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Click here"ठीक है..बुधवार को रजिस्ट्रेशन ऑफिस में मिलूंगा..." कह कर वह चला गया. उसने दीपा पर नजर तक नहीं डाला।
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राव के जाने के बाद गंगाराम ने स्नेहा के कन्धों पर हाथ रख कर कहा..."राव को रोक के रखने के लिए थैंक यू स्नेहा..." और उसके गालों को चूमा। स्नेहा झट अपने दोनों बाहें गंगाराम के गर्दन में डाली और उस से लिपटती फफक कर रोई। गंगाराम गभरा गया.. "अरे स्नेहा...ऐसा क्यों रो रहे हो...? क्या हुआ...?" उसके पीठ को सहलाता पुछा।
स्नेहा उस से अलग हुए बिना ही सुबक ते.."अंकल उसने ..में...रे..से...जबर.....दस्ती...." कह कर रुक गयी।
"Kyaaaaa....? गंगाराम चकित रह गया।
स्नेह अभी भी सुबक रही थी....
"उसने कुछ किया....?" स्नेहा की पीठ सहलाना जारी रखते पुछा।
स्नेहा ने न में सर हिलायी और सुबकती बोली... "उस राव ने मेरे से जबरदस्ती करने की कोशश की... कह रहा था मुझे जो चाहे दे देगा... एक बार... कह रहा था।' वह वैसे ही सुबक ते बोली और फिर शुरू हुई "मैंने उस से कहा की अगर वह मुझे जबरदस्ती करेगा तो..मैं खुदकशी कर लूँगी.. फिर मेरे अंकल को कहना की मैं क्यों खुदकशी करि..." तो वह रुक गया... नहीं तो..." स्नेहा की शरीर ने एक झुर झूरी ली।
"सस्साला.... हरामजादा .. ऐसा करा उसने.. मैं अभी उसका डील कैंसिल करता हूँ... मैं उसकी डाक्यूमेंट फाड़ देता हूँ..." कहते गंगाराम ने डाक्यूमेंट निकाल के फाड़ने जा रहा था।
स्नेहा ने उसे रोकते... "नहीं.. ऐसा मत करिये... अंकल... अभी तो मैं सेफ हूँ... डॉक्यूमेंट फाड़ने से जो हुआ वह अनहोनी तो नहीं होजाएगी"
"नहीं स्नेहा... उसे सबक सीखाना चाहिए..."
"सबक सीखना अपना नुकसान करके नहीं अंकल... मेरे पास एक आईडिया है..." स्नेहा बोली।
"क्या..." गंगाराम का गुस्स अभी कम नहीं हुआ...
"वह कह रहा था की उसकी एक बेटी है... कॉलेज पढ़ती है... किसी तरह उस से मेरी इंट्रो कराओ.. फिर देखो.. साला.. उसकी बेटी तुम्हारे निचे होगी..."
"वह क्या प्लान है..येहि ठीक होगा... उसके घर मेरा आना जाना तो है ही... चांस मिलते ही में उसकी तुमसे परिचय करादूंगा..."
गंगाराम की ऐसा कहने से स्नेहा ने एक लम्बी सांस ली।
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बुधवार को गंगाराम और स्नेहा रजिस्ट्रेशन ऑफिस में थे और राव का वेट कर रहे थे। गंगाराम ने स्नेहा को आज छुट्टी लेने को कहा था तो स्नेहा ने आधे दिनकी छुट्टी ली।
बारह एक बजे रजिस्ट्रेशन हो गया।
गंगाराम राव का दिया हुआ कमीशन की चेक हाथ में लेकर स्नेहा से पुछा.. "स्नेहा तुम्हारा कोई बैंक अकाउंट है क्या...?"
"हाँ अंकल.. है.. मेरे डॉक्टर साब कभी कभी मेरी सैलरी चैक में देते हैं..."
"कितने रुपये हैं...?"
"यहि कोई दो या तीन हजार...बस.... "
ठीक है में तुम्हे एक नया बैंक अकाउंट खुलवाता हूँ.. चलो पहले खाना खाते है! गंगाराम और स्नेहा दोनो एक होटेल में जाकर लंच करते है। गंगाराम में कुछ अच्छे गुण है.. उसमे से एक उसे कोई भी प्रॉफिट हो उसमे से उसने प्रॉफिट दिलाने वालों को कुछ हिस्सा देदेता है... आज भी उसका इरादा यही है.. लगभग ढाई लाख कंमिशन मिली उसको... उसमे से कुछ वह स्नेहा की नाम करना चाहता था।
दोनों बैंक जाते है और 5000 रूपये से एक बैंक अकाउंट खुलवाकर उसमे 60 हजार रूपये जमा करता है।
स्नेहा बैंक बैलेंस देख कर चकित रह जाती है... "अंकल यह क्या... इतने रूपये.. मेरे नाम पर..."
"हाँ स्नेहा... यह रूपये तुम्हारे ही है... राव से तुम्हारे साथ जो बीती फिर भी तुमने उसे रोक के रखा.. और मैं ग़ुस्से मे डॉक्यूमेंट ही फाड़ देने वाला था.. लेकिन तुमने मुझे रोका... देखो.. मुझे जो कमीशन मिली उसमे से थोड़ा .. तुम्हारे नाम पर... "
"ओह अंकल..." वह उस से लिपट गयी..."
चलो चलते है... यहाँ से तुम घर जाओ.. में ऑटो बुलाता हूँ.. कह कर उसे स्नेहा को ऑटो में चढ़ाया और किराया भी भर दिया..."
स्नेहका चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था...
तो दोस्तों.. यह थी स्नेहा और गंगाराम की एक और किस्सा.. आगे क्या हुआ.. यह हम बाद में जानते है...
इस एपिसोड पर आपका कामेंट जरूर लिखे...
तब तक के लिए.. गुड बाई....
स्वीटसुधा26
The End
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