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Click hereदोनों मिल कर शुरष्टि के चरण छूते है।
बलदेव: मां हमें आशीर्वाद दीजिये।
शुरष्टि: दूधो नहाओ पूतो फलो मेरे बच्चो!
वैध जी वही खड़े देख रहे थे बलदेव और देवरानी उनके भी चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं।
वैध: सदा सुहागन रहो देवरानी बिटिया!
राधा: महारानी शुभ विवाह!
वही पास में खड़ी जीविका को देख बलदेव या देवरानी जाते हैं और झुक कर उसके पैर छूते हैं।
बलदेव: हमें आशीर्वाद दीजिए दादी और खास कर अपनी पोती बहू को आशीर्वाद दीजिये क्यू के यही आपका वंश बढ़ाएगी ।
जीविका न चाहते हुए भी दोनों के सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देती है ।
जीविकाः सदा खुश रहो... दूधो नहाओ पूतो फलो!
सोमनाथ: महाराज बधाई हो!
बलदेव: धन्यवाद सोमनाथ... पूरे घाटराष्ट्र में भंडारा बटवा दो । कोई गरीब दुखी नहीं रहना चाहिए!
पंडित: इस ग़रीब को दक्षिणा तो दीजिए महाराज!
बलदेव: सोमनाथ इन्हें मुँह माँगा इनाम दे दो।
पंडित खुश हो कर सोमनाथ के साथ चला जाता है।
कमला देवरानी को देख इशारा करती है बलदेव के पैर छूने के लिए ।
बलदेव जैसे ही पलटता है देवरानी उसके कदमो में बैठ उसके पैर छू लेती है।
बलदेव: महारानी आपका स्थान मेरे हृदय में है।
और देवरानी को झट से अपने गोद में उठा लेता है।
बलदेव: कमला समय क्या हुआ?
कमला: सूर्यस्त हो गया 6 बज गए होंगे!
बलदेव: अगले 18 घंटे तक मेरे कक्ष के आस पास कोई नहीं आये।
कमला: मतलब?
बलदेव: कल 12 बजे दिन तक कोई ऊपर नहीं आना चाहिए और हमारा भोजन समय से ऊपर ला कर कक्ष के बाहर मेज पर रख देना।
बलदेव अपनी माँ के बारे में सोच मन में कहता है।
बलदेव (मन में) : इस जैसी माल की प्यास तो 18 घंटे क्या 18 साल तक बुझाऊंगा तो भी नहीं बुझेगी।
देवरानी (मन में) : हे भगवान इसे शर्म नहीं आ रही। मुझे सब के सामने ऐसे उठा कर क्या-क्या कह रहा है । बेटा अब पति की तरह हक जताने लगा है ।
ये सुन कर सब बलदेव को देख रहे थे और देवरानी शर्मा रही थी ।
देवरानी इस बात से अंजान थी कि ऊपर बलदेव के कक्ष के बगल में उसका पहला पति राजा राजपाल बंधा हुआ है।
बलदेव धीरे-धीरे देवरानी को अपने गोद में उठाये सीढ़ियों से अपनी कक्ष की ओर जाने लगता है...।
जारी रहेगी...