Bua k sath holi

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जब बुआ की चूत में पाँचवी बार अंदरूनी खिंचावट शुरू होने वाली थी, तब उन्होंने मुझे कहा कि मैं बहुत ही जोर से धक्के मारूँ ! तब मैंने सुपारे को अंदर ही छोड़ते हुए बाकी के लौड़े को बाहर निकल कर बहुत तेज़ी से जोरदार धक्के देने लगा और लौड़े को चूत के इतना अंदर तक डाला कि उसका सुपारा बच्चेदानी के अन्दर घुस गया। मेरे सातवें धक्के पर बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई और अकड़ गई, उनकी चूत सिकुड़ गई और मेरा लौड़ा उनकी बच्चेदानी में फंस गया !

मैं लौड़े को बाहर नहीं खींच पाया, तभी मेरे लौड़े में भी हलचल हुई और उसमें से ज़बरदस्त पिचकारी छूटी तथा छह बार तेज धारें निकली और मैंने बुआ के साथ उसकी चूत के अंदर भी होली खेल ली !

लौड़े में से इतना रस निकला की बुआ की चूत पूरी तरह भर गई तथा वह चूत में से बाहर भी निकलने लगा ! कुछ देर के बाद बुआ की चूत जैसे ही ढीली हुई, मेरा लौड़ा उस में से बाहर निकल आया।

मैं बहुत थक गया था इसलिए मैं उसी तरह बुआ के उपर ही लुढ़क गया। दस मिनट तक हम वैसे ही लेटे रहे और उसके बाद जब बुआ उठी तथा चादर पर खून को देखा तो झट से अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखने लगी। जब उन्होंने अपने हाथ पर भी खून देखा तो बदहवास हो गई और मुझे कोसते हुए बोली- देख तेरे इस मूसल ने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है, इसे फाड़ कर इसके चीथड़े कर दिये हैं ! इतना खून बह रहा है अब अगर यह बंद नहीं हुआ तो क्या करुँगी, कैसे बंद करूँ इसे?

तब मैंने बुआ को समझाया- यह तो बस थोड़ी देर में ही बंद हो जायेगा इसके लिए आप बाथरूम में जाकर चूत को ठण्डे पानी से अच्छी तरह धो लो !

जब बुआ मेरी बात नहीं मानी तो मैं उन्हें गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया और उनकी चूत को मल मल कर ठण्डे पानी से धोया और बीच बीच में प्यार से चाट भी लिया !

कुछ देर के बाद जब बुआ ने बार बार हाथ लगा कर तसल्ली कर ली कि चूत से खून नहीं निकल रहा तब वह बाथरूम से बाहर आई और मुझे तथा मेरे लौड़े को कस कर चूमा और मुझसे बोली- तुमने मेरे जीवन की पहली चुदाई में ही मुझे बहुत ही आनन्द और संतुष्टि दी है ! मेरे मन को इस बात की जीवन भर तसल्ली रहेगी कि मेरी चूत मेरे भतीजे ने ही फाड़ी है किसी बाहर वाले गैर ने नहीं ! इसके बाद मैंने और बुआ ने बिस्तर की चादर बदली, बुआ ने नाइटी तथा मैंने लुंगी पहनी और हम एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

रात को दो बजे मैं गहरी नींद में था जब मैंने अपने बदन में हलचल को महसूस किया और पाया कि बुआ का एक हाथ मेरे सीने पर था और उनका दूसरा हाथ मेरी लुंगी से बाहर निकाले हुए लौड़े पर था तथा वे मेरे लौड़े को मसल व हिला रही थी। देखते ही देखते मेरा लौड़ा तन गया तब बुआ उठी और पलटी होकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी तथा अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी। मुझ से भी रहा नहीं गया और मैं भी उनकी चूत को चूसने लगा।

लगभग दस मिनट के बाद जब मेरा लौड़ा लोहे की रॉड जैसा हो गया तब बुआ मुझ से अलग होकर उठी और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे तने हुए लौड़े को अपनी रस भरी चूत में डाल कर उछल उछल कर चुदाई करने लगी। मैं भी उसी जोश से नीचे से उछल कर धक्के लगाने लगा।

बीस मिनट के बाद बुआ और मैं दोनों चिल्ला उठे और हमने एक साथ अपना अपना रस छोड़ दिया !

बुआ निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गई और मेरा लौड़ा उनकी चूत में फंसा ही रह गया, हम दोनों इसी हालत में सोते रहे।

सुबह पांच बजे जब मेरी नींद खुली और बुआ को अपने ऊपर लेटे हुए पाया तो मेरे लौड़े ने बुआ की चूत के अंदर ही हरकत शुरू कर दी और वह तन गया। मुझे जोश चढ़ गया और मैं बुआ की चूचियाँ आहिस्ते से दबाने लगा, चूचुकों को उँगलियों से मसलने लगा।मेरी इस हरकत से बुआ की नींद खुल गई और उनकी चूत में भी कंपन शुरू हो गया। उन्होंने मेरे होंटों पर अपने होंट रख दिए और मुझे चूमने लगी, मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी।

मैंने भी उसी तरह उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और घुमा कर चूमने लगा! मेरे द्वारा उनके चूचुक को उँगलियों से मसलने और चूमने से बुआ को भी जोश आ गया और अंत में उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया कि क्या मेरा मन भी उसकी चुदाई करने का है तो मैंने झट हाँ कह दी।

बुआ खुश हो गई और तुरंत अपने को अलग कर के नीचे लेट गई और मुझे ऊपर चढ़ कर तेज़ी से चोदने को कहने लगी। जब मैं उनके ऊपर आया तब उन्होंने अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और धक्का देने को कहा।

मैंने जोश में आकर जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लौड़ा एक ही झटके में बुआ की चूत में घुसेड दिया।

बुआ चिल्ला उठी, लेकिन इससे पहले वे कुछ कहें, मैं तेज धक्के लगाने लगा। बुआ की चूत तेज़ी से सिकुड़ने और मेरे लौड़े को जकड़ने लगी, जिससे मेरे लौड़े पर जबरदस्त रगड़ लगने लगी और दस मिनट में ही बुआ ने शोर मचाते हुए अपना पानी छोड़ दिया !

मैं उनकी चुदाई उसी जोश से करता रहा और हर पांच मिनट के बाद बुआ का पानी निकालता रहा !

जब वे चौथी बार झड़ी तो बहुत ही जोर से चिल्ला कर अकड़ गई और उनकी चूत ने मेरे लौड़े को अंदर से तथा उसकी बाजुओं और टांगों ने मुझे बाहर से जकड़ लिया !

तब मेरे लौड़े में भी झनझनाहट हुई और मैंने बुआ की चूत के अंदर ही अपनी पिचकारी चला दी और उसे अपने रस से भर दिया ! अचानक ही उसकी की चूत भी बहुत जोर से सिकुड़ने लगी और मेरे लौड़े को निचोड़ कर उसका रस निगलने लगी !

लगभग पांच मिनट के बाद बुआ को जैसे राहत आई तब उन्होंने तथा उनकी चूत ने मुझे अपनी जकड़न से राहत दी और मैं सांस ले सका !

बुआ से अलग होने के लिए मुझे अपने लौड़े को खींच के बाहर निकलना पड़ा, उनकी चूत तो जैसे मेरे लौड़े को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। अलग होने पर बुआ ने उठ कर मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूस व चाट चाट कर साफ कर दिया।

बुआ ने मुझे और लौड़े को कस के चूमा और एक बार फिर मुझे बताया कि उसकी जीवन की सब से अच्छी चुदाई आज ही दो बार हुई थी। उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की कि अब से जब भी मैं उसकी चुदाई करूँ तो उनको इसी तरह ही चोदूं और उन्होंने मेरे सारे बदन को चूम चूम कर गीला कर दिया !

पहले मैं बिस्तर से उठा और बुआ को गोदी में उठाया तथा बाथरूम में ले जाकर उनकी झाँघों, टांगों व चूत को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया और उंगली मार कर चूत के अंदर से रस को भी निकाल दिया ताकि वह गर्भवती न हो जायें !

फिर बेडरूम में आकर बुआ के साथ मिल कर बिस्तर की चादर बदली और एक बार फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर, लौड़े को बुआ की चूत के बालों में छुपा कर और उनके मम्मों को अपनी छाती से चिपका कर लेट गए और सुबह होने का इंतज़ार करने लगे !

इस तरह मेरा और बुआ की चुदाई का प्रसंग शुरू हुआ और आज चार महीनों के बाद भी लगातार चल रहा है। हम सप्ताह के छह दिनों को तो रात को सोने से पहले और सुबह जागने के बाद ज़रूर चुदाई करते हैं लेकिन रविवार को तो हम दोपहर को भी चुदाई कर लेते हैं !मुझे और बुआ को उसकी माहवारी के दिनों में चुदाई न कर पाना बहुत ही अखरता था, लेकिन पिछले माह जब माहवारी के दिनों में भी मैंने कंडोम चढ़ा कर बुआ की चुदाई की तो वे बहुत ही खुश हुई !

अब तो महीने के हर दिन हम इस क्रिया का आनन्द लेते हैं और अपनी कामवासना को संतुष्ट करते हैं !

वे कहीं गर्भवती न हो जाएँ, इसके लिए बुआ अब नियमत रूप से गर्भ निरोधक गोलियाँ माला-डी खाती हैं और रोजाना मुझे से चुदती हैं।

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