छाया के ख्वाब

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स्टीवन के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज छाया के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे छाया से मिला था उसने उसके मन में भी छाया के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।

स्खलन के पश्चात छाया को सिर से पैर तक चूमने के बाद स्टीवन ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "

जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल छाया के साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद छाया मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह छाया के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

स्टीवन अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने छाया की तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई. मैं उसकी रानी को देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने छाया की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं छाया को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो छाया बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी रानी के दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।

एक पल के लिए मुझे लगा जैसे छाया की रानी अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। छाया की चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और छाया दोनों को स्पष्ट था.

शाम को छाया को चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. छाया ने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और छाया एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और छाया के लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

(मैं मानस)

स्टीवन द्वारा दी गई क्रीम से छाया की रानी रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे राजकुमार को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे छाया को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। राजकुमार को उसकी रानी अपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और छाया के चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी छाया अद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।

अगले दिन हमारे कमरे के सामने एक सुंदर उपहार रखा हुआ था वह स्टीवन ने ही भेजा था। मेरे फेसबुक पर भी उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आ गई थी मैंने उससे अपना दोस्त बना लिया सच में वह भी छाया का कायल हो गया था।

छाया की झोली में तीसरा रत्न आ चुका था।

वापसी

( मैं मानस)

हमारा यह अद्भुत हनीमून समाप्त हो चुका था मैं और छाया वापस एयरपोर्ट के रास्ते पर थे। छाया पूरी तरह थकी हुई थी वह गाड़ी में बैठते ही सो गई। मैं केपटाउन शहर को पीछे छूटते हुए देख रहा था। हमारी अद्भुत यात्रा ने छाया के मन मस्तिष्क में एक अमिट छाप छोड़ी थी। राधिका से मिलन और उसमें पनप चुकी कामुकता ने मेरे और उसके मिलन की संभावनाएं बढ़ा दी थीं।

मुझे इस होटल में आई हुई औरतों के कमर में आई हुई लचक का राज भी मालूम चल गया था। मैं राधिका के बारे में सोच रहा था वह भी निश्चय ही कल इस अद्भुत आनंद को प्राप्त कर चुकी थी। मैं यह जानकर आश्चर्यचकित था कि उसमें भी कामवासना अब प्रबल हो चुकी थी. जिस सुंदरी के नाम से मैंने इतना वीर्य दान किया था और अपनी युवावस्था की कल्पनाओं में उसके साथ तरह-तरह के आसनों में संभोग किया था वह युवती आज यहां अद्भुत आनंद को प्राप्त कर रही थी। उससे संभोग करने का मेरा भी स्वभाविक हक था। मुझे नियति पर पूरा भरोसा था और भगवान द्वारा दी गई अपनी कामुकता पर भी। राधिका एक बार फिर मेरे विचारों में आ रही थी.

बैंगलुरु आगमन

(मैं छाया)

हम बेंगलुरु पहुंच चुके थे. इस यात्रा में हमारे कई सारे ख्वाब पूरे हुए थे. मैंने कभी जो कल्पना अपने मन में की थी उसे भी मानस भैया ने पहचान लिया था। मुझे नहीं पता वो मेरी अंतरात्मा की आवाज को कैसे पहचान जाते थे। ऐसा लगता था भगवान ने हम दोनों को एक दूसरे के लिए ही बनाया था पर इस समाज ने एक झूठे रिश्ते की आड़ में हमारे प्यार को दरकिनार कर दिया था ।

स्टीवन के साथ संभोग को मैं मन ही मन तैयार थी पर सिर्फ मानस भैया की वजह से हिम्मत जुटा पाई थी। उनकी उपस्थिति ने मेरी हिम्मत बढ़ा दी थी। मेरे मन के किसी कोने में उठी मेरी मनोकामना पूरी हो गई थी।

मानस भैया लगातार मुझे देख रहे थे शायद वह भी यही बात सोच रहे थे। मैंने उनसे कहा

"क्या हम लोग यह बात सीमा दीदी और सोमिल से बताएंगे"

वह कुछ देर सोचते रहे उन्होंने कहा

"छाया हम और तुम एक हैं और पिछले कई वर्षों से एक साथ हैं. तुम कहो तो हम यह बात उनसे साझा ना करें."

मैं भी यही चाहती थी. मानस भैया सचमुच मुझे पूरी तरह समझते थे।

सीमा बालकनी में खड़ी हमारी प्रतीक्षा कर रही थी।

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