समीर और उसकी माँ राधा - भाग 02

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

डॉक्टर महिपाल ने मुझे स्ट्रेचर पर चेक करनेके बाद मुस्कुराते हुवे अपनी बत्तीसी दिखाते हुवे मुझसे कहा, "देखो चिंटू, वो तेरी मम्मी क्या बोलती है वो उसे, अरे हां याद आया 'नुनु', तो जो तेरा नुनु है उसकी सूजन और दर्द अगर तुझे एक दिन में ठीक करना हो तो इंजेक्शन लगवाकर ले, और में फिर एक क्रीम भी दूंगा जिस्से तेरा नुनु पूरा टन-टना-टन होजायेगा कल तक. क्या बोलते हो लगवादु इंजेक्शन?"

डॉक्टर की मुँह से मेरी माँ ने इस्तेमाल किया हुवा नुनु शब्द सुन मुझे लगा के ये कमीना मेरा मजाक उड़ा रहा है तब में मन ही मन स्ट्रेचर पर लेटे हुवे डॉक्टरकी तरफ देख बोला, "हसले बेटा तेरा दिन है आज,तुभि मजाक उडाले मेरा."

मैने डॉक्टर के कहे मुताबित अपनी कमर पर इंजेक्शन लगवादिया क्योके मुझे दर्दसे जल्द से जल्द निजाद पाना था, काम होते ही में टेढ़ा मुँह बनाते हुवे पर्दा सरकाकर सामने कुर्सी पर सफ़ेद सलवार कमीज़ पहनी अपनी माँ को देखा और वहींसे कुछ कहे बिना केबिन से बहार जारहा था तब मैने माँ और डॉक्टर के बिच चलरही बात सुनी उसमे डॉक्टर ने उसके सामने टेबल की दूसरी ओर बैठी मेरी माँ को एक क्रीम देते हुवे कहा, "देखिये भाभीजी कोई सीरियस बात नहीं है, सिर्फ ये जो क्रीम है वो चिंटू को उसके नुनु को लगवाने को बोलिये. लेकिन ये क्रीम ठंडी होनेके कारन नुनु में इरेक्शन ज्यादा होगा फिर दर्द भी बढ़ेगा सूजन भी ज्यादा होगी, तो क्रीम लगानेसे पहले चिंटू को स्पर्म निकालने केलिए कहिये."

डॉक्टर मेरी माँ से जो भी प्रोफेशनल तरीकेसे बेशर्मीसे जो कुछ भी बोलरहा था, उसमे मेरी माँ भी हां में हां कहते हुवे डॉक्टरकी बाते बड़े ही गौर से सुनरहीथी. मुझे ये अजीब लगा लेकिन में कॅबिनसे बाहर चला गया. क्लिनिक की कांच की खिडकीसे बहार देखा तो हलकी बारिश होरही थी, तो में क्लिनिक का दरवाजा खोल बाहर चला गया जहा बारिश की बुँदे मेरे शरीर को ठंडक पहुंचा रही थी. माँ ने कहे मुताबिक़ बारिश बहोत हलकी थी इस कारन में भीग नहीं सकता था लेकिन मस्त ठंडक पहुंच रही थी उस क्लिनिक की सामने वाली खुली जगह पर खड़े होकर. कुछ मिनट बाद उस बारिश की ठंडक में मुझे जॉइन किया मेरी माँ ने जो क्लिनिक से बहार एक क्रीम हाथमे लिए हुवे आयी और मेरे पास आकर बोली, "हाय रे मेरे लाल, मेरे बिना ही मजे करना शुरू किया."

माँ के आते ही उस वक़्त मेरा मूड फिरसे उतर गया उसका कारन था के मुझे वो डॉक्टर की कॅबिन में मेरी माँ ने मुझे शर्मिंदा किया हुवा वो पल मेरे दिमागमे बार बार याद आरहा था, फिर में सामने रास्तेके किनारे माँ को कुछ बिना बोले चला गया, पीछे-पीछे मेरी माँ के कदम जैसे जैसे मेरी तरफ बढ़ रहे थे तब मानो आसमानसे गिरती बारिश की हलकी बुँदे बड़ी होती हुवी महसूस होरही थी. जब मेरी माँ मेरे बगलमे रास्तेको क्रॉस करने खड़ी हुवी तब तक बारिश जरासी तेज होगयी थी. उस वक़्त मेरी माँ ने झटसे मेरा हाथ पकड़ा और रास्ता क्रॉस करते हुवे बारिश में भीगते हुवे मुझे बोली, "हाय राम,चिंटू तूने क्लिनिक आते वक़्त सही बोला था. छाता मुझे लाना चाहिए था बेटा. चल अब जल्दी बारीश और तेज होनेसे पहले घर चल." ऐसा कहते हुवे मेरी माँ मेरे साथ रास्ता क्रॉस करके रास्तेके दूसरीतरफ आयी तबतक बारिश और तेज होचुकी थी. हम दोनों माँ बेटे तेजीसे दौड़ते हुवे बिल्डिंग की ओर बढ़ रहे थे तभी मेरी नजर माँ के भीगी जांघोंपर गयी और उन्ह सलवारसे ढकी जांघोंको साइड से देख मेरी तो हालत ही ख़राब हुवी क्योके बारिश की वजहसे मेरी माँ की सफ़ेद पतली सलवार पूरी भीग कर पारदर्शी होचुकी थी, माँ की साइड से पूरी गोरी मांसल जाँघे गीले पारदर्शी सलवार से खुला प्रदर्शन कर रही थी, उन्हें देख मेरे सूजे हुवे लंड ने ट्राउज़र के अंदर झटके मारना शुरू किया, में चारो तरफ यहाँ वहा देखने लगा के कोई मेरी माँ की तरफ देख तो नहीं रहा, तो उस समय अचानक बारिश आनेसे सब लोग बारिश से बचने के लिए यहाँ वहा यहाँ-वहा भाग रहे थे. लेकित तभी बिल्डिंग की तरफ आगे तेज माँ के साथ बढ़ते हुवे मेरी नजर जब सामने अपार्टमेंट की निचे दुकानपर गयी तब अंदर बैठा ४० सालका कांतिलाल को मेरी माँ के स्तनोंको घूरते हुवे मैने देखा, और जब मेने खुद अपनी माँ के स्तनोंपर नजर दौड़ाई तो मेरे सूजे लंड पर जैसे बिजली ही गिरी क्योके मादरजात मेरी गोरी माँ कमर से ऊपर ऑलमोस्ट नंगी ही लग रही थी.पूरा सफ़ेद गीला कुरता माँ के मस्त गोरे बदनसे चिपका हुवा था. मेरी माँ का गोरा पेट गीले पारदर्शी कुरतेसे साफ़ दिख रहा था यहातक के माँ की नाभि भी दिख रही थी और ऊपर माँ का सफ़ेद पल्लू गीला पारदर्शी होकर पूरा माँ के चूचियोंके उभारोंको चिपका हुवा था, उस गीले पल्लूका होना या ना होना अब एक ही बात थी क्योके माँ के सफ़ेद ब्रा के ३३ की चूचिया थामे कप्स उभरकर गीले पारदर्शी होचुके कुरतेसे दिख रहे थे. मेरी माँ का बारिश में भीगकर ये हाल देख में अपनी माँ को जलदीमे तेज चलते हुवे उस कमीने कांतिलाल और दूसरे पराये मर्दोंकी गन्दी नजरोंसे दूर अपार्टमेंट की पार्किंग लॉट में ले आया.

वहा पार्किंग में आकर मेरी बारिश से भीगी माँ तेज साँसे लेते हुवे अपना गीला होचुका मुँह हाथसे पोछते हुवे ठंड से कांपते हुवे मुझसे बोली, "आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, चिंटू मेरे लाल कितना तेज दौड़ाते हुवे तू मुझे यहाँ ले आया.आह्ह्ह्ह,उफ़ ये ठण्ड." ऐसा कहते हुवे मेरी माँ ने उसके स्तनोंपर गीली कमिजसे चिपके पलु को ठीक-ठाक कर दिया जिस्से अब मेरी माँ का जो सामनेसे सफ़ेद ब्रा और पेट दिख रहा था वो अब गीले सफ़ेद पलु से जैसे तैसे छिप गए.

पार्किंग लॉट में उस वक़्त सिर्फ एक शख्स छोड़कर वहा कोई नहीं था, वो शख्स था अपार्टमेन्ट का वॉचमेन धोंडू, जो वॉचमैन की नीली यूनीफॉर्म में कुर्सी पर बैठा था और उसकी नजरे मेरी माँ की जांघोंपर अटक गयी थी और उसके काले हाथ थर-थर कांप रहे थे. उन्ह काँपते हाथोंको देख मुझे याद आया के ये कमीना बूढ़ा मेरी माँ को देख कुछ समय पहले डॉक्टरके पास जाते वक्त ऐसे ही थर-थर काँपा था, लेकिन अभी उसके काले भद्दे शरीरकी थर-थराहट कुछ ज्यादा ही बढ़ी थी. इसका कारण था मेरी माँ का गीला गदराया गोरा जिस्म जो सफ़ेद गीले पारदर्शी सलवार कमीज़ से अपना खुला प्रदर्श कर रहा था. उस कमीने बूढ़े की नजरे मरी माँ की साइड से दिखती गोरी मस्त टांगोंपर थी, जो गीले जाँघोंसे चिपके पारदर्शी हुवे सलवारसे अपना धुँधलासा प्रदर्शन कर रही थी. उन्ह मांसल जांघोंपर ही उस बुढ़ेकी नजरे अटक गयी और कुर्सीके हैंडल पर रखे हाथ हदसे ज्यादा काँप ने लगे इतने के मेरी माँ की नजर उस बूढ़े पर गयी तो वो मेरे साथ आगे बढ़ते हुवे उस बुढ़ेकी ओर जाकर रुकी, में उस वक़्त माँ को जल्दसे जल्द घर चलने केलिए बोलरहा था, लेकिन मेरी माँ उस बूढ़े को थर-थर कांपता देख उस बुढ़ेके पास जाकर बोली, "चाचा ठीक तो हो? क्या हुवा?" मुझे तो यकींन ही नहीं हुवा के मेरी माँ उस घिनोने काले बंदरके पास जाकर उस बंदरके लिए चिंता जता सकती है. उस काले बंदरकी शकल एकदम बद्सूरतसी थी, पुरे सफ़ेद दाढ़ी से शकल भरी हुवी दिख रही थी. उस बुढ़ेका कद होगा कुछ ५.६ फिटका काला सफ़ेद घिनोने बालोंसे भरा हुवा बड़ाही तगड़ा शरीर है उस बुढ़ेका, फिरभी पता नहीं क्यों हरामजादा मेरी माँ के मस्त गदराये जिस्म को देख ऐसे थर-थर कांपता है जैसे ४ दोनोंसे कुछ खाया ना हो. उस बुढ़ेका जानेदो लेकिन मेरी माँ का गरीबोंके प्रति दया के स्वाभाव के बारेमे मुझे आजके दिन ही पता चला था.

मुझे भी उस बूढ़े की हालत देख कुछ समज नहीं आया उस वक़्त, लेकिन एक चीज मेरे अंदर क्लियर थी के इस बुढेको जो भी कुछ हुवा वो मेरी माँ को इस हाल में देख हुवा ये सोच ही रहा था के तभी उस बूढ़े ने थर थर कांपते हुवे मेरी माँ की मस्त जाघोंको देख अटकते हुवे कहा, "बी बी बी बी बेटी म म में ठीक हु."

उस थर थर कांपते बुढ़ेकी बात सुन मैने फिरसे यहाँ वहा पार्किंग लॉट में देखा के कोई हमें देख तो नहीं रहा क्योके मेरी माँ का गोरा बदन इस वक़्त गीले पारदर्शी हुवे सलवार कमीज में अपने आपको छिपाने में असमर्थ था. मेरी माँ को तो खुदकी कोई फ़िक्र ही नहीं थी बल्कि इस हाल में भी उस बुढ़ेका हालचाल पूछने मेरी भोली माँ रुक कर अनजानेमें उस बेचारे बुढ़ेका ब्लड प्लेशर और भी ज्यादा बढ़ा रही थी, तब में अपनी माँ से बोला, "माँ चलो ठण्ड लगरही है,चाचा ने कहाना वो ठीक है, तो चलो अब माँ."

मेरी बातको सुन मेरी माँ बोली, "ठीक है बेटा चलो."और फिर थर थर कांपते बुढ़ेकी ओर देखते हुवे मेरी माँ अपार्टमेंटकी सीढीयोंकी ओर जाते हुवे बोली, "चाचा ख्याल रखना अपना, कुछ पानी-वाणी चाहिए हो तो फ्लैट नंबर २ पर आजाना." ऐसा कहते हुवे वो अपार्टमेंटकी सीढीयोंकी ओर ठंडसे आहे लेते हुवे मुड़ी, और फिर पार्किंग लॉट में जैसे काम-वासना का जल-जला ही आगया क्योके मेरी माँ की पीठ गीले सफ़ेद कमिज में ऑलमोस्ट पूरी नंगी दिख रही थी तो नीचेका हाल तो और भी भयंकर था क्योके माँ की गद्देदार गांड की गोरी मोटी फलकोंसे बारिश से भीगी गीली सलवार पूरी चिपकी हुवी थी और गीली पारदर्शी हुवी कमीज से माँ ने पहनी नीली छोटी कछि की बॉर्डर सलवार कमीज से आरपार दिख रही थी, ये कामुक नजारा देख मेरा तो कबका पूरा ८ इंच लंबा लंड खड़ा होचुका था. माँ ने कहे मुताबिक मैने डॉक्टरके पास जानेसे पहले चड्डी नहीं पहनी थी, इस कारन मेरा लंड पूरा उभरकर झूलते हुवे ट्राउज़र से टेंट बनाये हुवे दिख रहा था. शर्मिन्दगीसे बचनेकेलिए मैने अपना तना हुवा गोरा सुजा हुवा लंड ट्राउज़र के इलास्टिक में ऊपर फसाया जिस्से अब मेरा तना हुवा लंड ट्राउज़र से दिख नहीं रहा था.

जबसे मेरी माँ की गरम साँसे अपने गोरे सूजे लंड पर मैने महसूस की थी उस समयसे में अपनी खूबसूरत माँ के गोरे बदनको किशोरी अवस्था में बहेक कर कामुक नजरोंसे देखना शुरू किया, और अब इस वक़्त मेरी माँ पूरी बारिश में भीगी हुवी अपने गीले पारदर्शी हुवे सफ़ेद सलवार कमीज से अपनी गांड मटकाते हुवे अपार्टमेंटकी सीढिया चढ़ रही थी और में उस वक़्त एक अच्छे बेटे की तरह मेरी माँ के पीछे खड़ा था, क्योके बारिश में भीगी मेरी माँ की गांड की दोनों फल्के और बिचकि लम्बी लकीर पिछेसे गीली सलवार कमीज से धुंदलिसि दिखरही थी, जिसे में उस पीछे कुर्सी पर बैठे बूढ़े की नजरोंसे बचा रहा था. लेकिन में खुद अपनी ही माँ की मस्त गद्देदार गांड की फलकोंको देख १-२ बार हल्केसे अपने तने लंड को ट्राउज़र के ऊपर से दबा भी चुका था और आगे मेरी माँ के पीछे-पीछे अपार्टमेंट की सीढिया चढ़ रहा था, के तभी मैने एक नजर पीछे मुड़कर देखा तो वो ५४ सालका बूढ़ा थर-थर कांपते हुवे अपनी काली सूरत मेरी तरफ कर देख रहा था,उस बूढ़े को देख में तब मन ही मन बोला, "इस बूढ़े ने जबसे मेरी माँ को देखा है तबसे ऐसे ही थर थर कांप रहा है, साला थडकी बूढ़ा. अगर मैने मेरी माँ का ये पिछेका नजारा दिखाया तो ये साला मर ही ना जाए." ऐसे ही सोचते हुवे मुझे एक शैतानी सूजी और में बिना सोचे-समजे माँ के मस्त गीले पारदर्शी सलवार से उभरकर दीखते पिछवाडेको उस पीछे कुर्सी पर बैठे बूढ़े से छिपाना छोर एक पालकेलिए साइड में हटा और तभी जब मैने पीछे अपार्टमेंटकी सिढीयोंसे ऊपर जाते वक़्त पीछे फिरसे बूढ़े की ओर देखा तो उसकी आँखे एकदम बड़ीहोकर मेरी माँ के मस्त पिछवाडेको घूर रही थी. मेरी माँ सीढिया चढ़ रही थी और गीली पारदर्शी होचुकी सलवारसे गांड की फल्के मस्त मटकते हुवे उस बुढेको नीली कछिकी बॉर्डर के साथ धुँधलासा प्रदर्शन कर रहे थे. मैने तो एक नजर जब उस कुर्सी पर बैठे थर थर कांपते हुवे मेरी माँ के पिछवाडेको देख रहे बुढ़ेकी पैंट पर डाली तो उसका लंड मैने उस वक़्त पूरा तना हुवा पैंट से टेंट बनाये हुवे मुझे दिखा उसे देख तब में सिढीयोंसे ऊपर बढ़ते हुवे मन ही मन बोला, "अबे इसका घोडेका है या गधेका, ऐसा लग रहा है के अभी पैंट फाड़कर बहार आजायेगा. साला कमीना बूढ़ा मेरी माँ को देख मस्त होरहा है साला." ऐसा में सोच ही रहा था के मैने उस बुढ़ेकी कुर्सी पिछेसे ऊपर उठती हुवी देखि याने वो कमीना मेरी माँ जैसे जैसे ऊपर सिढीयोंसे अपनी मस्त गांड मटकाते हुवे बढ़ रही थी वैसे ही ये भी उस गीले पारदर्शी हुवे सलवार से उभरकर दिखती गांड की गोरी फलकोंको देखने के चक्करमें इतना कुर्सी से आगे झुका के एक तेज आवाजके साथ धडामसे निचे मुँह के बल पार्किंग लॉट में गिरा. फिरक्याथा उस बुढेको गिरा हुवा देख में जैसे तैसे अपनी हसी रोके हुवे था और मेरी माँ आगे दूसरी सीढ़ी पर बढ़गयी.तब मेरी माँ ने मुझे पहली मंजिलपर हमारे फ्लॅट की तरफ जाते हुवे पूछा भी के, "वो तेज आवाज किसकी थी?" तभी मेरी रोकी हुवी हसी फटकसे मेरी माँ के सामने छूटगयी और में लोट-पोट होकर माँ के सामने ही हसने लगा. मुझे इतना हस्ता देख मेरी माँ मुस्कुराते हुवे घरका दरवाजा खोलते हुवे मुझे बार-बार पूछ रही थी के "बेटा क्या तू अकेला ही हसेगा या अपनी माँ को हसने का कारन बताकर हसायेगा भी या नही?"

दोपहरके ३ बजे है.

इस वक़्त हम माँ बेटे बारिश में भीग कर घर आनेके बाद बाथरूम में फ्रेश होकर कपडे बदलकर हॉल में आरामसे गद्दोंपर लेटे हुवे है. मेरे सूजे लंड का दर्द डॉक्टर के इंजेक्शन के बाद कम होचुका था. मैने अपनी माँ को अभीतक घर आते समय हसने का कारन नहीं बताया था तो इसी बातपर मुझे मेरी माँ बार बार पूछ रही थी, माँ के जिद्द के आगे हारकर मैने आखिरकार अपना मुँह खोला और अब इसी बातपर हॉल में हम माँ-बेटे के बिच गहन चर्चा चल रही थी.

में अपनी माँ के साथ उनके बगलमे गद्दे पर हाफ पैंट और बनियान में पीठके बल लेटा हुवा था और मेरी माँ काले रंगके गाउन में सिनेके बल लेटी हुवी थी. मेरी माँ की मेरी लोट-पोट होकर हॅसनेकी वजह जानने की उत्सुकता देख में अपनी माँ की तरफ देख अटकते हुवे बोला, "म माँ वो, वो माँ." के तभी मेरे बगलमे सिनेकेबल लेटी मेरी माँ ने मुझसे कहा, "अरे मेरे लाल अब इतना सस्पेंसे भी सही नहीं, मुझे भी हँसना है बेटा. बता ना."

अपनी माँ की जिद्द देख मैने एक आधी-अधूरी कहानी बतानेकी सोची जिसमे मेरी माँ के मस्त गीले बदनको देखती उस बूढ़े की नजरे नहीं थी बल्कि सिर्फ उस बुढ़ेका गिरना था. इस आधी अधूरी कहानीसे में माँ के आगे शर्म भी महसूस नहीं करता और माँ भी लोट-पॉट होकर हसदेगी ऐसा मेरा अंदाजा था लेकिन इस अँदाजेको मेरी माँ कुचलकर रख देने वाली थी.

तो मैने अपनी माँ की उत्सुकता से भरी बात सुन आगे बोला, "वो माँ वो अपना वॉचमैन है ना." के तभी मेरी माँ बात बीचमे काटते हुवे बोली, "अब चिंटू ये मत बोलके तू उस बेचारे बूढ़े चाचाकी थर-थर कांपता शरीर देख हसने लगा."

अपनी माँ की ये बात सुन मैने खुद उनकी तरफ सवाल दागा, "क्या?, मतलब आपको पता है के वो चाचा क्यों ऐसे कांप रहे थे?"

मेरी बात सुनते ही मेरी बेशर्म माँ मेरे बगलमे सिनेके बल लेटे हुवे बोली, "मेरे लाल वो बेचारा दिल का मरीज है. सुना है के वो बूढ़े चाचा कुछ महीनोंके ही महेमान है. रही बात उसके थर-थर कांपने की तो वो हर खूबसूरत औरतको देख ऐसे ही कांपता है समझा, अब ये मत मुझसे पूछ के वो औरतोंको देख कांपता क्यों है."

मेरी माँ की बात सुन में मन ही मन सोच रहा था, "साला कहा में अपनी बनायीं हुवी कहानी बताने वाला था, लेकिन यहाँ तो मेरी माँ ने बेशर्मीसे पूरा रामायण ही बतादिया."

दोपहरसे लेकर अबतक उस लंड पर कांटी चिंटी की सिचुएशन में मेरी माँ का मेरे किशोरी अवस्था में आचुके शरीर को मजा देने वाला खुला रूप मैने देखा था. उस माँ के खुले रुपने मेरे अंदरकी वासना को बहोत झुलसाया था तो मैने सोचा के अगर मेरी माँ बेझिझक मुझसे किसीभी टॉपिक पे बिना शर्माए बात कर सकती है तो मै क्यों नहीं?, में भी तो उन्ही का बेटा हु तो अपनी माँ के रंग ही तो मेरे अंदर भरे होंगे, तो क्यों ना उन्ह रंगोंको बाहर लाया जाए? ऐसा सोचते हुवे ही मेरे हाफ पैंट में मेरे लंड ने कामुक होकर झटका मारा और में आगे मेरे बगलमे सिनेके बल लेटी माँ से मुस्कुराते हुवे बोला, "माँ आपको तो बहुतकुछ पता है, लेकिन मुझे क्यों नहीं पता था ये. वो चाचा तो पिछले ३ साल से हमारे अपार्टमेंट के वॉचमैन है."

मेरी बात सुन मेरी माँ मुझपर रूठते हुवे बोली, "मेरे लाल अगर मेरे साथ बाहरकी दुनिया देखता तब तुझे ऐसी चीजोंकी खबर लगेगी, तुझे तो अपनी माँ की शर्म आती है कही बहार जानेकी बात होगी तो." ऐसा कहकर मेरी माँ ने अपना मुँह दूसरीतरफ मोडलिया.

अपनी माँ को रूठा हुवा देख मैने झटसे उन्हें हसाने केलिए उस कुर्सीसे उस बुढ़ेका गिरनेवाला मजेदार पल बोलना शुरू किया, "माँ में चाचा की थर थर कांपते शरीर को देख नहीं हसाथा."

मेरी बात सुनतेही मेरी रूठी माँ ने झटसे मेरी ओर गर्दन घुमाई इतने जोरसे के सिनेके बल लेटी माँ ने पहने गाउन से उभरी गांड तक ३ सेकंड के लिए हिलती हुवी मुझे दिखी. मेरी ओर देख माँ बोली, "बेटा तो फिर किस बातपर हसे थे?"

माँ की बात सुनतेही में बोला, "माँ जब आप ऊपर सिढीयोंसे चढिना तब आपको देखने के चक्कर में वो बूढ़े चाचा कुर्सीसे औंधे मुँह गिरे हाहाहाःहाहा." ऐसा बोलकर में अपनी हसी रोकनही पाया और हसने लगा.

मेरी बात सुनतेही मेरी माँ जोर जोरसे ठहाके लगाते हुवे हस्ते हुवे मेरी ओर देख बोली, "हाहाहाहाहा, हाय राम, मतलब पिछेसे भी सब दिख रहा था?"

अपनी माँ की बात सुन मेरी हसी रुकी और में चौकते हुवे माँ के बगलमे पीठ के बल लेटे हुवे ही बोला, "मतलब?"

मेरी माँ की तो हसी रुकनेका नाम नहीं लेरही थी वो हस्ते हुवे ही बोली, " हाहाहाःहाहा, ऐसे बोल रहे हो जैसे तुम्हे कुछ पता ही नहीं, में जब घर बाथरूम में गयी तब आयने में अपने आपको गीले सलवार में देखा तो पता चला सलवार गीली होकर पूरी आरपार मेरी जांघो को दिखा रही थी और ऊपर पेट से लेकर ब्रा भी पूरा दिख रहा था.लेकिन मुझे ये नहीं पता था के पीछे भी आगे जैसा हाल होगा, हाय रे दय्या. मेरे लाल क्या क्या दिखा? ज्यादा कुछ दिखा तो नहीं?"

मेरी माँ ने नासमझी में कही गयी कामुक बाते सुन मेरे अंदरके किशोरी अवस्था में अपनी खुदकी माँ के प्रति आकर्षण बढ़ता गया और मेरी शर्म घटती गयी. फिरक्याथा मैने खुलकर अपनी माँ की बातपर उन्हकी नशीली आंखोंमे देख बोला, "हां माँ वो आप की नीली." इतना बोला ही था के मेरी माँ ने फिरसे मेरी बातको बीचमे काँटा और बोली, "हे भगवान् मेरी नीली कछि दिख रही थी?"

माँ की बातपर में जरा शर्मा गया और निचे गद्दे की ओर देखा और बोला, "हां माँ." ये सुनते ही मेरे बगलमे सीने के बल लेटी मेरी माँ अपनी हसी अचानक रोकते हुवे मेरी ओर देख ग़ुस्से में बोली, "और तूने उस चाचा के नजरोंके सामने मेरे पीछे खड़े होकर मेरी इज्जत बचानेकी जगह हस्ते रहे?"

ये माँ की बात सुन मेरे चेहरे पर से काम उत्तेजना का नशा ही उतर गया, मेरी तो पूरी फटगयी थी माँ की बात सुन, में तो उस समय अपने गद्दे को ही अपनी माँ की बात सुन घूरते हुवे चुप-चाप पीठके बल अपनी माँ के बगलमे लेटा था. मुझे तो लगा के अब में अपनी माँ की नजरोंमे गिरगया लेकिन तभी हसिके ठहाकोंके साथ मेरे बगलमे सिनेके बल लेटी माँ मुझसे बोली, "हाहाहाहाहा, बिलकुल अपनी माँ पर ही गए हो, उस बेचारे बूढ़े चाचा की और हालत ख़राब करने केलिए ही तू मेरे पिछेसे हटा होगा, में सब समझती हु बेटा. बदमाश होगये हो तुम.हाहाहाहा." ऐसे बोलकर अपने एक हाथसे जोरकी चिकुटी मेरे कमरपर काटी और में माँ की चिकोटी से दर्दसे चिल्हाते हुवे बोला, "आअह्हह्ह्ह्ह माँ."

*****

बापरे बाप वो खुनी दिन में कभी भूल नहीं सकता उस खुनी दिनसे ही सबकुछ शुरू हुवा जो एक सभ्य समाज में एक पाप है, खुनी मंगलवार कहता हु में उसे. आज में १९ सालका हु और अबतक मैने जितनाभी आपको बताया वो उस खुनी दिनका ही है जब में १८ सालका था. उस खुनी दिन बहुतकुछ हुवा लेकिन जो आखरी कामुक कील उस खुनी दिन लगी उसने तो जैसे मेरे अंदरके हवसके शैतानको आजाद ही करदिया और मेरे शर्मीले स्वभावका खून.

*****

मंगलवार रातके १०.३० बजे है.

इस वक़्त में अपनी प्यारी माँ के साथ डिनर के तुरंत बाद अपने बैडरूम में बेड पर हाफ पैंट और बनियान में ब्लैंकेट ओढ़े हुवे पीठ के बल लेटा हु. मेरी नजरे बैडरूम में लगे CCTV कॅमेरा पर थी और में मन ही मन सोच रहा था के, "आज तो माँ के साथ बाहर डॉक्टर के पास जाते वक़्त ऐसा लग रहा था के में किसी स्वर्ग से आयी अफसरा का बेटा हु, लगभग सभी मर्दोंकी गन्दी नजरे मेरी माँ पर थी और फिर घर आते वक़्त बारिशमें भीगी माँ को देख कर तो मेरी हालत ही ख़राब होगयी थी, मुझसे ज्यादा हालत ख़राब तो उस बेचारे बुढ़ेकी हुवी थी हाहाहा. जब उस बुढ़ेके कुर्सीसे गिरने वाली बात मैने माँ को बताई तो मेरी माँ तो लोट-पोट होकर हस्सी वो भी उस बातपर जहा आमतौर पर औरते शर्मिंदगी की वजहसे कई हफ्तोंतक घर से बाहर ही नहीं निकलती लेकिन मेरी माँ सबसे अलग है. मेरी माँ के ही वो शरारती रंग थे जो मुझमे भी है इसी लिए मैने उस वक़्त उस थर थर कांपते बुढ़ेके सामने अपनी माँ की इज्जत बचाने के जगह मैने उस बुढ़ेकी और हालत ख़राब करने मेरी माँ की इज्जतका खुला प्रदर्शन किया था, कितना कमीना और नालायक बेटा हु में. ऐसा कोई करता है? लेकिन मजा तो आया झूठ मत बोल समीर हाहाहाहा." ऐसा मन ही मन सोच मेरा एक हाथ सूजे हुवे लंड को पैंट के उपरसे सहेला रहा था के तभी मेरी माँ ने बैडरूम का दरवाजा खोला और वो अंदर आगयी मेरे बेड के पास और बोली, "बेटा नुनु दर्द तो नहीं कर रहा?"

माँ की बात सुन में बेडपर ब्लैंकेट ओढ़े हुवे ही बोला, "नहीं माँ वो डॉक्टर अंकल ने इंजेक्शन जबसे लगाया है तबसे मेरा दर्द कम होगया है माँ , आप अब ज्यादा फ़िक्र मत करिये."

फिर आगे हम दोनों माँ बेटे में जनरल बाते हुवी और कुछ मिनिटोबाद अचानक माँ ने वो बात की जिसकी वजहसे आगे वो हुवा जिसकी में कल्पना भी नहीं कर सकता था. मेरी माँ बेडके पास ब्लैक पतले गाउन में खड़ी थी और में ब्लैंकेट ओढ़े हुवे बेडपर लेटा हुवा था तब माँ ने अचानक से बोला, "देख अब तेरी प्यारी बातोंकी वजहसे में एक चीज भूल ही गयी जिसके लिए में यहाँ आयी थी, वो क्या बोले थे वो महीपालजी उस क्रीम के बारे में?, याद ही नहीं आरहा." तभी में बीचमे बेडपर लेटे हुवे माँ की ओर देख बोला, "माँ आप एक नंबरकी भुल्लकड़ हो." मेरी बात सुन मेरी माँ मुझसे बोली, "बेटा तेरी माँ कुछ भूली नहीं है समझे, तेरे शर्मीले स्वाभाव के कारण में सीधे-सीधे बोल नहीं सकती इस्सलिये डॉक्टरने इंग्लिश में कुछ कहा था वो याद कर रही हु."

उस वक़्त में फूल जोश में था, आज जो घटनाओंका सामना मैने अपनी माँ के साथ किया उसमे मुझे मेरे किशोरी अवस्था में आचुके शरीरको एक अलगसा आनंद आया था, उस आनंद की लालसा में ही में भी अपनी माँ के रंगोंमे रंगकर उस समय माँ की बातपर बेशर्मी से बोला, "माँ में आप ही का तो बेटा हु, आप खुलकर बताये."

मुझे पता था के मेरी माँ किस बारेमे बात करने वाली है, क्योके डॉक्टर के कॅबिन से निकलते वक़्त मैने डॉक्टरकी स्पर्म लंड से निकालने वाली बात मैने सुनी थी, वही बात मेरी माँ बोलने वाली है ये मुझे पता था, लेकिन में जानबूझकर अनजान बनकर बेशर्मीसे अपनी माँ के मुँह से डॉक्टरकी कही बांत सुनना चाहता था.

मेरी बांत सुन मेरी माँ मुस्कुराते हुवे बोली, "ठीक है बताती हु लेकिन फिर मत कहना के 'मैने वैसे क्यों कहा ऐसे क्यों नही."

अपनी माँ की बात सुन में बेडपर लेटा हुवा बड़ेहि उत्सुकतासे अपनी माँ के रसीले होटोंसे उन्ह कामुक शब्दोंको सुनने के लिए टक टकी लगाए हुवे माँ की ओर देख बोला, "माँ आप बताये जल्दी,मुझे नींद भी आरही है."

मेरी बात सुन तब माँ बोली, "एक दिन अपनी माँ के साथ बाहर क्या आये तुम्हारी तो शर्म कम होगयी जोकि अछि बात है बेटा, ऐसे ही अब बिना शर्माए अपनी परेशानिया भी मुझसे आगेसे बताया कर चिंटु."

माँ की बात सुन में बेडपर लेटे हुवे बेडके नजदीक खड़ी माँ से बोला, "अब बताओ भी माँ, क्या बोले महिपाल अंकल."

(फिर क्या था, मुझे पता था के माँ आगे क्या बोलने वाली है, उस वक़्त मेरे कान मेरी माँ के रसीले होटोंसे कामुक शब्द सुनने के लिए बेसबर थे. लेकिन मुझे ये नहीं पता था के आगे कामुक शब्दोंके सिवाय में कामुक वासना का सुख भी चखूँगा. उस समय में फूल अपनी माँ के साथ शरारती मुडमे था जिसमे काम-उत्तेजना भर-भर के थी जो मेरी माँ की ही मेहरबानीसे जन्मी थी.)

तो आगे मेरी माँ मेरी बातपर बोली, "बेटा चिंटू डॉक्टर महीपालजीने एक क्रीमदी है तुम्हारे सूजे हुवे नुनु को लगाने, लेकिन क्रीम ठंडी है इसलिए तुम्हारा नुनु मोटा होसकता है, फिर रातभर नुनु में दर्द भी होगा इस्सलिये क्रीम लगानेसे पहले डॉक्टर ने तुम्हे नुनु से सफ़ेद पानी पहले निकालने केलिए बोला है."