खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला 05

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सारा के हलाला के बाद दूसरी बीवी ज़रीना के साथ सुहागरात.
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Part 5 of the 6 part series

Updated 06/10/2023
Created 07/12/2020
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अब तक आपने पढ़ा कि खाला कि चुदाई के बाद आपा का हलाला कि कैसे मैंने सारा आपा के हलाला से पहले नूरी खाला को चोदा। उसके बाद मेरा निकाह-ऐ-हलाला कुंवारी सारा आपा के साथ हुआ और कैसे मैंने कश्मीर में उसके साथ सुहागरात में उसे चोदा।

मैंने इमरान से कहा "मैं सारा को तलाक इमरान का इलाज़ हो जाने के बाद ही दूंगा और तभी इमरान सारा से दुबारा निकाह कर सकेगी।" उसके बाद हैदराबाद वापिस आकर अम्मी ने मुझे अपनी दूसरी बीवी के साथ सुहाग रात मानने का हुकुम सुनाया पर सारा मेरे साथ ही सोने पर अड़ गयी। तो अपनी दूसरी बीवी सारा के साथ सुहागरात के बिस्तर पर पहले मैंने सारा ही चुदाई की।

सारा कि चुदाई के बाद मेरी छोटी बीवी जरीना गरमा गई थी और मैं उसको चोदने की तैयारी में था।

अब आगे।

मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा, परन्तु उसकी बुर का छेद इतना छोटा था कि मेरा 8 इंच का लंड बार-बार फ़िसल कर नीचे चला जा रहा था। अत: मैंने अपने दोनों हाथ उसके पैरों के नीचे से ले जाकर उसके दोनों पांव ऊपर उठा लिए, जिससे उसकी बुर ऊपर की ओर उठ गई तथा लंड उसकी बुर के बिल्कुल सामने आ गया।

फ़िर मैंने ताकत लगा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया और लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ लगभग दो इंच लंड उसकी बुर में घुस गया।

तकलीफ के मारे जरीना का मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया, वह ज़ोर से चिल्लाई "घुस्स्स गया... मेरी बुर फ़फ़ट्ट्ट्ट्ट गई मरर गई।"

वह इतनी ज़ोर से चिल्लाई थी कि मुझे लगा शायद उसकी आवाज़ को पूरे घर ने सुना होगा, वह इतने ज़ोर से चिल्लाएगी, इसका मुझे ज़रा भी अंदाजा नहीं था, वरना मैं पहले ही उसके मुँह पर हाथ रख लेता।

मैंने कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने में अपनी भलाई समझी।

जरीना रोती हुई बोली "तुमने तो मार ही डालने का इरादा कर रखा है क्या? आराम-आराम से नहीं कर सकते क्या? या यह कोई रबड़ का खिलौना है कि जैसे मर्जी वैसे तोड़ मरोड़ दिया?"

पर मैं बोला "मेरी इसमें क्या गलती है, तुम्हारी बुर है ही इतनी छोटी सी, मैंने तो अभी अपना सुपारा ही तुम्हारी बुर के अन्दर डाला है, इसमें ही तुम्हारा यह हाल है, तो पूरा लंड तुम्हारी बुर में जाएगा तो तुम्हारा क्या हाल होगा? और पहली-पहली बार है, तो थोड़ा दर्द तो होगा ही ना, अभी थोड़ी देर में कहोगी कि ज़ोर जोर से मारो, धीरे-धीरे में मज़ा नहीं आ रहा।"

वो कलप कर बोली "थोड़ा दर्द होता तो मैं सह लेती, पर तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी, थोड़ा धीरे चोदो, बुर भी तुम्हारी है और मैं भी तुम्हारी ही हूँ, एक रात में ही सारी जान निकाल दोगे, तो बाक़ी दो चार रातों तक चुदवाने के लायक भी नहीं रहूँगी, फिर अपना लंड पकड़ कर बैठे रहना।"

परन्तु मैं जानता था कि यह उसकी प्रथम चुदाई है, ऐसा तो होना ही था। अभी थोड़ी देर बाद यह ख़ुद ही ज़ोर लगाने लगेगी और चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदवाएगी।

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। लंड उसकी सील को चीरता हुआ जड़ तक पूरा 8 इंच अन्दर चला गया।

उसके मुँह से दर्द भरी परन्तु उत्तेजनापूर्ण आवाजें निकलने लगीं।

लगभग पांच मिनट बाद जब मेरा पूरा लंड उसकी बुर में हिचकोले खाने लगा, तो वह भी चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी बुर में मेरा लंड लेने लगी। अब वह मेरे लंड को सुपारे से ले कर टट्टों तक उछल-उछल कर चुदवा रही थी।

उधर हम दोनों की चुदाई देख कर सारा कि हालत दोबारा खराब हो गई थी वह एक हाथ से अपने हाथ से अपनी बुर को मींजे जा रही थी तथा दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को दबाये जा रही थी। वह अपने मुँह से उत्तेजनापूर्ण अजीब-अजीब आवाजें निकाले जा रही थी।

उसे देख कर लग रहा था कि वह अभी ज़रीना को हटा कर ख़ुद चुदवाने की इच्छा रखती हो।

इधर मैं ज़रीना कि बुर का बैन्ड बजाने में लगा हुआ था। बुर बड़ी टाईट थी, लंड भी अटक-अटक के जा रहा था। मैं अब अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी बुर में डाल रहा था। हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी।

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसकी बुर अब पूरे मजे से मेरे लंड लील रही थी और वह मजे में चिल्लाने लगी थी बोल रही थी "चोद डालो, फाड़ डालो, आज पूरी तरह से फाड़ दो मेरी बुर को और ज़ोर जोर से मारो, पूरा डाल दो मेरे राजा।"

अचानक उसने मुझे अपनी पूरी ताकत से मुझे दबाना शुरू कर दिया मैं समझ गया कि अब इसकी बुर को पानी छोड़ना है। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार पूरी बढ़ा दी। दो मिनट बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ गई, उसकी बुर ने अपना पानी छोड़ दिया था।

करीब पांच मिनट के बाद मेरा भी लंड झड़ने को हो गया। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार में और तेजी कर दी, आठ-दस धक्कों के बाद लंड की पिचकारी छूट पड़ी और सारा का सारा माल ज़रीना कि बुर में भरता चला गया। मैंने अपने हाथ उसकी टांगों के नीचे से निकाले और उसके ऊपर ही लेट गया। मेरी और उसकी सांसें बड़ी तेजी से चल रही थीं।

मैं उसके मम्मे सहला रहा था और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने उसकी जांघें ऊपर उठाईं, तो देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे।

फ़िर वह उठी और बाथरूम में जा कर अपनी बुर को साफ़ करने लगी। पांच मिनट बाद वह बाहर निकली, तो उसके चाल में थोड़ा लचकपन था, पर चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे।

उधर सारा मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बाथरूम में लेकर गयी और लंड को धोकर साफ़ किया। सारा ने लंड चूसा और मुझसे चिपक गयी। हम वापिस कमरे में आ गए। हम दोनों खड़े-खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। हम दोनों बाहर आ गए।

मैंने ज़रीना को किस किया। ज़रीना बोली "बाप रे, मेरी बुर तो सूज कर गोलगप्पा बन गई है।"

मैं खड़ा ज़रीना का चेहरा देखता रहा, दर्द के मारे वह तड़प रही थी, पर संतुष्टि के भाव थे। वह अपने होंठों को भींच रही थी और रो रही और कराह रही थी।

सुबकती हुई ज़रीना बहुत प्यारी लग रही थी। मैंने उसके गालों को चूमा और गले लग कर सहलाया। वह कह रही थी "आपने मुझे मार डाला, बेदर्दी ने मार डाला, कोई ऐसे भी करता है क्या?"

ज़रीना बोली "मुझे इतनी बेदर्दी से चोद दिया, इतनी सजा क्यों दी, मुझे जबकि आपा के साथ तो इतने मजे ले रहे थे, मुझे लग रहा था कि मैं मर जाऊंगी।"

मैंने ज़रीना को चूमते हुए कहा "तुम्हारा हाथ तो मैंने खाला से ख़ुद मांगा है, मैं अपनी रानी को कुछ नहीं होने दूंगा, मेरी जान मेरी रानी पहली बार थोड़ी तकलीफ होती है, अब तो मजे ही मजे हैं।"

करीब बीस मिनट तक यूं ही प्यार मुहब्बत चलती रही।

तभी सारा बोली "आमिर किसका इंतज़ार कर रहे हो, ज़रीना को फिर से चोदो।"

ज़रीना ने धीरे से कहा "हाँ आमिर... मुझे चोदो ना... अब रहा नहीं जाता।"

मैंने ज़रीना को अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं ज़रीना को पागलों की तरह चूमने लगा और बोला "मेरी ज़रीना, मैं पहली झलक में ही तुम्हारा तो दीवाना हो गया था।"

मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे-धीरे उन्हें भींचने लगा। ज़रीना कि सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबाने लगा। कभी ज़ोर से भींच लेता, तो वह उछल पड़ती।

उसकी बांहें मेरी पीठ को सहला रही थीं और वह मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जांघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।

जैसे ही मैं और ज़ोर से उसकी चूत को चाटने लगा, ज़रीना पागल हो गई "ओह आमिर! ... ये क्या कर रहे हो, आज तक ऐसा मज़ा नहीं आया, हाय अल्ला मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हाँ जोर-जोर से चाटो।"

वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।

मैंने ज़रीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाती पर कर दिया, जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह छोटा-सा था। मैं अपनी जीभ जोर-जोर से उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा।

"ओह आमिर" इतना कहते हुए ज़रीना दूसरी बार झड़ गई। मैं रस पीने लगा।

कुछ ही पलों में जरीना फिर से गरम हो गई, ज़रीना गिड़गिड़ाने लगी "ओह आमिर, अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज़।"

जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वह डरते हुए बोली "आमिर... धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।"

सारा कि तरफ़ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। मैंने जानवर बनते हुए कहा "तुम्हारा मतलब ऐसे?"

"ओह मर गई, तुम बड़े बदमाश हो। जब मैंने धीरे से डालने को कहा, तो तुमने इतनी ज़ोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है" उसने तड़पते हुए कह दिया एक ही सांस में।

"सॉरी डार्लिंग, तुम चुदाई में नयी-नयी हो, तो मैं समझा तुम मज़ाक कर रही हो, क्या ज़्यादा दर्द हो रहा है?" यह कहकर मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा।

"ओह आमिर... बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आह आमिर आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है, हाँ राजा ज़ोर से चोदते जाओ, ओह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही।" ज़रीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कूल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।

सारा ने सच कहा था, ज़रीना कि चूत वाकयी में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गांड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था।

अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया। "आमिर मेरी चूत गई..."।

ये कहकर वह निढाल हो गई। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत निकलना चाहा, पर तभी सारा बोली "पहली बार तुम्हारा पहला मिलन था, इसलिए मैंने नहीं रोका, अब इस माल पर मेरा और सिर्फ़ मेरा हक़ है।"

उसने मेरे लंड को लगभग खींचते हुए अपनी चूत में घुसेड़ लिया और लगी धक्के लगाने। मैंने भी उसे दबोचा और कस कर धक्के लगते रहे और फिर सारा के अन्दर अपना माल छोड़ दिया।

हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं। हम तीनों थक कर लेटे हुए थे।

सारा बोली "तुम ज़रीना से मज़े लेते रहो।"

मैं एक हाथ से ज़रीना और दूसरे से सारा के चूचे सहलाने लगा और सारा को किस करने लगा।

कुछ देर में ज़रीना बोली "ये अच्छी बात है, आमिर मुझे फिर से चोदो।"

ज़रीना ने ये कहकर एक बार फिर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।

उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ़ बढ़ाया। मैं भी उसकी ओर बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की सांसें उखड़ रही थी।

वो सिसकी "ओह आमिर!"

मैं भी सिसका "ओह ज़रीना!"

वो नशीली आवाज़ में बोली "आमिर मुझे एक बार और किस करो ना!"

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर, फिर ज़मीन पर लेट गए थे। मैं उसके ऊपर अधलेटा हुआ था। अपने हाथ से उसके मम्मे सहला रहा था और ज़ोर से भींच रहा था।

वो मादकता में बोली "ओह आमिर, कितना अच्छा लग रहा है।"

"ओह ज़रीना... तुम कितनी सुंदर हो, तुम्हारा बदन कितना प्यारा है!" यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दांतों से काट रहा था।

उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी, "आमिर ये क्या कर डाला तुमने, बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ किये जाओ।"

मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसकी प्यारी चूत बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने ज़ोर लगाया, तो वह और ज़ोर से सिसकने लगी।

जैसे ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर रगड़ने लगा, उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। ज़रीना ने ज़ोर से सिसकारी भरी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

ज़रीना ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उसके ऊपर कर लिया और बोली "आमिर मुझे चोदो, आज मेरी चूत को फाड़ दो, मुझे अपना बना लो।"

मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर पूछा "ज़रीना, तुम वाकयी और चुदवाना चाहती हो?"

वो उत्तेजना में चिल्लायी "हाँ ... अब देर मत करो और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, फाड़ दो मेरी चूत को!"

मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। फिर थोड़ा-सा खींच कर एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी-उसकी चूत में जड़ तक समा गया।

"ओह ... बहुत दर्द हो रहा है आमिर।" वह दर्द से चिल्ला उठी और उसकी आंखों में आंसू आ गए।

उसकी आंखों के आंसू पौंछते हुए मैंने कहा "डार्लिंग, अब चिंता मत करो, जो दर्द होना था, वह हो गया, अब सिर्फ़ मज़ा आएगा।"

इतना कहकर मैं उसे चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था।

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वह भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थीं "हाँ आमिर... ज़ोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं, आह और ज़ोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।"

और वह झड़ गयी।

मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। मुझे सारा याद आ गयी इसलिये मैं अपने लंड को ज़रीना कि चूत से निकालने जा रहा था कि वह बोली "क्या कर रहे हो? निकालो मत, बस मुझे चोदते जाओ।"

उधर से सारा कि आवाज़ आयी "हिम्मत ना करना उसके अन्दर निकालने की, अपना लंड निकालो और मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो और बस चोदते जाओ और अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दो। अपनी सारा कि प्यासी चूत की साऱी प्यास बुझा दो।"

यह कहकर उसने लंड फिर निकाला और मैं नीचे लेट गया और वह मेरे ऊपर चढ़ गयी। वह उछल-उछल कर चुदवाने लगी। मैंने भी अपनी गांड उठा कर उसका साथ दिया और सारा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी।

उसका शरीर कंपकंपाया "ओह आमिर! चोदो, लगता है मेरा छूटने वाला है।"

वो ज़ोर से चिल्लायी और वैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।

हम दोनों काफ़ी थक चुके थे। जब मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया, तो मैंने उसकी बगल में लेट कर सिगरेट जला ली।

ज़रीना ने कहा "आमिर बहुत मज़ा आया, आज मैं लड़की से औरत बन गयी।"

मैंने जवाब दिया "हाँ ज़रीना! काफ़ी मज़ा आया।"

मैं उसके मम्मे और चूत दोनों सहला रहा था, जिससे मेरे लंड में फिर गरमी आ गयी थी।

जैसे ही उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा वह चिहुँक उठी "आमिर ये तो फिर तन कर खड़ा हो गया है, इसे फिर से मेरी चूत में डाल दो।"

"हाँ रानी! मैं भी मरा ज़रा जा रहा हूँ, तुम्हारी चूत है ही इतनी प्यारी" यह कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कस कर चोदने लगा। थोड़ी देर में सारा भी आ कर मुझे चूमने लगी और मेरे निप्पल पर दांत मारने लगी।

मैं कराहने लगा, वह बोली "हमें एक साथ चोदो।"

मैं एक हाथ से ज़रीना और एक हाथ से सारा के निप्पल दबाने लगा। वह दोनों मेरे नीचे थीं। फिर मैं नीचे पीठ के बल लेट गया और सारा कि चूत को अपने मुँह पर खींच लिया। वह मेरे मुँह पर बैठ गयी। मैंने उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी। मेरे हाथ उसके चूचे खींच रहे थे। फिर ज़रीना भी उठी और मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी, धीरे-धीरे मेरा लम्बा लंड उसकी चूत में समां गया। वह कराहने लगी और फिर धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी।

जैसे सारा थोड़ी देर पहले उछल-उछल कर मेरे लंड को चोद रही थी, वैसे ही जरीना भी चुदने लगी।

दस मिनट तक यह दौर चला। तब तक ज़रीना एक बार झड़ चुकी थी, पर मेरा लंड तो जैसे मानने को तैयार ही ना था। सच में मैं जन्नत में था और मेरी दोनों दुल्हनें मस्त मजे ले रही थीं।

थोड़ी देर बाद सारा उलटी घूम गयी और ज़रीना को किस करने लगी और उसकी चुचि सहलाने लगी। ज़रीना भी उसकी चूचियों को चूसने लगी।

कुछ देर तक यह दौर चला, फिर दोनों झड़ गईं और मेरा लंड और मुँह उनके पानी से भीग गया। दोनों निढाल हो गयी थीं। मेरा लंड अभी भी ज़रीना के अन्दर ही था।

फिर सारा मुझसे बोली "अब इसे घोड़ी बना कर चोदो। तुम पीछे से अपना लंड डालना।"

मैंने वैसा ही किया, सच में मुझे यह आसन बहुत पसंद आया। मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था और दे दनादन... अपना लंड उसकी चूत में दिए जा रहा था। इस दौरान मैंने महसूस किया कि ज़रीना भी अपनी कमर आगे पीछे कर मेरा सहयोग कर रही थी और पूरे मजे ले रही थी।

दस मिनट तक ऐसे ही चला। तब तक ज़रीना फिर एक बार झड़ चुकी थी, पर मेरा लंड तो जैसे मानने को तैयार ही ना था।

मैंने ज़रीना से लंड निकाल कर सारा को घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड घुसा डाला। पांच मिनट दे दनदना दन करने के बाद जैसे मेरी आंखों में नींद-सी भर आई और मेरे लंड ने वीर्य की एक जोरदार पिचकारी सारा कि चूत में छोड़ दी और मैं निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया।

सुबह होने लगी थी। मैं दोनों के बीच में लेट गया, मैं जन्नत में था। मेरे बगल में दो-दो हूरें थीं।

मेरे मुँह से सिर्फ इतना ही निकला:

गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त

(धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं)

वे दोनों मुझसे सांप के जैसी लिपट गईं. मैं दोनों को चूमता रहा और उनका बदन सहलाता रहा. फिर हम तीनों चिपक कर देर तक सोते रहे।

कहानी जारी रहेगी

आपका आमिर

———————————

यह कहानी मुसलमानों पर या उनकी परम्पराओ पर हमला करने के लिए नहीं है। यह सिर्फ़ मस्ती और आनंद के लिए है।

———————————

कहानी के इस भाग के संपादन के लिए संपादक (Beingunknown) का हार्दिक धन्यवाद.

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