गदराई मोटी गाय 01

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शाम में मालती लेट से 7 बजे घर आयी तो भाभी ने नयी वाली दूसरी nighty पहन रखी थी और स्तनों के उभर को छुपाने के लिए दुपट्टा रख रखा था अपने ऊपर। मालती ने भाभी के पास आके उनके दुपट्टे को हटाते हुए कहा की ये क्या है। भाभी ने कहा वो अच्छा नहीं लगता ऐसे! मालती ने उनके स्तनों को हाथ में लेते हुए कहा क्या अच्छा नहीं लगता! इतने अच्छे तो हैं, अब बड़े हैं तो हैं। जब आप मसलवाती थी इन्हे तब सोचना चाहिए था न। जिस तरीके से आप चुप-चाप बेसुध हो के अपने स्तन मसलवाती हो एक दिन तो ये किसी भी ब्रा में नहीं आएंगे। वैसे भी आज आप भैया से मसलवाओगी इन्हे। भाभी ने झुंझलाते हुए कहा - क्यों बकवास कर रही है तू? मालती: मैं बकवास कर रही हूँ! मुझसे तो दिन भर मसलवाती है भैया से क्या परेशानी है तुझे। दिन भर भैया मेहनत करते हैं तेरा पेट भरने के लिए। आज वो तुम्हे वापस घर भेज दें तो क्या तेरा बाप और तेरा भाई तुझे रखेंगे साथ में। यहां भैया ने महरानी की तरह तुझे रखा हुआ है, जो चाहेगी भैया ला देंगे तेरे लिए, पर तुझे भी तो भैया को तेरे बदन का आशिक बनाना होगा। सोच अगर भैया कल को शादी कर लेते हैं किसी दूसरी औरत से वो कभी भी तुझे यहां नहीं रहने देगी। तुझे घर से बाहर जरूर निकालेगी। मेरी मान लो मधु दीदी - सुनील भैया को अपने जिस्म के सागर में उतर जाने दो (मालती की बात का जैसे भाभी पे असर हो रहा था!)।

कहीं न कहीं भाभी को इस बात का डर था की मैं उन्हें हमेशा अपने साथ नहीं रखूँगा। पर उन्हें इस बात का भी शक था की मैं उनके बदन को बस हवस के लिए इस्तेमाल करना चाहता था, मुझे उनके साथ कोई रूहानी प्यार नहीं था। (वैसे तो ये सच था, मुझे उनके जिस्म से ही लगाव था पर जैसा मालती ने भाभी को बताया था मुझे उनके जिस्म की उतेजना जीवन भर उनके साथ रखने वाली थी)। मालती ने फिर अंदर जाकर बिस्तर सजा दिया और बेड को पूरा हिलाते हुए भाभी की ओर देखते हुए बोली ये झेल पायेगा आज की धक्कम-धुक्की। (मालती ने मुझे बिना बताये हलके नशे की गोली चाय में मिला के भाभी को पिला दी थी। इसका नशा करीब आधे घंटे बाद आता और सिर्फ अगले आधे घंटे तक ही रहता। बिलकुल भी हानिकारक नहीं था ये, मालती ने मुझे बाद में बताया।) फिर मालती ने भाभी को बिस्तर पे लिटा के उन्हें nighty उतारने को कहा और उन्हें उल्टा लिटा के उनके पीठ और फिर नितम्बों पे मालिश करने लगी। उसने दोनों नितम्बों को अलग करते हुए बीच के फांक को ज्यादा से ज्यादा अंदर तक देखने की कोशिश की। पर वो दोनों नितम्ब काफी सख्त थे वो छूटते ही 'फट' की आवाज़ के साथ फिर एक दुसरे में चिपक गए। मालती ने कहा मधु रंडी तेरे पूरे बदन में सख्ती आ गयी है। जितनी देर करेगी मधु घोड़ी तू उतनी ही तकलीफ होगी तुझे फिर से चुदने में। फिर मालती ने भाभी को पीठ के बल करके उनके स्तनों और जाँघों की खूब मसल मसल के मालिश की। भाभी की चूत बिलकुल साफ़ थी हमेशा की तरह और मालती ने उसमें भी थोड़े से तेल से मालिश कर दी। फिर भाभी को पूरी नंगी ही बिस्तर पे छोड़ वो निचे उतर के कुछ देर के लिए बाहर गयी और फिर वो दुसरे कमरे से वापस आते हुए भाभी के नंगे बदन को देखते हुए बोली - मधु दीदी तू अभी एक मांस का लोथरा दिख रही है जो गूथने के लिए बिलकुल तैयार है । खैर भैया आते ही होंगे तेरे बदन का हिसाब करेंगे वो आज। भाभी तुरंत अपने nighty के लिए उठी। पर मालती ने सारे कपड़े भाभी के जो की दुसरे कमरे में ही रहते थे एक ताले से लॉक कर दिया था। और मेन गेट जो बरामदे में खुलता था को खोल दिया था जो की दोनों रूम का कॉमन एरिया था। मेन गेट खुले होने की वजह से कोई भी बाहर लिफ्ट एरिया से ही बरामदे में देख सकता था और उसे दोनों कमरों के गेट भी बड़े साफ़ दीखते। भाभी उस कमरे से बाहर निकलती तो मुश्किल थी और निकलने पे भी उन्हें कुछ हाथ नहीं लगने वाला था। भाभी उसे डाँट भी नहीं सकती थीं क्यों वो भी आवाज़ लिफ्ट एरिया तक जाती।

मालती ने भाभी से माफ़ी मांगी पर बोला की वो ये उसके लिए ही कर रही है। कभी न कभी तो उन्हें मर्द के नीचे खुद को करना ही होगा! अच्छा है ये आज हो जाए। भाभी ने बिस्तर के चादर को ही ओढ़ लिया और चुप-चाप बेड पर लेट गयी। अभी चाय लिए भाभी को 25 मिनट हो चुके थे और तभी मैं पहुंच गया। मालती ने मुझे इशारा देते हुए भाभी वाले रूम में बुलाया, मैंने मेन गेट लगा दिया। भाभी तुरंत उठीं और मुझसे बोली की इसने दुसरे वाले गेट में ताला लगा दिया है और उसमें भाभी के कपडे हैं। मैंने तुरंत मालती को डांटते हुए कहा की वो ताला खोले और भाभी के कपड़े ले आये। मालती चली गयी कपड़े लाने और तभी मैंने देखा भाभी के शरीर से चादर उतर चूका था और वो बिस्तर पे बैठ गयी (शायद नशे ने असर कर दिया था!) । कसम से पहली बार भाभी को ऐसे नंगी देखा था। ये मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। दो विशाल दुधारू थन छाती पे, गुदाज गोरी मांस, खूबसूरत लाल चेहरा! मेरी नंगी बीवी वो पहली मेरी भाभी माँ थी मेरे सामने निर्वस्त्र थी! अब मेरे लिए खुद को संभालना मुश्किल हो गया था | मुझे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें बिस्तर पे पीठ के बल सीधी लिटा दिया, मैं एक-टक उनके निर्जीव होते बदन को देख रहा था और धीरे धीरे अपने कपड़े उतरने लगा| कपड़े उतारकर मैं भाभी के बड़े बदन के ऊपर चढ़ गया| जैसे ही मैंने उनको मीठे होठों को अपने होठों से चूसा वो भी अपने होठ चलाने लगी।

मुझे आज उनके अंदर की दबी चुड़क्कड़ औरत बाहर आती हूई दिखी। मैं उनके होठों को चूसते हुए उनसे बोला - भाभी माँ तेरा बेटा तुझे आज चोदेगा। उन्होंने धीरे से बोला - सूरज बेटे। (सूरज मेरे भैया का नाम था, मेरे लिए ये surpise था की भैया और भाभी एक दुसरे को माँ-बेटे बोल के चोदते थे)। मैंने धीरे से कहा - हाँ माँ, मेरी दूधवाली माँ। इतना कहना था की उन्होंने बाहों को मेरे ऊपर करके मुझे अपने आलिंगन में बाँध लिया और पूरे जोश से मेरे से चिपक गयीं। तभी मुझे एहसास हुआ की मालती पास खड़ी ये सब देख रही थी जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने नज़रे दूसरी तरफ कर ली पर वो हिली नहीं वहां से। मैं इस समय भाभी के गोश्त के सानिध्य से बिलकुल गरम हो गया था सो मैंने भी ध्यान नहीं दिया और वो वहीं खड़ी रही। मैं अब भाभी के पूरे चेहरे को एक बच्चे की तरह चाट रहा था उन्हें माँ माँ कह के पुचकार रहा था। हम दोनों अब एक दुसरे के आगोश में समां गए। दोनों की तरफ से अपनी-अपनी मजबूती की आजमाइश होने लगी। भाभी जैसी कामुक औरत को काबू करना कुछ ही देर में मुश्किल लगने लगा। वो किसी जख्मी शेर की तरह मेरे होठों को चूस रहीं थीं।

भाभी- मेरा बेटा सूरज, प्यार कर न अपनी माँ से! मैं अच्छी नहीं लगती तुझे?

मैं(भरपूर उत्तेजना में)- तुम औरत नहीं गाय हो माँ, एक गदराई मोटी दुधारू गाय!

उत्तेजना में हम दोनों ने अपने आलिंगन का जोर बढ़ा दिया। इस कश्मकश में कभी भाभी ऊपर आती कभी मैं उनके ऊपर आ जाता। दरअसल भाभी के जोश में थोड़ा नशे का भी हाथ था। भाभी ने मेरे लंड को अपने चूत के ऊपर रख दिया फिर हम दोनों खूब जोर-जोर से एक दुसरे में समाने को हुमचने लगे। भाभी के मांसल शरीर पे रगड़ने से मुझे असीम सुख की अनुभूति हो रही थी। पूरा कमरा मेरे उनके मादक आवाज़ों से भर गया था।

उन्होंने अपने दोनों पैर की ऐरियों से मेरे दोनों पैर का आलिंगन कर लिया था अब मैं उनके पूरे जकड़ में था। ऐसी स्तिथि में मैं अपने पूरे जोर से भाभी के अंदर समाने की कोशिश कर रहा था।

मैं: तेरे जैसी रंडी माँ भगवान् सबको मिले। क्या भरा बदन है तेरा माँ|

मेरी बात सुन के भाभी ने रफ़्तार बढ़ा दी, हम दोनों अब पसीने से लथ-पथ थे हालाँकि मुझे भाभी के बदन का पसीना और उतेज्जित कर रहा था । मालती ने सीलिंग फैन की स्पीड बढ़ा दी और बोली भैया तुम्हारी माँ अभी थकी नहीं है| मालती के सामने ही मैं अपनी भाभी की चुदाई माँ बोल के कर रहा था। ये बड़ा उतेज्जित करने वाला एहसास था। भाभी तो नशे में थी पर मैं पूरे होश में था। मालती के बोलते ही मैंने और जोर से हुमच-हुमच के भाभी को चोदने लगा। भाभी ने भी जोर बढ़ा दिया। इतने देर तक भाभी के बदन से चिपके रहने से भाभी के बदन की गंध मुझे लगी जो की मदहोश करने वाली थी। फैन तेज करने से पसीना सूखने लगा और फिर हम दोनों की गिरफ्त भी एक दुसरे के शरीर पे और सख्त हो गयी। दोनों ने गति इतनी तेज कर दी थी की पलंग जोर जोर से हिलने लगा था।

मैं लगातार धक्के लगा रहा था और भाभी भी। बड़ी मजबूती से भाभी ने मुझे अपने गुदाज बदन से चिपका लिया था और मैं उनकी गदराई मांसल जाँघों और मजबूत बाँहों के बीच खुद को जकड़ा हुआ पा रहा था। भरे मांसल बदन की औरत की आगोश में जिस सुख की अनुभूति होती है मैं बता नहीं सकता। मैं असीम कामनावेश में उनके गोरे मांसल चेहरे को चाट रहा था और पूरी ताकत से उनके चूत में धक्के मार रहा था। 48 '' के दूध के थनों को अपने सीने से मसलते हुए मैं उनके बदन पे हावी होने की हर कोशिश कर रहा था। पर वो कोई चुदाई के लिए नयी औरत नहीं थीं। उनके बदन का हर हिस्सा भरपूर गदराया हुआ था और वो एक अनुभवी चुदक्कड़ महिला थीं जिन्हे पुरुष के बदन को अधीन करना आता था। उनके बदन के लम्बे स्पर्श ने मेरी उत्तेजना को शिखर पे पंहुचा दिया था। मैं समझ सकता था सूरज भैया कितने उत्तेजित रहते होंगे। मुझे हर पल ये बात और उन्मादित किये जा रही थी की मुझे ये बदन जीवन भर के लिए मिला था। मैं इसे ऐसे ही जीवन भर मथ सकता था।

करीब आधे घंटे बाद मुझे उनका शरीर थोड़ा ढ़ीला होता अनुभव हुआ (शायद नशे का असर तभी उतरा था) पर मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए थे। थूक से सना उनका चेहरा और पसीने से लथपथ हमारे बदन एक दुसरे से ऐसे चिपके हुए थे की अब उनके लिए मना करना असंभव था। उन्होंने किया भी नहीं, कुछ ही देर में मेरे ऊपर उनके बदन की गिरफ्त फिर सख्त होने लगी। मैं रोमांचित हो उठा, भाभी अब नशे में नहीं थी मुझे इसका स्पष्ट बोध हो गया था। अपने मृत पति के भाई से अपने विशाल मांसल बदन को रगड़वा रही थी भाभी।

उनके दूध से भरे स्तन को मुँह में लेते हुए मैंने कहा: माँ तुम मुझे रोज दूध पिलाया करो, देखो तुम्हारा सूरज बेटा कितना कमज़ोर हो गया है, पिछले आधे घंटे से तुम्हेँ चोद रहा हूँ पर तुम बिलकुल भी थकी नहीं मेरी दुधारू गाय।

(भाभी कुछ बोली नहीं पर ये सुनते ही उन्हें समझ आ गया की उनके नशे के दौरान उनके और सूरज भैया के बीच के माँ-बेटे के कल्पना की चुदाई मुझे पता चल गयी थी)

मालती ने पलंग को दिवाल की तरफ से पकड़ रखा था, वरना जितने जोर से भाभी और मैं एक दुसरे के बदन को मसल रहे थे, पलंग की आवाज़ों घर से बहार जा सकती थीं। मैंने रफ़्तार और तेज कर दी, भाभी के मांसल बदन को मथते हुए मुझे अब 1 घंटा हो गया था और मैं थोड़ा थकने भी लगा था पर भाभी अभी भी पूरे जोश में थी। ये मेरे लिए अति कामुक पल था सो मैंने अपने पूरी शक्ति से भाभी के बदन को मीचने लगा। इतने तेज चुदाई से मैं पांच मिनट मैं ही हाफने लगा था और हम दोनों की मादक आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी। भाभी को अहसास हुआ की मालती भी कमरे में है और अपना सर मालती की तरफ करके फिर मेरी तरफ देखा। (अभी तक या तो उन्होंने आँखें बंद कर रखी थी या फिर मेरे चेहरे या सीने से ढकीं)।

उनके आँखों में देखते हुए मैं उत्तेजना के चरम पे पहुंचने लगा और मैं जोर जोर से हांफ रहा था। मैं: आह.... माँ ...।

भाभी: हाँ.. मेरा बेटा. .. । भाभी की भी सांसें अब तेज हो रही थी और उन्होंने भी अपने धक्के जोर कर दिए थे। (होश में भाभी के मुँह से बेटा सुनते ही मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया, क्या कामुक औरत थी वो)

तभी मुझे अपने नंगे पीठ पे हाथों के फेरने की अनुभूति हुई। वो मालती थी। मालती के पीठ सहलाने से मुझे अच्छा लग रहा था। मालती: मालिक बस थोड़ी देर और, आपकी माँ गाय है तो क्या! आप भी सांड से काम नहीं हैं। फाड़ दीजिये इस रंडी के चूत को। मालती की बातों ने भाभी को भी उन्मादित कर दिया और अब हम दोनों और उत्तेजित होकर एक दुसरे को चोद रहे थे।

मालती लगातार अत्यंत उन्मादित करने वाली बातें कर रही थी। बस पांच मिनट ही हुए थे मालती के बोलते हुए की हम दोनों जोर से हाँफते हुए झड़ गए। मैं थक कर भाभी के पसीने से भींगे बदन पर पसर गया। वो भी मेरी तरह तेज सांसें ले रही थीं। मालती ने फैन फुल स्पीड पे कर दिया और हैंड फैन भी चलने लगी। तब साढ़े दस बज गए थे, भाभी के बदन को भेदने में ढाई घंटे लगा था मुझे। पर इस समय मुझे जिस सुख की अनुभूति हो रही थी वो अकल्पनीय थी। 3 - 4 मिनट में हम थोड़े नार्मल होने लगे।

मैं मन ही मन अपने भैया और भाभी के घरवालों का शुक्रिया अदा कर रहा था जिनकी वजह से मुझे भाभी जैसी औरत जीवन भर के लिए मिली थी। मैं तो बस अब हर दिन इनके बदन को नोचने वाला था। ऐसी ही सोच में खोया हुआ था मैं कि मालती ने मुझे पानी ला कर दिया। फिर मुझे दूसरा गिलास देते हुए बोली ये आपकी माँ के लिए है। (मालती अभी भी मूड में ही थी)। पानी का गिलास लेते हुए मैं भाभी के बदन से ढाई घंटे बाद उतरा। भाभी ने तुरंत अपने एक हाथ से अपने दोनों स्तनों को ढका और दुसरे हाथ अपने चूत पे रख के अपने दोनों जाँघों को जोर से सटा लिया था। मैंने अपना एक हाथ उनके पीठ के नीचे रखते हुए उनके सर को थोड़ा ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से उन्हें गिलास से पानी पीने लगा। मालती ने एक और गिलास दिया और भाभी उसे भी धीरे धीरे पीने लगी। पानी पीने के बाद भाभी ने मेरी तरफ करवट ले ली। अभी भी उन्होंने अपने हाथ से अपने विशाल छाती को छुपाया हुआ था और अपने एक दोनों पैरों को बिस्तर पे ऐसा रखा था की उनके नितम्ब पूरे खुले ऊपर थे। ऐसे में उनकी चूत नहीं दिख रही थी। भाभी के नंगे बदन और उसे छुपाने की उनकी व्यर्थ कोशिश ने मुझे फिर उत्तेजित करना शुरू कर दिया था। उनके 48 " के गुदाज नितम्बों को देख-कर मैं फिर उनसे चिपकने लगा। मेरा तना लंड उनके कूहलों को स्पर्श कर रहा था ठीक वहीँ उनकी नज़र भी थी। वो थोड़ी असहज हुई और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और वैसे ही लेटी रहीं।

मैंने भाभी को पूरा पेट के बेल लिटा दिया। फिर मैं उनके पीठ पे चढ़ गया और अपने लंड को उनकी सुडौल चौड़ी गांड पे रख-कर धीरे धीरे खुद को और उन्हें हिलाने लगा। उनकी गर्दन, कान और गालों पे पीछे से मैंने चुम्बनों की बारिश कर दी। धीरे धीरे थकावट दूर होने लगी और कामनोन्माद फिर से हावी होने लगा। मालती फिर बिस्तर पे आ गयी और मेरे पीठ और चूतड़ों की धीरे धीरे सहलाते हुए मुझे उन्मादित करते हुए बोली।

मालती: मालिक क्या औरत मिली है आपको। इतने भड़काऊ बदन की औरत आपके भैया को कहाँ से मिली।

मैं: नहीं मालती, ये गदराई माल तो शुरू से थी पर इतनी भड़काऊ नहीं थी तब। भैया ने इस मांस की खूब गुथाई की है तब जाके ये ऐसी भारी-भरकम हुई है मेरी माँ।

(मैं धीरे धीरे भाभी के पूरे बदन को अपने नीचे समाने की कोशिश कर रहा था। नितम्बों की ऊंचाई की वजह से मेरे पैर बिस्तर पे नहीं आ रहे थे और मेरे जांघ भाभी के जाँघों से मुश्किल से सट-टे थे। मालती ने मेरे पैरों को थोड़ा नीचे किया ताकि मुझे भाभी के गुदाज जाँघों का स्पर्श मिले। आप सोच सकते हैं भाभी के पिछवाड़े की बनावट कैसी होगी!)

मालती: आपके भैया ने इस गाय को इतना दुधारू बनाया पर सारा दूध अब आप पियोगे इसका। उनके सालों की मेहनत से तैयार किया बदन आपको मुफ्त में मिला है। ये भड़काऊ सुडौल बदन अब आपकी निजी जागीर है। पर आपकी जिम्मेवारी है की ये गाय और भी गदराये। 48 '' के इसके स्तन 50 " के हों, और चूतड़ बढ़ के 52 " के।

(भाभी अभी तक किसी निर्जीव की तरह पड़ी हुई थीं पर मालती की बातों ने उन्हें भी उत्तेजित करना शुरू कर दिया था और वो भी अपने नितम्ब धीरे धीरे हिलाने लगी। ये बड़ा उत्तेजित करने वाला पल था मेरे लिए। उनके पिछवाड़े हिलाने से मेरे लंड में तेजी से कसाव आने लगा)

मालती समझ रही थी की भाभी उसकी बातों से लगातार उत्तेजित हो रही थीं। पर पता नहीं उसे क्या आनंद आ रहा था हमें उन्मादित करके।

मालती: मालिक अपनी माँ का बदन ऐसा कर दो की ये घर के बाहर न निकल पाए। बदन देख के ही सब इसे रंडी समझे। ये बस आपके चुदाई के लिए जिए।

मैं: तू ठीक कह रही है मालती। सूरज भैया ने मुझे अपनी माँ के बदन की बड़ी जिम्मेवारी दी है।

(जब भी मैं भाभी को माँ कह के सम्बोधित करता, मैं महसूस करता की भाभी अपनी रफ़्तार बढ़ा देती थी। उन्हें माँ-बेटे के अनाचार रिश्ते के कल्पना मात्र से ही बड़ी उत्तेजना मिलती थी)

मालती: भैया पर अपनी भाभी माँ से आप शादी मत करना। ऐसे ही इसे अपनी रखैल बना कर रखना। ये जीवन भर अपने बेटे के साथ आपकी बीवी की तरह रहेगी पर रिश्ता आप दोनों का भैया-भाभी का ही रहेगा। अपनी विधवा भाभी माँ के बदन को जब चाहे भोगते रहना।

(मालती के ऐसा कहने से भाभी को नहीं लगा की मेरी और उसकी कोई साठ-गाठ हुई हो, क्यूंकि अन्यथा उसे पता होता की हम दोनों शादी-शुदा थे। वैसे मालती की ये बात मुझे बहुत उत्तेजित कर गयी। अगर मैंने शादी नहीं की होती तो फिर मैं सच में भाभी से शादी नहीं करता और उन्हें भाभी रहते हुए ही अपनी बीवी की तरह ही उनसे अपनी बिस्तर गरम करवाता। पर ऐसी भड़काऊ बदन वाली औरत से शादी करना भी बहुत उत्तेजित करने वाला अनुभव था। ऐसी गदराई औरत जब आपके नाम का मंगल सूत्र डाले अपने गले में तो वो अनुभूति भी बेहद उन्मादित करती है आपको। हालाँकि भाभी ने अभी तक न तो सिन्दूर किया था और न ही मंगल सूत्र डालती थी, मैंने भी कभी जिद नहीं की इस बात के लिए।)

मैं: तू ठीक कहती है मालती। मैं अपनी विधवा भाभी माँ को अपनी बीवी नहीं रखैल बनाऊंगा। पहले तो इस गाय को गाभिन करूँगा और ये मेरे बछड़े को जन्म देगी। फिर मैं, सोनू और वो बछड़ा तीनो हमारी गाय का दूध पिया करेंगे।

भाभी अब जोर-जोर से चूतड़ हिलाने लगी थी। मालती भी भाभी के चूतड़ों को साइड से जोर-जोर से हिला रही थी। मेरा लंड मालती की बातों से तन कर सख्त हो गया था। फिर मैं भाभी के गांड पे उछल-उछल के पेलने लगा। फच-फच की आवाज़ के साठ हर धक्के में मेरा लंड थोड़ा और अंदर जाता, भाभी की सांसें तेज हो रही थी। वो भी साथ में उछलती और उसमें मालती भी बैठे-बैठे उनका साथ दे रही थी।

मैं: आह.... मेरी चुदक्कड़ माँ .... तू कितनी मोटी है... आह... माँ... माँ..

भाभी: आह... .. सुनील.. धीरे .... .. सुनील... मेरे बेटे... . (भाभी से मेरा नाम सुनते ही मुझे बड़ा अच्छा लगा)..

मैं: .. हाँ... मेरी भड़काऊ माँ..

भाभी: धीरे... बेटे...

करीब 25 मिनट हो चुके थे मुझे भाभी के चूतड़ों पे चढ़े। आनंद की नयी उचाइयां चढ़ रहा था मैं। इस समय मैंने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी, दोनों हाँफते हुए कुछ देर में शांत हो गए। भाभी के गांड में लंड फसाए मैं बिस्तर पे भाभी के बगल में लुढ़क गया और भाभी को भी दूसरी ओर करवट लेना पड़ा। मालती ने मेरे लंड को भाभी की गांड की फांक से निकला और उसपे लगे वीर्य को कपडे से पोछा और फिर भाभी के गांड के अंदर कपडे को घुसा कर उसे भी साफ़ किया।

अभी भी मैं और भाभी हांफ रहे थे फिर भी मैं भाभी से पीछे से चिपक गया और आगे हाथ ले जाके उनके विशाल नंगे स्तनों पे हाथ फेरने लगा|

मैं कामनावश्था के चरम पे था। अभी अभी मैंने अपने से पंद्रह साल बड़ी भाभी के गठीले भड़काऊ बदन को 3 घंटे तक एक पराई महिला के सामने रौंदा था। भरे बदन की भाभी चुदी मेरे बगल में लेटी हुई थी। मुझे मेरे मर्दानगी पे गर्व हुआ की मैंने ऐसी गदराई औरत को संतुष्ट कर दिया था। मैंने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके आँखों में देखते हुए पूछा की क्यों मेरी गाय, तेरा बछड़ा तुझे कैसा लगा। भाभी ने अपने आँख दूसरी तरफ कर लिए। मैंने फिर उनके सर को अपनी तरफ घुमा के उनके आँखों में देखते हुए कहा

मैं: मालती मेरी रखैल माँ मुझसे नाराज़ दिखती है!

(मालती तब तक घर को फिर से सज़ा करके जाने की तैयारी कर रही थी, रात के 11 बज चुके थे।)

मालती: भैया आपकी दुधारू माँ बड़ी शर्मीली हैं। ज्यादातर ऐसी गदराई औरतें बड़ी बेशरम होती हैं, किसी भी गबरू जवान मर्द को अपने ऊपर चढ़ा लेतीं हैं, पर आपकी माँ हमेशा आपकी वफादार रहेगी| भैया वैसे ये बदन घर के बाहर जाने लायक नहीं है, कोई भी बच्चा, जवान, बूढ़ा इसके पीछे पड़ जाएगा। इसे नंगी करके घर में ही बंद रखो, और अपनी माँ के बदन का दिन-रात मर्दन करो भैया।

भाभी मालती की तरफ देख-के कुछ बोलने वाली थी तभी मैंने उनके होठों पे अपने होठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मालती सही कह रही थी भाभी का भड़काऊ बदन कपड़ों में भी खासा गदराया हुआ लगता था। भैया भी उन्हें अकेले बाहर नहीं जाने देते थे।

मालती जाने लगी तो बोली: भैया उस कमरे की चाभी मैंने यहाँ टेबल पे रख दी है। खाना बना दिया है। अब मैं सुबह 8 आउंगी।

मैं: नहीं मालती, हमें कपड़ों की जरुरत नहीं है, तुम अपने पास ही रखो चाबी, सुबह तो आ ही रही हो। (मैं भाभी को लगातार चूम रहा था, मेरे ये बोलते ही वो थोड़ी उठने से हुई पर मैंने उन्हें अपने जोर से अपने नीचे दबाये रखा)

मालती: क्या बात है भैया, ऐसे सागर (भाभी का बदन) को इतना ही प्यासा प्राणी (मैं) मिलना चाहिए था। ठीक हैं मैं ले जाती हूँ चाभी, अपनी माँ को आपने अपने बदन से ढक तो रखा है, इसे कपड़ों की क्या जरुरत है।

(मालती गेट को बाहर से लगा के चली गयी, मेन गेट में बाहर और अंदर दोनों से लॉक लग सकता था, एक चाबी हमने मालती को दे रखी थी)

मालती के जाने के बाद मैंने भाभी को कहा: भाभी सच बताऊँ, तुम मुझे गलत मत समझना भैया जब तुम्हे पहले दिन घर लाये थे मैं 5 साल पहले तभी से मुझे तुम्हारे बदन के प्रति आकर्षण था, पर मैं तुम्हे अपनी भाभी माँ ही मानता था। माँ के मरने के बाद तो तुमने मेरी काफी देखभाल की, और मेरे लिए तुम बिलकुल माँ समान थी। पर भैया के देहांत के बाद मैं तुम्हे अकेले कैसे छोड़ता, सो मैंने राहुल भैया और अंकल को यही कहा की मैं तुम्हे अपने साथ रखूँगा। पर तुम खुद सोचो अगर मैं तुमसे शादी नहीं भी करता, और हम दोनों साथ रहते, तुम्हारे बदन का गदरायापन (मैंने भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से मीचते हुआ कहा) मुझे तुम्हारे करीब ला ही देता। तुम अपने मइके जाती तो राहुल भैया तुम्हे अपनी रांड बना कर रखता (इस बात ने भाभी के चेहरे पे गुस्सा ला दिया था)। मैंने कहा गुस्सा करने की बात नहीं है, जब राहुल भैया और अंकल मुझसे शादी के लिए कह रहे थे तो मैंने मना करते हुए कहा की आप मेरे उम्र में 15 बड़ी हो और आपको मैं भाभी माँ बुलाता हूँ तो राहुल भैया ने बोला की भाभी थोड़े ही न माँ होती हैं, उसने तो इशारों में ये भी बोला था की बड़ी उम्र की औरतों ज्यादा अच्छी होतीं हैं शादी के लिए।

आपके पिता और आपके भाई चाहते थे की मैं आपके बदन का मालिक बनूँ, और मुझे पक्का यकीं था थी अगर मैंने मना कर दिया तो राहुल भैया तुम्हे खुद की रखैल बनाता। और उसकी शादी होने की वजह से वो आपसे शादी भी नहीं करता। देखो तो राहुल भैया और मेरे में से आपका बदन किसी एक को मिलना ही था। और फिर मेरे पास आने के लिए तो आपने भी हाँ किया था।

(भाभी नज़रे झुकाए मेरे बातें सुन रही थीं, और मुझे ऐसा यतीत हो रहा था की उन्हें मेरी बात जायज़ लग रही थी।)

मैं: भाभी कुछ बोलो आप भी!

भाभी: राहुल मेरा छोटा भाई है, उसके लिए ऐसे मत बोलो।

मैं: आपके छोटा भाई ने आपसे 15 साल छोटे मर्द को आपका बदन सौंप दिया वो आपको सीधा दीखता है। मुझसे रोज फ़ोन करके पूछता रहता है - तुम्हारी भाभी खुश है ना, अपनी भाभी को मेरा प्रणाम कहना वगैरह। जब उसने खुद ही हमारी शादी करवाई है तब वो आपको मेरी भाभी कह के क्यों बुलाता है। वो चाहता था की मैं आपसे (खुद की भाभी) से शादी करूँ।

भाभी चुप थीं। पर मैंने कहा की हो सकता है मैं गलत सोच रहा हूँ। वैसे मैंने बताया की मैंने राहुल भैया को अगले शनिवार को आमंत्रित किया है, वो अकेला ही आएगा क्यूंकि उनकी बीवी और बच्चे मायके गए हुए हैं।

फिर मैंने भाभी पीठ के बल लेट गया और भाभी को उठा के अपने ऊपर किया और पूछा: भाभी ये बताओ ये माँ-बेटे की क्या स्टोरी है, आप और सूरज भैया चुदाई के समय एक दुसरे को माँ-बेटा क्यों बुलाते थे?

भाभी: तुम्हारे भैया और मैं बस कभी-कभी सेक्स लाइफ में नयेपन के लिए ऐसा करते थे। कोई स्टोरी नहीं है इसके पीछे।