गदराई मोटी गाय 01

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भाभी: अब मैं तुम्हारी बीवी हूँ, अपने भैया का जिक्र क्यों ले आते हो बातों में।

मैं: माँ, वो तुम्हारे पहले मालिक थे, मुझे तो तुम सेकंड हैंड मिली हो। वैसे मर्दों को सेकंड हैंड औरत बहुत पसंद आती हैं।

भाभी: तुम मुझे सेकंड हैंड औरत समझते हो?

मैं: माँ, माना की हमने शादी की है, पर तुम पहले किसी और का बिस्तर गरम करती थी न माँ? तो सेकंड हैंड ही हुई न! वैसे भाभी, कैसा लगता है दुसरे मर्द जो की आपका देवर ही है उसके साथ बिस्तर साझा करके। जब आपका देवर आपके इन दूध से भरे थनों को मसलता है तो आपको कैसा लगता है? (मैंने भाभी से जाँघों को मीचते हुए उनके कान में कहा- माँ, दो मर्दों के नीचे सो चुकी हो अब तक।)

भाभी: (सीसियाने लगीं और बोली) -.. तुममम. बहुत गंदे हो, बेटे।

कुछ देर तक भाभी के बदन से खेलने के बाद हम सोने के लिए चले गए। अगली सुबह ही राहुल, अपनी माँ और पिताजी के साथ आ गया। भाभी को मैंने सख्त हिदायत दी थी की वो सिर्फ टॉप और हाफ पैंट ही पहने घर में। राहुल, उसके पिता और माँ तीनो भाभी को ऐसे देख-के आवाक रह गए। राहुल और राहुल के पिता ने तो मुँह घुमा लिया और अंदर कमरे में चले गए। मैंने भाभी के कंधे पे हाथ रख रखा था और उन्हें तीनो के पास लेकर खुद प्रणाम किया और भाभी से करवाया। फिर बरामदे में सोफे के एक तरफ राहुल की माँ बैठ गयीं और दूसरी तरफ मैं टी-शर्ट और हाफ पैंट में और भाभी भी टी-शर्ट और हाफ पैंट में थीं। मैंने भाभी को खुद के काफी करीब बैठाया था और मेरे एक हाथ उनके जाँघों पे था।

राहुल की माँ ने भाभी की और देखते हुए पूछा: कैसी हो मधु, सुनीलजी ध्यान रखते हैं न?

भाभी: हाँ माँ, बहुत खुश हूँ मैं, जो आप लोग आ गए। मैं कह रही थी सुनील से हमीं चलते हैं पर इन्हे भी ऑफिस से छुट्टी मिलती नहीं जल्दी।

फिर राहुल की माँ ने मुझसे पुछा: और आप कैसे हो बेटे?

मैं: (भाभी के नंगे जाँघों पे हाथ फेरते हुए) बहुत अच्छा, माँ। दरअसल आप लोगों का शुक्रिया, इतनी सुन्दर बीवी देने के लिए। भाभी सहज होने का प्रयास कर रही थीं| मेरे सहलाने से वो खुश नहीं थीं। राहुल की माँ ने बात आगे बढ़ाते हुए भाभी से बोला: सुनीलजी को खुश रखना मधु, अब वो ही तुम्हारे प्राणदाता हैं।

मैंने भाभी को उठा के अपनी गोदी में करके उनके नंगे जाँघों पर अपना हाथ फेरते हुए अपने गालों को उनके गालों से सटाते हुए कहा: भाभी थोड़ी शर्माती हैं, शायद हमारे उम्र के अंतर की वजह से। (मैंने भाभी कहा था उनकी माँ के सामने, उनकी माँ ने कुछ बोला नहीं पर वो भी धीरे धीरे असहज हो रही थी। उनकी 38 साल की बेटी को 23 साल का लड़का उनके सामना अनुपयुक्त तरीके से छु रहा था।) भाभी ने खुद को मेरे बाहों से निकालने की कोशिश की। मैंने उनकी माँ को देखते हुए बोला: देखा माँ, ऐसे ही करती हैं।

राहुल की माँ: बैठी रह बेटी, सुनीलजी तुझे प्यार कर रहे हैं, और तू नखरे दिखा रही है।

मैंने भाभी पे अपनी गिरफ्त बढ़ा दी, और उन्हें गालों पे धीरे-धीरे चूमने लगा। राहुल की माँ उठ-कर अंदर जाने लगीं और बोलीं- सुनीलजी आप प्यार कर लीजिये अगर मधु फिर तंग करे तो बताइयेगा। उनके जाते मैंने बोला- राहुल को माँ जी बाहर भेजिएगा थोड़ी देर में।

उनके जाते ही भाभी ने गुस्से में दबा के आवाज़ से बोला- ये क्या है, दो मिनट शान्ति से नहीं बैठ सकते क्या, और मुझे भाभी क्यों बुला रहो हो उनके सामने? दिन भर चोदते रहते हो, और माँ को ऐसे बता रहे हो जैसे मैं तुम्हे बदन छूने भी नहीं देती। भरोसेमंद नहीं हो तुम, सुनील। गन्दगी भरी है तुम्हारी सोच में।

मैं: माँ तुम नाराज़ मत हो, वो तो मैं उतेज्जित हो गया था इसलिए।

भाभी: माँ? तब भाभी? आदमी नहीं हो तुम! केवल हवस सूझता है तुम्हे (भाभी अब वाकई गुस्से में थी, पर मुझे अच्छा लग रहा था क्यूंकि आज वो खुल के बोल रही थीं)

तभी वहाँ राहुल आ गया, और वो उसकी माँ जहां बैठी थी वहीं बैठ गया। मैं उससे पूछा: और राहुल जी, मैडमजी को क्यों नहीं ले आये? (मैं बेशर्मी से राहुल के सामने ही भाभी के स्तनों को धीरे धीरे मसलने लगा, भाभी गुस्से से जल रहीं थी पर वो सहज बने रहना चाहती थीं)।

राहुल: (भाभी की और देखा और फिर मेरी और देखते हुए बोला) दरअसल वो प्रेग्नेंट हैं तो मैंने उन्हें मायके भेज दिया है।

मैं: अरे वाह congratulations । भाभी तुम भी congrats करो राहुल को।

भाभी: Congrats राहुल

राहुल: (हैरान था की मैं उसकी दीदी को भाभी बुला रहा था और उन्हें अध्नंगी किये अपनी गोदी में बिठाये उनके स्तनों को मसल रहा था।) थैंक्स मधु दीदी एंड सुनील जी।

भाभी के विशाल स्तनों पे हाथ रखे मैंने राहुल से पूछा: आपकी मधु दीदी आपको खूब याद करती हैं!

तभी राहुल के पापा भी बाहर आ गए। भाभी बड़े गुस्से में दबे आवाज़ से बोलीं छोड़ो, मैंने उनके स्तनों पे अपने बाहों की पकड़ और बढ़ा दी। वो जिद कर सकती थीं पर उन्हें पता था की मैं किस भी हद तक जा सकता था वासना के लिए। वो चुपचाप बैठी रहीं मेरे लंड पे।

भाभी से स्तनों को हाथों में भर के मसलते हुए मैंने भाभी के पापा से बोला: नमस्ते डैड, आप अच्छे तो हैं!

राहुल के पापा: नीचे देखते हुए, हाँ ठीक हूँ, बेटे।

भाभी: पापा, आप सब की बहुत याद आती थी, अच्छा किया आप सब आ गए।

राहुल: जीजाजी आपको ऑफिस नहीं जाना क्या?

मैं: हाँ , मुझे आज ऑफिस जाना है, आज तो जरुरी काम है।

फिर मैंने भाभी को वहीँ सोफे पे छोड़ के तैयार होने लगा, अपने कमरे में भाभी के कपड़ों को almirah के लॉकिंग सेक्शन में बंद करके मैं ऑफिस चला गया।

राहुल तब तक वैसे ही उतेज्जित हो चूका था। उसके माँ, बाप समझ रहे थे की मैं थोड़ा मॉडर्न था और मुझे इस बात की कोई शर्म नहीं थी, पर राहुल को पता था की बात क्या है। उसने भाभी के बदन के फैलाव को भी नोटिस किया होगा। मेरे जाने के बाद भाभी मेरे कमरे में आ गयी और वो तीनो दुसरे कमरे में। थोड़ी देर में आभा आयी और भाभी के कमरे में चली गयी और भाभी से बोली- माँ जी, आपके घर वाले आने वाले थे न?

भाभी: हाँ, आभा! माँ, छोटा भाई और बाबूजी आये हैं। उन्होंने सारे कपड़े almirah में बंद कर दिया है, इन कपड़ों में शर्म आती है इसलिए नहीं जाती।

आभा: माँ जी, अपनों से क्या शर्माना। मैं बुला लाती हूँ, और फिर तुरंत जा के राहुल को बुला लायी और बोली- आप माँ जी के छोटे भाई हैं।

राहुल: माँ जी? (राहुल के साथ-साथ भाभी भी आश्चर्यचकित थीं। माँ जी तो बस आभा को उनके और मेरे होते हुए बोलना था पर आभा ने ये जान-बूझकर किया था दरअसल मैंने जाते हुए आभा को फ़ोन कर दिया था की वो राहुल और भाभी को करीब लाये)

आभा: हाँ, सुनील भैया की माँ ही तो हैं ये। आप इनके भाई तो सुनील भैया के मामा। नहीं? (और फिर आभा हसने लगी)

राहुल: (अचरज से भाभी को देखते हुए) ये क्या कह रही है दीदी?

भाभी: दरअसल हमें मकान मिलने में दिक्कत होती है इसलिए हम यहां माँ-बेटे बता के रहते हैं। (ये तो मजाक कर रही है इसे बता रखा है)

आभा: सुनील भैया बच्चे से भी लगते हैं न! अगर राहुल भैया आप होते सुनील भैया की जगह तो ऐसे बताने की जरुरत नहीं पड़ती।

राहुल ने अपने सर नीचे कर लिया और कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया।

आभा: (भाभी के पीछे जा के उनके बदन को अपने बाहों में जोर से करके राहुल से बोली) और करीब आ जाओ भैया, आप बड़े दूर-दूर से बैठे हो। माँ जी काटेंगी नहीं।

(फिर आभा धीरे-धीरे भाभी के स्तनों और जाँघों पर हाथ फेरने लगी। ) दरअसल सुनील भैया माँ जी से बहुत प्यार करते हैं, वो चाहते हैं की मैं इनकी खूब मालिश किया करूँ।आप-लोग माँ जी की मालिश नहीं करते थे न! इन्हे मालिश की कमी लगती है।

राहुल: (उतेजना से भर रहा था, उसके सामने उसकी गदराई बहिन को पहले मैं फिर आभा मसल रही थी) हाँ, पर अब भाभी अच्छी लगती हैं। लगता है आप दोनों के मसलने की वजह से ही है (राहुल अब सीधे खुल गया था, भाभी के चेहरे पे डर था राहुल को देख के)

आभा ने मौका नहीं गवांते हुए बोला- राहुल भैया जरा अपनी दीदी को संभालना मैं किचन में खाना चढ़ा के आती हूँ।

भाभी थोड़ी हिलीं, पर तब तक राहुल ने उन्हें अपने बाहों में जकड लिया। अनजान बनता हुआ वो बोला- दीदी, ऐसे ही बैठे रहो, हिलो मत, मैं धीरे धीरे ही मसलूंगा तुम्हे।

भाभी: (बिना खुले हुए) नहीं राहुल तुम रहने दो, जरुरत नहीं है।

राहुल: (पूरे नशे में था) नहीं दीदी, जीजाजी चाहते हैं।

भाभी: मैं कह रहीं हूँ न, छोड़ दे मुझे, राहुल।

राहुल: (अपनी जकड और बढ़ाते हुए) माँ जी प्लीज। (भाभी को माँ जी सुनते हुए ही लग गया की अब राहुल नहीं छोड़ने वाला था)

राहुल ने फिर खुद को दीवाल के सहारे करके भाभी के स्तनों को रगड़-रगड़ के मसलने लगा और उनके गालों और होठों को पीछे से चाटने लगा।

राहुल: दीदी, क्या औरत हो तुम! इतनी गरम, सुनील ने तो तुझे एक पूरी चुदासी औरत बना दिया है।

भाभी: गन्दी बातें मत कर राहुल, छोड़ दे मुझे

राहुल ने फिर भाभी के टॉप और पैंटी को खोल दिया और उनको पेट के बल लिटा के उनके नितम्बों में अपना लंड घुसाते हुए बोला- मादरजात, क्या औरत है तू! तुझे खुद के ही पास रखता मैं। मत मारी गयी थी जो मैंने तुझे सुनील को दे दिया। अहह.. जोर से फिर राहुल भाभी के नितम्बों में अपना लंड पेलने लगा।

आभा गेट पे आयी और भाभी को चुदता देख-कर बोली- हाय ये दइया रे दइया क्या औरत है माँ जी आप! अपने भाई को ही चढ़ा लिया अपने ऊपर (राहुल ये सुन के और उतेज्जित हो गया और बोला- मेरी दीदी हैं, मेरा तो पहला अधिकार है)

आभा- हाँ भैया, आपकी दीदी है, कुछ दिन के लिए ले जाओ इन्हे अपने घर।

भाभी: खुद को छुड़ाना चाह रही थीं पर बगल वाले कमरे में उसके माँ-पिता थे सो वो दबी जुबान में बोल रही थी वो राहुल अनसुना कर रहा था। आभा अंदर आ गयी और गेट अंदर से बंद कर दिया। फिर वो राहुल के पास आके उसके पीठ को सहलाते हुए बोली- इतने धीरे धीरे तो ये घोड़ी नहीं चुदेगी थोड़ी रफ़्तार बढ़ाओ भैया। राहुल ने तुरंत जोर-जोर से भाभी के नितम्बों पर उछलने लगा। पूरे कमरे में जोर-जोर से आवाज़ें आने लगीं- भाभी भी सीसिया रहीं थीं और साथ में छोड़ो राहुल छोड़ो राहुल बोल रहीं थीं।

राहुल: तू मेरी माँ होती तो तुझे नहीं छोड़ता अभी कैसे छोड़ दूँ मधु दीदी।

आभा: वाह भैया, माँ जी तो तुम्हारे ही जैसे मर्द की जरुरत है। दरअसल माँ जी ऐसे ही मन करती हैं ये इनके सेक्स करने की आदत है, पर ये आपसे खूब चुदेंगी। पलंग की लगातार आवाज़ से राहुल के माँ और पिता गेट पर आ गए और बोले सब कुछ ठीक तो है न।

आभा गेट के पास जा के बोली- सब कुछ ठीक हैं, वो हम जरा सामान इधर-उधर कर रहे हैं, गेट के पास almirah है इसलिए खोल नहीं सकते, थोड़ी देर में सब सेट हो जाएगा।

कुछ देर के बाद राहुल फिर भाभी को पेलने लगा। वो जब थक के झड़ गया तो आभा ने भाभी को सीधा करके राहुल के मुँह में भाभी का स्तन डालते हुए बोला- ये चूसो भैया, तुरंत ताकात आएगी और फिर आप इस गाय को दूहने लगोगे। राहुल ने भाभी के होठों को मुँह में लेते हुए बोला- दीदी, क्या से क्या हो गयी तुम! मुझे बहनचोद बना दिया तुमने।

भाभी: जबरदस्ती चोद रहे हो अपनी बड़ी दीदी को! और शर्म भी नहीं आती तुम्हे?

राहुल: सच में! तुम्हारे छोटे भाई ने तुम्हे चोद दिया और तुम पूछ रही हो 'शर्म आती की नहीं उसे'! क्या चुड़क्कड़ औरत हो तुम मधु? नहीं आती शर्म मुझे। (फिर राहुल ने भाभी के ऊपर चढ़ते हुए उनके होठों और गालों को चाटना शुरू कर दिया )

आभा: भैया जल्दी कर लो, कभी कभी सुनील भैया दिन में भी आ जाते हैं, ये तो खुश है आपसे चुद के पर वो काफी गुस्सा करेंगे आपको ऐसे देख के। (आभा जानबूझ कर भाभी को एक चुड़क्कड़ औरत के रूप में पेश कर रही थी, राहुल इसे सही समझ रहा था और भाभी के ना को वो महज इतराना समझ रहा था)

आभा: देखो कैसे इतराती है ये गाय, दिन भर भैया और मैं इसे मसलते हैं ताकि इसके दूध के थन और बड़े हों, बड़े अच्छे से मसलवाती है, फिर भैया इसे जम के चोदते हैं पर आपके साथ नखरा कर रही है। वैसे भैया आपने इसे सुनील भैया को क्यों दे दिया? अपने पास रखते इस गदराई गाय को और इसे दिन-भर चोदते!

(राहुल अब भाभी को चूमते हुए उनके चूत में अपना लंड पेल रहा था। आभा ने उसे पूरा उतेज्जित कर रखा था।)

फिर आभा भाभी से बोली- माँ जी, आपके भाई के पास चली जाओ, ये तुम्हे खूब खुश रखेंगे।

आभा: माँ जी, बोलो जाओगी राहुल भैया के पास?

राहुल: सही कहा तूने आभा, मुझे दीदी की शादी नहीं करवानी चाहिए थी।

फिर राहुल ने भाभी के बदन को जमकर मथा। आभा के चले जाने के बाद भी वो गेट लगाकर भाभी के बदन को चूमता रहा। बहुत देर के बाद उसने भाभी को छोड़ा और दुसरे कमरे में चला गया।

रात में जब मैं आया तबतक आभा खाना बनाकर चली गयी थी। हम रात में खाने के टेबल पर बैठे तो मैंने भाभी को अपनी गोद में बिठा लिया और उन्हें खुद के हाथों से खिलाने लगा। भाभी के नंगे बाहों और जाँघों पे मेरे हाथ को राहुल घूरते हुए देख रहा था। भाभी सर झुकाये हुए थी और मैं उन्हें अपने हाथों से खिला रहा था। मैं उन्हें गले में और उनके गालों को चुम भी लेता था। मेरे लिए ये बड़ा मादक पल था। भाभी के माँ पापा बड़ा असहज महसूस कर रहे थे और वो चुप-चाप नीचे सर करके खा रहे थे। कुछ देर बाद भाभी की माँ बोलीं- सुनील बेटे, हम सोच रहे हैं की कल निकल जाएँ।

भाभी: माँ, आज ही तो आये हैं आपलोग, कुछ दिन और रुकिए प्लीज। (भाभी जब ये बोल रही थी तब भी मैं उनके गले में किश कर रहा था)

भाभी की माँ: नहीं बेटी, वो तो बस हम मिलने आ गए, हमें वहाँ जरुरी काम है।

मैं: (भाभी को चूमते हुए) माँ जी, पर राहुल को तो रहने दे। एक हफ्ते बाद वो चला जाएगा।

भाभी की माँ: हाँ, राहुल रुक सकता है

(मुझे पता था की राहुल रुकना भी चाहता था, मैंने ही तो आभा को बोल के भाभी को राहुल से चुदवाया था। पर भाभी को अभी भी नहीं भनक थी उसकी। वो चाहती तो नहीं थी की राहुल रुके क्यूंकि उन्हें पता था वो क्या करेगा उनके साथ पर वो चुप रहीं। )

खाना खा कर हम अपने कमरे में आ गए। भाभी मुझसे पूरी नाराज़ थीं।

भाभी: सबके सामने ऐसे क्यों करते हो

मैं: अपने घर के ही तो लोग हैं। उन्हें अच्छा लगेगा की उनकी बेटी तो इतना प्यार करने वाला पति मिला है।

भाभी: तुम एक नंबर के हरामी हो। मुझे अफ़सोस होता है तुमसे शादी करके। दिन भर बस मेरे बदन को चूमना, मसलना!

मैं: (भाभी को चूमता हुआ) तुम चीज ही ऐसी हो। तुम्हे दूसरों के सामने प्यार करने में बड़ा मज़ा आता है। सुबह जब मैं तुम्हारे जाँघों पे हाथ फेर रहा था तो राहुल का लंड खड़ा होने लगा था।

भाभी: इसीलिए तुमने राहुल को रोक लिया है ताकि उसके सामने मुझे बेइज्जत करो।

(मुझे तो भाभी और राहुल वाली बात पता थी पर भाभी खुद नहीं बता रहीं थी। मैंने भाभी को अपने आगोश में करते हुए कहा- तुम्हारा भाई भी तुम्हारे बदन से उतेज्जित हो जाता है। सोचो, माँ, तुम कितनी गदराई औरत हो।)

फिर मैंने भाभी को जम के चोदा और उन्हें चोदते हुए दीदी बुला रहा था। चोदते वक़्त भाभी मुझे खुद से जकड़ लेती थीं फिर उनके मांसल शरीर के आगोश में मैं जोर से धक्के लगता। भाभी की एक बात विशेष थी- वो गुस्सा जरूर करतीं मेरे पे पर चुदते वक़्त पूरा साथ देती।

अगले सुबह भाभी के माँ पिताजी घर वापस चले गए और मैं ऑफिस आ गया। मेरे ऑफिस के लिए जाते ही राहुल ने आभा के सामने भाभी को अपनी बाहों में कर लिया और बिस्तर पर लाकर उन्हें पेट के बल पटक दिया। उनके हाफ पंत को नीचे करके उनके नितम्बों में अपना लंड घुसाते हुए उनके बदन को मजबूती से जकड़ के उनके गालों को चूमने लगा।

राहुल: मादरजात क्या चुड़क्कड़ औरत हो गयी है तू मधु दी। तेरे जिस्म ने पागल कर दिया है मुझे।

भाभी: छोड़ दे मुझे राहुल। ये सही नहीं है।

राहुल: (भाभी के होठों को अपने मुँह में लेते हुए) तुझे कैसे छोड़ दूँ, मधु दी। तू चोदने के लिए ही बनी है साली।

आभा: (पलंग के पास कड़ी राहुल को भाभी के बदन को अपने बाहों में जकड़ते हुए देख रही थी) माँ जी बहुत भारी हैं न! बहुत मेहनत होती है इन्हे चोदने में । सुनील भैया इनकी जम के चुदाई करते हैं ।

राहुल: सुनील ने सच में मेरी बहिन को एक मोती गदराई रंडी बना दिया है। दिन-भर इसे मसलता है और रात में चोदता है। साले ने क्या किस्मत पायी है, मेरी बहिन उसे बीवी के रूप में मिली है।

(फिर राहुल भाभी के नितम्बों को जम के पेलने लगा, वो भाभी के मांसल जिस्म के ऊपर जोर जोर से उछाल रहा था। अपनी सगी बहिन जिसने उसे पढ़ाया था को वो ऐसे पेल रहा था जैसे वो उसकी दीदी नहीं अपनी बीवी हो)

आभा: भैया, आपकी शादी हो चुकी है न, माँ जी को आप बहुत प्यार कर रहे हैं। अच्छा लग रहा होगा काफी दिनों बाद स्वाद बदल के।

राहुल: मेरी बीवी तो इसके सामने कुछ नहीं है, ये मेरी बीवी हो तो मैं इसे सुनील की तरह ही हमेशा चोदता।

आभा कुछ देर के बाद चली गयी पर दोनों की चुदाई जारी रही। राहुल दीदी के अकेले होने पर थोड़ा शर्मा गया था। अहसास तो उसे भी था की वो गलत कर रहा है पर वो खुद को रोक नहीं पा रहा था।

राहुल अब भाभी को सीधे करके उनके होठों को बड़े प्यार से चूस रहा था। भाभी बीच-बीच में थोड़ा मन करती पर वो अपनी पकड़ बढ़ा देता फिर भाभी हिम्मत छोड़ देती। पर भाभी ने अभी तक उसका साथ नहीं दिया था। उन्होंने बस अपने को ढीला छोड़ा हुआ था और राहुल हवस के नशे में उन्हें चोदे जा रहा था।

कुछ देर में राहुल रुका तो भाभी ने धीरे से उसके आँखों में देखते हुए पूछा: राहुल, मैं तेरी दीदी हूँ, तुझे शर्म नहीं आती।

राहुल: मेरे सामने क्यों सुनील से मसलवाती है तू।

भाभी: ऐसे बोलेगा अपनी दीदी से तू। वो मेरे पति हैं।

राहुल: तू मेरी दीदी भी तो है, भाई के सामने अपने बदन को मसलवाने में तुझे बड़ा मजा आता है, और जब भाई तुझे मसल रहा है तो बड़ी दिक्कत है।

भाभी: क्या हो गया है तुझे। तुम्हारी बड़ी दीदी हूँ मैं।

राहुल: (भाभी के होठों को चूसते हुए) मुझे तुम्हारे बदन के आगोश में बड़ा मज़ा आ रहा है दीदी। एक बार तुम भी मेरा साथ दे दो न, फिर मैं तुम्हे छोड़ दूंगा। सुनील की तरह मुझे भी प्यार कर लो।

भाभी चुपचाप राहुल के हवस के सामने शांत रहीं, राहुल ने उन्हें जम के चोदा फिर उनके नंगे बदन के आलिंगन में पड़े-पड़े दोनों सो गए।

शाम में मैं आया तो आभा शाम का खाना बना के जा चुकी थी। राहुल दुसरे कमरे में जा चूका था और भाभी खुद मेरी गोदी में आके डाइनिंग स्पेस में सोफे में बैठ गयीं। मैं भाभी को चूमता हुआ उनसे पूछा: क्या हुआ मेरी गाय, आज तू बड़ी मादक लग रही है।

मैं उनके गालों को चाट रहा था तभी राहुल बाहर आ गया और सामने बैठ गया। मैंने भाभी को चूमना जारी रखा। पर आज मेरी उत्तेजना बढ़ी हुई थी। मैं भाभी के टॉप के ऊपर के हुक खोलने लगा। भाभी के स्तन अब आधे नंगे थे फिर मैं उन्हें जोर-जोर से मसलने लगा। भाभी ने अपने हाथ स्तनों के ऊपर रख के उसको छुपाने की कोशिश की। आज राहुल भी एकटक हमें देख रहा था उसका लंड बॉक्सर में पूरा तन गया था। उसे भी उत्तेजना हो रही थी।

राहुल: बहुत प्यार करते हो आप दीदी से न।

सुनील: (भाभी के स्तनों को पूरा नंगा करके हाथों से मसलते हुए) हाँ, भाभी से मैं बहुत प्यार करता हूँ, पर ये देखो बड़ी शरमातीं हैं। (फिर मैंने भाभी के नंगे जाँघों पे हाथ फेरते हुए कहा- मेरी भाभी अभी भी मुझसे शर्माती हैं)

राहुल: दीदी बचपन से ही थोड़ी शर्मीली हैं, धीरे धीरे ठीक हो जाएंगी

सुनील: (टॉप को खोल के उतारते हुए भाभी के नंगे स्तनों को मसलता हुए उनके गालों को चाटने लगा- ठीक तो इन्हे मैं दो दिन मैं कर दूँ) भाभी हैं इसलिए जिद नहीं करता।

थोड़ी देर राहुल रुका रहा पर फिर शायद उसे शर्म आ गयी और वो चला गया फिर मैं अधनंगी भाभी को गोदी में उठाये उन्हें अपने कमरे में ले आया। मैंने ध्यान नहीं दिया पर उनके आँखों में आंसू आ गए थे और उन्होंने रोते हुए बोला- सुनील, क्यों कर रहे हो ऐसा? ऐसे जीने से तो अच्छा मर जाना ही है।

सुनील- मैंने भाभी के आँखों के आंसू होठों से चूमा और बोला- क्यों भाभी आप खुद ही तो आयीं थीं मेरे पास बाहर।

भाभी- अकेले में मैंने कभी रोका है तुम्हे कुछ भी बोलने या करने से। दूसरों के सामने क्यों करते हो ऐसा?

सुनील- भाभी, वो दूसरा थोड़े ही न है, तुम्हारा अपना भाई है। चलो ठीक है अब नहीं करूँगा।

भाभी पर पूरे गुस्से में थी और एकदम असहाय लग रहीं थीं। मुझे भी दया आ गयी और मैंने भाभी से सॉरी बोला और उनके कपड़े बाहर कर दिए और बोला अब आपसे पूछ के ही कुछ भी करूँगा।

अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस चला गया तो राहुल भाभी को अपनी बाहों में करके चूमता हुआ बोला- दीदी सुनील तुम्हे कितना तंग करता है, तुम्हे बुरा नहीं लगता है।

भाभी: क्या करूँ, तुम लोगों ने ही शादी की है, निभा रही हूँ।

राहुल: (भाभी के नंगे जाँघों पे हाथ फेरता हुआ)- छोड़ दो न उसे। तुम्हे तो कोई दूसरा लड़का भी मिल जाएगा दीदी।

भाभी: क्या बोल रहे हो राहुल तुम?

राहुल: (भाभी के गालों को चूमता हुआ) और नहीं तो क्या वो इतना तंग करता है, उसे छोड़ दो, चलो हमारे घर। हम तुम्हारे लिए एक दूसरा लड़का खोज देंगे।

दरअसल राहुल भाभी के बदन के उतेजना में इतना चढ़ गया था की वो छोड़ना नहीं चाह रहा था। हवस के चरम पे पहुंच गया था वो।

भाभी: मुझे पता है तुम मेरी शादी-वादी नहीं करोगे, मुझे खुद की रखैल बना कर रखोगे। तुम्हे भी बस मेरे बदन का नशा है।

राहुल की शादी हो चुकी थी पर भाभी (उसकी दीदी) को नंगे अपनी बाहों में भरकर बड़े प्यार से उन्हें चूम रहा था। भाभी के नंगे बदन को देखते ही किसी की भी उत्तेजना चरम पे पहुंच जाए, राहुल तो उन्हें अपने आलिंगन में किये हुए मदहोश हुआ जा रहा था। भाभी की रखैल वाली बात पे उसने भाभी के होठों को चूमते हुए कहा।

राहुल: ऐसा क्यों सोचती हो तुम मधु दी, तुम इतनी सुन्दर हो, अगर मेरी दीदी नहीं होती तो तुमसे शादी करके तुम्हे अपनी बीवी बनता।

भाभी: दीदी को नंगी करके चोदने में तुम्हे शर्म नहीं आती।

भाभी आज राहुल से गुस्सा नहीं थीं और बेबस से उसकी बाहों में पड़ी हुईं थीं। भाभी ने अभी तक राहुल का साथ नहीं दिया था पर राहुल उनके मांसल जिस्म से लगातार खेल रहा था।

राहुल: (भाभी के स्तनों को मसलते हुए उनके गालों को चाटने लगा) दीदी, मैं तो बस तुम्हे प्यार कर रहा हूँ। तुम्हार जैसी खूबसूरत औरत को बहुत प्यार की जरुरत होती है।

भाभी: अब रहने दो राहुल, प्लीज।

राहुल: दीदी, तुम मुझे प्यार नहीं करती, एक बार तुम प्यार करो फिर मैं तुम्हे छोड़ दूंगा।

फिर राहुल ने भाभी को पीठ के बल लिटा के अपने लंड को भाभी के चुत में डाल के उनके बदन से चिपक के उनके होठों को चूसते हुए धीरे धीरे लंड को चुत में घुसाने लगा।

राहुल: (हवस की उत्तेजना में) दीदी, मुझे प्यार करो न।

भाभी: (धीरे धीरे राहुल के होठों को चूसने लगी)

राहुल: कितनी अच्छी दीदी हो तुम।

भाभी ने फिर राहुल को अपने आलिंगन के जोर में कर लिया और राहुल वासना में मदहोश भाभी के जिस्म को अपनी पूरी ताकत से मथने लगा। अब भाभी भी पूरे जोश से उसका साथ दे रहीं थी। जिस रफ़्तार से राहुल भाभी को पेल रहा था उसकी सांसें चलने लगीं। भाभी के साथ देने की वजह से उसकी उत्तेजना एक दम चरम पे थी। काफी देर तक उसने भाभी के भारी मांसल जिस्म को चोदा फिर उनके ऊपर ही लेट गया।

भाभी के होठों को अपने होठों में लेके चूसते हुए बोला- दीदी आज तो मज़ा आ गया। ऐसे ही सुनील के साथ चुदवाती हो तुम तभी तो वो हमेशा उत्तेजित रहता है।

भाभी: वो मेरे पति हैं

राहुल: काश तुम मेरी बीवी होती मादरजात।

Bhabhi ke bhari-bharkam maansal jism ke aagosh mein aane ke baad to kisi bhi mard ke liye sanyam karna namumkeen tha aur Rahul to jawaan hi tha. Beete teen-char dinon se apni sagi didi ko chodate hue use ajeeb utejna ka ahsas ho raha tha. Wo bas bhabhi ke badan se chipake rahna chahta tha. Bhabhi ne apna jism use de diya tha, wo ab itna madhosh ho chuka tha ki wo sochne laga ki kisi tarah agar bhabhi use hamesha ke liye mil jaaye.