एक नौजवान के कारनामे 227

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2.5.15 मधुमास में सुबह सुबह सम्भोग
1.9k words
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Part 227 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 15

सुबह सुबह सम्भोग

मैंने उसके पलटा दिया और उसके पीछे की ओर बढ़ता गया मेरी कमर उसके नितंबों से टकरायी और मेरा लंड उसके नितम्बो की द्वारा के बीच में और मेरा पैर उसके ऊपर चले गए । मेरी बांह उसकी छाती पर आयी और मैं अपने हाथ में एक स्तन को पकड़ कर सहलाते हुए दबाने लगा । मैंने अपने कूल्हों को उसके खिलाफ सख्त कर उसके नितम्बो को दबा दिया, और इससे उसके कूल्हों को थोड़ा आराम मिला । जैसे ही हमारे कूल्हों मिले तो मेरा लंड सख्त होने लगता है। मेरी बांह उसे कस कर पकड़े हुई थी और मैंने उसे पैरसे अपने करीब खींच लिया । हम एक साथ तब तक उनीदे से लेट गए, जब तक सूरज की किरणो ने पर्दे के किनारों से चोरी से कमरे के अंदर आकर थोड़ा सा उजाला नहीं कर दिया ।

हम धीरे-धीरे जागे, हमारी हर छोटी बड़ी हिलडुल मेरे लंड को और कठोरता की ओर बढ़ा रही थी । मैंने अपने कूल्हों को धीरे से उसके खिलाफ हिलाना शुरू कर दिया। मेरी उंगलियां उसके निप्पल को उत्तेजित करने के लिए उसके स्तन को छेड़ा । मैं उसको चुम्बन करते हुए कान में फुसफुसाया, 'गुड मॉर्निंग डार्लिंग '। 'मम्मम,' उसने जवाब दिया। ' सुप्रभात । मैंने पुछा कैसी हो । वो बोली अच्छा लग रहा है ।' बस थोड़ा सा दर्द है । मैं उसके सर को अपनी और घुमाया ताकि वह मेरे होठों को चूम सके । हम दोनों ने एक लम्बा और गहरा चुम्बन किया ।

ज्योत्स्ना ने थोड़ा उठते हुए अंगडाई ली, इससे ओढ़ा हुआ कम्बल उसके ऊपर से सरक गया, और एक बार फिर से ज्योत्स्ना के स्तन नग्न हो गए। मेरी दृष्टि तुरंत ही उन कोमल टीलों की तरफ चली गयी। उसने झटपट अपने शरीर को ढकना चाहा, लेकिन मैंने उसके हाथ को रोक दिया और अपने हाथ से उसके स्तन को ढक लिया और उसको धीरे धीरे दबाने लगा।

मैंने उसे कहा अगर छुपना और छुपाना है तो मेरी बाहो में आ जाओ. वो मेरे साथ चिपक गयी.

"हमारे पास कुछ समय है..." मैंने कहा - मेरी आवाज़ और आँखों में कामुकता थी। मेरा लिंग उसके शरीर से अभी भी लगा हुआ था, लिहाज़ा वह उसके कड़ेपन को महसूस कर पा रही थी।

ज्योत्स्ना मुस्कुराई, "जी.... आपने कल......... थोड़ा दर्द है..." अभी.... थोड़ा नरमी से करना....?

तब मुझे ध्यान आया थोड़ा नहीं, काफी दर्द होगा। अभी उसने पहली बार ही सेक्स किया है, और अभी उसकी योनि चुदाई के लिए अभ्यस्त नहीं है और फिर मेरा लिंग भी बड़ा है। निश्चित तौर पर उसे काफी दर्द हुआ होगा ।

फिर मैंने उसको पलट कर अपनी और कर दिया और मैं ज्योत्स्ना के ऊपर झुक गया और अपने होंठो को उसकी गर्दन से लगा कर मैंने ज्योत्स्ना को चूमना शुरू किया - एक पल को वह हलके से चौंक गयी, लेकिन फिर मेरे प्रत्येक चुम्बन के साथ उठने वाले कामुक आनंद का मज़ा लेने लगी। मैंने अपनी जीभ को ज्योत्स्ना के मुँह में डालने का प्रयास किया तो ज्योत्स्ना ने भी अपना मुख खोल कर पूरा सहयोग दिया।और हम जीभ चूसने लगे । ज्योत्स्ना ने अपनी बाहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द डाल कर मुझे अपनी तरफ समेट लिया और मैंने उसको कमर से थाम रखा था। हमारे चुम्बन ने हम दोनों में यौनेच्छा भड़का दो थी । ासाहे सेक्स की यही निशानी होती है की इसे बार करने का मन करता है. और यही हम दोनों का हाल था.क्योंकि दोनों ने सेक्स का पूरा आनद लिया था.

उसकी गर्दन को चूमते हुए मैं नीचे की तरफ आने लगा और जल्दी ही उसके कोमल स्तनों को चूमने लगा। उसके निप्पलों को अपने मुंह में भर कर मैंने उनको अपनी जीभ से सावधानीपूर्वक खूब मन भर कर चाटा, और साथ ही साथ दोनों स्तनों के बीच के सीने को चूमा।

मेरे हाथ कुछ ही देर में उसके पैरों के बीच में पहुँच गए । अपने हाथ पर मैं उसकी योनि की आंच साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था। मैंने उसकी दोनों जांघो को फैला दिया, जिससे उसकी योनि के होंठ खुल गए। मेरा हाथ इस समय उसके टांगो की बीच की दरार पर फिर रहा था । मैंने कुछ देर तक अपनी उंगली उस दरार की पूरी लम्बाई तक चलाई

अपने दुसरे हाथ से मैं उसके स्तनों और निप्पलों को दबाने कुचलने लगा। फिर मैंने अपने हाथ को वहां से हटा कर ज्योत्स्ना के नितम्ब को थाम लिया।

ज्योत्स्ना धीरे से फुसफुसाई, "धीरे.. धीरे..." लेकिन मेरी गति पर कोई अंकुश नहीं था ... "आअह्ह्ह्ह! प्लीज! बस... बस... अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती...." मेरा लिंग खुद भी पूरी तरह फूल कर झटके खा रहा था।

मैंने ऊपर जा कर ज्योत्स्ना के होंठ चूमने शुरू कर दिए - हम दोनों ही कामुकता के उन्माद के चरम पर थे मैंने उसके सामानांतर आकर उसकी टांगो को खोल दिया और जिससे मेरा खड़ा हुआ कठोर लंड उसकी चूत की सीध में आ गया मैं थोड़ा सा आगे हुआ और ऐसा करने से मेरा उग्र उन्नत कठोर लंड अपने लक्ष्य से जा चिपका। मैंने लंड को एक दो बार योनि पर रगड़ा. उसने अपनी पलकें खोल कर, अपनी नशीली आँखों से मुझे देखा। ज्योत्स्ना के मुख से "आँह.. आँह.." वाली कामुक कराहें निकल रही थी। मैं अपने लंड को पकड़ कर उसके योनि के द्वार पर रखा और एक जोर से धक्का उसके गीली और तैयार चूत पर लंड पर जोर से मारा जिससे लंड चूत के अंदर प्रवेश कर गया । मैंने उसको धीरे से अपनी बाँहों में पकड़ लिया। ऐसा करने से उसके दोनों निप्पल और स्तन जो अब पूरी तरह से कड़क हो गए थे मेरे सीने पर चुभने लगे। मैंने ज्योत्स्ना को फिर से कई बार चूमा - और हर बार पहले से गहरा और लम्बा चुम्बन किया । चूमने के बाद, मैंने उसके नितम्बों को पकड़ कर धीरे धीरे दबा दिया;

जैसे ही मैंने आगे की तरफ जोर लगाया, नीचे से ज्योत्स्ना ने भी जोर लगाया। इन दोनों प्रयासों के फलस्वरूप, मेरा लंड ज्योत्स्ना की सूजी हुई योनि में कम से कम तीन चौथाई समां गया। मैंने ज्योत्स्ना की गर्मागरम, कसी हुई, गीली, रसीली योनि में और अन्दर सरकना चालू कर दिया। ज्योत्स्ना की आँखें बंद थी, और हम दोनों में से कोई भी कुछ भी नहीं बोल रहा था। कुछ ही देर में लंड उसकी बच्चेदानी से टकराया तो वो कराह उठी और मैंने महसूस किया की मेरा लंड उसकी योनि के अन्दर पूरी तरह से समां गया है ।

मैं अब कुछ देर के लिए रुक गया - योनि की मांसपेशियों को लंड के लिए अभ्यस्त होने दिया और साथ में अपनी साँसे संयत करने के लिए थोड़ा रुका । और दोनों एक दूसरे के शरीर के स्पर्श का आनंद लेने लगे थोड़ा वो मेरी तरफ सरकी और अब दोनों के जिस्म चिपक गए थे । करीब तीस सेकंड के बाद मैंने लिंग को थोडा बाहर निकाल कर वापस उसकी योनि की आरामदायक गहराई में धकेल दिया। योनि के अन्दर की दीवारों ने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया जैसे ये दोनों ही एक दूसरे के लिए ही बने हुए हों। अब मैंने अपने लिंग को उसकी योनि में चिर-परिचित अन्दर बाहर वाली गति दे दी। साथ ही साथ, हम दोनों एक दूसरे को चूमते भी जा रहे थे।

हम धीरे-धीरे एक दूसरे के खिलाफ धीमी गति से स्थिर लय, कोमल और आधी नींद में आगे पीछे हिलना शुरू कर दिया । हमारी उत्तेजना और काम वासना बढ़ने लगी । धक्को की गति और जोरदार तेज और गहरी होती जाती है । हमारी चुदाई तेजी से पूरे शबाब पर पहुँच गयी। उसकी सांस तेज हो गयी और मैंने कराहना शुरू कर दिया । मैंने उसके उत्कर्ष पर पहुँचने का इंतजार किया । जल्द ही वो झड़ने वाली हो गयी और उसके कूल्हे जोर-जोर से फड़फड़ाने लगे और मैंने उत्तेजना में भरकर चुदाई के धक्को के गति को बढ़ा दिया । जिससे दोनों एक साथ ओह्ह आह करते हुए झड़ गए ।

हम थके हुए कुछ समय के लिए वहाँ लेटे रहे।

मेरी बाहि में ज्योत्स्ना लिपटी हुई थी और मेरी आंखें बंद हो गई थीं और रात की छवियां मेरे दिमाग में घूमती रही । ज्योत्स्ना की नरम मुलायम कोमल त्वचा का अहसास, उसके नरम रस भरे हुए होंठ मेरे ओंठो के ऊपर दबे हुए थे, उसकी जीभ मेरे मुँह को तलाश रही थी, मेरी गर्म हथेलियों के खिलाफ उसके कड़े गुलाबी निप्पलों का अहसास । और फिर उसका नरम मुलायम हाथ मेरे लंड को रगड़ने के लिए नीचे मेरे कड़े हो चुके लंड पर पहुँच गया ।

ज्योत्स्ना लगभग 5'६" लम्बी है, 36-24-34. की शानदार फिगर चमकीली आँखों के साथ, उसके कूल्हों तक लम्बे सीधे भूरे बाल और चेहरे पर एक नाज़ुक मनमोहक मुस्कान। वह काफी बड़े सुदृढ़ गोल और अनार के आकार के स्तनों वाली है और मैंने ऐसे आकार के स्तन ज्योत्स्ना जैसी लड़कियों के पास कम ही देखे हैं । कुल मिलाकर वह काफी पतली है, इसलिए उसके स्तन उसके धड़ के लगभग आधे हिस्से तक लगते हैं पर वो बिलकुल भी ढलके हुए नहीं हैं । गर्म दिनों में जब वह एक स्ट्रैपी टैंक टॉप पहनती है, तो उसकी ब्रा की पट्टियाँ बहुत मोटी होती है, जो यह एक स्मरण दिलाता है कि उसकी ब्रा दिन भर में उसके विशाल स्तनो को संभालने में बस किस तरह की सहायक बने रहे । वह सभी के लिए प्राय बहुत मैत्रीपूर्ण है कुल मिलकर चुदाई के लिए एक शानदार और मस्त माल ।

मैं उसके ही ख्यालो में खोया हुआ था की मुझे एक प्यारी सी आवाज सुनाई दी कुमार प्लीज उठो । मैं उसके परफ्यूम को सूंघ सकता हूं और इन ख्यालो के कारण मुझे तुरंत अपना लंड कठोर हो चूका महसूस हुआ । मैंने अपनी आँखें खोलीं, मैं ऊपर और नीचे देखता हूं - ज्योत्स्ना ने चिपकी हुई गुलाबी रंग की रेशमी पोशाक पहनी हुई थी जिसमें काले और भूरे रंग के स्ट्रैप हैं। यह ड्रेस स्लीवलेस है, और उसने अपने कंधों को ढंकने के लिए काले रंग की चुनरी पहन रखी है। पोशाक उसके टखनों के ठीक ऊपर तक है और उसने काले रंग के पेटेंट चमड़े के सैंडल पहने हैं। मैंने उसकी ऊँची एड़ी के जूते से उसकी मजबूत चिकनी टांगो को, और उसकी गांड तक जहाँ मैं उसकी पैंटी की रेखाओं को रेशमी कपड़े को देखा । स्ट्रैप वाली पोशाक पहनने के बावजूद उसने नियमित ब्रा पहनी हुई है । उसकी पैंटी लाइन को देखते हुए मेरा लंड कठोर और विकसित हो अपने पूर्ण आकर को प्राप्त कर गया।

मैंने उसे अपने पास बिस्तर पर खींच कर किस करने लगा तो हम काफी देर तक चुम्बन करते रहे फिर कुछ देर बाद वह केवल अपना सिर थोड़ा सा ऊपर की ओर ले जाती है और कहा चलो छोड़ो मुझे और खुद उठ खड़ी हुई। फिर बोली अब उठो तो मैं मंत्रमुग्ध सा उठ खड़ा हुआ और उसे फिर अपनी आगोश में लेना चाहा तो बोली आओ मेरे साथ । मैं उसके पीछे-पीछे धीरे-धीरे चल दिया मेरा कठोर लंड आगे की तरफ बढ़ रहा था । जैसे-जैसे मैं करीब आया और उसके कंधे पर झुक गया मेरे लंड की नोक उसकी नरम पर सुदृढ़ गोल नितम्बो में दब जाती है। वह जल्दी से सांस लेती है, और अपनी गांड से धीरे से पीछे धक्का दे देती है । मेरा लंड उसकी पीठ के निचले हिस्से के पास उसके गोल नितम्बो के बीच की घाटी में फिसल गया।

तो दोस्तों ये कहानी जारी रहेगी। आगे मैंने ज्योत्स्ना के साथ हनीमून कैसे मनाया और हमने क्या क्या किया? आगे क्या हुआ? ये अगले CHAPTER- 5 मधुमास (हनीमून)-भाग 16 में पढ़िए ।

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