बुआ का प्यार

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मैंने उससे कहा "रवि मैंने तुम्हारे फुफा से हमारे बारे में कोई बात नहीं की है। टुर से आने के बाद पता नहीं क्या सोचकर उन्होंने मुझे किसी और से चुदते समय देखने की बात की और उन्होंने ही तुम्हारा नाम सुझाया। फिर तुमसे सीधे ना बोलकर इस तरह किया है। अब तुम जो चाहो कर सकते हो।"

रवि को तो जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गयी, उसने मुझे बेतहाशा चूमना शुरु कर दिया। चूमने के बाद उसने मुझे जल्दी से नंगा कर दिया।

मुझे नंगा देखकर वह बहुत खुश हुआ। मैंने ब्युटि पार्लर जाकर थ्रेडिंग वैक्सिंग कराया था और अपने काँख और चूत के बाल भी हटवाये थे। मैं पूरी तरह चिकनी होकर नंगे ही उसके सामने पडी़ थी।

उसने पूछा "क्या तुमने यह सब मेरे लिए कराया है।"

"हाँ, जानूं तुम ही अब मेरे नये मालिक हो और मैं अब तुम्हें जानूं ही कहुँगी और जो भी तुम कहोगे मैं करुँगी।" इतना कहने के बाद मैं उसे स्मूच करने लगी।

थोडी़ देर बाद उसने मेरे टाँगों को उठाया और कहा कि बहुत दिन के बाद तुम्हारा चूत चाटने को मिला है। आज तो मैं तुम्हें खा ही जाऊँगा। उसके बाद मेरे चूत को उसने जमकर चाटा और मुझे झाड़कर पस्त कर दिया।

मैं थोडा़ लेटी ही थी कि दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने देखा तो रवि बाहर जा चुका था और मेरे सारे कपडे़ और चादर भी ले गया था। मैं भी नंगे ही दरवाजे तक आई तो देखा बाहर मेरे पति को रवि मेरा सारा कपडा़ दे रहा है।

उसने मेरे पति से कहा "फुफाजी आपका तोहफा मुझे पसंद है और विश्वास कीजिए यह सब बात मैं हमेशा राज ही रखुंगा। यह कपडे़ आप रखिए। मैं आज अपने हिसाब से काम करुँगा।" यह कहकर वह कमरे में आयाऔर मुझे अपने आप को नंगाकर लंड चूसने को कहा।

मैंने उसे नंगा कर उसका लंड चूसना शुरु कर दिया। तबतक लंब चूसा जब तक कि वह मेरे मुँह में ही झड़ नहीं गया। इसके उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखा और अपने रस का भी स्वाद लेने लगा।

इसके बाद उसने मेरी चुँचियों को चूसना शुरु किया। मेरे निप्पल को जमकर मसला। मैं कराहने लगी। मेरी काँखों को चाटा। फिर मेरी नाभि चाटते हुए वह मेरी चूत तक पहुँचा और मेरे चूत को फिर चाटा। अब मैं पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।

मैंने कहा "जानूं अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। अब जल्दी से मुझे चोद दो और अपनी रानी बना लो।"

अब मैंने लंड चूसकर खडा़ किया और बिस्तर पर लेटकर उसे चोदने का इशारा किया। अब मैं उसकी बुआ से उसकी रखैल बनने जा रही थी। उसने अपने लंड को मेरे चूत पर सटाया और धक्का दिया। मेरी गिली चूत में उसका लंड झटके से समा गया।

फिर वह युँ थोडी़ देर रुका और मुझे चुमने लगा। मैं अब पूरी तरह उसका साथ देने लगी। उसने धीरे धीरे धक्का मारना शुरु किया और मैं भी कमर उचका उचका कर उसका साथ देने लगी। इसीतरह लगभग आधा घंटा तक काम चला। अब मैं दो बार झड़ने के कारण थकने लगी थी। तभी उसने अपनी स्पीड बढा़ई और मेरे अंदर ही झड़ कर निढा़ल पड़ गया। हम दोनों थक गये थे इसीलिए जल्द ही सो गये।

फिर रात में एक बार और रवि ने मुझे जमकर चोदा। सुबह उठने पर मैंने देखा रवि अभी सोया है और उसका लंड आधा खडा़ था।

मैंने उसका लंड चूसकर उसे उठाया। उठने पर उसने मुझे फिर चोदा और मेरे चूत में ही अपना रस निकाल दिया। चूँकि मेरे सारे कपडे़ रवि पहले ही रुम से हटा दिया था इसीलिए मैं नंगे ही उसी अवस्था में अपने कमरे में गयी। मेरे चूत से रस टपककर जाँघों तक आ गया था। मैंने उसे तौलिया से पोछा।

तबतक मेरे पति औफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे। उन्होंने मुझे कसकर किस किया और औफिस चले गये। फिर मैं फ्रेश होकर नहायी और घर का काम खत्म किया।

तबतक रवि भी उठा और फ्रेश होकर नाश्ता करके क्लास करने चला गया। उसके बाद मैंने दिनभर आराम किया क्योंकि रात की चुदाई का थकान उतारना था। शाम को मेरे पति आ गये। उसके बाद मैं और पति लीभिंग रुम में बैठ कर बातें कर थे।

"कैसा लगा रवि के साथ रात बिताकर"

"ठीक ही था।"

"सुबह तुम्हें देखकर लग रहा था कि रातभर जमकर चोदा उसने तुम्हें"

मैं शर्मा गयी और कुछ बोलती इससे पहले रवि आ गया। विवेक और रवि एक दुसरे को देखकर मुस्कुराए। विवेक ने पूछा "कैसी है तुम्हारी बुआ चुदने में"

"अच्छी है। मैं आपका एहसानमंद हुँ कि आपने मुझे ये मौका दिया। इसे मैं किसी कीमत पर राज ही रखुँगा।"

तभी वह मेरे बगल में बैठ गया और मुझसे पूछा "आप ठीक तो हैं ना बुआ।"

मैं बोली "ठीक हुँ।"

उसके बाद उसने मेरे पति के सामने ही मुझे किस करने लगा। मैं थोडा़ हिचकिचायी फिर रवि के सिर पकड़कर किस करते हुए उसका साथ देने लगी।

उसने मेरे नाइटी के उपर से ही मेरी चुँचियों को मसलना शुरु किया। मैं अब उत्तेजित हो रही थी। तभी उसने एक झटके से मेरी नाइटी निकाल फेंकी।

मैंने कोई अंडरवियर नहीं पहना था। अब मैं नंगे ही अपने पति के सामने पडी़ थी।

तभी रवि ने मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरी हालत पतली होने लगी। मैंने रवि को अपने चूत से हटाया और उसे नंगा कर दिया। उसका लंड पूरी तरह खडा़ हो चुका था। मैंने उसके लंड को थोडी़ देर चूसा और अपनी टाँगों को फैलाकर चोदने का इशारा किया।

तभी मैंने विवेक को देखा। वो धीरे धीरे अपना लंड मसल रहे थे। तभी रवि ने अपना लंड मेरे चूत पर सटाया और एक झटके से अंदर कर दिया।

मैं थोडा़ चिहुँकी और कमर हिलाकर रवि का साथ देने लगी। अब मैं गरम हो चुकी थी।

मैं बोली "जानूं अब मैं तुम्हारी रांड बन चुकी हुँ। तुम्हारे फुफा भी यही चाहते हैं। अब तुम्हें जब मन हो मुझे चोद सकते हो।"

तभी उसने पूछा "जब तुम मेरी रंडी बन ही चुकी हो तो यह बताओ कि किसकी चुदाई तुम्हें अच्छी लगती है।"

मैं यह सुनकर अपने पति की ओर देखा तो वो मजे से अपना लंड निकालकर सहला रहे थे।

मैं बोली "जानूं तुम्हारा"

"तो क्या अब फुफाजी से चुदोगी।"

"चुदुँगी जरुर, पर तुमसे पुछकर"

इतना सुनते ही उसने अपनी रफ्तार बढा़ दी और जल्द ही वह मेरी चूत में झड़ गया।

मैं भी थक चुकी थीऔर आँखें बंद कर लेटी थी कि लगा कोई मुझे किस कर रहा है। आँखे खोलकर देखा तो विवेक थे। मुझे किस कर वो बाथरुम चले गये।

मैं उठी और नाइटी पहनकर खाना बनाने चली गयी। रवि भी अपने कमरे में चला गया। खाना बनाने के बाद सबने खाना खाया। मैं बर्तन समेटकर कर वाशबेसिन में धोने लगी।

तभी रवि पीछे से आया और बोला "जल्दी से आओ मेरे कमरे में, बिना कपडो़ के आना।" यह कहकर वह चला गया।

मैं बर्तन धोकर अपने कमरे में गयी तो देखा मेरे पति नंगे होकर अपना लंड सहला रहे थे। मैं उनके लंड को चूसने लगी। विवेक आँखें बंद कर लंड चूसवाने का मजा ले रहे थे। मैंने अपनी शादी के बाद पहली बार उनका लंड चूसा था।

तभी विवेक मेरा सिर पकड़ कर दबाने लगे। मैं जल्दी से पीछे हटी। जैसे लंड मुँह से बाहर निकला सारा वीर्य मेरे चेहरे पर गिरा दिया।

मैं अपना चेहरा पोंछ कर अपने पति से बोली "रवि ने मुझे नंगे ही बुलाया है। इसीलिए उसके पास जा रही हुँ। आप सो जाइए।"

यह कहते हुए मैंने अपना गाउन उतार फेंका और नंगे ही रवि के कमरे में आ गयी। कमरे में जाकर देखा तो रवि नंगे ही बिस्तर पर लेटा हुआ था। मुझे देखकर कहा "बडी़ देर लगा दी आने में" "तुम्हारे फुफाजी को सुलाकर आ रही हुँ।" इसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी चूत को चाटने लगा। उसके ऐसा करने से मैं तुरंत ही उत्तेजित हो गयी। तब उसने मुझे पहली बार डाॅगी जैसा होने को कहा। उसके बाद उसने डॉगी स्टाइल में ही मेरी चुदाई शुरु की। अब तो मैं सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने भतीजे के साथ मैं यह सब करुँगी। उसके द्वारा नये नये तरीके की चुदाई के कारण अब मैं केवल उससे ही चुदना चाहती थी। डॉगी स्टाइल में चुदते चुदते मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रवि अभी भी मुझे जमकर चोद रहा था तभी मैं बोली "जानूं आज मेरी बुर का भोंसडा़ ही बना दे। अब तो मैं तेरी दासी बन चुकी हुँ।" तभी रवि ने तेजी से धक्का मारना शुरु किया और कुछ ही देर में मेरे अंदर ही झड़ गया। झड़ने के बाद वह निढा़ल होकर मेरे उपर ही सो गया।

क्रमशः...

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