खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे भाग 05

Story Info
Anu pleases Parag's cousin who helped them from blackmailer.
3.2k words
4.71
12.4k
1
0

Part 5 of the 8 part series

Updated 06/09/2023
Created 06/06/2019
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Editor's note: this story contains scenes of incest or incest content.

*****

इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. यह कहानी काल्पनिक है. आशा है की आप को यह नयी प्रस्तुति पसंद आएगी.

*******

अब तक आपने पढ़ा:

कहानी के दो पात्र हैं, पराग और अनुपमा. दोनों मुंबई के कॉलेज में मिले, पहले उनके दिल मिले फिर जिस्म मिले. कॉलेज के चार साल तक दोनोंका सेक्स जबरदस्त चलता रहा. उनकी शादी हो गयी और दोनोंने मालदीव में हनीमून मनाया. वहांपर सैकड़ो लोगोंके सामने पराग और अनुपमा ने सम्भोग किया. कुछ दिनों बाद चुदाई में आयी बोरियत को मिटने के लिए पराग अदलाबदली का खेल चाहता था, मगर अनु किसी दुसरे आदमी से चुदवाने के लिए राजी नहीं हुई.

अनु के सहायता से ही पराग के ऑफिस की एक लड़की डॉली को दोनोने मिलकर पटाया और उसके साथ थ्रीसम सेक्स का भरपूर आनंद लिया.

गोवा में जब तीनो छुट्टियां मनाने गए, तब एक अमेरिकन कपल माइकल और जूलिया से उनकी मुलाक़ात हुई. डॉली ने माइकल के साथ और पराग ने जूलिया के साथ चुदाई की, मगर अनुपमा माइकल के साथ सेक्स करने के लिए राजी नहीं हुई. कुछ दिनोंके बाद पराग को ब्लैकमेल करने वाला एक लिफाफा मिला.

पता चला की ब्लैकमेलेर पराग के ऑफिस का जनरल मैनेजर निखिल था. उसने फोटो और वीडियो के बदले डॉली के साथ जबरदस्ती सेक्स किया. फिर अनु के साथ भी जंगली जानवरोंकी तरह सम्भोग किया. जब निखिल का पानी निकलने वाला था, उसी समय पराग ने उसके सर लोहे का डंडा मारकर उसे बेहोश कर दिया.

अब आगे:

पांचवा भाग अनुपमा की जुबानी है.

खंडाला के होटल के सूट से बाहर निकलकर हम तीनो (मैं, पराग और डॉली) बाहर हमारी कार में बैठ गए. ड्राइवर पहले सी ही गाडी में बैठा हुआ था. मैं और डॉली, दोनोंने पराग की तरफ प्रश्नार्थक दृष्टि से देखा. उसने इशारों से कहा बाद में बताऊंगा.

यात्रा समाप्ति के पश्चात हमें डॉली को उसके घर पर विदा किया और अपने घर पहुँचे. दोनोने साथ मिलकर स्नान किया और वाइन का एक एक गिलास लेकर सोफे पर बैठे. अब पराग ने सारा वृत्तांत बताया।

"जिस दिन मुझे वो लिफाफा मिला, उसी दिन मैंने मेरे चचेरे भाई अजय को फ़ोन किया. अजय के संपर्क में कई खबरी, जासूस और गुंडे लोग रहते हैं, क्योंकि वो एक आपराधिक मामलोंके जाने माने वकील का सहायक वकील हैं. मैंने उसे सिर्फ इतना ही बताया की कोई हमें ब्लैकमेल कर रहा हैं. बात गोपनीय रेहनी चाहिए."

अजय ने हमारे पीछे भी एक जासूस लगा दिया.

"जिस दिन हम तीनो मॉल के सामने कॉफी शॉप में गए, उसी समय हमारा जासूस भी दूरी पर था. उसने निखिल का पीछा किया और निखिल के जासूस का पता लगाया. फिर इस बात का भी पता लगाया की सारे ओरिजिनल फोटोज और वीडिओज़ कहाँ रक्खे हुए हैं."

"जब हम खंडाला के लिए निकले, तब अजय, अपना जासूस और चार गुंडे निखिल के जासूस के घर के बाहर थे. सारे मेरे इशारे की प्रतीक्षा में थे. जैसे ही निखिल ने डॉली को चोदना शुरू किया, मैंने अपने फ़ोन से अपने अजय को एक मिस्ड कॉल दिया. अब निखिल की भी सूरत में उसके अपने जासूस को कांटेक्ट नहीं करने वाला था, क्योंकि वो चुदाइ में मग्न था. उसी समय गुंडे निखिल के जासूस के घर में घुसे. उससे पहले लॉकर की चाबी ली फिर उसे मार कर बेहोश किया, और फिर अजय ने मुझे मैसेज किया."

"तभी मैंने उस लोहे के डंडे से निखिल पर प्रहार किया. बाकी का बचा हुआ काम उन तीन गुंडोंने किया जो हमारे बाद उस सूट में दाखिल हुए."

"अब सारे सबूत से भरा वो लॉकर और उसकी चाबी अजय के पास हैं. मैं कल सुबह जाकर सारे सबूत मिटा दूंगा."

मैंने कहा, "ओह माय गॉड, तुमने इतना सारी विस्तार से योजना बनायी और मुझे बताया तक नहीं."

"कोई बात नहीं अनु डार्लिंग, जिसका अंत भला, वो सब भला," कहकर पराग ने मुझे गले लगाया.

"तुम्हारा पहला और सच्चा प्रेमी और पति होने नई नाते यह मेरा उत्तरदायित्व था की मैं हम दोनोंकी रक्षा के लिए जो जरूरी है वो सब करून. इस सारे मामले में मुझे एक बात का बड़ा दुःख है और एक बात की अजीब ख़ुशी हैं," पराग ने कहा.

"दुःख तो समझ में आया मगर ख़ुशी?" मैं अचम्भे में पड़ गयी.

"देखो डार्लिंग, दुःख तो इस बात का हैं की उस ब्लैकमेलेर निखिल और उसके जासूस को हमको रास्ते से हटाना पड़ा. और अजीब ख़ुशी की बात ये हैं तुम किसी और आदमी के साथ संभोग करो ये मेरी इच्छा पूरी हो गयी. मैं मानता हूँ की जो तुम्हारे साथ हुआ वो बलात्कार ही था, मगर मैंने देखा की थोड़े समय के बाद तुम्हे उस जंगली संभोग से अत्याधिक सुख मिलने लग गया था. सच कहो," पराग ने बड़े प्यार से मुझे बाहोंमे लेकर कहा.

उसकी आँखों में आंखें मिलाकर मैंने पराग को चुम्बन दिया और कहा, "तुम कितने प्यारे हो, हाँ, यह सच हैं की मैं उस आक्रामक और क्रूर संभोग का सचमुच आनंद लिया. तुम्हारी फैंटसी भी पूरी हो गयी."

प्रेम भरे आलिंगन और चुम्बन करते हुए हम लोग बैडरूम की तरफ बढे और आज पराग ने बड़े रोमांटिक तरीके से मुझे संभोग सुख दिया.

अगले दिन, सुबह उठकर पराग अजय के साथ उन सबूतोंको नष्ट करके घर वापिस लौटा. मैंने ही उसे फ़ोन करके कहा, "तुम अजय भैया को भी साथ में लेकर आओ. हम तीनो किसी अच्छे से रेस्ट्रॉन्ट में जाकर भोजन करेंगे."

अजय भैया ने जो हमारी इतने बड़े संकट में मदद की थी, उसके लिए मेरा उनसे विशेष रूप से आभार प्रकट करना आवश्यक था. अजय सांवले रंग के ही हैं मगर उनके फीचर्स अच्छे हैं. बीच बीच में उनसे मुलाक़ात होती रहती थी, हर बार वो मुझसे बड़े प्यार और अपनेपन से पेश आते.

जब पराग ने कहा की उसे मेरे और निखिल के सम्भोग को देख करा मज़ा आया, फिर मैंने सोचा क्यों न अजय भैया को भी खुश कर दूँ. मेरी जैसी सुन्दर, सेक्सी और प्यारी लड़की के साथ संग करने को तो वो एक पल में तैयार हो जाएंगे. पोर्न फिल्मोंमें हमने ऐसे सैंकड़ो दृश्य देखे थे, जहां दो लड़के एक साथ एक लडकीसे अलग अलग प्रकार से संभोग करते हैं. अब गुदा (ऐनल) सेक्स में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी, मगर एक लौडेको चूसना और दुसरे से चुदवाने के सिर्फ विचार से ही मैं उत्तेजित हुई और मेरी योनि गीली होने लगी.

जब मेरा पति स्वयं मुझे रोकता नहीं, बल्कि प्रोत्साहित करता है, तो फिर मैं भी एम्-ऍफ़-एम् थ्रीसम का मजा लूंगी. वैसे भी मैंने गोवा के होटल में उस रात पराग को जूलिया के साथ कंडोम लगाकर चुदाइ करते देखा था. इसलिए मेरा भी मन किया की मैं भी अलग लड़के के साथ सेक्स का मजा लू.

वैसे मुझे पराग और जूलिया के सेक्स से कोई शिकायत नहीं थी, मगर उसने अगले दिन भी मुझे नहीं बताया, इस बात का थोड़ा बुरा तो जरूर लगा. शायद इसीलिए मैं अजय भैया के साथ सेक्स करने के लिए उत्साहित हुई थी, वो भी न की सिर्फ पराग के आँखों के सामने, उसके साथ.

अजय को आकर्षित करने के लिए मैंने ख़ास लाल रंग की साडी, पीले रंग का स्लीवलेस ब्लाउज, काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी. मेरी बाकी के साड़ी ब्लाउज की तरह इस ब्लाउज का भी गला काफी खुला हुआ था. पल्लू सरकते ही मेरे गठीले वक्षोंका और दो वक्षोंके बीच की दरार (क्लीवेज) की आसानी से दर्शन होते थे. रेस्ट्रॉन्ट में अजय मेरे सामने बैठा था और उसे मैं पल्लू गिरा गिराकर अपने वक्षोंके प्रदर्शन से लुभा रही थी.

भोजन समाप्ति के पश्चात हम तीनो पुनः हमारे घर पर आये. लाल वाइन पीते हुए हंसी मजाक शुरू हुआ. फिर मैंने अजय के पास जाकर उसे कहा, "अजय भैया, आप ने हमें एक बड़े संकट से निकाला हैं. मैं आप की अत्यंत आभारी हूँ." इतना कहकर मैंने उसे गले से लगा लिया. तभी पीछे से पराग ने मुझे आलिंगन दिया और मेरी अधनंगी पीठ पर चुम्बन करने लगा. मुझे लगा की पराग ने मुझे संकेत दे दिया की मैं अजय के साथ अपनी इच्छा से जो चाहे करू.

अजय के गालोंपर हलके चुम्बन करके मैंने उसके कानोंमें हलके से कहा, "थैंक यू डिअर अजय भैया. आप कितने अच्छे हो और कितने हैंडसम भी."

"ओह, भाभी, आप कितनी प्यारी हो. माय स्वीट डार्लिंग भाभी," कहकर उसने मेरे माथेपर और गालोंपर किस करने लगा. अभी भी पीछे से पराग मेरी गर्दन, पीठ और कमर को सेहला रहा था. पराग का खड़ा हुआ लंड मेरी गांड के बीच की दरार में चुभ रहा था. साफ़ था की मेरा अजय के साथ आलिंगन चुम्बन पराग को बिलकुल नहीं खटक रहा था, बल्कि वो जैसे की मुझे प्रोत्साहित कर रहा था.

"अजय, मैं आज आपसे बहुत खुश हूँ, यू आर सच अ स्वीटहार्ट," कहके मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए.

"ओह भाभी, यू आर सो स्वीट एंड सो सेक्सी," अजय ने मुझे चूमते हुए कहा.

"अजय, प्लीज मुझे भाभी मत कहो, अनु कहो."

"नहीं भाभी, मेरी युवा अवस्था से एक फैंटसी हैं की मैं तुम्हारी जैसी किसी सेक्सी हॉट भाभी के साथ रोमांस और सेक्स करु. आज मुझे वो मौका मिला है, मुझे भाभी कहने से मत रोको."

अब अजय मेरे होठोंको चूसकर मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ाने लगा. उसके दोनों हाथ अनायास मेरे स्तनोंपर आ गए और उन्हें प्यार से मसलने लगे.

"ओह अजय, तुम कितने गंदे हो," मैंने झूटमूठ की नाराजगी दिखाते हुए अपने मम्मे उसकी छाती पर दबा दिए.

अजय मेरी गर्दन और कानोंको चूमते हुए "ओह मेरी सेक्सी भाभी" की रट लगाए हुए था.

पराग ने मेरे ब्लाउज के पीछे के बटन खोल दिए और दोनों भाइयोंने मिलकर मेरी ब्लाउज उतार दी. अजय मेरे क्लीवेज को चूमने और चाटने लगा. पराग ने पीछे से हाथ मेरे कमर पर लाये और मेरी साडी निकालना शुरू किया. धीरे धीरे एक एक परत हटती गयी और मेरी साडी मेरे पैरों में थी.

अजय मेरे अधनंगे स्तनोंको मसलते हुए बोला, "हाय भाभी, क्या मस्त बूब्ज हैं तेरे. एकदम घट्ट और बड़े बड़े."

एक कंधे पर से ब्रा की पट्टी हट गयी और अजय उसपर गीले चुम्बनों की बौछार करने लगा.

"अजय, तुझे मेरे बूब्ज देखने की, इनसे खेलने की कब से इच्छा थी?"

" जबसे तुम्हे तुम्हारी शादी में पहली बार देखा था. आह, कितने गोरे और स्मूथ स्किन हैं भाभी तुम्हारे बूब्ज," अजय के मुँह से गर्म साँसे निकल रही थी.

पराग ने मेरे लहंगे का नाडा खोला और वो भी नीचे गिर गया. मैं अब काली ब्रा और पैंटी में अजय की बाहों में थी. हाथ नीचे लेकर मैंने उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से ही टटोला और कहा, "साले, अच्छा, तो जब से ही मुझे चोदने के सपने देख रहा था, हाँ. देख तेरा लंड भी कितना उठ गया हैं."

"हाँ भाभी, तुम हो ही इतनी माल," अजय ने मेरी ब्रा का हुक खोलकर कहा.

फिर दोनों भाइयोंकी सहायता से मेरी ब्रा भी अलग हुई और अजय थोड़ा झुककर मेरे स्तनाग्रोंको चूसने लगा.

"और, क्या मस्त गांड हैं तुम्हारी भाभी," मेरे नितम्बोँको सहलाते हुए अजय बोला।

"चल अजय, मास्टर बैडरूम में चलते है, वही पर दोनों भाई मिलकर अनु को चोदेंगे, वो भी एकदम आरामदायक पोज में," पराग ने कहा और हम तीनो बैडरूम में चले गए.

बैडरूम में पहुँचते ही अजय और पराग ने अपने अपने कपडे उतार दिए, अब दोनों भी सिर्फ फ्रेंची में थे. मेरे शरीर पर भी सिर्फ पैंटी ही बची हुई थी. अजय ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरा दाया स्तन चूसने लगा. उसकी देखा देखि पराग भी मेरा बाया स्तन चूसने लग गया. जीवन में पहली बार दो मर्दोंसे संग के विचार से ही मेरी योनि गीली हुई जा रही थी, उसी में दोनों निप्पल एक साथ चूसे जाने से मैं और भी कामोत्तेजित हुई.

"आहां, कितना मजा आ रहा हैं. ऐसे ही चूसो मेरे मम्मोंको।"

"चल अजय, अब तू मेरी चूत चाट और मैं इधर पराग के लौड़े को चूसती हूँ." अब मैं भी दो मर्दोंके साथ पहले थ्रीसम की पूरी मस्ती में आ गयी थी.

एक पालतू कुत्ते की तरह अजय नीचे झुका, मेरी पैंटी निकली और दोनों जांघें खोलकर मेरी गीली योनि पर अपने जीभ, होंठ और दातोंसे सुख देने लगा.

"ले मेरी अनु डार्लिंग, वैसे भी तुझे मेरा लिंग चूसना पसंद हैं मेरी रानी. आज तुम अजय का लौड़ा चूसोगी भी और उससे चुदवाओगी भी."

पांच मिनट के बाद मैं बोली, "चलो, अब दोनों अदलाबदली करो. मुझे पता है की अजय उसकी सेक्सी भाभी से लौड़ा चुसवाने के लिए तड़प रहा हैं. और पराग, तुमको भी तो मेरी गीली चूत को और दाने को चाटने में बड़ा मज़ा आता हैं, न. आ जाओ दोनों."

अजय अपनी फ्रेंची कबकी निकाल चूका था, उसका मोटा और कड़क लिंग जैसे ही मेरे मुँह के सामने आया, मैंने उसे लपक लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.

"आह, मेरी सेक्सी अनु भाभी, क्या मस्त लौडा पीती हो तुम, आह, तुम सिर्फ दिखने में ही माल नहीं हो, बिस्तर में भी एकदम हॉट हो. चल, अब मैं तेरे मुँह को मस्त चोदता हूँ," इतना कहकर अजय शब्दशः मेरे मुँह में अपना लंड जोर जोर से घुसाने लग गया.

वो सारा नज़ारा देखकर पराग से और संयम नहीं हुआ और उसने मुझे अपने कड़क मोटे लौड़े से चोदना आरम्भ किया.

एक लौड़ा मुँह में और दूसरा चूत में, मैं तो सातवे क्या, सत्तरवें आसमान में उड़ने लगी.

"आह, भाभी कितनी लक्की हो तुम, दो दो लौड़े साथ में ले रही हो. मैंने तो सिर्फ तुमको चोदने के सपने देखे थे, ये कभी नहीं सोचा था की तुम थ्रीसम भी करती हो."

"अजय, कल तुम्हें एक और चूत दिलाऊंगा, मेरे ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट और हमारी सेक्स पार्टनर डॉली. आज दिल भर के चोद ले अनु को," पराग हाँफते हुए बोला.

"चल, अब मैं भाभी को चोदूंगा और तुम अपनी अनु डार्लिंग से अपना लौड़ा चुसवाओ पराग भैया," कहकर अजय ने अपना सख्त हथियार मेरे मुँह से निकाला.

परागने उठकर मेरे स्तनोंको मसला और अपना लंड मेरे मुँह में देकर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

अजय ने मिशनरी पोज में ही मुझे चोदना चाहा, मगर मुझे एक और विचार आया.

"पराग, तुम पीठ के बल लेट जाओ, मैं झुककर तुम्हारा लंड चूसती हूँ. अजय भैया, तुम मुझे पीछे से डॉगी पोज में चोदो।"

दोनों मेरे बताये हुए पोज में आ गए और मैं ज़िन्दगी का पहला दो मर्दोंके साथ थ्रीसम का आनंद लेने लगी. अजय मेरी योनि में अपने लौड़े से ठोकर मारने लगा और साथ में मेरे वक्षोंको मसलता गया. पराग अपनी आँखे बंद कर लेटा रहा और मैं उसका लंड चूसकर उसे सुख देती रही. हम तीनों भी अत्याधिक उत्तेजना के बहाव में डूब रहे थे. मेरी योनि से लगातार कामरस बह रहा था, और अजय भी लगभग झड़ने वाला था. पराग के लंडसे वीर्य की बूंदे मेरे मुखमें आ रही थी, जिन्हे मैं प्रेम से निगल रही थी.

"भाभी डार्लिंग, अब मेरा फव्वारा छूटने वाला हैं, तेरे अंदर ही छोड़ दूँ या मुँह में लोगी?" अजय ने पूछा.

"अंदर ही छोड़ दे तेरा गरम पानी मेरी जान," मैं पराग का लौड़ा चूसते और वीर्य की बूंदो को निगलते हुए बोली. उसी समय पराग के वीर्य की पिचकारी मेरे गले में उतर गयी. उसका नमकीन और गाढ़ा वीर्य मैं पीते गयी. और दो तीन पिचकारियोंमें और बहुत सारा वीर्य मेरे गले के नीचे उतर गया.

चार पांच झटके मारने के बाद अजय भी मेरी योनि के अंदर स्खलित हो गया. मैं पराग के बाजू में लेटी और अजय मेरी दूसरी ओर. दस मिनट विश्राम करने के बाद हम तीनो बाथरूम में गए. वहां दोनों भाइयोंने मुझे नहलाया, साबुन के झाग से मेरे स्तन, कूल्हे, पीठ, योनि और जांघोंको अच्छे से साफ़ कर दिया. शावर के नीचे मैंने एक एक करके दोनोंके लंड चूसे, उन्होंने भी मेरे निप्पल्स चूसकर और मेरी चूत को अपनी उंगलिया, होठ, जीभ और दातोंसे बहुत प्यार दिया.

तौलिये से अंग पोंछकर हम फिरसे कामक्रीड़ा में लग गए. पराग योनि चाटता गया और अजय ने मेरे बड़े बड़े वक्षोंके साथ टिट फकिंग किया. फिर पराग को बिस्तर पर लिटाकर मैं उसके लौंड़ेपर सवार हो गयी. उछलते हुए अजय के लंड को चूसती गयी. इस बार अजय जल्दी स्खलित हुआ और अब उसका वीर्य मैंने पी लिया.

पांच मिनट बाद पराग भी वीर्यपतन के करीब आ गया. मैंने नीचे उतारकर उसे चूसने लगी. मेरी खुद की योनिरस से लबालब लिंग चाटने लगी, तभी उसका वीर्य उमड़ा। आज कई दिनोंके बाद मैं खुद की योनि का रस और पराग के वीर्य का मिला-जुला स्वाद ले रही थी.

रात में पराग गहरी नींद में सो गए, मगर अजय को कहाँ नींद आने वाली थी. उसने मेरे स्तनोंको चूसते हुए जगाया और धीरे से कानों में फुसफुसाया, "चलो भाभी, दुसरे कमरे में जाकर एन्जॉय करेंगे."

उत्तेजित हो कर मैंने भी हाँ कर दी. अजय ने मुझे अपनी मजबूत बाहोंमें उठाया और दूसरे बैडरूम में ले गया. मुझे पलंग पर पटक कर वो मेरे बदन पर लेट गया.

मेरे होठ चूसते चूसते उसकी जीभ मेरी जीभ से खेलने लगी. अजय की दोनों हथेलिया मेरे स्तनोंको मसलने में व्यस्त हुई और उसकी बालोंसे भरी जाँघे मेरी मुलायम मांसल जाँघोंसे रगड़ने लगी. उसका लंड भी तन कर मेरी योनि पर घिसने लगा. मानो वो पूरे शरीर से मेरे साथ संभोग सुख लेने की कोशिश कर रहा था.

"आह, अनु, कितनी हॉट और सेक्सी हो तुम," अब अजय ने मुझे भाभी की जगह अनु बुलाया.

"चूस मेरे बॉल्स अजय डार्लिंग, तुझे पसंद आये न ये बड़े बड़े बूब्ज?"

"हाँ अनु," मेरे वक्षोंको मसलते और निप्पल्स चूसते हुए अजय पागल हो रहा था.

"आह, हाँ, ऐसे ही चूसता जा और चबाता जा मेरे निप्पल्स को. आह, यस्स, ओह फक, चूस और चूस मेरे राजा," मैं कामाग्नि में जल रही थी.

मेरे स्तनोंको चूसते हुए उसकी दो उंगलिया मेरी योनि में प्रवेश कर गयी. मैंने भी अपनी जांघें फैलाकर उन्हें अंदर ले लिया. अब अजय की स्तन चूसने और चूत को उंगलियोंसे चोदने की गति तीव्र हो गयी. मैं आँखें मूंदकर एन्जॉय कर रही थी और मेरे मुँह से आह आह की आवाज़े निकल रही थी.

मुझसे और अधिक सुख सहन नहीं हुआ और मेरी चिपचिप योनि से एक जबरदस्त फव्वारा निकला. अजय की दोनों उंगलिया ही नहीं, उसका हाथ भी उस कामरस से भर गया. अब अजय से भी रहा न गया और उसका लम्बा चौड़ा तगड़ा लिंग मेरी योनि में प्रवेश कर गया.

बीस पच्चीस मिनट मुझे मिशनरी पोज में चोदने के बाद मैं घुटनों और हथेलियोंके बल पर घोड़ी बन गयी. अजय दनादन मुझे पीछे से चोदता गया.

"अनु, अब मेरा भी छूटने वाला हैं," हाँफते हुए वो बोला।

"मेरे मुँहे में दे, मैं तेरा पानी निगल जाऊंगी मेरे राजा," मैंने कहा.

झट से उसने अपना हथियार निकाला और मैं घुटनोंपर बैठ गयी. उसके लौड़े के मुँह में लेकर चूसने और आँखों में आँखे डालकर मुस्कुराने लगी.

एक मिनट में ही उसका खीर सा गाढ़ा और स्वाद में नमकीन वीर्य मेरे मुँह में उतरने लगा. मैं निगलती गयी और वो पिचकारियां मारता गया. आखिर चूसते और निगलते हुए मेरा मुँह थक गया. उसके लौड़े के टोपे के ऊपर से वीर्य की आखरी बूंदे चाटकर मैं निढाल हुई.

सुबह देर तक हम दोनों बेहोशी की नींद सोते रहे. जैसे ही पराग जग गए, उसे पता चला की अजय और अनु दुसरे बैडरूम में जाकर चुदाई करे. मगर उसपर पराग को कोई आपत्ति नहीं थी.

तीनो साथ में नहाये और नाश्ता भी साथ में किया. कुछ समय के बाद हम तीनो डॉली से मिलने गए, तो उसने हमें एक बड़े से कॉफ़ी शॉप पर मिलने के लिए कहा.

हमने अजय को डॉली से मिलवाने के बाद क्या क्या हुआ, इसके बारे में पढ़िए अगले भाग में.

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