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Click hereअट्ठारह साल की उम्र, चित्रा और मैं दोनों नंगे, ज़ोरों की चूसम-चुसाई करके अभी अभी निबटे, और लौड़ा चित्रा के दोनों हाथों में , ऊपर से चोदने-चुदवाने की बात, तो उसे खड़ा होना ही था, सो हो गया। चित्रा के दिमाग में तो बस बदमाशी ही भरी हुई थी - उसने फिर लौड़े को चूसना शुरू कर दिया और अपनी जांघें चौड़ी कर के चूत थोड़ी ऊपर उठा दी। मैं भी दोनों हाथ से उसकी चूत खोल कर चाटने लगा, और बस यही करते ही रहे काफी देर तक। न उसका और न मेरा मन भर रहा था। बनाने वाले ने क्या चीज़ बनायी है चूत! हर समय आदमी की मर्ज़ी होती एक ही है-कोई औरत बड़े मम्मे और काली लम्बी चूचियों वाली काश: बस नंगी दिख तो जाय किसी तरह, तो बस प्यार से वोह जितना चुसवाय बस चूस लो चूची और पी लो चूत!
शाम ७ बज चुके थे और मैं सोच ही रहा था कि माँ-डैड के आने में अब केवल डेढ़ या दो ही घंटे होंगे, कि किसी ने घंटी बजाई। चित्रा तो "तुम देखो कौन है इस समय" बोल कर अपने कपड़े समेट कर बाथरूम में घुस गयी , और मैंने फ़ौरन शर्ट पहन कर पैंट की ज़िप बंद करते-करते दरवाज़ा खोला तो देखा कि पड़ोसन, (जो कि मम्मी से छोटी है) सामने खड़ी थी। मैंने नमस्ते कर के अंदर बुलाया तो बोली "तुम्हारी माँ का फ़ोन आया था कि वे आज नहीं आएंगी , तो उनका इंतज़ार न करना, और तुम और तुम्हारी बहिन चित्रा दोनों रात का खाना मेरे साथ खाओगे।" "ओके ऑन्टी हम कितनी देर में आपके यहां आ जाएँ?" मैंने पूछा तो बोली जल्दी आ जाना और खाना तो साडेआठ बजे गरम गरम मिलेगा। "थोड़ा जल्दी अगर आओगे तो मैं भी चित्रा से मिल लूंगी और मैं भी अकेली हूँ क्योंकि तुम्हारे अंकल टूर पर रहेंगे और १० दिन तक, मेरा भी अकेले घर पर जी नहीं लगता। तुमसे और चित्रा से बातें करके मेरा भी जी बहल जाएगा।" "अच्छा मैं चलती हूँ क्योंकि गैस पर दाल चढ़ा कर आयी हूँ , बाय" कहकर हाथ हिला कर वो चली गयीं।
चित्रा ने जब किवाड़ बंद होने की आवाज़ सुनी तो अपने कपड़े तो बाथरूम मैं छोड़ कर नंगी ही बाहर आ के पूछा कि कौन था? मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए उसे बताया कि आज सारी रात हमारी है, और डिनर का भी पड़ोस वाली ऑन्टी के यहां, जो कि इस समय अकेली है, इंतज़ाम हो गया है। "वंडरफुल!" वो बोली। "कैसी है तुम्हारी पड़ोसन? अकेली है तो ज़रूर थोड़ा या काफी चुदने का मन कर रहा होगा, और ज़रूर उँगली भी तो करती होगी? तुम अगर अकेले होते और वह तुम्हें खाने पर बुलाने आती तो उसका क्लियर एक ही मतलब निकलता है - कि वो देखना चाहती है कि तुम उसे चोदने मैं कितने इंट्रेस्टेड हो? तुम ऐसे में क्या उस के साथ चुदाई और मस्ती करते?" मेरा दिमाग भी चित्रा की देखा-देखी खुराफाती होने लगा था, और चूंकि लौड़ा सारे दिन मैं एक ही बार झड़ा था, खड़ा होकर मुझे और भी खुराफाती सोच सुझा रहा था। मैं बोला "ख्याल तो ज़रूर आया था, मगर हिम्मत होती नहीं, यह सोच कर कि अगर शिकायत कर दे तो मेरा क्या होगा?" "हट डरपोक कहीं का! पहली बात तो वो शिकायत करती ही नहीं, बल्कि उसके मन में तो गुदगुदी होती यह सोच कर कि एक हैंडसम लड़के का दिल उसपे आ गया है, और उसे चोदना सिखाने में बड़ा मज़ा आएगा। और पड़ोस में रहता है, जब मर्ज़ी हुई इशारे से बुला कर मज़े कर लूंगी! दूसरी बात, अगर शिकायत का ख्याल आता भी तो किसके पास जाती? तुम्हारी माँ के पास, और फिर क्या कहती? क्या वो बोलती "हाय बहनजी, आपको पता है आपका बेटा अब बड़ा हो गया है क्योंकि मुझपे डोरे दाल कर मुझे चोदने की फिराक में है! उसपर ज़रा निगरानी रखिये!" और यह कहकर खिलखिला कर चित्रा हंसी। तब समझ में आया मुझे कि मेरी सोच में कितना बेकार का बचपना था! मैंने खुश होकर चित्रा की चूची चूसनी शुरू कर दी, तो वो बोली "हाँ खूब चूसो और मुझे और अपने आप को भी पड़ोस में खाना खाने के लिए जाने से पहले गरम रखो क्योंकि में उस आंटी की नीयत भांपना चाहती हूँ।" फिर बोली "देखो वहाँ पहुँच कर में तो आंटी के साथ किचन में पहले जाउंगी साथ में रोटी-पराठा बनवाने। फिर खा-पीके जब हमलोग बातें कर रहे हों तो तुम बातों-बातों में अपना हाथ मेरे कंधे पर रख देना। में हटाऊँगी नहीं और ऐसे दिखाउंगी जैसे कुछ हुआ ही न हो। फिर मुझे आंटी का रिएक्शन देखना है। अगर वो भी खुली किस्म की इंसान हैं तो या तो फ़ौरन कुछ हमें वहाँ रोके रखने वाली बातें चालू जरूर करेंगी, या फिर बाय करके कल मिलने के लिए कह देंगी। जो भी हो, आगे क्या कहना या करना है बस मुझपे छोड़ दो, ठीक है?" मैंने उसकी चूची चूसते-चूसते उसकी झांटें और चूत की पंखुड़ियां भी सहलाईं और हामी भर दी।
Very erotic! Eagerly waiting for what happened after they met their neighbor woman...