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Click hereकहानी एक बेटी अपने पापा के साथ कैसे अपनी गांड मरवाई।
किसी ने मेरे माथे को चूमना महसूस कर मैं अपने आंखे खोली। होटल की कमरे की खिड़की से भोर होने का अहसास हुआ। पापा मरे ऊपर झुक कर मेरे माथे को चूम रहे थे।
मेरे आंखे खोलना देख पापा बोले "उठ गयी मेरी गुड़िया... गुड मॉर्निंग" कह अबकी बार मेरी आँखों को चूमे।
"गुड मॉर्निंग पापा..." कहते मैं उठी।
"चल गुड़िया पानी नहाते है" और पापा ने मुझे अपने गोद उठाकर बातरूम की ओर चले। में अपने बाँहों का हार पापा के गले डाली। हम दोनों अभी भी नंगे ही थे। पापा ने रात को एक बार और मुझे चोदे थे। सच पापा से चुदाने में मैं बहुत थ्रिल महसूस की। हम दोनों पानी नहाकर बाहर निकले। बाथरूम में भी हम दोनों छेड़ चाढ़ करते हँसते हँसाते पानी नहाये। तब तक सुबह के आठ बजे थे। पापा ने आर्डर देकर नास्ता मंगाए। दोनोने नाश्ता किया और होटल से बाहर निकले। एक ट्रेवल से हमने एक टैक्सी बुक किये और आधा दिन की टूर पर गए। जब हम वापिस आये तो दो पहर के दो बजे थे। हमारा बस रात के दस बजे है।
हम यानि की मै और पापा बेड पर लेटे और गप्पे मारने लगे।
मैं पापा के चौड़े सीने पर सर रखकर लेटी हूँ और पापा मेरे मुलायम गालों को सहला रहे है। मैं बचपन से ही पाप कि चहेती और लाड़ली थी। पापा मुझे बहुत प्यार करते थे और करते हैं। मेरे बड़ा भाई और मेरे छोटा भाई और बहन पापा से लड़ते रहते थे की उन्होंने जितना प्यार मुझे करते उतना उन लोगों से नहीं। मांका भी यही ख्याल है। पापा मुझे एक भी बात नहीं कहते थे और न किसी को कहने देते थे। जब पापा घर में हो तो मां मुझे गुस्सा करनेसे या डांटनेसे कतराती थी की कहीं पापा उन्हें कुछ नकहे। मुझे उतना प्यार करते हैं पापा। उन्होंने मेरी हर ख्वाईश पूरी की। लेकिन यह सब एक पिता का अपनी बेटी से प्यार ही था। फिर कैसे पापा को मेरे से सेक्स करने का ख्याल आया मुझे आश्चर्य लगता है।
मेरे गलों को सहलाते सहलाते पापा के हाथ अब मेरे चूची पर लाये और खिलवाड़ करने लगे।
"पूजा..." पापा मुझे बुलाये।
"हाँ... पापा..." में उनके छाती से सर उठाकर उन्हें देखती पूछि।
"कल मज़ा आया...?"
पापा के ऐसे पूछने से मैं मुहं शर्म लाल होगयी। "जाओ पापा आप भी न..." मैं टुनकती बोली।
"मेरी गुड़िया रानी..सच बोलना.. मेरी उम्र होगयी ..तुम तो तेरे जवान मस्टर से करवाई है। शायद तुम्हे उनसे जयादा मज़ा आया होगा.. है न...?" बोले।
"नहीं पापा.. सच कहूँ तो मुझे आप से ही बहुत मज़ा आया है...आपका इतना लम्बा और मोटा है.. "
"क्या तुम्हारे मास्टर का इतना लम्बा नहीं है..?"
"नहीं पापा उनका न इतना लाम्बा है और न मोटा है। जब आपका पहली बार मेरे अंदर जा रहा था तो मुझे ऐसा लगा की मेरी फट गयी। लेकिन बाद में बहुत मज़ा आया..सच.. You are a great Fucker" कह कर में उनसे लिपटी और उनके गलों को चूमने लगी। अब पापा मेर कड़क हो रहे निप्पल को कुर्ते के ऊपर से ही पिंच करने लगे।
फिर मैं उनके के होंठों को मेरे मुहं में लेकर चुभलाने लगी। पापा के जीभ मेरे जीभ से लड़ने लगी। पापा के एक हाथ मेरे चूतड़ पर रेंगते रेंगते मेरे गांड के दरार में फिरने लगी।
"पूजा तेरी गुदा तो मस्त है.. ऐसी गांड तो में बहुत कम लोगों का देखा हूँ। कल तुमने प्रॉमिस किये थे अपनी गांड मरवाने की याद है...?" मेरी गांड की छेद पर उनकी ऊँगली दब रही थी।
"पापा एक बात पूछू...?" मैं बोली।
"हाँ। .. हाँ पूजा पूछो...."
"आप का प्यार मुझ पर एक पिता का एक बेटी के ऊपर प्यार जैसा ही था... फिर अचानक आपको मेरे से सेक्स करने का थॉट कैसे आया....? मैं कल से इसी बात सोच रही हूँ।"
पापा कुछ देर कुछ सोचते रहे और बोले "यह छह या सात महीने पहले की बात है। उस दिन रविवार था। सुबह के ग्यारह बजे थे। में वरांडे में चहल कदमी कर रहा था। तुम्हरी बेड रूम की खिड़की एक वरांडे में खुलती है। मैं चहल कदमी करते करते एक बार तम्हारे कमरे के अंदर झाँखा तो मेरा दिमाग सन्ना गया। अंदर तुम कपबोर्ड़ के सामने खड़ी थी। तुम्हरी कमर पर सिर्फ एक टॉवल बंधी थी बाकि का सारा शरीर नंगा था और तुम्हारे पीठ पर पनि के बूंदे चमक रही थी। कमरे की लाइट की रौशनी में तुम्हारा शरीर चमक रहा है। तुम कपबोर्ड़ में कुछ ढूंढ रही हो। कुछ देर बाद तुमने एक ब्रा निकाली। लेकिन वो ब्रा तुम्हारा हाथों से नीचे गिरी और जैसे ही तुम ब्रा उठाने झुकी तो तिम्हरा टॉवल भी खुल गया और वह भी नीचे गिरी।
तुम झुकी हुयी थी और तुम्हारे कूल्हे खुल कर दरार के अंदर तुम्हारी गोल छेद दिखी और उसके नीचे तुम्हारे फूली हुयी बुर की फांके। वह नज़ारा तो मेरे माइंड में इंप्रिंट (imprint) हो गया! अब जब भी आंखे बंद करता हु तो तुम्हारी वही नंगी कूल्हे, बीच की दरार और नीचे तुम्हरे फांके ही आँखों के सामने घूमने लगी। तब पहली बार मेरी समझ में आया की मेरी बेटी कीतनि सुन्दर और जवान है।
उसके बाद मैं जब भी तुम्हारे मम्मी को ले रहा हूँ मेरी आँखों के सामने तुम और तुंहारी नंगा शरीर ही देखने लगा और मम्मी को जम कर चोदने लगा। मेरी उस चुदाई देख कर तुम्हरी माँ कहती 'क्या बात है जि आज कल बहुत जोश में ले रहे हो। कोई जवान छोकरी की याद कर रहे हो क्या..?'
कई बार सोचता हूँ की 'हाँ मेरी बेटी की सुंदरता और जवानी याद आ रही है' कहूँ, लेकिन अपने आपको संभल रहा हूँ"। पापा रुके।
"अगर आप ऐसा कहते तो क्या होता पापा...?" मैं पूछी।
"क्या होता.. तौबा तीसरा महा युद्द हो जाता घर में"।
"अगर अब मालूम हो गया तो...? में फिर पूछि।
"तुम बोलोगि कया तुम्हरे माँ से...."
"ना बाबा न.." मेरी शरीर में एक झुर झूरी हुयी।
"अच्छा फिर क्या हुआ पापा...?" में उनके हाथ को मेरे स्तनों पर लेकर पूछी।
उसके बाद मैं तुम्हे ध्यान से देख ने लगा। तुम्हारी थिरकती बूब्स, मटकती कमर, कमर के निचे की कूल्हे, तुम्हरी चाल, हाव भाव बहुत ध्यान से देखने लगा। जितना देखा उतना तुम मेरे दिल में समां गयी हो। मैं मौके की तलाश में था की तुम्हरे पर हाथ कैसा डालूं। तम मेरी गुड़िया हो। तुम भी मेरी हर बात मानती हो इसीलिए मैं तुम्हे मेरे से सेक्स के लिए तय्यार कर सकता हूँ यह उम्मीद थी लेकिन हाथ डालने का चांस नहीं मिल रहा है घर में।
फिर जब परीक्षा लिखने का अवसर आया तो में यह अवसर खोना नहीं चाहता था। इसीलिए मैं तुम्हारे भैया को भेजने के स्थान पर मैं ही आ गया तुम्हारे साथ और उस रात बस में..." पापा रुके।
क्या हुआ पापा बस में...?" में अनजान बनके पूछी
फिर पापा उन्होंने बस में मेंरे साथ क्या क्या करे सब बोले।
"क्या पापा.. यह सब आपने मेरे साथ किये थे..?" मैं आश्चर्य जताते पूछी।
"हाँ क्यों..? तुम बहुत गहरी नींद में थी.. तुझे कुछ भी पता नहीं चला होगा..."
"ओह..." में बोली।
क्या हुआ बेटी..." ऐसा क्यों बोली।
"नहीं पापा आप यह सब मेरे साथ करते रहे.. और में समझ रही थी की यह सब मेरी स्वप्न था। मैने यह सब महसूस किया यहाँ तक की अपने मेरे मुट्ठी में अपना पकड़ाया था वह बह.. लेकिन मैं यही समझ रही थी की यह सब सपना है।
"नहीं सपना नहीं था बेटी यह सब हुआ था और यह सब तुम्हारे subconscious mind में बैठ गया.... इसीलिए यह सब तुम्हे सपना लगा।"
"आप नौटंकी है पापा... आखिर आपने अपनी बेटी को ही पटालिये ..." में उन्हें चिढ़ाती बोली।
"तुम्हे पसंद आया न.." पापा पूछे।
"हाँ पापा... बहुत पसंद आया। . लेकिन मैं समझ रही थी कि यह एक सपना है.. नहीं तो..."
"वूं... नहीं तो क्या करति। ..?"
"क्या करति...तुम्हे मेरी मुट्ठी में बांध लेती और तुम्हारे हाथ को मेरे जांघों के बीच ले लेती।
"चलो जो हुआ अच्छा हुआ अब यह बोलो तुम अब तुम्हरा गांड मारने देगी न, तेरी गांड तो मस्त है..."
आप पहले मेरे बुर को खाइये पापा बहुत खुजलि हो रही है" मैं बोली और चित लेट कर अपने टंगे पैला दी। पापा मेरे टांगों के बीच आये।
अब मैं और पापा 69 की पोज़ में थे। में नीचे और पापा मेरे ऊपर और मेरी रिस रही बुर को चाट रहे थे, और में उनकी 9 1/2 इंच लम्बी लंड को गले तक निगल चुकी हूँ। मेरा सारा शरीर में आग लग चुकी है और बुर में चुदास के कीड़े रेंगने लगे। पापा मेरे कूल्हों को दबाते चूत को चाट रहे है।
फिर कुछ ऐसा हुआ की मेरा सारा शरीर झन झना उठा। ऐसा लगा मैंने एक लाइव करेंट वायर को पकडी हूँ। मैंने महसूस किआ की पापा की जीभ मेरी नितम्बों के बीच के छेद को खुरेद रही है।
"पापा यह क्या कर रहे हो आप...?" मैं पूछी।
"मुझे रोको मत बेटी, तुम्हारा यह इतना मस्त है और स्वादिष्ट भी" और पापा की टंग (tongue) फिर से मेरी गांड की छेद में घुसा दिए। पापा अपने जीभ को रोटेट करते घुमा रहे थे तो मेरे बदन में सर सराहट हुई और हल्का सा कम्पन भी।
"ओह पापा आअह्ह्ह यह सुर सुराहट मुझ से सही नहीं जाती" मैं अपनी कमर उछालते बोली।
"बेटी क्या तुम्हारी गांड को किसी ने नहीं खाया अभी तक...?" पापा आश्चर्य पूछे ।
"नो पापा.. नहीं..."
"तो मेरे लंड को चूसते रह और मेरे से गांड चूसने का मज़ा ले।
"वाव... तुम्हरा गांड कितना टेस्टी है बेटी क्या तुम्हारा मास्टर ने तुम्हारे गांड नहीं मारी...?"
"नहीं पापा.."
"तो क्या तुम्हारी गांड कुंवारी है.. बेटी..."
"हाँ पपा मेरी नीचे की छेद कुंवारी है..." मैं बोली!
"पूजा बेटी तुम मुझे अपना कुंवारी गांड मारने देगी...?" पापा मेरे बुर की क्लीट को चबाते पूछे।
"पापा आप इतने अच्छे है.. में आप को न नहीं कह सकती; लेकिन ढर लग रहा है.." मैं पापा से बोली।
"ढर.. अरे ढर किस बात का...?"
"आपका इतना मोटा और लम्बा जो है..."
"गभराओ नहीं मेरी गुड़िया.. में प्रॉमिस करता हूँ की तुम्हे मालूम ही नहीं होगा की अंदर कब गया...? मुझ पर भरोसा रख...जब भी तुम्हे दर्द होगा मैं रोक दूंगा ठीक.."
"ओके पापा मैं आप पर भरोसा करती हूँ पर संभल के मैं आप की गुड़िया हूँ यह मत भूलिए" मैं अपनी हथियार डालती बोली।
में 'हाँ' बोलने की देरी थी की पापा ने मुझे औंधे सुलाकर मेरे पेट के नीचे दो तकिये लगाए ता की मेरी चूतड़ ऊपर को उठ सके। में एकबार कुन मुनाई।
पापा नीचे उतरे और अपनी पैंट की जेब से एक छोटी सी बोतल ले आये।
"यह क्या है पापा...?" मैं पूछी।
पापा ने मुझे उस बोतल को दिखाए। वह एक पेट्रोलियम जेली की शीशी थी!
पापा ने उस शीशी को सवेरे एक जनरल स्टोर से खरीदे हे। ओह तो पापा ने पहले से ही अपना मन बना लिये थे की वह मेरी कुंवारी गांड मारेंगे। इसलिए उन्होंने पेट्रोलियम जेल्ली खरीदी है।
पापा ने शीशी से ढेर सारा जेल्ली अपनी ऊँगली से निकाले और मेरे गांड की छेद पर चिपड़ने लगे। छेद के आस पास जेली लगते हल्का सा अपना ऊँगली को अंदर पुश किये।
ऊँगली का एक टकना मेरे गोल छेद में घुस चुकी है और वहां मर्दन करने लगे। मर्दन करते करते धीरे धीरे अपनी फिंगर को अंदर धकेलने लगे।
मुझे महसूस ही नहीं हुआ है की पापा की ऊँगली कुछ ही देर में मेरी गांड में अंदर बहार होने लगी और मुझे उसका पता ही नहीं चला। देखते ही देखते पापा का दूसरी ऊँगली भी अंदर डालने लगे। मेरी गांड की मांस पेशियों मुझे कुछ प्रेशर सा लगा। फिर ढेर सारा जेल्ली मेरी गोल छेद पर लगाकर अब दो दो उंगलिया अंदर बहार करने लगे। और मुझे कुछ दर्द ही महसूस नहीं हुआ।
पापा बार बार मुझे पूछ रहे थे की कहीं मुझे लग तो नहीं रहा है या दर्द हो रहा हो.." और मैं ना में सर हिला रही थी। सच मानो तो, मुझे अब मज़ा आने लगा। मालूम होता ही पापा इस विषय पर बहुत अनुभवी है, होंगे भी आखिर वह आज के दिन 45 साल के है! जरूर अनुभवी होंगे। और उनका अनुभव मुझे सातवे आसमान उडा रहे है।
"आजाओ मेरी गुड़िया... अब तुम्हारी गांड तैयार है, अब पापा के लंड को भी तय्यार करो..." कहते उन्होंने मेरे सामने अपना कड़क हो चुकी लवडे को लहराये। मैं झट अपने मुहं खोल पापा का इस्पात के चढ़ को अपने मुहं में ली और उसे चूसते उस पर अपना झूटन लेपने लगी। पांच या छह मिनिट मैं चूसी और पापा का हथियार पूरा मेरी स्पिट (spit) से चिकना हो गयी।
अब पापा ने मुझे अपने हाथों पर और घुटनों पर करे तो में एक चौपाया बनी। मेरे सर के पास एक तकिय रख उसपर मेरा मुहं लगाने को बोले। में वैसे ही करि। अब मेरी पोज़ यह थी की में अपने मुहं को अपने कोहनियों पर रख घुटनों के बल झुकी थी और मेरे मुलायम नितम्ब और वेसिलीन से लिपि मेरी गोल छेद छत को देख रहे है। फिर पापा मेरे पीछे आये और मेरे कूल्हों को पकड़ कर मेरी गांड के दरार में अपने मुस्सल को दबाये। पपा का मोटा सूपड़ा मेरी गोल छेद पर दबवा दाल ने लगी।
पापा की मेरि झूटन से चिकनी हुई चढ़ और वेसलिने से चिकिनी हुई मेरी गांड अब आमने सामने है। पापा ने एक हल्का सा दबाव अपने लंड पर दिए और उनका पूरा सूपड़ा मेरे अंदर चली गयी! और सच में मुझे पता ही नहीं चला कि जब तक पापा कहे "पूजा बेटी डिक हेड इस इन...." (Dick head is in)
"सच पापा.." में चकित होकर पूछी।
"हाँ पूरा सुपाड़ा निगल गयी तेरी भूखी गांड ने.." मेरी कूल्हों पर एक चपत दिए और बाकि का अंदर डालने लगे। उनका हथियार और मेरी गांड दोनों ही lubricate होने की वजह से एक और पुश (push) के साथ पापा का आधे से ज्यादा मेरे अंदर चली गयी।
"आआआह्ह्ह्हह्हआआ" मेरा मुहं से एक मीठी सिसकार निकली।
एक और हलका सा दबाव अब की बार उनका पूरा का पूरा लम्बाई मेरे पिछले छेद में झड़ तक समां गयी। "मममम.. पापा... हहआ" मेरे मुहं से खुशियों से भरी आवाजें निकल रहे है।
पापा का मोटापन मेरे अंदर एक थ्रिल पैदा कर रहे है। पापा भी आनंद से सीत्कार करने लगे।
"बेटी.. मेरी गुड़िया.. आआह.. क्या तंग है तेरी गांड..सच बहुत मज़ा आ रहा है ... ले... ले पापा का अपने गांड में.. और अंदर तक ले..." और क्या क्या बोल जा रहे थे कुछ याद नहीं।
पापा ने अपना लवडे को सुपडा तक बाहर खींचे फिर अंदर तक झड़ तक धकेले। अब मुझे मज़ा आने लगा और मैं अपनी गांडको पीछे धकेलने लगी। फिर पापा अपना मूवमेंट चालू रखे। पापा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वह ख़ुशी के मारे चिल्ला रहे थे।
"आह..मैं कितना लकी हूँ... और बेटी चोद हूँ, मैं मेरी जवान, सुन्दर बेटी की गांड मार रहा हूँ, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है। बेटी सच बोलना तुम्हे पापा से चुदवाने में आनंद आ रहा है की नहीं"।
"आह पापा... मुझे तो बहुत मजा आ रहा है.. सच मानो तो मुझे भी विश्वास नहीं होरहा है की आपका इतना मोटा डंडा मेरि तंग गांड में समां गयी है! "
"मारो.. अपनी बेटी की गांड और मारो..." कहते मैं अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी।
मुझे एक अनोखी मज़ा आ रही है। वही बात मैंने पापा से कही "ओह पापा आपका बहुत मजा दे रहा है। चोदो.. अपनी बेटी की गांड को चूत समझ कर चोदो। लगता है में खलास हो जावूँगी "में अपनी गांड को पीछे की धकेलती बोली।
जैसे ही मैं बोली पापा अपना स्पीड बढ़ा दिए। मैं "ओह्ह...आए....इस्सस..." कहते पापा के ठोकरों का मजा लूट रही थी। पापा मेरे पीठ पर झुके और मेरे पीठ, गर्दन पर चूमने लगे। साथ ही साथ उन्होंने एक हाथ से मेरे लटकते चूची पकड़ कर मसल ने लगे। कभी पूरा चूची को तो कभी निप्पल को दबाते, मसलते मेरे में आग भड़काने लगे।
उनका दूसरा हाथ भी दूसरी तरफ से मेरी रिसते बुर को कुरेदने लगी। मेरे ऊपर तीन तीन आक्रमण से मैं संभल नहीं पा रही थी। एक ओर चुम्बनों का भौचर, दूसरी ओर मेर मस्तियों से खिलवाड़ तो एक और ओर से मेरे बूर की खुरेदना ... ओफ ... इतनी उत्तेजना मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। मेरे घुटने मुड़ने लगे और मैं अपने पेट के बल बिस्तर पर गिरी और पापा मेरे ऊपर अपना लंड मेरी गांड में फंसाये थे।
उसी अवस्था में पापा ने अपना चोदना जारी रखे। मेरी बिस्तर पर गिरने से मेरी गांड और तंग हो गयी और पापा का मेरे अंदर टाइट जाने लगी।
मेरे में इतनी मस्ती और उत्तेजना बढ़ी की अब मैं खलास होने वाली हूँ। "पापा...आआह्ह्ह... पापा.. मेरी गिरने वाली है...आ..आह वैसे ही मेरी चूत में ऊँगली करो.. फिंगर फ़क करो पापा मेरी बुर को.. चूत में ऊँगली डालो.. aaahhhh... और अंदर तक पापा..हहआ.." कहती मैं झड़ गयी।
चार पांच मिनिट और मेरे गांड को अपने हलब्बी लंड से चोद कर पापा भी मेरे अंदर खलास हो गये। उनकी गर्म लावा से मेरी गांड भर कर फिर बहार को रिसने लगी। खलास होते ही पापा मेरे पीठ पर थक कर गिरे।
तो दोस्तों यह थी मेरे और मेरे पापा की चूत और गांड मरवाने की दास्ताँ। उसके बाद तो जब चांस मिले तब मैं और पापा स्वर्ग में विचरते रहे। चांस नहीं मिला तो चांस बना लेते थे। कॉम्पिटेटिव (competitive) परीक्षाएं एक अच्छा चांस देते थे। हर दुसरे महीने में किसी न किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम का बहाना कर हम दुसरे शहर चले जाते और खूब मजा मस्ती करते।
मैं कितनों से भी चुदाई हो लेकिन पापा की चुदाई का एक अलग ही अंदाज है एक तराना है। यह मेरी शादी तक और फिर मेरी शादी के बाद भी... चलता रहा। और चल रही है।
आज के दिन मैं 40 की हूँ और मेरे पापा 65 के फिर भी वह आज भी वही जोश के साथ मुझे पेलते है। और मैं भी कमसे कम हर तीन महीने में एक बार पापा को बुला लेती हूँ और फिर....
तो दोस्तों कैसी लगी आपको पापा बेटी की यह दास्ताँ ...आपके कामेंट में लिखे।
मेरे और अनुभावों के लिए मेरे दुसरे एपिसोड का इंतजार करें
आपकी पूजा मस्तानी
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Itni sexy kahani aur mein pehla.
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