महारानी देवरानी 100

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सुहागरात से प्रेम गहरा हुआ
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Part 100 of the 100 part series

Updated 05/07/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 100

सुहागरात से प्रेम गहरा हुआ

फिर स्तन चाटने और चूसने लगता है"उह्म्म आह! आआह बेटा!"

"आह माँ ये मद्य से तो तुम्हारे दूध की मिठास और ज़्यादा बढ़ गई मेरी रानी!"

"उह्म्म आह आआह मेरा राजा बेटा!"

"आह माँ इस मद्य से तो तुम्हारे दूध की मिठास या ज़्यादा बढ़ गई मेरी रानी।" और देवरानी कीओढ़नी खींच उत्तर देता है l

"आह राजा उह ओढ़नी क्यू खींच दी आह!"

"क्यू माँ उम्म आह क्या चुची है"!

"बेटा दोपहर होने को है, मुझे शर्म आती है।"

महारानी देवरानी ने मुस्कुरा के सर अपने बेटे के काधे में छुपा लीया।

"मां अब तुम मेरी पत्नी हो, रात भर पटक-पटक कर चुदाई करवाई तब शर्म नहीं आयी।"

"मुझे पता था तुम यही कहोगे ।उह आह वह रात थी अभी पूरा उजाला है।"

"उम माँ मेरा बस चले तो बीच मैदान में तुम्हें चोदू और सबको बता दूं कि तुम देवी रति का अवतार हो।"।

"धत्त बेशर्म! उफ़ बेटा कुछ भी मत कहो आह!"

"सही कह रहा हूँ, कोई जाने या ना जाने, मैं तो तेरे अंग-अंग का दीवाना हो गया हूँ देवरानी और जीवन भर तेरे अंग-अंग की पूजा करूंगा।"

युवराज बलदेव माँ को लिटाये उसके मम्मो को बहस हुए आम की तरह चूसने लगता है, महारानी देवरानी भारी दुपहरी सिसक रही थी। आहे भर रही थी!

"माँ ये कितने स्वादिष्ट लग रहे हैं उह्म्म!"

"आह मैं अभी नहायी थी और तुमने फिर से मद्य लगा दिया आह!"

"मां तुमने चूत को रगड़ के धोया था के नहीं?"

"आह हा धोयी थी उफ़!" पर किसलिए पूछ रहे हो?

"रुको अभी बताता हूँ मेरी रानी!"

बलदेव हाथ बढ़ा कर मद्य के डिब्बे को उठा कर नीचे देवरानी की चूत पर उड़ेल देता है।

"उफ़ बलदेव उम्म मद्य क्यू बरबाद कर रहे हो"!

"माँ ये मद्य खुशनसीब है जो आपकी चूत पर थाहरने को मिला, अब आपकी चूत चाट कर आपकी चूत की मिठास का आनंद लूँगा।"

बलदेव अपने होठ पर जिभ फेरते हुए नीचे बैठ जाता है और अपनी माँ की चूत पर टूट पड़ता है।

" बलदेव आह नहीं ज़ोर से मत कर बेटा...आह राजा जी धीरे से ज़ोर से नहीं, मैं चिल्ला दूंगी आआह! नहीं, कोई सुन लेगा मत करो मेरे पति देव जी! ना आआआह आआह ओह्ह आआहाहा! आआआआआआआआआआआआआआआआआआ!

"सुन लेने दो मा आअह उह्म्म उह्म्म्म आह-आह सबको पता है महाराज बलदेव अपनी माँ बनी पत्नी के साथ सुहागरात के बाद सुहाग दिन मना रहे हैं।"

"उहह आह राजा आआहह-आआहह उइइइइ हे भगवान इश्श महाराज आज तुम मेरी योनि को खा ही जाओगे आआह राजा!"

"रानी माँ बहुत स्वादिष्ट है आपकी चूत के रस के साथ मिश्रीत मद्य का मज़ा ही अलग है! उम्म अब मुझे सुबह शाम ऐसे ही खाना है।"

"आआआह उम्म्म मेरे दुलारे बेटे आआह पागल आआआआआ ऊउउ उह्ह्ह्ह आआआह मेरी योनि छोडो बलदेव जी, आपकी दादी सुन लेगी।"

"रानी माँ मेरी दादी यानी आपकी दादी सास या आपकी पुरानी सास को पता है कि उनका पोता घटराष्ट्र के भविष्य के लिए घटराष्ट्र को वारिस देने के लिए मेहनत कर रहा है अपनी रानी पर।"

बलदेव ये कहते हुए खड़ा हो जाता है और अपने लंड पर मध उधेल देता है फिर अपनी आंखों से इशारे से अपनी माँ को पलंग से उठ कर लंड मुंह में लेने का इशारा करता है।

महारानी देवरानी अपने बेटे बलदेव की बात समझती हुई मुस्कुराती है और शहद से भीगे खड़े लंड की ओर बढ़ती है।

"पति देव जी मैं इतना ज़ोर से चिल्ला रही थी कि आपके पिता जी, मेरे ससुर सुन लेते तो!"

ये कहते हुए देवरानी अपने भारी भरकम शरीर के साथ अपने मोठे थनों को हिलाते हुए उसके पास आती है।

बलदेव ये सुनते ही मुस्कुराने लगता है।

बलदेव: (मन में) अब माँ को क्या बताउन के उनका पहला पति, या मेरे पिता अभी उनकी बगल के कमरे में ही बंधे हुए हैं, रात भर उनकी चीखे, सुन सोये नहीं होंगे।

बलदेव: माँ तुम्हारे पहले पति या मेरे पिता जो अब तुम्हारे ससुर हैं उनको भी पता है कि उनका बेटा अपनी माँ से कितना प्यार करता है आख़िर हमे उनके वंश को आगे भी तो बढ़ाना है।

देवरानी: क्या वह मानेंगे हमारे बच्चे के लिए!

बलदेव: कौन ये नहीं चाहेगा कि उनका वंश आगे बढ़े!

देवरानी: (मन में) मुझे क्षमा कर देना बलदेव मेरे पति मेंने तुम से पूछे बिना वह जड़ी बूटी खा ली थी जिससे आज तुम कितनी भी मेहनत कर लो पर मैं पेट से नहीं हो सकती।

बलदेव: क्या सोचने लगी माँ वैसे भी हमें अपने बच्चे पैदा करने के लिए किसी और की चाहत से कुछ नहीं लेना देना।

"बड़ा आया बच्चे पैदा करने वाला।"

"क्यू तुम्हें नहीं करना अपना बच्चा पैदा?"

"करना है ना।"

बलदेव ये कहते ही आगे होता है देवरानी घुटनो के बाल बैठ कर अपना मुंह खोलती है।

बलदेव हाथ बढ़ा कर झट से मध भरा लंड अपनी माँ के मुंह में थूसा देता है।

"गलप्पप गलप्पप-गलप्पप उह्म्म्म आह गैलप्पप गैलप्प-गैलप्प आआह उम्म्म्म आह उम्म्मम्म!"

देवरानी ख़ूब चुस्की ले कर मदहोशी से चाट कर अपने बेटे के लंड को चूसती है।

"गलप्पप गलप्पप-गलप्पप उह्म्म्म आह गैलप्पप गैलप्प-गैलप्प आआह उम्म्म्म आह उम्म्मम्म!"

देवरानी ख़ूब चूसी ले कर मध को चाट कर अपने बेटे के लंड का स्वाद ले रही थी।

"आह माँ ऐसे चूसो उफ्फ़ आआह ऐसे ही।"

कुछ देर लंड चुसाई से बलदेव का लौड़ा बहुत ज़्यादा सख्त हो जाता है, वह काम की अग्नि में जल रहा था।

"आजा मेरी छम्मक छल्लो! चलो तुझे पेलू चल ऊपर बैठ।"

बलदेव देवरानी को पकड़ कर टेबल पर लिटा देता है और देवरानी की दोनों टांगो को कैची बना कर नीचे से चूत को खोल देता है फिर एक झटके में घप्प से लंड पेल देता है।

"आआह जी मार्रर गइइइ आआआआआआह!"

बलदेव बिना किसी दया के अपने लंड को घपाघप पेल रहा था पर इस बार चिल्लाने से बगल के कक्ष में बाँधा बलदेव का बाप राजा राजपाल जो रोते हुए सो गया था, उसकी आंखें खुल जाती हैंऔर वह अपने बंधे हाथों को खोलने की ख़ूब कोशिश करता है।

"हे भगवान इस वैश्या देवरानी को उसने मेरी पत्नी बनाया तूने जो अपने बेटे के साथ ऐसी नीच हरकत कर रही है।"

ये कह कर राजा राजपाल बहुत क्रोधित हो रहा था तभी उसके कान में आवाज़ आई।

"आआह उफ़ धीरे से चोदो बेटा!"

ये सुनते हे राजा राजपाल की आँखों से आसु टपक जाते हैं, वह अपनी आखे बंद कर लेता है।

टेबल पर लिटाए बलदेव धक्क्को की बारिश करता हुआ अपनी माँ को तेजी से चोद रहा था, ये जानता हुआ के बगल में उसके बाप तक ये आवाज़ जा रही होगी।

"ठप्प्प ठप्प चन्नण-चन्नण अहह अह्ह्ह" की अव्वज गूंज रही थी।

"आह माँ मेरी रांड आआह तुझे तो जितना चोदू उतना कम है आह ये ले।"

"आआआह उह्ह्ह मर गई आराम से चोदो बेटा!"

कुछ देर ऐसे उसने चोदने के बाद बलदेव देवरानी को अपनी बाहों में उठा लिया और खच्च कर के फ़िर से लौड़ा पेल देता है।

"उम्म्म्म अह्म्म आआआह राजा आआआआह!"

"आह माँ ले और ले अपने बेटे का लौड़ा, आआह तेरी चूत फाड़ दूँगा माँ, तुझे अपने बच्चे की माँ बनाऊँगा आआह उह!"

"आह आआआआआ आआआह फच्च आआआह राजा उह्म्म आआआ-आआआ आआआह उईइ माआ मरर गयी बेटाआआ!"

खूब धक्के मारने के बाद जैसे ही बलदेव का पानी निकलने वाला होता है बलदेव देवरानी को नीचे उतारता है और ख़ुद सोफे पर बैठ जाता है।

"आजा माँ आजा ऊपर से सवारी कर अपने घोड़े की।"

देवरानी दोनों टांगो को फेलाए लंड पर बैठ जाती है।

"आह राजा ये लौड़ा है के लोहा!"

"कूदो माँ अपने घोड़े पर।"

देवरानी सोफे का कोना पकड़ कर ऊपर नीचे हो रही थी और बलदेव साथ-साथ नीचे से धक्के लगा रहा था।

"रानी माँ नहाने के बाद तुम्हारे शरीर की सुगंध मन मोहित कर देती है, लाजवाब हो तुम मेरी पत्नी!"

"आह राजा उफ़ आआह तुम्हारे लिए ही है सब!"

देवरानी ख़ूब मेहनत से ऊपर नीचे हो रही थी।

कुछ देर ऐसे ही उसे चोदने के बाद देवरानी थकने लगती है तो बलदेव एक दो धक्के लगता है और देवरानी को खड़े होने का इशारा करता है, जिसके बाद देवरानी उठ के खड़ी हो जाती है।

बलदेव उठ कर अपने हाथ में लंड ले कर हिलाने लगता है जैसे ही देवरानी इस बात को समझती है कि बलदेव लैंड का पानी छोड़ देगा वह झट से घुटन के बल बैठ कर कहती है।

"बेटा इसे व्यर्थ न करो ये बहुत कीमती है।"

बलदेव अब हिलाते हुए अपने लौड़े से अपनी माँ के मुँह पर मलाई फेलाने लगता है।

"आह माँ उह्म्म आआआआआआआह मेरी रंडी माँ लो पी लो मेरा अमृत रस!"

देवरानी आखे बंद क्यों अपने बेटे का अमृत पीने लगती है!

"उहम्म आह उहम्म स्लरप्पे!"

देवरानी पूरा वीर्य चाटने लगती है।

बलदेव अपने लंड का पूरा पानी छोड़ कर पलंग पर चला जाता है, बलदेव पलंग पर लेट लंबी सांस लेने लगता है, देवरानी अब भी अपने चेहरे पर लगा अपने बेटे का वीर्य को उंगली से साफ़ कर चाट रही थी।

बलदेव जैसे ही सामने का नजारा देखता है तो उसके होठों पर मुस्कान फेल जाती है, देवरानी की नज़र बलदेव से मिलती है तब देवरानी शर्मा जाती है फिर भाग कर पलंग पर आकार चादर ओढ़ कर अपने आप को छुपाने की कोशिश करने लगती है।

"माँ क्या हुआ क्यू शर्मा रही हो?"

"स्त्री हूँ शर्माउंगी ही ना।"

"हमने सात फेरे लिए हैं मेरी पत्नी भी तो हो देवरानी।"

"मां हूँ पत्नी हूँ रंडी तो नहीं हूँ ना जो नहीं शरमाउन और वैसे भी ये हमारी पहली रात थी।"

"रंडी हो।"

बलदेव अचानक से जवाब देता है जिसे सुन देवरानी अपने आखे बड़े करते हुए कहती है।

"क्या कहा तुमने?"

"तुम रंडी हो देवरानी मेरी माँ पर सिर्फ़ अपने बेटे की, तुम सिर्फ़ मेरी रंडी हो।"

देवरानी ये सुन कर मुस्कुरा देती है।

"बेटा अब तो सूरज सर के ऊपर आया तुम्हारा अभी तक मन नहीं भरा मेरे से।"

बलदेव की नज़र घड़ी पर जाती है।

" मां अभी तो 11 बजे हैं अभी तो एक घंटा है।

बलदेव खिसक कर माँ के पास जाना चाहता है उसकी माँ उसके सीने पर पैर रख कर रोक देती है फिर अपने दोनों कोमल गोरे पांवो से अपने बेटे के लंड को सहलाने लगती है।

दोनो पैर के बीच में बलदेव का सोया हुआ लंड देवरानी के प्यार से फिर से जगने लगता है।

"मां तुम तो पक्की रंडी हो!"

"चुप कर कौन-सा मैं हर किसी से चुदती फिरती हूँ।"

"वो तो मैं कभी होने भी नहीं दूंगा, तुम सिर्फ़ मेरी हो देवरानी, पर ये कहाँ से सीखा"?

"भोले पति देव जी सब कामसूत्र पुस्तक का कमाल है।"

"अच्छा पत्नी जी!"

देवरानी अब बैठ कर पैरों के साथ-साथ हाथ से अपने बेटे के लंड को मुठियाने लगती हैं।

फिर जैसे ही उसने देखा की बलदेव का लंड अब चुदाई के लिए तय्यार है अपने बेटे को छेड़ने के लिए दूर भागने का नाटक करती है और दर से अपने आप को ढक कर कहती है।

"आह अब और नहीं जी मैं थक गयी।"

"साली लंड खड़ा कर के कहती है अब और नहीं, मैं 12 बजे से पहले किसी भी हाल में इसे नहीं छोड़ने वाला।"

बलदेव चादर के अंदर घुस जाता है फिर अपने हाथ में लंड लिए हुए चूत पर रगड़ने लगता है।

"रात भर जी भर की चुदाई करवाई तो शर्म नहीं आई रंडी को और दिन में रंडी को शर्म आने लगी।"

"उहह आह राजा!"

देवरानी की चूत में लंड पेल देता है बलदेव।

"आआह आआआ-आआआ आआआ आआआ-आआआ आआ राजा! आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ आआआआ!"

बलदेव हमच-हमच के पेलने लगता है फिर कुछ देर में वह चादर दोनों के ऊपर से हट जाती है।

बलदेव एक थप्पड गांड पर मारता है जिसे समझ कर देवरानी गांड को बाहर की तरफ़ निकल कर झुक जाती है।

"आह उहह राजा आआआह उम्म्म!"

देवरानी की गांड पर चांटो की बारिश करते हुए, लंड ख़ूब ज़ोर जोर से पेलते हुए अपनी माँ के बड़े हिलते स्तनों को भी बीच-बीच में दबा रहा था।

अब चुदते-चुदते देवरानी की हालात ख़राब हो गई थी, वह निढाल होने वाली थी आआह मैं गयीीी आआआहह!

जिसे देख बलदेव झट से बैठ जाता है और अपने ऊपर अपनी माँ को बिठा लेता है।

बलदेव अपने हाथ में थोड़ा थूक लगा लंड पर लगाता है, देवरानी अपने दोनों पैरो के बीच में बलदेव को पकड़ लेती है।

"अब चोदो बेटा!"

"आह माँ ये ले!"

बलदेव धक्के मारने लगता है नीचे से बलदेव अपनी माँ को नीचे से धक्के मारते हुए उसके होठों को चूमने लगता है।

गैलप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प उह्म्म्म आह उम्म्म गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प!

दोनों माँ बेटा एक दूसरे में समाये एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे।

आआह राजा अब मैं गई आआआहह! "

बलदेव देवरानी को लिटा देता है फिर खड़े हो कर देवरानी को पलंग पर चोदने लगता है।

हर झटके में देवरानी की पायल की छन-छन की आवाज़ आ रही थी, आहे, ठप्प ठप्प, छन्न की अव्वज, चूडियो की खनक कक्ष में एक कामुक वातावरण बना रही थी।

"मां कैसा लग रहा है।"

"आह आआह उह मेरा होने वाला है आआआह!"

"थोड़ी देर या रुक जाओ आआआह माँ!"

बलदेव धक्के लगा रहा था और देवरानी झड़ने लगती है।

"आआआआआआआआआह आआआह या ज़ोर से चोदो! आआआआह बेटा मेरे राआआआजा आआआआ उफ़ आआह मैं गई आआआह मेरे पति मेरे कोख में उड़ेल दो सारा वीर्य मेरे महाराजा आआआई उफ़!"

ऐसी चीखें सुन कर अपनी रफ़्तार बढ़ा देता है बलदेव देवरानी की चूड़ी या पायल ख़ूब खनक रही थी बलदेव भी झड़ने लगता है।

"आआह मेरी पत्नी आआआ माआ तेरी चूत मेरा लौड़ा दबोच के मेरा पानी खींच रही है। आआह मा रानी माँ तेरे कोख में मेरे बीज मेरे बच्चे की बीज हमारे बच्चे की बीज जा रही है आआह!"

बलदेव या देवरानी दोनों आखे बंद क्यों झड़ते रहते हैं कुछ देर बाद दोनों पिछले हो कर बिस्तर पर लेट जाते हैं।

देवरानी अपने साथ बलदेव को भी चादर ओढ़ा लेती है या दोनों अपनी सांसों पर काबू पाने लगते हैं तभी बलदेव की नज़र घड़ी पर जाती है।

11: 45

"मां अब भी 15 मिनट बाक़ी हैं 12 बजने में।"

"बेटा मेरे तो 12 बज गए घड़ी का छोड!"

देवरानी सहलाते हुए अपने बेटे को कहती है।

"कोई बात नहीं माँ आओ मेरे पास । अच्छा बताओ कैसी रही सुहागरात महारानी देवरानी की? मुझसे कोई चुक तो नहीं हुई ना।"

"बलदेव जी आपने तो मुझे अपनी दीवानी बना लिया है एक ही रात में, आप ये बताएँ आपकी पत्नी से कोई कमी तो नहीं रह रही ना।"

"कैसी बात करती हो माँ देवरानी मैं तो अपनी माँ को पत्नी के रूप में पाकर धन्य हो गया या मुझे विश्वास है हमारे आने वाली संतान आत्यंत बलवान और बहादुर होगी।"

"आपको कैसे पता जी?"

"देवरानी जी हमारी कठिन परिश्रम से उत्तम और महाबली का ही जन्म होगा।"

"आपका आखे लाल होरही है बलदेव जी।"

"आपकी भी आँखे चढ़ी-सी लग रही है देवरानी माँ।"

"हाँ बेटा हम दोनों को सोना चाहिए।"

"मां मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं आपको पिछले 18 घंटों से चोद रहा हूँ, मैं घटराष्ट्र की महारानी पारस की राजकुमारी, रानी देवरानी को। जिसका पतिव्रता की क़सम खायी जाती थी घटराष्ट्र में, हर दुख झेल गयी उसे चोद रहा हूँ।"

"हाँ अब मुझे सुख झेल कर रहना है दुख बहुत झेल लिया।"

बलदेव उसे अपने आलिंगन में ले कर।

"आज से मेरी पत्नी माँ को मेरी देवरानी को पूरा पितृराष्ट्र मेरी पत्नी मानेगा मेरा बाप भी मेरी दादी भी जो इसके बीच आया उसका सर धड से अलग कर दूंगा।"

देवरानी खुश हो जाती है और बलदेव के माथे पर चूम कर उठ खड़ी होती है।

"अब मैं अपना वस्त्र पहन लू नहीं तो तुम मुझे सोने नहीं दोगे।"

देवरानी के लिए कुछ कपड़े कमला ने ऊपर बलदेव के कक्ष में रखवा दिये थे। देवरानी वस्त्र निकल कर सबसे पहले अपना ब्रेज़ियर निकलती है।

ब्रेज़ियर को अपने बड़े दूध में फ़सा कर दोनों वक्षो में फसा कर अपने कंधे को ऊपर ब्रेजियर फसा लेती है। बिस्तर पर लेटा बलदेव ये ग़ौर से देख रहा था।

देवरानी: अब क्या टुकुर-टुकुर तक रहे हो अब क्या इरादा है।

बलदेव: कुछ नहीं अपनी जान को देख नहीं सकता।

देवरानी फिर अपनी जंघिया को निकलती है या अपनी टांगो में डाल कर ऊपर खींचती है।

देवरानी की बड़ी गांड लचकती हुई जंघिया में फंस जाती है।

देवरानी: राजा जी आप अपनी जान को तो देख रहे हो पर आपको कुछ दिखा नहीं।

बलदेव: क्या मतलब देवरानी?

देवरानी: यहीं तुमने क्या हाल किया है मेरे शरीर को काट के देवरानी अपनी गर्दन की तरफ़ इशारा करती है।

बलदेव: अच्छा जी तो ये तो प्यार की निशानी है।

देवरानी: पर मुझे बाहर भी जाना है घर में और लोग भी हैं।

बलदेव अपनी माँ के करीब जाता है और पीठ पीछे कर के खड़ा हो जाता है।

बलदेव: देवरानी वह तो मैंने किया पर ये किसने किया?

देवरानी देखती है बलदेव की पूरी पीठ पर देवरानी की नाखुन के निशान थे।

देवरानी अपने हाथ से बलदेव की पीठ को सहलाती हुई।

देवरानी: मुझे क्षमा कर दीजिये महाराज।

बलदेव: कोई बात नहीं देवरानी पति पत्नी के बीच ये सब होता है, तुम घर वालो की मत सोचो वह सब समझते है ये कब होता है।

देवरानी: ठीक है महाराज आप भी अपना वस्त्र पहन लें।

बलदेवः जो आज्ञा महारानी देवरानी।

बलदेव झट से अपना वस्त्र उठा कर पहनने लगता है देवरानी भी अपना पेटीकोट पहन लेती है फिर ब्लाउज उठा कर पहन लेती है।

बलदेव अपना वस्त्र पहन रहा था पर बार-बार उसकी नज़र अपनी माँ पर रुक जाती है।

देवरानी जैसी घुमती है देखती है बलदेव धोती पहन उसे निहार रहा है।

देवरानी: (मन में) क्या गठीला शरीर है मेरे पति महाराज का...घोड़ा कहीं का।

और उसके चेहरे से हंसी छूट जाती है।

देवरानी: आपको क्या हुआ वस्त्र पहन लीजिये ना।

देवरानी अपने ब्लाउज के बटन लगाते हुए कहती है।

बलदेव: पहन रहा हूँ रानी माँ ऐसे भी महल में ऊपर बिना हमारे आदेश के कोई नहीं आता।

देवरानी: महाराज घाटराष्ट्र में हर तरफ़ शोर होगा, युवराज बलदेव अपनी माँ रानी देवरानी से ब्याह कर लिया । माँ बेटे ब्याह कर सात फेरे लें लिए । जनता के आक्रोश को शांत करना होगा...इसलिये मैं जनता सभा बुला कर अपनी बात रखूंगी।

देवरानी अपनी साड़ी को लपेटे हुए कहती है। बलदेव अभी उसे भी देख रहा था, देवरानी उसे अपनी मखमली पेट को निहारते देख कहती है।

देवरानी: बोलिये महाराज!

बलदेव: ठीक है महारानी जैसी आपकी इच्छा।

कुछ देर में दोनों अपने आप को एक राजा या रानी की तरह तैयार कर लेते हैं।

बलदेव: आप यहाँ सो जाएँ, मैं नीचे जा कर सोता हूँ आप के रहते हुए मैं सो नहीं पाऊंगा।

देवरानी जैसे ही बिस्तर पर देखती है।

देवरानी: यहाँ पर बलदेव देखता है बिस्तर पर खून के और उनके काम रस के धब्बे थे वह बस चुप हो जाता है।

बलदेव: वह कमला से कह देते हैं चादर बदल देगी।...

देवरानी मुस्कुराती है फिर कहती है।

"महाराज बलदेव आपका पानी मेरे अंदर, अब भी समुंदर की लहर की तरह हिलोरे मार रहा है, चादर पर है तो क्या हुआ मैं तो जाउंगी।"

बलदेव समझा जाता है फिर भी मज़ाक करते हुए।

"कहा तैर रहा है मेरा पानी, मेरी रानी"।

"आपको जैसा नहीं पता महाराज"।

बलदेव देवरानी के पास आकर उसके पेट छूते हुए।

"यहाँ आपकी कोख में, आपकी सोच में माँ।"

"नहीं महाराज आपका वीर्य मेरे नस्स-नस्स में बह रहा है।"

बलदेव: अच्छा रानी माँ।

देवरानी: हाँ बेटा।

बलदेव: रानी! फिर जल्दी से जल्दी मुझे खुशख़बरी दो।

देवरानी: बहुत जल्दी दूंगी।

महाराज बलदेव देवरानी की होठों को अपने होठों में रख गलप्पप्प-गलप्पप्प गैलप्प स्लुरप्प!

चूसने लगते हैं।

थोड़े देर में चूस कर।

बलदेव: अब आप सो जायें, हम संध्या में मिलते हैं।

देवरानी: जो आज्ञा महाराज जो आज्ञा पति देव।

बलदेव कक्ष से निकल कर बाहर चला जाता है, देवरानी अपना कक्ष बंद कर बिस्तर पर हसीन लम्हों को याद कर लेट जाती है, कुछ ही क्षण में वह 18 घंटों की चुदाई के थकन से गहरी नींद में चली जाती है।

जारी रहेगी

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