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VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 54
सबसे शानदार अनुभव - (संकुचन करने वाली योनि की मालकिन) अध्भुत जापानी साली
मैंने जापानी गुड़िया जैसी साली साहिबा विजया के नितम्ब, उसकी गर्दन, उसकी कमर पेट, जांघो स्तनों पीठ हर अंग को सहलाया, उनका बदन चिकना और अंग कोमल थे, फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी। वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगी।
मैं पूल में अधलेटा हो गया और मैंने विजय का अपनी जांघो पर बैठा लिया और उसे ऐसे ही चूमने लगा। मेरे लंड उसकी चूत को छू रहा था। मेरा लौड़ा अब पूरी तरह टाइट था और चूत में जाने को बेकरार था।
मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा विजय की चूत पर रगड़ा फिर उसके छोटे से छेद पर रख दिया। विजया अब लंबी-लंबी साँसे लेने लगी थी। मैंने अपने लौड़े को जरा-सा जोर से दबाया तो थोड़ा-सा लण्ड उसकी चूत में घुसा। विजया के चेहरे पर दर्द दिखाई दे रहा था। मैं उसको अभी और तड़पा के चोदना चाहता था। मैंने अपनी नितम्ब उठा कर उसकी चूत में अपना लण्ड थोड़ा-सा और घुसा दिया, तो उसकी चीख निकल गईं जिसे सुन मेरा जोश बढ़ गया l
अब विजया की आँखों में आँसू आने लगे कयनी लंड बड़ा और मिटा था और चूत का छेद छोटा था। मैंने अबकी बार अपना लौड़ा चूत से सटाकर कसकर शाट मारा, तो मेरा लण्ड उसकी चूत चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। विजया ने फिर से जोर से एक चीख मारी।
"आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह!"
मुझे महसूस हुआ कि विजया की योनी रस से भीग गयी है अगली बार के धक्के में मैंने थोडा दवाब बड़ा दिया। विजया ने अपने नितम्बो को ऊपर कि ओर उठा दिया। मैंने अपना लण्ड थोड़ा-सा बाहर निकाला और अब मैंने कस के शाट मारा, तो मेरा पूरा लण्ड अब विजया की चूत में घुस गया था। विजय कराह उठी उसकी आवाज में दर्द था। मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया। ओह रानी माँ विजया के मुह से निकला। विजया के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया।
मेरा 8 इंच से लम्बा गर्म, आकार में बड़ा मता लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा अन्दर तक चला गया और मेरे अंडकोष उसकी चूत के नथ से चिपक गए क्यंकि विजय ने अपना भार मेरे ऊपर दाल दिया था। विजया की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी। उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था उसकी योनि का भार भी अब लंड पर था।
विजया दर्द के मारे चिल्लाने लगी तो उसकी चीख उस पूरे रानिवास में गूँज उठी आहहहहह! आएीी हाईये मर गयीईइ!
आह्ह्ह्ह हहहहह ऊऊओह्ह्ह्हह मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा हैl" और वह ऊऊऊll आईईईll की आवाजें निकालने लगी।
उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! बहुत दर्द हो रहा है प्लीज इसे बाहर निकाल लो प्लीज! निकालो इसे और विजया की से आँखों से आंसू की धारा बह निकली। मैं बोला रानी! मेरी जापानी गुड़िया जैसी साली साहिबा विजया! बस थोड़ा बर्दाश्त कर लो फिर तो मजा ही मजा है।
मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा अन्दर चला गया था। इस बार के झटके से उसकी चीख उसके गले में ही रह गई और उसकी आँखों से तेजी से आँसू बहने लगे। उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है। मैंने विजया को धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया, मैं बोला मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा।
मैंने उस दर्द से उसका ध्यान हटाने के लिए उसे लिप किश किया । फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी मैं उसे लिप किश करता ही रहा, । मैंने उनका ऊपरी ओंठ चूसा वह भी मेरा निचला ओंठ चूसने लगी, फिर मैंने उसका निचला ओंठ चूसा तो मेरा ऊपरी ओंठ चूसती रही । फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। विजया मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था।
वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगी मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी ऊँगली से-से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया विजया का दर्द कम हने लगा और वह गर्म होने लगी। कुछ देर रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया... फिर कुछ देर में ही वह भी मेरा साथ देने लगी। मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था। विजय ने ढेर सारा पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया। मैं उसके झड़ने के बाद भी उसे लिप किस करता रहा और उसे सहलाता रहा कुछ देर के बाद वह शांत हुई फिर उसने अपने नितम्ब उठाये और खुद को सीधे मेरे लंबे कठोर लंड पर ले गई।
जिससे मेरी पूरी लंबाई से लेकर मेरे अंडकोष तक उसकी तंग पकड़ में समा गये। मैं अपने मुँह से निकलने वाली हल्की-सी आह को रोक नहीं सका क्योंकि उसके कसे हुए शरीर ने मुझे मजबूती से अपने अंदर जकड़ रखा था। ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरा लंड अब रेशम के आवरण के अंदर था लेकिन विजया की चूत बहुत टाइट थी मुझे लगा मेरा लैंड उसमे जैसे फस गया और छील गया है मेरी भी चीखे निकल गयीl इस बार हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे ऊह्ह्हह्ह मर गएl मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लैंड को बाहर खींचने की कोशिश की लेकिन लण्ड टस से मस नहीं हुआl अब विजया की चूत ने मेरा लण्ड जकड लिया था। मैंने बहुत आगे पीछे होने की कोशिश की लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा l फिर मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और लण्ड पूरा अंदर समां गया फिर विजया कुछ देर के लिए मेरे ऊपर ऐसे ही चिपकी रही ।
अपनी आँखें बंद करके उसने एक धीमी कराह भरी, जैसे ही वह मेरे आधार पर आकर रुकी, निस्संदेह पूरी तरह से भरी हुई। मैं भी स्वर्ग में था! जैसे ही उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं तो उसने मेरे हाथ पानी के नीचे से ऊपर लाये और अपने स्तनों पर रख दिये। वे दृढ़ थे और छोटे निपल्स छोटे कांटों की तरह मेरे हाथों की हथेलियों में चुभ गए। फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी मैंने उसकी चुकी को धीरे से दबाया और मुझे अपने जीवन का आश्चर्य मिला। जैसे ही मैं उसके स्तनों को दबाता, विजया अपनी योनि की आंतरिक मांसपेशियों से भींच लेती और मेरे लिंग पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती। यह संकुचन करने वाली योनि की मालकिन अध्भुत जापानी साली द्वारा मुझे दिया गया अनुभव, किसी भी लड़की द्वारा मुझे दिये गये अनुभव में से सबसे शानदार है...।
विजया को एक इंच भी नहीं हिलना पड़ा। अपने स्तनों के प्रत्येक निचोड़ के साथ, विजया मेरे लंड को अपनी योनि की आंतरिक मांसपेशियों से निचोड़ती और छोड़ती थी, जिससे मेरे अंदर शानदार आनंद की लहरें दौड़ने लगती थीं। मैंने बोलना शुरू किया, लेकिन विजया आगे झुक गई और मुझे जोर से चूम लिया, मेरे मुँह को अपने मीठे होंठों से ढक दिया। मैंने अपने हाथ उसके स्तनों से हटाये और उसकी पीठ पर डाल दिये, उसे कस कर अपने से चिपका लिया और हम दोनों ने जोरदार चुंबन किया। विजय की प्रतिक्रिया थी कि उसने मेरे लंड को तीव्र गति से दबाना और छोड़ना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था मानो मेरा लंड दूध निकालने की मशीन में है। वह शानदार था! उसकी मांसपेशियाँ नीचे से ऊपर तक सिकुड़ जाती थीं, जो एक तरंगित प्रभाव जैसा प्रतीत होता था। मेरे लिए संवेदनाएँ बहुत अधिक थीं।
मैंने उसके ओंठो को मुँह में ले लिया और हल्के-हल्के धक्के मारने लगा। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। फिर मैंने उसको कहा-"अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रख दोll" उसने अपने हाथ मेरी कमर और गले में डाल दिए । मैंने अब धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। विजया अब जोर-जोर से सिसकियाँ निकाल रही थी। उसकी चूड़ियाँ आवर पायल हर धक्के पर खनक उठती थी। उसकी पायजेब और चूड़ियाँ मेरे हर धक्के के साथ लय बना रही थी।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और कस-कस के धक्के मारे। 20-25 धक्कों के बाद मेरे लंड में ऐंठन होने लगी फिर मैंने पिचकारी मारी। मेरा बचा हुआ माल स्नानागार की मेरी खूबसूरत जापानी गुड़िया में समा गया। पहली धड़कन के साथ, विजया ने अपनी मांसपेशियों को कस लिया और अपने योनि क्षेत्र को जितना संभव हो उतना नीचे कर दिया, अपने पैरों को मेरी जांघों के किनारों के नीचे फंसाकर खुद को उस जगह पर लॉक कर लिया। फिर वह अपनी जगह पर स्थिर हो गई और लगभग अश्रव्य रूप से कराहते हुए वह सब कुछ स्वीकार कर लिया जो मैंने उसे देना चाहा था। मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया। मेरा लौड़ा झड़ने के बाद भी विजया की चूत में चिपक कर फंसा हुआ था।
जैसे ही मेरे लंड में धड़कन कम होने लगी, विजया ने एक बार फिर से मेरे डिक को निचोड़ना और छोड़ना शुरू कर दिया, जिससे मेरी कामोत्तेजना की अनुभूति लंबे समय तक बनी रही। और चूत ने जैसे मेरे लंड को चूस-चूस का निचोड़ दिया। ये अनोखा अनुभव मुझे पहली किसी चुदाई में नहीं हुआ था। उसके बाद तो मेरा मन कर रहा था बस ऐसे ही लंड विजया के अंदर डाले पडा रहू और मजे लेता रहू। कई मिनटों के बाद मेरा लंड पिचकने लगा। फिर विजया की चूत संचुकन करने लगी और लंड चूसने लगी तो कुछ ही समय बाद मुझे लगा झड़ने के बाद भी मेरा लंड खड़ा है। विजया ने भी ढेर सारा पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया था। मैं झड़ने के बाद भी लिप्स किस करता रहा।
धीरे-धीरे चूत ढीली और गीली होनी शुरू हो गयी फिर मेरे लण्ड पर चूत की कसवत भी कुछ ढीली पड़ गयी फिर एक और बेहद ज़ोरदार दबाव के साथ विजया ने खुद को मेरे लंड से अलग कर लिया और मेरे बगल में बैठ गई।
"बहुत खूब!" मैंने अपने बगल में बैठी युवा सुंदरता को देखते हुए कहा, "रानी! यह अविश्वसनीय था!"
"धन्यवाद," उसने थोड़ा झुककर उत्तर दिया, "लेकिन अब आप आराम करें।"
जारी रहेगी