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Click hereअब तक आपको समीरने बतादिया ही होगा के कैसे उसने अपनी मादक माँ के खुले विचारोंकी सीमा खोजनेके चक्कर में अपने दर्दसे सूजे लंड की कामुक गर्मी माँ के कोमल हाथोंसे उसने ठंडी करके ली. कहते है ना के अगर शेर के मुँह को आदमी का खून लग जाता है तो वो शेर आदमखोर बन जाता है तो कुछ ऐसे ही यहाँ समीरने अपनी मादक खुले विचारोंवाली माँ से उसने जो काम-सुख चखा था उस्से वो अब काम-सुख का प्यासा होचुका था, इसी काम-सुख की प्यास में डूबकर आगे आने वाले दिनोंमे ऐसा हुवा जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते. तो चलिए कोई समय बर्बाद किये बिना अब आगे बढ़ते है कामुक माँ और बेटेके उन्ह काम-उत्तेजनासे भरे दिनोंकी तरफ.
बुधवार सुबह के ८ बजकर ३० मिनट.
आजकी सुबह समीरके लिए अलग थी, क्योके कल ही उसने अपनी मादक माँ राधासे काम-सुख चखा था जिसकी ताजगी अभीतक तरोताजा थी.
समीर इस वक़्त बैडरूम में लगे CCTV कैमरा की ओर मुँह कर पूरा नंगा बेडके किनारे बैठा था. रोजकी तरह आजभी उसका ८ इंच लंबा गोरा लंड पूरा तनकर खड़ा था, फर्क सिर्फ इतना था के आज समीरको उस CCTV कॅमेरा की मदतसे उसकी माँ उसका सुबह-सुबह तना हुवा गोरा लंड देख सकती है इसकी समीरको कोई शर्म ही नहीं थी, वो तो कल की रात उसकी मादक माँ के हाथोंका स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते हुवे अपनी ही दुनिया में खोकर एक हाथसे अपने तने हुवे गोरे लंड को बेडके किनारे बैठे हुवे बेशर्मीसे मसल रहा था, एक हाथसे लंड मसलते हुवे समीर के मुँह से उत्तेजना से भरी एक ही आवाज निकली थी, " माँ आह्ह."
*****
सुबहके ८ बजकर ४० मिनट.
समीर अब काम सुख से भरी कल की रात की यादोंसे उभरकर अपने बैडरूम से बहार आचुका था, समीरने इस वक़्त काले रंगकी सिर्फ एक बरमूडा पहनी थी और उस बरमूडा के अंदर चड्डी ना पहनेसे उसका तना हुवा ८ इंच लंबा गोरा लंड बरमूडा से टेंट बनाये हुवे दिख रहा था. उस बरमूडा से टेंट बनाकर दीखते लंड को छिपानेकी जगह समीर का ध्यान किचन से आती मुँह में पानी लाने वाले पकवानोंकी सुगंधपर थी जिसे सूंघते ही समीरको ये अंदाजा होचुका था के उसकी मादक माँ किचेन में ब्रेकफास्ट बना रही है, ये पता चलते ही समीरकी नजरोंके सामने एक और बार कल की रात में अपनी माँ के हाथसे मसलता हुवा लंड का दृश्य आगया और उस काम उत्तेजित दृश्य को याद करते हुवे समीर अपना तनकर खड़ा लंड बरमूडा के उपरसे मसलते हुवे किचेन की ओर आगे बढ़ा.
*****
कुछ समय पहले जब समीर बैडरूम में था तब कल की रातमे हुवे काम सुख को चखे उस लमहे के बाद उसके मनमे बार बार ये बात आरही थी के उसे अपनी माँ के बारे में गंदी बाते सोचनी नहीं चाहिए, लेकिन दूसरीतरफ उसका किशोरी अवस्था में तड़पता हुवा शरीर बोलरहा था के, "अब पीछे हट मत समीर, कल कितना मजा आया था, याद कर वो लमहे जब माँ ने अपने कोमल हाथोंसे तुम्हारा लंड हिलाया फिर अंत में बैडरूम से बहार जाते समय माँ का एक हाथ योनिको गाउन के उपरसे मसलते हुवे दिखा जिस्से माँ भी गरम होचुकी थी इसका अंदाजा तुम्हे उस वक़्त ही लगा था, अब माँ ही अपनी योनि मसलकर तुम्हे ग्रीन सिग्नल देरही है तो अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं." यही किशोरी अवस्था की कामुक बाते समीरके दिमागमे बार-बार गूंजते हुवे उसे काम उत्तेजित कर रही थी तब समीरने अपने एक हाथसे तनकर खड़े लंड को पकड़ा और मसलते हुवे बेड के किनारेसे उठ खड़ा हुवा और मन ही मन बोला, " माना के मेरी माँ गरम होचुकी थी उस वक़्त, लेकिन अब आगे जो भी मस्ती होगी वो हदमे ही होनी चाहिए." ऐसा समीर मन ही मन सोच रहा था याने उसने अपनी किशोरी अवस्था की बात काम-अग्नि में बहेकर मानली थी लेकिन एक शर्त पर, वो शर्त थी 'एक सीमा जिसको लांघने की गलती वो कभी नहीं करेगा, जो भी होगा वो हदमे ही होगा.' लेकिन उसे ये नहीं पता था के हर गेम में जैसे लेवल १ जितने के बाद लेवल २ आती है वैसे ही यहाँ उसके जीवनमे वो लेवल २ आने ही वाली थी.
*****
इस वक़्त समीर घरके तीनो आमने सामने के बेडरूम्स की बिचकि गलीसे किचनमे आचुका है और अब उसके सामने उसकी माँ उसकी ओर पीठ कर आगे सामने गैस स्टोव पर कुछ पका रही थी, उस वक़्त अपनी मादक माँ को समीर कुछ फ़ीट दूर से देख रहा था.
क्या मस्त नजारा था समीरकी नजरोंके सामने, 'नीले रंग के पतले गाउन में समीर की ५.५ फ़ीट वाले गदराये गोरे जिस्म की मालकिन माँ 'आइटम बम' लगरही थी, गद्देदार ३४ की चौड़ी गांड गाउन से उभरकर अपना प्रदर्शन कर रही थी और पतली कमर तो माशा-अल्लाह.
ऐसा मस्त अपनी माँ का कामुक पिछेका नजारा देख समीरका पहलेसे ही बरमूडा के अंदर तनकर खड़ा टेंट बनाया हुवा लंड दर्द करनेलगा. उसने हड़बड़ी में अपना तनकर झूलरहा बर्मुडासे टेंट बनाये हुवे ८ इंच लंबे लंड को बरमूडा की इलास्टिक में फसाया जिस्से अब उसका तनकर खड़ा लंड अब दिख नहीं रहा था. समीर जैसे जैसे आगे माँ की ओर बढ़ रहा था वैसे वैसे ही उसकी माँ राधाके बदनसे आती कामुक मोगरेकी सुगंधको सूंघकर समीर के किशोरी अवस्था में तड़पते शरीरमे काम-उत्तेजना की लपटे धधकने लगी.
दूसरी तरफ समीर की माँ सामने गैस स्टोव पर बड़े पतेले में छोले भठूरे बनाते समय एक बड़ा चमच बड़े पतेले में घुमाते हुवे धवल रही थी और उस वक़्त वो एक गाना गुनगुना रही थी, "काँटा लगा, हाय लगा हाय लगा मममम," तभी अचानक रोजकी तरह उसके बेटे समीरने कसकर उसे पीछेसे बाहोंमे पकड़ा लेकिन इस बार राधा को अपने बेटे के माँ के प्रति प्यारके साथ एक काम उत्तेजना महसूस हुवी जो राधा को समीरकी कमर से दबी हुवी पतले गाउन से उभरी उसकी गद्देदार गाँड़ की फलकोंके बिच अकड़े हुवे तनकर खड़े अपने बेटे के लंड को महसूस कर हुवी. राधा को लगा के उसकी गांडकी फलकोंके बिच महसूस होता बेटे का लंड मॉर्निंग वुड होगा जो किशोरी अवस्था वाले हर बच्चेमे नॉर्मल होता है, इसलिए राधाने गांड पर दबे अकड़े बेटेके लंड को ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी लेकिन अपने बेटेके काम-उत्तेजित बाहोंमे अपने आपको पाकर राधाकि रसीली योनि चिहुँक उठी और वो सिसकारियां लेते हुवे बोली, "आह्ह्ह्हह, उठगया मेरे लाल, मुझे तो लगा था के कल देरसे सोये थे तो आज तू देर से उठेगा."
समीरको अपने तने खड़े अकड़े लंड पर पिछेसे बाहोंमे ली हुवी उसकी माँ की गद्देदार गांड की दोनों फल्के महसूस होरही थी, और उसे ये अंदाजा था के उसकी माँ को भी उसका अकड़ा हुवा लंड महसूस होरहा होगा लेकिन फिरभी उसकी माँ ने जो बात कही उसमे समीरके मन मुताबिक़ काम उत्तेजना की आहट थी जिसको समीरने पहचाना और उसके अंदरकी किशोरी अवस्था उसे उछलकर बोली, "यही सही वक़्त है मस्ती शुरू करनेका." और तभी समीरने अपने नंगे सिनेसे अपनी माँ की गरम पीठसे चिपक कर अपना मुँह आगे की ओर किया और माँ की गोरी गर्दनपर चुम्बन जड़ते हुवे माँ की पतली कमरपर दोनों हाथोंका जोर बढ़ाया और अपनी कमर से अपनी माँ की गद्देदार गांड की फलकोंको दबाते हुवे भींच लिया जिस्से अब उसका बरमूडा की इलास्टिक में फसाया हुवा तनकर अकड़ा हुवा लंड उसकी माँ की गांड की फलकोंकी बिचकि दरार में सीधी रेखा में लेटगया था लेकिन अगर समीरका लंड गलतिसेभी बरमूडा से टेंट बनाये हुवे झूलरहा होता तो कबका समीरका लम्बा लंड इस कामुक पोजीशन में गाउन के कपडे को अंदर धकेलकर राधाकि सुनहरे गांड के छेद को छेड़ चुका होता.
राधा अपने बेटेकी काम-उत्तेजित बाहोंमे सिसक रही थी, उसे अब अपने बेटका तनकर खड़ा लंड अपनी गांड की दोनों फलकोंकी दरार में पहलेसे ज्यादा दबा हुवा महसूस होरहा था फिरभी अपने आपको जैसे तैसे सीधा खड़ा रखे हुवे सामने गैस स्टोव पर बड़े पतेले में छोले भठूरे बनाते हुवे उन्हें बड़े चमच से धवल रही थी तब वो बोली, "आजतो मेरे लाल तुझे अपनी माँ पर बड़ा ही प्यार आरहा है, लगता है तेरे नुनु का दर्द छूमंतर होचुका है, सही कहा ना?"
अपनी माँ की बातपर समीर अपनी माँ को पिछेसे कसकर बाहोंमे लिए हुवे अपना मुँह माँ के कान के नजदीक लेजाकर बोला, "हां माँ मेरे लंड का दर्द पूरा गयाबसा होगया है." समीरने जानबूझकर सीधे-सीधे लंड शब्द का प्रयोग अपनी माँ से बात करते हुवे किया था जिसका रिएक्शन उसकी माँ ने उसे जैसे चाहिए था वैसे ही दिया.
राधा अपने बेटेकी बाहोंमे उसकी बातपर आगे बोली, "ये बात सही नहीं बेटा, तू बोले तो ठीक और में अगर लंड बोलू तो गन्दा, ऐसा क्यों?"
अपनी मादक माँ को पिछेसे कसकर बाहोंमे पकडे हुवे समीर माँ की बातपर बोला, "आप भी बोलसक्ति हो माँ मुझे कोई दिक्कत नहीं." ऐसा बोलकर उसने अपने दोनों हाथ जो उसने अपनी माँ की पतली कमरपर रखे थे उन्हें उसने अपनी माँ की मांसल जांघोंपर रखे और उन्ह जंघोंको सहलाते हुवे अपनी माँ से पीछेसे पूरा चिपका हुवा था.
अपने बेटेकी कामुक हरकतोंसे राधा की रसीली गुलाबी योनिमे कामुक हलचलसि मच चुकी थी तब वो आगे गैस स्टोव पर बनरहे छोले भटुरोंको एक बड़े चमचसे धवलते हुवे अपना एक हाथ पीछे लेजाकर अपने बेटेके सरपर रख उसे सहलाते हुवे बोली, "मेरे लाल यही सुनना था मुझे तेरे मुँह से, ये अछि बात है के तेरी शर्म अब मेरे सामने कम होचुकी है जिस्से अब तु अपनी गुप्तांगोंकी परेशानीया मेरे सामने बताने केलिए शरमाएगा नहीं."
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फिर आगे उसी काम उत्तेजित पोज़िशन में माँ-बेटमे कुछ मीठी बाते हुवी और कुछ समय बाद समीर बाथरूम की तरफ फ्रेश होने केलिए चला गया, लेकिन जाते-जाते एक काम उत्तेजित चौका जड़कर चला गया.
बाथरूम जाने केलिए समीर किचनसे बाहर जाने वाला था के वही थमकर वो पीछे मुड़ा और माँ से मस्ती भरे अंदाजमें बोला, "माँ एक बात बोलू?"
अपने बेटेकी बात सुन उसकी माँ किचनमे गैस स्टोव पर रखे पतेले में छोले भटुरोंको पकाते हुवे उन्हें एक बड़े चमचसे धवलते हुवे पीछे अपने बेटे की ओर देख बोली, "हां बेटा बोल, क्या बात है."
तभी समीर मुस्कुराकर बोला, "माँ वो आप हिलाती अच्छा हो."
अपने बेटेके मुँह से ये बात सुन राधा चौकते हुवे स्तब्ध गैस स्टोव के पास पीछे मुड़कर अपने बेटे की ओर देख खड़ी रही और वो आगे बोली, "क्या?"
अपनी माँ को चौकता हुवा देख समीर आगे हस्ते हुवे माँ की ओर देख बोला, "माँ वो आप जो चमचसे हिला रही होना उसकी बात कर रहा हु हाहा, आपको क्या लगा?"
अपने बेटेकी बात सुन राधा भी मुस्कुराई और बोली, "मुझे भी वही लगा हाहा." ऐसा बोलकर वो आगे गैस स्टोव की ओर मुँह कर धीमी आवाजमे अपने आपसे बोली, "बदमाश कही का, कल की बातपर आज मेरा ही बेटा मुझे ताना देरहा है." और पीछे उसका बेटा एक मस्त कामुक चौका जड़ने के बाद सीधा बाथरूम फ्रेश होने चला गया.
कुछ महीनो पहले जब उसकी माँ ने समीरको चादर ओढ़े हुवे गन्दी हरकते करते हुवे बैडरूम के CCTV कॅमेरा से देखा था तब उसकी माँ ने भी ऐसे ही ताना मारते हुवे एक गाना गाते हुवे बोला था के, "चुनरी के पीछे क्या है, चुनरी के पीछे." ये माँ का ताना समीरको कयी हफ्तोंतक सुनना पड़ा था लेकिन आज वक़्त ने ऐसी करवटली के आज समीर ही बिना शर्माए बेझिझक कल की रातमे उसकी माँ ने जो उसका लंड हिलाया था उसपर उसने बड़ी चालाकीसे अपनी मादक माँ को ताना मारा था.
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माँ-बेटे की उस कामुक बुधवारकी सुबहके बाद ७ दिन बीतगए और उन्ह ७ दिनोमे माँ-बेटेके जीवनमे बहुतसारे कामुक-पल आये जिसमे समीरने चौकोंके साथ छक्के भी जड़दिये. उन्ह 7 दिनोंमें समीर ने अपनी माँ के खुले स्वभाव को अछी तरह समझ लिया. उसने 7 दिनोंमें माँ को अलग अलग तरिकोंसे छेड़ा कभी डबल मीनिंग गंदी बातोंसे तो कभी सुबह काम करती माँ को पीछे से कसके बाहोंमे लेकर मस्ती करनी हो उसने सब किया लेकिन काम वासना से भरी इस मस्ती की सीमा अभीतक समीर को मिली ही नही जिसके कारण काम उत्तेजना की बहाव में वो ऐसा बहता गया के मस्ती कब काम वासना के मजे लेने लगी ये समीर को समझ ही नही आया. उसी काम वासना से भरे मजे की एक झलक में आपको अभी दिखाता हु.
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रविवार का दिन सुबह के दोपहर के 9 बजे है.
समीर को अपनी माँ के स्वभावका एक मजेदार पहेलु भी पता लग चुका था वो था 'चिढाना' जिस्से राधा को बहोत 'चिढ़' थी.
"रुक तुझे अभी मजा चखाती हु," ऐसा बोलते हुवे राधा जिसने सफेद रंग का गाउन पहना था वो किचन से हॉल की ओर भाग रहे बेटे को पकड़ने केलिए राधा भी समीर के पीछे भाग रही थी. ये भागम दौड़ इसलिए चालू होगयी थी के समीर ने अपनी माँ को सफेद गाउन में देख दूधवाली बोलकर चिढ़ाया जिस्से चिढ़कर राधा बेटे को सबक सिखाने केलिए उसे पकड़ने केलिए उसके पीछे भाग रही थी. जब वो दोनों हॉल में भागते हुवे पहुचे तब जाकर वो भागम दौड़ रुकगयीं और तेज सांसे लेते हुवे राधा सामने खड़े दौड़ने के कारण हांफते बेटे की ओर देख वो बोली, "हाय रे दया तू तो अब गया बचूं." एसा बोलकर राधा समीर की ओर आगे झटसे बढ़ी और समीर कुछ समझ पाता उसे राधा ने बाहोंमे कसकर पकडलिया. समीर ने उस वक़्त सिर्फ बरमूडा पहना था और उसके खुले सिनेसे उसकी माँ के स्तन गाउन से उभरकर पूरे दबे हुवे थे जिन्हें सांस लेते वक्त फूलते हुवे समीर भी अपने सीने पर महसूस कर रहा था. अपनी मादक खुशबूदार माँ की बाहोंमे जकड़े हुवे समीर जानबूझकर फिरसे चिढाते हुवे बोला,"माँ सचमे आपके इतने बड़े है उपरसे आपने सफेद गाउन पहना है इसमें आप सचमुच में दूधवाली ही लग रही हो हाहाहाहा." ऐसा बोलकर वो हसने लगा.
तभी अचानक समीर की चीख निकली, "माँ आह! छोरो माँ, सॉरी." इस चीख की वजह थी राधा जिसने अपने बेटे के चूषकोंको एक हाथ से मरोड़ते हुवे पकड़ा जिस वजह से समीर दर्द से अपनी माँ की बाहोंसे दूर जाने केलिए झटपटाने लगा लेकिन तभी समीर की किशोरी अवस्था ने गंदा खेल खेला और समीर ने अपना एक हाथ अपनी माँ के दाये स्तन पर रखा और उन्हें हाथ मे जकड़कर मसलने लगा, समीर की इस गंदी चाल से राधा सिसक उठी और जैसा रिस्पॉन्स समीर को चाहिए था वैसा ही रिस्पोंस राधा ने समीर को दिया और सिसकारियां लेते हुवे अपने बेटे के चूषक और जोरसे मरोड़ते हुवे वो बोली, "हाय रे दया, आहहहहहह, अछा बचूं जहाका दूध पिया उन्हींसे गद्दारी, छोर अभी के अभी आहहहहहह." ऐसा कहते हुवे राधा ने अपने बेटे को अपनी ओर एक हाथसे बाहोंमे जकड़कर दूसरे हाथसे और जोरसे अपने बेटे के बाये चूषक को मरोड़ने लगी तब समीर के अंदरकी किशोरी अवस्था चहकते हुवे मन ही मन दर्द से आहे लेते हुवे बोली, "देखा साले आज दर्द में भी मजा आरहा है, बड़ी ही टाइम पास माँ है. क्या मस्त गर्म स्तन है माँ के बड़ा ही मजा आरहा है इन्हें दबाते हुवे."
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येतो बस ट्रेलर था ऐसी बहुतसारी घटनाएं 7 दिनों बाद हुवी जहा समीर ने मजाकमे छेड़ने के बहाने अपनी माँ के चूतड़ों को कई बार मसला, कभी माँ के किचन में काम करते वक़्त अचानक स्तनोंको दबाकर भाग जाता तो कभी गांड की उभरी फलकोंपर चींटी काटकर अपनी माँ को सताता, राधा भी कहा कम थी वो भी समीर को मनचाहा रिस्पोंस देरहि थी जिस कारण समीर की किशोरी अवस्था का कॉन्फिडेंस और ज्यादा बढ़ा और कामुक मस्ती का खेल आगे चलता रहा. कयी दिन बीत गए समीर का भाई और पिता भी घरपर 2 दिन के लिए आकर वापस मुंबई लौट गए, उन्हके लौटते ही समीर ने फिर से अपनी प्यारी मादक माँ को छेड़ना शुरू किया. माँ बेटे में अबतो छेड़ना ये एक आम बात होचुकी है.
कामुक मस्ती में खुले विचारोंवाली माँ का साथ मिलते ही उसमे कोई अब डर ही नही बचा, ऐसा में इसलिए कहे रहा हु क्योके समीर ने एक दिन बहोत घिनोनी हरकत की वो हरकत में आपको आगे बताता हु.
वो दिन था सोमवार की सुबह का, 8 बजे का वक़्त था. उस वक़्त समीर किचन में आचुका था, सामने उसकी माँ नारंगी रंग के पतले गाउन में बेसिंग में कुछ डिशेस धोरही थी. समीर की नजरे अपनी माँ के पतले गाउन से उभरी गद्देदार गांड पर थी जिन्हकि फलकोंका आकार समीर को साफ दिख रहा था तब उसे एक शैतानी सूझी और वो धीरेसे अपनी मादक माँ के पास पीछे जा पहुंचा और उसने अपनी बरमुडेका नाडा ढीला किया और बरमूडा नीचे चड्डी समेत घुटनोंतक
सरकाया. उसका 8 इंच लंबा गर्म गोरा लंड पूरी साइज में तनकर खड़ा था तो उसने एक हाथ मे लंड पकड़ा और दूसरे हाथसे अपनी माँ की कमर पकड़कर पिछेसे माँ को बाहोंमे लिया, तब उसने अपने तनकर खड़े लंबे लंड को अपनी माँ के दोनों फलकोंके बीच सीधी रेखा में लेटाया और अपनी माँ से पूरा पिछेसे चिपक गया. इस मस्त पोजिशन में समीर को बड़ा मजा आरहा था. रोजकी तरह माँ बेटे में आज भी जनरल बाते शुरू हुवी. राधा को आज अपने बेटे की बाहोंमे कुछ अलगसा लग रहा था उसे अपनी गांड की फलकोंके बीच कोई गर्मसी चीज ऊपर नीचे घिसती हुवी राधा को महसूस होरही थी लेकिन उसे राधा ने इग्नोर किया और सिसकते हुवे अपने बेटे से बाते जारी रखी. समीर का ध्यान अपनी खुशबूदार मस्त मादक माँ की बातोंपर कम और नीचे अपनी माँ की गद्देदार गांड की फलकोंके बीच अपना लंड ऊपर नीचे घिसने में उसका ध्यान ज्यादा लग रहा था,बड़ा मजा आरहा था समीर को उस वक़्त.
लेकिन तभी बातो ही बातोंमें राधा ने चुपकेसे अपना एक हाथ पीछे की ओर किया और उस गर्म गांड की बीच बार बार घिस रही उस चीज को एक हाथसे पकड़ा, हाथमे वो गर्म चीज पकड़ते ही उसे समज आया के वो उसके बेटे का लंड है. तब राधा लंड एक हाथसे पकड़े हुवे पीछे बेटे की ओर घूमते हुवे बोली, "बदमाश," ऐसा बोलकर वो पीछे मुड़ ही रही थी के समीर अपनी माँ से दूर हुवा और अपना लंड माँ के हाथसे झटक कर आजाद कर उसने बरमूडा पहनी और किचन से वो हस्ते हुवे एक बात अपनी प्यारी माँ से कहते हुवे वो भागा के, "माँ क्या मस्त गांड है आपकी, मजा आगया. हाहाहा." इस तरह समीर ने अपनी खुले विचारोंवाली माँ से खेलना शुरू किया, उसे इस मस्ती भरे खेल में बड़ा ही मजा आरहा था. अपनी मादक मा के खुले स्वभाव में कामुक खेलकी सीमा अभीतक तो उसे दिख ही नही रही थी क्योके वो कुछ भी करता उसपर राधा का रिएक्शन समीर जैसा चाहता वैसा ही होता.
भाग 3 समाप्त
Hi bhai
Age ke part b likhna ...
We r waiting...
Dono ki vistar me story likhna...
Bahut aacha likha he
Aur thoda jast erotic likhna ekse agle part me..
Kab tak share kar raho ho jaldi se share karo