समीर और उसकी माँ राधा - भाग 02

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राधा अपने सामने बनियान और पैंट में खड़े बेटे की दर्द छिपाने की जिद्द देख ग़ुस्से में बोली, "अब तुम्हारा कुछ ज्यादा होरहा है बेटा, प्यारसे समझा रही हु समजले वरना थप्पड़ मारकर समझाउंगी. इतनी ही अपनी माँ से शर्म आरही है तो आँखे बंदकर और अपना नुनु दिखा. अब अगर तुमने ज्यादा नखरे दिखाए तो आगे बोलूंगी नहीं सीधा मेरे हाथकी ४ उंगलियोंके निशाँन तेरे गालपर होंगे."

अब राधाने अपना आखरी ग़ुस्से वाला हथियार अपने दर्द को छिपाये हुवे सामने खड़े अपने शर्मीले बेटे पर इस्तेमालकिया जिस्से समीर भली भाति परिचित है, क्योके उसे पता था के अगर उसकी माँ ने उसे बोला है के वो उसे थप्पड़ मारेगी तो वो जरूर मारेगी. तो वो अब एक तरफ अपनी माँ राधाके गुस्से और दूसरी तरफ अपने चींटी के काटनेसे सूजे लंड की दर्दकी लहरमे दोनों तरफसे पिस्ता जारहा था. तो होना क्या था बेचारे समीर ने अपनी आँखे बंद की और उसके सामने खड़ी उसकी माँ राधाने जब अपने बेटेको आँखे बंदकिये हुवे देखा तो समज गयी के उसका बेटा आगे क्या करने वाला है.

वक़्त १ बजकर ३० मिनट

राधा अपने घरके तीनो आमने-सामने के बेडरूम्स की बिचकि गली में खड़ी अपने बेटे समीर के बेडरुमके दरवाजेके नजदीक खड़ी थी. खुले दरवाजेकी अंदरकी ओर समीर बनियान और नीली स्कूलकी पैंट में अपनी आँखे शर्मसे बंदकिये हुवे अपनी माँ के सामने खड़ा था. उसका एक हाथ उसकी पैंट की झीप को धीरे धीरे निचे सरकाकर खोल रहा था और उसकी माँ सामने खड़ी टक-टकी लगाये हुवे समीरकी पैंट की खुलती पोस्टरकी तरफ देख रही थी.

अपने सामने आँखे बंद किये बेटेको अपनी आज्ञाका पालन करता देख राधा के ममता से भरे कलेजेको ठंडक पहुंची और वो समिर की धीरे धीरे खुलती पैंट की पोस्टर को देख बोली, "मेरा राजा बेटा, मेरे ग़ुस्से का बुरा मत मान. मेरा ग़ुस्सा तेरी भलाई केलिए था मेरे लाल. अब ऐसेही धीरे-धीरे नुनु को अपनी पोस्टर्से बहार निकाल ज्यादा जल्दी मत कर नहीतो दर्द होगा."

दूसरीतरफ समीर आँखे बंदकर अपनी माँ के सामने बैडरूम के दरवाजेके नजदीक खड़ा पैंट की झीप एक हाथसे निचे करते हुवे मन ही मन बोला, "हे भगवान् बहोत दर्द होरहा है आअह्ह्ह्हह, मेरी माँ ऐसी क्यों है, पता है मुझे के उन्हें मेरी बहोत चिंता होरही है लेकिन ऐसे कौन अपनी खुदकी माँ के सामने अपना लंड निकालकर दिखाता है. अगर माँ आपकी यही जिद्द है तो यही सही. में भी ये दर्द अब सहे नहीं सकता." ऐसा बोलकर उसने झटसे अपनी पैंट की झीप खोली और पैंटके अंदर पहनी काली चड़िका इलास्टिक एक हाथसे निचे कर अपना सुजा हुवा लंड धीरे-धीरे पोस्टर से बाहर निकालने लगा उस वक़्त समीर आँखे बंदकिये हुवे दर्दसे सिसकारियां लेते हुवे बोला, "अह्ह्ह माँ,"

अपने बेटेकी दर्द भरी आवाज सुन बेटेके सामने नीले पतले गाउन में खड़ी गोरे कातिल बदनवाली राधा झटसे बेटेकी पैंट की तरफ देख बोली, "बेटा धीरे निकाल नुनु को, पता है तुझे बहोत दर्द होरहा है मेरे लाल. दर्द की दवा के लिए दर्दको को भी देखना जरुरी है बेटा, धीरे-धीरे निकाल."

राधाके सामने बंद आँखे कर खड़े समीरने अपनी माँ की बात सुन धीरे-धीरे कर पैंट की पोस्टरसे अपना सुजा हुवा गोरा लंड अपनी कामुक माँ के सामने बाहर निकाला. उसकी गोटियोंकी थैली चड्डी की इलास्टिक से दबी छिपी हुवी थी.और अब राधाके नजरोंके सामने उसके बेटका मुरझाया हुवा ४ इंच लंबा सुजा हुवा लंड था जिसे राधा अब अपनी नशीली आंखोंसे टक-टकी लगाए हुवे देख रही थी. अपनी माँ की ममता के सामने समीरका लंड पूरा मुरझाया हुवा था लेकिन उसकी कामुक माँ के सामने ऐसे अपना लंड बाहर निकालने के कारन अब किसीभी कामुक आहटसे अब समीरका लंड पूरा तनकर खड़ा होनेकी स्तिथि में था.

फिर आगे जो कुछभी १० मिनट तक हुवा उसने समीरके अंदर अपनी माँ के लिए काम उत्तेजना की चिंगारी जलादि. उन्ह १० कामुक मिनिटोंकी शुरुवात कुछ ऐसे हुवी, राधाने जैसे ही अपने बेटका सुजा हुवा लंड पोस्टरसे बाहर लटकता हुवा देखा वो झटसे अपने घुटने मोड़कर घुट्नोंपे खड़ी हुवी. उसकी नशीली नजरे और रसीले होठोंके सामने उसके बेटका लंड पैंट की पोस्टर से बाहर लटक रहा था. कुछ देर पहले राधाने टीवी पर कामुक रोमांटिक मूवी देखि थी और अब ऐसे अपने बेटका ४ इंच लंबा मुरझाया हुवा सुजा लंड देख हफ्तोंसे काम-वासना की प्यासी राधा के कामुक बदनमे काम-उत्तेजना की तेज लहर बही लेकिन उसकी बेटेके प्रति प्यार से भरी ममता उस काम-उत्तेजना पर भारी पड़ रही थी तब वो घुटनोंपर खड़ी अपने बेटका सुजा हुवा गोरा लंड अपनी आंखोंसे टटोलते हुवे बोली, "हाय रे मेरे लाल, पूरा सूजकर लाल होचुका तेरा नुनु. चिंटू कौनसी वाली चींटी ने कांटा?"

अपनी घुटनोंपर खड़ी माँ के सामने पैंट की पोस्टर से अपना लंड बाहर निकाले हुवे खड़ा समीर अपनी कामुक माँ की बातपर आँखे बंदकिये हुवे बोला, "माँ चींटी का रंग काला और लाल था, लेकिन पता नहीं कौनसी वाली थी." ये उसने जैसे ही कहा समीरको अपने लंड की गोरी सूजी हुवी टोपी पर कुछ गरम चीज महसूस हुवी, तो उसने जैसे ही अपनी आँखे खोली तो वो चौक गया क्योके उसकी माँ का खुबसुरत् गोरा मुँह एक-दम उसके लंड की गोरी सूजी हुवी टोपिके पास था और राधा की गरम साँसे ही थी जो समीरको अपने गोरे लंड पर महसूस होरही थी. अगर वो जरासाभी आगे की ओर जाता तो उसके लंड की सूजी हुवी टोपी उसकी माँ के रसीले होठोंसे छू-जाती. समीरकी आँखोंके सामने अब उसने कुछ दिनों पहले देखि हुवी गन्दी वीडियोज की तस्वीरें आनेलगी जिसमे एक औरत मर्द का लंड अपने मुँह में लेकर चुस्ती है, वो गन्दी तस्वीरें याद आते ही अब ऐसे अपनी माँ के मुँह के सामने इतना करीब अपना सुजा हुवा गोरा लंड देख समीरके मुरझाये ४ इंच लंबे लंड ने झटके मारना शुरू किया और काम उत्तेजना में फूलना शुरू किया. ये कामुक प्रक्रिया शुरू होते ही शर्मिंदगी से बचने केलिए समीर झटसे अपनी माँ के खूबसूरत मुँह से पीछे हटा और अपना लंड पैंट की पोस्टरमे डालते हुवे गुस्से में बोला, "माँ आप इतना नजदीक क्यों आयी थी?"

अपने बेटेका ग़ुस्सा देख घुटनोंपर खड़ी राधा सीधे खड़े होते हुवे बोली, "बेटा चोट कितनी गहरी है वो देख रही थी, और तुनेजो लाल-काली चींटी वाली बात की ना वो चींटी थोड़ी जहरीली होती है समझे.अब जल्दी कोई ढीली पैंट पहनकर तैयार होजा.हमें डॉक्टरके पास जाना है अभी."

अपनी माँ की बात सुन बनियान और पैंट में खड़ा समीर दर्द भरी सिसकारी लेते हुवे माँ से बोला, "आअह्ह्ह्हह, नहीं माँ मुझे नहीं चलना डॉक्टरके पास."

राधाने पीछे अपने बैडरूम की ओर जाते हुवे कहा, "मेरे लाल तेरे सूजे हुवे नुनु में इन्फेक्शन होसकता है इसलिए डॉक्टरके पास जाना है. जल्दी तैयार होजा. और अंदर चड्डी मत पहन, दर्द कम होगा."

अपनी माँ के मुँह से इन्फेक्शन वाली बात सुन समीर भी जरासा डरगया और उसे भी अब डॉक्टरके पास जाना ही सही लगा, फिर वो भी अंदर बैडरूम में जाकर कोई ढीली पैंट अपने बेडके सामने वाले कबर्ड में देखने लगा. उस वक़्त उसके दिलो दिमागमे बार बार उसकी माँ के रसीले होंठ उसे अपने गोरे लंड के पास दिख रहे थे, कुछ मिनीटोंपहले जो कामुक पल अपनी माँ के साथ अनजाने में समीरने भोगा उसे यादकर उसका मुरझाया हुवा लंड कबका तनकर ८ इंच लंबा पैंट में अकड़कर टेंट बनाये हुवे दर्द कर रहा था. तो दूसरीतरफ नीले पतले गाउन में मादक भरे गोरे बदनकि मालकिन राधा अपने बैडरूम में दाखिल होते हुवे कुछ देर पहले अपने बेटेके सूजे हुवे गोरे लंड के पास अपना मुँह लेजाते समय आयी हुवी कामुक खुशबु को यादकर उसकी गुलाबी योनि नाचाहते हुवे भी गीली होचुकी थी. लेकिन ये तो दिनकी शुरुवात थी क्योके आगे बहुतकुछ होना बाकी था जिस्से माँ-बेटेके रिश्तेमें एक कामुक चिंगारी के बाद अब काम-उत्तेजना की आग लगना निश्चित था.

*****

आगे अब आपको में याने समीर खुद आपको ले चलूँगा, तो अब तक तो आपको मेरी माँ के बारे में बहुतकुछ पता चल चूका होगा.मेरी गोरी मादक माँ की खूबसूरती से लेकर उनके खुले स्वभाव को भी आप अब जान चुके होंगे. दुनिया के लिए जो टबू शब्द है वो मेरी खुले विचारोंवाली माँ के लिए नॉर्मलसी बात है, इस नोर्मलसी बातपे आप मेरी माँ को चरित्र हिन् भी कहे सकते हो लेकिन में उन्हें भोली कहता हु.

अब आते है उस दिन पर जहा हम माँ-बेटेके रिश्ते में हवसकी आग लगने वाली थी.

"मेरे सूजे लंड के दर्द को देख मेरी माँ ने जोभी रिऎक्शन में किया वो सब मेरी माँ ने ममता के बहावमे किया लेकिन उसी ममता के बहावने कब मुझे हवसमे डुबो दिया मुझे पता ही नहीं चला."

मंगलवार दोपहरके २ बज चुके है.

इस वक़्त में और माँ पूरी तरह तैयार होकर हॉल में खड़े थे. माँ ने सफ़ेद सलवार कमीज़ पहनी थी, मैने एक ढीली नीले रंगकी ट्रैक पैंट, टीशर्ट पहना था. मेरी माँ ने तो मुझे मेरे सूजे लंड को इन्फेक्शन वाला डर दिखा कर मुझे डॉक्टर के पास लेजाने केलिए तैयार किया लेकिन वहा डॉक्टर के पास जाकर में शर्मिंदगी महसूस करूँगा ये मुझे पहलेसेही पता था. अगर वो डॉक्टर पहचानका ना होता तो मुझे शर्मिंदगी ज़रा कम होती और में उस डॉक्टरको काम होनेके बाद भुलभी जाता लेकिन वो डॉक्टर कोई अनजान नहीं बल्कि हमारे पहचानका था, उनका नाम है डॉ.महिपाल जिनके बारे में आपको आगे पता चलेगा.

तो अब में मेरी माँ के साथ घरके बहार आचुका था जहा हम पोर्च में खड़े थे. मेरी माँ फ्लॅट का दरवाजा चाभिसे लॉक कर रही थी और में मेरी माँ के बगलमे खड़े निचे फर्शपर देख गुमसुम खड़ा था, तब मेरी माँ घरका ताला बंद करते हुवे मेरी तरफ देख बोली, "अभीतक मुझसे नाराज हो? "

मेरी माँ की बात सुन मैने अपनी नजरे वैसे ही शर्मसे झुकाये रखी और आगे बोला, "माँ मुझे आपके सामने अब बहोत अजीबसा लग रहा है,बहोत शर्म आरही है."

तभी मेरी खुशबूदार माँ फ्लॅट का ताला बंदकर मेरे सामने घूमगयी और बोली, "देख मेरे लाल, मैने तुझे पहले भी कहा था अब भी वही कहूँगी के, इन्ह मामलोंमें बेशर्म बनो नहीं तो दर्द तुम्हे ही होगा और तुमसे ज्यादा दर्द किसे होगा चिंटू?" ऐसा बोलकर माँ ने मेरी निचे शर्मसे झुकी नजरोंको देख मेरे सरपर एक हाथ रख बालोंको सहलाने लगी. तब मैने अपनी नजरे ऊपर कर माँ के सवालका जवाब दिया, "आपको माँ."

ऐसे ही आगे फिर जनरल बाते हम दो माँ-बेटे में शुरू हुवी, जिसमे मेरी माँ ने मुझे काफी हदतक अपने साथ फिरसे कम्फर्टेबल करलिया. और बाते करते करते में अपनी माँ के साथ अपार्टमेंट की सिढीयोंसे निचे उतर रहा था उस वक़्त मेरी माँ मेरे से आगे थी, तब पता नहीं क्यों आज पहली बार मेरी नजरे मेरी माँ की गद्देदार गांड की फलकोंपर गयी जो माँ ने पहने सफ़ेद सलवार से उभरकर हर चालपर मटक रही थी. उन्हें देख आज पहली बार मेरे लंड ने मैने पहनी ट्रैक पैंट के अंदर काम-उत्तेजित होकर झटका मारा. तब अचानक मैने अपनी माँ से बात करना बंद कर सिर्फ अपनी नजरे माँ की हर चालपर हिलती मस्त गांडपर जमाये रखी और माँ के पीछे पीछे सिढीयोंसे निचे उतरता गया. के तभी मेरी माँ आगे सीढिया उतरते समय उन्होंने मेरी तरफ नजरे दौड़ाई और बोली, "क्या हुवा बेटा चुप क्यों होगये? दर्द बढ़ा तो नहीं?" माँ को अपनी तरफ देखता देख मैने अपनी नजरे झटसे अपनी माँ की गद्देदार गांड पर से हटाकर ऊपर अपनी माँ की नशीली आंखोंमे देख अटकते हुवे बोला, "न न न नहीं माँ, दर्द नहीं बढ़ा."

*****

पता नहीं उस वक़्त क्या हुवा था मुझे. मैने कभी अपनी खूबसूरत माँ को गंदी नजरोंसे नहीं देखा, यक़ीनन इसकी वजह थी मेरी माँ ही जिसने अनजाने में मेरे दर्द को कम करनेकी जगह मेरी किशोरी अवस्था को भड़काया और मेरे अंदर काम-उत्तेजना की चिंगारी जलादी. अब पता नहीं के ये चिंगारी आग बनेगी या समय रहते बुझ जायेगी, येतो आगेहि पता चलेगा.

*****

१० मिनट बाद.

में अपनी माँ के साथ अपार्टमेंट की पार्किंग लॉट में आचुका था याने घरसे बाहर एक अलग दुनिया में जहा मेरी माँ एक स्वर्ग से आयी एक मस्त अफसरा और बाहरी मर्द उस अफ़सराके दीवाने है. में १३ सालकी उम्र तक अपनी माँ के साथ यहाँ वहा घूमता रहा तब अजनबी मर्द मेरी गोरी माँ की ओर ऐसे घूर क्यों रहे है तब मुझे समज नहीं आता था, लेकिन आज में बड़ा हु पूरा १८ सालका तो ऐसी गन्दी नजरोंसे में अब वाकिफ होचुका हु. आज बहोत दिनों बाद में अपनी माँ के साथ अकेले बाहर आया था वो भी डॉक्टरके पास जानेकी मज़बूरी में, नहीं तो में अपनी मुँह फट माँ के साथ अकेले कही बाहर जाना टालता हु इसकी वजह तो आप अब तक जान चुके ही होंगे.

जब में और मेरी माँ यहाँ पार्किंग लॉट में आगये तब मेरी माँ पार्किंग लॉट में यहाँ वहा देखते हुवे बोलने लगी, "मेरी धनु कहा है, कितने दिन होगये उसकी सवारी किये हुवे."

तो ये धनु है मेरी माँ की स्कुटी जो मेरे पापा ने मेरी माँ को उनके जन्मदिनपर पिछले साल ही गिफ्ट की थी. वो गिफ्ट मेरे पापा की तरफसे था इसलिए मेरी नटखट माँ को अपनी स्कूटी से बहोत लगाव है इसलिए वो स्कूटी को स्कूटी नहीं बल्कि प्यारसे धनु बोलती है. तो जब मेरी माँ को उनकी स्कूटी सामने खंबेके पास खड़ी दिखी तो वो उसकी तरफ देख पार्किंग लॉट में आगे बढ़ रही थी और उस वक़्त मेरी माँ की हर चालपर हिलते मटकते सलवार-कमीज़ से उभरकर दीखते कामुक अन्गोंपर एक कमीने की ललचायी नजरे थी. वो कमीना और कोई नहीं हमारे अपार्टमेंट का वॉचमन ५४ सालका धोंडू था जो सिढीयोंके पास कुर्सी पर नीली वॉचमैन की युनीफॉर्म में बैठा था. जब में और माँ वहा पार्किंग में आये तबसे साला मेरी माँ के सलवारसे उभरकर दीखती चूचियोंको गन्दी नजरोंसे देख रहा था और जब हम दोनों आगे गए तो मैने जब पीछे उस बूढ़े की तरफ देखा तो तब उस कमीने बूढ़े की नजरे मेरी माँ की चलते वक़्त सलवारमे थिरकती ३४ साइज की गद्देदार गांड पर थी. मेरी माँ ने उस बूढ़े पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था, लेकिन में उस कमीने बूढ़े को देख उस वक़्त मन ही मन उसे गालिया देते हुवे बोलरहा था, "साला कमीना बूढ़ा, घर मे माँ बहन नहीं है क्या जो मेरी माँ को ऐसी गन्दी नजरोंसे देख रहा है."

इस अपार्टमेंट के वॉचमैन धोंडू के बारे में आपको आगे वक़्त आने पर बहुतकुछ पता चल जाएगा.

कुछ समय बाद.

में और मेरी माँ स्कुटीके नजदीक आगये. मेरी माँ ने मेरे पापा से मिले गिफ्ट को बहोत संभालकर रखा था.उस लाल स्कूटी की सीट सहलाते हुवे वो बोली, "मेरी धनु तो एकदम मेरी तरह चमकरही है वाह." तभी में अपनी माँ की बगलमे खड़ा अपने दर्द करते लंड को एक हाथसे पैंट के उपरसे सहलाते हुवे बोला, "आह्ह्ह्ह माँ चलोना जल्दी दर्द होरहा है, अब आप अपनी धनु की सवारी क्या रास्तेकी दूसरीतरफ नजदीक डॉक्टरके क्लिनिक जाने केलिए भी करोगी?"

मेरी बात सुन माँ मेरी तरफ देख बोली, "अरे मेरे लाल तेरे पापा के गिफ्ट को जरासा देख लू तो तुझे जलन क्यों होरही है,अब यहाँ नजदीक क्लिनिक जाने केलिए तो में अपनी धनुकी सवारी नहीं कर सकती ना तो जरासा देखने रुक गयी बेटा, समजा कर अपनी माँ की भावनाओंको."ऐसा बोलकर मेरी माँ ने मेरा हाथ पकड़ा और हम अपार्टमेंटकी एग्जिट गेट की तरफ बहार जाने लगे.

कुछ कदम चलकर में अपनी माँ के साथ अपार्टमेंट से बहार आचुका था. अपार्टमेंट से बहार आते वक़्त भी उस बूढ़े वॉचमैन की नजरे मेरी माँ के कुल्होंपर जमी हुवी दिखी, तब पता नहीं क्यों उस पार्किंग लॉट में कुर्सी पर बैठे बूढ़े वॉचमैन के हाथ मेरी माँ के कामुक अंगोंको देख थर-थर कांपते हुवे मैने देखे, उन्हें देख मैने ज्यादा कुछ उसके बारे में सोचा नहीं और अपनी माँ के साथ आगे बढ़ा था.

में अपनी कामुक माँ के साथ रास्तेके किनारे खड़ा था और सामने एक बडीसी बिल्डिंग थी जिसके निचे एक कांचकी दिवारोंवाला क्लिनिक था जो मुझे रास्तेके दूसरी तरफसे भी दिख रहा था. क्लिनिक में मुझे ज्यादा पेशंट्स दिख नहीं रहे थे याने क्लिनिक पहोचते ही डॉक्टर के पास जानेका मेरा नंबर जल्दी लगने वाला था.

रास्तेसे गुजरनेवाले गाडी चलारहा हर मर्द मेरी माँ के कामुक अंगोंको हवस भरी नजरोंसे देखते हुवे जारहा था. मेरी माँ उस वक़्त बलाकि खूबसूरत लग रही थी, सफ़ेद पतले सलवार कमीज़ में मेरी माँ के कामुक अंग उभरकर खुला प्रदर्शन कर रहे थे. मस्त मोटी जाँघे सलवार की साइड से दिख रही थी. और ऊपर ३३ की दूधसे भरी चूचिया जिन्हपर रखा हुवा सफ़ेद पल्लू नाके बराबर था क्योके वो पारदर्शी था जिस्से आगे सडकसे आने जाने वाले मर्द मेरी माँ की चूचियोंपर नजर गड़ाए रास्तेसे आगे बढ़ रहे थे. लेकिन जब वही रास्तेके किनारे खड़े होकर मैंने पीछे मुड़कर अपार्टमेंट के निचे देखा तो मुझे ४० सालका कांतिलाल दिखा जो अपनी राशनकी दूकान से मेरी माँ की गद्देदार गांड की तरफ ललचायी नजरोंसे देख रहा था. में मेरी माँ के साथ रास्ता क्रॉस करते समय जहा कही भी किसी मर्द को देखता उसकी नजरे मुझे अपनी माँ के कामुक अन्गोंपर दिखती. मेरी माँ के मादक बदनके प्रति उन्ह मर्दोंकी प्यासी नजरे देख में उस वक़्त मन ही मन बोला, "क्या मेरी माँ इतनी खूबसूरत है जो गाडीसे आने जाने वाले भी एक्सीडेंट की फ़िक्र ना करते हुवे पीछे मूड-मुड़कर मेरी माँ की तरफ देख रहे है."ऐसा मन ही मन बोल तब मैने दूसरी बार मेरी माँ की खूबसूरती पर एक नजर दौड़ाई, हम दोनों माँ बेटे रास्ता क्रॉस कर रास्तेके दुसरतरफ याने डॉक्टरके क्लिनिक के पास पहुंच गए थे और में चुप-चाप अपनी माँ के गोरे मुखड़े को देख रहा था. आज पता नहीं मुझे क्या हुवा था जबसे मेरी माँ की गरम सांसे मेरे गोरे सूजे लंड पर गिरी थी तबसे ही मेरी किशोरी अवस्था ने मेरी नजरोंको अपनी माँ की तरफ कामुक नजरोंसे देखने केलिए मजबूर किया और उपरसे ये बाहरी मर्द भी मेरी खूबसूरत माँ का चक्षु-चोदन करे जारहे थे. मेरी माँ के रसीले गुलाबी होंठ कजराई आँखे, नकचढ़ी नाक,बंधे काले घने बाल, मोगरे की खुशबु और निचे गदराया मस्त गोरा बदन जो पतले सफ़ेद सलवार-कमीज़ से ढका था उस गोरे बदनको एक बेटेके नजरोंसे नहीं बल्कि कामुक नजरोंसे देख मेरे सुजे लंड में कामुक प्रक्रिया शुरू हुवी जिसे मैंने उस वक़्त जैसे तैसे कंट्रोल किया और अपनी मादक माँ के साथ क्लीनक की तरफ आगे बढ़ा.

क्लिनिक की ओर जाते हुवे में आसमान की और देख अपनी माँ को बोला, "माँ मुझे लगता है हमें घरसे छाता लाना चाहिए था. आसमान में काले बादल छाचुके है माँ."

मेरी बात सुन मेरी माँ ने ऊपर नजर दौड़ाई और बोली, "फ़िक्र मत कर बेटा, तुझे तो पता है ना पिछले महीने में बारिश हुवी ही नहीं, और इस महीने तो बारिश बहोत हलकी होरही है बेटा. तो आज बारिश हुवी तो हलकी ही होगी जिसमे हम ज्यादा भीगेंगे नहीं लेकिन मजा ज्यादा आएगा, क्या बोलते हो चिंटू?"

मेरी नटखट माँ की प्यारी बात सुन मै अपनी माँ की तरफ देख क्लिनिक की ओर बढ़ते हुवे मुस्कुराते हुवे बोला, "हां माँ."

मेरी माँ ने जो बारिश वाली बात की वो सही थी क्योके देश में बारिशका सिझन चलरहा था लेकिन हमारी सिटी में बारिशका सिझन शुरू होते ही एक भी बून्द पानीकी आसमानसे टपकी नहीं थी. सिर्फ इस महीने में ही कुछ हलकी बारिश हुवी जिसमे ढंगसे कोई भीग भी नहीं सकता तो इसीको देख मेरी माँ घरसे बारिश की फ़िक्र किये बिना छाते के सिवाय घरसे मेरे साथ निकली. लेकिन कहते है ना के दुनिया में पनौती नामकी भी चीज होती है तो इस पनौती से भी मेरा आज सामना होने वाला था जिस्से एक मजेदार हादसा होने वाला था.

दोपहर के २ बजकर १५ मिनट.

जैसे ही में अपनी माँ के साथ क्लिनिक के अंदर गया तो सामने ६० सालकी बूढी कुर्सी पर टेबल के पास बैठी रिसप्शनिस्ट के पास मेरी माँ डिटेल्स देने गयी. में वही डॉक्टरके केबिन के दरवाजेके नजदीक खड़ा था और अपने आपको आगे होने वाली शर्मिन्दगीसे लड़नेकेलिए तैयार कर रहा था, क्योके क्लिनिक में इस वक़्त कोई नहीं था याने अब सीधा मेरा ही नंबर था.

कुछ मिनट बाद.

मेरी माँ और में डॉक्टरकी केबिन के दरवाजेके नजदीक खड़े थे और मेरी माँ ने झटसे दरवाजेको हाथसे धकेलकर खोल्दिया तो सामने थे कांचकी टेबल की दूसरी तरफ बैठे हुवे डॉ.महिपाल, हम दोनों माँ बेटोंको देखते ही उस अधेड़ उम्र वाले डॉक्टर ने मेरी माँ को बोला, "अरे भाभीजी बैठिये, आप तो अपने बेटोंको ही लाती है मेरे पास इलाज करवाने, आपतो कभी बीमार होकर हमारे पास इलाज करवाने आते ही नही."

अब आपको इस डॉक्टरकी बोलनेके तरीकेसे ये अंदाजा आया ही होगा के ये डॉक्टर हमारे पहचानका ही है. और मेरी माँ की ही तरह वो भी एक ब्राह्मण है इसी लिए मेरी माँ की इस डॉक्टर से कुछ ज्यादा ही जमती है.इसी डॉक्टर के पास में और मेरे छोटे भाई को बीमारी होते ही मेरी माँ लेजातीथी. डॉ.महिपाल की उम्र ४५ साल है और दिखने में कुछ खास नहीं लेकिन तगड़ा गोरा ५.८ फिट का शरीर है उसका. जरासा उसका पेट बहार है और इस वक़्त वो फॉर्मल नीले शर्ट और ब्लैक पैंट में कॅबिनमें हमारे सामने कुर्सी पर बैठा है. उस वक़्त मेरी माँ उस डॉक्टरकी मजाकिया बातपर उसके सामने कुर्सीपर बैठते हुवे बोली, "महीपालजी में जब बीमार होजाऊंगी तो आपके पास ही आउंगी, लेकिन अभी मेरे बच्चे का इलाज कीजिये." ऐसा मेरी माँ ने जैसे ही बोला वो डॉक्टर मेरी तरफ देखने लगा,में उस वक़्त सामने माँ की बगलवाली कुर्सी पर बैठा था उस वक़्त डॉ.महिपाल मेरी तरफ देख बोले, "बेटा बताव क्या प्रॉब्लम हुवी है?"

डॉक्टरका सवाल सुनते ही मेरी नजरे शर्मसे निचे हुवी और में अटकते हुवे बोला, "वो वो वो मेरे वो ,वहा वो." तभी सामने बैठे महीपालजी मुझसे बोले, "अरे चिंटू अब क्या वो वो करते रहोगे या बताओगे भी."

लेकिन तभी मेरे बगलमे बैठी मेरी माँ बोली, "अरे महीपालजी वो शर्मिला है, में बताती हु. वो क्या है उसको कॉलेज में एक चींटी ने नुनु को कांटा इस कारन उसका नुनु पूरा सूजकर लाल होचुका है. और दर्द इतना है उसे के पूछो मत, लेकिन शर्म के कारन पूरा दर्द छिपाये बैठा है मेरा छोरा. अब आप ही बताओ इस नुनु की सुजन और दर्द को ठीक करनेका इलाज."

मेरी माँ की बात सुन उस डॉक्टरने सवालभरी नजरोंसे मेरी माँ की ओर देखा और वो बोला, "भाभी जी आपने जो सब कहा मुझे समज आया लेकिन ये नुनु किस बला का नाम है?"

और तभी मुझे मेरी माँ के डॉक्टरके सवालपर क्या जवाब होगा इसकी अनुभूति हुवी और मैने अपनी नजरे शर्म से झुकाई रखी और अपने बगलमे कुर्सी पर बैठी माँ की सलवार से ढकी जांघोंपर एक हाथ रख मेरी माँ को में कुछ बोलने से रोकने ही वाला था के मेरी माँ झटसे बोल पड़ी, "महीपालजी नुनु मतलब लंड. मेरे बेटेके लंड को काटी है चींटी."

तभी में ग़ुस्सेमे फुस्फुसाते हुवे माँ को चुप रहेनेका इशारा किया लेकिन देर होचुकी थी, जब हिम्मतकर मैने सामने डॉक्टरकी ओर देखने की कोशिश की तो उसकी आँखे मेरी माँ की मुँह से 'लंड' वाला शब्द सुन टमाटर जैसी बड़ी होचुकी थी, उन्हें देख में शर्मिंदगी से वही पानी-पानी होगया और आगे जैसे तैसे अटकते हुवे बोला, "वो वो मेरा." तभी महीपालजी मेरी बात बीचमे काटते हुवे बोले, "कुछ जरुरत नहीं बेटा में समज गया.तू वहा पर्दा सरका कर अंदर जाके स्ट्रेचर पे लेट जा, में आता हु."

में उस वक़्त अपनी माँ के कारन डॉक्टरके सामने पूरा शर्मिंदा था और मन ही मन उस चींटी को गालिया देरहा था जिसने मेरे गोरे लंड को कांट कर मुझे ये दिन देखने केलिए मजबूर किया.

मेरी मुँह फट माँ अपनी जबान से मुझे डॉक्टरके सामने शर्मिंदा करने के बाद वही नहीं रुकी. में जब कुर्सी से उठकर डॉक्टर ने कहे मुताबित स्ट्रेचर की ओर बढ़ रहा था तब मेरी माँ भी मेरे साथ चलने केलिए उठ खड़ी हुवी, तभी उसी वक़्त मैने मेरी माँ को घूरते हुवे वही कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और फिर खुद उस केबिन में ही एक परदेसे ढके पार्टीशन में पर्दा सरकाकर दाखिल हुवा जहा छोटीसी जगह पर स्ट्रेचर रखा हुवा था. तब में मन ही मन बोल रहा था, "हे भगवान मेरी माँ तो यहाँ भी मेरे साथ घुस रही थी, कितनी बेशर्म है मेरी माँ."

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फिर आगे शुरू हुवा मेरा चरित्र हरण एक डॉक्टर के हाथो, में स्ट्रेचर पे लेटा था डॉक्टरने कहे मुताबिक़ मैने अपनी ट्राउज़र का इलास्टिक एक हाथसे नीचे कर अपना सुजा हुवा लंड बाहर निकाला, उसके बाद डॉ.महिपाल ने अपने हाथोंमे मोज़े पहनकर जो मेरे लंड को यहाँ वहा छुवा, गोटियोंको हाथसे दबा दबा के,सूजे लंड को अपने हाथोंसे इधर-उधर करके जो चेक किया उस्से में उस वक़्त शर्म से पानी-पानी था. मुझे उस वक़्त लगा के ये दिन मेरी जिंदगीका सबसे ख़राब दिन है लेकिन क्लिनिक से बहार जाते ही मेरी जिन्दगीमे एक अहम् अध्याय जुड़ने वाला था जिस्से में अभी उस वक़्त अनजान था.