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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 33
कामरूप पुरम क्षेत्र की कहानी
इस बीच जब राजकमारी के पूर्वज महाराज को समाचार मिला की गुरुदेव कामरूप पुरम क्षेत्र आये हैं तो वह वहाँ अपनी रानी के साथ गुरुदेव के दर्शन को पधारे और उन्हें प्रणाम कर बैठ गए ।
कामदेव का प्रभाव उन सब पर बढ़ता गया क्योंकि ये स्थान कामदेव का स्थान था और जैसे रति ने रसोई में काम करने वाली मायावती नाम की एक स्त्री का रूप धारण करके कामदेव को माँ के समान पाला-पोसा और फिर जब माया विद्या के प्रभाव से उसने उस को युवा किया और उसे पूर्व जन्म की सारी याद दिलाई गई। इतना ही नहीं, सारी कलाएँ भी सिखाईं तब कामदेव ने अपनी सारी शक्तिया पुनः प्राप्त की असुर का वध किया और फिर मायावती को ही अपनी पत्नी रति के रूप में उनका पुरमिलन हुआ।
परन्तु चर्चा करते-करते जब सुंदरी रम्भा ने महसूस किया वह गुरुमहाराज को प्रभावित नहीं कर सकती तो उसने नाचना शुरू किया। उसे नाचते देख वहाँ उपस्थित कुछ युवक भी उसके रूप लावण्य और नृत्य से मोहित हो उसके साथ नाचने लगे और फिर धीरे-धीरे तीनो गाँव वाले उनमत्त हो कर खूब देर तक नाचते रहे। उनके साथ-साथ वहाँ के सारे फूल-पौधे भी नाचते रहे। फिर कामदेव के प्रभाव से रम्भा उन्मुक्त और कामुक हो अपने वस्त्र निकाल कर नाचने लगी जिससे पुरष भी उन्मुक्त हो अपने वस्त्र त्याग कर नाचने लगे धीरे-धीरे कामदेव का प्रभाव बढ़ता गया और महाराज सहित वहाँ उपस्थित सभी लोग उन्मुक्त हो कामुक नाच रचाने लगे और नाचने लगे ।
केवल गुरुदेव और रानी इस प्रभाव से खुद को बचा पाए क्योंकि गुरुदेव तो मुनि शिरोमणि थे और रानी ने राजा को पूर्ण समर्पण किया हुआ था!
फलों की खुशबू और भी घनी हो गई। नृत्य का संगीत और भी मधुर हो गया। वहाँ उपस्थित लोग सब मस्त हो सेक्स करने लगे और किसी रिश्ते नाते का कोई बंधन नहीं रहा और इस सम्बंध के बारे में अपने पति और महाराज के बारे में।
उसके लगभग तुरंत बाद, गाँव में हर कोई यौन उन्माद में प्रवेश कर गया। उन्होंने अपने सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और अपने आस-पास के किसी भी व्यक्ति के साथ बेलगाम सेक्स करने लगे। कोई नियम या प्रतिबंध नहीं थे और जल्द ही, हर किसी के साथ सभी ने सेक्स किया। उन्हें लगा अब सब झगड़ो का कारण समाप्त हो गया है।
जब ये समाप्त हुआ, उन्होंने अपने चारों ओर शांति, खुशी और संतोष की एक अद्भुत भावना महसूस की। वे अपने पहनावे और हरकतों से और भी बोल्ड हो गए और उनके मन में कोई कुंठा नहीं थी, कोई संकीर्णता नहीं थी, महाराज ने औअर गाँव वासियो ने-ने गुरूजी से निवेदन किया गुरुदेव आप हमे आशीर्वाद दे की हम हमेशा इसी चरम अवस्था में रहे जिसमे हमारे मन में जितने भी ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, भय, लज्जा, शर्म, मान, मर्यादा, यश-अपयश इत्यादि के भाव समाप्त हो गए हैं।
गुरुदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया की महाराज सहित गांववासी इस स्वर्ग में सबसे अच्छी और सबसे उत्तम स्थिति रहेंगे। वे हमेशा के लिए युवा रहेंगे, उनका शाश्वत आनंद अनंत रहेगा और वे एक अविनाशी आनंद का जीवन जीएंगे।
तभी वहाँ कामदेव रति के साथ प्रगट हुए और उन सबने उनकी वहाँ पूजा की उनकी प्राथना पर कामदेव ने प्रसन्न हो उन्हें इन सभी सुखों का आनंद लेने के लिए, उनकी आयु प्रयन्त उन्हें चिर यौवन का वरदान दिया जिससे हमेशा के लिए जवानी, सुंदरता और जोश प्रदान किया। कामदेव ने उन्हें वरदान दिया जिसमे जब कामरूप पुरम के लोग "अठारह वर्ष की आयु" प्राप्त कर लेंगे तो वह इस प्रेम और आन्नद के स्वर्ग में प्रवेश करेंगे। जिस में वे शारीरिक सुखों का आनंद लेने में सबसे अधिक सक्षम होंगे और उनका स्वास्थ्य और ताकत सबसे उत्तम रहेगी। वे लोग "अपनी जवानी कभी नहीं खोएंगे।"
उनके शरीर से अध्भुत कस्तूरी जैसी महक निकलेगी... उनके निवासस्थान परिष्कृत भव्यता से प्रतिष्ठित होंगे और पूरी तरह से सुसज्जित होंगे। वे अपने बगीचों में बैठकर आराम कर सकेंगे। कामरूप के महाराज और पुरमवासी विशेष रूप से बनाई गई स्वर्ग की अप्सराओ के सामान सुंदरियों का आनंद लेंगे, सुंदरी रम्भा के सामान सभी महिलाये शुद्ध कस्तूरी से बनी और सभी प्राकृतिक अशुद्धियों, दोषों और असुविधाओं से मुक्त रहेंगी। वे सुंदर, विनम्र और मंडपों में उद्यानों और तालाबों में सार्वजनिक रहते हुए भी उन्मुक्त हो अंतरंगता का आनंद लेंगे औअर सम्भोग करेंगे तथा शरीर को संतुष्टि का अहसास प्राप्त करेंगे। उनकी सभी व्यक्त और अव्यक्त मनोकामनाएँ पूरी होंगी।
पुरम में स्वादिष्ट, पके फल होंगे और जो इसके निवासी होंगे आसानी से जो भी फल चाहते हैं ले सकेंगे। मांगने पर कोई भी भोजन या पेय मिलेगा। पानी, शराब, दूध और शहद भरपूर रहेगा। शराब से हैंगओवर नहीं होगा। यह "पीने वालों के लिए ख़ुशी मिलेगी" है, इससे न तो मादकता होगी और न ही यह मूर्खता या झगड़ा पैदा करेगी।
कामदेव ने उन्हें बताया कि उन्होंने शांति, समृद्धि और खुशियों से भरे इस गाँव को पृथ्वी पर स्वर्ग में बदल देंगे और अब महाराजा और ग्रामीणों को खुले विचारों के साथ रहना होगा और उन्हें ये अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी यही देना होगा। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें इस जानकारी को उन व्यक्तियों तक सीमित रखने के लिए गोपनीयता की शपथ लेने की आवश्यकता थी और सबने इसे गुप्त रखने का वादा किया।
कामदेव ने उन्हें अभिमंत्रित जल का कलश दिया । महाराजा और ग्रामीणों ने कामदेव द्वारा दिया पवित्र-पवित्र जल पिया। एक बार जब सभी ने वह पानी पी लिया, तो उसने बचे हुए पानी को कुओं और झील के किनारों पर डाल दिया। अब इसका असर महाराज और सभी गाँव वासियो पर पड़ा परन्तु महारानी ये उन्मुक्तता स्वीकार नहीं कर पायी और उन्होंने उस समय वह जल नहीं पिया जिससे राजपरिवार की स्त्रियों और राजकुमारियों पर इसका सिमित प्रभाव पड़ा और वह सभी अप्सरा जैसी सुंदर हुई लेकिन केवल अपने जीवन साथी के साथ ही उन्मुक्त रहने लगी।
अब मुखिया और उनके पुरम के लोग इस सदियों पुरानी परंपरा का ही पालन कर रहे थे। इन वर्षों में, बमुश्किल मुट्ठी भर बाहरी लोगों को गाँव में आने की अनुमति मिली है और मैं उस सूची में शामिल होने के लिए बहुत भाग्यशाली था!
मैं विस्मय के साथ कहानी सुन रहा था, जैसे ही उसकी मुखिया ने कहानी पूरी की, सीमा ने हस्तमैथुन करते हुए मुझे चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया और मैंने उसकी छाती पर स्खलन किया। मंजू ने प्यार से सब कुछ चाट लिया।
कहानी जारी रहेगी