एक नौजवान के कारनामे 269

Story Info
2.5.52 रानीयो के साथ कामक्रीड़ा-अद्भुत जापानी साली
1.3k words
0
1
00

Part 269 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-269

VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 52

रानीयो के साथ कामक्रीड़ा-अद्भुत जापानी साली

पूल एरिया में जापानी गुड़िया जैसी साली साहिबा विजया ने मेरा स्वागत किया । विजया ज्योत्सना की मौसेरी बहन थी जो की जापान में रहती थी और इस शादी के लिए विशेष तौर पर आयी थी । अब इस जापानी गुड़िया को देख मेरा लिंग फिर से कड़ा और बहुत बड़ा हो रहा था।

विजया बोली। "जीजा जी आपका स्वागत है । आईये आपको जापानी स्नान का अध्भुत अनुभव करवाती हूँ, आशा है ये शानदार स्नान आपको पसंद आएगा! पहले हम सफाई कर धोते हैं, फिर नहाते हैं।

" "हम"?

उसका हमसे क्या मतलब था? उसने मुझे एक स्टूल की ओर इशारा किया और जैसे ही मैं स्टूल के पास रुका, मेरे सवाल का जवाब मिल गया। विजया पीछे मुड़ी और अपनी पूरी सुंदर नग्नता में मेरी ओर देखने लगी, उसके होठों से एक मुस्कुराहट और हल्की-सी हंसी निकल गई। उसे देखना कामुक था क्योंकि वह कामुक थी। सुंदर, लंबी और पतली, लेकिन भरे हुए स्तनों और स्त्री कूल्हों के साथ, विजया के छोटे काले बाल और सबसे बड़ी चमकदार नीली आंखें थीं कमर पतली और उसके योनि ओंठ आपस में बिलकुल चिपके हुए थे।

उसे देख मेरा मुँह खुला रह गया था और मेरा लिंग कड़ा हो बड़ा हो रहा था । मेरा पूरा 8 इंच का लिंग उसके सामने गर्व से खड़ा था।

"बैठिये।" उसने स्टूल की ओर इशारा करते हुए और बाल्टी की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।

"मुझे क्षमा करें!," सीट पर बैठते समय मैंने उससे कहा। " जापानी स्नान का ये मेरा पहला अनुभव है

"कोई बात नहीं, सब ठीक है, आपको अच्छा लगेगा!" उसने बाल्टी से साबुन वाला स्पंज निकालते हुए मुस्कुरा कर उत्तर दिया और मेरे कंधों पर झाग लगाना शुरू कर दिया।

मैं उससे अपनी आँखें नहीं हटा सका। विजया के नैन नक्श थोड़ी जापानी और थोड़े पूर्वोत्तर भारत के थे क्योंकि उसके पिता जापानी थे और माँ पूर्वोत्तर की थी। उसके मध्यम स्तन गोल, ठोस और ठोस दिख रहे थे जिनके केंद्र में छोटे काले निकेल आकार के एरोला और कठोर इरेज़र निपल्स थे। उसकी त्वचा एक चिकनी कारमेल रंग की थी जो उसके कोमल उभारों और सुडौल टांगों को ढक रही थी। उसकी भुजाएँ लंबी नाजुक उंगलियों और सुडौल नाखूनों से सुडौल और सुंदर थीं और उसकी झांटे उसके सिर पर उन्हीं कोयले वाले काले बालों का करीने से काटी हुी लकीर थी। मेरी राय में, वह महिला सौंदर्य की सबसे उत्कृष्ट कृत्य में से एक थी । मैं केवल बैठ कर उसे देख सकता था क्योंकि वह मेरे चारों ओर बड़ी खूबसूरती से घूम रही थी, मेरे सिर के ऊपर से लेकर मेरे पैरों के नीचे तक हर इंच को धो रही थी। कभी-कभी हमारी नजरें मिलती थीं और वह मेरी ओर देखकर मुस्कुरा देती थी, खासकर जब उसने मेरे लंड को धोने की लंबी प्रक्रिया शुरू की।

वह मेरे सामने घुटनों के बल मेरे पैरों के बीच में खड़ी हो गई। मेरे लिंग को अपने बाएँ हाथ में धीरे से पकड़कर उसने साबुन वाले स्पंज से धीरे-धीरे मेरे लंड को ऊपर से नीचे तक चिकना कर दिया। जब झाग के कारण यह दिखाई नहीं दे रहा था, तो उसने स्पंज को वापस बाल्टी में रख दिया और दोनों हाथों से मुझे नीचे से ऊपर तक सहलाया। भावना अवर्णनीय थी! उसके कोमल हाथ मेरे खड़े लम्बे बड़े लंड पर ऊपर-नीचे फिसल रहे थे, जो कि साबुन से पर्याप्त रूप से चिकना था और जब वह पूरी तरह आश्वस्त थी कि कोई भी स्थान नहीं छूटा है टी वह ऊपर से नीचे तक धीमे लेकिन दृढ़ स्ट्रोक के साथ, मुझे तेजी से उस बिंदु पर ला रही थी जहाँ से वापसी संभव नहीं थी। जब मैं तनावग्रस्त होने लगा और उसे भी ऐसा ही लगा तो वह रुक गई। उसने मेरे उभरे हुए अंग से अपने हाथ हटा लिए।

विजया ने चेहरे पर अजीब भाव लाते हुए मेरी ओर देखते हुए कहा, "अब हम इसे स्वच्छ करते हैं।"

विजया मेरे सिर के ऊपर बाल्टी उठाकर खड़ी हो गई। जैसे ही वह मेरी तरफ बढ़ी, मैं उसकी गंध को बहुत स्पष्ट रूप से महसूस कर सका, सबसे पहले उसने बचा हुआ पानी मेरे ऊपर डाला गया, जिससे फर्श पर और नाली की ओर सारा झाग बह गया। यह थोड़ा अच्छा था, लेकिन इससे मुझे अच्छा लगा। जैसे ही मैंने अपनी आँखों से पानी पोंछा, विजया वापस साथ के छोटे कमरे में चली गई और लगभग तुरंत ही एक और बाल्टी पानी लेकर लौट आई। मैंने उसे फिर से बाल्टी उठाते हुए देखा और अपनी आँखें बंद कर लीं। इस बार पानी गर्म था, लेकिन साबुन की मीठी गंध के बिना। जैसे ही यह मेरे शरीर पर गिरा, मुझे वास्तव में स्वच्छ महसूस हुआ।

"अब हम स्नान करते हैं," उसने कहा और भाप से भरे पानी के पूल की ओर इशारा किया।

जैसे ही मेरा दाहिना पैर पूल के पानी में घुसा, मैं लगभग चौंक गया कि यह कितना गर्म था, लगभग दर्द की हद तक। बस कुछ झिझक भरे क्षणों के बाद, मैं गर्म पानी में बैठ कर पीछे की ओर झुक रहा था और केवल अपने सिर और कंधों को पानी के ऊपर रखकर आराम कर रहा था। विजया वापस छोटे कमरे में चली गई और पानी की एक और बाल्टी लेकर लौट आई। वो मेरे सामने स्टूल पर बैठ कर वह सिर से पाँव तक खुद को साबुन लगाने लगी। मैं वास्तव में इस शो का आनंद ले रहा था क्योंकि उसने अपने आप को साबुन से साफ कर लिया था, यह देखते हुए कि जब उसने अपने गोल स्तन धोए तो उसके निपल्स कितने सख्त हो गए थे। जब उसका काम पूरा हो गया तो उसने बचा हुआ पानी अपने सिर पर डाला और सारा झाग धो दिया। उसने फिर से एक और बाल्टी निकाली और गर्म कुंड पर आने से पहले खुद को फिर से धोया। हालाँकि मेरे मन में आया जैसे उसने मुझे नहलाया था वैसे मुझे भी उसे नहलाने का अवसर मिलना चाहिए था ताकि मैं उसके अंग-अंग को छूने, सहलाने और दबाने का आननद प्राप्त कर पाता।

"आप को अच्छा लगा?" उसने धीरे-धीरे पानी में मेरे पास सरकते हुए पूछा।

मैं ईमानदारी से नहीं जानता था कि वह किस बारे में बात कर रही थी। क्या उसका मतलब यह था कि क्या तुम्हें नहाना पसंद है? या उसका मतलब यह था कि क्या आप जो देखते हैं वह आपको पसंद आया है? यह देखकर कि वह किस तरह मेरी उग्रता को देख रही थी, मुझे लगता है कि वह बता सकती थी कि मुझे यह दृश्य पसंद आया। मैंने एक सार्वभौमिक उत्तर चुना और कहा

"हाँ।" मैं बहुत ज्यादा पसंद आया। "

वो मेरे पास आयी और मैं तैरते हुए पूल के उस पार चला गया तो वह मुस्कुराई और बोली, "अच्छा।"

फिर वह मेरे पास तैर कर आयी हम कुछ देर पानी में खेले, फिर मैं एक तरफ बैठ गया । वह एक और शब्द कहे बिना,, मेरी बगल में बैठ गई, मैंने उसे लिप किश किया। मैं उसे लिप किश करता ही रहा। वह भी कभी मेरा ऊपर का ओंठ तो कभी नीचे का होठ चूसती रही। मैंने उसके लिप्स पर काटा उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया, फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। विजया मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। मेरे हाथ उसके बदन पर चल रहे थे । मैंने उसके नितम्ब, उसकी गर्दन, उसकी कमर पेट, जांघो स्तनों पीठ हर अंग को सहलाया, उनका बदन चिकना और अंग कोमल थे, फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी । वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगी ।

मैं पूल में अधलेटा हो गया और मैंने विजय का अपनी जांघो पर बैठा लिया और उसे ऐसे ही चूमने लगा। मेरे लंड उसकी चूत को छू रहा था । मेरा लौड़ा अब पूरी तरह टाइट था और चूत में जाने को बेकरार था।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Sweet Sister-In-Law He fucks his brother's wife.in NonConsent/Reluctance
आरती की वासना Aarti has sex with her daughter's college principal & peon.in Group Sex
The Circle Ch. 01 Why limit yourself to just one girlfriend?in Group Sex
The Holidays Can Get a Little Batty Noelle has a Christmas surprise for her Bat of a best friend.in NonHuman
Snowboards & Hot Tubs Ch. 01 Six friends take a snowboard trip.in Group Sex
More Stories