नखरीली मौसी

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मेरे मुँह का स्पर्श चूत पर पड़ते ही मौसी के मुँह से 'इस्सस..' निकल गया. मौसी मेरे बाल पकड़ कर मुझे हटाते हुए कहने लगीं- सोनू, इतना टाइम नहीं है, ये सब फिर कभी करना ... अभी अपना काम खत्म करो और निकलो यहां से.

मैं- वही तो कर रहा हूँ ... आपकी चूत को गीला करना पड़ेगा ना.

मौसी- वो गीली है, तुम बस डालो.

मैंने मौसी की बात को इग्नोर किया और फिर से मौसी की चूत चाटने लगा. इस बार मैंने अपनी चीभ को नुकीला करके चूत के फांकों में 2-3 बार ऊपर नीचे किया, जिससे मौसी खुद को संभाल नहीं पाईं और अपना हाथ मेरे सर से हटाकर अपनी कमर के पीछे मेज़ पर रख दिया. अब वो 135 डिग्री के कोण के आकार में हो गयी थीं. मैंने मौसी की दोनों टांगों को थोड़ा और फैलाया और फिर से मौसी की चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा. मौसी की इस्सस अब सिसकारियों में बदल गयी.

मुझे अभी 3-4 मिनट ही हुए होंगे मौसी की चूत चाटते हुए, इतने में मौसी ने मेरा सर पकड़ कर मुझे अपनी चूत से दूर कर दिया और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं.

मौसी- सोनू टाइम पास मत कर, अगर कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, ये सब बाद में कभी आराम से करेंगे, अभी बस जल्दी अपना काम खत्म कर.

मौसी की बात सही थी, अगर कोई उधर आ जाता, तो सच में प्रॉब्लम हो जाती. अब तो मौसी खुद ही बोल रही थीं कि बाकी सब बाद में करेंगे, जिसका मतलब साफ था कि अब आगे भी मुझे मौसी की चूत मिलती रहेगी. इसलिए अब मैं भी जल्दी करने में मूड में आ गया और तुरंत अपना पैंट और चड्डी नीचे करके लंड बाहर निकाल लिया.

पैंट और चड्डी नीचे करते ही मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया, लंड की हालत देखकर लग रहा था जैसे कि वो एकदम गुस्से से लाल हो गया है. और होगा भी क्यों नहीं ... कब से बेचारा पैंट में पड़े पड़े अकड़ रहा था.

लंड की तरफ से ध्यान हटा, तो मेरी नज़र मौसी की तरफ गयी. मौसी भी मेरी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देख रही थी. हसरत होगी भी क्यों नहीं, बेचारी पिछले 10-12 साल से लंड के लिए तरसी जो थीं.

इसी समय दिमाग में थोड़ा मस्ती करने को सूझा ... सोचा ज्यादा तो नहीं, पर थोड़ी देर के लिए मस्ती तो कर ही सकता हूँ. लंड को हिलाते हुए मौसी से बोला- मौसी, इसे थोड़ा गीला कर दो.

मौसी जितना जल्दी करने को बोल रही थीं, मैं उतना ही लेट कर रहा था. इस वजह से मौसी को थोड़ा गुस्सा आ गया. मौसी गुस्से से बोलीं- गीला करना है तो खुद ही थूक से गीला कर ले और अगर तुझे टाइम पास करना है, तो मैं जा रही हूं, हाथ से हिला कर अपना काम कर लेना.

इतना बोल कर मौसी मेज़ से उतरने लगीं.

मैंने मौसी के कंधे को पकड़ कर उन्हें रोका- अरे नहीं मौसी, मुझे टाइम पास नहीं करना है, मैं सोच रहा था कि अगर आप मेरे लंड को गीला कर देतीं, तो ये आपकी चूत में आराम से चला जायेगा ... आपको दर्द भी नहीं होगा.

पहली बार मैंने मौसी के सामने लंड और चूत जैसे शब्दों का प्रयोग किया और इस वजह से मौसी मुझे बड़े ही आश्चर्य से देखते हुए बोलीं- क्या क्या बोल रहा है तू ... और कहां से सीखा ये सब?

मैं- इसमें सीखने का क्या है मौसी, दुनिया में तो सिर्फ दो ही जाति के इंसान होते हैं ... औरत और मर्द. औरत के पास चूत होती है और मर्द के पास लंड. और इतना तो पता ही है मुझे!

मौसी- अच्छा ठीक है, तू अपना ये प्रवचन बाद में मुझे सुनाना, अभी मैं जा रही हूं.

मैं- रुको न मौसी, इतना क्या जल्दी कर रही हो आप?

मौसी ने खीजते हुए कहा- तू समझ नहीं रहा है, अगर कोई आ गया तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी, इसलिए जल्दी कर रही हूं, बाद में फिर कभी आराम से करना.

मैं- ठीक है मौसी, पर लंड को गीला तो कर दो आप.

मौसी ने एक बार फिर मेरी तरफ गुस्से से देखा और छी करते हुए मेरे लंड की तरफ झुक गईं और मेरे लंड को पकड़ कर सुपारे पर थूक दिया. अपने हाथ के अंगूठे से थूक को मेरे लंड के सुपारे पर फैलाकर उसे गीला कर दिया.

मैं अपने लंड को इस तरह तो गीला नहीं करवाना चाहता था, पर उस टाइम ज्यादा जोर जबरदस्ती भी नहीं कर सकता था.

मैंने मौसी के साड़ी को और पीछे की ओर किया और अपने हाथ पर जितना ज्यादा थूक निकाल सकता था, निकाला और मौसी की चूत की फांकों को अलग करके उनकी चूत पर मल दिया. फिर अपने लंड को उनकी चूत से सटाकर चूत के फांकों में अपना लंड ऊपर नीचे करने लगा.

लंड का स्पर्श चूत पर पड़ते ही मौसी की सिसकारी निकल गयी.

थूक की वजह से मौसी की चूत गीली हो चुकी थी, जिस वजह से लंड को फांकों में रगड़ना आसान हो गया. जैसे जैसे मैं लंड को ऊपर नीचे करता गया, वैसे वैसे मौसी की सिसकारी बढ़ती गयी और मौसी की चूत फिर से पानी छोड़ने लगी. थोड़ी ही देर में उनकी चूत फिर से पूरी गीली हो गयी.

मैं भी मौसी को पूरी तरह तड़पाना चाहता था, इसलिए बीच बीच में लंड को चूत के छेद पर रखता और धीरे से धक्का देता और फिर पीछे करके फांकों में ऊपर नीचे करने लगता. एक दो बार ऐसा किया ही था कि मौसी ने मेरे हाथ को हटाकर अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर लगा कर आगे की तरफ सरक गईं. मौसी जैसे ही आगे की तरफ सरकीं, मैं भी उसी टाइम थोड़ा पीछे की तरफ सरक गया.

मेरा ऐसा करना मौसी को पसंद नहीं आया और मौसी गुस्से से गर्म होने लगीं.

मौसी- साले तुझे मज़ाक सूझ रहा है?

मौसी की हालत मैं समझ रहा था और उनके गुस्सा करने की वजह को भी.

मैं- मैं कोई मज़ाक नहीं कर रहा मौसी.

मौसी- अच्छा.

मैं- हां.

मौसी- फिर टाइम पास क्यों कर रहा है? जल्दी कर ना.

मैं- क्या करूं मौसी?

मौसी की हालत खराब हो चुकी थी, उनके लिए अब और इंतजार करना मुश्किल हो गया था. सच कहूँ तो मेरी भी हालत खराब थी, मैं भी जल्दी से मौसी को चोदना चाहता था, पर चोदने से पहले मैं मौसी को इतना तड़पाना चाहता था कि मौसी खुद बोल उठें कि चोद मुझे और आगे भी मेरा लंड लेने के लिए तैयार रहे.

और हुआ भी वही ... जो मैं चाहता था.

मौसी- जल्दी डाल ना अन्दर..

मैं- क्या मौसी और कहां?

मौसी भी समझ चुकी थीं कि मैं क्या चाहता हूँ उनसे और टाइम कम होने की वजह से जल्दी भी करना था ... इसलिए मौसी ने भी बिना टाइम गंवाये बोल ही दिया- डाल ना जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में ... और चोद मुझे ... चोद चोद कर फाड़ दे मेरी चूत को ... पिछले 12 सालों से लंड के लिए बहुत तड़पी है मेरी चूत ... अब तू और मत तड़पा इसे ... जल्दी चोद मुझे..

मौसी के इतना बोलते ही मैंने लंड को मौसी के चूत के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का दे मारा ... पहले ही धक्के में मेरा करीब आधा लंड मौसी की चूत में घुस गया.

मौसी इस झटके के लिए तैयार नहीं थीं, उनके मुँह से जोर की आह निकल गयी 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...'

मौसी थोड़ा और चीखतीं, उससे पहले ही मैंने अपने होंठ मौसी के होंठों पर रख दिए ... मौसी की चीख दब कर रह गई. फिर भी मौसी के मुँह से उम्म उम्म की आवाजें निकल रही थीं और मौसी कसमसाने लगीं. मौसी को दर्द हो रहा था ... और होगा भी क्यों नहीं, कितने साल बाद उनकी चूत को लंड मिला था.

मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और मौसी को अपने से चिपका लिया. मैंने मौसी के होंठों को नहीं छोड़ा और मौसी की पीठ भी सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मौसी खुद ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगीं और मेरे कमर को भी पकड़ कर आगे पीछे करने लगीं. मैं समझ गया कि मौसी का दर्द अब कम हो गया है और मौसी अब तैयार है दूसरे झटके के लिए.

मैंने एक बार फिर एक और जोर का झटका मारा, जिससे मेरा लंड उनकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया. मौसी की तो जैसे आंखें ही बाहर आ गईं. उनका मुँह पूरा का पूरा खुला रह गया. ये तो अच्छा था कि मैंने अपने होंठ मौसी के होंठों पर ही रखा था, वरना मौसी की चीख बाहर तक सुनाई दे सकती थी.

मौसी भले ही कुंवारी नहीं थीं और वो खुद ही अपने हाथ से उंगली किया करती थीं, पर लंड और उंगली में फर्क होता है और उन्होंने लंड लिया भी अपनी चूत में तो 12 साल बाद ... दर्द तो होना ही था.

कुछ टाइम के लिए मैं फिर से रुक गया और मौसी की हालत ठीक होने का इंतजार करने लगा.

जल्दी ही मौसी ने अपने दर्द पर काबू पा लिया और फिर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगीं. उनके लिए कमर आगे पीछे करना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि कमर आगे पीछे करने के लिए उन्हें अपने हाथों को मेज़ का सहारा लेकर अपनी कमर उठा कर आगे पीछे करना पड़ रहा था. फिर भी मौसी ने 2-3 बार अपनी कमर आगे पीछे करके मुझे आगे बढ़ने का संकेत दे दिया.

मौसी का इशारा मिलते ही मैंने भी धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. शुरू शुरू में लंड को अन्दर बाहर करने में मुझे भी मौसी के चूत में कसाव महसूस हुआ, पर जल्दी ही मौसी की चूत ने मेरे लंड के लिए रास्ता बना दिया और फिर मेरा लंड आराम से चूत में अन्दर बाहर होने लगा.

जैसे जैसे टाइम बीतता गया, वैसे वैसे मौसी की चूत गीली होती गयी और मैं धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया. मौसी के मुँह से लगातार निकल रहा था- आह ... उह ... आह ... कितना मज़ा आ रहा है ... कितने साल बाद ये मज़ा मिला आज मुझे ... आह ऐसे ही करते रह ... आअहह उईईईई उफफफ्फ़ ... आअह ... आअहह ओह ह्म्म्म्म ममम उईईइ ... सोओओओनु ... और जोर जोर से करर्र!

मौसी की ऐसी बातों से मेरा भी उत्साह बढ़ रहा था और मेरे कमर की स्पीड भी. मेरे लिए ये पोजीशन बहुत ही आरामदायक थी, क्योंकि मौसी अपनी दोनों टांगों को मोड़ कर मेज़ के एकदम किनारे पर बैठी थीं और मैं जमीन के सहारे सीधा खड़ा होकर धक्के लगा रहा था. इस पोजीशन में अच्छी बात ये थी कि लंड चूत में पूरा जड़ तक जा रहा था और स्पीड बढ़ाने पर थकावट भी नहीं लग रही थी.

फिर 5-7 मिनट के ताबड़तोड़ धक्कों में ही मौसी का शरीर कांपने लगा, मौसी ने अचानक अपने एक हाथ से मेरी गर्दन को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगीं. वे दूसरे हाथ से मेरे कमर को जोर जोर से आगे पीछे करने लगीं. मैंने भी मौसी के ताल से ताल मिलाने के लिए, मेरे से जितना तेज़ हो सकता था उतना तेज़ धक्के लगाने लगा.

मुश्किल से 20-25 धक्के हुए होंगे, उतने में मौसी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे चिपक गईं. मैं भी रुक गया. मैंने लंड पर कुछ गर्म गर्म सा महसूस किया, मुझे समझते देर न लगी कि मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया है. पर मेरा अभी नहीं हुआ था. फिर भी मैं कुछ देर के लिए रुका रहा.

पानी निकलने के बाद मौसी मुझे धक्के लगाने का इशारा करके मेज़ पर एकदम चित लेट गईं. मौसी के लेटने की वजह से उनकी कमर भी थोड़ी पीछे की ओर सरक गयी, जिस वजह से मेरे लंड और उनकी चूत के बीच में मेज़ का किनारा आने लगा.

मैंने मौसी को उनके टांगों से पकड़ कर थोड़ा अपनी ओर खींच लिया. अब मेज़ के किनारे पर उनकी चूतड़ आ गए और उनकी चूत मेरे लंड के पास. मैंने मौसी के दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर उनके पेट के ऊपर तक करके मौसी को ही पकड़ने को दे दिया. पानी छोड़ने की वजह से चुत तो अभी भी गीली ही थी पर लंड को फिर से गीला करना पड़ा. थूक से लंड को गीला करके मैंने फिर से लंड को एक ही बार में पूरा घुसा दिया. मौसी की हल्की सी आह तो निकली, पर इस बार उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. मैं उसी पोजीशन में मौसी को चोदने लगा.

मौसी की चूत गीली होने की वजह से लंड पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था और उनकी चूतड़ों और मेरी जांघों के बीच जो मारपीट चल रही थी, उसकी वजह से फट फट की आवाज भी आ रही थी.

अब मैं मौसी को डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था, पर वहां जगह कम होने की वजह से वो पोजीशन ट्राय करना मुश्किल था. मैं उसी स्टाइल में लगा रहा ... पता नहीं क्यों आज मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था, शायद बाहर से आने वाली लाउड स्पीकर्स के आवाज की वजह या किसी के आ जाने की डर से मेरा ध्यान भटक रहा था ... शायद इसलिए ऐसा हो रहा था.

थोड़ी देर बाद मौसी खुद थक कर या जल्दी करने के लिए बोली- हुआ नहीं तेरा अभी तक?

मैं- नहीं, अभी नहीं.

मौसी- जल्दी कर.

मैं- हां कर रहा हूँ.

अब मैंने पूरा ध्यान मौसी की चूत पर लगाया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा. थोड़ी ही देर में मुझे भी लगा कि मेरा भी माल निकलने वाला है और ये बात मैंने मौसी को बताया.

मौसी बोली- अन्दर मत निकलना, बाहर दूर को ही निकालना अपना माल, वरना साड़ी खराब हो जाएगी.

मैं- ओके.

जब मुझे लगा कि अब मेरा निकलने वाला है, मैंने लंड बाहर निकाल लिया और मुठ मार कर वीर्य बाहर निकाल दिया. मौसी ने मेज़ से उतरकर वहीं पास पड़े कपड़े से अपनी चूत साफ की, फिर वही कपड़ा मुझे पकड़ा दिया. मैंने भी उसी कपड़े से अपना लंड साफ किया और हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए.

मौसी अपने कपड़े ठीक करने के बाद बोलीं- सोनू, मैं जा रही हूं, तुम 10-15 मिनट बाद आना और कोई पूछे कि कहां गया था, तो बोल देना कि ऐसे ही बाहर गया था.

मैं- हां ठीक है.

उसके बाद मौसी निकल गईं और मैं भी कुछ देर बाद निकल गया.

जब कमरे में पहुँचा ... तो देखा बाकी सब मस्त सो रहे थे बस मौसी जाग रही थीं. मुझे देखते ही मौसी थोड़ा मेरी मम्मी की सरक कर मेरे लिए जगह बना दिया. मैं भी चुपचाप जाकर वहीं लेट गया.

दोस्तो, एक वो शादी का दिन था और एक आज का दिन है, इस दौरान मैंने पता नहीं कितनी बार अपनी मौसी को चोदा होगा. हर तरह से चोदा, हर स्टाइल में चोदा, यहां तक कि मैंने मौसी की गांड भी मारी ... और हर बार मौसी ने भी मेरा खुल कर साथ दिया. उस दिन के बाद मौसी का बर्ताव भी बदल गया ... हमने कभी मौसी के घर में, तो कभी मेरे घर में, तो कभी खेत में जम कर चुदाई का मजा किया. मतलब ये कि अब जब भी मौका मिलता है, हम शुरू हो जाते हैं.

ऐसे ही एक बार मैं और मौसी खेत में चुदाई कर रहे थे ... तभी मौसी की एक पड़ोस की भाभी ने हमें देख लिया ... उसके बाद क्या हुआ, वो सब कहानी के अगले भाग में लिखूँगा. उस पड़ोसी भाभी ने क्या किया या हमने क्या किया ... ये सब जानने के लिए अगले भाग का इंतजार कीजिएगा.

दोस्तो, यहां सोनू और उसकी सलोनी मौसी की कहानी समाप्त होती है.

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