अनजाने संबंध Ch. 01

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नदी से लड़की का बचाव और उस के बाद की घटनाएँ.
1.8k words
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Part 1 of the 8 part series

Updated 07/04/2023
Created 06/17/2023
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आज की कहानी एक ऐसे संबंध की है जो समाज की नजरों में सही नही है। लेकिन दिल के संबंध समाज के नियम कहाँ मानते है। किसी का दिल कब किस पर आ जाये इस का पता नही है। सब अपने दिल के लिए पनाह ढुढ़ते है। जिस किसी को मिल जाती है वह बहुत खुशकिस्मत होता है। हर एक की किस्मत में ऐसा नही हो पाता है। कभी-कभी कोई अपने दिल वाला मिलता है तो आप उसे स्वीकार करे या ना करे इस उहापोह में खो देते है।

भूमिका

मैं मैदान से भाग कर पहाड़ों पर आया हुआ था। नदी के किनारे एकान्त स्थान पर बने मकान में रहने का अपना अलग ही मजा है। ना कोई शोर, ना कोई परेशान करने वाला और ना ही शहर की आपाधापी। जीवन की परेशानियों से भाग कर मैं यहाँ इस विराने में आश्रय लेने आया था। जीवन में इतने धोखें खाये थे कि किसी पर विश्वास करना कठिन हो गया था। किसी भी संबंध में बंधना मजुंर नही था।

ऐसे समय में, मैं एक दिन शाम को नदी के किनारे घुम रहा था तो देखा कि मैं जहाँ था वहाँ से ऊपर एक लड़की नदी में गिरी या बह गयी है। मैं जल्दी से नदी के अन्दर गया जहाँ नदी उथली थी और बड़ें-बड़ें पत्थरों ने नदी को घेरा हुआ था। मैं ने उस लड़की को पकड़ा और उसे नदी से बाहर निकाल लिया। वह पुरी तरह से पानी से भीगी हुई थी। शायद होश में भी नही थी। मैं उसे उठा कर मकान में ले गया। वहाँ उसे उलटा लिटा कर उस के पेट से पानी निकलने की चेष्टा की, लेकिन पानी नही निकला, उस की नाड़ी सही चल रही थी। पुरी तरह से पानी में भीगने के कारण उस को सर्दी लगने का डर था।

मैं उसे लेकर कही और भी नही जा सकता था, किसी को सहायता के लिए भी नही बुला सकता था। उसे बिस्तर पर सीधा लिटा कर मैंने उस के कपड़ें सुखाने की कोशिश की लेकिन इस मैं सफल नही हुआ। अब मैंने फैसला किया कि उस के गिले कपड़ें बदलने होगें। मैंने उस के ऊपर एक चद्दर डालकर उस के सभी कपड़ें उतार दिये और उस के बदन को पुरी तरह से पोछ कर सुखा दिया। उसे उलटा कर के पीछे से भी पोछ कर उस के ऊपर दो रजाई डाल दी ताकि उस का शरीर जल्दी गरम हो सके। फिर मुझें ध्यान आया कि अगर मैं उस के पंजें हाथ से रगड़ु तो शायद गरमी जल्दी आ जाये। मैंने ऐसा ही करने का फैसता किया और उस के पैरों को हाथ से मलता रहा। कुछ देर के बाद उस के तलवों में गरमाहट आ गयी।

फिर मैंने उस की हथेलियों को मलना शुरु किया, इस से कुछ देर बाद वह भी गरम हो गयी। अब मुझें थोड़ा चैन मिला, मैं उस के पास ही कुर्सी लेकर बैठ गया और इन्तजार करने लगा। शायद इस दौरान मेरी आँख भी कुछ देर के लिए लग गयी थी, इस दौरान उस लड़की को शायद होश आ गया था वह कराह रही थी, ठड़ से कांप रही थी। मैंने उठ कर उस की कलाई पकड़ कर शरीर का तापमान देखा तो पता चला कि शरीर की गरमी लौट आयी है।

उस से उस का नाम पुछा तो उस ने कोई जवाब नही दिया। मैंने पूछा कि चाय पीनी है? तब भी कोई जवाब नही मिला। लेकिन उस के मुँह से कराह सी निकल रही थी। मैंने व्हीस्की को एक गिलास में डाल कर उस के होंठों से लगा दिया। वह झटके से सारी व्हीस्की पी गयी। पीने के बाद उस ने खांसना शुरु कर दिया। गले से नीचे उतरते ही व्हीस्की ने अपना काम करना शुरु कर दिया। उस की चेतना वापस आ गई। उस ने आँखे खोल कर मुझें देखा और पुछा कि आप ने मुझें क्या पिलाया है? मैंने कहा कि चिन्ता मत करो सिर्फ व्हीस्की है। इस से तुम्हारे शरीर में गरमी आ गई है। थोड़ी देर खांसने के बाद उस की हालत सुधर गई। उस को अब पुरी चेतना आ गयी थी। उस ने आस-पास देखा और इस के बाद उस का ध्यान अपने आप पर गया।

मैंने उसे बताया कि मैं उसे नदी से निकाल कर लाया था और उस की जान बचाने के लिए मुझें उस के गीले कपड़ें उतारने पड़े थे। गीले कपड़ों के साथ उस को भयकंर ठंड़ लग जाती और उस के जीवन को बचाना मुश्किल होता। मैंने तुम्हारे कपड़ें उतारते समय शरीर को चद्दर से ढ़क दिया था। उस ने रजाई हटा कर देखा कि उस के शरीर पर कोई कपड़ा नही था। उस ने मेरे को बड़ी अजीब नजर से देखा, मैंने कहा कि कपड़ें पहनाने का समय नही था। ना मेरे पास तुम्हारे लिए कपड़ें थे। मैंने उस से फिर पुछा कि चाय पियेगी या कॉफी तो उस ने कहा कि कॉफी। मैंने अपना एक ट्रेकसुट लिया और उस को दे कर बोला की वह इसे बिना रजाई से निकले पहन ले। मैं किचन मैं कॉफी बनाने जा रहा हूँ।

यह कह कर मैं किचन में कॉफी लेने चला गया। कॉफी ले कर लौटा तो देखा कि वह रजाई में उठ कर बैठ गयी थी। उस ने कपड़ें भी पहन लिये थे। मैंने उसे कॉफी का कप पकड़ा दिया। वह कॉफी के सिप लेने लगी। अब जा कर मैंने उसे ध्यान से देखा। वह गोरे रंग की बीस साल के आस-पास की थी ना पतली ना मोटी। कॉफी पीते-पीते मैंने उस से उस का नाम पुछा तो उस ने कहा कि जान कर क्या करेगे? मैंने कहा कि अगर मर्जी नही है तो मत बताओ। वह चुप रही। उस के चेहरे पर रौनक लौट आयी थी। मुझें लगा कि वह अभी शॉक में है इस लिए इस समय उस से और कुछ पुछना उचित नही रहेगा।

कॉफी पीने से उसके शरीर में और गरमी आई। कुछ देर के लिए वह फिर लेट गयी। मैं उसे कमरे में अकेला छोड़ कर किचन में चला गया। रात हो गयी थी। रात के लिए कुछ खाना भी बनाना था पहले तो अपने लिए ही बनाना था लेकिन अब तो इस लड़की के लिए भी बनाना था। मैं अभी सोच ही रहा था कि क्या बनाऊ?, देखा कि वह उठ कर किचन में आ गई थी। मैंने उसे देख कर कहा कि अभी उठना नही था आराम करो तो उस ने कहा कि वहाँ अकेले मुझें डर लग रहा था इस लिए आप के पास आ गई। मैंने उस से पुछा कि ज्यादा तो कुछ है नही लेकिन फिर भी बताओ क्या खाना चाहती हो। यह सुन कर उस के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। मैंने कहा कि मैं तो दाल चावल से काम चला लेता हूँ। तुम बताओ तो वह बोली कि आप मुझें बताइये मैं बनाती हूँ।

मैंने इस पर कहा कि अभी तो ऐसा सम्भव नही है। तुम्हें आराम करना चाहिए। मैं ने यह कह कर दाल और चावल निकालना शुरु किया। उस ने कहा कि अब वह सही है। वह खाना बना सकती है। मैंने कहा कि चलो दोनों मिल कर बनाते है तो वह आगे आ कर चावल ले कर उन को धोने लगी और मैं दाल धोने लगा। इस के बाद दोनों चीजें चुल्हे पर चढ़ा दी गई, उस ने किचन देख कर कहा कि किचन तो शानदार है आपका। मैंने कहा कि इस जगह पर यही एक चीज है जिस के सहारे रहा जा सकता है।

हम दोनों किचन में ही खड़े रहें क्योकि किचन गरम होने के कारण आरामदायक लग रहा था। दोनों चीजों के बनने के बाद उस ने दो प्लेटों में दाल चावल डाल कर एक प्लेट मुझें पकड़ा दी और एक अपने हाथ में लेकर किचन से बाहर चली गई। मैं भी उस के पीछे-पीछे कमरे में आ गया। वह बिस्तर पर रजाई में बैठ गयी और मैं कुर्सी पर बैठ कर दाल चावल खाने लगा। उसे और मुझें भी बहुत तेज भुख लगी हुई थी सो दोनों चुपचाप खाना खाने लगे।

उस ने पुछा कि मेरे हाथ का खाना आप को पसन्द आया या नही? मैंने कहा कि किसी औरत का हाथ लगते ही खाने में स्वाद अपने आप आ जाता है। यह सुन का शायद उस को अच्छा नही लगा मैंने बात सभांलने के लिए कहा कि खाना स्वादिस्ट बना है यह सुन कर उस के चेहरे पर चमक आ गयी। खाना खाने के बाद उस में शक्ति आ गई थी ऐसा मुझें लगा। वह शायद यह सोच रही थी कि मैं उस से बात क्यों नही कर रहा हूँ लेकिन मैं सोच रहा था कि उस से क्या बात करुं? उस ने बात करने के लिए मुँह खोला लेकिन फिर कुछ सोच कर चुप हो गयी।

मैंने उस से पुछा कि क्या अब वह अपने बारे में बात करना पसन्द करेगी? उस ने सर हिलाया। मैंने पुछा कि वह नदी में कैसे गिरी? उस ने कहा कि उस ने आत्महत्या करने के लिए नदी में छलांग लगाई थी। उस का जीने का इरादा नही था इस लिए वह शाम के समय जानबुझ कर नदी किनारे गयी थी और नदी में कुद गयी थी। मैंने पुछा कि कुदने से उसे कोई चोट तो नही लगी है? उस ने कहा कि आप ने मेरा सारा शरीर देखा है आप को पता होना चाहिए? मैंने कहा कि तुम अब तक इस बात से नाराज हो की मैंने तुम्हारे शरीर को क्यों पोछा, मैंने इस बारे में पहले ही बता दिया था। कपड़ें उतारते समय मैंने तुम्हारे शरीर पर एक चद्दर डाल रखी थी। हाँ यह तो है कि मैंने तुम्हारे शरीर को अच्छी तरह से सुखाया है इस लिए पुरे शरीर को छुआ है। मुझें तो कुछ कटा हुआ या सुजा हुआ नही लगा है।

अब तुम सही हो तो अपने आप को रोशनी में देख लो। अगर कही चोट लगी होगी तो वहाँ दर्द हो रहा होगा। यह तो तुम ही बता सकती हो। यह कह कर मैं चुप हो गया। उस ने कहा कि मैं इस बात से नाराज नही हूँ आप ने जो किया वो मेरे लिए जरुरी था। दर्द तो कही पर नही हो रहा है। चोट मैं रोशनी में देख कर बता पाऊँगी। आप समझ सकते है कि किसी लड़की को ऐसी हालत में कैसा लगता है?

मैंने कहा कि उस समय तुम मेरे लिए एक लाश की तरह थी मुझें नही पता था कि तुम जीवित भी हो या नही। सबसे पहले मैंने तुम्हे उलटा लिटा कर तुम्हारे पेट से पानी निकालने की कोशिश की थी। पेट ने पानी नही निकला तो मुझें कुछ आशा लगी थी। उस के बाद मेरा ध्यान तुम्हारे गीले कपड़ों पर गया और मैंने उन्हें उतारने के बारे में सोचा, उस के बाद जो किया वो मैं पहले ही तुम्हें बता चुका हूँ। अब तुम मेरे बारे में कुछ भी राय बनाने के लिए आजाद हो। यह कह कर मैं चुप हो गया।

मेरी बात सुन कर वह रजाई से निकल कर मेरे सामने नीचे आ कर बैठ गई। और मेरे हाथों को पकड़ कर बोली कि मेरी इसी आदत से सब परेशान है। आप तो मुझें मार सकते है। आप ने मेरी जान बचाई है। अब मेरी जान आप की अमानत है। उस की यह बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई मैंने उस के हाथों को चुम कर कहा कि मारने के लिए नही बचाया है। वह नीचे ही बैठी रही। मैंने उसे उठाना चाहा तो वह अपनी जगह से हिली नही, मैंने उसे गोद में उठाया और रजाई में लिटा दिया।

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