अम्मी बनी सास 014

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बेहन के बदन की खुशुबू को अपनी सांसो में समाता हुआ महसूस कर के ज़ाहिद का दिल चाहा कि वह आज अपनी बेहन की शलवार के नाडे को हाथ में ले कर खोल दे और जमशेद की तरह अपनी ही बेहन का यार बन जाएl

मगर शायद जमशेद की निसबत ज़ाहिद के दिल में अभी कुछ शरम बाक़ी थी।अभी उस में शायद रिश्तों का लिहाज बाक़ी था।

इस लिए ज़ाहिद ने अपने दिल में जनम लेते हुए ख्यालो को संभालते हुए परे किया और एक अच्छे भाई की तरह एक चुंबन शाज़िया की पैशानि पर दे कर उस के कमरे से बाहर निकल आया।

ज़ाहिद उस लम्हे तो अपनी बेहन शाज़िया से अलग हो कर बाहर चला आया था। मगर हक़ीकत यह थी कि जमशेद की तरह अब ज़ाहिद के जिस्म में भी अपनी ही बेहन से चुदाई का शोला भड़क उठा था।

इस लिए अब ज़ाहिद का जिस्म तो कमरे से बाहर आ चुका था। लेकिन आज जैसे वह अपना दिल अपनी ही बेहन के पास गिरवी रख आया था।

मगर इस सब के बावजूद ज़ाहिद यह बात अच्छी तरह जानता था। कि चाहने के बावजूद ना तो कभी उस में इतनी हिम्मत आ पाए गी कि वह जमशेद की तरह अपनी ही बेहन की जवानी पर हाथ डाल पाए और ना ही नीलोफर की तरह उस की बेहन शाज़िया कभी अपने सगे भाई के हाथों में अपनी शलवार का नाडा देना पसंद करे गी।

लेकिन इस के बावजूद कल और आज के पेश आने सारे वाकीयत के बाहिस ज़ाहिद ने अब यह तय कर लिया कि बे शक वह कभी अपनी ही बेहन की भरी जवानी का रस ना चूस पाए। लेकिन आज के बाद वह जहाँ तक मुमकिन हो सके गा।वो घर में रह कर वह अपनी बेहन के जवान गरम और प्यासे बदन की आग को अपनी प्यासी आँखों से ज़रूर सेकेगा ।

जिस पर एक घर में रहते हुए भी आज से पहले उस ने कभी तवज्जो देना तो दरकिनार कभी सोचना भी गंवारा नहीं किया था।

उधर दूसरी तरफ़ नीलोफर अपने प्लान पर अमल दरमद करने पर पूरी तरह तूल गई थी।

नीलोफर का भाई जमशेद नेटवर्किंग, कंप्यूटर ग्रॅफिक्स और फोटॉशप वग़ैरह का माहिर था।

इस लिए नीलोफर ने अपनी भाई से कह कर अपने बेड रूम और एएसआइ ज़ाहिद के मकान में दो ख़ुफ़िया कैमरे फिट करवा लिएl

जिन से ज़रूरत पड़ने पर कमरे में होने वाले सारे वाकिये की रिकॉर्डिंग की जा सकती थी।

इस के बाद अपने प्लान पर अमल करते हुए नीलोफर और जमशेद हफ्ते या महीने में एक दो दफ़ा ज़ाहिद के मकान पर जा कर कभी अकेले और कभी एएसआइ ज़ाहिद के साथ मिल कर चुदाई करने लगे।

जब कि कभी-कभी जमशेद अपनी बेहन नीलोफर को एएसआइ ज़ाहिद के पास अकेला छोड़ कर चला आता और एएसआइ ज़ाहिद नीलोफर के साथ मज़े कर के उसे घर के पास वापिस उतार जाता।

इस दौरान जमशेद ने नीलोफर के साथ अपनी और एएसआइ ज़ाहिद के साथ नीलोफर की चुदाई की वीडियोस रेकॉर्ड कर लीं।

इन मूवीस को रेकॉर्डिंग के बाद जमशेद ने सारे क्लिप्स को एक ही डीवीडी में एड कर दिया।

फिर उस ने अपनी फनी महारत को इस्तेमाल करते हुए इस डीवीडी को इस तरह एडिट किया कि अब मूवी में नीलोफर का चेहरा तो चुदाई के वक़्त नज़र आता था। मगर जमशेद और ज़ाहिद दोनों की कमर या फिर सीने से नीचे का जिस्म ही देखने वाले को मूवी में नज़र आ सकता था।

जमशेद ने अपने काम को मुकमल कर के जब वह मूवी अपनी बेहन नीलोफर को दिखाई तो नीलोफर अपने भाई के काम की तारीफ किए बिना ना रह सकी।

यूँ दिन गुज़रते गये और उन को अब आपस में चुदाई करते 6 महीने हो गये थे।

इन 6 महीनो के दौरान ही ज़ाहिद और उस के घर वाले अपना मशीन मोहल्ला वाला मकान बेच कर झेलम सिटी के एक और एरिया बिलाल टाउन में नया मकान खदीद कर उधर शिफ्ट हो गये।

यह घर पहले वाले मकान से काफ़ी बड़ा और खुला और डबल स्टोरी था।

मकान की ऊपर वाली मंज़ल पर दो बेड रूम, दो बाथरूम, किचन और टीवी लाउन्ज था।

ऊपर वाली मंज़िल पर जाने के लिए दो रास्ते बने हुए थे। एक रास्ता घर के अंदर से ऊपर जाता था।जब कि दूसरे रास्ते की स्ट्रेर्स बाहर की गली की तरफ़ बनी हुई थीं।

जिस वज़ह से अगर ज़ाहिद चाहता तो घर के अंदर वाली सीडियों को ताला लगा कर ऊपर वाला पोर्षन रेंट पर दे सकता था।

इस मकान के निचले हिस्से में चार बेड रूम होने की वज़ह से रज़िया, शाज़िया और ज़ाहिद को अपना अलग-अलग कमरा मिल गया।

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