अम्मी बनी सास 090

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फोन को बंद करते ही ज़ाहिद ने एक बार फिर अपनी अम्मी को अपने गले से लगा कर एक ज़ोर दार चुम्मि ली। और फिर मोटर साइकल पर बैठ कर अपनी नोकरी पर रवाना हो गया।

उस रोज़ शाज़िया अपनी सोतन अम्मी को उस के सैयाँ ज़ाहिद का नाम ले ले कर उसी तरह तंग करती रही।

जिस तरह शाज़िया की ज़ाहिद के साथ सुहाग रात के बाद रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया को तंग किया था।

और रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया के ज़ू महनी जुमलों से महज़ूज़ और गरम होते हुए अपने घर के काम काज में मसरूफ़ रही।

अभी ज़ाहिद को घर से गये हुए चन्द ही घंटे गुज़रे होंगे । कि रज़िया बीबी की चूत की आग ने उस की शलवार में फिर से सर उठाना शुरू कर दिया।

"उफफफफफफफफफफ्फ़! अभी तो सिर्फ़ सुबह के दस बजे हैं, जब कि ज़ाहिद तो शाम से पहले नही लोटेगा!" ज़ाहिद के मोटे लंड के लिए बे चैन होते हुए रज़िया बीबी ने कमरे में लगे वॉल क्लॉक की तरफ देखते हुए सोचा।और अपनी गरम चूत को अपने हाथ से तसल्ली देते हुए फिर अपने कामों में मसरूफ़ हो गई।

घर के सहन की सफाई के दोरान रज़िया बीबी ने आसमान की तरफ देखा। तो आसमान को बादलों से भरा हुआ देख कर रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया।" लगता है आज ज़रूर बारिश होगी"।

रज़िया बीबी फिर अपने काम में मसरूफ़ हो गई। मगर काम काज कर दोरान रज़िया बीबी की नज़र बदस्तूर वॉल क्लॉक की तरफ जा रही थी।

"आज बार बार घड़ी की तरफ देखे जा रहीं हैं, ख़ैरियत तो है ना छोटी बेगम?" अपनी अम्मी की बेचेनी को समझते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी को छेड़ा।

"तुम खूब जानती हो मेरी बेचैनि की वजह,तो फिर क्यों बिना वजह मुझे तंग करती हो शाज़िया?"अपनी बेटी की बात सुन कर रज़िया बीबी ने बे शर्मी शलवार के उपर से अपनी चूत को मसलते हुए कहा।

"अगर इतनी ही आग लगी है,तो ज़ाहिद को वापिस घर बुला कर इस सुहाने मोसम का मज़ा लो आप। " अपनी अम्मी की हरकत पर महज़ोज़ होते हुए शाज़िया ने बादलों की तरफ इशारा किया। जो अब किसी भी लम्हे बरसने को तैयार थे।

"सच पूछो तो दिल मेरा भी ये ही चाह रहा है,अच्छा में अभी अपने जानू को कॉल मिलाती हूँ।" शाज़िया की बात से अग्री करते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को कॉल कर दी।

"ख़ैरियत है ना!" ज़ाहिद ने फोन का जवाब देते ही अपनी अम्मी से पूछा।

"बहुत खूब मेरी सोई हुई फुद्दि के जज़्बात को अपने लंड से जगा कर पूछते हो ख़ैरियत है?" ज़ाहिद के सवाल पर रज़िया बीबी ने नकली गुस्सा करते हुए कहा।

"उफफफफफफफ्फ़! अम्मी जल्दी से बताएँ, क्या बात है, क्यों कि मेरे पास टाइम नही है अभी" ज़ाहिद इस वक्त वाकई ही अपने किसी सरकारी काम में बिजी होने की वजह से अपनी अम्मी से ज़्यादा बात नही कर सकता था। इसीलिए वो थोड़ा झुंझलाते हुए अपनी अम्मी से बोला।

"आज ज़रा जल्दी घर आ जाओ ना, देखो मोसम कितना सुहाना हो रहा है,मेरे राजा!" ज़ाहिद के रवैये को नज़र अंदाज़ करते हुए रज़िया बीबी ने बहुत प्यार से अपने बेटे से फरमाइश की।

"नही में जल्दी नही आ सकूँगा आज, मजबूरी है।" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को रूखा सा जवाब दिया।

"हाई हाई ये मजबूरी, ये मोसम और ये दूरी मुझे पल पल है तड़पाए ।

तेरी दो टाकिया दी नोकरी,और मेरा लाखों का सावन जाए।।"

अपने जानू बेटे के रूखे पन पर गुस्से में आते हुए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को फोन पर इस गाने के बोल सुनाए। और फिर एक दम फोन बंद कर दिया।

"हाईईईईईईई! अभी सुबह ही तो आप ने अपनी फुद्दि मरवाई है, और अब आप से शाम तक सबर नही हो रहा, मुझे समझ नही आती कि अब्बू की मौत के बाद से आज तक आप कैसे अपनी इस गरम फुद्दि को शांत करती रही हैं अम्मी?" अपनी अम्मी को गुस्से से फोन बंद करते देख कर शाज़िया की हँसी निकल गई। और उस ने अपनी अम्मी को मज़ीद छेड़ते हुए कहा।

"अच्छा ज़्यादा टरर! टरर! मत करो और जा कर किचन में हंडी बनाओ" ज़ाहिद के लंड के लिए मचलती हुई रज़िया बीबी को शाज़िया का मज़ाक एक आँख ना भाया। और इसीलिए उस ने गुस्से में अपनी बेटी शाज़िया को भी डाँट दिया।

शाज़िया ने अपनी अम्मी को असली गुस्से में आते देखा। तो उस ने फॉरन किचन में जाना ही मुनासिब समझा।

अभी शाज़िया को किचन में गये चन्द मिनट्स ही गुज़रे थे। कि इतने में घर के गेट की बेल बजी।

रज़िया बीबी ने दरवाजा खोला तो साथ वाले पड़ोसी की बड़ी लड़की को शाज़िया को सामने खड़ा पाया।

ये लड़की शाज़िया शाज़िया की नई नई दोस्त बनी थी। इसीलिए कभी कभी शाज़िया से मिलने उन के घर चली आती।

"आंटी शाजिया घर है" ज्यों ही रज़िया बीबी ने दरवाजा खोला तो शाज़िया ने पूछा।

"शाज़िया किचन में है, जाओ जा कर मिल लो" कहते हुए रज़िया बीबी ने उस लड़की को अंदर आने का कहा।

शाज़िया घर के अंदर आई और फिर किचन में जा कर शाज़िया से बातों में मसरूफ़ हो गई।

उधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी अब घर के टीवी लाउन्ज में झुक कर झाड़ू लगाने में मसरूफ़ थी। कि इतने में किसी मर्द की मज़बूत बाहों ने रज़िया बीबी के भारी वजूद को अपनी शिकंजे में कस कर उस की गरदन पर ज़ोर से प्यार किया।

"कोन्ंननननणणन्?" रज़िया बीबी ने घबरा कर एक दम से पीछे मुड़ने की कोशिस की।

"डरो मत! में वो ही हूँ जिस के लंड के लिए तुम्हारी चूत को सबर नही हो रहा था। इसीलिए एसएचओ से बहाना कर के,तुम्हारी फुद्दि की तसल्ली करने जल्दी घर लौट आया हूँ आज! मेरी बिल्लो रानी!" ज़ाहिद ने पीछे से अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों में दबाते हुए कहा।

"शीईईईआ!आहिस्ता बोलो,और छोड़ मुझे,साथ वालों की लड़की किचन में शाज़िया के पास बैठी है। अगर उस ने ये सब देख और सुन लिया तो कयामत आ जाएगी। " रज़िया बीबी ने एक दम से अपने आप को ज़ाहिद की बाहों से आज़ाद करने की कोशिश करते हुए कहा।

"फिकर ना करो! वो दोनो अपनी बातों में इतनी मसरूफ़ होंगी, कि उन तक मेरी आवाज़ नही पहुँचेगी, बस आप जल्दी से नाडा खोलो, ताकि में आप की गरम चूत में अपने लंड डाल कर इस की गर्मी दूर कर दूं।" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को आज़ाद करने की बाजियाय रज़िया बीबी की शलवार के नाडे पर हाथ डाला। और रज़िया बीबी के समझाने के बावजूद ज़बरदस्ती अम्मी की शलवार उतारने की कोशिश करने लगा।

"उफफफफफफफफफफफफफ्फ़! ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या, में कह जो रही हूँ कि ज़रा सबर कर लो।" रज़िया बीबी ने जब ज़ाहिद को अपनी शलवार के नाडे पर हाथ डालते देखा। तो गुस्से में देखा मार कर ज़ाहिद को अपने पीछे देखते हुए बोली।

ज्यों ही ज़ाहिद अपनी अम्मी के जिस्म से अलग हो कर थोड़ा पीछे हुआ। तो दूसरे ही लम्हे शाज़िया और उस की सहेली शाज़िया अचानक टीवी लाउन्ज में दाखिल हो गईं।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! कहीं शाज़िया ने ज़ाहिद को मुझ से छेड़ छाड़ करते देख ही ना लिया हो" रज़िया बीबी को अपनी चोरी पकड़े जाने के डर था। इसी लिए साथ वालों की लड़की को एक दम अचानक आता देख कर रज़िया बीबी के चेहरे का रंग उड़ गया।

"आज आप बहुत जल्दी घर वापिस आ गये ज़ाहिद!" शाज़िया ने ज़ाहिद को यूँ अचानक घर में देख कर हैरानी से ऐसे मुखातिब किया। जैसे एक बीवी अपने मियाँ से बात करती है।

"हां वो एक फाइल घर भूल गया था,वो ही लेने आया हूँ।" ज़ाहिद ने शाज़िया की सहेली शाज़िया की तरफ देखते हुए अपनी बहन की बात का ऐसे जवाब दिया। जैसे ज़ाहिद ही शाज़िया का असली शौहर हो।

"फाइल तो एक बहाना है,असल में तो दूल्हा भाई आप को देखने आए होंगे भाभी" शाज़िया ने हाथ की कोनी मारते हुए शाज़िया से सरगोशी की।

(असल में झेलम से रावलपिंडी शिफ्ट होने के बाद ज़ाहिद ने अपने इर्द गिर्द रहने वालों को शाज़िया और अपना तारूफ़ मियाँ बीवी की हैसियत से ही करवाया था। ये ही वजह थी कि शाज़िया की नई सहेली ज़ाहिद को दूल्हा भाई और शाज़िया को भाभी कह कर बुलाती थी)

"बकवास नही करो, ऐसी को बात नही।" शाज़िया ने भी सरगोशी में जवाब दिया।

इधर ज्यों ही रज़िया बीबी ने शाज़िया और उस की सहेली को एक दूसरे राज़ो नियाज़ की बातों में मसरूफ़ देखा।

तो इस मोके को गनीमत जानते हुए रज़िया बीबी ने बाथ रूम की तरफ दौड़ लगाई। और बाथरूम में जाते ही दरवाज़े को अंदर से बंद कर लिया।

"ये आपस में क्या ख़ुसर फुसर हो रही है, हमें भी तो बताओ।" दूसरी तरफ टीवी लाउन्ज में खड़े ज़ाहिद ने जब शाज़िया और शाज़िया को आपस में सरगोशी करते देखा। तो वो उन दोनो से पूछने लगा।

"कुछ खास नही, में आप की बेगम को अपने साथ, अपने घर ले जाना चाह रही थी,मगर अब आप की घर मौजूदगी में शायद आप की ज़ोज़ा मोह्तर्मा अब मेरे साथ जाने पसंद नही करेंगी।" शाज़िया की सहेली ने एक शरारती मुस्कुराहट के साथ ज़ाहिद से कहा।

"नही ऐसी कोई बात नही, मेरी वाइफ आप के साथ ज़रूर जाना पसंद करेगी, में सही कह रहा हूँ ना बेगम?"ज़ाहिद ने शाज़िया की तरफ देखते हुए उस से पूछा।

"असल में शाज़िया बाज़ार से कुछ नये सूट खरीद कर लाई है, जो ये अब मुझे भी दिखाना चाहती है,आप अपनी फाइल देखे, में थोड़ी देर में वापिस आती हूँ।" ये कहते हुए शाज़िया अपनी सहेली शाजिया के साथ उस के घर चली गई।

उधर बाथरूम में जा कर पेशाब करने के लिए रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपनी शलवार उतारी। तो उस की शलवार उस के हाथ से छूट कर एक दम फर्श पर गिर पड़ी।

रज़िया बीबी को ज़ोर का पेशाब आया हुआ था। इसीलिए वो शलवार की परवाह किए बगैर कमोड पर जा बैठी।

कमोड पर बैठे बैठे ही रज़िया बीबी को अंदाज़ा हुआ कि उस की चूत से निकलने वाला पानी तो उस की फुद्दि के साथ साथ उस की रानों को भी गीला कर चुका था।

इधर जैसे ही शाज़िया अपनी सहेली के साथ घर के बाहर निकली। तो ज़ाहिद ने फॉरन आ कर अपनी अम्मी के बाथरूम का दरवाजा खटखटाया और बोला " शाज़िया और शाज़िया बाहर चली गई हैं,अब दरवाजा खोल दो प्लीज़!"

ज़ाहिद की आवाज़ सुन कर कमोड पर बैठी रज़िया बीबी ने पानी से अपनी चूत सॉफ की। और फिर बिना शलवार पहने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया।

" उफफफफफ्फ़! आप की चूत इतनी गरम हो गई थी, कि सलवार भी उतारनी पड़ गई आप को "

अपनी अम्मी को यूँ अपनी शलवार से बे नियाज़ अपने सामने नीम नंगी हालत में देख कर ज़ाहिद रज़िया बीबी को छेड़ा।

"हाआँ! तुम्हारे लंड की बहुत तलब हो रही है मेरी फुद्दि को ज़ाहिद्द्द्द्द्द्दद्ड!" रज़िया बीबी ने अपनी चूत के सामने लटकती हुई अपनी कमीज़ को हाथ से हटाया। और ज़ाहिद की नज़रों के सामने अपनी फुद्दि पर अपने हाथ घुमाते हुए बेशर्मी से बोली।

"तो चालिए आप की फुद्दि की गर्मी को ख़तम कर देता हूँ मेरी जान!" ज़ाहिद अपनी अम्मी का हाथ पकड़ कर रज़िया बीबी को ड्राइंग रूम में ले आया।

"अम्मी आप इस कुर्सी को पकड़ कर थोड़ा आगे की झुको ज़रा!" ड्राइंग रूम में आते ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को खाने की चेयर के सहारे खड़ी हो कर आगे को झुकने का कहा।

अपने बेटे का कहा मानते हुए रज़िया बीबी ने डाइनिंग चेयर को पकड़ा। और अपने भारी वजूद का सारा बोझ अपनी बाहों और हाथों पर डालते हुए आगे को झुक गई।

कुर्सी पकड़ कर आगे की तरफ इस तरह झुकने से रज़िया बीबी की कमीज़ के नीचे छुपी हुई उस की भारी गान्ड एक बार फिर पीछे से ज़ाहिद की नज़रों के सामने नुमाया हो गई।

ज़ाहिद ने पीछे से अपनी पॅंट उतारी और अपनी अम्मी के पीछे आ कर खड़ा हो गया।

इस के साथ ही ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की कमीज़ को हाथ से पकड़ कर उपर उठाया। और अपने घुटनों को हल्का से नीचे करते हुए अपने सामने झुकी ही अपनी अम्मी की पएसी फुददी में एक झटके से अपना लंड डाल दिया।

इधर ज़ाहिद ने ज़ोर दार झटके से अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि में अपना लंड डाला। तो साथ ही बाहर आसमान पर ज़ोर दार किस्म की बिजली कड्की। और फिर एक दम से मूसला दार बारिश स्टार्ट हो गई।

"हाईईईईईईईईईई! देखो तो सही,एक बारिश मेरी चूत के अंदर हो रही है, और दूसरी बारिश बाहर स्टार्ट हो गई है मेरे सरताज!" बदल गरजने और बारिश के बरसने की आवाज़ सुन कर बेचैन होती रज़िया बीबी ने अपनी चूत का पानी अपने जवान शोहर के लंड पर छोड़ते हुए ज़ाहिद से कहा।

"हां बहुत मज़े दार बारिश शुरू हुई है, चलो बाहर सहन में बारिश में चुदाई का मज़ा लेते हैं आज।" ये कहते हुए ज़ाहिद ने जल्दी से अपनी और अम्मी की कमीज़ उतार कर दोनो को मुकलमल नंगा किया। और फिर अपनी अम्मी को साथ ले कर घर कर सहन में चला आया।

ज्यों ही दोनो माँ बेटे के नंगे गरम जिस्मो पर बारिश का ठंडा पानी पड़ा। तो

"टिप टिप बरसा पानी

पानी ने आग लगाई"

वाले इस सॉंग की तरह ज़ाहिद और रज़िया बीबी के वजूद में छुपी जिन्सी आग भी बुझाने की बजाय मज़ीद भड़क उठी।

सहन में आते ही ज़ाहिद की नज़र सामने भीची एक पुरानी चारपाई पर पड़ी। तो उस ने अपनी अम्मी को उधर लेटने का कहा।

रज़िया बीबी के चारपाई पर लेटते ही ज़ाहिद भी अपनी अम्मी के उपर चढ़ गया।और बोला "अपनी टाँगों को खोल दो और अपने शोहर के लंड का स्वागत करो मेरी जान।"

इस के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की टाँगों को अपनी टाँगों पर रख कर अपने लंड को अम्मी की चूत में डाल दिया।

"आओ बेटा, पेल दो अपनी माँ की चूत में अपना लंड, तुम्हारी अम्मी बहुत प्यासी है, तुम्हारा बाप तो मर गया, अब तुम ही मेरी चूत को ठंडा कर सकते हो मेरे ज़ाहिद्द्द्द्द्द्दद्ड!"रज़िया बीबी ने भी ज़ाहिद की गरम बातों का जवाब उसी गरम अंदाज़ में दिया। और फिर नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर ज़ाहिद के मोटे लंड को अपनी चूत में जज़ब करने लगी।

कुछ देर यूँ ही अपनी अम्मी की फुद्दि मारने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की चूत में अपने लंड का फव्वारा फिर से खोल दिया।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपना पानी अपनी अम्मी की फुद्दि में फारिग किया। तो अपने लंड का आखरी क़तरा अपनी दूसरी बीवी की चूत में डालते ही ज़ाहिद एक दम से उठा।और चारपाई पर लेटी रज़िया बीबी के साथ लेट कर अपनी अम्मी को 69 पोज़िशन में अपने उपर आने का कहा।

जैसे ही रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के जिस्म के उपर आ कर 69 स्टाइल में अपनी चूत ज़ाहिद के मुँह पर रखी। और दूसरी तरफ से ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने मुँह भरा।

तो ज़ाहिद अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपने मज़बूत बाजुओं में अच्छी तरह कसते हुए चारपाई से उठ कर सहन के फर्श पर खड़ा हो गया।

ज़ाहिद के इस तरह अपनी अम्मी को अपने बाजुओं में उठ कर खड़ा होने से रज़िया बीबी का मुँह अब नीचे ज़ाहिद के पैरों की तरफ हो गया था।

जब कि रज़िया बीबी की फूली हुई चूत के लब फर्श पर खड़े ज़ाहिद के मुँह के ऐन सामने आ चुके थे।

"हाईईईईईईईईई! मेरा जिस्म ना सिर्फ़ भारी है बल्कि गीला भी, में फिस्सल जाउन्गी तुम्हारी बाहों से ज़ाहिद!" ज्यों ही ज़ाहिद ने रज़िया बीबी के जिस्म को अपनी बाहों में भर कर चारपाई से उठाया। तो रज़िया बीबी ख़ौफ़ के मारे चिल्ला उठी।

"मेरी जान मेरा तुम से वादा है कि में तुम्हारी पूरी तरह से हिफ़ाज़त करूँगा,बस तुम मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर इस पर लगा अपनी चूत का पानी सॉफ करो,मेरी रज़िया बेगम!" ज़ाहिद ने अपनी बीवी माँ को होसला देते हुआ कहा।

ज़ाहिद कल दोपहर को भी इसी तरह अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों मे भर कर चोद चुका था।

इसीलिए रज़िया बीबी को अपने जानू बेटे की मर्दानगी पर पूरा यकीन था। कि ज़ाहिद जो कह रहा है वो वाकई ही करेगा भी ज़रूर।

ये ही वजह थी कि ज़ाहिद के समझाने पर रज़िया बीबी के दिल में बैठा ख़ौफ़ एक दम दूर हो गया। और उस ने ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने मुँह में ले कर अपनी ही चूत का पानी पीना शुरू कर दिया।

जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद भी अपनी अम्मी की कमर को ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ते हुए रज़िया बीबी के मोटे फुद्दे में छोड़ा हुआ अपना ही जूस चाटने में मसरूफ़ हो गया।

इस दौरान बदिश का पानी ज़ोर ज़ोर से दोनो जिन्सी पदमियो के जिस्मो पर पड़ते हुए ज़ाहिद और रज़िया बीबी के लंड और चूत के पानी के ज़ायक़े को उन दोनो के लिए मज़ीद स्वाद वाला बना रहा था।

और ये दोनो मियाँ बीवी आज एक दूसरे के जिस्म के पानी को एक नये अंदाज़ में पी पी कर लुफ्त अंदोज़ हो रहे थे।

जब दोनो माँ बेटा एक दूसरे के लंड और चूत का पानी चाट चाट कर अच्छी तरह मुत्मिन हो गये।

तो ज़ाहिद ने रज़िया बीबी के जिस्म को दुबारा चारपाई पर लिटाया। और फिर बे सूध हो कर अपनी अम्मी के गीले बदन पर ढेर हो गया।

उस दिन के बाद रज़िया बीबी अपने बेटे की बीवी की हैसियत से अब हर रोज़ ज़ाहिद के साथ रात बसर करने लगी। और ज़ाहिद भी अब अपनी अम्मी को माँ से ज़्यादा एक बीवी की तरह ट्रीट करने लगा था।

ज़ाहिद अक्सर शाज़िया और रज़िया बीबी को एक साथ शॉपिंग के लिए ले जाता। और अपनी दोनो बीवियों को अपनी पसंद के मुताबिक कपड़े और अंडर गारमेंट्स खरीद कर देता।

शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अब ज़ाहिद की ख्वाहिश के मुताबिक खुले गले वाले तंग शलवार कमीज़ पहनने लगी थी।

इन तंग कमीज़ों के खुले गालों से जब रज़िया बीबी के भारी मम्मे बाहर को छलकते।

तो अपनी अम्मी के नीम नंगे बदन को देख कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में से उठ उठ खड़ा होता।

इस दौरान जब शाज़िया की चूत में आग ज़्यादा लगती। तो रज़िया बीबी एक माँ और सौतन का फ़र्ज़ निभाते हुए अपनी बेटी,बहू,और सोतन के गरम फुद्दे की आग को अपनी नुकीली ज़ुबान से सकून पहुँचा देती।

रज़िया बीबी को अब अपने बेटे से अपनी चूत को नंगा चुदवाते हुए तकरीबन एक महीना होने को था। और इस एक महीने में ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को हर हर स्टाइल में चोद लिया था।

(कहते हैं कि जिस तरह अच्छा खाना खाने से इंसान की सेहत बेहतर तो है। उसी तरह रेग्युलर चुदवाने से अक्सर औरतों का वज़न भी बढ़ जाता है।

इस की मिसाल ऐसे दी जा सकती है। कि बहुत सारी कंवारी लड़कियाँ जो शादी से पहले काफ़ी दुबली पतली होती हैं। उन में से अक्सर का वज़न शादी के बाद पहले से ज़्यादा हो जाता है।)

लगता था कि शायद ऐसा ही कुछ रज़िया बीबी के साथ भी हो रहा था। रज़िया बीबी का वजूद तो पहले भी काफ़ी भारी था।

लेकिन ज़ाहिद से चुदवाने के बाद रज़िया बीबी का जिस्म ना सिर्फ़ पहले से भी थोड़ा भर गया था। बल्कि उसके साथ साथ रज़िया बीबी का पेट भी उस के कपड़ों में से पहले से कुछ ज़्यादा ही वज़िया नज़र आने लगा था।

मगर रज़िया बीबी ने अपने इस बेटे हुए वज़न की वजह जानने की ना तो कभी कॉसिश की। और ना ही टीन एज लड़कियों की तरह उस को अपना फिगर खराब होने की परवाह थी।

एक महीने के बाद ज़ाहिद को एक रोज़ किसी काम के सिलसिले में मुर्री जाना था। तो उसने अपनी दोनो ने शाज़िया और अम्मी को साथ जाने को कहा।

"नही भाई आप अम्मी को साथ ले जाओ, मेरी तबीयत खराब है, दोराने सफ़र हमारे बच्चे को कुछ हो ना जाए तो अच्छा नही होगा "

शाज़िया ने कमीज़ के उपर से अपने हमला पेट पर हाथ फेरते हुए अपने खाविंद ज़ाहिद को जवाब दिया।

"ठीक है तुम आराम करो,हम शाम तक वापिस आ जाएँगे।" ज़ाहिद ने शाज़िया की बात मान ली।

"में कार बाहर निकालता हूँ,आप जल्दी से आ जाएँ अम्मी।" शाज़िया से बात करने के बाद ज़ाहिद ने अपनी कार की चाभी उठी। और रज़िया बीबी को जल्दी आने का कह कर ज़ाहिद खुद बाहर निकल गया।

"तुम क्यों नही साथ जा रही शाज़िया?" ज़ाहिद के बाहर जाते ही रज़िया बीबी ने शाज़िया से पूछा।

"में तो शादी के बाद मुर्री जा कर ज़ाहिद के साथ अपने हनीमून मना चुकी हूँ, इसीलिए आज आप को मोका देना चाहती हूँ कि आप अकेले ज़ाहिद के साथ जा कर एंजाय कर सको,अम्मी जान!

जारी रहेगी"

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doindiadoindiaover 2 years ago

Good. Now, thats nice of you for submitting more words and pages in one post. dont post only single page in submission. God bless you. Keep it up. Khuda Hafiz.

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