छाया के ख्वाब

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"ओह तो आप मुझे छेड़ रहे हैं"

"नहीं मेरी रानी, जाओ मजे करो और जल्दी वापस आओ तुम्हें बाहों में लेने के लिए मैं तड़पता हूं और तुम्हारा राजकुमार भी"

"ठीक है, जाइए सीमा दीदी इंतजार कर रही हैं जल्दी मिलते हैं बाय."

मैंने फोन कट कर दिया। नियति ने एक अद्भुत संयोग बनाकर मेरी आत्मग्लानि मिटा दी थी। मैं मानस भैया का इंतजार करने लगी और उनके द्वारा आयोजित मसाज की प्रतीक्षा करने लगी।

छाया की मसाज

"मैं मानस"

हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। छाया नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. छाया ने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने स्टीवन का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो छाया की और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।

वो स्टीवन था. छाया और मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। छाया अभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. स्टीवन को देखने के पश्चात छाया थोड़ी घबराई हुई लग रही थी. से सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।

मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए स्टीवन ही आया था जिसके साथ का आनंद छाया कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह छाया को ही निर्धारित करना था.

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और स्टीवन बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में स्टीवन एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. छाया उसे देखकर सिहर उठी. स्टीवन ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती. पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो छाया के पास आ गया छाया ने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. स्टीवन ने वह जार उठाया और छाया के बिस्तर पर आ गया. छाया की जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी छाया अब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

स्टीवन ने जार से मसाज आयल निकाला और छाया की पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ छाया की नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे गोरे पीठ पर कोई बड़ी काली छाया घूम रही हो. धीरे-धीरे उसके हाथ छाया की कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और छाया के कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर स्टीवन ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह छाया की गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

छाया भी स्टीवन के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. स्टीवन उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक स्टीवन में छाया के ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही स्टीवन अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब छाया की पूरी पीठ नंगी थी. स्टीवन की हथेलियाँ अब आसानी से छाया की नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां छाया के पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो छाया के उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में छाया के स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. स्टीवन ने अपने हाथों के कमाल से छाया को खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब छाया के कोमल जांघों की बारी थी। स्टीवन ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह छाया के पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से छाया के पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ छाया के नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने छाया की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय स्टीवन के चेहरे पर चमक आ जाती।

छाया के चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। छाया पूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर स्टीवन निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।

मेरी नजरें एक पल के लिए छाया से हटी दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा छाया की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

ऊपर से छाया पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. स्टीवन की बड़ी-बड़ी हथेलियां छाया के पैरों से शुरू होती और छाया की पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह छाया के दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह छाया की दासी को भी जरूर छू रहा होगा.

छाया के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने छाया को सीधा होने का इशारा किया छाया के सीधे होते हैं छाया ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी रानी को ढकना भूल गई. स्टीवन के सामने छाया की नग्न रानी अपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. रानी के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने स्टीवन की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने छाया के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा उसने छाया की रानी को नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से छाया के कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह काम कई बार जारी रखा. छाया शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था. पर कुछ ही देर में वह छाया के दोनों पैरों को आपस में सटाकर छाया के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोक रखा था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब छाया के घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन छाया पर नहीं था.

अब उसके हाथ छाया की जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने छाया के दोनों स्तनों को छू लिया. छाया की आंखें एक पल के लिए खुली अब वह डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने छाया के दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में छाया के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह छाया की नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर छाया की रानी को उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

छाया की रानी के दोनों होठों को छोड़कर उसने छाया के पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से छाया के शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी रानी अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी. अंततः स्टीवन ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह छाया के पैरों से उठकर छाया के सिर की तरफ आ गया वह छाया के सिर के एक तरफ बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह छाया की रानी के ठीक समीप आ गया. जब तक छाया कुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ छाया की रानी के होठों को छू रही थी. मैं स्टीवन की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ छाया की सुंदर रानी को पूरी तरह ढके हुए आगे पीछे हो रही थी. छाया ने अपने पैर सिकोड़ लिए थे तथा जांघों को फैला दिया था. छाया के चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी. स्टीवन की जीभ अब रानी के दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी रानी के काफी अंदर तक जा रही जा रही थी.

छाया की रजामंदी

(मैं छाया)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान स्टीवन को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चय ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. मानस मेरे बगल में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि में चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.

मानस भैया ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

स्टीवन जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले ल** को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय ल** को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था. वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज मानस मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. मैंने अपना मन बना लिया...

अचानक स्टीफन ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने ल** के पास लाया और उसे अपने ल** पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने ल** पर आगे पीछे किया. मैंने भी उसे महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा. मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. स्टीवन ने एक बार फिर मेरी रानी के होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी रानी के होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस ल** की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के ल** में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें मानस भैया से टकराई वह यह दृश्य देखकर मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई. कुछ ही देर में स्टीफन ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें मानस भैया मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए मानस भैया के पास आ गया. उसका लं*मेरे नितंबों पर गड रहा था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

मानस भैया के पास पहुंचने के बाद उसने सिर्फ एक बात बोली.

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब मानस भैया उसके साथ साथ खड़े हो गए. आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"छाया बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया।

स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. मानस भैया भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के ल** को अपनी रानी में प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

मानस भैया मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात मानस भैया ने अपने राजकुमार को अपनी प्यारी रानी के मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी रानी में उत्तेजना महसूस करते ही मानस भैया मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. स्टीवन यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद मानस भैया ने स्टीवन को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना ल** लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी रानी पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मानस भैया ने यह देख लिया और मुझे चुमते हुए मेरी रानी के पास चले गए.

अद्भुत संभोग

(मैं मानस)

छाया का चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की स्टीवन के ल** से छाया की रानी घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. छाया की रानी से मेरा राजकुमार अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से रानी को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि छाया की रानी का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी रानी को चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना ल** एक बार फिर रानी में प्रवेश कराने की कोशिश की.

मैं छाया की रानी को सहलाए जा रहा था। स्टीवन आश्चर्यचकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह छाया की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर स्टीवन का ल** छाया की रानी के मुख के अंदर था मुझे ऐसा लग रहा था अब वह उसमें प्रविष्ट हो सकता है। मैं एक बार फिर छाया के होठों को चूमने लगा। स्टीवन ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना ल** छाया की रानी के अंदर डाल दिया।

छाया बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाए पर छाया की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि छाया को जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने स्टीवन को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका ल** लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था छाया उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी। मैंने स्टीवन को पहले ही बता दिया था कि छाया को कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा छाया की आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा छाया ने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने स्टीवन को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा छाया के गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार छाया फिर चिहुँक उठी। छाया ने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर स्टीवन को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका ल** छाया की गहराई तक उतर चुका था। इसके आगे ल** का जा पाना नामुमकिन था। छाया अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।

मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में छाया का दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी रानी को देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी रानी के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी रानी में इतना काला ल** देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी ही छाया की रानी सुंदर थी यह काला ल** उतना ही विपरीत था। पर ल** की चमक और कड़ापन काबिले तारीफ था।

स्टीवन ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए छाया के दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया छाया के चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना ल** अंदर कर छाया की मुस्कान छीन ली। लं* के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती रानी से हो चली थी। छाया अब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं छाया के आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं को मिलते देख रहा था। स्टीवन लगातार छाया को चो**रहा था।

छाया की गोरी रानी के अंदर उसके काले लं* को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने स्टीवन को हटने का इशारा किया और स्वयं छाया की जांघों के बीच में आकर छाया की रानी के पसंदीदा राजकुमार को उसकी आगोश में देने लगा पर आज छाया की रानी मदहोश थी। वह अपने राजकुमार को छोड़ उस काले और मजबूत ल** की प्रतीक्षा में थी।

मेरा ल** अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। रानी उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं छाया को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।

स्टीवन ने अब छाया की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत छाया को अब जी भर कर चो* रहा था। छाया की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। स्टीवन में उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर स्टीवन ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी रानी को अपने ल** से चो*ता रहा। स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने छाया को उसके ल** से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी रानी से संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका ल** अभी भी उछल रहा था।

वह छाया को और चो**ना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। छाया धीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। स्टीफन अपना ल** अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में छाया मेरे ऊपर मासूम की तरह लेटी हुई थी। वह स्टीफन की अद्भुत चु**ई से थकी हुई लग रही थी.

नियम का पालन पुनः संभोग।

मसाज सेंटर के नियमानुसार स्टीवन को स्खलित किए बिना छाया की छुट्टी नहीं होनी थी। छाया को एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। स्टीवन अपना ल** हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह छाया को बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था।

छाया मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चय ही छाया की रानी स्टीवन को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा राजकुमार हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। छाया आराम करना चाह रही थी पर स्टीवन बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था जब वह उसके नितंबों को छूता छाया मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। देखते ही देखते स्टीवन में अपना ल** छाया की रानी में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

छाया मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसके दर्द को कुछ कम कर सकूं इस अवस्था में ही स्टीवन उसे चो*ना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से छाया बार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही स्टीवन अपना ल** बाहर निकलता छाया उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

स्टीवन लगातार उसे चो* रहा था कुछ ही देर में मैंने छाया को अलग कर दिया. छाया भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब और डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी।स्टीवन को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने छाया को अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।

स्टीवन के दोनों हाथ छाया के कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह छाया को अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका ल** छाया की रानी में धसता चला जा रहा था।

छाया की आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई छाया हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। स्टीवन की काली और मोटी हथेलियां छाया के बड़े स्तनों (जोकि स्टीवन के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से छाया एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी छाया की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। छाया के चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। स्टीवन का लं* छाया की चू** के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार छाया की चु*ई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर छाया अब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में छाया को मैंने कांपते हुए महसूस किया। स्टीवन भी अपने ल** को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दिया छाया पेट के बल गिर पड़ी। छाया ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह स्टीवन को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। स्टीवन के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह छाया को भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने छाया को लगभग नहला दिया था। छाया की जांघो और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था स्टीवन ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर छाया के स्तन सहलाये। स्टीफन का दूसरा हाथ उसके ल** से वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।