साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ 02

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रानी ने फिर भी नारी वश इर्षा के कारण अपने पति की ठुड्डी अपने हाथों में लेकर हिलायी और उसके कानों में फुसफुसाई, "अरे भाई, कुमुद की चूँचियाँ मेरी चूँचियों से बड़ी और ज्यादा अच्छी हैं क्या? मेरी चूँचियों को देख कर क्या तुम्हारा पेट नहीं भरा?"

राज ने अपनी पत्नी की और घबराते हुए देखा और फिर सोचा क्यों ना इस नारी वश इर्षा का फायदा उठा जाय? उसने रानी को चिढ़ाते हुए रानी के कानों में कहा, "तो फिर दिखाओ ना अपनी मदमस्त चूँचियों को और अपने आप ही देखलो किसकी चूँचियाँ ज्यादा सुन्दर हैं?"

अपने पति राज की बात सुनकर रानी ने शर्मा कर राज के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "मेरे बुद्धू पतिदेव, इन पर तुम्हारा अधिकार है। कमल भैया के हाथ तो बड़े अच्छे चल रहें हैं तो अगर इन्हें देखना है तो तुम्हारे हाथों को क्या लकवा मार गया है? भला मैं तुम्हें कैसे रोक सकती हूँ?" यह कह कर रानी ने राज पर अपने पति की ही जुबान में जवाब दिया।

राज समझ गया की उस की बीबी रानी अब गरम हो रही थी। राज ने धीरे से चद्दर को अपने पॉंव के अंगूठे से पकड़ कर थोड़ी ऐसे खिसका दी जिससे कमल और कुमुद रानी को खुल्ला देख सके। रानी ने अपनी आँखें बंद ही कर रखीं थीं। राज ने फुर्ती से रानी के गाउन के आगे वाले बटन खोल दिए। बटनों के खुलते ही रानी के बड़े बड़े तरबूच रानी की ब्रा में से बाहर अनावृत होकर निकलने के लिए जैसे बेताब हो रहे थे।

फिर राज ने धीरे से रानी के बदन के निचे हाथ डालकर पिछेसे रानी के ब्रा की पट्टीयां खोल दी। गुम्बज के सामान फैले हुए रानी के मस्त उरोज ब्रा के बंधन में से मुक्त होते ही रानी की छाती पर डोल कर सब का ध्यान आकर्षित करने लगे। उन उच्छृंखल उरोजों पर गोरी गोरी एरोला की चॉकलेटी गोलाई दिख रही थी जिसमें छोटी छोटी सैंकड़ों फुंसियां खिली हुई थीं जो रानी के गरम होने की चुगली खा रहीं थी। उन गोरी अरोलाओं के घेरे के बिचोंबिच रानी के स्तनों की चोटी पर दो दण्डों के सामान उसकी फूली निप्पलें (चुचुक) गजब ढा रही थीं।

कमल पहले से ही इसी का इंतजार कर रहा था की कब राज अपनी पत्नी के गाउन के पट खोले और उसे राज की बीबी रानी की मद मस्त अल्लड़ चूँचियों के दर्शन हों। रानी के खुल्ले हुए अफलातून स्तनों को देखकर कमल की भी वही दशा हुई जो राज की कमल की बीबी कुमुद के स्तनों को देख कर हुई थी। लगता था जैसे कमल की आँखें रानी के मस्त परिपक्व फुले हुए अल्लड़ गुम्बजोँ को देख कर चौंधियाँ सी गयीं। कमल से रहा नहीं जा रहा था। वह रानी की उन चूँचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलना चाहता था। कमल रानी की चूँचियों को मसल ने का आनंद थोड़ी देर पहले ही ले चुका था। पर वह थोड़ी देर के उस स्पर्श से कमल को संतुष्टि नहीं हो रही थी। वह रानी के गुम्बजोँ को प्यार से और देर तक चूसना, चूमना और मसलना चाहता था।

पर उसे अपनी बीबी की उपस्थिति में थोड़ी सी झिझक हो रही थी। कुमुद ने देखा की उसका पति कमल राज की बीबी के स्तनों को घुरघुर कर देखा रहा था। कुमुद को बरबस हंसी आगयी। वह सोचने लगी यह पुरुष की जात बन्दर के समान है। जैसे ही कोई सुन्दर बंदरिया उसे दिखती है वह जीभ लपलपाता अपनी बीबी कितनी ही सुन्दर क्यों ना हो, को छोड़ कर दूसरी के पीछे भागने लगता है।

कुमुद ने अपने पति कमल के लण्ड को अपनी गाँड़ में टक्कर मारते हुए महसूस किया। कमल एकदम गरम हो चुका था। कमल ने कुमुद का हाथ पकड़ा और पीछे की और घुमाकर उसे अपने लण्ड पर रख दिया। कमल चाहता था की कुमुद उसके लण्ड को सहलाये। कुमुद ने अपने पति का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। उसे इस पोजीशन में असुविधा हो रही थी।

दोनों पति दूसरे की पत्नी को और उसके बदन को भूखी नज़रों से देख रहे थे। पर उनमें हिम्मत नहीं हो रही थी की दूसरे की पत्नी को छुए। दोनों बीबियाँ भी काफी गरम हो चुकी थीं और चाहती थीं की उनका पति उनको और गरम करे। अपने मनमें शायद वह समझ चुकी थीं की उस रात उन दोनों की खूब चुदाई होने वाली थी।

कमल ने राज को इशारा किया की राज अपनी बीबी रानी के गाउन को पूरी तरह उतार फेंके। इधर कमल ने भी अपनी बीबी के गाउन को कुमुद के हलके फुल्के अवरोधकों ना मानते हुए पूरा खोल दिया। रानी और उसका पति राज कमल और कुमुद की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखने लगे। कुमुद के दूध समान गोरे नंगे बदन को पहेली बार अपनी नज़रों के समक्ष देखकर राज की बोलती बंद हो गयी। कुमुद एक अप्सरा के समान दिख रही थी। उसका नग्न बदन उसकी पतली कमर, उसके उन्नत फुले हुए स्तन मंडल और उसकी गिटार के सामान सुआकार कमर के निचे की बदन की गोलाई देखते ही बनती थी।

राज क्या राज की पत्नी रानी भी कुमुद का कमसिन और गोरा जलपरी सा नंगा बदन देखकर जैसे मोहित हो गयी। रानी अपने आपको रोक नहीं पायी और बरबस रानी का एक हाथ कुमुद के स्तनों से खेलने लगा। रानी और कुमुद दोनों एक दूसरे से एकदम सट कर लेटे हुए थे। दोनों की जांघें और कंधे एक दूसरे से रगड़ रहे थे। रानी के हाथ जब कुमुद के स्तनों पर थे तब कमल ने रानी के हाथों को थाम लिया और रानी की हथेली के पीछे उपरसे अपनी हथेली रानी के हाथ पर रख दी। कुमुद की सुन्दर उरोजों से कमल और रानी दोनों ही खेलने लगे।

कुमुद ने कमल के लण्ड से अपना हाथ हटा लिया क्यूंकि कुमुद को दर्द हो रहा था। तब कमल ने अपने पाजामे का नाडा खोल दिया और अपने लण्ड को खुल्ला छोड़ दिया। कमल अपनी पत्नी कुमुद के पीछे था इसलिए राज और रानी उसे देख नहीं पाए पर उन्होंने देखा की कमल अपना पजामा उतार चुका था और वह कुमुद की बाहों के ऊपर से अपना एक हाथ लंबा कर अपनी बीबी कुमुद के स्तनोँ को दबा रहा था और साथ साथ रानी के हाथ जो कुमुद के स्तनोँ को सेहला रहे थे उन्हें दबा कर अपनी इच्छा प्रकट कर रहा था। पीछे से कमल कुमुद की गांड की दरार में हलके से अपना लण्ड फँसा ने में जुटा हुआ था।

यह देखकर राज भी उत्तेजित हो कर अपनी बीबी रानी के स्तनों को और जोश से मलने लगा। राज का सपना साकार होने वाला था। कुमुद के नग्न बदन के दर्शन करनेका राजका पहला सपना तो साकार हो ही चुका था। अब उसे दूसरे सपने का फलीभूत होने का बेसब्री से इंतजार था। वह बेचैन था की कब उसे कमल भैया की पत्नी और उसकी चाह, कुमुद के नंगे बदन को अपने हाथों से सहलाने का, दुलार करने का मौक़ा मिले।

कमरे में सेक्स की खुशबु चारों और फ़ैल रही थी। दोनों बीबियों ने जो परफ्यूम लगाए थे उसके साथ चारों की योनियों से रिसते हुए रस की खुशबु मिल कर एक रोमांचक सी महक कमरे को तरबतर कर रही थी। कोई कुछ भी बोल नहीं रहा था। सब का ध्यान 'अब आगे क्या होगा ' पर केंद्रित था। हालांकि सबको आज रात का अंजाम भलीभांति पता था, पर फिर भी आखिरी वक्त पर कहीं कोई पासा उलटा ना पड़ जाए, कहीं कोई बेगम नाराज ना हो जाए, उसकी आशंका से दोनों पति अपनी पत्नियों को कुछ ज्यादा ही खुश रखने में मशगूल थे।

हालांकि दोनों मर्द अपनी बीबी से ज्यादा दूसरे की बीबी के बारेमें सोच रहे थे; पर क्यूंकि बीबियों की रजामंदी के बगैर जो वह करना चाहते थे वह नहीं हो सकता था इस लिए, दोनों पति अपनी बीबियों को यह जताने में लगे हुए थे की उनका ध्यान अपनी बीबियों पर ही था। कोई भी पति दूसरे की बीबी को छेड़ने की पहल नहीं कर रहा था। हाँ कमल कुमुद के स्तनों को सहलाते हुए रानी के हाथ को दबा कर अपनी कामना का संकेत जरूर दे रहा था।

तब अचानक कमल धीरे से ऊपर की और उठा और अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर सीधा लिटा कर उसके दोनों पाँवों के बिच जा पहुंचा। कुमुद कुछ बोले या कुछ विरोध करे उसके पहले कमल ने कुमुद की टांगें फैला दी और उनके बिच अपने मुंह को डालकर अपनी बीबी की चूत को चाटने लगा।

राज की नजर कुमुद की चूत पर अटक सी गयी। राज ने कई बार कुमुद को मन ही मन में चोदा था। कुमुद की चूत की कई बार वह कल्पना कर चुका था। पर अपनी आँखों से साक्षात् जब देखा तो पाया की कुमुद की चूत उसकी कल्पना से भी कहीं खूबसूरत थी। दो लचीली सपाट और कमनीय जाँघों के बिच छोटी सी हलके बालों में घिरी हुई कुमुद की गुलाबी चूत का कोई जवाब ही नहीं था। रानी के मुकाबले कुमुद की जांघें पतली और सुआकार थीं। कुमुद की पतली कमर और वहाँ से जाँघों का घुमाव कितना खूबसूरत था। राज देखता ही रहा।

शुरू में कुमुद शर्मिंदगी और उलझन के मारे अपने पति का विरोध करती रही पर जैसे ही कमल की जीभ ने कुमुद की चूत की पंखुड़ियों में अपना जादू फैलाना शुरू किया की वह मचलने लगी। अपने बदन पर उसका नियत्रण ना रहा और जल्द ही वह कामुक कराहें और आहें भरने लगी। शर्मिंदगी और उलझन पर स्त्री सुलभ व्यभिचार भाव हावी हो गया। उसे होश ना था की राज और रानी दोनों उसकी चूत की चुसाई देख रहे थे और वह नंगी लेटी हुई उन दोनों के सामने अपने स्त्रीत्व का प्रदर्शन करा रही थी।

जब बड़े भैया अपनी बीबी कुमुद की चूत चूस रहे थे तो छोटा भाई कहाँ रुकने वाला था? राज ने भी फुर्ती से रानी की भरी हुई जाँघें खोल कर रानी के गाउन को ऊपर उठाकर अपना सर रानी की दो टाँगों के बिच में डाल दिया और अपनी बीबी की चूत प्यार से चाटने लगा और उसमें से झरने की तरह रिस रहा रस चूसने लगा। राज को पहली बार महसूस हुआ की काम वासना की मारी उसकी बीबी रानी की चूत में से कितना पानी बह सकता है। राज बड़े चाव से वह रिस्ता हुआ पानी चूस रहा था। रानी अपने पति की चूत चुसाई से मचल रही थी। अब उसे यह शर्म नहीं थी की उसके करीब करीब नंगे बदन को और उसकी चूत चुसाई को कमल और कुमुद देख रहे थे और उत्तेजित हो रहे थे। रानी ने सोचा की शायद कहीं ऐसा ना हो की कमल भी उसकी जाँघों के बिच आकर उसकी चूत का पानी चूसने न लग जाय। यह सोचते ही उसके बदन में एक सिहरन सी फ़ैल गयी।

कमल ने थोड़ी देर बाद अपना मुंह हटाया और कुमुद की चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दी और कुमुद को उँगलियों से चोदना शुरू किया। अक्सर औरतें लण्ड से ज्यादा उँगलियों की चुदाई से उत्तेजित हो जाती हैं। राज और रानी हैरान थे की इतनी सीधी, सादी और भगवान का भजन करने वाली कुमुद उंगली चोदन से कैसे पिलपिला रही थी और पलंग पर अपने कूल्हे रगड़ कर अपनी कामुकता प्रदर्शित कर रही थी। जैसे ही पति ने उँगलियों से चोदने की गति बढ़ाई की कुमुद से रहा ना गया और वह अपने पति से उसे चोदने की बिनती करने लगी। उसे यह कतई भी होश ना रहा की उसकी चुदाई अब राज और रानी बड़े ध्यान से देख रहे थे।

कमल की उंगलियां कुमुद के स्त्री रस से सराबोर हो रही थी। कमल ने धीरे से अपनी उँगलियों को अपनी बीबी की चूत से निकाला और उसे चाटने लगा। यह देख कर राज ने अपनीं बीबी रानी के बदन से गाउन पूरी तरह से हटा दिया। रानी के गाउन को हटाने की प्रक्रिया से कुमुद की तन्द्रा भंग हुई और कुमुद ने अपनी आँखें खोलीं तो रानी का पूरा नग्न बदन उसे एकदम करीब में ही दिखाई दिया। लम्बी और सुडौल रानी के नग्न बदन को देखकर कुमुद को इर्षा तो जरूर हुई पर फिर थोड़ा सा मुस्काकर थोड़ा सा घूम कर कुमुद ने रानी के गाल पर एक हलकी सी किस की।

रानी के कमसिन नंगे बदन को देख कर कमल थम सा गया। उसकी आँखें रानी के बदन का मुआईना करने से थक नहीं रहीं थीं। कुमुद ने अपने पति को थोड़ा सा धकका देकर याद दिलाया की वह खुद भी तो नग्न हालत में अपने पति के बिलकुल निचे चुदवाने के लिए पूरी तरह तैयार लेटी हुई थी। कमल ने अपने आपको सम्हालते हुए राज की और देखा। राज की आँखें भी कुमुद के नंगे बदन पर ऐसे टिकी हुई थीं जैसे कोई गिद्ध अपना शिकार सामने ही पा कर उसे एकटक देख रहा हो पर उसे लपक कर पकड़ने में कहीं कोई मुश्किल ना आन पड़े उससे डर रहा हो।

आँख से इशारा करते हुए कमल ने राज को जताया की अब आगे बढ़ना है। राज अपने गुरु का इशारा समझ गया और वो अपनी पत्नी रानी के दोनों स्तनों को जोर से दबाने एवं मसलने लगा। राज का लण्ड एकदम तना हुआ खड़ा हो चुका था और अब उससे रहा नहीं जा रहा था। राज ने अपने पजामे का नाडा हलके से खोल दिया और बदन को हिलाकर उसको निचे सरकाने लगा तब रानी ने अपने होँठ राज के कान के पास लाकर धीरे से बोली, "यह क्या कर रहे हो? तुमने मुझे कमल भैया के सामने नंगी तो कर ही दी। अब मुझे कमल भैया के सामने ही चोदोगे क्या? ज़रा शर्म तो करो।"

रानी की बात सुनकर राज बोला, "कमल भैया के सामने नंगी करने के लिए तो तूने मुझे पहले से ही इजाजत दे रखी थी। याद है तूने कहा था की किसी गैर मर्द के सामने मुझे नंगी करोगे क्या? और मैंने तुझे कहा था की कमल भैया कोई गैर मर्द थोड़े ही हैं? तब तूने कहा था 'हाँ यह बात तो ठीक है।' इसका मतलब यह था की तुम किसी गैर मर्द के सामने नंगी नहीं हो सकती पर कमल तो अपना है, उस के सामने तो नंगी हो सकती है। याद है की भूल गयी?"

रानी अपने पति को देखती ही रही। उसे अच्छी तरह से वो वाक्या याद था। वह खुद भी तो राज की बात सुनकर उत्तेजित हो चुकी थी। कमल से चुदवाने के लिए तो मानसिक रुप से वह तब की तैयार थी जबसे राज ने उसे कमल का नाम लेकर चुदवाने के लिए राजी कर लिया था। उसे लगा की राज की नियत उसे सिर्फ नंगी करने की या खुद चोदने की नहीं लग रही थी। शायद वह रानी को कमल से चुदवाना चाहता था।

रानी ने कहा, "देखो राज, अब बात कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रही है। पहले तो तुमने मुझे कमल भैया के सामने नंगी करके ठीक नहीं किया। अब तुम और आगे बढ़कर मुझे कमल भैया के सामने ही चोदने लगे और कमल भैया की नियत खराब हो गयी और कहीं उनको मुझे चोदने का मन हो गया तो? तब तो गज़ब हो जाएगा। अब मेहरबानी कर के बस भी करो। प्लीज।"

रानी के बदन में कमल से चुदवाने की बात सोचते ही एक अजीब सी रोमांच भरी सिहरन फ़ैल गयी। कमल का खड़ा लम्बा और मोटा लण्ड उसकी आँखों से ओझल नहीं हो रहा था। उस वक्त तो राज और कुमुद ने बिच में ही उनका खेल बिगाड़ दिया था। कमल रानी को चोदने वाला ही था की उस का पति राज और कमल की पत्नी कुमुद अचानक ही टपक पड़े और सारा मजा किरकिरा कर दिया। क्या उसका यह ख्वाब आज पूरा होगा? यह सोच कर रानी के रोँगटे खड़े हो गए। रानी की चूत में से रस रिसने लगा।

खैर अब रानी को कुछ नहीं करना था। जो भी करना था वह उसका पति ही करेगा यह विश्वास रानी को हो गया। बल्कि रानी ने सोचा की अब तो थोड़ा ना नुक्कड़ का ड्रामा करने में कोई बुराई नहीं है। रानी ने तुरंत राज का हाथ थाम कर कहा, "राज यह हम ठीक नहीं कर रहे। आप कमल भैया और कुमुद से कहो ना की वह अपने कमरे में चले जाएँ और जो करना है वह वहाँ करें।"

राज ने अपनी पत्नी रानी के कानों में कहा, "भाई मैं तो यह सब कमल भैया से नहीं कह सकता। अगर तुम ठीक समझती हो तो कमल भैया से तुम ही कहो।"

राज की बात सुनकर रानी चुप हो गयी। वह ग़ुस्सेमें होने का नाटक करते हुए बोली, "मैं कैसे बोलूं उनको? ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी। फिर यह ना कहना की जो हुआ वह क्यों हुआ। आखिर तुम मुझसे क्या चाहते हो? भैया के सामने तुम मुझे चोदना चाहते हो या फिर तुम्हारी मंशा कुछ और ही है?"

राज ने प्यार से हँसते हुए अपनी पत्नी रानी के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "देखो डार्लिंग, अब ज्यादा अनजान बनना छोडो। तुम अच्छी तरह जानती हो की मेरी मंशा क्या है। तुम्हारी जो मंशा है वही मेरी मंशा है। अब जो होता है उसे मत रोको होने दो और एन्जॉय करो।"

अपने पति की बात सुनकर रानी ने अपनी आँखें मूँद ली। अब उसके पास इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता न था। राज ने फुर्ती से अपना पजामा निकाल फेंका। राज अब अपनी बीबी रानी के ऊपर दो हाथ और दो पॉंव के सहारे सवार हो गया, हालांकि उसने अपना वजन रानी के बदन पर नहीं रखा था।

राज और रानी दोनों कमल और कुमुद का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार करने लगे। कमल अपनी बीबी कुमुद की चूत में डाली उंगलियां चाट कर फ़ौरन घुटनों के बल कुमुद के बदन पर झूल गया और दोनों हाथों का सहारा लेकर कुमुद की चूत पर अपना लोहे के मोटे और लम्बे छड़ के समान कड़क लण्ड लहराने लगा। कुमुद आँखें मूँदे हुए अपने पति कमल के लण्ड का उसकी चूत में घुसने का इंतजार करती हुई बिना कुछ बोले पड़ी हुई थी। रानी ने कमल के लटकते हुए टट्टे (अंडकोष) को देखा. उन मोटे बड़े थैली के सामान अंडकोषों में कमल का कितना वीर्य भरा होगा यह सोचकर रानी की हालत पतली हो रही थी। वह भी कुमुद की तरह कमल के झूलते हुए मोटे लण्ड को कुमुद की छोटी सी योनि में घुसने का इंतजार करने लगी।

कमल ने अपने लण्ड की गोलाई पर और फिर अपनी पत्नी की चूत में अपनी उँगलियों से कुछ ऑइंटमेंट जैसा, जेल जैसा कुछ चिकना पदार्थ अच्छी तरह लगाया और अपना मोटा लण्ड अपनी बीबी की चूत में हलके से घुसाया। लण्ड के घुसते ही कुमुद के मुंह से निकली हुई हलकी सी सीत्कार की आवाज सब ने सुनी। दर्द से ज्यादा वह रोमांचक उत्तेजना की आवाज थी। थोड़ा लण्ड घुसाकर रुकने के बाद कमल ने और एक हल्का धक्का दिया और अपना लण्ड कुमुद की चूत में और थोड़ा घुसेड़ा।

इस बार कुमुद की आवाज में दर्द की मात्रा कुछ ज्यादा थी। पर साथ साथ में करीब एक महीने से ना चुदवाने के कारण उसकी उत्तेजना अपनी सीमा को पार कर रही थी। साथ में राज और रानी उसकी चुदाई देख रहे थे यह बात कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का कारण बन रही थी।

एक और धक्का देकर कमल ने अपना लण्ड अपनी बीबी कुमुद की चूत में घुसाया तो कुमुद दर्द के मारे दबे आवाज में चिल्ला उठी। कुमुद की चीख धीमी पर दर्दनाक थी। रानी कुमुद की चीख सुनकर सिहर उठी। उसे कमल के वह वाक्य याद आये जिसमें कमल ने रानी से कहा था की कुमुद की चूत कुछ ज्यादा ही टाइट थी और कमल के चोदने से कुमुद को दर्द होता था। इसी कारण कमल रानी का नाम याद कर कुमुद को चोदता था। रानी को कमल और कुमुद पर थोड़ा तरस भी आया। जब चोदना दर्द का कारण बने तो चोदने का मज़ा बिगड़ जाता है।

रानी ने सोचा अगर कमल का लण्ड उसकी चूत में घुसे तो क्या उसे भी ऐसा ही दर्द होगा? शायद नहीं। क्यूंकि राज हमेशा रानी को कहता था की रानी की चूत राज के लिए कुछ ज्यादा ही ढीली सी थी। शायद राज के लिए कुमुद की चूत सही थी और रानी के लिए शायद कमल का लण्ड सही था। इस बात को सोच कर रानी की चूत में से रस रिसने लगा।

कमल अब कुमुद पर सवार होकर अपना लण्ड कुमुदकी चूत में धीरे धीरे डालने की कोशिश कर रहा था और कुमुद इतना धीरे से और थोड़ा सा ही लण्ड घुसने पर भी दर्द से कराह रही थी। राज कमल को देखकर रानी पर सवार हो गया और रानी की चूत में बिना कोई पूर्वक्रिया किये अपना लण्ड घुसा दिया। रानी तो कमल और कुमुद के चोदने को देखनेमें इतनी मग्न थी की कब राज ने अपना लण्ड घुसेड़ा उसे पता ही नहीं चला। कराहती हुई कुमुद को देखकर रानी ने अपना हाथ बढ़ाया और कुमुद का हाथ पकड़ा। कुमुद के माथे पर से पसीने के बुँदे बहती हुई धारा के समान गिर रही थी।

राज अपनी बीबी रानी को चोदने में संलग्न हो गया। रानी चुदवा तो राज से रही थी पर उसकी नजर तो कमल के भरे हुए मोटे और लम्बे लण्ड पर थी। कुमुद की चूत पर लटकते हुए कमल के चमकते हुए इतने मोटे और लम्बे लण्ड को कुमुद भाभी अपनी चूत में कैसे ले सकेगी यह रानी की समझ में नहीं आ रहा था। अगर उसकी कमल से चुदवाने की बारी आयी तो क्या वह कमल का लण्ड झेल पाएगी? यह सोचकर रानी के रोँगटे खड़े हो गए। रानी का ध्यान अपनी चुदाई में कम और कमल और कुमुद की चुदाई में ज्यादा था।

कुमुद के भरे हुए अल्हड़ स्तन कुमुद के हिलने से जोर शोर से हिल रहे थे। राज उन स्तनों को हिलते हुए देख मन ही मन ललचा रहा था उसका मन करता था की वह उन्हें अपने हाथों में पकडे। कमल राज की आँखों का निशाना देख रहा था। अचानक कमल ने अपने हाथ लम्बे कर कर राज के हाथ पकडे और कुमुद के स्तनों पर रख दिए। अपनी बीबी की चूत पर अपना लण्ड रगड़ते हुए कमल बोला, "अरे डरपोक, पकड़ कुमुद की चूँचियों को। डरता क्यों है? ले मज़े।"

जब भैया का लाइसेंस मिल ही गया तो राज से रहा नहीं गया और राज ने दोनों हाथों से कुमुद के भरे स्तन और फूली हुई निप्पलोँ को दबाना और मसलना शुरू किया। राज के हाथ का स्पर्श होते ही कुमुद की आँखें खुली तो देखा की अपनी पत्नी रानी को चोदते हुए राज उसकी चूँचियों को मसल रहा था। वह कुछ नहीं बोली। कमल ने देखा की उसकी बीबी कुमुद को राज से अपनी चूँचियाँ दबवाने में कोई आपत्ति नहीं तो कमल ने धीरे से अपने हाथ बढाए और राज की बीबी रानी के उन्नत फुले हुए और गुम्बज के समान स्तनों के ऊपर उसकी फूली चुचुक(निप्पल) को दबाने में लग गया।

राज चोद तो रानी को रहा था पर मजे कमल की बीबी कुमुद के स्तनों का ले रहा था। जब की कमल अपनी बीबी की चूत में अपने लण्ड को घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था और साथ साथ में राज की पत्नी रानी के मस्त खरबूजों को अपने हाथों में मसल रहा था। दोनों पति अपनी पत्नी को तो चोद रहे थे या चोदने की कोशिश कर रहे थे पर चूँचियाँ दूसरे की बीबियों की दबा रहे थे। इस उत्तेजना के कारण दोनों बीबियाँ अपनी आँखें बंद करके यह नए अनुभव का मजा ले रही थीं। लगता था जैसे कुमुद दर्द के बावजूद कमल का साथ देने की कोशिश कर रही थी। हालांकि उसके ललाट पर दर्दके मारे पसीने की बूंदें साफ़ नजर आ रही थीं।

अचानक ही कमल ने अपनी बीबी की चूत में जब अपना मोटा लण्ड ज्यादा घुसेड़ने की कोशिश की तो कुमुद चिल्ला उठी और बोल पड़ी, "रुको, मुझे दर्द हो रहा है। निचे उतरो।" कमल अपनी बीबी कुमुद को अच्छी तरह चोदना चाहता था। पर क्या करे? कुमुद के चिल्लाने से वह रुक गया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ से पकड़ कर हिलाने लगा। कमल का लण्ड अपनी पूरी कला से खिलकर लंबा छड़ के समान खड़ा था।

रानी ने कुमुद की कराह सुन कर अपनी आँखें खोली और कमल की और देखा। कमल एक असहाय बालक जिसको की माँ ने बुरी तरह से लताड़ दिया हो ऐसे रानी की और देखने लगा। रानी से कमल का दुःख देखा न गया। उस के मनमें कमल के लिए करुणा जाग उठी। जब की उसका पति उसकी चूत में अपना लण्ड पेल रहा था और कुमुद का पति कमल उसके स्तनों को मसल रहा था उसने कमल की और अपना हाथ बढ़ाया। राज अपनी बीबी रानी को चोदते हुए यह सब देख रहा था। जब उसकी बीबी ने कमल का हाथ थामा तो राज समझ गया की अब बारी आ गयी है की वह अपनी बीबी को कमल से चुदवाने का अपना सपना साकार करे।

राज फुर्ती से अपनी बीबी के ऊपर से खिसक गया और कमल को जगह दे दी जिससे कमल रानीकी और खिसक सके। राज खिसक कर कमल की बीबी कुमुद के पास आ गया। राज ने कमल की बीबी कुमुद की चूँचियों पर अपना मुंह रख दिया और कुमुद के फुले हुए स्तनोँ को चूसने और निप्पलों को काटने लगा। कमल भी कुमुद की चुदाई छोड़ कर रानी की और बढ़ा और रानी के मस्त स्तनों को चूमने और चूसने लगा। अब दोनों पति एक दूसरे की बीबियों की चूँचियों को चूसने में मग्न हो गए थे। दोनों अपनी पत्नियों के ऊपर से निचे उतर चुके थे। दोनों पत्नियां नंगीं अपनी आँखें मूँद कर एक दूसरे के पति से अपनी चूँचियाँ चुसवाने में एकदम सराबोर मग्न लग रही थीं।

राज की बीबी रानी ने कमल के फुले हुए लोहे के छड़ समान लण्ड पर अपना हाथ रखा और उसे हिलाने लगी। फिर धीरे से रानी ने उसे खिंच कर कमल को इशारा किया की कमल उस के ऊपर चढ़ कर उसे चोदे। यह पहली बार हुआ की रानी ने कमल को चोदने के लिए सीधा सीधा आमंत्रित किया था। रानी ने कमल की पत्नी कुमुद की और देखा जैसे वह कुमुद की इजाजत मांग रही हो। रानी ने कुमुद के कानों में कहा, "बहन मुझे माफ़ करना। मुझसे तुम्हारी कराहट सुनी नहीं जाती और कमल का दर्द भी देखा नहीं जाता। आजकी रात कमल को मेरे लिए छोड़ दो और आप मेरे पति राज से चुदवाओ। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। तुम मेरी 'थोड़ी सी बेवफ़ाइ' को माफ़ करना।"

कुमुद ने पहली बार रानी के मुंह से चोदना चुदवाना ऐसे शब्द सुने। कुमुद को बहुत अच्छा लगा। कुमुद ने रानी का हाथ पकड़ा और बड़े प्यार से दबाया जैसे वह भी रानी की बात से सहमत थी।

राज ने रानी और कुमुद की बातें सुनी तो उसका मन नाच उठा। राज ने कमल को धक्का दिया और अपनी बीबी रानी को चोदने के लिए कमल को रानी पर सवार होने को कहा। कमल यही तो चाहता था। फुर्ती से कमल ने राज की पत्नी रानी की जाँघें उठायी और अपने कंधे पर रख्खीं, और अपना फुला हुआ लण्ड रानी की सुन्दर रस से रिसती हुई चूत से सटा दिया।

रानी अब अपनी सारी शर्मो हया से ऊपर उठ चुकी थी। अब वह बिना देर से कमल के मोटे लण्ड को अपनी चूत में डलवाना चाहती थी। उसे महसूस करना था की क्या वह कमल का मोटा लण्ड अपनी चूत में ले सकती है या नहीं? अपने हीरो से वह अच्छी तरह से चुदवाना चाहती थी। उसका सालों का सपना साकार होने जा रहा था। पर अब जब उसे मौक़ा मिला तो वह अपने हीरो को पूरा आनंद भी देना चाहती थी।