अम्मी बनी सास 017

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लेस्बियन.
1.8k words
4.73
248
00

Part 17 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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शाज़िया भी अब नीलोफर की छेड़ छाड़ से गरम हो गई और उसी गरमी का यह असर था। और शायद इस गर्मी का नतीजा था कि जिस की बदोलत शाज़िया के हाथ अब अपने आप ही नीलोफर के चूचों पर चले गये और वह भी अब अपनी सहली के चूचों को अपने हाथ में थाम कर उन्हे आहिस्ता-आहिस्ता दबाने लगी।

आज नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के अंदर की आग को अपनी बातों और हरकतों से इस तरह उभारा था। कि शाज़िया नीलोफर के आगे बे बस हो कर अपने आप को अपनी सहेली के रहमो करम पर छोड़ने पर तूल गई।

शाज़िया तो पहले ही अपनी सहली की मेहरबानी से मुकम्मल नंगी हो चुकी थी।

अब शाज़िया भी यह चाहती थी। कि नीलोफर भी उस की तरह पूरी बे लिबास हो जाय। ता कि वह भी नीलोफर के जिस्म के निशे-बो-फिराज़ को देख सके।

इस से पहले कि वह नीलोफर से अपनी ख़्वाहिश का इज़हार करती। नीलोफर ने ख़ुद ही शाज़िया से अलहदा होते हुए एक-एक कर के अपने सारे कपड़े अपने जिस्म से उतार फेंके।

शाज़िया ने आज पहली बार अपने अलावा किसी और औरत को अपनी आँखों के सामने इस तरह हालत में पूरा नंगा देखा था।

इस के बावजूद कि शाज़िया किसी भी तरह से लेज़्बीयन नहीं थी। मगर फिर भी अपनी सहेली को यूँ अपने सामने नंगी हालत में देख कर शाज़िया के बदन से पसीना छूटने लगा और उस की चूत में लगी आग मज़ीद भड़क उठी।

नीलोफर अपनी दोस्त की आँखों के बदलते हुए रंग को देख कर समझ गई कि उस की दोस्त को उस का यूँ नंगा होना अच्छा लगा है।

शाज़िया के इस अंदाज़ देख कर नीलोफर को यक़ीन हो गया कि अब उस के लिए शाज़िया को काबू करना मुस्किल नहीं रहा।

यह सोचते हुए नीलोफर नंगी हालत में शाज़िया के नज़दीक हुई और उस ने जिन्सी गरमी की वज़ह से पसीना-पसीना होते हुए शाज़िया के जिस्म को अपनी बाहों में दुबारा बाँधा। फिर अपने होंठ शाज़िया के पसीने से भीगी हुई गर्दन पर रख कर नीलोफर उस की गर्दन को चूमने लगी, चाटने लगी।

अपनी गरदन पर चिपके नीलोफर के होंठ शाज़िया को मदहोश करने लगे और मज़े से उस की आँखे बंद हो गईं।

थोड़ी देर में नीलोफर के होन्ट शाज़िया की गर्दन से-से हट कर रेंगते हुए उस के गालो को किस करते शाज़िया के होंठो पर आन टिके।

नीलोफर के गुदाज होंठो ने शाज़िया के होंठो में को अपने क़ैद में लिया तो शाज़िया पिघल कर रह गई।

एक औरत के साथ ऐसे प्यार का अंदाज़ शाज़िया के बिल्कुल अनोखा और अलग था। जिस का स्वाद वह ज़िंदगी में पहली बार ले रही थी।

नीलोफर के तपते होंठ शाज़िया के लबों पर आ कर उस के भीगे होंठों को चूमने लगे।

अपने लबों पर नीलोफर के लबों को महसूस करते ही शाज़िया के होंठ ख़ुद ब ख़ुद खुलते चले गये।

नीलोफर की लंबी ज़ुबान अब शाज़िया के मुँह में दाखिल हो कर शाज़िया की ज़ुबान से अपनी लड़ाई लड़ने लगी।

उन दोनों के थूक मिक्स होने लगे और वह एक दूसरे की ज़ुबान को चूसने लगीं।

शाज़िया के हाथ नीलोफर के बालों में घूम रहे थे। जब कि नीलोफर के हाथ शाज़िया के नंगे मम्मो को अपने हाथों में थाम कर उन से खेलने में मसरूफ़ थे।

दोनो सहेलियो के हाथों और ज़ुबानो ने एक दूसरे के जिस्म और चूत में जिन्सी आग का शोला भड़का दिया था। जिस को ठंडा करना अब उन के लिए लाज़िम था।

दोनो सहेलिया एक दूसरे के होंठो को चूस्ते-चूस्ते पास पड़े बिस्तर पर आ पहुँची।

बिस्तर कर करीब आते ही नीलोफर ने धक्का दिया तो शाज़िया कमर के बल बिस्तर पर गिर गई।

शाज़िया के बिस्तर पर लेटते ही नीलोफर भी उस के जिस्म के ऊपर चढ़ कर लेट गई।

बिस्तर पर एक धम्म से गिरने की वज़ह से शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे उस की छाती पर अभी टक थक ठक कर के उछल रहे थे।

शाज़िया के चूचों को इस तरह उछलते देख कर नीलोफर और जज़्बाती हुई.और उस ने अपने मुँह को आगे बढ़ा कर अपनी सहेली के मोटे उभरे हुए निपल्स को अपने मुँह में भर का चूसना शुरू कर दिया।

नीलोफर के होंठ शाज़िया के निपल्स से ज्यों ही टच हुए. तो शाज़िया के निपल उस चूचों पर पहले से भी ज़्यादा एक शान से तन कर खड़े हो गये।

शाज़िया का अंग-अंग जवानी की आग में दहक रहा था। उस की साँसे बहुत तेज़ी से चलने लगीं।

जब कि पसीने से भीगे हुए उस के चूचों को नीलोफर दीवाना वार चूस-चूस कर अपने होंठो और मुँह से मज़ीद गीला कर चुकी थी।

शाज़िया के निपल्स और मम्मे चूसने और चाटने के बाद नीलोफर शाज़िया के पेट पर झुकी और फिर वह शाज़िया के पेट पर अपनी गरम ज़ुबान फिराने लगी।

शाज़िया का पसीने छोड़ता नमकीन बदन नीलोफर को बहुत ही मज़ेदार लग रहा था।

इस मज़े में मदहोश होते हुए उस की ज़ुबान अपनी सहेली के जिस्म का अंग-अंग को चूसने लगी।

अब नीलोफर के गीले होंठ शाज़िया की धुनि के पास से सरकते सिरकते हुए नीचे की तरफ़ सफ़र करने लगे।

और आहिस्ता-आहिस्ता नीलोफर की ज़ुबान शाज़िया की चूत की पास पहुँच गई।

अपनी चूत के इतने नज़दीक नीलोफर के होंठो को महसूस कर के पहले तो शाज़िया को समझ ही नहीं आई कि नीलोफर करने क्या जा रही है।

नीलोफर शाज़िया की प्यासी चूत के इतने नज़दीक थी। कि उस के मुँह से निकलती हुई गरम साँसे शाज़िया को अपनी चूत पर सॉफ महसूस हो रही थीं।

नीलोफर: शाज़िया एक औरत जब किसी दूसरी औरत की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरती है तो क्या होता है यह तुम आज ख़ुद महसूस कर लो मेरी जान।

इस से पहले कि शाज़िया को कुछ जवाब दे पाती। नीलोफर ने अपने प्यासे गरम होन्ट अपनी सहेली की पानी-पानी होती चूत के लबों पर चिस्पान कर दिए।

"हाआआआ" शाज़िया के मुँह से एक सिसकारी उभरी और उस की फूली हुई गुलाबी फांकों वाली चूत से रस की एक बूँद टपक कर बिस्तर की चादर पर गिर पड़ी जो बिस्तेर की चादर को गीला कर गई।

जैसे ही नीलोफर के होंठ शाज़िया की चूत पर हरकत करने लगे। शाज़िया को यूँ लगा जैसे उस की चूत पर चींटियाँ रेंगने लगीं हों।

शाज़िया के लिए जवान का यह एक नया ही तजुर्बा था।

"नीलोफर यह तुम ने कैसी आग लगा दी है मेरे अंदर यार, ऐसी आग तो मेरे शोहर ने भी कभी नहीं लगाई थी मुझे। नीलोफर मुझे संभाल में बहक रही हूँ!" शाज़िया मज़े से चिल्लाई.' इंसानी ज़िन्दगी का यह मज़ा पा कर शाज़िया तो जैसे पागल ही हो गई थी। उस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उस के सारे जिस्म में एक करेंट दौड़ रहा हो।

शाज़िया नीलोफर की इस हरकत से इतनी पागल हो गई कि उसने बे ख़ुद होते हुए नीलोफर को उस के सर के बालों से पकड़ा और उस के मुँह पर अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी।

उस की मुँह से सिसकारी भरी आवाज़े निकालने लगी एयेए आआआआ आआअहह आआआआआआआआआआहह और साथ शी साथ मज़े की शिद्दत से वह अपने होन्ट भी काटने लगी।

कुछ देर बाद नीलोफर ने शाज़िया की चूत से अपना मुँह अलग किया और बोली "चल अब 69 पोज़िशन करते हैं"।

शाज़िया हान्फते हुए बोली "वह क्या होता है?"

शाज़िया के तो फरिश्तो को भी नहीं पता था कि यह 69 किस को कहते हैं।

नीलोफर: में जैसा कहती हूँ तुम वैसे ही करो बुद्धू।

नीलोफर उठी और बिस्तर पर चित लेटी हुई शाज़िया के ऊपर इस तरह आ कर लेटी. कि उस का सिर शाज़िया की टाँगो के दरमियाँ आ गया और उस के पैर शाज़िया के सिर की तरफ़ चले गये।

अब बिस्तेर पर पोज़िशन कुछ इस तरह थी कि। शाज़िया नीचे लेटी थी और उस के मुँह के सामने नीलोफर की फुद्दि बिल्कुल खुली हुई थी।

अपनी सहेली की चूत को इतने नज़दीक से देख कर शाज़िया की आँखों में एक चमक आई।

नीलोफर की चूत को देखते-देखते शाज़िया को ऐसे लगा जैसे नीलोफर की चूत शाज़िया को कह रही हो"शाज़िया जैसे तुम्हारी सहेली तुम्हारी चूत चाट रही है। तुम भी मेरी ऐसे ही चूत चाट लो यार"।

शाज़िया अभी अपनी दोस्त की चूत के लिप्स का जायज़ा ही लेने में मसरूफ़ थी। कि ऊपर से नीलोफर की पानी छोड़ती चूत का एक कतरा शाज़िया के खुले होंठो से होता हुए उस के हलक में जा गिरा।

शाज़िया को अपनी दोस्त की चूत का पानी का ज़ायक़ा अजीब-सा महसूस हुआ।

इस से पहले कि शाज़िया नीलोफर को ऊपर से हटने का कहती। नीलोफर ने अपनी खुली टाँगें शाज़िया के मुँह पर कसी और ख़ुद अपनी ज़ुबान शाज़िया की मस्त चूत पर दुबारा फैरने लगी।

यह सच है कि कोई औरत जान बूझ कर या माँ के पेट से लेज़्बीयन पेदा नहीं होती। यह तो वह जिन्सी हवस है जो एक औरत को दूसरी औरत से प्यार करने पर मजबूर कर देती है।

नीलोफर की ज़ुबान अपनी चूत पर महसूस कर के शाज़िया फिर से गरम हो गई और ना चाहते हुए भी उस ने अपने सर को हल्का-सा हवा में बुलंद किया और अपने सामने खुली नीलोफर की चूत के लिप्स पर अपनी ज़ुबान रख कर उसे चूसने लगी।

साथ ही साथ उस ने अपनी हाथ से नीलोफर की गान्ड को जकड़ा और उस की गान्ड को थाम कर दबाने लगी।

नीलोफर की चूत का नमकीन टेस्ट शाज़िया को अब बहुत मज़ेदार लग रहा था।

शाज़िया को यूँ अपनी चूत पर ज़ुबान फेरते हुए नीलोफर को भी मज़ा आने लगा और वह भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर अपनी फुद्दि शाज़िया के मुँह पर ज़ोर ज़्ज़ोर से मारने लगी।

नीलोफर ने अब शाज़िया की चूत के दाने को अपने होंठों में दबा लिया तो ओ! आरर! हाऐय! " शाज़िया के मुख से चीख निकली और उस का जिस्म अकड़ गया।

नीलोफर ने उसकी चूत में ज़ुबान डाल कर चाटना शुरू कर दिया तो शाज़िया ने भी नीलोफर की तरह करते हुए उस की चूत चाटनी शुरू कर दी।

अब दोनों 69 पोज़िशन में एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और "अहाआआअ" कर रही थीं।

अब दोनों दोस्त अपनी हवस की आग में जलती हुई एक दूसरे की चूत को चाट-चाट कर खाने लगीं।

चूत की चटाई का क्या मज़ा होता है आज शाज़िया को यह पता चल चुका था और वह अपने चूतड़ ज़ोर से हिला-हिला कर नीलोफर की ज़ुबान से मज़ा ले रही थी।

नीलोफर की जबर्जस्त क़िस्म की सकिंग ने शाज़िया को हाला बुरा कर दिया। उस लग रहा था कि अब उस की चूत में उबलता हुआ लावा उस के कंट्रोल से बाहर होने लगा है।

इधर शाज़िया के होंठो ने नीलोफर का भी यही हाल किया था। उस की चूत की गहराई से चूत का लावा भी ज़ोर-ज़ोर से उच्छलने लगा और वह भी पागलों की तरह अपनी सहेली की चूत को चाटने लगी।

और फिर एक दम से दोनों के जिस्मो एक साथ अकडे और एक साथ ही दोनों के जिस्म झटके मारने लगे।

दोनो की फुद्दियो से उन की चूत का पानी एक फव्वारे की शकल में उबल कर एक दूसरे के मुँह में गिरने लगा।

कहानी जारी रहेगी

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