साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ 02

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कुमुद आश्चर्य से अपने पति को देखती ही रह गयी और बोली, "भाई बात क्या है? यह क्या कर रहे हो?"

कमल ने शरारत भरी नजर से कुमुद की और देखते हुए कहा, "अरे भाई मैंअपनी खूबसूरत बीबी को नँगी देखना चाहता हूँ। मैंने तुम्हें काफी समय से नँगी नहीं देखा है। अरे जब यह ब्रा और पैंटी जल्द ही उतरनी ही है, तो पहनने की क्या जरुरत है?"

कुमुद ने असहायता दिखते हुए कहा, "ठीक है भाई। तुम मेरे पति और स्वामी हो। तुम्हारी बात तो माननी ही पड़ेगी।" कुमुद ने जल्दी ही सिर्फ नाइट गाउन पहना और अंदर कुछ नहीं पहना।

कमल ने भी फुर्ती से अपने कपडे बदले और कुर्ता पजामा पहन कर तैयार हुआ और तैयार होते ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद का हाथ पकड़ा और राज के बैडरूम की और चल पड़ा।

राज के साथ रानी अपने कपडे बदल कर सफ़ेद नाइट गाउन पहन कर आ रही थी। रानी का गाउन महिम कॉटन का था। शायद राज ने भी रानी को अन्तर्वस्त्र (यानी पेंटी और ब्रा) पहनने से रोका था जिसके कारण हवा का एक झोंका और पीछे से आती प्रकाश की किरणें रानी के गाउन में से उसके कमसिन नंगे बदन की आकृति की साफ़ साफ़ झांकी दे रही थीं। दोनों टांगो को एक दूसरे से दबाती हुई चलती रानी दो सुआकार जाँघों के बिच सिकुड़ी हुई अपनी खूबसूरत चूत को दूसरों की नजरों से छुपाने का नाकाम प्रयास कर रही थी। बड़ी ही सहमी सहमी धीरी चाल से चलती हुई रानी सफ़ेद परी के सामान दिख रही थी। रानी की चाल से थिरकते हुए उसके उन्नत उरोज और मटकती हुई उस की गाँड़ देखते ही बनती थी। कुमुद ने देखा की बड़ी मुश्किल से उसके पति कमल ने अपनी नजर रानी के कमसिन बदन से हटाई।

कुमुद ने सोचा बेचारे उसके पति का क्या दोष? ऐसी खूबसूरत और सेक्सी स्त्री को देखकर कुमुद का खुद का मन भी तो रानी को बाहों में लेने को मचल रहा था।

कमल और कुमुद के पहुँचते ही राज ने कहा, "भैया, आज हम चारों मिलकर खुल्लम खुल्ला बाते करते हैं और सारी समस्यायों का समाधान करते हैं। इसलिए मेरा सुझाव है की आज की रात एक साथ गुजारेंगे। बल्कि हम दूसरा एक पलंग ले आते हैं और दोनों पलंग एकसाथ कर देते हैं। फिर पूरी रात सोते रहेंगे, बाते करते रहेंगे। बोलो भैया ठीक है?"

कमल ने कहा, "राज दूसरे पलंग की क्या जरुरत है? हम चारों तो एक ही पलंग में भी समा सकते हैं।"

कुमुद और रानी एकदूसरे को चुपचाप देखते ही रहे। राज ने कमल को इशारा किया और कमल और राज दोनों ने मिलकर दूसरे बैडरूम में से एक पलंग उठाया और उसे लाकर राज और रानी के पलंग के साथ जोड़ दिया।

पलँगो के जुड़ते ही, राज ने जैसे सुहाग रात में पति पत्नी को अपनी शैय्या पर ले जाता है, ऐसे ही अपनी पत्नी रानी को बाहों में उठाकर अपने पलंग पर कोने में ले जा बैठा और रानी को अपनी गोद में बिठा दिया।

कुमुद सेहमी सी एक कोने में खड़ी बिना बोले दोनों मर्दों की करतूतें देख रही थी। कमल मूड़ा और अपनी पत्नी कुमुद को भी अपनी बाहों में ऊपर उठा कर दूसरे पलंग के पास जा पहुंचा।

जब राज और रानी ने कमल को अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में उठाकर लाते हुए देखा तो राज बोल पड़ा, "आज कुमुद भाभी की खैर नहीं। लगता है कमल भैया बड़े मूड में हैं।"

कमल ने अपनी पत्नी कुमुद को धीरे से पलंग पर लिटाते हुए कहा, "देखो राज, सच तो यह है की मैं मेरी प्यारी कुमुद के बिना कई दिनों से अलग रहा। आज तुम्हारे कारण मुझे मेरी प्यारी के साथ सोने का मौक़ा मिला है तो मैं उसे खोना नहीं चाहता।"

कमल अपनी बात खतम करे उससे पहले ही राज बोल पड़ा, "सोने का मौक़ा या फिर कुछ और करने का मौक़ा? भैया साफ़ साफ़ क्यों नहीं बोलते?"

कमल राज की और खिसियानी नजर से देख कर बोला, "हाँ भाई। मैं जानता हूँ तू क्या कहना चाहता है। अब हमें खुल्लम खुल्ला शब्दों में बात करनी है, तू यही कहना चाहता है ना? तेरी बात भी ठीक है। चल तो मैं कह ही देता हूँ की आज मैं मेरी बीबी को चोदने का मौक़ा खोना नहीं चाहता। बस? अब तो खुश?"

कमल की बात सुन कर रानी और कुमुद एक दूसरे को देखने लगे। कुछ दिन पहले तक अपने पति को छोड़ कभी भी रानी ने ऐसे शब्द और किसी से नहीं सुने थे। हाँ, यह सही था की रानी कमल से 'चोदना' शब्द पहले सुन चुकी थी पर वह उन दोनों के बिच की टेलीफोन पर हुई एक निजी बात थी। पर अब तो कमल सबके सामने खुल्लम खुल्ला "चोदना" शब्द का प्रयोग कर रहा था। कमल से सब के सामने "चोदना" शब्द सुन कर शर्म के मारे रानी के गाल लाल होगये।

कुमुद ने अपने पति के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "यह क्या बक रहे हो? चुप करो। अरे तुम लोग शर्म करो। देखो मेरी छोटी बहन रानी कितना शर्मा रही है? वैसे अब सोने का टाइम भी होगया है। चलो बत्ती बुझा लो और सब सो जाओ।"

राज ने कहा, "कुमुद सोने की इतनी जल्दी क्यों है? अभी तो रात जवान है। हमें बहुत बातें करनी है।"

कुमुद: "बातें करने के लिए कौन मना कर रहा है? पर भाई आप लोग थोड़ी सी शर्म भी तो रखो। यहां देखो मेरी बहन रानी के गाल शर्म के मारे कैसे लाल हो रहे हैं?" सब ने रानी की और देखा की वाकई रानी शर्म के मारे तारतार हो रही थी की अपने पति के सामने यह सब खुल्लम खुल्ला सब कुछ बोल रहे थे।

राज रानी की छाती पर हाथ रख कर उसके स्तनों को हलके से गाउन के उपरसे ही मसलने लगा तो कुमुद ने पलंग के एक कोने में पड़ी चद्दर उठाकर रानी और राज को ढकते हुए कहा, "राज मैं कह रही हूँ और तुम सुन नहीं रहे हो। ज़रा शर्म तो करो।"

राज ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे भाई, अब हमने सब की सहमति से तय किया है की हम एक दूसरे से कतई पर्दा नहीं रखेंगे। ना बोलने में, ना कुछ करने में तो फिर शर्म काहे? और जहां तक रानी का सवाल है तो भाई बड़ी बहन नहीं बचेगी तो छोटी बहन थोड़े ही छूटने वाली है? जब भैया भाभी लग पड़ेंगे तो मैं क्या मेरी बीबी को ऐसे ही छोड़ दूंगा?"

रानी शर्म के मारे अपने बदन पर चद्दर ओढ़कर अपनी नजर जमीन पर गाड़े चुप बैठ कर सब की बातें सुन रही थी।

कमल ने कुमुद को अपनी बाँहों में लेकर कुमुद के होठों पर अपने होंठ रख कर एक जोशीली फ्रेंच किस करने लगा तो कुमुद ने अपने पति को रोकते हुए कहा, "अरे यह क्या? तुम तो आते ही शुरू हो गए! ज़रा रुको तो! कमल, चुप रहो। मेरी बात तो सुनो। थोड़ी धीरज रखो। धीरज का फल मीठा होता है।"

पर कमल कहाँ सुनने वाला था। उसने कहा, "मैंने महीनों तक धीरज ही तो रखी थी। अब तो फल खाने का समय आगया है। डार्लिंग, अब मैं सिर्फ बातों से मानने वाला नहीं हूँ। तुम मुझे काफी समय के बाद मिली हो। भाई आज की रात मेरे लिए कोई सुहाग रात से कम नहीं है। आज रात मुझे कोई मत रोकना।"

कुमुद ने कहा, "तुम्हें कोई नहीं रोकेगा। वैसे भी तुम हम से रुकने वाले कहाँ हो?"

रानी से यह सब सुन कर रहा नहीं गया और वह बोल उठी, "मैं आप सब से छोटी हूँ। अगर आप सब इजाजत दें तो मेरा एक सवाल है।" सब चुप हो कर रानी की और आश्चर्य से देखने लगे और अपना सर हिला कर सम्मति दी।

रानी ने कहा, "मैं मानती हूँ की हमें एक दूसरे से चीटिंग यानी धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, पर हम भारतीय नारियाँ ऐसे संस्कार में पली हैं की आसानी से अपने बदन का प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। हम खुल्लमखुल्ला बात नहीं कर सकतीं। हमें शर्म आती है। हम अपने पति के साथ भी एकदम बिंदास होकर सेक्स नहीं कर सकतीं, कपडे नहीं उतार सकतीं, तो दूसरों के सामने की तो बात ही क्या? मेरी आप लोगों से बिनती है की हमारी मज़बूरी को भी समझियेगा। आप लोगों को हमें कुछ तो ढील देनी चाहिए।"

सब भौंचक्के हो कर एक दूसरे को देखते रहे। तब राज ने कहा, "रानी ठीक कहती है। देखिये, मैं एक बात मानता हूँ। हम सब कभी कभी थोड़ा झूठ बोल लेते हैं। हम सब कभी कभी थोड़ी सी बेईमानी भी तो करते ही हैं। जब हम स्कूल में गुल्ली मारते थे तब, घर में पिक्चर देखने या गर्ल फ्रेंड से मिलने जाना होता था तब, ताश खेलते हुए, बच्चे थे तब एडल्ट फिल्म देखने के लिए माँ बाप से , कोई ख़ास काम हो तो ऑफिस में भी झूठ बोलते थे और बोलते है। तो अगर कभी कभी हम सेक्स में भी थोड़ा झूठ बोलें तो हमें बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि थोड़ी चोरी हो तो सेक्स में कुछ ज्यादा ही रोमांच आता है। हम पति पत्नी कभी थोड़ा सा भटक जाएँ या फिर थोडासा फिसल जाएँ तो हमें बातका बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। 'थोड़ी सी बेवफाई' तो चलती है यार। हम अगर एक दूसरे से छिपकर थोड़ा इधर उधर कुछ कर लेते हैं, एक दूसरे की बीबी से चोरी छुपी से थोड़ी ज्यादा छूट भी ले लेते हैं, तो जानते हुए भी अनजान बनने में कोई बुराई नहीं है। इसका मजा लेना चाहिए। इतना विश्वास तो हमें अपने पति या पत्नी पर रखना होगा और इतनी छूट तो हमें एक दूसरे को देनी होगी। आजकल यह सब चलता है।"

सब राज की बात को ध्यान से सुन रहे थे। राज ने कहा, "पर हाँ, हमारी वचनबद्धता हमारे पति या पत्नी में ही होनी चाहिए। अगर हमने 'थोड़ी सी बेवफाई' कर ली तो क्या होगया? हमारे पति या पत्नी हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा होना चाहिए, क्यूंकि हमारे भाई बहन, माँ बाप, बच्चे सब इसी सम्बन्ध पर टिके हुए हैं। इस लिए यह इमारत को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।"

कुमुद बोल पड़ी, "राज हमें सब कुछ खुल्लम खुल्ला बोलने की जरुरत नहीं है। पर अगर हम प्यार से खुल्लम खुल्ला बोलते हैं तो कोई हर्ज भी नहीं है। हमें जो कुछ करना है, वह खुल्लम खुल्ला करें या फिर थोड़ा छुपा कर, हमें एक दूसरे की नाजुकता और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। हम सब अलग अलग व्यक्तित्व रखते हैं तो स्वाभाविक है की हम सब अलग अलग तरीके से बात करेंगे, सेक्स भी अलग अलग तरीके से करेंगे। वाकई मझा तो उसी में है। थोड़ी सी बेवफाई में भी तो मज़ा आता है। याद करो, हम सब ने स्कूल या कॉलेज में किसी लड़के या लड़की से चोरी छुपके मिलना, सब की नज़रों से बच कर किस करना, नजर चुरा के चूँचियों को दबाना, मौक़ा मिलने पर कोई कोने में दो पैरों के बिच में उंगली डाल देना और कभी कभी तो और भी आगे बढ़कर सेक्स भी कर लेना, कुछ न कुछ तो किया था न? कितना मजा आता था न? पर क्या हुआ? अब हम पति पत्नी बन कर अपना अपना धर्म तो निभा रहे है न? तो चोरी छुपी हो या खुल्लम खुल्ला; जो करना है, जैसे करना है, करें; पर सोच समझ कर करें।"

कमल ने कहा, "भाई मैं भी तो यही कह रहा हूँ। विशेषता में ही एकता है। हम सब विशेषता चाहते हैं, विविधता चाहते हैं, नयी नयी चीझें आजमाना चाहते हैं। तो चलो चाहे छुप कर या फिर खुल्लम खुल्ला, चलो हम आज प्यार की नयी रीत अपनाते हैं।"

कमल की बात सुन कर रानी ने चौँक कर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा कमल?"

कमल ने कहा, "बूझो तो जानूं। बस इतना कहना ही काफी है।"

तब कुमुद ने कहा, "बस बहुत हो गया। अब और कोई सीरियस बात नहीं करनीं। चलो हम कोई खेल खेलते हैं।" खेल का नाम सुनकर रानी की आँखें चमक उठीं। वह एकदम बैठ गयी और उत्सुकता से सुनने लगी की कुमुद कौनसा खेल खेलने के लिए कह रही थीं। वह समझ गयी की जो भी खेल होगा, कुछ न कुछ नया रंग लाएगा जरूर।

कमल ने कहा, "खेल क्यों? क्या खेल खेलेंगे?"

राज ने कहा, "हम एक दूसरे को हिंदी पिक्चर के बारेमें एक सवाल पूछेंगे। सवाल सरल होना चाहिए। जो जवाब दे देगा वह पास। फिर सवाल पूछने की बारी उसीकी होगी। अगर जवाब नहीं दे पाया तो फिर पूछने वाला जो सजा देगा उसे मानी पड़ेगी। बोलो मंजूर है?"

कुमुद ने आँखें नचाते हुए कहा, "मंजूर है। मगर सजा ऐसी ना हो की हम कर ना पाएं। ठीक है?

राज ने कहा, "ठीक है।" राज ने कमल, रानी और कुमुद की और देखा। सब ने मुंडी हिला कर हामी भरी।

राज ने कहा, "सबसे पहले मैं कमल भैया से पूछूंगा की शोले पिक्चर की हेरोइन का नाम क्या था?"

कमल ने कहा, "रे यह तो सब को मालूम है। हीरोइन थी हेमामालिनी।"

राज ने कहा, "अब सवाल पूछने की बारी कमल की हुई। "

कमल ने रानी से पूछा, "बताओ, शोले पिक्चर में संगीत किसने दिया था?"

रानी सोचने लगी। उसे नहीं पता था। उसने कहा, "मुझे नहीं मालूम। "

सब ने तालियां बजायीं और कमल ने कहा, "संगीत एस डी बर्मन का था। रानी अब तुम्हें सजा मिलेगी। जाओ राज की गोद मैं बैठकर उसे करारा चुम्बन दो।"

रानी उलझन में देखती रही की राज ने रानी को अपनी बाहों में जकड लिया और बोला, "चलो भाई अब मैं ही तुम्हारा काम पूरा कर देता हूँ।" और राज और रानी एक दूसरे के बाहुपाश में बंध गए और होँठों से होँठ मिलाकर एक दूसरे को प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गए।

राज और रानी को चुम्बन करते हुए देख कर कमल से रहा नहीं गया। उसने अपनी बीबी को करीब खींचा तो कुमुद भी खिसक कर कमल की बाँहों में आ गयी। इतने दिनों से पति से अलग रहने से वह भी मायूस हो गयी थी। वह समझ चुकी थी की राज जो कह रहा था की ऐसी बातों को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए वह सही था। कुमुद ने तय किया की अब उसके लिए अपने पति को खुश रखना बहुत जरुरी है। अपना पति थोड़ा बहुत इधर उधर भटक भी जाए फिर भी अपना होता है। अब जब इतने दिनों के बाद कमल उसे प्यार कर रहा था तो कुमुद कमल को रोकना नहीं चाहती थी।

कुमुद बोली, "मेरे पागल पति! मैं तो तुम्हारी हूँ और हमेशा रहूंगी। ना मैं तुम्हें रोकूंगी ना ही टोकूँगी, बस खुश?"

कमल ने कुमुद के होठोँ पर एक हलकी सी किस करके बोला, "डार्लिंग आज की रात हम सब मिलकर मौज करेंगे।" यह कह कर कमल ने अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर राज और रानी के पास खिसका दिया। कमल खुद पलंग पर चढ़ कर कुमुद से चिपक कर बैठ गया। हाल यह था की एक पलंग तो खाली था और दूसरे पलंग के ऊपर दोनों युगल एक दूसरे के बदन से सट कर बैठे हुए थे। रानी अपने पति राज की बाँहों में प्रगाढ़ चुम्बन करने में व्यस्त थी।

थोड़ी देर बाद जब राज और रानी अलग हुए तो राज ने अपनी पत्नी रानी की छाती पर हाथ रखते हुए कमल से पूछा, "भैया, गरबा से क्यों जल्दी वापस आगये?"

कमल ने कुछ हिचकिचाते हुए, कहा, "गरबा में बहुत सारी सुन्दर लडकियां और औरते थीं। मेरे लिए तो हमारी दो सुन्दर बीबियाँ ही काफी हैं। मैं कन्फ्यूज़ होना नहीं चाहता था।"

कुमुद ने अपने पति कमल को चूँटी भरते हुए कहा, "झूठे कहींके। क्यों नहीं कहते हो की तुमसे हमारे बगैर रहा नहीं गया?" कुमुद के मुंह से "रानी के बगैर रहा नहीं गया" निकल जाता पर अपने आप को सम्हालते हुए उसने "हमारे बगैर रहा नहीं गया" वाक्य का प्रयोग किया।

पर कमल अपनी पत्नी का इशारा समझ गया था। शर्म के मारे वह कुछ बोल नहीं पाया। कुमुद ने काफी अरसे के बाद अपने पति को उलझन में फंसे हुए चुप चाप रहते हुए महसूस किया।

कमल ने देखा रानी अपने पति राज की गोद में लेटी हुई थी और राज बात करते हुए अपनी बीबी रानी की छाती पर सजे हुए परिपक्व स्तनों को हलके से मसल ने लगा था।

इसे देख कमल ने भी अपनी बीबी कुमुद को अपनी गोद में लिया और कुमुद के स्तनों के ऊपर अपना हाथ फिराना और धीरे धीरे उनको को दबाना और मसलना शुरू किया। कुमुद ने जब अपने पति का हाथ पकड़ उसे रोकना चाहा तो कमल ने अपनी बीबी का हाथ हटा कर उसके स्तनों को और फुर्ती से मलना जारी रखा। हार कर कुमुद चुपचाप अपने पति की गोद में लेटी हुई अपने पति की हरकतों का आनंद लेती रही। दोनों ही पति अपनी अपनी पत्नियों के स्तनों को गाउन के ऊपर से मलने का आनंद लेने लगे।

राज ने कहा, "रानी ने अपनी सजा भुगत ली है इसलिए अब सवाल पूछने की बारी रानी की है। "

रानी कुमुद की और मुड़ी और बोली, "कुमुद बताओ, कौनसी पिक्चर में एक हिंदुस्तानी हीरो इंग्लैंड की टीम में क्रिकेट खेलता हुआ दिखाया गया है?"

कुमुद सोचने लगी। उसे क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उसने कहा उसे नहीं मालुम। तब रानी ने कहा, "वह पिक्चर थी पटियाला हाउस। अब तुम हार गयी हो तो तुम भी अपने पति की गोद में बैठकर उसे चुम्बन करो।"

कमल तो इसी का इंतजार कर रहा था। उसने फुर्ती से कुमुद को लपक कर पकड़ा और अपने होँठ कुमुद के होँठों से मिलाकर चुम्बन में खो गया। कुमुद भी अपने पति के गाढ़ आलिंगन में जकड़ी हुई उसे चुम्बन करके कमल के होँठों को चूसने लग गयी। कमल का हाथ अपनी बीबी के स्तनों को गाउन के ऊपर से ही मसलने में लग गया।

अब कुमुद की बारी थी सवाल पूछने की। कुमुद ने अपने पति कमल से पूछा, "बताओ, शोले पिक्चर में सुरमा भोपाली कौन बना था?"

कमल ने फ़ौरन जवाब दिया, "जगदीप।"

जवाब सही था। अब सवाल पूछने की बारी कमल किआई। कमल ने अपनी बीबी कुमुद से पूछा, "कौनसी पिक्चर में हीरो आखरी बॉल में छक्का मारकर मैच जीतता है। "

कुमुद फिर जवाब नहीं दे पायी। उसने कहा, "मुझे नहीं मालुम।"

कमल ने कहा, "लगान"

अपनी बीबी को सजा देनेकी बारी अब कमल की थी। कमल ने कुमुद से कहा, "अब तुम जाओ और राज की गोद में जा कर बैठ जाओ और उसे चुम्बन करो।"

कुमुद ने कमल की और तर्रार नज़रों से देखा और कहा, "ऐसा मैं नहीं कर सकती।"

कमल ने कहा, "तुम्हें करना ही पडेगा। हमने अभी अभी तय किया था की हम एक दूसरे से कोई बंधन नहीं रखेंगे। तो चलो राज को किस करो। वरना मैं उठकर चला जाऊंगा।" कुमुद बड़ी धीमी गति से उठी और जैसे बड़ी अनिच्छा दिखाती हुई राज और रानी की और घूमी। रानी राज की गोदमें से हट गयी और कुमुद राज की गोद में जा बैठी। फिर शर्म से नीची नजर रखे हुए कुमुद ने अपने होँठ राज के होँठों पर रखे। राज फ़ौरन कमल की और देखता हुआ (जैसे उसकी इजाजत मांग रहा हो) कुमुद को होँठ से होँठ मिलाकर चूमने लगा। राज और कुमुद थोड़े समय के लिए अटपटे ढंगसे एक दूसरे के होँठ चूमते रहे और फिर धीरे से अलग हुए।

कुमुद ने कहा, "बस भाई, यह गेम कुछ ज्यादा ही हो गया। अब मुझे नींद आ रही है। हम सोने चलते हैं।"

कुमुद जैसे ही मुड़ी की कमल ने उसे अपनी गोद में ले लिया और कुमुद की छाती दबाने में लग गया। कुमुद की कमल को रोकने की शक्ति नहीं बची थी। वह खुद भी तो कमल के हाथों से अपने स्तनों को दबवाने का आनन्द उठाना चाहती थी। राज ने देखा की कुमुद भी अब राज और रानी के सामने ही कमल के हाथों से अपनी चूँचियों को दबवाने का आनंद ले रही थी। राज ने रानी पर झुक कर अपनी बीबी के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और रानी को चूमने लगा। रानी ने देखा की कमल उसकी और बड़ी लोलुप नज़रों से देख रहा था। शायद अपनी पत्नी की चूँचियों को दबाते हुए कहीं वह यह तो नहीं सोच रहा था जैसे वह रानी की चूँचियाँ मसल रहा हो?

इस के बाद कमरे में राज और उसकी बीबी रानी के और कमल और उसकी बीबी कुमुद के गहरे चुम्बन और होँठों से होँठ मिलाकर उन्हें चूसने के अलावा कोई और आवाज नहीं आ रही थी।

कमल बार बार राज और रानी की और देखता और तब उसके मन में एक कसक उठती। कमल और कुमुद राज और रानी के करीब ही लेटे हुए थे। दोनों पत्नियों की जांघें एकदूसरे से लगभग सटी हुई थीं।

तब कुमुद ने रानी की और घूम कर रानी के कानों में इस तरह से कहा जिसे उनके पति सुन ना सके। कुमुद ने कहा, "मेरी प्यारी छोटी बहन रानी। तू जितनी सुन्दर है उतनी ही सरल है। हमारे पतियों की तरह आज से हम दोनों बहनें भी एक दूसरे से कोई बात छुपायेंगे नहीं और एक दूसरे से हर चीझ मिलजुल कर शेयर करेंगे और बाँटेंगे। हम हमारा सुख, दुःख, यहां तक की हमारा प्यार भी एक दूसरे के साथ मिलकर बाटेंगे। तभी तो हम हमारे पतियों की सच्ची सह संगिनी बन कर रह सकती हैं ना? वरना उनके और हमारे बिच हमेशा मन भेद होता रहेगा। ठीक है? क्या तुम्हें यह स्वीकार्य है?"

रानी नजरें झुका कर कुमुद के कानों में फुसफुसाते हुए बोली, "तुम मेरी बड़ी बहन और मेरी शुभचिंतक हो। मैं वही करुँगी जो तुम कहोगी। तुम्हारी हर आज्ञा मुझे स्वीकार्य है।

कुमुद ने रानी से अलग होते हुए हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "तो फिर अपनी शर्म को छोडो और चलो अब अपने पतियों का दुःख निवारण करते है।" यह कह कर कुमुद वापस अपने पति की बाँहों में पहुँच गयी और कमल के होँठों से अपने होँठ मिलाकर प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गयी।

कमल ने पूछा, "रानी के साथ क्या फुसफुसाहट हो रही थी? रानी को क्या पाठ पढ़ा रही थी तुम? कहीं हमारे खिलाफ कोई साज़िश तो नहीं रच रही थी तुम दोनों?"

कुमुद ने कहा, "हम बेचारी क्या साज़िश रचेंगी? हम तो तुम्हारी सेविकाएं हैं। बल्कि मैं तो उसे यह कह रही थी की हमें हमारे पति की हर इच्छा, चाहे जो भी हो, पूरी करनी है।"

कमल ने कहा, "अच्छा? यह तो बड़ी समझदारी की बात कही तुमने।"

कमल ने फुर्ती से कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठोँ से अपने होँठ चिपका कर एक बार फिर उसे चुम्बन करने लगा। कमल का एक हाथ उसकी बीबी की चूँचियों को मसल ने में लगा था तो दूसरे हाथ से अचानक ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने शुरू किये। कुमुद ने अपने पति को जब रोकना चाहा तो कमल ने कुमुद के कानों में बोलकर यह याद दिलाया की उस रात के लिए कुमुद ने वचन दिया था की कुमुद कमल को कुछ भी करने से नहीं रोकेगी।

यह सुन कर कुमुद ने अपने पति कमल से कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी, पर पहले चद्दर तो ओढ़ लेते हैं।" यह कह कर कुमुद ने एक चद्दर खिंच कर अपने और अपने पति पर डाल दी।

राज और रानी हक्काबक्का होकर कमल और कुमुद की चद्दर के निचे की हरकतें देखे रहे। राज ने देखा की कमल अपनी बीबी कुमुद की चूँचियों को चद्दर के निचे से अनावरण करने में लगा हुआ था। राज की उत्सुकता बढ़ गयी। उसने कभी कुमुद के उन्नत उरोजों को खुल्ले नहीं देखा था।

कमल ने देखा की राज उसकी और टकटकी लगाए देख रहा था और कुमुद के स्तनों को निर्वस्त्र होने का इंतजार कर रहा था हालांकि राज के हाथ चद्दर के निचे उसकी बीबी रानी के गाउन के ऊपर रानी की चूँचियाँ मसलने में लगे हुए थे। कमल भी तो राज को प्रेरित कर रहा था की वह भी रानी के गाउन को खोले ताकि कमल को भी रानी के परिपक्व भरे हुए स्तनों को देखने का मौक़ा मिले।

दोनों पति प्यार तो अपनी बीबियों से कर रहे थे पर उनकी निगाहें दूसरे की बीबी पर थी। जब राज ने सुना की कमल अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने की जिद कर रहा था और कुमुद उसको रोक रही थी, तब बार बार कमल वही बात दुहरा रहा था की कुमुद ने कमल को वचन दिया था की वह कमल को रोकेगी नहीं। कुमुद के पास उसका कोई जवाब नहीं था।

अब साफ़ दिख रहा था की कमल जबरदस्ती कुमुद के गाउन के पट आगे से खोलने में जुटा हुआ था। राज बड़ी बेसब्री से कुमुद के स्तनों के दर्शन करने की लालसा से कमल के कार्यालाप को बड़े ध्यान से देखने लगा। जैसे ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोले की कुमुद के स्तन अंदर से कूद कर फैलते हुए उसके गाउन के बाहर कूद पड़े। उसके साथ ही कुमुद चौंक पड़ी और इस आननफानन में कुमुद और कमल के ऊपर बिछाई चद्दर खिसक गयी और कुमुद के उद्दंड उरोज, राज को साफ़ साफ़ दिख गए। राज ने देखा की ऊपर से दबे होने के बावजूद कुमुद के दोनों स्तन फुले हुए और उद्दंड खड़े हुए, चॉकलेट रंग की छतरी जैसे एरोला के बिच फूली हुई निप्पलों का मुकुट पहने दो टीलों के समान प्रतीत हो रहे थे।

कमल ने राज की और राज की प्रतीक्रिया महसूस करने के लिए देखा। राज को ऐसा लगा की शायद कमल ने जान बुझ कर ऊपर की चद्दर पैरों से झटका मार कर हटा दी थी ताकि राज को कुमुद के स्तनों के दर्शन हो सके। कुमुद के उन्नत स्तनों को देखते ही राज की आँखें फटी की फटी रह गयीं। अपनी बीबी रानी के स्तन भी तो भरे हुए और मदमस्त थे जो की उसने सैंकड़ों बार देखे थे। पर कमल की पत्नी कुमुद के स्तनों को निहार कर तो राज की शक्ल देख कर कमल को लगा जैसे राज पगला गया सा लग रहा था। उसका हाथ हालांकि अपनी बीबी रानी की छाती के उभार को सेहला रहा था पर उसकी निगाहें तो बस कुमुद की छाती से हटने का नाम नहीं ले रही थीं।

कुमुद की उन्मत्त चूँचियों को देखकर राज का लण्ड उसके पाजामें में फुंफकार मारने लगा। राज ने बरबस अपना लण्ड अपनी बीबी रानी की जाँघों से सटा दिया तब रानी ने आँखें खोली तो अपने पति राज को कमल की पत्नी कुमुद की नंगी चूँचियों के दर्शन करते हुए पाया। रानी अपने मन में ही कुढ़ने लगी। क्या उसके स्तन कुमुद के स्तनों से कम थे? क्या उसकी चूँचियाँ कुमुद की चूँचियों से छोटी या कम सुन्दर थीं? एक बार तो रानी का मन किया की वह अपने पति राज को धक्का देकर उसको डाँटे। पर फिर उसने सोचा की वह खुद भी तो कुछ ही देर पहले कुमुद के पति कमल का मोटा लंबा लण्ड देखकर पागल हो रही थी।