Bhabhi ka haseen dhokha Ch. 06

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मैंने चुदाई की रफ्तार और तेज कर दी. भाभी तो पागलों की तरह चीख चीख कर मुझसे चुदने लगी.

"लेकिन जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, वह है आपकी यह मस्त गांड पर तबला बजाना."

मैंने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकाल लिया और उनकी गांड पर कस कस के चपत लगाने लगा. मैंने खूब देर तक उनकी गांड पर चपत लगाई. जब मैं रुका तो उनकी गांड पूरी लाल हो चुकी थी तो मैंने उनकी गांड प्यार से नोचनी शुरू कर दी.

भाभी कुछ मिनट बाद जब सामान्य हुई तो बोली, "राजू, आज पूरे दिन तूने मेरी चूत को इतना सताया है कि अब मेरा शरीर बहुत गर्म है चुदने के लिए. लेकिन मैं फिर भी अपनी कामुकता को मारके कल तक इंतजार करूंगी. चल अब खाना खा लेते हैं."

हमने भाभी का बनाया हुआ स्वादिष्ट खाना खाया. फिर हम लोग बिस्तर पर लेट गए.

"राजू, मैं बहुत थक गई हूं. अब मुझे सिर्फ सोना है. इसलिए कोई शरारत नहीं करना."

फिर मैं और भाभी चिपक कर सोने लगे. रात को मैं मूतने के लिए उठा. जब मैं मूत के वापस आया तो मैने अपना सिर भाभी की चूत के तरफ कर लिया और मेरे पैर भाभी के चेहरे की तरफ है. भाभी की एक टांग उठा कर अपना सर दोनों टांगों के बीच में डाल दिया. अब भाभी की चूत मेरे चेहरे से सिर्फ 1 इंच दूर थी. यह सब करते समय भाभी जग गई और बोली, "यह क्या कर रहा है राजू. अपना चेहरा मेरी टांगो के बीच में क्यों रखा है?"

"कुछ नहीं भाभी. आपकी चूत से बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी. मैं उसी को सूंघ कर मीठी नींद सोना चाहता हूं. मेरा लंड भी आपके चेहरे के पास है. आप चाहो तो उससे आ रही खुशबू सूंघ कर सो सकती हो."

"बदमाश.... चल अब सो जा."

मैंने अपनी जीभ निकाली और भाभी की चूत को दो-चार बार चाटा. फिर अपनी नाक को उनकी चूत के बहुत पास ले गया और चूत से आ रही खुशबू सूंघ कर सो गया.

सुबह हुई तो मैंने आंखें खोली. भाभी की मादक चूत मेरे सामने थी. मैं अपना चेहरा भाभी की चूत के पास ले गया और चूत को चूमने लगा. कुछ वक्त तक चूमने के बाद मैंने अपनी जीभ निकालकर भाभी की चूत चाटनी शुरू कर दी. मैं खूब देर तक उनकी चूत चाटता रहा. कभी मैं भाभी की चूत पर अपना थूक थूकता और चाटता. कभी जीभ को नुकीला बनाकर भाभी की चूत के अंदर डालता है तो कभी भाभी की भगनासा अपनी जीभ से छेड़ता तो कभी उसे दांतो से हल्का सा काटता.

फिर मैंने अपने हाथ भाभी के चूतड़ पर रख दिए और जबरदस्त चूत चटाई शुरू कर दी. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भाभी के चूतड़ पर चपत लगानी शुरू कर दी.

मैं भाभी की चूत चाटते रहा और भाभी के अंदर से भी कामुक आवाजें आने लगी.

भाभी नींद में "मममममम मममममममममममम"की आवाजें निकालने लगी. जल्दी ही भाभी की चूत से पानी बहने लगा. भाभी की चूत का पानी मुझे और चाटने को प्रेरित कर रहा था. मैंने और तेजी से भाभी की चूत चाटनी शुरू कर दी. फिर मैंने अपनी एक उंगली भाभी की गांड के अंदर डाली. भाभी उठ गई.

"राजू, इतनी सुबह से तूने मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी? आह.... अच्छा लग रहा है. रुकना मत."

मैंने भाभी की चूत चटाई चालू रखी. कुछ देर बाद मैंने अपनी एक उंगली ली और उससे भाभी की भगनासा रगड़ने लगा.

भाभी ने बहुत जोर की कामुक आवाज निकाली. मेरा खड़ा लंड भाभी के चेहरे के पास था. भाभी मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और प्यार से मेरे टट्टे सहलाने लगी.

"ध्यान से भाभी. इतने जोर से मत चूसना कि मैं अपना माल आपके मुंह में गिरा दूं. याद रखना भाभी. आज हमें बच्चा पैदा करना है."

भाभी ने मेरा लंड चूसने की गति कम कर दी और टट्टे सहलाने बंद कर दिए.

"भाभी, अभी आप अगर छूटना चाहती हो तो छूट लो. मैं आपकी चूत चाटना तब तक बंद नहीं करूंगा जब तक आप छूट नहीं लेती हो."

"क्या सच में, राजू?"

फिर मैं जमीन पर बैठ गया और भाभी को टांगों के सहारे खींचकर बिस्तर के किनारे पर ले आया. फिर मैंने भाभी की चूत पर एक जोरदार चपत लगाई और चूत चाटनी और भगनासा रगड़नी शुरू कर दी. मैं दूसरे हाथ से भाभी का सपाट पेट सहला रहा था.

खूब देर चटाई के बाद भाभी का शरीर हल्के हल्के झटके खाने लगा. भाभी ने मेरे बाल पकड़ लिए.

"राजू, रुकना मत.... रुकना मत.... मैं.... मैं.... मैं.... मैं छूट रही हूं.... मैं छूट रही हूं.... आह.... राजू.... मैं छूट रही हूं... आह!"

भाभी को छूटे हुए 24 घंटे से भी ज्यादा हो चुका था इसलिए वह बहुत जोर से छूटी थी.

मैं भाभी से थोड़ा अलग हो गया. भाभी जोर-जोर से हांफ रही थी. कुछ देर हांफने के बाद भाभी का शरीर थोड़ा अकड़ने लगा.

"क्या हुआ भाभी?"

"दूर हट जा राजू."

"क्यों भाभी?"

फिर भाभी ने अपना शरीर पूरा ढीला छोड़ दिया और वह मूतने लगी. भाभी का पेशाब फर्श पर गिर रहा था. भाभी खूब दे मूती फिर शांत हो गई.

"चल राजू, तू अब मुंह धो ले.... तब तक मैं अपना पेशाब साफ करती हूं."

मैं बाथरूम में चला गया और ब्रश करने लगा. भाभी पोछा लाकर अपना पेशाब साफ करने लगी. कुछ देर बाद जब मैं बाहर निकला तो भाभी ने बोला, "राजू, एक बात है मुझे अभी पता चली."

"क्या हुआ, भाभी?"

"सासु मां आज शाम तक वापस आ जाएंगी. 4:30 उनकी ट्रेन स्टेशन पर आएगी और 5:00 बजे तक वह घर में होंगी."

"तो अब क्या भाभी? हम अपना बच्चा कब करेंगे?"

"कोई परेशानी वाली बात नहीं है राजू... हम पहले शाम को करने वाले थे. अब हम दोपहर को करेंगे. मैं तेरे संग बच्चा पैदा करके ही रहूंगी. 12:00 बजे तैयार रहना."

मैं भाभी के पास आकर उनको चूमने लगा.

"भाभी, आपको लाल रंग की साड़ी पहननी होगी और खुद को द्रौपदी समझना होगा. मैं खुद को दुशासन समझूंगा. आज दुशासन द्रौपदी को नंगा करके उसके संग बच्चा पैदा करेगा."

भाभी हंसने लगी.

"ठीक है राजू. तब तक तुम मुझसे दूर ही रहना. अब ऊपर अपने कमरे में चला जा और 12:00 बजे से पहले बाहर मत निकलना."

मैंने भाभी के होंठ चूमे और अपने कमरे में चला गया. मैं अपने कमरे में काफी दिनों बाद आया था इसलिए कमरा काफी गंदा था. मैंने एक घंटा लगा कर कमरे को साफ किया फिर लगभग 1 घंटे तक मैं नहा कर खुद को साफ किया.

जब मैं बाहर निकला तो सिर्फ 10:30 बजे थे. अभी डेढ़ घंटा बचा था. मैं किसी ना किसी तरह से समय काट रहा था. कभी या तो किताब पढ़ रहा था जब कभी गाने सुन रहा था. वह डेढ़ घंटा मेरी जिंदगी का सबसे लंबा डेढ़ घंटा था. खैर किसी तरह से 12:00 बज गए.

मैं धीरे से उतर कर भाभी के कमरे का दरवाजा खटखटाया. भाभी ने दरवाजा खोला तो भाभी लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और नहा धोकर एकदम तैयार थी.

"दुशासन, आप यहां क्या कर रहे हो? किसने आपको देखा तो नहीं?"

"द्रौपदी, बहुत दिन हो गए हैं तेरे संग संभोग किए. आज मेरा लिंग प्यासा है. इसे अपनी योनि में प्रवेश कराके इसकी प्यास बुझाओ."

"दुशासन, आज मेरे अंडोत्सर्ग का दिन है. आज के दिन हमने अगर सहवास किया तो मैं आपके बच्चे की मां बन सकती हूं."

"मुझे इसी दिन का तो इंतजार था, द्रौपदी."

मैं कमरे के अंदर घुस गया. भाभी को चूमने लगा.

"आज मैं तेरे संग सहवास करूंगा, द्रौपदी और तेरे अंदर अपना बीज बो दूंगा. 9 महीने बाद अपनी चूत से मेरे बच्चे को जनेगी तू, द्रौपदी."

मैंने भाभी का पल्लू हटाया और उनकी चुचियों को सहलाने लगा. फिर मैंने भाभी के होठों पर अपने होंठ रख दिए और उनके होठों को चूमने लगा. होठों को चूमते हुए मैं भाभी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा. फिर मैंने भाभी का ब्लाउज उतार कर उनके जिस्म से अलग कर दिया. भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी तो उनकी चूचियां लटक रही थी. मैं प्यार से उनकी चूचियां सहलाने और दबाने लगा.

"द्रौपदी, इन्हीं से तू हमारे बच्चे को दूध पिलाएगी, और मुझे भी."

मैंने भाभी की एक निप्पल मुंह में ली और चूसने लगा. भाभी के अंदर से कामुक आवाजें आनी शुरू हो गई थी. खूब देर तक उनका स्तनपान करने के बाद मैंने उनकी साड़ी खोलनी शुरू की. मैंने साड़ी का एक हिस्सा पकड़ लिया और भाभी से कहा, "द्रौपदी, अब यह दुशासन तेरा वस्त्र हरण करने जा रहा है. मैंने तेरी साड़ी का एक हिस्सा पकड़ रखा है. आ मेरी दासी. घूम घूम कर अपनी साड़ी उतार और नंगी हो जा."

भाभी ने अपनी साड़ी उतार दी और अब वह पेटीकोट में खड़ी थी. मैं नीचे झुके उनके पेट को चूमने लगा और उनकी नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा.

"तेरे अंदर आज अपना बीज बो दूंगा, द्रौपदी. फिर तेरा यह सपाट पेट मेरे बच्चे से फूल जाएगा. संसार तेरे पति को इस बच्चे की बधाई देगा, लेकिन तुझे हमेशा याद रहेगा इस बच्चे का बाप मैं हूं."

फिर मैंने भाभी की पेटीकोट की डोरी अपने दांत से खोल दी और पेटिकोट नीचे सरका दिया. भाभी अब नंगी हो चुकी थी और मैंने भी जल्दी से कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.

मैंने भाभी को जमीन पर बिछे गद्दे पर लेटा दिया. मैं अपने लंड पर थूक मलने लगा.

भाभी की चूत मेरे सामने थी. मैं नीचे झुका और भाभी की चूत को अपने मुंह में भरा और चूमने-चाटने लगा. भाभी का शरीर कसमसा रहा था. मां बनने की प्रत्याशा में वह पहले ही कामुकता से उत्तेजित थी. मेरी चूत चटाई से उनकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी. भाभी अपनी चुचियों से खेल रही थी. मैं अपने एक हाथ से भाभी की भगनासा को रगड़ रहा था और दूसरे से भाभी का पेट सहला रहा था.

"आह... दुशासन... मैं... मैं... मैं छूट रही हूं दुशासन.... मैं छूट रही हूं.... आपकी द्रौपदी छूट रही है."

मैंने तुरंत भाभी की चूत चाटना बंद कर दिया ताकि वह छूट ना पाए.

"यह क्या कर रहे हो आप, दुशासन? मैं छूटने वाली थी."

"द्रौपदी... आज तुझे केवल दुशासन का लंड ही छुड़ा पाएगा... तैयार हो जा... मेरा लंड तेरी चूत में जाने वाला है... बहुत जल्द तू मां बन जाएगी."

मैंने अपना खड़ा लंड भाभी की चूत पर रखा और एक झटका मारा. मेरा लंड लगभग आधा भाभी की चूत में घुस गया. भाभी कामुक आवाज निकाल रही थी. मैंने एक और झटका मारा तो मेरा पूरा लंड जड़ तक भाभी की चूत में घुस गया. भाभी चीख मारने ही वाली थी लेकिन मैंने अपने होठ भाभी के होठों पर रख दिए और भाभी को चूमने लगा. भाभी जी मुझे वापस चूमने लगी. हम खूब देर तक एक दूसरे को चूमते रहे.

"द्रौपदी, अपने दुशासन के बच्चे की मां बनने को तैयार हो?"

"हां दुशासन... आप अपना बीज मेरे अंदर बो दीजिए. मेरे इस बच्चे के पिता आप हैं, यह बात हमारे बीच गोपनीय रहेगी."

और फिर मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी. मैं अपनी गांड आगे पीछे करके भाभी को चोद रहा था. मैंने भाभी की चूचियां कस के पकड़ ली और चोदने के साथ-साथ उनकी चूचियां भी कस कस के दबा रहा था. मैं भाभी को चूम रहा था. मैंने अपनी जीभ भाभी के मुंह के अंदर डाल दी और हमारी जीभो में घमासान युद्ध शुरू हो गया. मैं अपने लंड को भाभी की चूत से लगभग पूरा निकाल कर फिर जड़ तक पेल रहा था. इसी कारण मेरे टट्टे भाभी की गांड पर तबला बजा रहे थे. बहुत ही कामुक माहौल था. भाभी ने मेरे जिस्म को अपने हाथों से और अपने पैरों से कसकर जकड़ लिया था. 10 मिनट तक मैं ऐसे ही भाभी को चोदता रहा. 10 मिनट के बाद भाभी चीख उठी.

"राजू... आह... मैं... मैं छूट रही हूं.... मैं छूट रही हूं... आह... आह.... आह.... आह.... मैं छूट रही हूं... चोदो मुझे राजू... चोदते रहो मुझे... मैं छूट रही हूं... आहहहहहहह."

और भाभी छूटने लगी. भाभी की चूत ने मेरा लंड को कस कर भींच लिया लेकिन मैं भी इतनी जल्दी छूटने वाला नहीं था. मैंने चुदाई जारी रखी. मैं भाभी को सटासट चोदे जा रहा था. भाभी की चूत से फचफचफचफच की आवाज आने लगी. भाभी अपने पहले रतिक्षण से उबरी नहीं थी इसलिए सिर्फ बेजान पड़ी चुद रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया की भाभी मेरे टट्टे सहला रही है. इससे उत्तेजित होकर मैंने भाभी को सबसे तीव्र गति से चोदना शुरू कर दिया. भाभी तो मानो पागल ही हो गई.

"आह... आह... आह... आह... चोद मुझे राजू... चोद मुझे... बो अपना बीज मेरे अंदर... बना दे मुझे औरत से जनानी... पेल मुझे... रंडी की तरह पेल मुझे."

फिर भाभी की चूत पर मैंने बुरी तरह से प्रहार करना शुरू किया. उनकी परवाह किए बगैर मैं उनको बुरी तरह से चोदने लगा.

इस प्रहार से भाभी खुद को नहीं बचा पाई और फिर से छूटने लगी.

भाभी ने अपनी नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए. उनके अंदर से एक बहुत ही गहरी आवाज आई. और उनकी चूत मेरे लंड को भीचते हुए छूटने लगी. मैं अभी फिर भी छूटने का नाम नहीं लिया.

"राजू, मैं दो बार छूट चुकी हूं, तू अभी तक नहीं छूटा?"

"नहीं भाभी. मेरा लंड आज आपकी चूत से पूरा बदला लेगा. जब तक इस को फाड़ कर नहीं रख देता, तब तक नहीं झड़ेगा."

"राजू, थोड़ा तरस खा अपनी भाभी पर.... या मैं कहूं अपने होने वाले बच्चे की मां पर और दे दे मुझे अपना बीज."

"भाभी, मेरा लंड अपनी मर्जी का मालिक है. जब तक आपकी चूत का भोसड़ा नहीं बनाता, तब तक नहीं झड़ेगा."

और मैं भाभी को पेलता रहा. हम लगभग आधे घंटे से चुदाई कर रहे थे लेकिन मेरा लंड झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. तभी भाभी ने मेरी गांड पर कस कस कर चपत लगानी शुरू की. मेरी गांड को भाभी नोचने लगी. फिर दूसरे हाथ की उंगली को अपने मुंह में गीला करके उससे मेरी गांड का छेद छेड़ने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कुछ देर बाद भाभी ने अपनी उंगली मेरी गांड के अंदर सरका दी. मुझे और क्या चाहिए था. मैंने भाभी के बदन को कस कर जकड़ लिया और भाभी की चूत के अंदर अपना माल छोड़ना शुरू कर दिया. मेरे टट्टो ने बहुत माल बनाया था. मैं अगले 10 सेकंड तक भाभी के अंदर छूटता रहा. भाभी भी मेरे टट्टो को प्यार से सहला रही थी. पूरी तरह से झड़ने के बाद मैं भाभी के ऊपर गिर पड़ा. कुछ सेकंड आराम करने के बाद मैंने एक तकिया भाभी की गांड के नीचे लगा दिया. फिर मैं भाभी के बदन से चिपक गया और आराम करने लगा. भाभी भी मेरे बाल और मेरी पीठ को सहला रही थी.

कुछ मिनट आराम करने के बाद मैंने फिर से अपनी गांड आगे पीछे करके भाभी की चुदाई शुरू कर दी.

"आह राजू, मुझे इतना चोद के भी तेरा लंड थका नहीं?"

"भाभी, मेरा लंड तो थक गया है लेकिन मेरे टट्टो ने इतना माल बनाया है कि जब तक आपकी चूत में मैं अपना सारा बीज नहीं छोड़ देता, तब तक मेरे टट्टे आप को चोदने के लिए कहते रहेंगे."

फिर मैंने भाभी को चूम लिया और चुदाई वापस शुरू कर दी.

लगभग 3:00 बजे तक हम यूं ही चुदाई करते रहे. 3:00 बजे के करीब मैंने आखरी बार भाभी के अंदर अपना माल छोड़ा. भाभी और मैं थक के चूर हो गए थे और एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए.

जब हम जगे तो 4:00 बज गए थे. भाभी ने मुझे उठाकर बोला, "राजू, उठ जा. 4:00 बज गए हैं. 1 घंटे में सासू मां भी आती होंगी."

भाभी के मुलायम शरीर से अलग होने का मेरा मन नहीं था और भाभी के कहने पर मैं उठ गया और उनको प्यार से चूमा. भाभी उठकर शीशे के सामने चली गई और खुद के बदन को निहारने लगी. भाभी के नंगे बदन और बल खाते चूतड़ देख के मेरा लंड फिर से हरकत में आने लगा. मैं घुटनों के बल चलकर भाभी के पास गया और अपने हाथों से उनके दोनों चूतड़ों को अलग किया फिर उनकी गांड के छेद में जीभ डालकर चाटने लगा.

"राजू, अब तो छोड़ दे अपनी भाभी को. मुझे तैयार होने दे."

मैंने गांड की छेद को चाटना बंद किया और उसमें अपनी उंगली डाल दी. भाभी दर्द से कराह उठी.

"राजू, यह क्या कर रहा है?"

"भाभी, हमारे पास एक घंटा है ना."

"हां है राजू."

"भाभी, मैं आपकी गांड मारना चाहता हूं."

"राजू, यह क्या कह रहा है. इस समय तू मेरी गांड मारेगा?"

"हां भाभी, आप गद्दे पर कुत्तिया बनके लेट जाओ. मैं मक्खन गर्म कर कर लाता हूं."

"राजू, सासू मां कभी भी आ सकती हैं."

"भाभी, याद है ना आपको... आप मुझसे शर्त हारी थी. अब शर्त की भरपाई करने का वक्त है."

मैं किचन में चला गया मक्खन गर्म करने. 5 मिनट बाद जब मैं गर्म मक्खन लेकर ऊपर आया तो भाभी कुत्तिया बनकर गद्दे पर लेटी थी.

"भाभी, आप तैयार हो?"

"राजू, सच बोलूं तो इस समय मैं अपनी गांड नहीं मरवाना चाहती. लेकिन मैं अपने वादे की बहुत पक्की हूं."

फिर भाभी ने अपनी गांड उठा दी और अपना चेहरा तकिए से लगा दिया. मैंने भाभी की गांड में उंगली डालकर उसे खोला और गर्म मक्खन उनकी गांड में उड़ेलने लगा. गर्म मक्खन अपनी गांड में उड़ेलना भाभी को अच्छा लग रहा था. मैंने लगभग पूरा मक्खन भाभी की गांड में उड़ेल दिया. जो थोड़ा बचा था उसे अपने लंड पर मला. फिर मैंने भाभी की गांड पर अपने हाथ रखें और बोला, "भाभी, गांड मराने के लिए तैयार हो?"

भाभी ने गांड मटका के हामी भरी.

मैंने भाभी की गांड में अपना लंड डाला तो सिर्फ मेरा लंड का सुपारा ही अंदर घुस पाया.

"भाभी, अपने शरीर को थोड़ा ढीला छोड़ दो. तभी गांड मरवाने में मजा आएगा."

भाभी ने धीरे-धीरे अपने शरीर को ढीला छोड़ा. मैं धीरे-धीरे अपना लंड भाभी की गांड के अंदर और डालता रहा. जब मेरा लंड जड़ तक भाभी की गांड में घुसा, तब मैं रुक गया ताकि भाभी थोड़ी समायोजित हो जाएं.

लगभग 1 मिनट के बाद मैंने भाभी की गांड मारना शुरू किया. मैं धीरे-धीरे, प्यार से अपना पिछवाड़ा आगे पीछे करके भाभी की गांड मार रहा था. मैंने देखा भाभी को भी मजा आ रहा था. उनके अंदर से कामुक आवाजें निकल रही थी और वह अपनी गांड से पीछे की तरफ ठोकर मार कर मेरे लंड से चुद रही थी.

यह देख कर मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ाई. भाभी और जोर से आवाज निकालने लगी. मेरी और भाभी की चुदाई से पूरा कमरा गूंज रहा था. मैं अपना लंड भाभी की गांड से लगभग पूरा निकाल कर जड़ तक पेलता. साथ ही साथ मैं भाभी की गांड पर जोर से चपत लगा रहा था. 15 मिनट तक मैं भाभी को ऐसे ही चोदता रहा. फिर मैंने देखा की भाभी का बदन अकड़ गया है और वह कांप रही हैं. भाभी झड़ रही थी. यह देख मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और भाभी की गांड के अंदर ही झड़ गया. जब मैंने अपना लंड भाभी की गांड से बाहर निकाला तो भाभी बोली, "राजू, मेरी उठने में मदद कर. मुझे बहुत दर्द हो रहा है."

मैंने भाभी को धीरे धीरे उठाया. भाभी खड़ी हो गई लेकिन उनको चलने में दिक्कत हो रही थी. मैं डर गया क्योंकि चाची कुछ ही मिनट में आने वाली थी.

"भाभी, आप ठीक हो?"

"राजू, गांड मार के अपनी भाभी से पूछ रहा है कि क्या आप ठीक हो? मैं कैसे ठीक हो सकती हूं जब तूने मेरी गांड मारी है? पकड़े रहे मुझे छोड़ना मत."

भाभी को मैं पकड़ा रहा. 5 मिनट के बाद भाभी ने धीरे धीरे चलना शुरू किया और धीरे धीरे चल के वह बाथरूम में चली गई और टॉयलेट पर बैठ गई और हगने लगी. भाभी 5 मिनट तक हगी. फिर जब वह खड़ी हुई, उन्हें थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था. फिर भाभी ने शावर चला दिया और बोली, "आजा राजू, हम दोनों बहुत गंदे हो रहे हैं इस समय. आजा मेरे साथ नहा ले."

मैं और भाभी शावर के नीचे खड़े हो गए और एक दूसरे से चिपक गए. हमने एक दूसरे के बदन पर खूब साबुन लगाकर एक दूसरे को धोया. हम 10 मिनट तक यूं ही नहाते रहे. फिर भाभी बोली, "राजू, सासु मां 15 मिनट में आने वाली होंगी. तू अपने कमरे में जा कर तैयार हो जा. मैं भी साड़ी पहन लेती हूं."

मैंने भाभी की बात को सुना और अपने कमरे में चला गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया. मैं सबसे नीचे वाले कमरे में आकर चाची का इंतजार करने लगा. कुछ देर बाद भाभी साड़ी पहनकर नीचे आई. भाभी एकदम आदर्श बहु लग रही थी और बहुत खुश दिख रही थी.

"राजू, सासू मां कुछ देर में आती ही होंगी. तब तक क्या करें हम?"

"भाभी, आपको ऐसा देखकर मैं शांत तो नहीं बैठ सकता."

"अरे राजू, क्या तू फिर से मेरी साड़ी खोल कर मुझे नंगा कर के चोदेगा?"

मैं भाभी के पास गया और उनके होठों पर अपने होंठ रख कर उनको चूमने लगा. भाभी भी मेरा साथ देकर मुझे चूमने लगी. हम एक दूसरे को तब तक चूमते रहे जब तक चाची ने दरवाजे की घंटी नहीं बजाई.

चाची जब अंदर आई तो मैंने उनके पांव छुए और उनका सामान लेकर अंदर रखने चला गया.

जाते-जाते मैंने पीछे से चाची की आवाज सुनी, "बहू, सब कुछ ठीक से हो गया?"

"हां, मां जी... सब ठीक से हो गया."

फिर मैं अपने कमरे में चला गया और पढ़ाई करने लगा. रात के 8:00 बजे मैं खाना खाने के लिए नीचे आया. भाभी रसोई में खाना बना रही थी और चाची टेबल पर बैठी थी. मैंने भाभी को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उनकी गर्दन चूमने लगा.

"राजू, अभी नहीं... सासू मां बगल के ही कमरे में हैं. खाना खाकर मैं 10:00 बजे आऊंगी तेरे कमरे में."

मैंने भाभी की चूचियां मसली और फिर उन्हें छोड़ दिया और टेबल पर जाकर मैं भी बैठ गया. कुछ देर में भाभी खाना लेकर आए और हम सब ने साथ खाना खाया.

फिर मैं अपने कमरे में चला गया.

करीब 10:00 बजे मेरा दरवाजा पर खटखटाहट हुई. मैं समझ गया कि भाभी होंगी. मैंने दरवाजा खोला तो भाभी थी. वह अपने हाथ में कुछ सफेद की चीज पकड़ी थी और बहुत खुश लग रही थी. भाभी ने मेरे कमरे के अंदर आकर मुझे चूम लिया.

"राजू, यह देख."

भाभी ने मुझे बहुत सफेद सी चीज थमाई.

"यह क्या है, भाभी?"

"राजू, मैंने टेस्ट किया. तूने अपना बीज मेरे अंदर बो दिया है. मैं मां बन गई हूं, राजू, तेरे बच्चे की."

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. मैं बिस्तर पर बैठ गया और भाभी को अपने पास बुलाया. भाभी मेरे पास आई और मैंने उनका पल्लू खोल दिया. भाभी का खूबसूरत पेट और उनकी प्यारी सी नाभि मेरे सामने थी. मैंने भाभी का पेट अपने चेहरे से लगा लिया. आखिर मेरा बच्चा भाभी की पेट में ही तो पल रहा था. फिर मैंने भाभी के पेट को खूब देर चूमा और फिर भाभी की साड़ी खोल दी. भाभी साड़ी से बाहर निकल आई. फिर मैंने अपने दांतो से भाभी की पेटीकोट की डोरी खोल दी. भाभी ने अपनी ब्रा और ब्लाउज को भी उतार दिया. अब भाभी सिर्फ अपनी गुलाबी चड्डी में ही थी. मैंने भी जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.

मैंने भाभी को बिस्तर पर बिठाया और हम एक दूसरे को चूमने लगे. मैं भाभी की चूचियों के साथ खेल रहा था और भाभी मेरे लंड के साथ. मैं भाभी की चूचियां को कस कर दबा रहा था और उनके निप्पल को खींच और दबा रहा था. खूब देर तक ऐसा ही चलता रहा. फिर भाभी बोली, "राजू, तू लेट जा और भाभी को अपना कमाल दिखाने दे."

मैं लेट गया और भाभी अपने हाथों में मेरा लंड लेकर हिलाने लगी और प्यार से मेरे टट्टे सहलाने लगी.

"आज बहुत काम किया है इन बेचारो ने."

भाभी ने मेरे टट्टो को चूम लिया और बारी बारी से हर टट्टे को मुंह में लेकर चूसा. साथ में भाभी मेरा लंड हिला रही थी. मुझे बहुत आनंद आ रहा था.

जल्दी ही मेरे लंड के टोपे पर पानी आ गया जिसे भाभी ने अपनी जीभ से चाट कर चखा. फिर भाभी उठी और आकर मेरे लंड पर बैठ गई. भाभी की चूत गीली थी इसलिए मेरा लंड आराम से भाभी की चूत के अंदर चला गया. फिर भाभी ने अपनी गांड मटका के मेरे लंड से चुदना शुरू किया. मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैंने भाभी की चूचियां पकड़ ली.

हम दोनों सुबह से इतनी चुदाई कर चुके थे कि थक के चूर हो चुके थे. इसलिए जल्दी ही भाभी छूट गई और उनके साथ मैं भी उनकी चूत के अंदर छूट गया. भाभी मेरे ऊपर गिर पड़ी. मैंने उन्हें कसके दबोच लिया और हम दोनों चिपक कर सो गए.

मैं मीठी नींद सो रहा था कि तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मुझे जगा रहा है. मैंने आंखें खोली तो वह चाची थी.

"राजेश, सुमन... बेटा उठो."

मैं घबराहट में उठा और मेरी घबराहट को महसूस करके भाभी भी उठ गई.

"राजेश, कपड़े पहन कर नीचे आजा. सुमन, तू भी."

भाभी अपनी साड़ी, ब्लाउज, पेटिकोट, ब्रा और पेंटी समेटकर अपने कमरे में चली गई.

"राजेश, तू भी जल्दी नीचे आ."

फिर चाची चली गई.

मैं बहुत घबरा रहा था. मेरी गांड फटी हुई थी. चाची ने मुझे उनकी बहू को चोदते हुए पकड़ा था. मैं किसी तरह से हिम्मत जुटा कर कपड़े पहना और सबसे नीचे वाली मंजिल पर चला गया. चाची वही बैठी हुई थी और मुझे देख रही थी. मैंने उनसे अपनी आंखें चुरा ली. मुझे लग रहा था कि चाची तुरंत मुझे अपना सामान बांधने को बोलेगी और घर से बाहर निकाल देंगी. कुछ ही मिनट में भाभी भी आ गई. फिर चाची ने बोला-

"राजेश, सुमन को पेट से करने के लिए शुक्रिया."

मुझे चाची के शब्दों पर यकीन नहीं हुआ.

"क्या, चाची?"