समीर और उसकी माँ राधा - भाग 02

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Incest+erotica Sameer seduced by mother's innocence.
16k words
4.29
30.9k
3
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Part 2 of the 4 part series

Updated 06/12/2023
Created 12/03/2018
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२०१७ का साल, जुलै का तीसरा सोमवार. सुबहके ७ बजे है.

१८ सालका समीर अभीतक अपने बैडरूम में सोया हुवा है. बैडरूम की खुली खिडकीसे आती सुरजकी रौशनीसे पूरा बैडरूम रोशनीसे भरचुका है. जब वही सुरजकी किरणे बड़े बेडपर पीठ के बल सोये समीरकी आंखोंपर गिरी तब जाकर समीरकी निंदके नशेमे ढकी आँखे जैसे तैसे खुली. समीर इस वक़्त हाफ काली पैंट और सफ़ेद बनियान में है और रोजकी सुबह की तरह उसके लंडने तनकर उसकी पैंट में बडासा टेंट बनाया हुवा है. बेडपर लेटे समीरने एक नजर छतपर CCTV कैमरा पर दौड़ाई और वो अपने तने ८ इंच लंबे लंड को हाफ पैंट में दबाकर छिपाते हुवे मन ही मन बोला, "ये क्या सुबह सुबह मेरा ये डंडा खड़ा होता है,अगर माँ ने देखा तो क्या सोचेगी मेरे बारे में." ऐसा सोचते हुवे वो अपनी आँखे एक हाथसे सहलाते हुवे बेडपर किनारे उठकर बैठा.

बेडके पास ही एक बडासा टेबल था जिसपर एक कंप्यूटर था और वही एक अलार्म वाली घडी थी उसमे समीरने टाइम देखा तो पता चला अभी ७ बज चुके है. ये देखते ही समीरको याद आया के, 'आजतो उसका छोटा भाई और पापा वापस मुंबई के लिए जाने वाले है.' ये याद आते ही वो झटसे बैडरूम से बहार जाने के लिए बेडसे उठ खड़ा हुवा. जल्दी-जल्दी में कुछ कदम चलते ही वो बैडरूम के बंद दरवाजेके पास पहुंचा और उसने दरवाजा खोलकर झटसे सामने माँ-पापा के खुले बैडरूम में तांक-झांक करते हुवे वो जोरसे बोला, "पापा, चीकू, माँ आप सब कहा हो?" लेकिन माँ-पापा के बैडरूम में कोई नहीं था तो वो बगलवाले छोटे भाई के रूम का दरवाजा खोल देखने लगा तो वहा भी कोई नहीं था, लेकिन तभी जोरसे उसकी माँ राधाने किचनसे समीरको आवाज लगायी और वो बोली, "अरे बेटा चिंटू तेरे पापा और चीकू कबके चले गए १ घंटे पहले मुंबई की ट्रैन पकड़ने."

अपनी माँ की बात सुनते ही समीर घरके तीनो आमने-सामने के बेडरूम्स की बिचकि गलीसे किचन की ओर बढ़ते हुवे चौकते हुवे बोला, "क्या?, और आप अभी मुझे बता रही हो. आपने मुझे पापा के जानेसे पहले निंदसे जगाया क्यों नहीं?"

फिर होना क्या था, माँ बेटे में सुबह-सुबह तकरार शुरू हुवी. जब समीर किचन में पहुंचा तब उसकी माँ किचेन कैबिनेट के पास कोनेमे बेसिंग में कुछ डिशेस धोरही थी. राधाने उस वक़्त नहानेके बाद केसरी रंगका पतला गाउन पहना था जिसमे राधाके कामुक अंग गाउन के उपरसे उभरकर खुला प्रदर्शन कर रहे थे. राधाने अपने गोरे मादक बदनपे लगायी हुवी मोगरेके इत्तर की सुगंध किचनके चारो ओर फैल चुकी थी और उसी के साथ हर कदम पर बजती पायलकी छम-छम की मधुर आवाजभी घरके चारो ओर गूंज रही थी. मांग में सिंदूर और डिशेस धोते वक़्त गलेसे लटकता पतिके नामका मंगलसूत्र में मस्त गोरे बदनवाली राधा पूरी सती-सावित्री लग रही थी. और वही सती-सावित्री राधा इस वक़्त किचन में बेसिंग में डिशेस धोते समय अपने बेटे की नाराजगी भरी बातोंका जवाब देरही थी. राधाने डिशेस बेसिंग में साफ़ करते हुवे अपने बेटे की बातपर जवाब दिया, "बेटा तुम गहरी निंदमे थे तो तुम्हारे पापा को तुम्हे निंदसे जगाना ठीक नहीं लगा.अब क्या सुबह सुबह तूम अपनी प्यारी माँ को इस छोटीसी बातपर डाटोगे?"

अपनी माँ की बात सुन समीर डिशेस बेसिंग में धोती माँ के पीछे खड़ा होकर बोला, "माँ ऐसी बात नहीं है लेकिन पापा और चीकू मुझे मिलकर मुंबई के लिए जाते तो मुझे अच्छा लगता."

अपने बेटे की बात सुन राधा डिशेस साफ़ करते हुवे बोली, "बेटा तू तो अभिसे अपने पापा और चीकू को मिस करने लगा, आजायेंगे वो दोनों कुछ हफ़्तोंबाद फिरसे. और दुसरीबात ये के तुम्हारे पापा के जानेके बाद तुम्हे अब घरपर पढ़ाई के लिए डाँटनेवाला कोई नहीं है. तुम्हारे तो मजे है आजसे."

अपनी माँ की ये प्यारी बात सुन समीरका चेहरा खिल उठा और वो झटसे बेसिंग में डिशेस धोती अपनी मादक माँ को पिछेसे बाहोंमे लेलिया और समीर अपनी माँ के मस्त पिछवाडेको अपनी कमर से दबाते हुवे अपनी माँ से पूरा पिछेसे चिपक गया. उसके दोनों हाथ राधा की मस्त कातिल कमरपर थे और वो अपनी माँ को पिछेसे कसकर बाहोंमे लिए बनियान और हाफ पैंट में खड़ा था. अगर समीरकी जगह दूसरा कोई होता तो अबतक उसका लंड पैंट में तनकर राधाको अपनी गाउन से उभरी गांडपर चुभता हुवा महसूस हुवा होता, लेकिन समीरका लंड पूरा मुरझाया हुवा ही था याने उन्ह दोनों माँ-बेटे के प्रेम में हवस की गुंजाइश दूर-दूर तक नहीं थी सिर्फ था वो था एक माँ-बेटे का सच्चा प्यार.

अपनी माँ की बात सुन समीर अपनी मादक माँ को पिछेसे बाहोंमे लिए अपना मुँह अपनी माँ के कान के नजदीक लेजाकर बोला, "इसी लिए तो आप दुनिया की सबसे अछि माँ हो."

अपने बेटेकी प्यार भरी बाहोंमे राधा डिशेस धोती हुवी अपने बेटे की बातपर बोली, "वो तो में हु ही मेरे जिगरके तुकडे."

समीर की बाहोंमे राधा की गद्देदार गांड गाउन से उभरकर बार बार समीरकी कमर से दब और घिस रही थी, उस कारन उस वक़्त राधाके मुँह से एक धीमी दर्द भरी सिसकारी निकली, "आह्ह्हह्ह्ह्ह हाय रे."

अपनी माँ की दर्द भरी आवाज सुन समीर अपनी माँ से अलग हुवा और राधाके पीछे खड़ा होकर चिंतित होकर बोला, "क्या हुवा माँ, कोई परेशानी है?"

राधा लास्ट वाली डिश बेसिंग में धोकर साइड में एक ट्रे में रख अपने पिछे खड़े बेटे की ओर मुड़ी और बोली, "नहीं बेटा वो जरा डिश साफ़ करते समय कुछ चुभा." ऐसा बोलकर वो मन ही मन बोली, "बेटा तुम्हे अब क्या बताऊ तुम्हारे पापा ने मेरे पिछवाडेकी कल रात जमकर पिटाई की इतनी के अभीतक मेरे पिछवाडेकी चंबड़ी जलन कर रही है."

फिर आगे माँ बेटेके बिच पुरे २० मिनट तक बाते चली. उसमे राधाने रातमे एकसाथ टीवी पर मूवीज़ देखने की बात की और समीरने अपने पसंदीदा वेज-बिरयानी की ख्वाइश वाली बात की उसी के साथ समीरने हर दिन लगातार २ घंटे तक कंप्यूटर पर गेम खेलने के लिए माँ से मंजूरी भी ली जिसके लिए उसके पिता रणदीप सख्त खिलाफ थे, और बहुतसारी बाते किचन में उन्ह दोनों माँ-बेटमे हुवी. शॉर्ट-कर्ट में कहे तो माँ-बेटे रणदीप और श्रवणकी गैरमौजूदगी में घरपर फूल मस्ती के मूड में है. इस मस्ती में उन्ह दोनो माँ-बेटे के रिश्ते में प्यार कूट-कूट कर भरा हुवा दिखता है जिसपर आगे ग्रहण लगने ही वाला है.

*****

दिन प्रति दिन राधा और समीरके माँ-बेटे के रिश्ते में प्यार बढ़ता गया. अपने पति और छोटे बेटे श्रवणके मुंबई जानेके बाद राधा अपने बेटे समीरपर पढाईके लिए कोई दबाव नहीं डालती थी. समीर जब चाहे पढ़ाई करता और जब चाहे अपने बेडरुमें कंप्यूटरपे गेम खेलता फिर रातमे डिनर से पहले अपनी प्यारी माँ राधाके साथ घरके हॉलमे फर्शपर फैलाये मुलायम गद्दोंपर अपनी माँ के साथ लेटकर ४९ इंच वाली सामने दिवारसे लगी एलसीडी टीवी पर मूवीज का मजा लेता, तो कभी-कभी माँ के बैडरूम में सोनेसे पहले माँ के साथ बेडपर तीन-पत्ति खेलता. और फिर रोज सुबह बस या रीक्षा से कॉलेज १० बजे चला जाता, सिर्फ वही एक वक्त रहता जब मादक गोरे बदनवाली राधा अकेली अपने बेटे के बिना घरपर बोर होजाती. और जब समीर कॉलेज से वापिस घर लौटता तब उसे रातमे अजब गजबके पकवान डिनर में देती. पुत्र मोह में राधा इतनी खोगई थी के उसे अपनी प्यासी गुलाबी योनिका ख़याल ही नहीं आया जिस कारन वो दिन-रात अपने पतिके कामुक स्पर्शको यादकर बेडपर जैसे तैसे करवटें बदल-बदल कर रातमे सोती थी. ऐसे ही दिन बित्ते गए और पुरे २ हफ्ते बाद वो दिन भी आया जिस दिन इस माँ और बेटे के प्यारसे भरे रिश्ते में भूचाल शुरू होने ही वाला था.

*****

२०१७ का साल, ऑगस्ट के पहले हफ्ते का मंगलवार दोपहरके १२ बजे है.

इस वक़्त समीर अपने ITI कॉलेज में है. समीरका कॉलेज ज्यादा बड़ा नहीं लेकिन अलग-अलग कोर्सेस केलिए अलगसे बिल्डिंग्स बडेसे सुरक्षित कम्पाउंड में बने हुवे है, वो इमारते एक रास्तेसे लगकर एक दुसरके साइड में सीधी रेखा में बनी हुवी है. तो समीर था सिविल ड्राफ्टमैन वाली शाखा में जिसकी २ मंजिला ईमारत थी जो एक दम लास्ट रास्तेके किनारेसे लगकर थी. उस इमारतमे निचे पहली मंजिलपर बडासा हॉल था जहा सारे ४२ स्टूडेंट्स केलिए डेस्क थे, तो ऊपरी मंजिलपर एक बडासा स्टाफ-रूम था जहा सिविल-ड्राफ्टमैन की शाखा से जुड़े शिक्षक अपना रूटीन वर्क करते और निचली मंजिलपर टाइम-टू-टाइम अपना सब्जेक्ट स्टूंडेंट्स को सिखाने जाते. इस कॉलेज में समीरके ज्यादा फ्रेंड्स नहीं है सिर्फ १ ही फ्रेंड है जिसका नाम है रशीद जो उसी के साथ एक ही शाखा में पढ़रहा है. समीरके दोस्त रशीद के बारे में आपको आगे कहानिमे बहुतकुछ पता चलेगा.

तो इस समय समीर सिविल-ड्राफ्टमैन की शाखामे बड़े हॉल में मौजूद है जहा समीर ४२ ड्रॉईंग बेंचेस मेंसे लास्ट वाली बेंचपर बैठा टीचर ने दी हुवी डायग्राम बड़े कोरे कागजपर कम्प्लीट कर रहा है. समीरकी आगे वाली बेंच पर उसका दोस्त रशीद बैठा हुवा है जो १८ सालके समीरसे पुरे ५ साल बड़ा है. इसी शाखामे पिछले २ सालसे रशीद फेल होकर कोर्स के पहले सालमे ही अटका हुवा है. इसकी वजह थी रशीद के दिमागमे घुसा हुवा हवासका कीड़ा. रशीद का शरीर पूरा काला तगड़ा ५.6 फिट लंबा है. रशीद के गालपर एक चाकुका वार है जो रशीद को एक बदसूरत जल्लाद जैसी शकल देता है, जिसे देख कॉलेज की हर लड़की डर की वजहसे रशीद से दुरी बनाये हुवे रहती, इसी कारन बेचारा रशीद अभीतक हवस का प्यासा है. और यही हवासका भूका हमारे समीरका दोस्त है.

आपको पता ही होगा के बुरी संगतका नतीजा क्या होता है, तो ये समझ समीरको जल्दी ही आने वाली है और रशीद किस हद तक हवसमे डूबा हुवा है, ये भी आपको आगे कहानिमे पता चलेगा.

वक्त दोपहरके १२ बजकर ३० मिनट.

समीर कॉलेज की नीली फूल पैंट और हाफ सफ़ेद शर्ट की यूनिफार्म में क्लास रूम की ड्रॉइंग बेंच पर बैठा हुवा टीचर ने दी हुवी इंजीनियरिंग की डायग्रामके अंतिम पड़ावपर था. क्लास में समीरके साथ ४१ स्टूडेंट्स मौजूद है जो सब लड़के ही है, वो सभी अपने-अपने बेंचेस पर अपना काम कर रहे थे. उस समय हॉलमे सब स्टूडेंट्स के अलावा कोई नहीं था, उसी वक़्त क्लास रूम्की लास्ट वाली बेंचपर बैठे समीरकी दर्दसे भरी चीख निकली. "अह्ह्ह्हह्हह माँ. हे भगवान् ओह्ह्ह." समीर अपना लंड पैंट के उपरसे सहलाते हुवे दर्दभरी आहे लेते हुवे खड़ा हुवा. क्लासरूम के सब स्टूडेंट्स अब पीछे मुड़-मुड़कर समीरकी तरफ देख रहे थे. समीरके आगे वाले बेंच पर बैठा उसका दोस्त रशीद समीरकी ओर देख बोला, "अबे क्या हुवा, चिल्लाया क्यों?"

क्लास रूम के सब स्टूडेंट्स को अपनी तरफ देखता देख वो दर्द को अपने अंदर दबाकर रशीदकी बातका जवाब दिए बिना क्लास रूमसे बहार चला गया. उसके पीछे उसका दोस्त रशीद भी पीछे-पीछे क्लास रूमके बहार गया.

क्लासरूम से बहार आते ही समीर क्लास्सरूमसे लगे टॉयलेट में घुस गया और अपनी पैंट की पोस्टर खोल अपना दर्द कर रहा लंड बहार निकाला तो उसपर एक चींटी चिपकी हुवी थी जिसके दांत समीरके लंड की टोपी में घुसे हुवे थे. उस चींटी को अपने लंड पर देख वो दर्दसे आहे लेते हुवे मन ही मन बोला, "अह्ह्ह्ह साली कमिनी मेरा लंड ही मिला तुझको काटने के लिए, मरगया अह्ह्ह." ऐसा बोलकर उसने उस लाल-काले रंगकी चींटी को धीरेसे अपने दर्दसे लाल होचुके लंड पर से हटाया. के तभी पीछे से आवाज आयी, "अबे साले हुवा क्या?"

समीर दर्दसे आहे लेते हुवे पीछे मुड़कर उस आवाजकी ओर देखने लगा तो वो था उसका दोस्त रशीद उसे देख उसने अपना दर्द करता लंड धीरेसे पोस्टरमे डाला और वो बोला, "अबे साले कुछ पूछ मत अब. मुझे तो अब घरपे जाना है, बहोत दर्द कर रहा है लंड आह्ह्ह्हह्ह. "

आगे जब रशीदको समीरके दर्दका कारण पता चला तब वो तो हस-हस के लोटपोट होगया. समीरको दर्दसे बिल-बिलाता देख हसिके मारे रशीदके आखोंसे आंसू आने लगे. उसने उस वक़्त टॉयलेट में समीरका बहोत मजाक उड़ाया. रशीदको अपने ऊपर हस्ता देख दर्दसे बिल-बिलाता समीर अपना लंड पैंट के उपरसे एक हाथसे सहलाते हुवे रशीदसे बोला, "हसले कमीने, जब तू दर्दसे ऐसे तड़पेगा तब में भी ऐसे ही हसूंगा." अपने दोस्त की ये बात सुन रशीदकी हसी रुकी और वो समीरकी दर्दसे पनियाई आंखोंमे देख बोला, "अबे साले तेरा दोस्त इतना भी कमीना नहीं है,अब क्या ऐसे बिल-बिलाते हुवे घर जाएगा. में अपने एक दोस्तको रिक्शा लेकर अभी बुलाता हु, वो तुझे घर छोर देगा ठीक है भाई?"

रशीदकी बात सुन समीर दर्दसे आहे लते हुवे अपना दर्द करता लंड पैंट के उपरसे एक हाथसे सहलाते हुवे बोला, "ठीक है कमीने, आह्ह्ह्हह्ह तू तब तक मेरी स्कुल बैग लेके आ में यही रुकता हु टॉयलेट में. और टीचर को बोल के समीरकी तबियत ख़राब है तो वो घर जारहा है."

समीरकी बात सुन जैसे तैसे हसी रोके हुवे रशीद टॉयलेट से बहार जाते हुवे फिरसे पीछे मुड़ा और दर्दसे बिल-बिलाते समीरकी ओर देख हस्ते हुवे बोला, "अबे साले तू बड़ा खुश नसीब है के तेरा लंड लड़की नहीं तो नहीं लेकिन किसी चींटी ने तो मुँह मे लिया, हाहाहाहाहा."

रशीदकी बात सुन समीर घुस्से में लाल होकर रशीदसे बोला, "अबे साले भाग यहांसे."

समीरका घुस्सा देख रशीद वहांसे हस्ते हुवे टॉइलेट्से बाहर चला गया. थोड़ी देर बाद रशीद समीरकी स्कूलबैग और टीचर से समीरको घर जानेकी मंजूरी लेकर वापिस टॉयलेट में दर्दसे बिल-बिला रहे समीरके पास आया. फिर वो दोनों वहांसे सीधा कॉलेज के एन्ट्री गेट पर पहुंचे जहा रशीदने बुलाई हुवी रिक्शा वही नजदीक मौजूद थी उसमे समीरको रशीदने बिठाया और आखरी बार समीरका मजाक उड़ाते हुवे समीरको घर के लिए रवाना किया.

रिक्शा से घर जाते समय दर्दसे बिल-बिला रहे शर्मीले समीरके दिमागमे अब यही एक बात आरही थी के अब वो अपनी माँ को दर्द की वजह क्या बताएगा?

*****

मंगलवार दोपहरके १ बजकर १५ मिनट.

इस वक़्त राधा अपने घरके हॉल में फर्शपर फैलाये मुलायम गद्दोंपर तकिया सर के निचे रख पीठके बल आरामसे पतले नीले गाउन में अपनी मांसल गोरी टाँगे एक दुसरेके ऊपर रख लेटी हुवी है, और सामने दिवारसे लगे LCD टीवी में हॉलीवुड की 'टायटेनिक' मूवी देख रही है. मूवी इतनी रोमांटिक और कामुक थी के मादक राधाके पतले केसरी रंगके गाउन से उभरे कामुक अंग काम-अग्नि से गरम होचुके थे. अपने प्यारे पतिकी मुवीके हीरोकि जगह कल्पना कर वो अपने सैयाकी यादोंमें खोकर हॉल में फैलाये गद्दोंपर लेटे हुवे पिछले ३० मिनट से मूवी देख रही थी और मुवीमे चुंबन वाला सिन चलने ही वाला था के तभी दरवाजे की बेल बजी, "टिंग टिंग टिंग टिंग टिंग!"

डुअर बेल की आवाज सुनतेही हॉल में फर्शपर फैलाये मुलायम गद्देपर लेटी राधा ने चौकते हुवे LCD टीवी के ऊपर दिवारसे लगी बड़ी घडीपर टाइम देखा तो अभी १ बजकर १५ मिनट हुवे थे, तो वो मन ही मन बोली, "अब इस वक़्त कौन होसकता है?" ऐसा सोचते हुवे गदराये गोरे जिस्म की मालकिन राधा फर्शपर फैलाये गद्देपरसे उठ खड़ी हुवी और सामने हॉल के दरवाजेके नजदीक अपनी कमर मटकाते हुवे गयी फिर जब उसने दरवाजेके पिन होल से देखा तो उसे उसका बेटा चिंटू दरवाजेके बहार खड़ा दिखा, तो कोई देर किये बिना राधाने झटसे दरवाजा खोला.

दरवाजा खोल आगे जो भी कुछ राधाने देखा उसे देख राधाके माथेपर चिंता की लकीर आगयी. उसके सामने उसका बेटा पसिनेसे तरबतर स्कुल यूनीफॉर्म में कंधेसे स्कूलबैग लटकाये हुवे खड़ा था और उसके गोरे चहरे पर दर्द साफ़ राधाको महसूस हुवा. गहरी चिंता में डूबी राधाने सामने पसिनेसे तर-बतर खड़े अपने बेटे से पूछा, "क्या हुवा बेटा?" लेकिन अपनी माँ के उसके लिए चिंतासे भरे सवालका कोई जवाब दिए बिना समीर घरमे दाखिल हुवा और अपने बैडरूम की तरफ बढ़ते हुवे पीछे मुड़कर अपनी माँ की ओर देख सिर्फ यही कहा के, "माँ मेरा सर दुःख रहा है, तो स्कुल से छूटी लेकर आया हु." ऐसा बोलकर वो ज्यादा कुछ कहे बिना हॉल से सीधा अपने बैडरूम की ओर गया.

दूसरी तरफ बेटेके लिए चिंता में डूबी राधा हॉल का दरवाजा बंदकर हॉल से सीधा अपने बेटेके बैडरूम की ओर बढ़ी. तीनो आमने-सामने वाले बेडरूम्स की बिचकि गलीमे आकर राधा समीरके बैडरूम की ओर देखने लगी तो समीरका बैडरूम का दरवाजा बंद था, जिसे राधाने बाहरसे खोलनेकी कोशिश की लेकिन दरवाजा बाहर से खुला ही नही. याने समीरने अंदरसे अपना बैडरूम का दरवाजा लॉक करदिया था, ये देख राधा का कलेजा अपने बेटेकी फ़ीकरमे फटने लगा. उसने झटसे समीरके बंद दरवाजेके बहार खड़ी होकर दरवाजा एक हाथसे खट-खटाते हुवे वो अपने बेटेको बोली, "बेटा चिंटू क्या बात है, बताव मुझे. कोई चोट लगी है?" तभी समीर दर्द भरी सिसकारी लेते हुवे बंद बेडरूमसे माँ की बात सुन बोला, "माँ सिर्फ सर दुःख रहा है, और कुछ नहीं अह्ह्ह. अब माँ आप मुझे सोने दीजिये."

बेटेकी बात में राधा को दर्द की लहर महसूस हुवी और वो मन ही मन बोली, "हे भगवान इस लड़केकी छिपाने की आदत एक दिन मेरी जान लेकर ही रहेगी." एसा सोचते हुवे वो जल्दी-जल्दी वापिस हॉल में गयी, वहा फर्शपर फैलाये गद्देपर उसका मोबाइल था जो आय-फ़ोन की कंपनी का था, उसे उठाकर उसने घरके cctv के कॅमेरा टर्न-ऑन किये और वो अपने बेटेके बैडरूम में लगे कॅमेरा से देखने लगी तो मोबाइल की बड़ी स्क्रीन पर समीरके बैडरूम का पूरा नजारा अब दिख रहा था. राधा हॉल में खड़ी मोबाइल दोनों हाथोंसे पकड़कर अपनी नशीली नजरे मोबाइल स्क्रीन पर जमाये हुवे थी. उस वक़्त समीर बैडरूम में बेडपर किनारे बैठा हुवा शर्ट निकाले हुवे सिर्फ स्कूलकी नीली पैंट और सफ़ेद बनियाँनमे था, तब वो दर्दसे बिल-बिलाते हुवे अपनी पैंट में एक हाथ डाले हुवे अपना दर्द करता गोरा सुजा हुवा लंड एक हाथसे सहेला रहा था, लेकिन जैसे ही उसकी दर्दसे पनियाई नजरे ऊपर छतपर लगे CCTV कॅमेरा पर गयी तब उसे कॅमेरा की लाल लाइट ऑन दिखी उसे समज आया के उसकी माँ कॅमेरा से उसपर नजर रख रही है. ये देख उसने बेडपर रखा हुवा स्कूलका शर्ट एक हाथसे फेंक कर सीधा कैमरा पर डाला जिस्से अब राधा को अपनी मोबाइल स्क्रीन पर कुछ नहीं दिख रहा था.

मुँह-फट और खुले विचारो वाली राधा ने कॅमेरा से जितना कुछ देखा था उस्से राधा के दिमागमे अपने बेटेके दर्द का कारन उसे पता चल चुका था, तो उसने मोबाइल गद्देपर फेंका और वो मन ही मन बोली, "अब पता चला के मेरा छोरा मुझसे अपने दर्द के बारे में छिपा क्यों रहा है. मेरे बेटे में मेरा ही खून दौड़ रहा है फिरभी ऐसी गुप्त-अंगोंसे जुडी हुवी परेशानि अभीतक खुलकर बताना नहीं सीखा, कभी कभी तो शक होता है के ये मेरा ही बच्चा है या अस्पतालमे किसी और के बच्चेसे अदला-बदली होगयी." ऐसा मन ही मन बोल वो अपने बेटेके बैडरूम के दरवाजेके नजदीक अपनी मस्त कमर मटकाते हुवे गयी और फिर समीरके बैडरूम के बंद दरवाजेके बहार खड़ी होकर दरवाजे को एक हाथसे खटखटाते हुवे ऊँची आवाजमे बोली, "बेटा दरवाजा खोल. देखने दे मुझे क्या परेशानी है वो, जल्दी खोल दरवाजा."

फिर आगे जिद्दी माँ-बेटे में शुरू हुवी जंग, कोई पीछे हटने को तैयार नही. राधा बंद बैडरूम के दरवाजेके बहार खड़ी अपने बेटेको दरवाजा खोलने के लिए बोलरहि थी और शर्मिला समीर बेडरुमके बहार खड़ी माँ से कहे रहा था के, "माँ मेरा सर दर्द कर रहा है, मुझे आराम करने दो. मुझे अकेला छोर दो माँ."

समीर कैसे भी करके अपनी माँ को अपने दर्द की असली वजह बताना नहीं चाहता. लेकिन उसकी माँ भी कहा चुप बैठने वालोमेसे थी, राधाने अपने बेटेको इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू किया और वो बोली, "बेटा देख अब मुझे रोना आरहा है, अगर तूने दरवाजा नहीं खोला तो में यही रोदुंगी.क्या तुम्हे अपनी माँ रोते हुवे अछि लगेगी?"

राधाने अपना इमोशनल वाला दाव फेंका और समीर उसमे फसगया, उस बेचारेने अपनी माँ की बात सुन अपने दर्द को जैसे-तैसे काबू करते हुवे बैडरूम का दरवाजा खोला और सामने दरवाजेके पास खड़ी अपनी माँ की नशीली आंखोंमे देखने लगा. उस वक़्त समीर बनियान और स्कूलकी नीली फूल-पैंट में अपनी गोरी माँ के सामने खड़ा था. उस वक़्त समीर कुछ बोलता उसके पहले नीला पतला गाउन पहनी राधा अपने बेटे की आखोंमे देख बोली, "देखो बेटा ऐसे दर्द को छुपाना सही बात नहीं है, में तुम्हारी माँ हु समझे, अब बताओ क्या हुवा?, क्या परेशानी है?"

अपनी माँ की बातसुन बैडरूम के खुले दरवाजे के अंदरकी ओर नजदीक माँ के सामने खड़ा समीर अपनी नजरे निचे फर्शकी ओर करते हुवे बोला, "माँ मैने कहाना के मेरा सर दर्द कर रहा है. अब आपको और क्या बताउ."

राधाके कामुक बदनसे आती मोगरेकी खुशबु समीरको एक अलगसा आनंद या कहे दर्दसे थोड़ी राहतसि पहुंचा रही थी.

दुसरि तरफ राधाने सामने नजर झुकाये बनियान और पैंट में खड़े बेटेकी बातसुनि तो वो झटसे बोली, "बेटा क्यों झूठ बोल रहे हो, में तुम्हे अछेसे पहचानती हु के तुम कब झूठ बोलते हो और कब सच समझे, और दूसरी बात ये के मैने तुम्हारे बैडरूम वाले कॅमेरा से सब देखलिया है, मै जान चुकी हु के तुम्हे तकलीफ सरमे नहीं नुनु में है."

अपनी माँ की बातसुन समीर चौकते हुवे अपनी माँ की नीली नशीली आंखोंमे देख हकलाते हुवे बोलने लगा, "म म म माँ नुनु मतलब?"

समीर ये सवाल पूछकर ही अपने दर्दको और बढ़ाने का न्योता दे बैठा. मुँह फट राधाने सामने खड़े अपने बेटेके सवालका झटसे जवाब दिया, "तेरा लंड बेटा, लंड ही तो तेरा दर्द कर रहा है ना. में तेरी माँ हु समझा, कोई चीज मुझसे छिप नहीं सकती. अब अच्छे बच्चे की तरह दिखा क्या हुवा है वो."

अपनी माँ की 'लंड' वाली बात सुन समीरने अपनी आँखे फिरसे निचे शर्मसे झुकादि और वो ग़ुस्से में बोला, "माँ आपको कितनी बार कहा है के ऐसे शब्द इस्तेमाल मत करो, इसी के कारन में आपके साथ कही बहार नहीं जाता. ऐसे कोई बोलता है छी!"

*****

समीर जब १४ साल का था, तभीसे उसे अपनी माँ के मुँह फट और खुले स्वभावका अंदाजा हुवा. उसने कई बार अपनी माँ को खुलम-खुला बहार उसके दोस्तोंकी मम्मियोंके साथ बातचीत करते हुवे 'गांड','चूचिया', ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हुवे सुना था. वो शब्द उसकी माँ ने दूसरी औरतोंकी तारीफ़ और मजाकमें कहे गए थे. उन्ह दिनों समीरको अपनी माँ के मुँह फट स्वभावके वजहसे अपने दोस्तोंके सामने काफी शर्मिंदगी भी महसूस हुवी थी.

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अपनी माँ के मुँह-फट स्वभावकी वजहसे समीर १४ साल से अबतक अपनी माँ के साथ कही बाहर अकेला घूमने या दोस्तोंके सामने गया ही नही. राधा का मुँह फट स्वभाव राधाको उसे अपनी माँ से मिला था तो खुले विचारोंमें गंदे शब्दोंका तड़का उसकी बचपनकी सडक़छाप सहेलियोंकी बाते सुन-सुन कर लगा था. आज समीर १८ सालका है और उसकी माँ राधा ने उसके सामने सीधा 'लंड' शब्द का प्रयोग किया और किशोरी अवस्था में आचुका समीर अपनी मादक माँ के मुँह से 'लंड' शब्द सुनकर उसका दर्द करता लंड काम-उत्तेजना में पैंट के अंदर झटके मारने लगा जिस्से अब समीरका दर्द असहनीय होचुका था, फिरभी वो बेचारा वही माँ के सामने बेडरुमके दरवाजेके नजदीक नजर झुकाये खड़ा था लेकिन अब उसकी आखे दर्दसे पनिया चुकी थी.

पतले नीले गाउन में खड़ी गोरे जिस्म की मालकिन मुँह-फट राधा सामने नजर झुकाये खड़े अपने बेटेकी बात सुन झटसे बोली, "साहबजादे के नखरे तो देखो, दर्दसे हालत ख़राब है और अपनी माँ को डाँटनेका मौक़ा नहीं छोर रहा. कितना शर्मीला है तु मेरे लाल, ऐसी बातोंमे बेशर्म बनो बेटा नहीतो दर्द से तुम ही तड़पोगे और तुमसे ज्यादा में. अब जल्दी से नुनु दिखा अपना, देखने दे क्या हुवा है वो."

दर्दसे बिल-बिला रहा समीर वही जैसे-तैसे अपनी दर्दसे पनियाई नजरे उपरकी ओर कर अपनी माँ की नशीली आंखोंमे देख सामने खड़ा अब अपनी मुँह फट माँ के सामने हार मान चुका था. वो आगे माँ की बात पर दर्द भरी सिसकारी लेते हुवे बोला, "आह्ह्ह्ह, माँ आप सही हो मेरे दर्द के बारे में, वहा मुझे कॉलेज में एक चींटी ने कांटा इसलिए दर्द होरहा है. लेकिन में अब बच्चा नहीं हु माँ. आप जो बोलरहि हो वो में नहीं दिखा सकता."

अपने बेटेके लंड के दर्दसे पनियाई बेटेकी आंखोंमे देख राधा ने बेडरूमकी CCTV कॅमेरा पर अपनी नजर दौड़ाई और वो बोली, "बचपनसे लेकर आजतक तुझे बहोतबार नंगा देख चुकी हु, शर्मा मत मेरे सामने मेरे लाल. तुझे दर्द में देख मुझे पीड़ा होरही है बेटा." ऐसा बोलकर राधा की नशीली आँखे भी बेटे का दर्द देख पनिया गयी.

समीरको अपनी माँ की कॅमेरा से उसे देखने वाली बात जराभी अछि नहीं लगी और इसी बातपर माँ-बेटे में वही बेडरूम के दरवाजेके पास बहस शुरू हुवी जो १० मिनट तक चली, जिसे राधाने सिर्फ़ एक बात कहकर वो बहस जीतलि वो बात थी के, "देख मेरे लाल अगर कॅमेरा आज तेरे बैडरूम में लगा हुवा ना होता तो आज तेरे इस दर्द से में अनजान रहती समझे. तेरा शर्मिला और किसीभी दर्दको छिपानेका स्वभाव जबतक तुझमे रहेगा वो कॅमेरा तेरे रूम में लगा हुवा ही रहेगा." अपनी माँ की ये बात सुन समीरकी तो बोलती ही बंद होगयी थी उस वक्त. फिर आगे समीर हिम्मत करके अपनी मुँह फट माँ के सामने खड़ा दर्दसे बिल-बिलाते हुवे बोला, "माँ प्लीज़ मुझे अकेला छोर दो, आपकी वजहसे मेरा दर्द और बढ़ रहा है. आप डॉक्टर नहीं है जो में आपको अपना वो दिखाऊ."