दोस्त की बहनें - भाग 01

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मेरे दोस्त की प्यारी कजिन दीपिका...
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दीपिका से मेरी मुलाक़ात थोड़ी लेट हुई थी. वो मेरे दोस्त मुकुल के मामा की बेटी थी और गजब की सेक्सी थी. एक बार हम उसके यहां गए थे तो उसके हमें पानी दिया था तब मैंने दीपिका को पहली बार देखा था. उन दिनों मैं मुकुल की बहन मोनिका को चोद रहा था तो दीपिका को पटाना मुझे सही नहीं लगा. वो मेरे लंड को बेचैन कर देती थी पर मैंने उस पर ध्यान देना कम कर दिया और मुकुल की बहन और बीवी अनुराधा को चोदने में बिजी रहने लगा. मुझे यही डर था कि एक ही घर की तीन लड़कियों को चोदने के चक्कर में मेरे अपने लौड़े ना लग जाए. पर दीपिका मेरे दिमाग से निकल नहीं रही थी. फिर मेरे जिग्री दोस्त सौरभ ने बताया कि उसने दीपिका को प्रपोज किया और दीपिका ने हां कर दी. तो मैंने दीपिका का ख्याल अपने मन से लगभग निकाल ही दिया. वैसे भी दीपिका को पटाने के हालात नहीं थे और में अनु और मोनिका को चोदने में बहुत बिज़ी था .

सौरभ मुझे अपनी और दीपिका की चुदाई की कहानियां सुनाता था. उसने मुझे बताया था कि, "यार कपड़े उतारने के बाद तो दीपिका और भी सेक्सी लगती है. जो औरतों का गोरा होता है वो दीपिका का गुलाबी है और जो गुलाबी होता है वो लाल है. ये सब बातें सुन कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं मोनिका की और जोर से चुदाई करता था.

सौरभ को पाता था कि मैं मोनिका को चोदता हूं लेकिन अनु की चुदाई के बारे में उसे नहीं पता था. दीपिका की चुदाई के बारे में सुन कर मेरा फिर से उसे चोदने का मन करने लगा. दीपिका मुझे पसंद करती थी लेकिन अब वो सौरभ के साथ थी और वो इस तरह की लड़की नहीं थी कि मुझसे भी चुदाई करवा लेती.

एक दिन मैं और सौरभ उसके घर बैठे थे. सौरभ अकेला रहता था और उसका और दीपिका का घर आस पास थे. सर्दियों के दिन थे और सौरभ चाय बना रहा था. तभी उसके ऑफिस से फोन आया और वो ऑफिस चला गया. वो मुझे बोल कर गया था कि अगर दीपिका आएगी तो उसे बता देना की वो ऑफिस गया है.

बाहर का दरवाजा खुला था और मुझे नींद आने लगी. मैं लाइट बंद कर के कम्बल ओढ़ के सो गया. जल्दी ही मुझे नींद भी आ गई. अचानक कम्बल के हिलने से मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि कोई लड़की कम्बल में घुस रही है. कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. और उसकी पायल और चूड़ियों की आवाज आ रही थी. मुझे यकीन था कि ये दीपिका ही होगी. वो मुझे सौरभ समझ रही थी. वो मुझसे चिपक कर लेट गई और मेरे कान में बोली, "ठंड लग रही थी मुझे बुला लेते, कम्बल में क्यों छुपा रहे हो!"

उसने अपनी चूचियां मेरी छाती पर दबा दीं और मेरी पैंट में हाथ घुसा कर मेरे लंड से खेलने लगी.

"ओह, मेरा बेबी.ब्देखो मेरे लिए कैसे तड़प रहा है," उसने मेरे लंड को दबाया तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई.

मेरी और सौरभ की कद काठी एक सी है और हमारे लंड भी लगभग बराबर हैं. मेरा लंड अभि पूरा खड़ा नहीं हुआ था. मुझे यकीन था खड़ा लंड पकड़ती तो दीपिका समझ जाती की मैं सौरभ नहीं हूं. मैंने दीपिका का हाथ अपने लंड से हटाया और उसे अपनी बाहों में ले कर उसकी गांड़ को भींच दिया. उसने सिर्फ पैंटी पहनी थी. मैंने उसकी कमर पे हाथ फेरा तो उसने ब्रा के आलावा कुछ नहीं पहना था.

वो मेरे कान मैं धीरे से बोली, "जब सब उतारना ही है तो बिस्तर में घुस कर कपड़े क्यों खराब करने."

मैंने ब्रा की पट्टी खींच के जोर से छोड़ दी जो उसकी कमर में लगी और वो सिसक गई.

उसने मेरा हाथ अपनी पेंटी में डाल लिया, एक दम छोटी सी चूत अन्दर से गज़ब की गीली हो रही थी. दीपिका ने मेरा हाथ अपनी पेंटी से निकला और जो ऊँगली उसकी चूत को टच हुई थी निकाल कर सेक्सी तरीके से चाटने और चूसने लगी, मैं सब कुछ भूल कर उस पर पिल पड़ा तो बोली, "धीरे धीरे आगे बढ़ो ना ऐसे क्या हमला कर रहे हो, पहली बार थोड़े ही कर रहे हो सौरभ!"

उसने मेरा हाथ अपनी ब्रैस्ट पर रख दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी, मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू किया वो इतने अच्छे से चूम रही थी की मुझे मज़ा आने लगा अब उसने अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खेलना शुरू किया, मुझे ये खेल इतना अच्छा लगने लगा था की मैं इस में खो सा गया था.

पर दीपिका नहीं खोई क्यूंकि उसे तो और चाहिए था इसलिए उस ने मेरा हाथ अपने छोटे छोटे मौसंबी जैसे बूबिज़ पर रख कर उन्हें दबाना शुरू किया. मैंने उसकी खुशबु और इस फ्लो में ऐसा लयबद्ध हो गया था की बहता ही चला गया और उसके प्यारे गुलाबी बूबीज़ को चूमते और चूसते वक़्त मुझे उसके कॉलेज स्टूडेंट होने का ख़याल तक नहीं रहा, वो भी "ओह आह ऊह्ह और पियो निप्प्ल्स से खेलो सौरभ" बोलती हुई और गरम होती जा रही थी. मैंने उसके निप्प्ल्स को अपने दांतों से थोड़ा चुभलाया तो वो बेड पर उछलने लगी, मैंने भी उसके उछलने से खुश हो कर उसकी ड्रेस खोल कर उसके लेफ्ट बूबी को अपने मुंह में पूरा भर लिया तो वो सिसक उठी और बोली "अब दूसरा भी लो ना ऐसे ही" तो मैंने दूसरा भी ले लिया.

दीपिका इस सब से इतनी गरम हो चुकी थी की उसकी पेंटी पूरी गीली लग रही थी, मैंने उसकी पेंटी नीचे खिसकाई और उसकी गुनगुनी चूत में अपनी ऊँगली सरकाई जिस से वो कराह उठी और बोली, "जितनी बड़ी तुम्हारी ऊँगली है उतना तो मेरे लास्ट बॉय फ्रेंड का लंड था."

मुझे झटका सा लगा. दीपिका का पहले भी कोई बॉयफ्रेंड था! मुझे आज तक लगता था कि सौरभ ने ही उसकी सील तोडी थी. में इससे पूछता तो वो मेरी आवाज पहचान लेती. में उससे खेलता रहा और दीपिका और गरम होती रही.

"और कितना तड़पाओगे बाबू?" दीपिका ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपने ऊपर खींच लेने की कोशिश करने लगी. मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी बाहों में के कर घूम गया. दीपिका मेरे नीचे दबी थी. आह! कितना नरम बदन था उसका. मैंने उसके होठ फिर से अपने होठों में भर लिए और दीपिका ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. आज मुझे पता चल रहा था क्यों सौरभ इस पारी का दीवाना था और क्यों में पहले दिन से ही इसे चोदना चाहता था. दीपिका शहद जैसी मीठी और मक्खन जैसी मुलायम थी. मैंने उसकी पैंटी खींच कर उसके बदन से अलग कर दी और अपनी घुटने से उसकी टांगे खोल दी. दीपिका जबरदस्त गरम थी. उसके हाथ मेरी गांड़ पर घूमने लगे और उसने मेरा अंडर वियर खींच कर मुझे भी नंगा कर लिया. मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था और उसकी मखमली चूत पर दस्तक दे रहा था. दीपिका ने अपना हाथ हम दोनों के बदन के बीच में घुसा के मेरा लंड पकड़ लिया.

"ओह जान तुम्हारा के मोटा लंड मुझे पागल कर देता है," उसने मेरे लंड को सहलाया. उसका हाथ मेरे लंड पर एक बार और घुमा और उसने मेरा लंड छोड़ दिया.

"सौरभ ये तुम्हारे लंड को क्या हुआ है आज," उसकी आवाज में घबराहट थी, "ओह माय गॉड, तुम सौरभ नहीं हो!!"

उसने मेरे नीचे से निकालना चाहा तो मैंने अपना लंड उसकी गीली चूत पर टिका दिया, "अब बहुत देर हो चुकी है दीपिका."

"वीरेन भैय्या!!!!!" वो जैसे चीख पड़ी. मैंने उसके बूब्स मसल दिए और वो कराह उठी.

"छोड़ दीजिए मुझे, मुझसे गलती हो गई," उसने मुझे धकेलना चाहा. मैंने लंड उसकी चूत पर दबाया तो उसकी टांगों ने मुझे और पास खींच लिया.

"दीपिका तेरे हाथ मुझे दूर कर रहे हैं और टांगे पास बुला रही हैं, साफ साफ बता ना तू क्या चाहती है जान?"

उसका बदन कांप रहा था. वो बस झड़ने ही वाला थी. मैंने एक उंगली उसकी चूत पे फिराई तो वो मुझसे लिपट गई. उसने जोर से सिसकारी ली, "ये ग़लत है, मुझे जाने दो वीरेन भैय्या. सौरभ को पता चल जाएगा."

"मैंने तुझे कहां पकड़ा है दीपिका बस तेरी चूत और मेरा लंड मुझे अलग नहीं होने दे रहे. सौरभ को नहीं पता चलेगा तुम घबराओ मत," मैंने उसकी चूचियों को सहलाया.

दीपिका थोड़ी शांत हो रही थी शायद उसकी घबराहट कम हो रही थी या शायद उसके बदन की गर्मी ने उसकी सोच को बंद कर दिया था.

वो बोली "आपके पास कंडोम तो है न" तो मैं मुस्कुरा दिया और बोला "नहीं है लेकिन तुम चिंता मत करो ना तो मुझे एड्स है और ना ही मैं तुम्हे प्रेग्नेंट करूँगा". बस फिर तो वो शर्मा कर मेरे गले लग गई और बेकाबू हो कर मुझे चूमने लगी. जब औरत जोश में होती है तो सब भूल जाती है और उसे बस लंड दिखता है. दीपिका की भी यही हालत थी. मैंने उसके नन्हे नन्हे चुचों को सहलाना शुरू किया तो उसकी आह निकल पड़ी और उसने मेरे होंठों को चूमना और चूसना शुरू किया. मौका सही था. मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा. पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी. मैंने उसकी टांगें और ऊपर की और उसकी गांड़ पकड़ कर मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई. मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें.

लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था. अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया. अब दीपिका सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था. मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया. उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो!

थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ. अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी. उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है.

मुझे बहुत आनंद आ रहा था. उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनंद ले रही थी, "वीरेन प्लीज़ सौरभ को मत बताना!"

मैंने अपना हाथ उसकी कमर के नीचे ले जा कर दीपिका को गले से लगा लिया. मैंने उसके चूतड़ अपने हाथो में भर लिए और उसकी चूत को धीरे धीरे चोदने लगा. दीपिका मदमस्त हो रही थी. उसकी आहें कमरे में गूंजने लगी. दीपिका की पीठ पर ऊँगली फिरते हुए मैंने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच और उसके नंगे बदन को बेतहाशा चूमना शुरू किया, वो पागल हुई पड़ी थी क्यूंकि मेरे होंठ उसके बदन पर किसी जानवर की तरह रेंग रहे थे और वो इस चीज़ से बेहाल थी.

"मेरी जान ये बातें किसी को नहीं बताई जाती. तुम इतनी प्यारी हो कि में हमेशा से तुम्हे पाना चाहता था. वो तो सौरभ ने तुम्हे पहले प्रपोज कर दिया तो मैंने तुम्हे ट्राई नहीं किया प आज तुम मेरी बन ही गई," मैंने एक जोर का झटका मारा और दीपिका की चूत से रस बह निकला.

दीपिका की चूत का रस उसकी चूत से निकल कर उसकी जांघों पर बह रहा था. वो शहद जैसा चिपचिपा था और मुझे यकीन था कि शहद जैसा मीठा भी था. मैंने एक झटके से अपना लन्ड दीपिका को चूत से बाहर खींच लिया. दीपिका तड़प उठी और उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गाड़ा दिए. में उसकी बाहों से नीचे फिसल गया और उसके पेट से होते हुए उसकी चूत तक पहुंच गया. जैसे ही मेरी सांसे उसकी गरम चूत से टकराई दीपिका ने बेड का सिरहाना पकड़ लिया और अपनी गांड़ ऊपर उठा दी. उसकी गीली चूत मेरे होठों से टकरा गई. मैंने उसकी जाँघो को चूसना स्टार्ट किया, वो बोली, "चोद दो ना, अब तो मेरी चूत की आग मिटा दो."

तो में बोला कि रूको मेरी जान मज़ा तो अब आयेगा. फिर मैंने उसकी चूत को चूसना स्टार्ट किया. अब वो अपना सिर पटकने लगी और इधर उधर मारने लगी. अब वो मौन कर रही थी, "आआमम्म्मम ऊऊहह आआआहह आाआईईईईईईईईईई माँ, ये क्या कर दिया तुमने, अंदर आग लग गयी है?"

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और एक उंगली भी डाल दी. वो अब आउऊउचचच करके चिल्लाई और बोली कि थोड़ा धीर करो, लेकिन में कहाँ उसकी मानने वाला था. दीपिका वर्जिन तो नहीं थी, लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी.

दीपिका मेरे ऊपर सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गई, अब हम दोनों एक दुसरे के जननांगों को चूम और चाट रहे थे. वो पहले ही मेरे स्पर्श से बावली हुई पड़ी थी, और अब उसकी चूत पर मेरी जीभ का कहर बरपा हो रहा था सो वो मेरे लंड पर अपना ध्यान नहीं दे पा रही थी इसलिए मैंने उसे समझाया, "दीपिका मेरी जान, इस तरह से तो केवल तुम्ही खुश हो पाओगी और मेरा रह जाएगा तो तुम मेरे लंड पर ध्याम दो और अगर एक्साइटमेंट बढे तो उसका असर मेरे लंड पर मुंह चला कर दिखाओ."

फिर दीपिका ने अपने होठों का जादू मेरे लंड पे चलाया. दीपिका एक नई लड़की थी और जितनी भी उसकी सेक्स लाइफ रही हो उसका इतना प्रोफेशनली लंड चूसना मुझे गजब लग रहा था तो मैंने पूछ ही लिया "तुम अपने बी ऍफ़ का लंड भी ऐसे ही चूसती हो क्या!" तो वो बोली "पहले शुरू शुरू में मुझे ओरल नहीं आता था लेकिन सौरभ ने मुझे विडियोज दिखा दिखा कर सिखा दिया, क्यूँ अच्छा नहीं लगा मेरा ओरल स्टाइल?" मैंने कहाँ "अरे नहीं ये तो बेस्ट है जान, करती रहो और जो जो भी सीखा है वो सब करो." दीपिका वाकई वो सभी पैंतरे अपना रही थी जो पोर्न फिल्म्स में मंझी हुई पोर्न स्टार्स करती हैं.

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और दीपिका लगातार उस पर अपने होंठों और जीभ का कमाल दिखा रही थी एक बार तो उस ने हद ही कर दी जब उस ने पूरा का पूरा लंड मुंह में ले लिया और फिर खाँसने लगी मैंने उस से कहा की छोटी उम्र में बड़ी रिस्क मत लो तो चिढ गयी और पागलों की तरह मेरा लंड चूसने लगी फिर जब थक गई तो लंड को ऐसा हिलाया की सारा माल मेरे अंडों में से उबल कर लंड के रास्ते उसके मुंह में उतारने लगा. उसके होठ मेरे लंड पर का गए और वो एक एक बूंद माल मेरे लंड से निचोड़ने लगी. बिना वार्निंग दिए दीपिका ने मेरा माल निकाल लिया था. इस बार चीखने की बारी मेरी थी. उसके होठ पंप को तरह मेरा माल चूस रहे थे और मेरा लंड उसके इशारों पर नाच रहा था. मेरा माल उसके मुंह को भर कर उसके गालों और नन्हे बूबीज़ पर छिटक गया. लेकिन उस ने चूसने का काम जारी रखा तो मैंने कहा " दीपिका बेबी, अब क्या तोड़ कर ही मानोगी चूत नहीं मरवानी क्या!"

फिर करीब दस मिनट तक और चूसने के बाद वो लंड को बाहर ही नहीं निकालने दे रही थी. तब मैंने दीपिका से कहा, "दीपिका मेरा यह लंड कहीं भागा नहीं जा रहा है, में इसको अब तुमकी कामुक, रसीली चूत में डालना चाहता हूँ."

उसने लंड को तुरंत अपने मुहं से बाहर निकालकर कहा, "वीरेन तो तुम ऐसे क्या देख रहे हो? अब तुम मुझे तुम्हारे लंड के वो असली मज़े भी तो दीजिए." और फिर उसने इतना कहकर अपने दोनों पैरों को एकदम अलग किया.

मैंने भी आव देखा ना ताव और दुबार उसकी जवानी को रौंदने का प्रोग्राम बनाया, दीपिका अब और भी दुगने जोश के साथ मेरा लंड मसल रही थी और बोल रही थी "आप इसे कब डालोगे यार, प्लीज़ डाल दो ना."

दीपिका के हाथों और होठों की बरकत से मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था और अब दीपिका ने मुझे हाथ जोड़ कर कहा "प्लीज़ फक मी, अब तो डाल ही दो". मैंने उसे लिटाया उसकी लेफ्ट टांग को उठाया और पास में लेटकर उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा टिका दिया और उसे धकेलने से पहले उसकी लेफ्ट टांग को थोडा और ऊपर उठा कर मैंने निशाना साध के अपना भरा पूरा लंड दीपिका की कच्ची चूत में पेल दिया.

जैसे ही लंड अन्दर गया दीपिका चिल्ला पड़ी, "ऊऊह्ह्ह मम्मी कितना बड़ा है ये तो, प्लीज़ फाड़ना मत नहीं तो मेरी लाइफ खराब हो जाएगी."

तो मैंने कहा, "अरे पगली लाइफ खराब नहीं होगी बल्कि बन जाएगी." और इतना कह कर मैंने उसे तेज तेज धक्के लगाने शुरू किए. दीपिका उछल उछल के मेरे लंड का मज़ा ले रही थी की मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी दोनों टांगें लगभग हवा में कर दीं और उसकी चूत को ऐसे उठाया कि अब दीपिका एक धनुष जैसी मुड़ गई थी मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में फंसाया और पांच मिनट तक ऐसे ही चोदा.

में बहुत धीरे से लंड को बाहर लेकर आता और फिर एकदम ज़ोर से धक्का देकर दोबारा चूत में डाल देता. वो मुझसे कहने लगी, "उफफ्फ्फ्फ़ वीरेन आह्ह्ह्ह वाह क्या बात है? हाँ ऐसे ही आह्हह्हह्हह् ऐसे ही आआआहह ज़ोर से चोदो मुझे."

अब दीपिका का जोश देखते ही बनता था वो चिल्ला भी रही थी रो भी रही थी लेकिन मरवाने की इच्छा ख़त्म नहीं हो रही थी उसकी, दीपिका ने मुझे कहा "डॉगी स्टाइल में करो ना."

मैंने भी उसकी बात मानी और उसे कुतिया की तरह बेड पर खड़ा कर दिया, उसके पीछे जाते ही मैंने एक चांटा उसकी नन्ही सी गांड पर रख दिया जिस से वो सिसक पड़ी. अब मैंने दीपिका की चूत में लंड लगाने के बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बीच बीच में उसके चुचों को भी मसलने लगा, दीपिका बिलख रही थी और बोली "उफ़ अब रोकना मत प्लीज़." मुझे पता लग गया की वो झड़ने वाली है तो मैं धक्कों के साथ अपनी जीभ उसकी गांड़ के छेद पर रगड़ दी और उसकी गांड में अपनी ऊँगली भी पेल दी इस से उसकी एक चिहुँक निकल गई. दीपिका जोश में चीखें मार रही थी.

दीपिका की चूत में मेरा लंड, उसकी गांड में मेरी ऊँगली और उसका एक चुचा अब भी मेरे हाथ में होने की वजह से दीपिका बावळी हो रखी थी और चिल्लाने के साथ साथ रो भी रही थी लेकिन मेरे धक्के नहीं रुके.

अब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो इसलिए मैंने उससे पूछा, "दीपिका में अपने वीर्य को कहाँ निकालूं? मेरा माल पिएगी?"

"नहीं वीरेन मुझे गंदा लगता है, तुम इसको मेरे मुहं पर निकाल दो. पिलाना पत प्लीज," वो आहों के बीच में बोली.

मैं दीपिका को सीधा लिटा कर उसके बूब्स पर बैठ गया और मेरा लंड उसके हसीन चहरे पर माल की बारिश करने लगा. मेरा माल उसके गुलाबी गालों और हसीन लाल होठों पर बहने लगा. मैंने दीपिका के गाल दबा कर उसका मुंह खोल दिया और अपना माल से सना लंड दीपिका के मुंह में ठूंस दिया. दीपिका ने अपना सिर हिलाया और मुझे धकेलने लगी. मैंने प्यार से उससे कहा, "तेरे और मेरे रस का टेस्ट तो कर बेबी कैसा लगता है."

दीपिका मेरे ल. उसकी आंखें बंद थीं. पहले उसे खराब लग रहा था फिर उसे मजा आने लगा. मैंने लंड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसके गाल से अपना माल लंड पर लगाया. दीपिका ने कुछ बोलना चाहा लेकिन मैंने उसकी बात बीच में काट कर लंड वापस उसके गले में उतार दिया. दीपिका ने मेरा लंड चूस कर और चाट चाट कर चमका दिया. फिर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही करीब दस मिनट तक पड़े रहे.

मेरे लंड के बहार निकलते ही दीपिका निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई तो मैंने पूछा "तुम्हारा नहीं हुआ क्या" तो दीपिका मुस्कुराती हुई बोली "दो बार हुआ और बहुत मज़े से हुआ."

फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी और तब मैंने उसको कहा, "दीपिका तुम बड़ी मस्त सेक्सी माल हो और तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारे साथ यह समय बिताकर मुझे बहुत अच्छा लगा."

फिर वो मुझसे कहने लगी, "तुम भी बहुत अच्छे हो और तुम्हारे साथ यह मज़े मस्ती करके में आज बहुत खुश हूँ. तुम बहुत अच्छे हो और जमकर मस्त चुदाई करते हो. मैं सौरभ को प्यार करती हूं, लेकिन तुम्हे कभी मना नहीं करूंगी वीरेन."

उसने एक घुटना बेड पर रख कर मेरा चेहरा अपने हाथों में ले लिया. उसने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए. मुझे एक लम्बी किस दे कर अपने ख्यालों में खोया छोड़ कर वो चली गई.

***

यह कहानी सच्चे अनुभव पर आधारित है। आपके कॉमेंट्स और फीडबैक का इंतजार रहेगा। आप मुझे मेल भी कर सकते हैं।

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rajNsunitaluv2explorerajNsunitaluv2exploreover 3 years ago
Loved it

बढ़िया कहानी है. इसको आगे बढ़ाइए। मेरी लिखी कहानिया भी पढ़िए, शायद आप को पसंद आये

सुनीता

Bro011Bro011over 4 years agoAuthor
You should write in English so that we can read

@susmitta

Thanx for reaching out. I have posted other stories in English for your pleasure. Have fun with them.

Cheers

SusmittaSusmittaover 4 years ago
You should write in English so that we can read

Writing in hindi is not accessible for all. You should write in English so that we can read too

Bro011Bro011over 4 years agoAuthor
कुछ अजीब रिश्ते देखे । क्या यह सच है?

Agar aap aur details btaoge to easy rahega. Aap feedback se mail kar sakte hain. Ya dasveer321@gmail.com par main kare please. Thanx for commenting.

AnonymousAnonymousover 4 years ago
कुछ अजीब रिश्ते देखे । क्या यह सच है?

मेरा भाई aur मेरे मा की शायद कुछ आपस में कोई चुल बुल है। क्या आप कुछ इस पर स्टोरी लिख सकते हो।।।मा की उम्र ४६ और भाई की २५ मेरी तो शादी होगई है में ससुराल में हूं।। मुझे ये कहानी पढ़ना मेरे पति के मोबाइल से पता चला। की ऐसे भी सम्बन्ध होते है

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