समीर और उसकी माँ राधा - भाग 02

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मेरी माँ के मुँह से वो कामुक शब्द जैसे ही मेरे कानोंपर पड़े तब मेरे रोंगटे तो नहीं लेकिन लंड फटाकसे हाफ पैंट के अंदर खड़ा होगया था, में उस वक़्त ब्लैंकेट ओढ़े हुवे बेडपर लेटा था इस वजहसे मेरे पैंट से उभरा हुवा लंड का उभार मेरी माँ से छिपा हुवा था. मेरी माँ की बात सुन उस वक़्त में शर्मसे पानी-पानी था लेकिन काम उत्तेजना की मस्ती ने मुझे मस्त करदिया और अपनी मस्त गोरी माँ के साथ कामुक मस्ती करनेकेलिए मेंने उस वक़्त अपने चहरे पर शरमका भाव रति भरभी आने नहीं दिया जिस्से मेरी माँ को मेरे सामने खुलकर कुछभी कहने में परेशानी ना हो. तो में माँ की बात सुन आगे बोला, "ठीक है माँ, में आप जो बोलरहि हो में करदूंगा." ऐसा बोलने के तुरन्तबाद जब मैंने जोशमे ब्लैंकेट के अंदर एक हाथ मेरे तने हुवे लंड पर पैंट के उपरसे सहलाया उसे दबाया तब मानो एक तेज दर्दकी लहर मेरे शरीरमे दौड़ी और में दर्दसे आहे लेने लगा, "अह्हह्ह्ह्ह माँ."

मेरी दर्द भरी आवाज सुन मेरी माँ मेरी तरफ देख बोली, "बेटा क्या हुवा?"

माँ की बात सुन में बेझिझक बोला, "माँ आप जो बोलरहि हो वो में नहीं कर सकता, क्योके नुनु बहोत दर्द कर रहा है माँ."

मेरी बात सुन मेरी माँ मुस्कुराते हुवे बोली, "हाय रे मेरे लाल तू तो बहोत बदमाश होगये हो, मेरे बेडरूमसे जाने तक का तो इंतज़ार करते, तूने तो मेरे सामने ही नुनु से खेलना शुरू किया हाहाहा."

माँ की बात सुन में माँ के सामने शर्मिन्दा महसूस करने लगा तब में रूठते हुवे बेडपर लेटे हुवे माँ से बोला, "माँ आप अब मेरे दर्दका मजाक उड़ा रही हो. इसी वजहसे में आपसे ऐसी चीजे छिपाता हु."

मेरी बात सुन माँ बेडके किनारे बैठी और मेरे सरपर हाथ रख बोली, "बेटा में तो मजाक कर रही थी, अब ब्लैंकेट हटा और दिखा जल्दी क्या परेशानी आरही है वो. और अब ज्यादा दोपहरकी तरह नखरे मत कर."

अपनी माँ की बात सुन मेरे किशोरी अवस्था में आये शरीरमे हलचलथि, माँ ने मेरा लंड दोपहरमें भी देखा था लेकिन वो मुरझाया हुवा था लेकिन अब मेरा तम्बू पूरी साइज में पैंट के अंदर खड़ा था उसे अपनी माँ को दिखानेके ख़यालसे ही मेरे शरीरमे काम-उत्तेजना की लहर दौड़ गयी जिसमे बहकर मैने ठान लिया के अब अगर मेरी माँ को कोई प्रॉब्लम नहीं तो में क्यों पीछे रहु, तो मैने अपनी माँ की बात सुन मेरे चेहरे पर कोई शर्माहटके भाव नहीं लाये और में आगे बेडपर लेटे हुवे ब्लैंकेट ओढ़े हुवे ही बोला, "माँ मुझे आपसे शर्म नहीं आरही अब, लेकिन वो." के तभी मेरी माँ ने मेरी बात बीचमे काटकर मेरी मुँह की बात बोली, "बेटा नुनु मोटा होगया है ना? इस्सलिये तू शर्मा रहा है? सही कहा ना चिंटू?"

माँ की जुबानसे मेरे मन की मुश्किल सुन मैने राहतकी सांस ली और अपनी नजरे शर्मसे माँ की नशीली नजरोंसे निचे करदी, लेकिन वही नजरे निचे करते वक़्त माँ के ३३ साइज के गाउन से उभरे स्तनोंपर जा टिकी, उन्ह दूधसे भरे आमोंको देख में माँ से बोला, "माँ आप सही हो." ऐसा बोलकर उन्ह मस्त ३३ साइज के आमोंको एकटक पुरे ५ सेकंड तक देखता रहा, पता नहीं के मेरी माँ उस वक़्त मेरी इन्ह नजरोंको शर्मसे झुकी नजरे समज रही थी या काम-उत्तेजनासे भरी नजरे समज रही थी.

मेरी बात सुन बेड के किनारे बैठी मेरी माँ मुझसे बोली, "तो फिर ब्लैंकेट हटा चिंटू, देखने दे मुझे क्या परेशानी है वो."

उस समय मेरे दिमागमे बहुतसारी बाते चलरही थी जो आगे चलकर बहुतकुछ करनेवाली थी, में बेडपर लेटे हुवे ब्लैंकेट ओढ़े हुवे मन ही मन बोलरहा था, "माँ ही कहे रही है दीखानेको तो शर्म कैसी, पता नहीं क्यों लेकिन इसमें एक अलगसा मजा है. एक बार तो माँ ने मेरे लंड को देखा है ना तो एक और बार सही.आखिरकार वो मेरी माँ ही तो है." ऐसा में उस वक़्त सोचते हुवे आगे जो में करनेवाला उसकेलिये में खुदको हरी झंडी पहलेसे ही दिखा रहा था, लेकिन अस्लीयतमे मेरी काम उत्तेजना मुझसे संभल ही नहीं थी, कही ना कही मेरी किशोरी अवस्था मुझे मेरे तने हुवे लंड को माँ के सामने पूरा खुला प्रदर्शित करना चाह रही थी. तो फिर क्या था मैने माँ ने जैसा कहा वैसे ही किया और ब्लैंकेट हटाकर पैंट से दिखते खडे लंड से बने टेंट को माँ की नजरोंके सामने लादिया. बेड के किनारे बैठी मेरी माँ मेरे तने लंड के पैंट से दीखते उभारपर नजर दौड़ाते हुवे मुझसे बोली, "देख बेटा ये नेचरल है, तू शर्मा मत. अपना बरमूडा निचे सरका और दिखा मुझे क्या परेशानी आरही है वो."

फिर क्या था मैने माँ ने जैसा कहा वैसे ही किया, मेरी माँ जो बात कहे रही थी वही चाह मेरी किशोरी अवस्था को भी थी जो काम-उत्तेजना की प्यासमे बड़ी बेशर्म होरही थी. तो होना क्या था मैने जरासे झूटमुठ के नखरे माँ के सामने दिखाए और अपनी बरमूडा माँ के नजदीक बेडपर लेटे हुवे ही हाथोंसे निचे सरकाने लगा, माँ भी उस वक़्त मुझे हाफ बरमूडा निचे सरकाते हुवे बड़ी बेशर्मी से देख रही थी. उस समय मेरा दिल जोरोंसे धक्-धक् कर रहा था क्योके आखिरकार में अपनी माँ के नजरोंके सामने मेरा तना हुवा ८ इंच लंबा लंड जो लाने वाला था.

रातके १०:४५ मिनट.

यही वो समय था जब वो पल आया जो मेरे जीवनको एक अलग ही ,मोड़ देने वाला था. में बेडपर बनियान पहने हुवे हाफ बरमूडा घुट्नोंतक सरकाये हुवे लेटा हुवा था और बेडके किनारे बैठी माँ की नजरे सिर्फ एक ही चीजको घूरे जारही थी वो था मेरा खड़ा लंड जो बड़ी बेशर्मीसे तनकर खड़ा था. में अपनी माँ को उस समय भी बिना शर्माए देख रहा था. एक अलगसा काम-आनंद आरहा था मुझे ऐसे मेरे खड़े गोरे लंड को अपनी खूबसूरत माँ के सामने प्रदर्शित करते हुवे.

अपनी गोटियोंकी थैली से लेकर काली छोटी झटोंसे घिरा हुवा मोटी टोपीवाला ८ इंच लंबा मेरा गोरा लंड पूरा मेरी माँ की नशीली नजरोंके सामने खुला था. उस वक़्त बेडके किनारे बैठी मेरी खुले विचारोंवाली माँ मेरे तने लंड को देख हस्ते हुवे बोली, "बाप शेर तो बेटा सवा शेर, हाहाहाहा."

मेरी माँ ने हस्ते हुवे कही गयी बात मेरे लिए एक ताना था, जिसका मतलब मुझे उस वक़्त झटसे समज आया था. तो फिर क्या था मेरी किशोरी अवस्था ने भी अपने जलवे बिखेरना शुरू किया और में बेड के किनारे बैठी माँ से झूठ मुठ का रूठते हुवे बोला, "आप फिरसे मेरा मजाक उड़ा रही हो माँ. में आपसे बात नहीं करूँगा अगर आप नुनु को देख हसेंगी तो."

मेरी बात सुन मेरी माँ ने हँसना बंद किया और मेरी नंगी जाँघको एक हाथसे सहलाते हुवे बोली, "अरे मेरे लाल में तो मजाक कर रही थी."

*****

कुछ समय बाद.

फिर शुरू हुवा माँ और मुझमे बातोंका सील सिला वो भी उस वक़्त जब में नंगी हालतमे बेडपर टाँगे फैलाये हुवे लेटा था. वो बाते १० मिनट तक चली जिसमे सिर्फ यही चर्चा चलरही थी के मेरे सूजे हुवे लंड से सफ़ेद पानी निकाले तो निकाले कैसे. सच कहु तो उस वक़्त में अपनी माँ के सामने इस नंगी हालतमे जरासा शर्मिन्दा महसूस कर रहा था लेकिन में खुदको जैसे तैसे माँ के खुले स्वभावके सामने टिका कर खड़ा रखे हुवे था, उसका कारन था मेरी किशोरी अवस्था में शरीर में लगी काम उत्तेजना की आग जो अब इस नंगी हालतमे और भी ज्यादा धहक रही थी. बातोंका सील-सिला तब रुका जब बेडके किनारे बैठी माँ ने मेरे लंड से सफ़ेद पानी निकालने के लिए सुझाव देते हुवे मेरे तने हुवे सूजे लंड को देख कहा के, "बेटा मेरे पास एक तरिका है, तू ऐसे ही लेटा रहे बेडपर, में अभी आती हु." ऐसा कहकर मेरी माँ बैडरूम से बाहर चली गयी, बैडरूम से बाहर जाते वक़्त मेरी माँ के पतले गाउन से उभरी गद्देदार गांडका मटकना कुछ ज्यादा ही था, उन्ह मस्त मटकते कुल्होंको देख मैने वही बेडपर नंगी हालतमे लेटे हुवे में मन ही मन सोचने लगा, "माँ आप ऐसी क्यों है? मुझे आपके बारे में गंदा नहीं सोचना. माँ आपके खुले विचारोंकी सीमा आखिरकार कहा जाकर रूकती है जहा जानेसे पहले में अपनी गन्दी सोचको कुचल सकू."

रात के १० बजकर ५५ मिनट.

यही वो वक़्त था जब वो सब शुरू हुवा, जो शुरू होना चाहिए था या नहीं वो पता नहीं. में बैडरूम में आरामसे बेडपर सिर्फ सफ़ेद बनियान पहने हुवे हाफ पैंट घुट्नोंतक सरकाकार नंगा पीठके बल लेटा हुवा था. में उस वक़्त ये सोचकर उत्तेजित था के मेरी चुलबुली माँ आखिर इस लंड के दर्द को कम करने केलिए करने क्या वाली है, ऐसे ही सोच रहा था तब पायलकी छम छम के साथ मेरी माँ मुस्कुराते हुवे बैडरूम में आयी, तब मेरी माँ के हाथमे एक गीला मुलायम रेशमी कपड़ा था जिसे देख में अब इस उलझन में गिरगया के ये रेशमी कपड़ा आखिर माँ ने किसलिए लाया है? ये उलझन मेरी उस वक़्त सुलझी जब मेरी माँ अपनी कमर मटकाते हुवे मेरे बेड के पास आकर बेडके किनारे बैठी और मुझे बोली, "देख बेटा ये मुलायम कपड़ा तेरे नुनु के इर्द-गिर्द लपेटने के बाद दर्द कम होगा और तुझे पानी निकालने में आसानी होगी, समझा?"

माँ की बात सुनतेही उस वक़्त में बेडपर लेटे हुवे गर्दन हिलाकर हां कहने के सिवाय कुछ बोलना पाया. फिर आगे माँ ने जैसा कहा वैसे ही में करता गया, माँ ने मुझे अपना बरमूडा और बनियान पूरी निकालने को कहा जो मैंने जरा नखरा दिखाया लेकिन फिर माँ ने जैसा कहा वैसे ही कर पूरा नंगा बेडपर पीठके बल लेटा, ऐसेही करते हुवे माँ के खुले स्वभावका मैने पूरा डटकर सामना किया. उस डटकर सामना करनेकी वजह अगर आप मुझे उस वक़्त पूछते तो में आपको बता नहीं पाता लेकिन आज में आपको बता सकता हु के मैने उस वक़्त माँ के खुले स्वभावका डटकर मुक़ाबला इस्सलिये कर रहा था के आगे अपनी खूबसूरत माँ के साथ थोड़ी बहोत मस्ती करनेमे परेशानी ना आये, यही वो असली वाला रीजन था माँ के खुले स्वभावसे मेल लढ़ाने का जो सफल हुवा या नहीं ये आपको आगे पता चलेगा.

में बेडपर पूरा नंगा लेटा हुवा था और मेरी माँ मेरे सिनेसे लेकर टॉँगोंतक अपनी नशीली नजरे दौड़ाते हुवे मुस्कराकर बोली, "हाय रे मेरे गोरे रसगुल्ले तू तो बिलकुल अपनी माँ पर ही गया है, किसीकी नजर ना लगे मेरे लाल को."ऐसा कहते हुवे मेरी माँ मेरे नंगे शरीरको घूर रही थी.

माँ की बात सुन में जरासा शरमाया और नजरे अपनी माँ की नशीली आंखोंमे कर बोला, "माँ आप भी ना, पहले ही आपके सामने ऐसी हालतमे मेरी हालत ख़राब होरही है और आपको मजाक सूझ रहा है."

मेरी बात सुन मेरी माँ मुस्कुराते हुवे मेरी आंखोंमे देख बोली, "बेटा में मजाक नहीं सच बोलरहि थी, वो जानेदे अब ऐसेही सीधे बेडपर लेटा रहे में ये कपड़ा तेरे नुनु पर लपेटती हु." ये कहेकर बिना कोई वॉर्निंग दिए मेरी खुशबूदार माँ ने बेडके किनारे बैठे हुवे मेरे तनकर खड़े मेरे लंड की टोपी को एक हाथकी उंगलियोंसे हल्केसे पकड़ा, जैसे ही मुझे अपने तनकर खड़े ८ इंच लंबे लंड की गुलाबी टोपी पर माँ की उंगलियोंका हल्का स्पर्श महसूस हुवा तो मेरे शरीर में जैसे काम उत्तेजना की बिजलिसि दौड़ी और एक हल्कीसी सिसकारी मेरे मुँह से निकली, "अहह." वो सिसकारी मेरी माँ ने सुनी या नहीं ये मुझे पता नहीं. मेँ उस वक़्त माँ की इस हरकतसे शर्मसे मरा जा रहा था और मेरे अंदरकी किशोरी अवस्था मेरी शरमको काबू कर माँ के साथ काम उत्तेजना से भरे इस खेलको आगे बढ़ाने केलिए प्रोत्साहन देरही थी.

बैडरूम का माहौल उस वक़्त बड़ा ही काम-उत्तेजित करनेवाला था, में बैडरूम में पूरा नंगा टाँगे फैलाये हुवे बेडपर पीठके बल लेटा हुवा था. मेरा ८ इंच लंबा लंड पूरा तनकर खड़ा था और मेरी माँ बेडके किनारे एक मस्त पतले ब्लैक गाउन में बैठी हुवी मेरे लंड की टोपी को अपनी हाथकी उंगलियोंसे हल्केसे पकड़कर एक रेशमी मुलायम कपड़ा मेरे तनकर खड़े लंड के इर्द गिर्द दूसरे हाथसे लपेट रही थी, उस समय में अपनी काम उत्तेजना को अपनी माँ की आंखोंसे छिपाते हुवे जैसे तैसे बेडपर सीधा लेटा हुवा था और मेरी नजरे सिर्फ निचे मेरे तने लंड पर ही थी जिसपर मेरी माँ एक कपड़ा हाथसे लपेट रही थी.

कुछ मिनट बाद.

कुछ मिनट बाद मेरी माँ ने मेरे तने लंड के इर्दगिर्द रेशमी कपड़ा पूरा लपेटदिया और फिर तुरंत ही एक ऐसी हरकतकी जिस्से मेरे शरीर में जैसे उत्तेजना की आग ही भड़की क्योके मेरी माँ ने लपक कर मेरे मुस्सल लंड जो एक कपडेसे लिपटा हुवा था उसे मेरी माँ ने अपने एक हाथमे पकड़ा और मेरे डंडे को एक पल के लिए हाथकी ग्रिप में पकड़कर दबाया और तभी एक हलकी सिसकारिके साथ मेरे लंड के मुहानेसे जरासी काम रस की बुँदे टपकी, "अह्ह्ह्ह माँ."

मेरी सिसकारी सुन बेड के किनारे बैठी मेरी माँ ने अपना हाथ मेरे लंड से दुरकीया और मुझसे मुस्कुराकर बोली, "देख बेटा तेरा पानी जल्दी निकलने वाला है तो तेरे पास १० मिनट है, में तबतक बाहर हॉल में हु. १० मिनट बाद में वापिस आउंगी और तुझे फिर क्रीम दूंगी.डॉक्टर ने मध्य रात्रीसे पहले क्रीम लगाने के लिए बोला है तो ज़रा जल्दी करना ठीक है?"

माँ की बात सुन में बेझिझक माँ की ओर देख बिना शर्माए बोला, "माँ १० मिनट में नहीं होगा, वक़्त लगेगा."

(सच्चाई ये थी के में इतना गरम था उस समय के ५ मिनट में ही मेरा पानी निकलजाये लेकिन मेरे अंदरकी किशोरी अवस्था बड़ा ही घिनोना खेल खेल रही थी. मेरी किशोरी अवस्था को जानना था की मेरी खुले विचारोंवाली माँ अब इस नयी परेशानीसे कैसे निपटेगी.)

बेड के किनारे बैठी मेरी माँ अपनी कलाइसे बंधी छोटीसी घड़ीमे वक़्त देखते हुवे मुझसे बोली, "चिंटू वक़्त ही तो है जो हमारे पास इस वक़्त नहीं है, तू अब ऐसे ही लेटा रहे और तुझे याद है ना के मैने तुझे इन मामलोंमें कैसे रहने को कहा है?"

माँ की बात सुन बेडपर नग्न अवस्था में लेटे हुवे में माँ की ओर देख बोला, "माँ आपने मुझे इन मामलोंमें बेशर्म रहनेको कहा है. माँ मुझे सब याद है."

मेरी बात सुन मेरी माँ ने झटसे रेशमी मुलायम कपडेसे लिपटे मेरे लंड को एक हाथसे थामलिया और बोली, "शर्म आरही है अब?."

में वही बेडपर नंगा लेटे हुवे माँ के मुलायम हाथका दबाव कपडेसे लिपटे मेरे लंड पर महसूस कर मेरे अंदरकी किशोरी अवस्थाने मेरी शर्माहट को कुचलकर अटकते हुवे बोला, "न न नहीं माँ, लेकिन." फिर आगे कुछ में बोलता उसके पहले ही मेरी माँ ने मेरी बात बीचमे काटी और बोली, "देख बेटा अब आगे में संभालती हु, अगर शर्म आभीरही हो तो आँखे बंदकरके शांत लेटा रहे, समझा?"

माँ की बाते और कपडेसे लिपटे लंड को थामे माँ का हाथ महसूस कर में समझ गया के माँ आगे करने क्या वाली है, आगे जो भी होने वाला था वो मेरी किशोरी अवस्था के मुताबिक़ ही होने वाला था ये देख मेरी किशोरी अवस्था काम उत्तेजना में बावरीसी होगयी थी.

माँ की बात सुन में बेडपर मासूमसा चेहरा बनाकर वैसे ही लेटा रहा, मेरी नजरे कपडेसे लिपटे मेरे तनकर खड़े लंड पर थी जिसको माँ ने एक हाथमे थामे रखा था तब में हलकी आवाजमे बोला, "हां माँ."

मेरी ये हलकी आवाज सुन माँ ने झटसे अपना काम शुरू किया याने कपडेसे लिपटे मेरे तनकर खड़े लंड को एक हाथसे हिलाना शुरू किया.

(फिर क्या था,फिर जो १० मिनट तक हुवा उसमे मैने काम वासना से भरे सागरकी अनुभूति की. उन्ह १० मिनटोंमे आपको क्या लगा के में शांत बेडपर लेटा रहा? तो आप बिलकुल ही गलत है क्योकि मेरी किशोरी अवस्था उस बहते काम सागरमे इतनी झुलसगयी के बहुतसारी शरारते और मस्ती माँ के साथ कर बैठी.)

बैडरूम का माहौल हदसे ज्यादा काम उत्तेजना से गरम होचुका था, मेरी खुशबूदार माँ पतले गाउन में बेडके किनारे बैठे हुवे मेरा रेशमी कपडेसे लिपटा तनकर खड़ा लंड एक हाथसे ऊपर निचे कर आहिस्ता बड़ी नजाकत के साथ हिला रही थी. माँ के बदनकि मोगरेकी खुशबु मेरी किशोरी अवस्था को पागल कर रही थी और फिर मेरी किशोरी अवस्था की शरारते तब शुरू हुवी जब मेरी माँ मेरा लंड हिलाते हुवे बोली, "चिंटू दर्द नहीं होरहा ना?"

माँ की बात सुन मेरे अंदरकी किशोरी अवस्था कामुक सिसकारियां लेते हुवे माँ की नशीली आंखोंमे घूरती हुवी बेशर्मीसे बोली, "आआह्ह्ह्हह माँ आपके हाथ इतने मुलायम है के दर्द महसूस ही नहीं होरहा."ये बोलकर मैने अपने खड़े लंड पर अपनी नजरे जमाई और मन ही मन बोला, "अबे साले क्या बोलरहा है?" ऐसा सोच ही रहा था के बेडके किनारे बैठी माँ ने हस्ते हुवे मेरा लंड अब जोरसे हिलाते हुवे कहा, "हाहाहा अच्छा बेटा, लेकिन इस गलतफैमी में मत रहना के में तेरा रोज पानी निकालकर दूंगी." ऐसा कहकर मेरी माँ मेरी तरफ देख हसने लगी और अपने एक हाथमे पकडे मेरे लंड को जोर जोरसे हिलाने लगी. लंड के मुहानेस काम रस्की बुँदे लगातार बहे रही थी और लंड के इर्द-गिर्द लिपटा मुलायम कपड़ा गीला होनेके कारण लंड जोर जोरसे हिलानेकी वजहसे एक कामुक आवाज बैडरूम में अब गूंज रही थी ,"फच फच फच फच फच फच." ये आवाज चुदायिके समय होती आवाजसे बहुत हदतक मेल खाती है.

माँ की बात सुन में बेशर्मीसे सिसकारियां लेते हुवे माँ की तरफ देख बोला, "आह्ह्ह्ह तो में कब कहे रहा हु के आप मेरा ऐसे रोज हिलाये."

उस समय भी लगा था लेकिन मुझे तो आजभी यकींन नहीं होरहा के मैने उस वक़्त काम उत्तेजना में बहकर कुछ ऐसा भी कहा था, लेकिन बादमे मेरी बात सुन मेरी माँ ने निगेटिव रिस्पॉन्स देनेके जगह उन्होने तो मेरेलिए पॉजिटिव रिस्पॉन्स देते हुवे मेरा लंड हिलाना बंदकर मुस्कुराते हुवे कहा, "नालायक, मेरे शर्मीले भोंदूराम आजतो तू बड़ा ही बेशर्म बन रहा है. बदमाश."

माँ की हस्ते हुवे मजाकमें की गयी बात सुन मैने झूठ-मुठका ग़ुस्सा अपने चहरे पर लाया और माँ से रूठते हुवे माँ की ओर देख बोला, "माँ आप हमेशा मुझे ऐसे चिढ़ाती हो." ऐसा बोलकर मैने दूसरी तरफ मुँह फेरलिया.

मुझे रूठा हुवा देख बेडके किनारे बैठी माँ ने फिरसे कपडेसे लिपटा मेरा ८ इंच लंबा लंड हिलाना शुरू किया और बोली, "मेरे लाल में तो मजाक कर रही थी, तुझे पता है के जब तेरी माँ को बचपनमे लड़के चिढ़ाते थे तब में क्या करती थी?"

माँ की बात और माँ को मेरे लंड को हिलाते हुवे महसूस कर में बडिहि उत्सुकता से माँ की ओर देख हलकी सिसकारियां लेते हुवे बोला, "अह्ह्ह क्या करती थी आप?"

मेरी बात सुन माँ मुस्कुराते हुवे बोली, "मुझे जब लड़के चिढ़ाते थे तब में उन्हके चूषकोंको बड़ी जोरसे हाथसे मसलती थी इतने जोरसे के वो लड़के रोते हुवे भाग जाते थे और फिर कभी वो लड़के मुझसे पन्गा ही नहीं लेते थे."

मेरी माँ की बात सुन मेरी तो हसी छूटी लेकिन मेरी किशोरी अवस्था ने यहाँ भी अपना घिनोना दाव खेला और में बोला, "अच्छा तो अगर गलतीसे उन्ह लड़कोने आपके निपल मसलदिये होते तो?"

मेरे सवालपर मेरी माँ मेरा कपडेसे लिपटा लंड हिलाते हुवे बोली, "किसी लड़केकी ऐसी हिम्मत ही नहीं हुवी कभी, जिसकी हिम्मत हुवी वो आज तेरा बाप है."

मेरी माँ की बात सुन में झटसे बोला, " मतलब पापा ने आपके." तभी मेरी माँ ने मेरे लंड की गोटिया दूसरे हाथमे थामली और हल्केसे दबाते हुवे लंड हिलाते हुवे बोली, "हां मेरे लाल तेरा बाप बहोत हिम्मत वाला है."

मेरी माँ के हाथका जादू मेरे तने लंड पर भारी पड़ने लगा, में तो उस वक़्त मेरे हवस से भरी मेरी पागलपंती को काबू में रखे हुवे नंगा बेडपर लेटा हुवा था तब मेरी माँ मेरा लंड एक हाथसे हिलाते हुवे दूसरे हाथसे मेरी गोटियोंकी थैली जकड़कर जोरसे दबाते हुवे बोली, "बेटा ये सब जल्दी तेरा पानी निकालने केलिए कर रही हु, दर्द तो नहीं होरहा ना?"

माँ के मुलायम हाथोंमे मेरी गोटियोंकी थैली महसूस कर में बावरासा होगया और सिसकारियां लेते हुवे बोला, "अह्ह्ह्ह माँ दर्द नहीं होरहा,,,वो जाने दो माँ लेकिन मेरे अंदर पापा का खून दौड़ रहा है इस्सलिये मुझमे भी हिम्मत कूटकूटकर भरी है माँ आह्ह्हह्ह्ह्ह."

मेरी बातोंमे तड़प देख बेडके किनारे बैठी हुवी माँ मेरा लंड एक हाथसे हिलाते हुवे, दूसरे हाथसे गोटिया मसलते हुवे बोली, "हां बेटा तू अपने बाप पर ही गया है, लेकिन लगता है तेरा पानी जल्दी निकलने वाला है सही कहा ना?" ऐसा कहकर माँ ने मेरे लंड को जोर जोर से हिलाना शुरू किया.

मैने फिर एक लम्बी सिसकारी ली और माँ से बोला, " आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह, माँ आप हमेशा सही होती हो आह्ह्ह्ह." ऐसा कहकर मेरे लंड के मुहानेस गरम लावे की तरह सफ़ेद पिचकारी निकली जो सीधा माँ के पतले काले गाउन से उभरे ३३ साइज के स्तनोंपर जा उडी, क्या मस्त लमहा था वो, आजतक वो पहला काम उत्तेजित करनेवाला लमहा नहीं भुला में. बेडपर लेटा हुवा माँ के स्तनोंपर गिरे मेरे सफ़ेद गर्म वीर्य को देख एक अलगसा सुखुन मुझे उस वक़्त मिला, मेरी खुले विचारोंवाली माँ ने तो उस सफ़ेद वीर्य को साफ़ करनेकी भी कोशिश नहीं की और उलटा मुझसे मुस्कुराते हुवे बोली, "हाय रे मेरे लाल तूने तो मुझे पूरा गंदा ही करदिया."ऐसा बोलकर माँ ने लंड के इर्द गिर्द लिपटे हुवे मुलायम रेशमी कपडेको निकाला और उस्से ही मेरा लंड साफ़ पोंछ कर अपने मुलायम हाथोंसे डॉक्टर ने दी हुवी क्रीम लगायी. मेरे लंड पर क्रीम लगाते वक़्त भी हम दो माँ-बेटे के बिच जनरल बाते हुवी उन्ह बातोंमे कही ना कही एक काम उत्तेजना की आग धधकती हुवी महसूस की जा सकती है. लेकिन उस वक़्त बेडपर नंगा लेटे हुवे माँ से लंड पर क्रीम लगवाते हुवे में मन ही मन सोचते हुवे माँ की ओर देख रहा था, "अरे यार में तो माँ की इन्ह हरकतोंसे गरम हुवा लेकिन इतना सब होनेके बावजूद माँ पर तो कोई असर ही नहीं दिख रहा,कुछतो असर दिखना चाहिए था. लगता है मेरी ये बेशर्मी कोई काम ना आयी." लेकिन ये मेरी गलत फैमि जल्दीही दूर होने वाली थी.

बैडरूम का माहौल मेरे काम रसके बहनेके बाद रंगीन होगया था, काम रस की सुगंध माँ ने अपने बदनपर लगाए मोगरेकी सुगंधके साथ मिलकर एक काम उत्तेजित करनेवाली सुगंध बैडरूम के चारो ओर फैलचुकि थी.

*****

कुछ देर बाद माँ ने मेरे मुरझे हुवे लंड को क्रीम लगाना पूरा किया और बेड से उठकर मेरी आंखोंमे देख बोली, "बेटा ऐसे ही नंगे सोना, कपडे मत पहन." ऐसा बोलकर कुछ जनरल बातोंके बाद माँ बैडरूम से बाहर जाने के लिए मुड़ी और अपनी मस्त गांड मटकाते हुवे बैडरूम के दरवाजेके पास जाकर खड़ी हुवी और बैडरूम की लाइट का स्विच वही पास था वो बंदकर ही रही थी तब बेडपर नंगे लेटे हुवे मेरी नजर माँ के दूसरे हाथपर गयी और वो दुसरा हाथ पतले गाउन के उपरसे जांघोंके बिच की रसीली गली को मसलता हुवा मुझे दिखा उसे देख मैने भी जोशमे मेरे मुरझाये लंड को बेडपर लेटे हुवे ही एक हाथसे मसला और मन ही मन बोला, "पता था माँ, में ही नहीं आप भी गर्म होचुकी हो हाहाहा."

भाग २ समाप्त

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