छाया के ख्वाब

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मानस में छाया की इच्छा को पहचाना और पूरा किया
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पात्र परिचय

छाया : उम्र लगभग 22 वर्ष एक बेहद ही खूबसूरत युवती जिसकी कद काठी 1942 ए लव स्टोरी फिल्म की मनीषा कोइराला जैसी है . छाया तन और मन दोनों से ही बेहद कोमल और खूबसूरत है।

मानस ( छाया का प्रेमी और सौतेला भाई) :उम्र लगभग 26 वर्ष ग्रामीण परिवेश से पढ़ लिख कर एक बेंगलुरु में नौकरी करता हुआ खूबसूरत कद काठी एवं आकर्षक व्यक्तित्व का धनी युवा.

सीमा ( छाया की पक्की सहेली और मानस की पत्नी) : उम्र लगभग 23 वर्ष कद काठी जैकलीन फर्नांडिस के जैसी बेहद सुंदर और आधुनिक लड़की।

सोमिल ( छाया का पति): उम्र लगभग 26 वर्ष आकर्षक कद काठी का युवा जो पंजाबी परिवार से है।

माया जी ( छाया की मां) : उम्र लगभग 42 वर्ष सुंदर और सुडौल शरीर। अपने शारीरिक संरचना से अपनी उम्र को छुपाती हुई अधेड़ महिला।

शर्मा जी ( माया जी के प्रेमी जो अब माया जी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं): उम्र लगभग 47 वर्ष। अपना शारीरिक सौष्ठव कायम रखते हुए जीवन का आनंद लेते हुए एक अधेड़ जिनके मन में अभी भी कामवासना और प्रेम जीवंत है.

मानस उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण परिवेश का रहने वाला था। मानस की मां का देहांत कई वर्षों पहले हो चुका था। घरेलू कार्यों में दिक्कत आने की वजह से मानस के पिता (जो कि एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे) माया जी को अपने घर दूसरी पत्नी बनाकर ले आए उनके साथ साथ माया की पुत्री छाया भी मानस के घर आ गई।

इस विवाह से माया और छाया के सर पर छत आ गई तथा मानस के परिवार को घरेलू कार्यों के लिए मदद मिल गई। मानस के पिता और माया में कभी भी शारीरिक संबंध बनने जैसी स्थिति न तो उत्पन्न हुई न हीं मानस के पिता को इसकी दरकार थी।

सीमा मानस के पड़ोस में आती जाती रहती थी. इन दोनों में किशोरावस्था में कुछ कामुक संबंध बने थे परंतु समय के साथ वह दोनों इसे भूल चुके थे।

मानस ने उस समय माया और उनकी पुत्री छाया में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. उनके आगमन के कुछ ही दिनों पश्चात वह कॉलेज पढ़ाई करने चला गया. एक-दो वर्षों बाद जब वह घर आया तब छाया को देखकर वह उस पर आसक्त हो गया छाया से उसका प्यार बढ़ता गया.

मानस के पिता के देहांत होने के पश्चात घर की जिम्मेदारी संभाल ली। छाया से उसका प्यार परवान चढ़ रहा था उसने छाया को अपनी प्रेमिका के रूप में अपना लिया तथा अपने साथ बेंगलुरु ले आया माया भी साथ साथ बेंगलुरु आ गयी।

एक ही छत के नीचे रहते हुए छाया और मानस का प्रेम उफान पर था। समय के साथ माया को इसका आभास हुआ तब उन्होंने इन दोनों को रोकना चाहा क्योंकि वह दोनों रिश्ते में सौतेले भाई बहन थे।

मानस और छाया के प्रेम की पवित्रता देखकर माया का हृदय पसीज गया। इतने दिनों तक साथ रहने के बावजूद छाया का कौमार्य सुरक्षित था। मानस और छाया ने वचन लिया हुआ था कि जब तक उनका विवाह नहीं होता वो अपना कौमार्य सुरक्षित रखेंगे। उनके प्रेम की पवित्रता देख कर माया ने उन दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर लिया।

अगले 1 वर्ष तक मानस और छाया प्रेमी और प्रेमिका के रूप में रह रहे थे तथा छाया की मां माया भी अत्यंत खुश थी।

माया जी के संबंध धीरे-धीरे शर्मा जी से प्रगाढ़ हो रहे थे जो उनके पड़ोसी थे उन दोनों में आत्मीयता हो चली थी।

एक विवाह समारोह में मानस और छाया एक साथ उपस्थित हुए जहां पर गाँव समाज से आये हुए लोगों ने उनके भाई बहन के रिश्ते को आदर्श रिश्ते के रूप में सर्वविदित कर दिया तथा उन्हें आदर्श भाई-बहन की संज्ञा दी जाने लगी।

इस भाई बहन के रिश्ते को तोड़ पाने की सामर्थ्य माया में नहीं थी। मानस और छाया भी न चाहते हुए इस रिश्ते की कैद में आ चुके थे। उनका विवाह अब संभव नहीं था। ऐसी परिस्थितियों में वह एक दूसरे से दूर हो गए पर उनमें कामुक संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं रुक सके ।

उन दोनों का अगाध प्रेम एक बार फिर परवान चढ़ने लगा यह जानते हुए भी की वह दोनों एक नहीं हो सकते।

इसी बीच छाया की मुलाकात सीमा से होती है और वह दोनों पक्की सहेलियां बन जाती है। छाया सीमा से मानस का मिलन करवाती है और उन दोनों का विवाह हो जाता है। सीमा और छाया आपस में पूरी तरह खुली हुई थी सीमा को मानस और छाया के रिश्ते के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है और तीनों एक दूसरे को जी जान से प्यार करते हैं। उनमें कामुक संबंध भी अनूठे तरीके से बनते हैं जिसमे छाया का कौमार्य सुरक्षित रहता है।

छाया की पढ़ाई पूरी हो जाने के पश्चात छाया का विवाह सीमा के पुराने पुरुष मित्र सोमिल से हो जाता है जसने सीमा को वचन दिया रहता है कि वो अपना पहला संभोग उसके साथ ही करेगा।

एक नाटकीय घटनाक्रम में छाया की सुहागरात मानस के साथ ही संपन्न होती है छाया और मानस का पवित्र प्रेम अपने अंजाम तक पहुंच जाता है।

सोमिल भी सीमा से शारीरिक संबंध बना कर अपना वचन पूरा कर लेता है।

माया जी और शर्मा जी दोनों ही कामवासना से ओतप्रोत हो जाते हैं माया ने मानस को और शर्मा जी ने छाया को कभी न कभी किसी न किसी रूप में संभोग के समय याद किया है हालांकि यह बात उनके मन में ही कैद है। छाया और मानस की अद्भुत कामुकता और प्रेम को याद कर उन दोनों ने भी अपने संभोग को आनंददायक बनाने की कोशिश की है।

छाया के हनीमून पर मानस और सीमा भी साथ जाते हैं जहां छाया और सीमा दोनों सोमिल और मानस को जी भर कर प्यार करतीं हैं पर सोमिल और मानस एक दूसरे के सामने कभी कामुक गतिविधियां नहीं करते हैं। हनीमून से आने के पश्चात छाया की विदाई हो जाती है और वह मानस के घर से विदा होकर सोमिल के घर आ जाती है।

सोमिल और छाया पति पत्नी के रूप में साथ साथ रहने लगते हैं। मानस और सीमा भी छाया को याद करते हुए अपने दिन व्यतीत करते हैं।

मानस और छाया की यह विस्तृत प्रेम कहानी "छाया - अनचाहे रिश्तो में पनपती कामुकता एवं उभरता प्रेम" नाम में कई भागों में उपलब्ध है.

वर्तमान में मानस अपनी पत्नी सीमा के साथ बेंगलुरु शहर में रहता है माया जी और शर्मा जी भी उसी घर में रहते हैं।

छाया अपने पति सोमिल के साथ अपने ससुराल(बेंगलुरु शहर में ही कुछ दूर पर) में रहती है उनका मानस के घर आना जाना लगा रहता है।

अब आगे...

छाया साउथ अफ्रीका में

(मैं मानस)

मुझे साउथ अफ्रीका जाना था वहां पर मेरा तीन दिन का सेमिनार था मैंने जब यह बात छाया को बताई वह बहुत खुश हुई उसने कहा

"मैं भी आपके साथ साउथ अफ्रीका जाना चाहती हूँ। मैंने वहां के बारे में बहुत सुना था"

"यह कैसे संभव होगा? सोमिल से बात कौन करेगा?

"वह मुस्कुराई और बोली सीमा भाभी है ना मैं उनसे बात करती हूं. वह कुछ ना कुछ रास्ता निकाल लेंगीं। आज तक मेरी इन इच्छाओं की पूर्ति उन्होंने ही की है।"

छाया और सीमा एक दूसरे को पूरी तरह समझती थीं। मैंने यह निर्णय उन दोनों पर ही छोड़ दिया था।

(मै मानस)

मेरे साउथ अफ्रीका जाने के दिन करीब आ रहे थे. छाया का जाना अभी भी अधर में था.

एक दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर हम चारों बैठे हुए थे सीमा आज कुछ थकी थकी लग रही थी। वह धीरे धीरे चल रही थी मुझे यह तो नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ पर वह पिछली रात मेरे पास नहीं थी पिछली रात मैं और छाया एक दूसरे के आगोश में थे और सीमा सोमिल के कमरे में।

छाया सीमा की तारीफ करते हुए नहीं थक रही थी कुछ राज ऐसा था जो सिर्फ छाया और सीमा ही जानती थी मैं सीमा को लेकर थोड़ा दुखी था ऐसा क्या हुआ जिससे मेरी सीमा आज थोड़ा सुस्त लग रही थी।

सीमा ने कहा

"आपको साउथ अफ्रीका कब जाना है मैंने कहा 25 दिनों बाद"

"क्यों न आप छाया को भी अपने साथ ले जाएं उसे साउथ अफ्रीका देखने की बहुत इच्छा है"

उसने सोमिल की तरफ देख कर कहा

"नंदोई जी मेरी ननद को 1 हफ्ते के लिए छोड़ दीजिए मैं आपकी सेवा करती रहूंगी इतना कहकर सीमा हस पड़ी"

सोमिल ने हंसते हुए कहा

"सलहज साहिबा आपके हुकुम को टाल पाने की मेरी हिम्मत नहीं है. भेज दीजिए अपनी ननद रानी को"

छाया के चेहरे पर शर्म की लालिमा दौड़ गई. वह सिर झुकाए हुए मुस्कुरा रही थी. मुझे पता था उसे मेरे साथ साउथ अफ्रीका में वक्त बिताना अच्छा लगेगा.

मेरा और छाया का बहुप्रतीक्षित हनीमून शुरू होने वाला था. सीमा और छाया ने हम दोनों को खुश करने के लिए तरह-तरह की शॉपिंग की उन दोनों के लिए ही अपने अपने प्रेमियों के साथ वक्त बिताने का यह अनोखा और अनूठा समय मिला था. निर्धारित समय पर मैं और छाया साउथ अफ्रीका के लिए उड़ चले.

छाया ने मुझे रास्ते में बताया की सीमा भाभी ने उस दिन अपनी ननद के लिए अपनी दासी (योनि के अलावा दूसरा द्वार) सोमिल को समर्पित कर दी थी. अब मुझे सीमा की सुस्ती का कारण मालूम चल गया था वह सच में हमारा ख्याल रखती थी.

साउथ अफ्रीका में बीच पर पहला दिन

एयरपोर्ट से होटल जाते समय केपटाउन शहर का खूबसूरत नजारा देखकर छाया मंत्रमुग्ध हो गई थी. वह बार-बार मुझसे लिपटती मैं उसकी जांघों पर हाथ रखकर उसे सहलाता और उसे प्यार कर इस खूबसूरत लम्हे को यादगार बनाता। हम दोनों भगवान के प्रति कृतज्ञ थे कि हमारे जीवन में यह बहुप्रतीक्षित दिन आया था।

जब मैं और छाया विवाह पूर्व अपने ख्वाबों में खोये हुए अपने पहले हनीमून के बारे में सोचते तो छाया हमेशा से समुद्री बीचों की कल्पना करती।

मैं सीमा के साथ हनीमून मनाते समय गोवा गया था। जब जब मैं समुद्र की लहरों को देखता मुझे बार-बार छाया का ही ख्याल आता था पर मेरी प्यारी छाया मेरे साथ थी।

छाया अभी भी खूबसूरत शहर को निहार रही थी। थकावट की वजह से मेरी आंख लग गई। टायरों के चीखने की आवाज से मेरी नींद खुली मैंने देखा होटल आ चुका था।हम दोनों रिसेप्शन की तरफ बढ़ चले अटेंडेंट हमारा लगेज लेकर पीछे-पीछे आ रहा था।

यह होटल एक पांच सितारा होटल था जिसमें एक प्राइवेट बीच भी था। मैंने यह होटल खास इसी मकसद के लिए चुना था जिससे हम बीच का आनंद बिना किसी थकावट के उठा पाऐं। मेरा सेमिनार स्थल भी इस होटल के बहुत ही करीब था।

मैं और छाया दोपहर में आराम करने के पश्चात शाम को बीच पर जाने की तैयारी करने लगे। मेरी प्यारी पत्नी सीमा ने 2- 3 सुंदर बिकनी ( जो वह खासकर छाया के लिए लाई थी) मेरे ब्रीफकेस में डाल दी थी. मैंने वह बिकनी छाया को दिखाई। वो शर्मा गयी पर मन ही मन खुश थी।

"काश सीमा दीदी भी यहां पर होतीं" छाया ने मुस्कुराते हुए कहा.

मैंने उसे बिकनी पहनने और उसके ऊपर एक गाउन डालने के लिए कहा जिसे वह आवश्यकतानुसार बीच पर उतार सकती थी उसने शर्माते हुए थोड़ा प्रतिरोध किया पर मान गई। वह इतनी बार मुझसे चु*द चुकी थी पर कामुक परिस्थितियों में अभी भी उसके गाल लाल हो जाते।

कुछ ही देर में हम बीच पर थे. होटल का यह बीच बहुत ही खूबसूरत था। संगमरमर सी चमकती रेत और आकाश की नीलिमा लिए हुए समुंद्र का स्वच्छ जल और किनारों पर प्रकृति द्वारा सजाई गई हरियाली इस बीच को स्वर्गीय रूप दे रहे थे। स्वच्छ रेत पर कई सारे नवयुवक एवं सुंदर नवयुवतियां अर्धनग्न अवस्था में टहल रहे थे। अद्भुत कामुक माहौल था। वहां उपस्थित अधिकतर लड़कियां और युवतियां बिकनी में ही थे। कुछ ही औरतें विशेष प्रकार का स्विमिंग कॉस्ट्यूम पहने हुई थी।

मैंने छाया को उत्साहित किया तो उसने अपना गाउन उतार दिया और बिकनी में समुद्र की तरफ बढ़ चली। छाया को आज मैं पहली बार बिकनी में देख रहा था। मैं ही क्या वहां पर उपस्थित सभी स्त्री पुरुष मेरी छाया की इस नग्नता का आनंद ले रहे थे। जिस किसी की भी नजर छाया के खूबसूरत बदन और उस लाल रंग की प्रिंटेड बिकनी पर पड़ती वह एक नजर उसे जी भर कर देखता और अपने मन में उपजी कामुकता को लेकर अपनी प्रियतमा के साथ आगे बढ़ जाता। मेरी छाया एक खूबसूरत पोर्न स्टार की तरह समुद्र की तरफ बढ़ रही थी। पीछे से उसके गोल नितंब और गोरी पीठ अत्यंत उसे और मादक बना रहे थे।

बीच पर टहलते हुए भारतीय मूल के किशोर लड़के आपस मे ...

"अबे देख क्या गच्च माल है"

"साली के चूतड़ कितने गोल हैं। जाने किसके हिस्से में आयी है"

मुझे सिर्फ साली सब्द पर क्रोध आया जो उनकी विकृत मानसिकता के कारण था बाकी हो उनके अंदर की आवाज थी जो सच ही था।

ऐसा लगता था छाया को भगवान ने एक अद्भुत और इकलौते सांचे में ढाला था। कुछ ही देर में मैं और छाया समुद्र की लहरों से अठखेलियां कर रहे थे। छाया को स्विमिंग आती थी पर उसने समुंद्र का इस तरह आनंद नहीं लिया था। वह बेहद उत्साहित होकर समंदर की लहरों से टकराकर बार-बार मेरे ऊपर गिरती और मैं उसे संभाल लेता। इस दौरान मैं भी अपने हिस्से की कामुकता का आनंद ले रहा था। जब वह मेरे आगोश में आती उसके नितंब और स्तन मेरे हाथों से बच नहीं पाते कभी-कभी उसकी रानी भी मेरी उंगलियों का स्पर्श पाती। हम दोनों अपनी उत्तेजना कायम रखते हुए समुद्र का आनंद ले रहे थे। मेरा राजकुमार भी इस दौरान लगातार तन कर छाया के हाथों की प्रतीक्षा कर रहा था। वह अपना धर्म बीच-बीच में निभा रही थी। उसे भी राजकुमार को प्यार करना अच्छा लगता था।

अचानक मेरी वाइन पीने की इच्छा हुई मैं छाया को लेकर बीच के किनारे एक रेस्टोरेंट में गया। रेस्टोरेंट्स बहुत खूबसूरत था इसमें 60 -70 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। छाया खूबसूरत लाल बिकनी में अपने अद्भुत यौवन को संजोए हुए मेरे साथ रेस्टोरेंट में आ चुकी थी। मैंने छाया की पसंद की रेड वाइन ऑर्डर की। मैंने यह बात नोटिस की कि इस होटल में काम करने वाले सभी युवक नीग्रो प्रजाति के थे और उनका शारीरिक सौष्ठव दर्शनीय था उनकी कद काठी भी आश्चर्यजनक थी वहां पर कुछ लड़कियां भी कार्यरत वह भी उसी प्रजाति की थी उनकी शारीरिक संरचना भी बेहद खूबसूरत थी।

रेस्टोरेंट अद्भुत था कई देशों से आए हुए खूबसूरत जोड़े इस रेस्टोरेंट की शोभा बढ़ा रहे थे। वेटर के रूप में उपस्थित नीग्रो प्रजाति के युवक और युवतियां अपनी शारीरिक संरचना से सभी का मन मोह रहे थे। होटल के इन सभी कर्मचारियों के पीठ पर एक नंबर पड़ा हुआ था मुझे लगता है इन नंबरों से इन्हें पहचाना जा सकता था।

छाया की रेड वाइन आ चुकी थी लाल बिकनी पहनी हुई छाया के हाथों में रेड वाइन बेहद खूबसूरत लग रही थी। वहां उपस्थित सभी महिलाओं और युवतियों में छाया सबसे सुंदर और सुडोल थी। वहां से गुजरने वाले सभी स्त्री और पुरुष हमें एक बार अवश्य देख रहे थे उन्हें लग रहा था जैसे बॉलीवुड से कोई हीरो हीरोइन यहां पर छुट्टियां मनाने आ गए थे।

रेस्टोरेंट के काउंटर पर बैठा हुआ 20- 22 वर्ष का नवयुवक छाया को लगातार घूरे जा रहा था। उसकी आंखों में छाया के प्रति एक अजीब किस्म की हवस दिखाई दे रही थी। छाया की पीठ उस आदमी की तरह थी निश्चय ही वह छाया के गोरे नितंबों को और गोरी पीठ को घूर रहा था। मैं उसे देख कर एक बार क्रोधित भी हुआ पर उसकी इस हरकत में उसकी गलती कम ही थी। छाया इतनी कामुक लग रही थी कि जो भी पुरुष उसे नहीं देखता मैं उसकी मर्दानगी पर अवश्य प्रश्नचिन्ह लगा देता। उस समय वह सभी समीपवर्ती राजकुमारों की प्रियतमा थी।

मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया परंतु उसने अपनी आंखें छाया से नहीं हटायीं। रेड वाइन खत्म हो चुकी थी मैंने बिल पे करने के लिए छाया को ही रिसेप्शन पर जाने के लिए कहा ऐसा कहकर मैं उस व्यक्ति की उत्तेजना को और चरम पर ले जाना चाहता था। वह निश्चय ही अपनी तरफ आती हुई छाया के स्तनों को भी देखता और छाया के कोमल मुख मंडल को भी। वह छाया की रानी को तो वह नहीं देख पाता पर जांघों के बीच से उसके आकार की कल्पना वह अवश्य कर सकता था। रानी के फूले हुए होंठ अपनी मादकता का एहसास बिकिनी के अंदर से भी करा रहे थे।

छाया अपनी पूर्ण मादकता के साथ उसकी तरफ बढ़ रही थी। छाया वहां पहुंची उसने बिल दिया और वह व्यक्ति उसके स्तनों पर लगातार अपनी निगाहें गड़ाए रखा।

मुझे लगता है यदि वेद व्यास को जो शक्तियां महाभारत के समय प्राप्त थी यह दिव्य शक्ति उस व्यक्ति के पास होती तो मेरी छाया इतनी देर में 2-3 पुत्रों की मां बन गई होती। उसकी निगाहों में इतनी वासना थी।

छाया ने भी उसकी कामुक दृष्टि अवश्य महसूस की होगी। छाया बहुत ही समझदार थी वह अपने आसपास पनप रही कामुकता को पहचानती थी तथा अपनी इच्छा अनुसार उसे बढ़ावा देती या रोक देती थी।

हम दोनों वापस बीच पर आ गए। कुछ ही देर में हम एक बार फिर समुंद्र के अंदर अठखेलियां कर रहे थे। रेड वाइन के नशे में हमारी कामुकता और बढ़ चली थी। हम बीच के उस हिस्से में आ गए जहां पर बहुत ही कम लोग थे। मैं छाया को अब उत्तेजक तरीके से छू रहा था। मैंने छाया की रानी को अपनी उंगलियों से छुआ। उसका प्रेम रस रिस रिस कर समुद्र में बह रहा था परंतु रानी का गीलापन मेरी उंगलियों ने पहचान लिया। मैंने अपने राजकुमार को वही रानी में प्रवेश कराने की कोशिश की। मुझे इसमें कुछ सफलता तो मिली पर पूरी तरह से नहीं समुंदर का साफ पानी हमारे संभोग दृश्य को छुपा पाने में नाकाम हो रहा था मैंने और प्रयास ना करते हुए उसे बाहर निकाल लिया और अपनी उंगलियों से ही उसकी रानी को स्खलित करने का प्रयास करने लगा। मैं और छाया कुछ ही देर के प्रयासों में स्खलित हो गए। मेरा वीर्य समंदर की विशाल लहरों में विलुप्त हो गया छाया मेरे होठों का चुंबन लेते हुए समंदर के नमकीन पानी का भी रस ले रही थी। शाम गहरा रही थी। हम धीरे-धीरे बीच की तरफ आ रहे थे। जैसे ही छाया की कमर पानी से बाहर आयी मैंने देखा उसकी बिकिनी का नीचे वाला भाग गायब था। मैंने छाया का ध्यान उस तरफ दिलाया तो वह वापस पानी में चली गई। मुझे लगता है हमारी आपस की छेड़खानी में उसके पैरों से फिसलते हुए वह समुद्र में विलीन हो गई थी।

छाया अब नीचे से पूरी तरह नग्न थी। इसी अवस्था में उसे बीच के किनारे तक जाना था। अभी भी बीच पर पर्याप्त रोशनी थी इस तरह सरेआम नग्न होकर बीच पर पहुंचना कठिन था। मैं उसे छोड़कर वापस बीच पर आया उसका गांउन लेकर वापस समुंद्र में आ गया। इस दौरान छाया नग्न होकर ही समुद्र के अंदर खड़ी थी। समुद्र के साफ पानी से उसकी नग्नता झलक रही थी। आसपास के युवक और युवतियां छाया को देख रहे थे छाया शर्म से पानी पानी हुए अपनी गर्दन झुकाए मेरी प्रतीक्षा कर रही थी।

उसने गाउन पहना और हम धीरे-धीरे होटल की तरफ पर चल पड़े। अपनी नग्नता का छाया ने भी उतना ही आनंद लिया था जितना उसके आस पड़ोस के युवक-युवतियों उसे देख कर लिया था। छाया अनचाहे में भी कामुकता की ऐसी मिसाल पेश करती थी जो उसके आस पास के पुरुषों में उत्तेजना स्वाभाविक रूप से फैला देती थी।

छाया का अनोखा चैलेंज

केपटाउन (साउथ अफ्रीका)

(मैं मानस)

रात को होटल के कोमल बिस्तर पर मैं और छाया नग्न एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे हुए थे। अचानक सीमा का वीडियो कॉल देख कर मैंने फोन उठाया। छाया कंबल के अंदर खिसक गई वह इस तरह नग्न अवस्था में सीमा के सामने नहीं आना चाह रही थी। वैसे भी अभी रात के 9:00 ही बजे थे इतनी जल्दी संभोग के लिए प्रस्तुत होना उसे उसकी आतुरता का परिचायक लग रहा था। मैंने फोन उठा लिया सीमा बिस्तर पर लेटी हुई थी उसके शरीर पर भी एक सफेद चादर थी। बेंगलुरु में शायद उस समय 12 बजे होंगे। मैंने ध्यान से देखा तो सीमा सोमिल के कमरे में नहीं थी अपितु वह मेरे ही कमरे में थी। मैं उससे बातें करने लगा उसने पूछा

"छाया नहीं दिखाई दे रही है"

मैंने चादर हटा दी. मेरे सीने से चिपकी हुई नग्न छाया उसे दिखाई दे दी। उसने कहा "ननद रानी छुप क्यों रही हो जिस काम के लिए गई हो वह हो रहा है कि नहीं?

मैंने चादर और हटा दी अब छाया पूरी मुझसे लिपटी हुई दिखाई दे रही थी. उसके एक हाथ में मेरा राजकुमार अठखेलियां कर रहा था. उसने इसी अवस्था में कहा

"दीदी जो आपने कहा था ठीक वैसा ही कर रही हूं. आपकी भेजी बिकिनी बहुत सुंदर है. आज मैं उसे पहनकर बीच पर गई थी. बाकी जब मैं आप से मिलूंगी तब बताऊंगी नही तो मानस भैया मुझे चिढाएंगे।"

हम लोगों ने कुछ देर बातें की छाया ने कहा

"दीदी एक बार चादर हटाइये ना" सीमा ने चादर हटा दिया सोमिल के पैर उसकी जांघों पर देखकर छाया चौक उठी. उसने कहा

"वाह दीदी आज सोमिल आपके ही बिस्तर पर है। मैं तो समझी कि आप उनके कमरे में होंगी पर लगता है आपकी दासी का आकर्षण उन्हें आपके कमरे तक खींच लाया। कोई बात नहीं मजे करिये ध्यान रहे वह सोमिल है, दासी की आदत मत लगा दीजिएगा वरना मेरी शामत आ जाएगी।"

सीमा हँस रही थी। उसने हमें फ्लाइंग किस दिया और बोला

"मेरी ननद के सारे ख्वाब पूरे कर दीजिएगा. दोबारा मौका जाने कब मिलेगा "

और हंसते हुए उसने फोन काट दिया।

मैं और छाया एक बार फिर गुत्थंगुथा हो गए। वह मेरे ऊपर आ चुकी थी। छाया का ऐसा कौन सा ख्वाब था जिसके बारे में मुझे सीमा बता रही थी? जब तक मैं यह सोच रहा था. राजकुमार अपनी प्यारी रानी के आगोश में आ चुका था।

छाया की कमर हिलना शुरू हो चुकी थी उसके स्तन मेरे हथेलियों में अपनी उपस्थिति का एहसास करा रहे थे मैं उसके स्तनों और नितंबों पर बराबर ध्यान देते हुए संभोग का आनंद लेने लगा।

मैंने छाया से पूछा

"वह बिल काउंटर वाला लड़का तुम्हें याद है"

"हां वह कामुक निगाहों से मुझे देख रहा था"

"हां मैंने भी बात नोटिस की थी"

"फिर भी आपने मुझे बिल देने भेज दिया था।"

मैं हंसने लगा

"मैंने सोचा जब वह तुम्हें देख ही रहा है तो और ध्यान से देख ले." मैंने महसूस किया था कि छाया की कमर गति में थोड़ी तेजी आ रही थी वह इन बातों से उत्तेजित हो रही थी।

मैंने फिर कहा

"वह लड़का कितना विशालकाय था सोचो उसका लिंग कैसा होगा"

"मैंने भी सुना है कि नीग्रो लोगों का लिंग इस दुनिया का सबसे बड़ा लिंग होता है"

"यदि वह विशालकाय लिंग रानी में प्रवेश कर जाए तो"

"तो बेचारी रानी के प्राण पखेरू उड़ जाएंगे"

"पर मेरी छाया तो जिम्नास्ट है उसकी रानी भी उसी की तरह लचकदार है वह पूरी दुनिया को उत्तेजित करती है तो यह नीग्रो किस खेत की मूली है"

छाया अपनी कमर और तेजी से हिलाने लगी मुझे लगता है इस तरह खुलकर उस नीग्रो के लं* की बातें सुनकर वह अत्यधिक उत्तेजित हो चली थी. उसका चेहरा वासना से लाल हो गया था. वह और बात करने की हालत में नहीं थी। वह लगातार अपने स्तनों को मेरे सीने से रगड़ते हुए मेरे होठों को चूम रही थी और अपनी कमर को अद्भुत गति से हिला रही थी। मैं उसके नितंबों को अपने हाथों से अपनी तरफ खींचा हुआ था तथा उसकी दासी को छू रहा था।

मेरी छाया अब स्खलित हो रही थी उसकी रानी की कंपकपाहट अद्भुत थी मैं उसके साथ साथ स्खलित होने लगा। मैंने अपनी छाया को वीर्य से भर दिया था। वह पसीने से लथपथ हो चुकी थी। मैं उसे जी भर कर प्यार कर रहा था उसके शांत होने के पश्चात मैंने उससे पूछा

"छाया क्या तुम उस नीग्रो लड़के का वीर्य दोहन कर सकती हो?" मैंने उत्तेजना में यह उचित या अनुचित बात कह दी.

"और यदि इस दौरान उसने मेरे से जबरदस्ती संभोग कर लिया तब मैं तो मर जाऊंगी" उसने मेरे सीने से अपना सर चिपकाते हुए कहा।

छाया के जवाब ने मेरी कल्पना को पंख दे दिए मैंने उसे सहलाते हुए कहा...

"वह रेस्टोरेंट् होटल से जुड़ा हुआ है उसकी इतनी हिम्मत नहीं होगी की वह यहां के अतिथियों से इस प्रकार का व्यवहार करें परंतु मुझे नहीं लगता कि तुम इतनी हिम्मत जुटा पाओगी कि उसके लं** के दर्शन कर पाओ और उसका वीर्य दोहन कर सको"

छाया मुस्कुराते हुए बोली

"और यदि कर दिया तो?"

मैंने कहा

"तुम जब भी कहोगी तुम्हारी एक बात बिना कहे मान लूंगा चाहे वह कुछ भी हो"

वह मुस्कुराते हुए बोली

"आपका हुकुम सर आंखों पर कल शाम तक उस काले नीग्रो का वीर्य मेरे हाथों में होगा मेरे आका" वो मुस्कुरा रही थी।

मैं भी मुस्कुराते हुए उसे चूम लिया और कल के दिन के बारे में सोचते हुए सो गया।

छाया अपने मिशन पर

अगली सुबह 9:00 बजे मुझे सेमिनार के लिए जाना था। मैंने छाया को उसके चैलेंज के लिए शुभकामनाएं दी और नीचे रिसेप्शन की ओर चल पड़ा जैसे ही मैं लॉबी में पहुंचा राधिका मेरे पास आ गई। वह भी सेमिनार में जाने के लिए तैयार थी। उसने मुझसे पूछा "अरे वह तुम्हारी जूनियर नहीं आई क्या?"