एक नौजवान के कारनामे 146

Story Info
सुहागरात में नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग.
3.1k words
4.5
143
00

Part 146 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 10

नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग ​

फिर मेरे हाथ स्तनों पर से अपने हाथ नीचे की और बदाये और घाघरे पर पहुँच गए. मैंने घाघरे का नाडा ढीला कर दिया और हाथ अंदर सरका दिया। मेरी उँगलियों का उसकी पैंटी पर स्पर्श हुआ। वह गीली थी और मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी। मैंने धीरे से अपनी उंगलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाली और धीरे-धीरे उसे नीचे करना शुरू कर दिया। मैं उसकी कमर पर किस करने लगा और फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी। जूही मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी। जूही का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक। मैंने उनके एक-एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था।

मैंने उसे खड़ा कर दिया फिर दुसरे हाथ से घाघरे के नाडा खोल कर उसे नितम्बो से नीचे सरका दिया तो उनका घाघरा फिसल कर रानी जूही की पतली कमर से नीचे सरकते हुए उनके पैरों पर गिर पड़ा। मेरी नज़र सीधे जूही कि नाभी के नीचे दोनों जाँघों के बीच गई, जूही ने अपनी कमर में सोने कि एक करधनी पहन रखी थी, जिससे झूलते हुए सफ़ेद चमकीले झालरदार मोतीयों और घंटिया चूत की पहरेदारी कर रही थी। फिर मैंने उसके नितम्बो को पकडा और उन्हें सहलाया और उसके घुटनो पर अटकी हुई पैंटी उतार डाली। उसकी चुत पर कोई बाल नहीं था अच्छी तरह से उसने अपने चूत साफ़ करि थी। वह थोड़े गुलाबी रंग की थी और गीलेपन की कुछ बूंदे साफ़ दिख रही थी जूही की कमसिन कमर बल खा रही थी। मेरी हालात भी ख़राब हो चली थी। मैं अब जूही को देखने लगा।

मेरी नजरे रानी जूही के वस्त्रहीन शरीर पर उनकी नज़रों का अवलोकन करने लगी और उसने लज्जा से अपनी नज़रें झुका ली। उसके बालो में मोतियों और रत्नो से जड़ी हुई स्वर्ण की रत्नावली थी जो उसके सिर के बालों पर आगे से पीछे तथा ललाट पर सामने से बालों को कसे हुई थी। सोने की लड़ी मांग के बीच में तथा दूसरी ललाट के बीच से दोनों तरफ थी। इसी से मांग-टीका लटक रहा था। बालों के मध्य में कमलपुष्प की तरह चूड़ामणि सजी हुई थी और बालो में गजरा और वेणी के छोर से शंक्वाकार सेलड़ी आभूषण लटका हुआ था जिसमें छोटी घंटियाँ लटक रही थी। फिर नाक में बड़ी नथ थी जो उसके ओंठो को चूम रही थी। कान के झुमके उसकी सुराहीदार गर्दन के पास लटके हुए थे।

मेरी नजरे उनकी लम्बी सुराहीदार गर्दन पर गयी जिसमे उसने मोतियों और मणियों से जड़ा हुआ गले का हार पहना हुआ था जो उसकी चौड़े कंधो से होते हुए हुई उनकी उभरी हुई छाती तक था। हाथों में रत्नो और माणिक जड़ी स्वर्ण और कांच की चूड़ियाँ, भुजाओं में बाजूबंद थी और उनके कसे हुए वक्ष ऊपर कि ओर ही उठे हुए थे जिनपे सुशोभित थी मुक्ताकलाप की एक लड़ी की मोतियों की माला। ऊँचे वक्षस्थल नीचे की ओर पतली लचकदार कमर में परिवर्तित हो गई। उनकी नाभी गोल नहीं, बल्कि एक लम्बी संकरी छोटी-सी लकीर थी और कमर में नाभि के नीचे बहुत ही सुंदर कमरबंद, करधनी की चेन भी पहनी हुई थी जिससे झूलते हुए सफ़ेद चमकीले झालरदार मोतीयों और घंटिया उनकी नाभी के नीचे पेट की नीची ढलान से मुड़ कर उनकी योनि की पहरेदारी कर रही थी। पीछे की ओर जूही के गोल और सुडॉल नितंब बाहर की ओर निक्ले हुए थे। उनकी कोमल मांसल जांघे सटी हुई थी और पाओ में पायल और पैर की अंगुली के छल्ले पहने हुई थी।

उनका एक-एक बहुत सुन्दर वस्त्रहीन अंग देख कर मेरा लंड फटने को हो गया। उन्होंने अपने घाघरे और पैंटी से अपने पैर निकाल कर उसे वहीँ ज़मीन पर छोड़ दिया और धीरे-धीरे से वापस बिस्तर पर आ गयी। मैंने जूही का हाथ चूम लिया इस बीच मैंने मेरा उत्तेजित लंड रेशमी धोती से बाहर निकाल लिया और जूही का हाथ लंड पर रख दिया।

मेरे लण्ड को इस तरह से अनायास ही एकदम सामने देखकर जूही ने, शर्म के मारे झट से अपने अपनी आँखे ब्नद कर ली। लेकिन जूही ने मेरा कठोर लिंग पकडे रखा। अब मेरा 10 इंची लम्बा 3 इंची मोटा लंड तनकर पूरा 90 डिग्री का हो गया था और मेरे लंड पकड़कर सहलाने लगी और अपनी उँगलियों में लपेट लिया। उस समय जूही मेरी शक्तिशाली कमर पर अपनी नजर गड़ाए हुए थी। फिर उसने फैसला किया कि मेरा लंड काफी बड़ा था। जूही बोली कुमार ये तो बहुत बड़ा है क्या ये मेरे अंदर जा पायेगा। ये मेरी चूत फाड् तो नहीं देगा मैं बोला नहीं रानी साहिबा ये तो आशिक मिजाज हमारे प्यार और आनंद का औज़ार है इसी से तो हम दोनों के प्यार के मजे मिलिंगे। वह सोच रही थी कि ऐसे लंड से चुदना काफी मजेदार होगा। मैंने उन्हें उसे प्यार करने को कहा पहले तो वह घबराई फिर मेरे कहने पर लंड पर एक मीठी किस करि। फिर मेरे हिप्स भी हरकत करने लगे थे। मैं खड़ा हुआ और अपनी धोती को निकाल दिया। जूही की साँसे अनियमित होकर तेज़ चलने लगीं तो उसकी गोल चूचियाँ उसकी छाती पर ऊपर-नीचे ऊपर-नीचे होने लगीं।

उसके बाद मैंने जूही को लेटा दिया और उनसे चिपट गया मेरा लंड उनकी चुत ढूंढ़ने लगा और उनकी छाती मेरी छाती से दबने लगी और मैं उन्हें लिप किस करने लगा। मेरे हाथ उनके पीठ और चूतड़ दबाने लगे। जूही का हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। हम दोनों पूरी तरह से वस्त्रहीन थे और एक दुसरे के शरीर कि महसूस कर रहे थे।

उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा उन्हें जैसे करंट-सा लगा और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी। उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। उनकी चूत गीली होने लगी थी और मानो मुझे आवाज दे रही हो जल्दी चोदो मुझे। मैंने उनकी चुत को चूमा उनकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया। मैं उनकी चूत को चाटने लगा। उनके चूत के रस में क्या गज़ब का स्वाद था। जूही बोली बहुत अच्छा लग रहा है। फिर उसकी चूत पर अपना मुँह रखते ही वह जोर से चिल्ला उठी आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली की पंखुरियों को अलग करने की कोशिश की पर वह बहुत टाइट थी। मैंने दो उंगलियों की मदद से चूत की पंखुड़ियों को अलग किया। मैंने धीरे-धीरे चुत में ऊँगली घुसानी शुरू की डाल दी, तो वह ज़ोर से चिल्लाई आहह अब डाल दो, अब और इंतज़ार नहीं होता। प्लीज जल्दी करो ना, प्लीज आहहह। अब में उन्हें ऊँगली से लगातार चोद रहा था और वह ज़ोर से मौन कर रही थी, ये क्या कर दिया? अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। अब वह ज़ोर-जोर से हाँफ रही थी और जैसे कोई कई मीलों से दौड़कर आई हो और आहह, एम्म, ओह, आआआआआआअ, डालो ना अंदर जैसी आवाजे निकल रही थी।

फिर मैंने जूही के स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। कभी मैं निप्पल को उमेठता तो कभी स्तनों को दबा देता मैंने चूत को सहलाना शुरू कर दिया। फिर मैंने क्लिटोरिस को भी रगड़ दिया। जूही का बुरा हाल था। उनकी मुह से आहे निकल रही थी। वह मेरी उँगलियों द्वारा चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी।

अब मैं उसको चोदना चाहता था। मैंने अपना लैंड उसकी चूत पर रखा और चूत खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत टाइट थी। मैंने अपने उँगलियों से चूत को खोला और लैंड का गुलाबी सूपड़ा बिच में रख दिया।

फिर जूही से बोला रानी साहिबा क्या आप तैयार हो।

" हूँ।

मैं बोला रानी साहिबा आप मेरी आँखों में देखो। मैंने उनकी छाती पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया।

कमरे में तेल की रोशनी वाले दीयों से धीमी रोशनी थी और कक्ष के बाहर चांदनी रात के कारण दूधिया सफेद चांदनी छिटकी हुई थी।, जिसके ऊपर आकाश में तारो की सामूहिक चमक थी। इस शानदार सेटिंग में, मुझे रानी जूही को सहमति से चोदने का काम सौंपा गया था।

जिस तरह से राजमाता ने मुझे सब समझाया था वैसे ही राजमाता ने अपनी बहू को भी समझाया था और सम्भोग का आनंद लेने का निर्देश दिया था। हालाँकि इसमें मेरे लंड के आकार का विवरण शामिल नहीं था। परन्तु मुझे नहीं बताया गया था कि पूरे नियोग और गर्भादान की प्रक्रिया को सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए और साथ में ये सुनिश्चित करने के कि सब कुछ स्क्रिप्ट के अनुसार हो, राजमाता एक शीशे के पीछे से सब देख रही थी।

मेरी छाती उसकी छाती को दबा रही थी। अब समय था लंड के योनी में प्रवेश करने का। अब उसे अपने पैरों को चौड़ा करना था ताकि उसकी जांघों के अंदर का नरम हिस्सा खुल जाए और मैं खुरदुरे, बालों वाले अपनी टांगो को उसमें धकेल दू।

जब उसका हाथ मेरे लंड को पकड़ने के लये मेरे लंड पर आया तो यह वास्तव में सहज प्रवृत्ति थी। लंड को अब प्रवेश के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता थी। जब उसने लंड की पकड़ा तो आगे क्या होने वाला है ये सोच कर वह घबराने और हाफने लगी। उसका हांफना अनैच्छिक था और मेरे लंड के विशाल आयाम इसका मुख्य कारण थे। यह बहुत हद तक उसकी कल्पना से बहुत बड़ा, गर्म और कड़ा था और वह तुरंत मेरे लिंग को अपने धड़कती हुई, खुली, गीली और प्रतीक्षारत योनी के में उसे लेना चाहती थी।

सतर्क राजमाता ने हांफने की आवाज सुनी और अपनी बहू का हाथ हमारे शरीरों के बीच गायब देखा।

"जूही, कुमार!" राजमाता ने जोर से कहा "क्या इस समय पर्याप्त स्तम्भन है कि आप प्रवेश कर सको"?

रानी जूही ने स्पष्ट रूप से धड़कते हुए मेरे विशाल लिंग पर अपनी पकड़ ढीली की, लेकिन उसे छोड़ा नहीं। उसकी हथेली ने लिंग को पकड़कर महसूस किया उसका अंगूठा लंडमुंड पर घूम रहा है और वह मेरे लंग की बनावट और आकृति को महसूस कर रही थी।

मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राजमाता इन अंतरंग पलो में हमें देख रही थी और मैंने चारो तरफ देखा की आवाज कहाँ से आयी, "रानी साहिबा" राजमाता को सुनाने के लिए मैं बड़बड़ाया।

जूही पुत्री तुम अपनी टांगो को फैलाओ और लिंग को योनि द्वार पर स्थापित करो और कुमार आपको स्मरण होगा जब लिंग योनि के द्वार पर स्थित हो तो आपको क्या करना है?

रानी जूही पर उनके शाही उपाधि के उपयोग का आवश्यक प्रभाव पड़ा और उन्होंने राजमाता के निर्देशानुसार अपने दोनों हाथों को अपने सिर के बगल में तकिए पर रख दिया और अपनी जांघों को फैलाकर मुझे अपनी योनि में प्रवेश की अनुमति दी। मैंने लंड को पकड़ लिया और कुछ बार उसकी चूत के होठों और भगशेफ पर रगड़ा। ये देख कर की हम ठीक रास्ते पर हैं राजमाता ने धीरे-धीरे अपनी सांसें छोड़ दीं।

उन्हें थोड़ी राहत महसूस हुईऔर अब वह आराम से बैठ गयी और अब उन्होंने पहली बार ये महसूस किया कि वह क्या देखने जा रही थी, उतेजक दृश्य देखने के प्रभाव से उन्होंने अपने भीतर तरल पदार्थ का स्राव महसूस किया। वह मेरे लंड के आकार को देख चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी साथ में गुप्त रूप से चिंतित भी थी कि क्या जूही को बहुत अधिक दर्द महसूस होगा और कहीं वह दर्द के कारण मुझे दूर तो नहीं धकेल देगी। वह यह भी जानती थी कि लिंग की मोटाई और लम्बाई सुखद भावनाओं प्रदान करेगी, लेकिन दर्द नहीं होगा इसका कोई आश्वासन नहीं था।

इन परिदृश्यों को दोहराते हुए और अपने गुप्त कक्ष जो की उस विशेष रूप से निर्मित किया गया था जिसमे ये तो स्पष्ट दिख रहा था कि हम दोनों क्या कर रहे है लेकिन उस कक्ष में ऐसे शीशे लगे हुए थे की उनकी दूसरी और कौन बैठ हमे देख रहा है ये हमे बिलकुल नहीं मालूम था। उस अष्टकोणीय कक्ष में एक और शौचालय था और अन्य सात कोने में से तीन कोनो में कामुक पेंटिंग लगी हुई थी। राजमाता भारी सांस लेते हुए अपनी सीट पर बैठ गयी।

जूही ने मेरी आँखों में देखा। उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और उसका सुहावना शरीर लहर में मेरे सामने था। ऐसा लगता था कि उसका शरीर मुझे निरोधक अनुबंधों के उल्लंघन के लिए आमंत्रित कर रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने अपनी मुट्ठी बंद कर ली थी और वह मेरे कठोर लंड से सम्भोग सुख प्राप्त करने और अपनी प्रतिक्रियाओं को दबाने के लिए खुद को तैयार कर रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी रुई से भी मुलायम योनि के ओंठो को दोनों तरफ हटाया और उनके बीच का पतला नन्हा-सा लकीरनुमा छिद्र उदघाटित हो उठा। फिर मैंने लंड को उस छेद पर लगाया और फिर ऊपर उठ कर जूही के होंठों से अपने होंठ सटा दियें, मानो इतनी मनमोहक चूत भेंट करने हेतु उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज़ाहिर कर रहा हूँ। अपने शरीर पर मेरे शरीर का भार महसूस करते ही जूही चुम्बन में लिप्त धीरे-धीरे पीछे गिरते हुए अपने पीठ के बल लेट गई, तो मैं उसके शरीर के ऊपर आ गया। उन्होंने अपने होंठ जूही के होठों से अलग कियें और उनकी जाँघों के मध्य अपनी कमर धीरे-धीरे हिलाते हुए अपने लण्ड के नुकिले सुपाड़े से उनकी चूत का छेद को दबाने लगा! परन्तु जूही की योनि इतने कसी हुई थी की मेरा सुपाड़ा बस योनि के ऊपर-ऊपर ही रगड़ खाता रह गया!

उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने पूरे शरीर को जकड़ लिया क्योंकि उसने महसूस किया कि मेरे लंडमुंड उसकी चूत के होंठों से स्पर्श कर रहा है है। मैंने रानी की योनि के नरम रेशमी मुलायम होंठों को अपने लिंग के सिर महसूस किया और मैंने खुद को योनि में प्रवेश के लिए तैयार किया। मुझे आंशिक रूप से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि उसके अक्षत योनि की पंखुड़ियाँ चिपकी हुई थी और मेरे लिंग का सर उसकी योनि के द्वार से थोड़ा चौड़ा था।

एक कर्तव्यबद्ध सिपाही के रूप में, मैंने दर्द या चोट की परवाह किए बिना, जो कि हो सकता है वह किया और अब ये आमने-सामने की लड़ाई थी और यह मेरे लिंग और-और रानी की योनि के बीच थी।

राजमाता की अनुभवी आँखे माजरा भांप गयी और बोली पुत्री आप सुनिश्चित करि की लिंग उचित स्थान पर हो। "। जूही ने तुरंत ने अपनी नंगी टांगें पूरी तरह से खोलकर फैला लिया और अपना हाथ नीचे अपने और मेरे चिपके हुए पेट के बीच से डाल कर अपनी चूत के छेद पर मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया और बोली अब!

इशारा मिलते ही और नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने अब तनिक भी देर और प्रतीक्षा किये बिना ही एक धीमा, परन्तु सख़्त झटका लगाया और सुपाड़े को राजकुमारी जूही कि चूत में प्रवेश करा दिया!

"हाय कुमार मैं मर गयी!" जूही दर्द से बिलबिला उठी।

मैं घबरा कर रुक गया।

"मेरी पीड़ा कि चिंता ना कीजिये कुमार।" अनियमित रूप से साँस लेते हुए जूही बोली।

फिर मैंने धीरे-धीरे अन्दर डालना शुरू किया। फिर धीरे से थोडा पीछे और फिर अन्दर की ओर बढे लेकिन चूत बहुत टाइट थी और आराम से अंदर जा नहीं रहा था। मेरे लिए भी रुकना मुश्किल हो रहा था। फिर मैंने एक कस कर जोर लगाया और अब लंड दो इंच अंदर चला गया। जूही चीखने चिलाने लगी। हा, राआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

जूही अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी।

यहाँ तक की वोह मेरे लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी। लिंग उसकी चिपकी हुई योनि की मांसपेशियों को बलात लाग कर आगे बढ़ रहा था। एक बार फिर मैं पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया। मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर एक इंच और अंदर चला गया था। अगली बार के धक्के में मैंने थोडा दवाब बढ़ा दिया। मेरी साँसे जल्दी-जल्दी आ रही थीं। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था। लंड झिल्ली तक पहुँच चूका था मेरा लंड रानी साहिबा के कौमार्य की झिल्ली से टकरा रहा था।

इस बार मैंने थोड़ी ज़्यादा सख़्ती के साथ आगे कमर उचका कर धक्का लगाया, तो लण्ड का सुपाड़ा जूही रानी कि चूत कि नरम पतली झिल्ली को फाड़ कर सट से अंदर दाखिल हो गया। झिल्ली के फटते ही चूत से रक्त निकल पड़ा। असहनीय दर्द के मारे बेचारी चिंहुक उठी, परन्तु अपने दांतो से अपने होंठ दबाकर अपनी चीख रोके रखी, अपने लण्ड, अंडकोष और जाँघों पर कुछ गरम-गरम और गीला गीला-सा महसूस करते ही मैं समझ गया कि जूही भाभी का कौमार्य भंग हो गया है और उनकी क्षतिग्रस्त चूत से उनका कौमार्य भंग होने से खून गिरना शुरू हो चुका है।

प्रतिरोध केवल बाहरी और भौतिक था। जैसे ही बाहरी पहुँच बाधा बनी हुई कौमार्य की झिल्ली को भंग किया गया, पूरे मार्ग ने रास्ता दे दिया। आक्रमणकारी का स्वागत करने के लिए योनि में से स्नेहन की लहर आयी। रानी जूही के गर्म, गीले और स्वागत योग्य मार्ग ने उस रस को स्पंज की तरह चूस लिया, जिससे मेरी एक जोर से कराह निकली, जिससे मेरा पूरा लंड पूरा अंदर चला गया। राजकुमारी जूही कि चूत इतनी टाइट और चुस्त थी कि पूरे दस मिनट लग गए मुझे अपना पूरा लण्ड उनकी चूत कि गहराईयों में उतारने में!

फिर मैंने लंड थोड़ा पीछे किया और मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह माँ" जूही के मुह से निकला। जूही के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 10 इंच अन्दर तक चला गया था। जूही की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी। उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था। अब दर्द बर्दाश्त के बाहर हो गया तो जूही दर्द के मारे चिलाने लगी आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! बहुत दर्द हो रहा है और आँखों से आंसू निकल आये। जूही की चूत बहुत टाइट थी।

उसने आखिरकार अपना कौमार्य खो दिया था। चुलबुली गर्माहट ने मुझे सम्मोहित कर लिया। फिर लंड और योनी के बीच की केमिस्ट्री हावी हो गई और योनि की मांसपेशिया लिंग के लिए समायोजित होने लगी। मासपेशियो के संयोजित होने की संवेदनाओं की विशालता को जूही ने मह्सूस किया।

कहानी जारी रहेगी

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