छाया - भाग 13

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मैं उसके स्तनों और पेट को सहलाता हुआ सामने की तरफ आ गया. मुझे छाया की खूबसूरत रानी के दर्शन हुए. वह अपने होंठों को एक दूसरे से चिपकाये हुए मुस्कुरा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने भीतर से रिस रहे प्रेमरस को बाहर आने से रोकना चाहती हो. पर इश्क और मुश्क छुपाये नही छुपते. होंठो के बीच प्रेमरस झांक रहा था. मेरी उंगली ने कुछ प्रेमरस रानी के होंठों पर भी लगा दिया था वो चमक रहे थे.

मैंने आज कई दिनों बाद छाया की रानी पर हल्के बाल देखें थे. शायद पिछले दो-तीन दिनों के तनाव में वह अपनी रानी का ख्याल नहीं रख पाई थी अन्यथा छाया के ऊपर और नीचे के होंठो में नियति ने सुंदरता कूट-कूट कर भरी थी. छाया की बाहें अब हरकत में आ रहीं थीं. उसकी उंगलियां मेरी बेल्ट से खेलने लगी राजकुमार बाहर आने के लिए बेताब था. कुछ ही देर में वह छाया के हाथों में अपनी लार टपकाते हुए खेल रहा था. मैं छाया की पीठ और नितंबों को सहला रहा था मैंने पूरे वस्त्र पहने हुए थे और छाया पूर्णता नग्न. हमारे अप्रतिम प्रेम का गवाह वह बड़ा पत्थर निकट ही था. मैंने छाया को अपनी गोद में उठाया और उस पत्थर पर के पास आ गया. मैंने छाया को अपनी गोद में बिठा लिया उसके दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ थे और चेहरा मेरी तरफ. मेरा पेंट मेरे घुटनों तक आ गया था. मेरी जांघें नग्न थीं. छाया अपने नितंबों को मेरी जांघों पर टिकाए हुए थी. राजकुमार उसके और मेरे पेट के बीच दबा हुआ था. हमारे होंठ मिलते चले गए. छाया को आज मिली अद्भुत खुशी ने उसमें और जोश भर दिया था यह उसके होठों की गति से स्पष्ट था।

उसके स्तन मेरी शर्ट से टकरा रहे थे मुझे उनकी अनुभूति नहीं हो पा रही थी. मैंने अपनी शर्ट ऊंची कर ली हम दोनों के निप्पल आपस में मिलने लगे. छाया मेरे होठों को बेतहाशा चूमे जा रही थी. हमारी जीभ भी आपस में एक दूसरे को उसी तरह छू रही थी जैसे राजकुमार रानी के मुख्य को छू रहा था. छाया ने अपने पैरों से स्वयं को व्यवस्थित किया हुआ था वह भी। राजकुमार को छेड़ना जानती थी. मुझे मेरा राजकुमार छाया के नटखट पुत्र जैसा लगता था वो दोनों एक दूसरे से बहुत छेड़खानी करते और उतना ही प्यार.

अचानक छाया नीचे की तरफ बैठती चली गई और मेरा राजकुमार रानी की गहराइयों में उतरता गया. छाया की रानी का कसाव अद्भुत था ऐसा लग रहा था जैसे किसी पतली सकरी गुफा में राजकुमार को गहरे दबाव के साथ जाना पड़ रहा था. राजकुमार रानी द्वारा उत्सर्जित प्रेम रस के सहारे बढ़ता जा रहा था और छाया का चेहरा लाल होता जा रहा था. उसके होंठ मेरे होंठ से अलग हो रहे थे. शायद छाया के ध्यान रानी की तरफ था. वह राजकुमार को अपने अंदर बिना दर्द के सजो लेना चाहती थी. राजकुमार के पूरा प्रविष्ट होने के बाद छाया ने चैन की सांस ली. उसने अपनी आंखें खोली और मुझे अपने चेहरे की तरफ देखता पाया. उसमें अपनी पतली उंगलियों से मेरी आंखें बंद कर दी और कहा

"प्लीज आंखें बंद कर लीजिए मुझे शर्म आ रही है" इस चटक धूप में छाया के साथ इस तरह संभोग करना अद्भुत आनंद था. मैंने अपनी पलकें बंद कर ली. छाया की कमर ऊपर नीचे होने लगी. छाया अद्भुत लय में अपनी कमर ऊपर नीचे कर रही थी. राजकुमार रानी के इस तरह आगे पीछे होने से बेहद खुश था. वो उछल उछल कर रानी के अंदरूनी भाग में प्रवेश करता और उसके होंठो तक आता. मेरे दोनों हथेलियां छाया के नितंबों को सहारा दी हुई थीं और उन्हें आगे पीछे होने में मदद कर रहीं थीं. बीच-बीच में मेरी उंगलियां छाया की दासी को भी छू देतीं. ऐसा करते ही छाया के कमर स्थिर हो जाती. मैं उसका इशारा समझ जाता और अपनी उंगलियों को हटा लेता. छाया की कमर फिर हिलने लगती मुझे पता था कि वह तिरछी निगाहों से मुझे देख रही होगी. पर उसने मेरी पलके बंद कर दी थी मैंने उस सुख का अनुभव लेने का विचार त्याग दिया छाया धीरे-धीरे उत्तेजित हो चली थी. मैंने महसूस किया कि छाया की कमर अब ज्यादा ऊपर नीचे नहीं हो रही थी अपितु एक ही जगह पर वह अपनी कमर को तेजी से हिला रही थी. ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वह अपनी भग्नासा को मेरे शरीर के रगड़ रही थी. मैंने उसके स्तनों को सहलाना शुरु कर दिया. अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसके निप्पओं को दबाते ही छाया कांपने लगी वह स्खलित हो रही थी. मुझे पता था उसने अपनी आंखें बंद कर ली होंगी. मैं उसे स्खलित होते हुए देखना चाहता था वह उस समय बहुत प्यारी लगती थी. मैंने अपनी आंखें खोल दी. छाया का चेहरा लालिमा से दमक रहा था उसने अपन निचला होठ दांत से दबाया हुआ था. मैंने एक बार फिर उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया.

रानी के कंपन लगातार राजकुमार को महसूस हो रहे थे. मैं भी मेरी छाया के साथ-साथ स्खलित होना चाहता था. मैंने भी अपनी कमर तेजी से हिलानी शुरू कर दी. मेरी जांघों के ऊपर नीचे होने की वजह से छाया उछलने लगी. राजकुमार से और बर्दाश्त ना हुआ. इससे पहले कि वीर्य की पहली धार छाया की रानी को भिगोती, छाया ने अपनी कमर ऊपर उठा ली. राजकुमार बाहर आ गया और छाया को भिगोना शुरु कर दिया. मेरी हथेलियों ने राजकुमार को दिशा देने का कार्य बखूबी सम्हाल लिया था.

छाया हंस रही थी और वीर्य की धार से बचने का झूठा प्रयास कर रही थी. वीर्य स्खलन समाप्त होते ही उसने राजकुमार को अपने हाथों में ले लिया और नीचे झुक कर उसे चूम लिया. मैं उसके मुलायम बालों पर उंगलियां फिरता रह गया.

छाया ने अपने वस्त्र पहन ने शुरू किए. सलवार पहनाने में मैंने उसकी मदद की प्रत्युत्तर में मुझे छाया की रानी को चुमने का एक अवसर मिल गया. छाया जोर से हंस पड़ी और मेरे सिर को दूर धकेला. उसकी रानी में संवेदना अभी भी कायम थी. छाया की ब्रा और पेंटी नीचे पड़ी थी जिसे मैंने अपने हाथों में उठा लिया और अपने पैंट की दोनों जेब में रख लिया. हम दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले कार की तरफ बढ़ चले. हमारे चेहरे पर खुशी और सुकून था.

घर पहुंचने पर हमारे कपड़ों की सलवटें और हमारे चेहरे पर खुशी देख कर सीमा ने घटनाक्रम भाप लिया. शर्मा जी ने शायद माया आंटी को भी फोन कर दिया था.

छाया भी मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई थी. मैंने उसकी ब्रा और पेंटी अपनी जेब से निकाल कर बिस्तर पर रख दी. सीमा पीछे खड़ी थी वह मुस्कुराने लगी और बोली

"मेरी ननद डिसूजा से तो बच गए पर उसके भैया से बचना मुश्किल है" सीमा स्वयं रजस्वला थी उसे मेरे और छाया के बीच हुए संभोग से कोई आपत्ति नहीं थी. यदि वह स्वस्थ होती तो निश्चय ही हमारा साथ दे रही होती. हम दोनों ने सीमा को अपने आलिंगन ने ले लिया और उसके गालों को चूम लिया. आज का दिन शर्मा जी ने हमारे लिए खुशनुमां बना दिया था।

मानस का घर ( शाम 6:00 बजे)

(मैं मानस)

दरवाजे पर आहट हुई. सीमा ने दरवाजा खोला किसी अनजान व्यक्ति ने उसे एक लिफाफा दिया और तुरंत ही वापस लौट गया. अंदर आने के बाद उसने लिफाफा खोला मैं, छाया और माया जी सीमा के पास ही थे. हम सभी को उतनी ही उत्सुकता थी कि इस लिफाफे में क्या है? लिफाफा खोल कर सीमा ने अंदर पड़े फोटोग्राफ्स बाहर निकाल दिए. यह सभी फोटोग्राफ छाया के थे. कुछ में वह पूर्ण नग्न अवस्था में थी. कुछ फोटो में छाया के साथ मैं भी दिखाई दे रहा था और भी आपत्तिजनक अवस्था में. कुछ फोटो में सीमा भी थी. एक फोटो में छाया और सीमा पूरी तरह नग्न होकर बाथरूम में नहा रहीं थीं । छाया के शरीर पर हल्दी लगी हुई थी. यह स्पष्ट हो गया था यह सारी फोटो विवाह भवन के बाथरूम से लीं गयीं थीं. माया आंटी को हमारे संबंधों की भनक थी उन्होंने यह फोटो देखकर कोई आश्चर्य व्यक्त नहीं किया न हीं हमने उन्हें सफाई देने की कोशिश की.

यह कौन व्यक्ति था जिसने बाथरूम में कैमरा लगाया हुआ था? कहीं इसमें कोई साजिश तो नहीं थी? या फिर होटल वाले ने अपनी कामुकता शांत करने के लिए ऐसा किया था. मुझे बहुत क्रोध आ रहा था. मैंने विवाह भवन के मैनेजर को फोन करने की कोशिश की पर फोन नहीं लगा. मैंने अश्विन को फोन लगाया. (अश्विन मनोहर चाचा का दामाद था जिसकी शादी में हम लोग दो वर्ष पहले शरीक होने गए थे और उसी के बाद से मेरा और छाया का विछोह हो गया था हमारे प्रेम पर हमारा अनचाहा रिश्ता भारी पड़ गया था.) विवाह भवन की सारी व्यवस्था उसी ने की थी.

अश्विन ने फोन उठा लिया था

"जी, मानस भैया"

"तुम मेरे घर आ सकते हो क्या? हमें विवाह भवन चलना है."

"क्या बात हो गयी मानस भैया?"

"यहां आ जाओ फिर बात करते हैं"

"पर भैया मैं तो बेंगलुरु से बाहर हूं"

"ठीक है, मुझे उसके मैनेजर का कोई और नंबर हो तो भेज दो और आने के बाद मुझसे मिलना"

हम समझ चुके थे कि किसी ने बाथरूम में कैमरा लगाया था और वह छाया की नग्न तस्वीरें खींचना चाहता था. हमारी रासलीला के कारण मेरी और छाया की तस्वीरें भी छाया के साथ आ गई थी. हम तीनों ने विवाह भवन में जिस कामुकता का आनंद लिया था फोटो में उसकी एक झलक स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. माया आंटी इन फोटो को देखकर शर्मसार हो रही थी और उन्होंने वहां से हट जाना ही उचित समझा.

तभी मेरी नजर नीचे पड़े खत पर पड़ी. वहां पर हम तीनों ही थे और हमारे बीच कोई पर्दा नहीं था. मैने खत पढ़ना शुरू कर दिया

प्यारी छाया,

मैंने आज तक जितनी भी लड़कियां देखी है उनमें तुम सबसे ज्यादा सुंदर हो, तुम मेरे लिए साक्षात कामदेवी रति का अवतार हो. मुझे सिर्फ और सिर्फ एक बार तुम्हारे साथ संभोग करना है. मुझे पता है मैं तुम्हारे लायक बिल्कुल भी नहीं हूं पर मन की भावनाएं तर्कों पर नहीं चलती. तुमसे संभोग किए बिना मेरे जीवन की बेचैनी कम नहीं होगी.

मानस के साथ होटल में मनाए गए सुहागरात से मुझे तुम्हारी कामुकता का अंदाजा हो गया है. मानस के साथ निश्चय ही तुम्हारे संबंध पिछले कई वर्षों से रहे होंगे. यूं ही कोई अपने सौतेले भाई के साथ सुहागरात नहीं मनाता.

मैं तुम्हारी इसी अदा का कायल हो गया हूँ. जिस प्रकार तुमने मानस के साथ रहते हुए भी अपने कौमार्य को बचा कर रखा था और उसे अपने विवाह उपरांत ही त्याग किया है मुझे यह बात भी प्रभावित कर गई है. मुझे यह भी पता है कि सोमिल इस समय कहां है और क्या कर रहा है. मेरा विश्वास रखो मैं तुम्हें ब्लैकमेल करना नहीं चाहता हूं पर तुमसे संभोग किए बिना मैं रह भी नहीं सकता हूँ.

तुम कामदेवी हो और अब तुमने अपना कौमार्य भी परित्याग कर दिया है अब तुम्हें किसी पर पुरुष से संभोग से आपत्ति नहीं होनी चाहिए. वैसे भी मैं तुम्हारे लिए इतना पराया नहींहूँ। मुझे सिर्फ और सिर्फ एक बार अपनी उत्तेजना का कुछ अंश देकर मुझे हमेशा के लिए तृप्त कर दो. संभोग के दौरान मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कामुकता का आनंद लेना चाहता हूं तुम्हें आहत करना नहीं.

उम्मीद करता हूं कि तुम मेरी इस उचित या अनुचित याचना को पूरा करोगी. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं की होटल में हुई सुहागरात की घटना तुम तीनों के बीच ही रहेगी. मैं दोबारा कभी इस बात का जिक्र नहीं करूंगा. मेरे पास तुम्हारे कई सारे नग्न छायाचित्र है भविष्य के लिए तुम्हारी वही यादें ही मेरे लिए पर्याप्त होंगी।

उम्मीद करता हूं कि तुम मुझ पर विश्वास करोगी आज से 2 दिन बाद हमारा मिलन होगा मैं तुम्हें समय और स्थान ई-मेल पर सूचित कर दूंगा. सोमिल स्वस्थ और सामान्य है तथा अपनी कामुकता को जागृत कर रहा है जिसका सुख तुम्हें शीघ्र ही प्राप्त होगा.

मिलन की प्रतीक्षा में

तुम्हारा.....

छाया डरी हुई थी. आज ही वह डिसूजा के चंगुल से छूटी थी और फिर उसी भंवर जाल में फस रही थी. मैं एक बार तो पत्र लिखने वाले की संवेदना का कायल हो गया. उसने छाया की सुंदरता में इतने कसीदे पढ़ दिए थे कि मुझे उससे होने वाली नफरत थोड़ा कम हो गई थी.

पर वह मेरी छाया को भोगना चाहता था वह भी बिना उसकी इच्छा के यह बिल्कुल गलत था. छाया की कामुकता और उत्तेजना का भोग उसकी इच्छा के बिना लगाना नितांत जघन्य कृत्य था. वह काम देवी थी उससे बल प्रयोग करना या उसे बाध्य करना सर्वाधिक अनुचित था.

हमारे मन में तरह-तरह की बातें आने लगीं. माया जी को हमने यह बात नहीं बताई. यह बात हम तीनों के बीच ही थी और इसका निर्णय भी हम तीनों को ही करना था.

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