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Click hereअब चार ग्रुप हॉल के चार कोनोमें बिछे हुए बिस्तरोंके पास चले गए. सभी बिस्तारोंके पास कामसूत्र कंडोम के बड़े डब्बे रक्खे हुए थे. मैं और सारिका, दोनोंके दिल जोरोंसे धड़क रहे थे. हम दोनों भी बिलकुल अनजान लड़कोंसे सम्भोग सुख प्राप्त करने वाले थे. अब खासकर राज को तान्या मिलने के बाद पीछे हटने का कोई मौका नहीं था.
रूपेश भी नयी चुत को आजमाने वाला था, इसलिए वो भी अब पीछे हटने वाला नहीं था. अब तो "आर या पार" वाला मौका था.
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अब इसके आगे की कहानी राज की जुबानी
मैं और सागर दोनों तान्या का एक एक हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर के पास लाये.
"यार राज, तुम्हारा तान्या के साथ ये पहला मौका हैं, इसलिए तुम बताओ अब कैसे शुरुआत की जाए," सागर ने कहा.
"मैं तो पहले तान्या के सुन्दर गोरे गोरे मम्मे चूसूंगा और फिर उसके साथ टिट फकिंग करूंगा. तुम नीचे शुरू हो जाओ," मैंने कहा.
पालक झपकते ही मैंने तान्या को बाहोंमे लिया और उसके गीले और रसीले होठोंको चूसता गया. उसने भी अपनी जीभ मेरे मूंहमें डाल दी और दोनों जिव्हाएं एक दुसरे को प्यार करने लगी. तब तक सागर ने तान्या की पैंटी उतारकर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी चुत को चूमना और चाटना शुरू कर दिया था.
हम तीनो बिस्तर पर लेट गए और मैंने तान्या की ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी भरी हुई और दूध के जैसी गोरी छातियाँ खुलकर बाहर आ गयी. मैं बारी बारी एक एक वक्ष को मुँह में लिए चाटने, चूसने, चूमने और मसलने लगा. तान्या ने हाथ बढ़ाकर मेरी फ्रेंची उतार दी और मेरे लौड़े को प्यारसे सहलाने लगी.
"आह राज, कितना अच्छा लग रहा है इसे सहलाते हुए. और कितना अच्छा चूसते हो तुम, ओह राज, आह आह, चूसो और चूसो. थोड़ा बीच बीच में मेरे निप्पल को चबाओ, आह, यस, ऐसे ही राज, ओह, आह, यसस्स , आह."
थोड़ी देर और उसके निप्पल्स चूसने के बाद मैं उसके वक्षोंके बीच अपने लंड को लाया और तान्या के गठीले और सुन्दर चूचियोंको चोदने लग गया. वहाँ नीचे सागर ने तान्या की चुत चाटकर गीली कर दी थी और अब वो अपना लंड घुसाकर उसे आवेश में आकर चोद रहा था. तान्या दो दो लौडोंका एक साथ मज़ा ले रही थी, मगर उसके लिए ये आम बात थी. जाहिर बात थी की, रूबी और तान्या इन चारो लडकोंके साथ ग्रुप सेक्स करती रहती थी.
दुसरे कोने में सुनीता और विक्रम पूर्ण रूप से नग्न होकर सिक्सटी नाइन का आनंद ले रहे थे. वैसे भी सुनीता रानी को ये पोज कुछ ज़्यादा ही पसंद था. दोनों आँखें बंद कर एक दुसरे को मौखिक सुख दे रहे थे.
सुनीता को योनि पर से उठकर विक्रम ने कहा, "सुनीता, तुम्हारी इस मस्त जवानी को पूरे मजे दूंगा, आज तुझे ऐसा चोद डालूँगा की तू याद रखेगी."
जब विक्रम ने कंडोम लगाकर सुनीता को चोदना आरम्भ किया, तब सुनीता बोल उठी "मार.. विक्रम मार। कर दे तेरा सारा लौड़ा अंदर... हाय देखूँ कितनी जान है तेरे में.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा की चोदेगा भी, चल चोद मुझे, यस, फक मि हार्ड, और जोर से, आह."
रूपेश कंडोम लगाकर रूबी को घोड़ी बनाकर चोद रहा था, और उसी पोज में रूबी सनी का लम्बाचौड़ा कड़क लंड चूसे जा रही थी. चोदते समय रूपेश रूबी की छोटी छोटी चूँचिया मसल रहा था और उसकी गांड पर थप्पड़ जड़कर उसे और उत्तेजित कर रहा था.
जैसे ही रूपेश उसे चोदता गया, रूबी भी बड़बड़ा उठी, "हाय,चोद पेल... आहह रुक क्यों गया ज़ालिम... आहह मत तरसा आहह.. अब तो असली वक्त आया है धक्के मारने क। मार खूब मार जल्दी कर.. आज कर दे मेरी चूत के टूकड़े टूकड़े... फ़ड़ डाल इसे... हाय बड़ा मोटा हैं तेरा लौड़ा, यस, फक मि रूपेश, चोदो मुझे और जोर से. आइइई।"
अक्षय सारिका की चूतका दाना चाट रहा था और उसकी चूतमें दो ऊँगली से उसको और सुख दे रहा था. सारिका भी जोर जोर से "यस, यस, ऐसे ही, आह, चाटो मेरा दाना, ओह गॉड, फक, यस, चाटो," कहे जा रही थी. अक्षय को सारिका की गोरी गोरी मस्त गांड को सहलाना और चूतका दाना चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था. अब वो पूरे आवेश में आकर सारिका को चोदने के लिए कंडोम लगाकर तैयार हुआ. उसका लौड़ा पांच इंच का ही था मगर काफी चौड़ा था.
जब अक्षय का लंड सारिका की टाइट चूत में घुस जाने पर वो दर्द के मारे उछल पड़ी। सारिका जोर जोर से चिल्लाई, "आआअहह.. उफफ्फ़.. आआईयईई.. .. मररर गईईईई.. बसस्स्स्स.. नही..अई बाहआअररर निककाललो.. जाआ अन्नऊऊउउ आहह.. अहह उम्म्माआ आईईई..."
उसकी एक न मानते हुए अक्षय उसे चोदता ही गया और आखिर सारिका को भी मज़ा आने लगा. वो भी अपनी गांड उठाकर चुदने लगी. दस मिनट घोड़ी बन कर चुदने के बाद अब सारिका की योनि अक्षय के मोटे लौड़े को आसानी से अंदर लेने लग गयी थी.
अक्षय ने सारिका को फिर से बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी गोरी गोरी मांसल जांघोंको को ऊपर करके पूरा चौड़ा कर दिया। अक्षय ने अपना मोटा और कड़क लंड सारिका की चूत में घुसेड़ दिया। इस बार उसकी स्पीड इतनी थी कि सारिका हांफते हुए बोल रही थी,"आह, मजा आ गया... उम्म्ह... अहह... हय... याह... यस, अक्षय माई लव फाड़ दो आज मेरी चूत को... रुकना नहीं! और जोर से... और जोर से! पहली बार इतने तगड़े लंड से चुद रही हूँ, फक मि, हार्डर, यस, आह, चोदो मुझे."
सागर को तान्या के मुँह की तरफ भेजकर मैंने अब तान्या की चुत चाटना शुरू किया. मुझे ऐसा लगा की मैंने जन्नत की सैर ही कर ली हो. तान्या दिखने में जितनी सुन्दर थी, उतनी ही उसकी चुत रसीली और स्वाद से भरी थी. जैसे जैसे मैं उसकी चुत की पंखुडिया और चुत का दाना चूसता गया, उसकी मादक सिसकीया निकल रही थी.
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने कंडोम लगाकर तान्या को चोदना शुरू किया. तब तक सागर का लौड़ा उसके मुँह में आ चूका था. तान्या की योनि बहुत ही टाइट थी इसलिए चोदने में और भी ख़ुशी हो रही थी.
"आह तान्या, कितना मस्त लग रहा हैं तुझे चोदते हुए, कितने दिन से इंतज़ार था इस घडी का, आह, फक, तान्या, तुम कितनी सेक्सी और माल हो, ओह यस, फक, तान्या," मैं कहता गया और उसे चोदता गया. वो इतनी सुन्दर और सेक्सी थी, जिसे दस बार चोदना और एक बार गिनना.
कुछ ही मिनटोंमें सागर तान्या के मुँह में झड़ गया और उसका वीर्य चाटकर पी गयी. मैं घर से शक्तिवर्धक गोलियां खाकर आया था इस उम्मीद में की शायद तान्या या काम से काम रूबी को चोदने का मौका मिल जाए. इस कारण मैं अभी भी उसकी चूतमें अपने लौड़े से ठोकरे मार रहा था.
यहाँ पर तो जैसे मेरी लाटरी निकल गयी थी. अब मैंने तान्या को घोड़ी बनाया और उसकी गांड खोलकर पीछे से चोदने लगा.
"आह, आह, यस्स , ऐसे ही राज, छोड़ो मुझे, फक मि हार्ड, यस, आह, यस, यस."
अब मेरे भी सब्र का बाँध टूट गया और मैं उसकी योनि में ही झड़ गया. मैंने अपना लंड बाहर निकलकर कंडोम उतार दिया. पहले तो तान्या ने मेरे लौड़े के ऊपर बचा हुआ वीर्य चाटकर पी लिया, फिर कंडोम को खुद के मुँहे में उल्टा कर अंदर का सारा वीर्य भी पी गयी. फिर उसने मेरी तरफ देख कर आँख मारी.
हॉल के बचे हुए तीन कोनोमें भी ऐसे ही ठुकाई, चुदाई, चुसाई और चटाई चल रही थी. आखिर सारे निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए.
दो घंटे के बाद, हम चारो (मैं, सुनीता, रूपेश और सारिका) मेजबान विक्रम का और रूबी, तान्या का धन्यवाद करते वहां से चल दिए.
अगले ही हफ्ते शुक्रवार की शाम को अँधेरी के एक बड़े होटल में बाजू बाजू में दो कमरे बुक किये गए. एक कमरे मैं मैं, रूबी और तान्या थ्रीसम का आनंद ले रहे थे. वो दोनों उन चारों लडकोंके साथ ग्रुप सेक्स के साथ साथ एक दुसरे के साथ लेस्बियन सेक्स के भी मजे लूटती थी. नंगी होने के बाद, सबसे पहले रूबी अपनी टाँगे खोलकर लेट गयी और तान्या उसकी चुत को चाटते हुए एक मोटे खीरे से उसकी चुत को चोदने लगी. क्योंकि तान्या अपने घुटनोंपर बैठकर मुझे अपनी गांड के दर्शन करा रही थी, मैंने उसकी चूतमें अपना लंड पेलता गया. उसके अंग पर झुककर उसके बड़े बड़े वक्ष जोरोंसे मसल रहा था. उसके निप्पल्स एकदम कड़क हो गए और वो जोरो शोरो से चिल्ला रही थी, "यस, फक मि हार्ड, चोदो मुझे, और जोर से, आह, आह, यस्स, चोदो मुझे और जोर से."
फिर दोनों लड़कियोंने अपनी अपनी जगह बदली और फिर मैं रूबी की एकदम टाइट चुत को चोदने लगा. अब तान्या की गीली चुत में वही खीरा अंदर बाहर हो रहा था. जब मेरी सब्र का बाँध टूटने लगा, तब मैंने कंडोम निकाला और दोनोंके वक्षोंके ऊपर अपने लौड़े का सारा वीर्य उछाल दिया. फिर दोनोंने एक दुसरे के वक्ष से वीर्य चाट चाट कर पीया। फिर मेरे लंड को चाटकर और चूसकर वीर्य की आखरी बूँद तक निकाल ली.
मुझे लगा की इतना सुख मुझे जीवन में पहली बार मिला. मैंने रूबी और तान्या को बारी बारी से मिशनरी, डॉगी पोज और अंत में गांडमें भी चोदा। सुबह के चार बजेतक चुदाई चलती रही और फिर दोनों मेरी बाहोंमें सो गयी.
बाजू के कमरे में सुनीता चारो लडकोंके साथ अपनी ज़िन्दगी का प्रथम गैंग बैंग एक सुख ले रही थी. एक साथ उसके मुँह में, चुत में और दोनों हाथोंमें लंड थे. चारो लड़के बारी बारी से उसको जन्नत की सैर कराते रहे.
विक्रम ने सुनीता की चूचियोंके बीच अपने लौड़े से चुदाई करते हुए अपना सारा वीर्य उसके चेहरेपर दाल दिया. बाकी के लड़के भी एक एक करके उसके वक्षोंपे, जाँघोंपे और पेटपर अपना अपना वीर्य उंडेल कर तृप्त हो गए.
सभी के लौडोंसे निकलती हुई वीर्य की हर बूँद सुनीता चाट चाट कर पी गयी. चारो उसे गांड चुदाई के लिए कहते रहे मगर उसने न कहने में ही भलाई समझी.
अगले दिन सुबह जब मैं और सुनीता होटल से निकले तब दोनों थकान से चूर चूर हो गए थे. घर जाकर पूरा दिन आराम करने के बाद ही दोनोंके बदन का दर्द काम हुआ.
जल्द ही रूबी को मरीन ड्राइव की किसी बड़ी बैंकमें नौकरी मिली और वो वहांसे चली गयी. तान्या को भी किसी फिल्म में सह-अभिनेत्री का छोटा सा रोल मिल गया और वो भी काम में व्यस्त हो गयी. अब इन दोनोंके अलग होने के बाद हम उन चारो लड़कोंसे भी नहीं मिले.
जो भी पल मैंने और सुनीता ने उस ग्रुप के साथ बिताये वो हमारे लिए यादगार हैं.