गदराई मोटी गाय 01

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मैं: मान गए भाभी आपको। वैसे जब भी मैं आपको माँ बुलाता था आपके चुदाई की रफ़्तार बढ़ जाती थी। वैसे कई लोग अगर हमारे रिश्ते को ना जाने तो आपके गुदाज फैले शरीर को देखते हुए (मैंने अपने हाथ भाभी के उन्नत नितम्बों पे रख रखे थे) मुझे आपका बेटा ही समझेंगे। याद है आपको वो दूकान वाला। वैसे मैं आपको माँ बुलाऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?

भाभी: केवल हमारे बीच में।

मैं: और अपनी घरेलु मालती के सामने, माँ।

भाभी चुप रहीं, और मैंने इसे उनकी सहमति समझा।

मैं: माँ तुम्हे भूक लग गयी होगी, कुछ खा लेते हैं। फिर हम दोनों नंगे बरामदे में ड्राइंग टेबल पे खाना खाने के लिए बैठे। मैंने भाभी को खुद के जाँघों के ऊपर बैठा लिया। मैं उनके बदन के निरंतर सानिध्य में रहना चाहता था। जब भी भाभी कोई कौर मुँह में अपने मुँह में डालती, मैं उनके हाथ को अपने मुँह में लेके उसे चूस-चूस के साफ़ करता और फिर उनके मुँह को पीछे करके उनके होठों को चूस के उनके मुँह को भी साफ़ करता। बड़ा मादक अहसास था ये हम दोनों के लिए।

कल तक भाभी मुझे कुछ करने नहीं देती थी, और आज उनका बर्ताव ऐसा था जैसे वो मेरी दासी हो। इसमें निसंदेह मालती का बड़ा योगदान था।

खाने के बाद भाभी को मैं दुबारा बिस्तर पे ले आया। चलते वक़्त भी मैंने उन्हें अपने आलिंगन में कर रखा था। बिस्तर पे करवट लिटा के मैंने उन्हें अपने बाहों में कसकर एकदम से अपने करीब लाते हुआ उनके होठों को चूसते हुआ बोला: माँ तुम्हे नींद आ रही है क्या। भाभी: हाँ बहुत रात हो गयी है।

तब रात के 2 बज रहे थे, भाभी को खुद के आलिंगन में किये मैं और भाभी सो गए। सुबह मालती के आने के बाद जगे हम। \मुझे बड़ी उत्तेजना होने लगी पर मैं जानता था भाभी अभी सेक्स के लिए बिलकुल नहीं मानती वैसे भी मुझे ऑफिस जाना था सो मैं तैयार हो के ऑफिस के लिए निकलने लगा। मैंने भी भाभी का कोई कपड़ा बाहर नहीं निकाला और चाबी खुद के साथ ले कर चला गया।

मालती ने भाभी से कहा: माँ जी चलिए मैं आपको ब्रश वगैरह करवा दूँ, मालती ने भाभी को बिस्तर से उतार के भाभी के स्तनों को पीछे से मसलते हुए उन्हें बेसिन के पास ला करके उन्हें ब्रश करने को कहा। भाभी दांतों को ब्रश कर रही थी और मालती उनके स्तनों का मर्दन। बेसिन के शीशे में भाभी जब खुद के स्तनों को मसलते हुए देखती तो वो शर्माती और नज़रे हटा लेतीं। मालती: माँ जी, 24 घंटे अगर ये मसले जाएँ तो 3 महीने में ही ये 50 " के हो जायेंगे। सुनील भैया चाहते हैं की आपका बदन और भरे।

ब्रश करने के बाद मालती ने भाभी को कमोड पे बैठा दिया और खुद पास में स्टूल रख के उसपे बैठ के उनके स्तनों को मसलती रही। फिर भाभी को बिस्तर पे वापस लाकर उनके नंगे बदन की रगड़-रगड़ कर मालिश करने लगी। अब वो उनके मांसल बदन को पूरे जोर से गूथ रही थी। मालती: क्यों री तू तो विधवा होते हुए अपने ही देवर का बिस्तर गरम करने लगी। \

जवान देवर को अपने बदन का गुलाम बनाना चाहती है, वो तुझे खुद के हवस की दासी बनाएगा। तू उससे चुदने के लिए जियेगी और वो तुझे दिन-रात चोदेगा।

मालती ने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके नितम्बों पे जोर-जोर से चाटा मारने लगी। फिर वो एक पतली बेंत ले आयी और उनके चूतड़ों के मांस पे तारा-तर बेंत चलने लगी। भाभी अब रोने लगी, मालती ने बेंत मारना जारी रखा। मालती भाभी के गालों पे लगातार चाटा मार रही थी। भाभी बहुत रोई पर मालती उन्हें दासी की तरह 10 मिनट तक गालों पे चाटा मारते रही।

फिर वो भाभी को बाथरूम में बाथ-टब में ला कर खुद के ऊपर लिटाते हुए बाथ-टब में पानी का नल खोल दिया। तुरंत भाभी के स्तनों तक पानी आ गया था, फिर मालती ने नल बंद कर दिया। भाभी के कानों में बोली: माँ जी, आपको पिशाब लगी हो, आप पिशाब कर लो। भाभी को जोर से पिशाब लगी थी, मालती ने उन्हें 1 घंटे तक बहुत मारा जो था। वो बाथ-टब से निकलने के लिए उठने लगी। पर मालती ने उन्हें जोर से पकडे हुए कहा यहीं कर लीजिये माँ जी पिशाब। और मालती आवाज़ निकालने लगी जो छोटे बच्चों से पिशाब करवाने के लिए महिलाएं निकालती हैं। कुछ ही देर में भाभी तेज़ धार से गरम पिशाब निकालने लगी। जब भाभी रुकी तो उनके पिशाब की वजह से बाथ-टब के पानी का रंग पीला हो चूका था और पिशाब की बदबू आने लगी पूरे बाथटब में। भाभी के स्तनों को उसी पानी में धोते हुए मालती ने कहा- आज से आप और भैया आपके मूत से मिले पानी से ही नहाएंगे। जब भी पिशाब आये, माँ जी आप पिशाब अब इसी टब में करेंगी। आपके शरीर से निकले पिशाब में भी एक नशा है।

भाभी को करीब आधे घंटे का उस टब में नहवाने और उनके बदन को मसलने के बाद, मालती बाहर लाकर उनके शरीर को तोलिये से पोछने ही वाली थी की तभी मैंने घर की घंटी बजाई। (दरअसल मेरा मन लग नहीं रहा था ऑफिस में सो मैं हाफ डे छुट्टी ले कर घर आ गया था)। मालती ने गेट खोला और जब में भाभी के पास आया तो मुझे पिशाब की बदबू आयी उनके बदन से। मैंने नोटिस किया की मालती के भी बदन से ऐसी ही बदबू आ रही थी।

मैंने बाथरूम में बाथ-टब को देखा तो मुझे सब समझ में आ गया। मुझे बड़ी ख़ुशी थी की मालती नए-नए तरीके से भाभी और मेरे बीच उत्तेजना बढ़ा रही थी।

मालती ने कहा: भैया अच्छा हुआ आप आ गए, चलिए आप भी नाहा लीजिये, अपनी माँ जी के साथ। फिर उसने मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया। भाभी मुझे नंगा होता देख रही थी पर वो बिलकुल भाव-विहीन से खड़ी थीं। मेरे तने हुए लंड को पकड़ कर भाभी को दिखाते हुए मालती ने कहा माँ से चिपकने के नाम से ही ये झटके मारने लगता है, थोड़ी देर तक लंड को हिलाने के बाद मालती हम दोनों को बाथ-टब में ले आयी। (पहली बार किसी औरत ने मेरे लंड को छुआ था, और ये मालती भाभी के सामने कर रही थी)। बाथ-टब में मालती ने मुझे बिठाने के बात भाभी को मेरे गोद में बिठा दिया और हम दोनों को पिशाब करने को कहा। वो बाथ-टब के बाहर से ही मेरे पीछे आकर मेरे और भाभी के गालों को सहलाते हुए पिशाब करने वाली आवाज़ निकालने लगी। मैं और भाभी दोनों पिशाब करने लगे, हालाँकि भाभी ने बहुत ज्यादा नहीं किया। बाथ-टब का रंग अब पूरा पीला हो गया था। उस गन्दी बदबू में भाभी और मैं एक दुसरे के बदन से चिपके हुए थे।

मुझे असीम कामनोमन्द की अनुभूति हो रही थी। काम उम्र की कितनी भी सुन्दर बीवी होती मेरी तो मुझे ये ख़ुशी नहीं दे पाती। मैं राहुल और भाभी के पिता को मन-ही-मन सुक्रिया कर रहा थी उन्होंने मुझे भाभी के शरीर की जागीरी दे दी थी। बाथटब में पड़े हुए में भाभी के बदन को निचोड़ रहा था और वो मादक आवाज़ें निकाल रही थीं। मालती कुछ देर में अपने घर चली गयी और मैं और भाभी के साथ बाथटब में ही था।

पिशाब के पानी से सने भाभी के भड़काऊ बदन को मसलते हुए मुझे अब 20 मिनट हो चुके थे। भाभी काफी देर से पानी में थीं शायद उन्हें असहजता महसूस हो रही थी बदबू में।

भाभी: सुनील अब रहने दो प्लीज।

मैं: माँ, मुझे सुनील बेटा बुलाया करो।

भाभी: बेटा, प्लीज रहने दो अब। मुझे बहार निकलने दो।

मैं: ठीक है माँ (और ऐसा कहके मैं उन्हें बाहर ले आया और उनके बदन को तौलिये से पोछने लगा)

भाभी: बेटा, मेरे कपड़े ला दो।

मैं: सॉरी माँ, आप कपड़े नहीं पहनेंगी। आपको घर में ही रहना है। आपको कपड़े क्यों चाहिए। मैं आपका पति हूँ, मालती आपकी दासी| दोनों को आपके नंगे बदन की जरुरत रहती है, बार-बार कपड़े उतारने से अच्छा है आपकी नंगी ही रहें।

भाभी चुप रहीं और बिस्तर पे लेट गयीं। मैं भी बिस्तर पे लेट उनके शरीर से चिपक गया और उनके होठों को धीरे-धीरे चूसने लगा।

मैं: (भाभी के होठों को चूसते हुए) मालती को घर पे ही रख लें क्या, कितना ध्यान रखती है आपका।

भाभी: नहीं, मुझे वो पसंद नहीं है।

मैं: क्यों माँ,

भाभी: रोने लगी और बोली की वो तुम्हारे नहीं रहने पर उसे बेइज्जत करती है। फिर उन्होंने आज उसके मारने वाली बात बताई। (मुझे ये सुन के बहुत बुरा लगा, मैंने तो बस मालती को भाभी को मनाने के लिए कहा था, इसकी आड़ में वो तो भाभी के साथ वाकई ज्यादती कर रही थी)

मैं: (भाभी के आंसू पोछते हुए) ये तो उसने बहुत गलत किया, मैं आज शाम में ही उसे हटा देता हूँ। मेरी गाय को मारा उसने!

मैंने ठान लिया की मालती को मैं सबक सिखाऊंगा और फिर मैंने उसे नौकरी से हटाने का निश्चय कर लिया था। पर मुझे दर था की वो कहीं भाभी को ये न बता दे की मैंने उसे मेरी और भाभी की शादी की बात पहले बता दी थी और उसकी मदद मांगी थी भाभी को सेक्स के लिए तैयार करने में। अब जब भाभी को मैंने पा लिया था मेरे लिए ये कोई बड़ी बात नहीं थी, पर अगर मालती ने आस-पास वालों को (मकान मालिक) भाभी और मेरे सम्बन्ध के बारे में बता दिया तो फिर बड़ी मुश्किल हो सकती थी।

भाभी को 2 घंटे रगड़-कर चोदने के बाद मैं और भाभी कुछ देर के लिए लेट गए। उठने के बाद मैंने भाभी के पहनने के कपड़े बाहर कर दिए। पूरे दो दिनों बाद भाभी कपड़े डाल रही थी अपने मांसल बदन पर। पर वो कपड़ों में भी नंगी ही दिखती थीं मुझे क्यूंकि वो कपड़े उनके बदन से पूरे चिपके होते थे। चाहे वो शादी पहने या nighty। अभी भाभी ने तंग nighty पहन रखी थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके दूध मसलने लगा nighty के ऊपर से ही।

मैं: माँ, तुम तो कपड़ों में भी नंगी दिखती हो (मैं उनको ड्रेसिंग मिरर के सामने लेकर उनके स्तनों को मसलते हुए बोला)। मैं कितना खुशकिस्मत हूँ की तुम्हारा ये बदन मुझे मिला है मसलने को। अच्छा माँ ये बताओ तुम्हे सूरज बेटा ज्यादा अच्छा मसलता था ये सुनील बेटा।

भाभी: सूरज ने कभी दुसरे को मुझे हाथ नहीं लगाने दिया।

(मैं समझ सकता था की भाभी बड़ी आहत थीं मालती के हाथों खुद की बेइजती से)

मैं: आज मैं उसे निकाल दूंगा शाम में ही। मेरी माँ के बदन को छूने की भी हिम्मत कैसे हुई उसकी। (मैं लगातार उनके उरोजों को जोर-जोर से रगड़ रहा था और भाभी मादकता में अभिभोर धीरे धीरे आवाज़ें निकाल रही थीं।

(भाभी को इतने दिनों तक चोदने से मुझे पता चल गया था की जब भी भाभी की उत्तेजना बढ़ती थी वो इंसान से गाय बन जाती थीं। इससे तात्पर्य ये है की इंसानी समझ ख़तम हो जाती थी हवस के सुरूर से और जैसे कोई गाय सीधी अपने मालिक के आज्ञा का पालन करती ही वो अपने बदन के मालिक का पालन करने लगती थीं। बिलकुल बेसुध होकर अपने बदन को मसलवाती थीं भाभी, वो सही मैं तब औरत नहीं एक दुधारू गाय प्रतीत होतीं थीं। ये भी एक वजह थी की मालती उनके ऊपर अपना जोर दिखा पाती थी।)

शाम 7 मालती आ गयी और भाभी तब किचन में ही थीं। मैं बेड पे लेता कोई किताब पढ़ रहा था। मालती ने भाभी को कपड़ों में देखते ही झल्लाते हुए बोला:- क्यों रे रंडी, कुछ घंटे जो मैं नहीं थी, तेरे तो पर खुल गए। (और मालती भाभी के गालों पे जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगी। जैसे ही भाभी के रोने की आवाज़ आयी, मैं दौड़ता हुआ किचन में आया। मालती को मैंने तुरंत 4 -5 थप्पड़ रशीद कर दिए और उसे बोला तू चली जा यहाँ से तेरी जरुरत नहीं है। मैं उसे हाथ खींच के बाहर की तरफ करने लगा। वो बोली बाबूजी खुद कहते थे इस गाय को बिस्तर पे ला दो, जब आ गयी तो फिर मेरी जरुरत नहीं है। मैंने मालती को डांटा और बोला चल निकल जा यहाँ से।

मालती चली गयी और मैंने भाभी को बोला की वो कितनी झूटी हैं तुम्हे पता ही है, मैं क्यों बोलूंगा उसको की मेरी बीवी से मुझे प्यार करा दो। मैंने भाभी के आंसू पोछे और उन्हें बाहों में भरकर बैडरूम में ले आया। दुलारते हुए उनके गालों को चाटता हुआ बोला मेरी माँ सोनू को एक भाई दे दो प्लीज। तुम्हारे कोख में मेरा बच्चा पलेगा ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात होगी माँ। फिर मैंने भाभी के nighty को खोलने लगा तो वो बोली क्यों खाना नहीं है क्या। मालती को तो मैंने भगा दिया था अब खाना भाभी ही बनातीं पर मैं चाहता नहीं था की भाभी के बदन से एक-पल को भी दूर रहूँ सो मैंने बाहर से आर्डर कर दिया और फिर भाभी के बदन को नंगा करके उनके ऊपर चढ़ गया। उनके होठों को चूमते हुए बोला -

मैं:- तुम खुश तो हो ना माँ, जो मैंने मालती को निकाल दिया। तुम्हे काम करने की जरुरत नहीं होगी, वैसे भी मैं तुमसे एक मिनट भी अलग नहीं रख सकता। मैं कोई दूसरी नौकरानी कर दूंगा एक दो दिनों में। तब तक हम बाहर से ही खाना आर्डर कर दिया करेंगे।

भाभी: ज्यादा पैसे खर्च हो जाएंगे। मैं तुम्हारे ऑफिस रहते ही बना दिया करुँगी।

मैं: पर जब भी मैं घर पे रहूँगा, माँ तुम्हारा बदन मेरे लिए खाली रहेगा।

भाभी: ठीक है बेटे!

(भाभी धीरे धीरे माँ-बेटे वाली बातचीत में सहज होती जा रहीं थीं। मैं चाहता था की ये बात बड़ी सामान्य हो जाए हमारे बीच क्यूंकि तब महज भाभी के साथ बातचीत में भी मादक अहसास होगा। )

कुछ ही देर में खाना आ गया और हमने खाना खाया फिर मैंने भाभी को बिस्तर पे पेट के बल लिटा दिया और मेरे लंड को उनकी गांड के फांक में फसा करके उनके नितम्बों को हिलाने लगा।

मैं: माँ, हमारे ऑफिस में एक औरत के चूतड़ काफी बड़े हैं, सभी ऑफिस में उसके पिछवाड़े की बातें किया करते हैं। पर अगर उनलोगों ने तुम्हारे चूतड़ देख लिए तो वो पागल ही हो जाएंगे। ये किसी कपड़ों के ऊपर से भी किसी पहाड़ जैसे उठे दीखते हैं। वैसे माँ तुम्हे क्या अच्छे लगते हैं किसी औरत के थन या चूतड़?

भाभी: थन (भाभी ने स्तन नहीं थन ही बोला, जो बात मुझे बड़ी उतेज्जित कर गयी)

मैं: मुझे भी ख़ास कर तुम्हारे जैसी गायों की। पर तेरी इतनी गांड भी इतनी बड़ी है की माँ बिना चाहे हाथ इस्पे आ जाते हैं।

मैंने अब थोड़ी रफ़्तार बढ़ा दी थी। भाभी भी अपने नितम्बों को हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं। जब भी भाभी अपनी तरफ से सहयोग देती मुझे बड़ी ख़ुशी होती। मैं अभी भी यही सोचता था की मैंने अपने बड़े भैया की विधवा बीवी से चालाकी से अपना बिस्तर गरम करवा रहा था। मैं अभी भी उन्हें अपनी बीवी नहीं मानता था क्यूंकि मेरे लिए ये एक असंभव सा ही था कोई देवर अपने से 15 साल बड़ी विधवा भाभी को हम-बिस्तर कर ले। हालाँकि भाभी भी ऐसा नहीं सोचती थीं।

खूब जोर-जोर से मैं मैं भाभी के गांड की ठुकाई करने लगा। भाभी भी अपने नितम्बों को जोर-जोर से हिलाने लगी। फच-फच की आवाज़ के साथ मेरा लंड भाभी की गांड की बुरी हालत करने लगा। मैं माँ माँ चिल्ला रहा था, और वो बस बेटा धीरे .. । थोड़ी देर में हम दोनों चरम पे पहुंच गए फिर मैं थक कर उनके शरीर से नीचे बिस्तर पे आ गया। अभी वो दो बछड़े वाली गाय लग रही थी। पहली बार मैंने स्तनों से दूध पीने की कोशिश की। भाभी के दूध को आराम से पीते हुए मैंने भाभी से बोला की वो एक गोरी मोटी मानव गाय हैं|

भाभी चुप रहीं| आधे घंटे तक भाभी का स्तनपान करने के बाद मैंने भाभी के थन छोड़ दिए। मैं भाभी के नंगे बदन को आलिंगन में करके सो गया।

सुबह उठा तो भाभी मेरे बाँहों में ही थीं। सूरज की किरणें भाभी के श्वेत नंगे मांसल शरीर पर पड़ के भाभी के बदन की मादकता और बढ़ा रहीं थीं। मैं उनके बदन को चूमने लगा और उनके भरे गोरे गालों पे थूक लगाने लगा। भाभी अभी भी नींद में ही थीं पर मैंने उन्हें चूमे जा रहा था। तभी मुझे याद आया की मुझे ब्रेकफास्ट भी बाहर से ही आर्डर करना होगा। मैंने तुरंत भाभी और मेरे लिए ब्रेकफास्ट आर्डर कर दिया। भाभी थोड़ी देर में जाग भी गयीं। पर मैंने उन्हें अपने बाहों में फसायें रखा।

मैं: क्यों माँ, ऐसे ही मेरी बाहों में रहो न। मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।

भाभी: बेटे, क्यों तुम्हे ऑफिस नहीं जाना। आके फिर प्यार करना।

मैं: मुझे मन नहीं करता ऑफिस जाने का माँ, तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूँ दिन-भर।

भाभी: बेटे, अगर ऑफिस नहीं जाएगा तो अपनी माँ का ख्याल कैसे रख पायेगा। (भाभी अब धीरे धीरे खुल रहीं थीं, और उनके बदन के लिए उत्तेजना उतनी ही बाद रही थी)

फिर मैं ऑफिस की तैयारी में लग गया। भाभी nighty पहन कर घर के थोड़े-मोरे काम करने लगी।

कुछ ही देर में गेट की घंटी बजी। मुझे मस्ती सूझी सो मैंने भाभी से बोलै: माँ तुम ले लो न आर्डर गेट खोल के, प्रीपेड हैं, तुम्हे पैसे नहीं देने।

भाभी ने गेट खोला और एक करीब 19 साल का डिलीवरी बॉय गेट पे खड़ा था। दरअसल मैंने पैसे नहीं दिए थे। वो लड़का डिलीवरी के पहले भाभी से पैसे मांगने लगा। भाभी ने उसे अंदर आने को कहा और गेट सटा दिया। मुझे आवाज़ दी - बेटे पैसे ले आना। मैं पर्स ले के बहार आया और देखा की वो लड़का भाभी के बदन को घूर रहा था। मैंने भाभी के हाथ में पर्स दे दिया और भाभी को पीछे से पकड़ के उनके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा। डिलीवरी बॉय और भाभी दोनों अचंभित थे! मैंने भाभी को जोर से पकड़ रखा था। भाभी ने ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की और डिलीवरी बॉय से अमाउंट पुछा। वो चाहती थीं की डिलीवरी बॉय को जल्दी से पैसे देकर बाहर कर दूँ। मैंने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और भाभी को घसीटते हुए डिलीवरी बॉय के करीब ले गया जिससे की भाभी के स्तन अब उसके मुँह के बहुत पास थें।

डिलीवरी बॉय ने अमाउंट नहीं बताया, भाभी अपने हाथ में वॉलेट ले के पैसे पूछ रहीं थीं पर वो बता ही नहीं रहा था। मैंने डिलीवरी बॉय से पूछा: कैसे हैं मेरी माँ के थन?

डिलीवरी बॉय की हिम्मत बढ़ी और उसने भाभी के स्तनों को छूने के लिए हाथ बढ़ाया। भाभी ने उसे जोर का चाटा लगाया और फिर मैंने भाभी के दोनों हाथ पकड़ लिए। भाभी के स्तन पूरे उभर का डिलीवरी बॉय के सामने थे। वो भाभी के स्तनों को अपने हाथों से पागलों की तरह मसलने लगा। भाभी ने मुझे कहा- सुनील रोको इसे प्लीज। मैं: सुनील या सुनील बेटे?

भाभी: मेरे बेटे रोको इसे प्लीज।

डिलीवरी बॉय भाभी के होठों को चूसने लगा और उनके nighty को हाथ पीछे करके खोलने लगा। (मैं बस चाहता था की वो भाभी के स्तनों को मसले, तुरंत मैंने उसे डांटा और उसके पैसे दे कर उसे बाहर कर दिया)। भाभी ने गुस्से में मुझसे बोला- तुम बहुत गंदे आदमी हो, मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ।

मैं भाभी से: माँ, मैं तो बस चाहता था वो तुम्हारे स्तनों को मीचे, इससे तुम्हारे स्तन और बड़े होंगे। क्या होगा तुम्हे अगर कोई तुम्हारे थन को थोड़ा मथ देता है तो पर उसे कितनी ख़ुशी मिलेगी माँ सोचो।(मैं भाभी के स्तनों को मसलते हुए उनसे बात कर रहा था)

भाभी तुरंत रोने लगीं और बोलीं - हे भगवान् क्या पाप किया था जो ये सजा दे रहे हो? (मुझे बहुत बुरा लगा, मैं तो सोच रहा था भाभी इसे पसंद करेंगीं पर उन्हें ये घटना बहुत चुभ गयी थी)

भाभी मुझे हमेशा से पढ़ने-लिखने वाला सीधा लड़का समझतीं थीं, माँ के देहांत के बाद भाभी हमेशा मेरी पढाई की फ़िक्र करती थीं। और आज मैं उनके बदन को दिन-भर भेदने में लगा रहता था। मुझे भी बड़ी ग्लानि होती थी कभी कभी, पर खुद को ये कह के मन लेता की ऐसे बदन की औरत कभी अकेले नहीं रह पाती, भाई की मेहनत किसी और की बिस्तर गरम करे इससे अच्छा है मैं ही उसका वारिश बनूँ।

मैं: माँ, माफ़ कर दो। फिर कभी नहीं करूँगा ऐसा, ये बदन अब सिर्फ (स्तनों के विस्तार को छूते हुए) मैं ही छुऊंगा। चुप हो जाओ भाभी, वो जानता भी नहीं हमें।

भाभी चुप रहीं और धीरे धीरे उनका रोना बंद हुआ।

मैं थोड़ी देर में ऑफिस के लिए निकलने लगा तो नीचे देखा वो लड़का अभी भी खड़ा था। मैंने उसे डांटा तो वो भाग गया। मैंने भाभी को फ़ोन करके गेट अंदर से लगाने को बोल दिया और फिर ऑफिस चला गया। ऑफिस पहुंचने के बाद मुझे थोड़ा डर सा लगा। मैंने कल ही मालती को काम से निकल दिया था वो हमारे रिश्ते के बारे में सब कुछ जानती थी और अब ये लड़का जो कभी भी भाभी का पीछा कर सकता था। मैंने तुरंत निश्चय कर लिया की हमें घर चेंज करना होगा और वो भी एक-दो दिनों में ही। मैंने ऑफिस से छुट्टी लेकर अभी से दस किलोमीटर दूर के इलाके में ब्रोकर की मदद से एक 2bhk ले लिया। मैं वैसे भी एक कार लेना वाला था और फिर ऑफिस से दस किलोमीटर का सफर दिल्ली में कुछ ज्यादा नहीं था।

मैंने घर पहुंचते ही भाभी को ये बात बताई और फिर उनसे माफ़ी मांगते हुए कहा की जो भी था यहाँ था नए जगह पर नए तरीके से रहेंगे, आप जैसा बोलेंगी मैं वैसा ही करूँगा।

भाभी: वहाँ (नए फ्लैट) में हमारे बारे में क्या बताया है?

मैं: मैंने उन्हें बताया है की आप और मैं माँ बेटे हैं। आप मेरी माँ हैं जो विधवा हैं| दरअसल आपका शरीर ऐसा है की अगर मैं बताता की हम पति-पत्नी हैं तो उन्हें हमारे रिश्ते नाजायज़ लगता। अगर मैं आपको विधवा भाभी बताता, तो सभी यही मानते की आपके ऐसी औरत के साथ रहते रहते कुछ ही दिनों में मेरे और आपके बीच नाजायज़ रिश्ता बन जाता। अंत में माँ बेटे का ही रिश्ता सही लगा जिसको लेकर किसी को शक नहीं होगा और लोग इस रिश्ते को इज़्ज़त से देखते हैं।

भाभी: (चौंकते हुए) ये क्या कह रहे हो, हम माँ बेटे थोड़े ही न हैं!

मैं: मैं कहाँ कह रहा हूँ माँ की तुम मेरी माँ हो, ये तो बस मकान-मालिक और आस-पास के लोगों के लिए। आप तो मेरी दुधारू गाय हो। (मैं भाभी के बदन को फिर मीचने लगा)। तुम भाभी, माँ या फिर दीदी कुछ भी बन जाओ दूसरों के लिए, मेरे लिए तो तुम एक गदराये मांस की औरत हो जिसे चोदना मेरी जिम्मेवारी है। (कहते हुए मैंने भाभी को बिस्तर पे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया। फिर मैंने जम-कर भाभी के बदन को रौंदा। भाभी को छोड़ते वक़्त मैं खूब गालियां देता था| पूरे एक घंटे तक उनके बदन को मथने के बाद भाभी और मैं दोनों थक-कर सो गए।

सुबह-सुबह मैंने मोवेर्स और पैकर्स वालों को बुला रखा था। वो आये और वो लोग सामान पैक करके आधे घंटे में ही निकल गयें। उनके सामने मैंने भाभी को माँ कह के ही बुलाया था। नए घर पे हमारे मकान मालिक ने हमारा स्वागत किया। वो एक दो फ्लोर का मकान था, मकान मालिक (रोहन) खुद नीचे वाले फ्लैट पे रहते थे और हमें ऊपर वाला दिया था। मकान मालिक और उसकी पत्नी (रीता) बस दो ही लोग रहते थे। उनके एकलौते बेटे का एडमिशन US में था। मकान मालिक से तो मैं कल मिला था ब्रोकर के साथ, पर मकान मालकिन से मैं आज पहली बार मिल रहा था। वो एक बड़े चुस्त बदन की औरत थीं, बिलकुल बेहद गदराई हुईं और एक दम शालीन स्वाभाव कीं।

दिन-भर हम घर सजाने में लगे रहे पर शाम होते ही मैंने भाभी को बिस्तर पे सुला के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके गालों को चाटते हुए कहा- रीता को देखा तुमने माँ, रोहन भी उसकी दिन-भर चुदाई करते होंगे तभी तो बदन ऐसे गदराया हुआ है उसका।

भाभी को चूमते हुए मैंने कहा- मुझे तो तुम बहुत जल्दी मिल गयी, पूरी ज़िन्दगी पड़ी है तुम्हे चोदने के लिए।

माँ तुम्हे मैं हमेशा खुश रखूँगा। बस तुम अपने बदन का ध्यान रखना, इसकी मिलकियत सिर्फ मेरी हो।

भाभी: और तुम लोगों से मुझे बांटों। इतना चाहते हो इस बदन को तो क्यों उस लड़के हाथ लगाने दिया था इसे| (भाभी के आवाज़ में अभी भी निराशा थी)

मैं: माँ, मुझे माफ़ कर दो। वासना के नशे में खो गया था मैं। पर मैं तुम्हे वादा करता हूँ की आज से मेरी गाय को कोई छुएगा भी नहीं।

तभी गेट की किसी ने घंटी बजायी। मैं और भाभी सहज होके जल्दी से कपडे ठीक किये। मैंने गेट खोला तो एक 30 -35 साल की औरत खड़ी थी। वो मकान-मालिक की मेड (आभा) थी क्यूंकि मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया था सो उन्होंने अपनी मेड को भेज दिया था। मैंने उसे अंदर बुलाया और फिर भाभी को भी बरामदे में बुलाया।

मैं: माँ, आभा दीदी आयीं हैं। रोहन भैया ने बोला था न।

भाभी: आती हूँ सुनील

फिर भाभी ने आभा से थोड़ी देर में सारी बातें कर लीं। मैं वहाँ से हट गया था। आभा ने उसी समय से ज्वाइन कर लिया। वो खाना बनाने में लग गयी। मैं आभा के रहते दुसरे कमरे में चला गया था। खाना बनाकर आभा चली गयी और फिर मैं मेन गेट लगा के भाभी के पास चला गया और उन्हें चूमता हुआ नंगा करने लगा।

सारे कपड़े उतारने के बाद मैंने उन्हें बिस्तर पे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया|

भाभी: माँ बोल रहे थे अभी तुम?

मैं: माँ, तुम मेरी अपनी सगी माँ भी होती तो तुम्हे चोदता मैं। मैं अगर राहुल की जगह होता तो मैं तेरी दूसरी शादी नहीं करता बल्कि तुझे विधवा ही अपने घर ले जा के लंड पे चढ़ाये रखता। मैं चाहे अपनी बीवी को छोड़ देता पर तुझे नहीं छोड़ता माँ। खैर राहुल ने तुम्हे मुझे सौंप के मेरा जीवन बना दिया। मेरे उम्र के शायद ही किसी लड़के को ऐसे भड़काऊ बदन की औरत पे चढ़ना नसीब होगा।