छाया के ख्वाब

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"ओके..ओके.. बट प्लीज डोंट टच मी" अपने दोनों कान पकड़ लिए वह मुझे यूं ही देख रहा था मैंने उससे फिर कहा

"क्या तुम इसे भी हटाना चाहते हो?"

मैंने अपनी बिकनी के दूसरे भाग की तरफ इशारा किया जिसने मेरे खूबसूरत स्तनों को थोड़ा बहुत ढक कर रखा था.."

वह बोला

"मैम, सो नाइस आफ यू"

मैंने अंततः बिकिनी का वह भाग भी हटा दिया और मैं पूरी तरह नग्न हो गयी. इस तरह स्टीवन के सामने नग्न होकर मैंने अपनी हिम्मत की नई मिसाल पेश की थी. पर स्टीवन को देखकर लगता नहीं था कि वह उग्र होकर मेरे साथ कोई जबर्दस्ती करेगा. स्टीवन बड़ी बड़ी आंखों से मेरी नग्नता का आनंद ले रहा था. मेरे हाथ में मेरी बिकिनी थी स्टीवन में हाथ बढ़ाकर वह बिकनी मुझसे ले ली और अपनी बरमूडा की जेब में डाल दिया.

हम दोनों वापस माइकल की तरफ आने लगे स्टीवन को यह उम्मीद नहीं थी कि मैं इस तरह माइकल की तरफ चल पड़ूँगी.

मैंने यह जान लिया था कि वह दोनों दोस्त एक ही थे रास्ते में मैंने स्टीवन से पूछा

"आर यू सेटिस्फाइड नाउ?"

"यस मैम, यू आर वेरी ब्यूटीफुल लाइक दिस आईलैंड. ऑल नेचुरल."

मेरे साथ चलने की वजह से वह मुझे ध्यान से नहीं देख पा रहा था. कुछ ही देर में हम माइकल के पास आ चुके थे मुझे नग्न देखकर माइकल की आंखें फटी रह गई थीं. एक बार फिर मैं वापस में चादर पर बैठ चुकी थी. मैंने स्वयं को वज्रासन में व्यवस्थित कर लिया था जिससे मेरी रानी के होंठ मेरी जांघों के बीच छूप गए थे पर मेरे दोनों नग्न स्तन उन दोनों विशालकाय पुरुषों को खुला निमंत्रण दे रहे थे.

उन्होंने मुझे फिर से एक बार रेड वाइन ऑफर की मैंने ग्लास ले लिया वह दोनों मेरी नग्नता का आनंद ले रहे थे. अचानक मैंने स्टीवन से कहा..

"मैं यहां पर पूर्णतया नग्न हूं और आप दोनों कपड़े पहने हुए यह उचित नहीं" वह दोनों मुस्कुराने लगे उन्होंने एक ही झटके में अपने बरमूडा को अपने शरीर से अलग कर दिया. मेरे सामने दो काले साए अपने विशालकाय लिंग जो अब पूरी तरह उत्तेजित अवस्था में थे के साथ खड़े थे.

मैं उन दोनों को देखकर अपने आप को एक दूसरी दुनिया में महसूस कर रही थी. कभी-कभी मुझे लगता कि जैसे मैं एक स्वप्नलोक में आ गयी हूँ जिसमें हम तीनों के अलावा कोई नहीं था.

मैं पूरी तरह नग्न थी और वह दोनों भी. उनके लिंग बेहद आकर्षक थे और पूरी तरह काले थे. लिंग का अगला भाग हल्का लाल था लिंग के ऊपर की चमड़ी स्वता ही पीछे हो गई थी. बड़े नींबू के आकार के उनके सुपारे अपने रंग को शरीर के रंग से अलग किए हुए थे. उनके अंडकोष छोटे ही थे परंतु उनमें गजब का तनाव था. दोनों की उम्र 20 -22 वर्ष के आसपास रही होगी ऐसे उत्तेजक और जवान नवयुवक मैंने आज तक नहीं देखे थे.

उनकी उत्तेजना और असीम काम शक्ति अद्भुत थी. मुझ जैसी कोमलंगी निश्चय ही इनके लिए नहीं बनी थी पर जिस तरह सफेद छोटा रसगुल्ला छोटे -बड़े सभी लोगों की प्यास बुझाता है मेरी सुंदरता इन दोनों के लिए एक उसी तरह थी.

उनके लिंग में आई उत्तेजना में निश्चय ही मेरा योगदान था. वह दोनों इस तरह मेरे सामने खड़े थे मुझे देखकर हंसी भी आ रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन मेरे सामने कर रहे थे. मैं उठ खड़ी हुई मैंने कहा

"आप दोनों बेहद सुंदर हैं और आपके राजकुमार भी"

मैं मुस्कुरा रही थी मैंने आगे बढ़कर कहा "क्या मैं इसे छू सकती हूं?"

वह दोनों खुश हो गए मैंने अपने दोनों हाथों से उन दोनों के लिंग को छुआ मेरी रूह कांप रही थी. मेरे सीने की धड़कन तेज थी. मेरे हाथ रखते ही उन दोनों लिंग ने उछल कर मेरा स्वागत किया.

मुझे लगता है लिंग का आकार मेरी कलाई से लेकर कोहनी तक था लिंग की मोटाई भी कमोबेश वैसी ही थी.

मैं उनके लिंग को छू रही थी ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसका पचीस प्रतिशत भाग ही हथेलियों में पकड़ पा रही थी. बाकी का भाग अभी भी खुला हुआ था. मैंने उनके लिंग को ऊपर से नीचे तक सहलाया. वह दोनों आनंद में अपनी आंखें ऊपर किये आकाश की तरफ देख रहे थे.

अद्भुत उत्तेजक माहौल में मेरी रानी भी अपना प्रेम रस अपने होठों तक ले आयी थी. अचानक स्टीवन की नजर उस पर पड़ गई वह मुस्कुराते हुए बोला

"मैम, आपको अच्छा लगा? मैंने कहा

"यस यू बोथ आर मैग्नीफिसेंट"

माइकल ने इस पर हिम्मत जुटाकर कहा "क्या हम आपको दोबारा छू सकते हैं?"

मैं भी अब पूरी तरह उत्तेजित हो चली थी मैं जिस उद्देश्य के लिए वीरान टापू पर आई थी वह पूरा होने वाला था. मैंने सर हिलाकर माइकल को अपनी सहमति दे दी जिसे स्टीवन ने भी देख लिया.

वह दोनों मेरी पीठ को सहलाना शुरू कर चुके थे मेरा हाथ अभी भी उन दोनों के लिंग को सहला रहा था. उत्तेजना बढ़ रही थी. कुछ ही देर में उन्होंने उनकी हथेलियां मेरे नितंबों तक आ गयीं. मैंने मना नहीं किया वह उन्हें प्यार से सहला रहे थे मैं चाहती थी कि वह उन्हें थोड़ा और तेजी से दबाए पर शायद वो इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे.

मैंने स्वयं उनके लिंग को और तेजी से सहलाया जिससे उन्हें अद्भुत उत्तेजना हुयी इस उत्तेजना में उन्होंने मेरे नितंबों को तेजी से पकड़ लिया. उनकी बड़ी-बड़ी हथेलियों मेरे नितंबों को पूरी तरह अपने आगोश में ले चुकीं थीं. उनकी उंगलियां मेरे नितंबों के बीच की दरार में कभी-कभी मेरी दासी को भी छू रहीं थी.

मुझे मन ही मन या ख्याल आ रहा था कि स्टीवन या माइकल कोई भी अपनी उंगली मेरी रानी के अंदर प्रवेश करा दे उनकी उंगलियां एक सामान्य किशोर के लिंग जितनी मोटी थी पर उन्होंने यह नहीं किया. मैं स्वयं आगे बढ़कर उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकती थी. यह उनकी उत्तेजना को और भड़का सकता था और संभव था कि वह संभोग के लिए मुझ पर दबाव बनाने लगते.

मुझे बहुत संभाल कर चलना था. अचानक मेरे दिमाग में एक ख्याल आया. वहां पास में एक पेड़ की ठूंठ पड़ी थी जिसका ऊपरी भाग समतल था. मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि मैं उस पर खड़ी हो जाओ तो मेरी रानी इनके लिंग के उचाई तक आ जाएगी.

मैं स्टीवन और माइकल के लिंग को पकड़े हुए उधर चल पड़ी. वह दोनों भी आज्ञाकारी बच्चों की तरह मेरे साथ साथ वहां तक आ गए. मैं लकड़ी के ठूंठ पर खड़ी हो गई और स्टीवन को अपने पीछे आने के लिए कहा.

स्टीवन मेरे पीछे आ चुका था. मैंने उसके लिंग को अपनी दोनों जांघों के बीच से निकालते हुए सामने ला दिया और स्वयं अपना भार स्टीवन के सीने पर दे दिया. मेरी पीठ उसके सीने से सटी हुई थी मेरे नितंब की जांघों उसे छू रहे थे उसका लिंग मेरी रानी से सटा हुआ सामने की तरफ मेरी हथेलियों में था.

मैं अपनी इच्छा से उसके लिंग को सहला रही थी. सुपारे पर हाथ फिराते समय उसका लिंग उछल जाता और मेरी रानी के होठों को थपथपा देता. उत्तेजना मुझ में पूरी तरह भर चुकी थी रानी का प्रेम रस उसके लिंग को भिगो रहा था.

चिपचिपा प्रेम रस उसके लिंग को सहलाने में मेरी मदद कर रहा था मेरी आंखें बंद हो रही थी. स्टीवन की मजबूत हथेली मेरे स्तनों को सहला रही थी माइकल भी अपनी हथेलियों से मेरे शरीर को स्पर्श कर रहा था. उसका ध्यान आते ही मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके लिंग को सहलाना शुरु कर दिया. कुछ ही देर में माइकल और स्टीवन ने अपनी स्थितियां बदल लीं।

मैंने माइकल को भी उसी तरह अपनी रानी के संपर्क में ला दिया था. मेरे लिए वह दोनों एक ही थे अद्भुत विशालकाय और एक मजबूत लिंग के स्वामी जिनका मुझे बीर्य दोहन करना था.

माइकल के हाथ मेरी जांघों पर रिंग रहे थे उसकी उंगलियां मेरी रानी के बिल्कुल करीब थी वह उन्हें छूने की हिम्मत तो नहीं जुटा पा रहा था पर मैं मन ही मन उसका इंतजार कर रही थी स्टीवन अपने दोनों हथेलियों से मेरे स्तनों को दबा रहा था उसके स्पर्श में अब उत्तेजना स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी कुछ ही देर में उन दोनों के लिंग में अद्भुत कठोरता महसूस होने लगी ऐसा लग रहा था मैं चाह कर भी उनके लिंग को नीचे की तरफ नहीं झुका पा रही थी.

मेरा ध्यान भटक रहा था मैं यहां उनका वीर्य दोहन करने आई थी और खुद स्खलन की कगार पर पहुंच गई थी

मैंने खुद को नियंत्रित किया और उस ठूंठ पर से उतर कर वापस रेत पर आ गई मैं घुटनों के बल बैठ चुकी थी उन दोनों के विशालकाय लिंग मेरे सामने थे मैं अपने छोटे-छोटे कोमल हाथों से उन्हें आगे पीछे कर रही थी मेरे हाथ दुखने लगे थे वह दोनों मेरे गालों को सहना रहे थे. वह दोनों आसमान की तरफ देख रहे थे।

अचानक स्टीवन और माइकल ने अपने हाथों को मेरी मदद के लिए ला दिया उनकी बड़ी-बड़ी हथेलियां उनके लिंग के अनुसार ही थी और उसके लिए सर्वथा उपयुक्त थी मैं अपनी कोमल हथेलियों से उनके सुपारे को मसलने लगी अचानक स्टीवन के लिंग से निकली वीर्य धारा मेरे गालों पर पड़ी। जब तक मैं अपने आप को संभाल पाती तब तक माइकल का स्खलन भी प्रारंभ हो गया।

मैं अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से ढकी हुई थी और वह दोनों अपने वीर्य की धार से मुझे भिगो रहे थे उनके मुख से एक अजीब सी बुदबुदाने गदगुदाने की आवाज आ रही थी जिसमें कभी-कभी मैम शब्द सुनाई पड़ रहा था मुझे पता था वह अपनी कल्पनाओं में मेरा योनि मर्दन कर रहे थे पर यह उनकी कल्पना थी किस पर उनका हक था.

मैंने उनकी उत्तेजना शांत होने का इंतजार किया वीर्य वर्षा रुक जाने के पश्चात मैंने चेहरे पर से अपने हाथ हटाए और उठ खड़ी हुयी. वीर्य की कुछ बूंदे मेरे स्तनों से होती हुई मेरी जांघों के जोड़ तक पहुंच चुकी थी जो मेरी योनि के होठों को स्पर्श कर रहीं थीं. मेरी रानी से रिसता हुआ प्रेम रस उन अनजान पुरुषों के वीर्य से मिल रहा था मैं स्खलित तो नहीं हुई थी पर मेरे विजय की उत्तेजना कामोत्तेजना से कम नहीं थी. मैं मानस भैया के पास जल्द से जल्द पहुंचना चाहती थी और उनसे अपनी विजय की सूचना देकर उनका प्यार और प्रोत्साहन चाहती थी।

वह दोनों संतुष्ट दिखाई पड़ रहे थे. स्टीवन और माइकल ने मेरे स्तनों पर लगे हुए वीर्य को अपनी हथेलियों से पोछना चाहा। जितना ही उन्होंने इसे पोछा उतना ही वह फैलता गया। वैसे मुझे इसकी आदत पड़ चुकी थी मानस भैया की यह पसंदीदा आदत थी.

माइकल और स्टीवन दोनों घुटनों के बल आकर मुझसे क्षमा मांग रहे थे

"मैम आई एम सॉरी वी कुड नॉट कंट्रोल"

मैंने उनके सर पर हाथ रख दिया और उनके बालों को सहला दिया मेरी इस क्रिया से उनकी आत्मग्लानि कम हुई और उन दोनों ने अपना चेहरा मेरी नग्न जांघों से सटा दिया उनके होठों से निकलने वाली गर्म सांसे मेरी रानी पर महसूस हुई।

"इट्स ओके, इट्स ओके नो प्रॉब्लम"

वह दोनों खुश हो गए काले चेहरों के पीछे से उनके सुंदर और सफेद दात स्पष्ट दिखाई पड़ने लगे।

माइकल भागकर तोलिया ले आया पर तब तक मेरे शरीर पर लगा हुआ वीर्य लगभग सूख चुका था। वीर्य की लकीरें मेरे पेट और स्तनों पर साफ दिखाई पड़ रही थीं। मैंने माइकल से तौलिया ले लिया और अपनी कमर के चारों तरफ लपेट लिया। मेरी नग्नता ने अपना कार्य कर लिया था हम तीनों रेत पर पड़ी हुई चादर की तरफ चल पड़े।

स्टीवन ने मेरी बिकनी अपनी बरमूडा से निकाली और बिकनी का निचला भाग अपने हाथों में पकड़ कर रेत पर पर बैठ गया जैसे वह मुझे इसे पहनाने में मदद करना चाह रहा था। मैंने तोलिया गिरा दिया और अपने पैरों को बारी-बारी से बिकनी के अंदर डाल दिया। स्टीवन की उंगलियां उसे खींचती हुई मेरी कमर तक ले आयी। इस दौरान मेरी जांघों पर एक बार फिर स्टीवन की हथेलियों का स्पर्श महसूस हुआ। एक पल के लिए मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे स्टीवन के अंगूठे ने मेरी रानी के मुकुट (भगनासा) को छू लिया था मैं सिहर गयी थी।

मेरा ध्यान अपनी रानी पर था तभी मैंने माइकल के हाथों को अपने स्तनों पर महसूस किया वह मुझे बिकनी का उपरी भाग पहना रहा था। उन दोनों का यह प्रेम देखकर मैं मन ही मन उनकी सौम्यता की कायल हो गई थी।

उन दोनों में अद्भुत समानता थी दोनों ही अपनी उत्तेजना को काबू में रखना जानते थे जो मुझे पुरुषों में सर्वाधिक प्रिय है। उन्होंने आज मेरी नग्नता का जी भर कर आनंद लिया था शायद यह उनसे ज्यादा मेरी जरूरत थी। मुझे भी आज उनके लिंग का जो दिव्य दर्शन प्राप्त हुआ था यह मेरे लिए यादगार था।

हम तीनों वापस अपने होटल की तरफ चल पड़े थे इस वीरान टापू पर इन दो पुरुषों का वीर्य स्खलन मेरे जीवन की अद्भुत रोमांचक घटना थी। मैं मानस भैया से मिलने के लिए बेकरार थी। मैं उनसे अपनी इस विषय पर निश्चय ही कोई अद्भुत उपहार चाहती थी।

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी और इस तरह सकुशल लौटने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी। स्टीवन और माइकल मेरे पसंदीदा हो चुके थे इन्होंने मुझे आज खुश कर दिया था। कुछ देर बाद होटल की खूबसूरत बिल्डिंग दिखाई देने लगी।

मेरी अधीरता बढ़ती जा रही थी शाम के 5:00 बज रहे थे काश मानस भैया वहां पर होते। बोट के किनारे लगते ही मैं बीच पर उतर गयी। अचानक मानस दिखाई पड़े मैं उनकी तरफ भागी ठीक उसी प्रकार से जिस तरह से जेल से छूटा हुआ कोई कैदी अपने परिवार जनों को देखकर दौड़ता है।

उन दोनों ने मेरे साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया था पर मानस भैया को देखकर मैं बिना उनका शुक्रिया अदा किये ही उनकी तरफ भाग गयी थी। कुछ ही देर में वह दोनों मेरी जालीदार टॉप को हाथों में लिए मेरे पास आये और बोले

"मैम यू हैव लेफ्ट योरटॉप"

मैंने मानस भैया से उन दोनों का परिचय कराया और कहा

"स्टीवन और माइकल इन दोनों लोगों ने मुझे एक खूबसूरत टापू दिखाया और कई सारे प्राकृतिक नजारे भी ये बहुत अच्छे हैं" वह दोनों मुस्कुरा रहे थे.

मानस ने उन्हें थैंक्यू कहा और वह दोनों रेस्टोरेंट की तरफ चल पड़े। मैं और मानस भैया एक बार फिर समंदर की लहरों के बीच में आ गए। मानस मेरी और प्रश्नवाचक निगाहों से देख रहे थे। पर मैं कुछ नहीं बोल रही थी। समुद्र के अंदर जाते हैं मानस भैया ने मेरे स्तनों को छुआ उन्हें अपने हाथ पर चिपचिपाहट का एहसास हुआ वाह तुरंत ही समझ गए।

उन्होंने स्वयं अपने वीर्य से जाने मुझे कितनी बार भिगोया था और नहाते समय उसे अपने ही हाथों से साफ किया था। वह बेहद खुश थे। उन्होंने मुझे समुद्र के बीच में ही चूम लिया।

समुद्र में अठखेलियां करके मैं तरोताजा हो गई थी मुझे पता था मानस भैया मेरे अद्भुत कार्य के लिए मुझे होटल ले जाकर एक सुखद अद्भुत संभोग देने के लिए तैयार थे। हम दोनों बेहद खुश थे।

(मैं मानस)

शाम को मैं और छाया एक बार फिर होटल के डायनिंग एरिया की तरफ बढ़ चले आज छाया काफी खुश थी। उसने अपने जीवन का सबसे अद्भुत कार्य किया था। एक सुकुमारी का एक निर्जन टापू पर दो दैत्याकार युवकों के साथ नग्न होकर घूमना और उनका वीर्य दोहन करना दुःसाहस भरा कार्य था। छाया एक वीरांगना की भांति दो सांडों का वीर्य दोहन कर लाई थी।

रास्ते में एक बार फिर राधिका मुझे मिली वह दोपहर के बाद से सेमिनार से गायब हो गई थी। आज उसके कमर में लचक वैसे ही थी जैसे कल मैंने कुछ युवतियों की कमर में देखी थी। मुझे इस लचक का राज अभी तक समझ में नहीं आ रहा था। मेरी जानने की बड़ी तीव्र इच्छा थी।

छाया की जाग्रत उत्तेजना

(मैं मानस)

खाना खाने के पश्चात मैं और छाया टहलते हुए होटल के शॉपिंग एरिया में आ गए थे

मैंने छाया के लिए कुछ उपहार खरीदे वही पास में एक मसाज सेंटर था। छाया अपने लिए कुछ छोटे-मोटे सामान खरीद रही थी तब तक मैं उस मसाज सेंटर में चला गया। यह मसाज सेंटर अद्भुत था मैंने रिसेप्शनिस्ट से वहां मिल रही सुविधाओं के बारे में जानना चाहा उसने मुझे ब्राउज़र दे दिया और कहा सर इसमें सभी प्रकार की सुविधाएं हैं आप अपनी इच्छा अनुसार जो सुविधा चाहिए वह पसंद कर सकते हैं। यह सारी बातें उसने धाराप्रवाह अंग्रेजी में समझायीं।

मैं ब्राउज़र लेकर वापस आ गया। छाया बहुत खुश थी मैं उसे एक लिंगरी शॉप में ले गया मैंने छाया के लिए कई सारे लिंगरी सेट खरीदें। वहां मिलने वाली ब्रा और पेंटी बहुत ही खूबसूरत थी। और उनमें एक अलग किस्म की कामुकता थी। छाया उसे देखकर शरमा रही थी। पता नहीं छाया में ऐसी कौन सी खासियत थी कि ऐसे अद्भुत कामुक कार्य करने के बाद भी वह उसी सादगी और सौम्यता से मेरी प्यारी बन जाती और छोटी-छोटी बातों पर उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता। उसने सीमा के लिए भी कई सारी ब्रा और पैन्टी ले लीं।

हम सब कुछ देर बाद होटल वापस आ चुके थे।

रात में मैं और छाया स्टीवन के बारे में बातें कर रहे थे छाया स्टीवन के लिंग के बारे में मुझसे खुलकर बात कर रही वह अपनी कोहनी से हाथ की कलाई को दिखाते हुए बोली मानस भैया उसका लिंग इतना बड़ा और एकदम काला था।

मैं उसकी बात सुनकर हंस रहा था छाया के कोमल हाथों मैं मैं उसके लिंग की कल्पना से ही अत्यंत उत्तेजित हो उठा। छाया मेरे ऊपर आ चुकी थी और अपनी कमर को धीरे धीरे हिला रही मैं उसके स्तनों को अपने सीने में सटाए हुए उसे चूम रहा था।

उसके कोमल नितंबों पर हाथ फेरते हुए मुझे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी। आज छाया ने जो किया था वह शाबाशी की हकदार थी मैं उसके नितंबों पर हल्के हाथों से थपथपा कर उसके अदम्य साहस की तारीफ कर रहा था और वह मेरी तरफ देख कर कामुकता भरी निगाहों से मुस्कुरा रही थी।

अचानक मैंने उससे कहा

"छाया यदि स्टीवन का काला लिंग तुम्हारी रानी में होता तो?"

वह मुस्कुराई और बोली

"यह रानी तब आपके किसी काम की नहीं रहती"

मैंने उसे फिर छेड़ा अरे यह छाया जिम्नास्ट की रानी है... उंगली और अंगूठे को एक जैसा ही पकड़ती है।.

मेरी इन उत्तेजक बातों से छाया की कमर तेजी से हिलने लगी थी ऐसा लग रहा था जैसे वह भी इस कल्पना से ही उत्तेजित हो रही थी। मैंने उससे फिर कहा

" एक बार कल्पना करो कि यह स्टीवन का काला लिंग है" वह शरमा गई उसमें मेरे गालों पर चिकोटी काटी उसकी कमर अभी भी तेजी से चल रही थी। उसने आंखें बंद कर ली अचानक मैंने उसकी कमर में अद्भुत तेजी दिखी चेहरा तमतमाता हुआ लाल हो चुका था।

मेरी छाया स्खलित हो रही थी मैने भी अपना योगदान देकर उसके स्खलन को और उत्तेजना प्रदान की और स्वयं बजी स्खलित हो गया। मैंने उसके चेहरे पर ऐसी उत्तेजना आज के पहले कभी नहीं देखी थी उसकी रानी ने आज जी भर कर प्रेम रस छोड़ा था मैं उसकी उत्तेजना से स्वयं विस्मित था। मेरे हाथ उसके नितंबों को सहला रहे थे और वह निढाल होकर मेरे सीने पर गिर चुकी थी।

मैंने मन ही मन सोच लिया था हो ना हो यह स्टीवन के लिंग की कल्पना मात्र का परिणाम था। हम दोनों संभोग के पश्चात मेरे द्वारा लाए गए मसाज पार्लर का ब्राउज़र पड़ने लगी मैंने छाया की तरफ एक बार फिर देखा और बोला चलो ना कल ट्राई करते हैं फिर यह मौका कहां मिलेगा वह शर्मा रही थी पर अंत में उसने मुझसे चिपकते हुए बोला ठीक है पर आप वही रहेंगे तभी और जरूरत पड़ने पर मेरी मदद करेंगे। मैं यह रिस्क अकेले नहीं ले पाऊंगी मैंने भी इस अद्भुत मिलन के लिए अपनी सहमति दे दी। मैं भी मन ही मन इस उत्तेजक संभोग को देखना चाहता था।

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। छाया भी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी छाया को कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।

छाया का दिव्य स्वप्न

(मैं छाया)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. मानस भैया ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। की हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी राजकुमार रानी के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसमें स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।

मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह ओह शांति.... शांति.....पुकार रहा था. मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सोमिल"

" क्या हुआ छाया?" मानस भैया उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी छाया के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा स्टीवन का"

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं स्टीवन के नाम से सिहर गयी थी.

हम दोनों एक बार फिर सोने का प्यार करने का मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी क्या सोमिल ने शांति से संभोग किया था?

सुबह सुबह मोबाइल पर सीमा दीदी का फोन आया हुआ था

"हां दीदी"

"क्या कर रही है मेरी प्यारी ननद"

"कुछ नहीं दीदी"

"अभी आपके फोन से ही उठी हूं"

"वाह रात्रि जागरण हो रहा है"

मैं मुस्कुराने लगी वह मुझे छेड़ रही थी.

"दीदी आपके नंदोई जी कहां हैं"

"अरे तुम्हारे मियां तो मुझे अकेला छोड़ कर रात में फ़ुर्र हो गए कह रहे थे कोई जरूरी काम है। अभी तक तो नहीं लौटे हैं।"

मैं फिर बेचैन हो गई कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरा सपना सच हो मैंने सीमा दीदी से बातें बंद की और सुनील को फोन लगा दिया

"हां छाया"

"मुझे आपकी याद आ रही थी"

"तुम तो मुझे छोड़कर समंदर की लहरों का मजा ले रही हो"

मुझे फोन पर किसी लड़की की धीमी आवाज सुनाई दे रही थी कौन है? कौन है?

"ओह छाया दीदी हैं " मैने कहा

"सीमा दीदी आपको याद कर रही हैं"

"हां मैं पहुंचने वाला हूं कुछ जरूरी काम से बाहर आ गया था"

"मेरी एक बार शांति से बात करवा दीजिए. वह आप के बगल में ही है"

(शांति किन्ही कारणों से सोमिल के करीब आ गयी थी और उनसे सम्भोग करना चाह रही थी। सोमिल के उसकी खुशी के लिए सिर्फ एक बार के लिए अपनी सहमति दे दी थी)

मैंने अपना दांव खेल लिया था

"शांति?"

"हां हां वही शांति जिसके साथ आज रात आपने संभोग सुख लिया है" वह अपनी चोरी पकड़े जाने से परेशान हो गए थे. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था ऐसी कौन सी दिव्य शक्ति थी जो साउथ अफ्रीका में मुझे उनके बारे में खबर दे रही थी जबकि शांति से उनका मिलन निश्चय ही गुपचुप तरीके से हुआ था.

उन्होंने शांति को फोन दे दिया

"दीदी मुझे माफ कर दीजिएगा. सोमिल सर ने सिर्फ और सिर्फ मेरी इच्छा का मान रखा है। आप जैसी दिव्य सुंदरी को छोड़कर सोमिल सर ने मेरी इच्छा पूरी की है। मैं आप दोनों की ऋणी हूं। आप सोमिल सर को गलत मत समझिएगा। उसने फोन वापस सोमिल को दे दिया।

"छाया उम्मीद है तो मुझे माफ कर दोगी"

"अगर यही गलती मैं करती तो?"

"छाया तुम प्रेम और कामुकता का पर्याय हो। मेरी तरफ से तुम हमेशा स्वतंत्र हो। मुझे पता है तुम कभी कोई गलत कार्य नहीं करोगी। तुम्हारे कामुक और उत्तेजना उक्त यौन कृत्य हमेशा सराहनीय होते हैं। आखिर तुम्हारी कामुकता ही हमारे जीवन की खुशियों का स्रोत है। तुमने मेरे, मानस और सीमा की जिंदगी में वह रंग भरें हैं जो हम अपनी कल्पना में ही सोचते थे। तुम अद्भुत हो और स्वविवेक से आनद ले सकती हो। वैसे भी तुम अपने मानस भैया के साथ हो उससे बड़ा तुम्हारा शुभचिंतक कोई नहीं हो सकता है" आखरी लाइन बोलते समय मुझे उनकी आवाज में हंसी का पुट महसूस हुआ।"