एक नौजवान के कारनामे 229

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2.5.17 जलप्रपात में मधुमास (हनीमून)
1.2k words
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Part 229 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 17

जलप्रपात

हम पेड़ की ओट में थे ओर मैंने ज्योत्सना के चेहरे को अपनी बाँहों में भरा और उसके सुन्दर कोमल होंठों को चूम लिया। वो मेरे चुम्बन से एकदम पिघल गई - उसका शरीर ढीला पड़ गया। मैंने उसके होंठो को चूमना जारी रखा - मेरे मन में उम्मीद थी कि वह भी मेरे चुम्बन पर कोई प्रतिक्रिया करेगी और मुझे बहुत इंतज़ार नहीं करना पड़ा। उसने बहुत नरमी से मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया, और मुझे अपनी बांहों में भर कर बाँध लिया। मैंने उसको अपनी बांहों में पकड़े हुआ था । हम दोनों इस चुम्बन के आनंद कि कराहें लेने लगीं। पहाड़ की ताज़ी, सुगन्धित हवा ने हम दोनों के अन्दर स्फूर्ति भर दी। मैं उसे चूमते हुए उसके टॉप केे ऊपरी बटन खोलने लगा।

"रुकिए! प्लीज!" "... यहाँ नहीं। अगर कोई देख लेगा तो?"

"मुझे नहीं लगता यहाँ कोई इस समय आएगा।"

"लेकिन दिन में ....?"

"क्या हुआ? दिन में कोई बुराई है क्या? बिना बल्ब के भी सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता है!"

"धत्त.... प्लीज ...." उसने शर्मा कर इतना ही बोला । लेकिन मेरे हाथ तब तक उसके टॉप के सारे बटन खोल चुके थे। अरे रुको तो थोड़ा सब्र करो!

" क्या करूं तुम्हे देख सब्र नहीं होता! तुम्हारा साथ मुझे उत्तेजित कर देता है. मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाता!" और फिर अब तो हमारे पास लाइसेंस भी है आखिर हम पति पत्नी हैं. ये सब बोलते हुए में उसके टॉप को हटाने की कोशिश कर रहा था।

" प्लीज्! एक बार देख लीजिये कि कोई आस पास नहीं है।"

" मैंने अनिच्छा से उससे अलग होते हुए कहा। मैंने जल्दी से चारों तरफ का सर्वेक्षण किया और बोला

"कोई नहीं है ..." मैं ख़ुशी ख़ुशी बोला और उसको चूमने में व्यस्त हो गया। जतोत्सना ने अपने कुर्ते के बटन वापस नहीं लगाए थे, मुझे लगा अब वह भी तैयार हैं और उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उसके स्तनों को हलके हलके से दबाया और फिर उसके टॉप को उसके शरीर से उतारने लग गया।

"सच कोई नहीं है न?" उसने फिर से पूछा - अब तक मैं टॉप उसके स्तनों से ऊपर उठा चुका था।

मैंने उसको फिर से चूम लिया। और उसने मुस्कुराते हुए उसने अपने दोनों हाथ उठा दिए, जिससे मैं उसके टॉपे को उतार सकूं। टॉप उतरते ही उसके सुन्दर स्तन दिखने लग गए। उसके निप्पल पहले ही खड़े हुए थे - निश्चित तौर पर ये उसके कामुक और उत्तेजित होने का लक्षण था । मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों में समेट लिया। ज्योत्सना के स्तनों की कोमलता और उसके निप्पलों के कड़ेपन को महसूस करके मुझे उसकी उत्तेजना का अनुमान हो गया। हम वापस अपने कामुक चुम्बन में व्यस्त हो गए।

हमारी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी - अब वह मेरे चुम्बनों का उत्तर अपनी तेज चुम्बन से दे रही थी। मेरे होंठ उसके होंठो को बुरी तरह चूम रहे थे, अचानक सूखे पाटो के खड़कने की कुछ आवाज हुई । और मैंने उधर पलट कर देखा । मेरी पकड़ ढीली हुई और ज्योत्स्ना मेरी पकड़ से निकल कर वहां कुछ दूरी पर एक जलप्रपात था वह तेजी से झरने की ओर भागी।

भागते हुए उसके स्तन ऊपर-नीचे हो गए और मैं उसका पीछा करने लगा और इस रेस में वो चाहती थी की मैं जीत जाऊं। लेकिन वो मुझे भहगति हुई बहुत आकर्षक लग रही थी, और उसके दृढ स्तन जब थोड़ा हिलते थी तो मेरा मन कामुक उत्तेजना से भर जाता था और मैं धीरे धीरे उसके पीछे भागने लगा. जब वह झरने पर पहुंची, तो वह उसके आधार पर चिकनी चट्टान की सतह पर चढ़ गई। उसका शरीर हलकी सुनहरी धूप में चमक रहा था, झरने की पानी की बूंदों के नीचे गिरने से आ रही फुहार में भीग रहा था., और वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थी कि उसके निप्पल उसकी उत्तेजना और पानी की ठिठुरन से पूरी तरह से सीधे खड़े थे।

जैसे ही वह किनारे से पीछे हटी, मैंने उसे पकड़ लिया। मैं उसके पास आया और जल्दी से उसे चूमा और उसके कान में फुसफुसाया, तुम बहुत सेक्सी हो और तुम्हारे स्तन जब तुम भाग रही थी और वो दोनों हिल रहे थे तो तुम बहुत सेक्सी लग रही थी । ज्योत्सना मुस्कुराई, और पीछे हट गई लेकिन मेरा एक हाथ अभी भी उसके योनि क्षेत्र पर था और दूसरा हाथ उसके हाथ को पकडे हुए था । जैसे ही वह पीछे हटी, मैंने जो हाथ उसकी योनि पर था उसे से नीचे झुका दिया। " बदमाश!" वह चिल्ला पड़ी । "क्या होगा अगर कोई हमें ऐसे देख ले? यह एक सार्वजनिक क्षेत्र है!" जैसे ही उसने मुझे पास होते हुए देखा, उसने फिर से कदम पीछे खींच लिए।

मैंने एक शैतानी मुस्कान के साथ उसे देखा। "हमने कम से कम एक घंटे से यहाँ किसी को नहीं देखा, है " मैंने कहा। "मुझे लगता है हमारे सिवा यहाँ कोई और है ।" इतना कहकर मैं फिर उस पर झपटा। इस बार मैंने उसे आसानी से पकड़ लिया। मैंने उसके पीछे कदम रखा और अपनी शक्तिशाली बाँहों को उसके चारों ओर लपेट लिया। मैंने उसकी बाहें लीं और उन्हें उसके पीछे घुमाया, और उन्हें उसके शरीर और मेरे बीच उन्हें दबा कर पकड़ लिया । फिर मैं ऊपर पहुँचा और उसके स्तनों को सहला दिया ।मैं उसके कानों में फुसफुसाया, "इसके अलावा, मुझे मालूम है कि आप को हम दोनों को पकड़े जाने का जोखिम पसंद है।"

मेरी मजबूत भुजाओं से उसे कस कर पकड़े हुए, वह महसूस कर सकती थी कि उसका शरीर मेरे में पिघल गया है। वह अब अपनी नहीं रही थी । वह मेरी थी। वह वही करेगी जो उसके पति ने उससे पूछा, और वह यह जानती थी। वह महसूस कर सकती थी कि मेरा कठोर लंड पीछे से उसके शरीर पर दबा हुआ है और मेरा हाथ उसके निप्पलों से खेलने लगा। उसने पकड़े जाने के जोखिम का आनंद लिया। वह महसूस कर सकती थी कि उसकी चूत गीली हो रही है क्योंकि उसे मालूम था मैं यहीं पर रुकने वाला नहीं हूँ बल्कि इसके आगे भी कुछ और करने वाला हूँ ।

ज्योत्सना के हाथ नीचे की ओर खिंचे हुए थे, मेरे लंड के उभार तक पहुँच गए। उसकी उंगलियाँ पतली गीली पेण्ट के बीच से मेरे लिंग के चारों ओर लिपटी हुई थीं, वो मेरे बड़े और मोटे लिंग को महसूस कर रही थी । मेरे पकड़ फिर से ढीली हुई और उसने अब वो भी मेरी पकड़ को शिथिल महसूस किया और उसने तुरंत अवसर का लाभ उठाया। इस बिंदु पर कोई और अधिक चंचल लड़ाई नहीं की वह मेरी बाँहों में घूमी, और जल्दी से मेरे से लिपट गयी और अपने हाथों को मेरे लंड के चारों ओर लपेट लिया। जैसे ही वह अपने घुटनों के बल बैठने वाली थी, हमने लोगों के आने की पदचाप को सुना ।

"जल्दी करो, झरने के पीछे चलो।" वह मेरी आवाज में थोड़ी निराशा सुन सकती थी। मुझे सार्वजनिक रूप से सेक्स करने का विचार पसंद था और मैंने ऐसा कई बार किया था। और पकड़े जाने का जोखिम निश्चित रूप से उत्साह का हिस्सा था। लेकिन, वास्तविकता यह थी कि हम में से कोई भी वास्तव में पकड़ा नहीं जाना चाहता था।

ऊपर से गिर रही पानी की दीवार हमसे महज 3-4 फीट दूर थी। तो कुछ त्वरित कदम और हम बिलकुल ठीक समय पर पानी के झरने की दीवार के पीछे छिप गए । जैसे ही हमने झरने के पीछे कदम रखा, एक और जोड़ा जंगल से होते हुए उस ताल की तटरेखा पर दिखाई दिया।

जारी रहेगी

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