलदेव मुस्कुरा देता है।

जारी रहेगी

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