छाया के ख्वाब

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मैंने हंसते हुए कहा

"वह मेरी जूनियर नहीं है"

राधिका ने फिर सवाल किया

"पर वो तुम्हारी पत्नी भी नहीं है मैंने तुम्हारी सारी फोटो फेसबुक में देखी थीं"

"इसका मतलब तुम मुझे फेसबुक पर देखती रहती हो।" वह शरमा गई

"नहीं, ऐसे ही, एक दिन पुराने दोस्तों को देख रही थी"

तुम अकेले आई हो नहीं मेरे पति भी आए हुए हैं वह होटल में ही है शाम को मिलाऊंगी। हम दोनों सेमिनार स्थल की तरफ चल पड़े थे। मुझे यह जानकर खुशी हो रही थी कि मेरी पुरानी नायिका ने मेरी फोटो फेसबुक पर ध्यान से देखी थी। निश्चय ही उसके मन में मेरे प्रति कभी ना कभी कुछ ना कुछ प्यार या आत्मीयता अवश्य होगी वह उसे क्यों व्यक्त नहीं कर पाई यह तो वही जाने पर मैं इतना भी बुरा नहीं था। हम दोनों हंसते हुए सेमिनार हॉल की तरफ बढ़ रहे थे

(मैं छाया)

मानस भैया के होटल से जाने के बाद मुझे अपने चैलेंज को पूरा करने के लिए तैयार होना था. मुझे सीमा दीदी की बातें याद आ रही थीं । उन्होंने मुझसे कहा था छाया यदि संभव हो तो वहां जाकर किसी नीग्रो का लिंग देखना। हम सभी ने उसे टीवी पर तो देखा है पर क्या हकीकत में वह वैसा ही होता है?

तुम्हें मानस के साथ साउथ अफ्रीका जाने का मौका मिल रहा है हो सकता है तुम्हे यह अवसर मिले तुम इस अवसर को अपने हाथ से जाने मत देना। जीवन में कामुकता का अतिरेक अमिट छाप छोड़ता है यह हमारे जीवन की अनोखी याद होती है. वैसे भी हमारे प्रेमी और पति हमारी इच्छाओं का मान दिल खोल कर रखते हैं.

मैं सीमा दीदी की इन बातों को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह मन बना चुकी थी। मैं भगवान द्वारा बनाई गई अद्भुत कलाकृति थी और वह अद्भुत विशालकाय नीग्रो भी. मुझे भगवान ने सुंदर शरीर के अलावा सोचने समझने की अद्भुत शक्ति भी दी थी. मुझे उनके द्वारा बनाई गई हर कलाकृति को देखने और भोगने का अधिकार था.

मानस भैया ने जो दलील मुझे दी थी मैं उससे भी आश्वस्त थी कि वह नीग्रो मेरे साथ जबरदस्ती नहीं करेगा। आखिर मैं भी तो उसका वीर्य दोहन ही करने वाली ही थी। मैंने छाया दीदी द्वारा दी हुई दूसरी बिकिनी को पहना।

यह बिकिनी बेहद खूबसूरत थी यह सुर्ख लाल रंग की रेशम की बनी हुई थी। मैं इस बिकिनी को पहन कर जब आईने के सामने गई तो मैंने अपनी सुंदरता और इस मदमस्त यौवन के लिए भगवान को एक बार फिर शुक्रिया कहा। उन्होंने मुझे धरती पर शायद इसीलिए भेजा था कि मैं अपनी कामुकता की पूर्ति कर सकूं। मैंने बिकनी के ऊपर एक काली जालीदार टॉप पहन ली। यह टॉप मेरे शरीर की बनावट को और भी अच्छी तरह से उजागर कर रही थी। ढकी हुई नग्नता ज्यादा उत्तेजक होती है. टॉप मेरे नितंबों तक आ रही थी पर उसे ढकने में नाकाम हो रही थी.

मैं सज धज कर उस नीग्रो से मिलने चल पड़ी। बीच पर अकेले जाते समय मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था पर मेरा उद्देश्य निर्धारित था। कुछ ही देर में मैं उस रेस्टोरेंट के सामने बीच पर पहुंच गई मैंने अपनी जालीदार टॉप को रेत पर रख दिया और समुंद्र की लहरों का आनंद लेने चल पड़ी। मैं बार-बार होटल की तरफ ही देख रही थी। मेरे मन में इच्छा थी कि वह लड़का मुझे देख कर बीच पर आए।

सुबह का वक्त था रेस्टोरेंट में बियर पीने वालों की कमी थी। कुछ ही देर में मैंने उस लड़के को बीच पर टहलते हुए देखा। वह बार-बार मुझे देख रहा था। उसके मन में निश्चय ही सोच रहा होगा कि आज मैं अकेली क्यों हूं? मैं कुछ देर अठखेलियां करने के बाद समुन्द्र से बाहर आई. वह मेरी जालीदार नाइटी के ठीक बगल में खड़ा था. वह लगभग 7 फुट ऊँचा हट्टा कट्टा जवान था। चौड़ा सीना पुस्ट जाँघे पतली कमर और जाँघों की जोड़ पर आया उभार उसकी मर्दानगी को प्रदर्शित करता था एक ही कमी थी उसका चेहरा और रंग।

मैं उसके पास आ चुकी थी। जैसे ही मैं अपनी टॉप को उठाने के लिए झुकी मेरे नितंब उसकी आंखों के ठीक सामने आ गए. मैं यह जान गयी थी कि वह मुझे घूर रहा है। मेरा रास्ता आसान हो रहा था। मैं उसके रेस्टोरेंट की तरफ चल पड़ी। वह भी मुझे पीछे से देखते हुए रेस्टोरेंट की तरफ आने लगा।

मैं अभी भी इस बात से घबराई थी कि यदि कहीं उत्तेजना वश उसने मुझ पर संभोग के लिए दबाव बनाया मैं उसे किस प्रकार ठुकरा पाऊंगी उस नीग्रो से संभोग करना मेरे बस का नहीं था। मैं कोमलंगी और सामान्य युवती थी। मुझ में उत्तेजना तो बहुत थी पर उसके विशालकाय लिंग को अपनी रानी में समाहित करने की क्षमता मुझ में नहीं थी। वैसे भी मैं मानस और सोमिल से पूरी तरह संतुष्ट थी। मुझे सिर्फ उत्तेजना और कामुकता में ही आनंद आता था। किसी अन्य पुरुष से संभोग की मेरी कोई इच्छा नहीं थी पर जिस चैलेंज को मैंने स्वीकार कर लिया था उसे पूरा करना ही था।

मैं रेस्टोरेंट् में एक किनारे की टेबल पर जाकर बैठ गई। मेरा चेहरा रिसेप्शन की तरफ था। अचानक उस लड़के को मैंने अपनी तरफ आते देखा उसने एक सुंदर टी-शर्ट और बरमूडा पहना हुआ था। वह आने के बाद मुझसे बोला (वह मुझसे अंग्रेजी में ही बात कर रहा था पर मैं पाठकों की सुविधा के लिए उसे हिंदी में व्यक्त कर रही हूँ)

मैम आप क्या लेना पसंद करेंगी?

मैं उससे इस तरह अचानक बात करने में घबरा रही थी। मैंने जल्दी बाजी में बोल दिया

रेड वाइन

मैम आप यहां की फेवरेट डिश ट्राई कीजिए

ठीक है ले आइए

कुछ ही देर में वह समुद्री मछली से बनी हुई एक डिश और रेड वाइन लेकर आ गया। मैं अभी भी अपनी कामुक अदाओं के साथ टेबल पर बैठी हुई थी। जैसे ही वह मेरा ऑर्डर रखकर जाने को हुआ मैंने उससे कहा

यहां पास में कोई आईलैंड नहीं है क्या?

एक आईलैंड है तो पर वह यहां से थोड़ा दूर है वहां सिर्फ प्राइवेट बोट से जाया जा सकता है.

ओके थैंक यू

मैम, यदि आप वहां जाना चाहती हैं तो मैं आपको ले जा सकता हूं। आप मेरी प्राइवेट बोट पर वहां जा सकती हैं।

आपका नाम क्या है।

मैम स्टीवन। उसने अपना आईकार्ड भी दिखाया।

ठीक है।

वो खुश हो गया। उसने अपने साथी को इशारा किया और कुछ देर किसी से फोन पर बातें की। अपनी वाइन खत्म करने के बाद मैं उसकी बोट में सवार होकर आइलैंड के लिए निकल रही थी। स्टीवन ने आवश्यक सामान बोट में रख लिया था।

छाया की द्वीप यात्रा

स्टीवन का दोस्त भी उसी की तरह हट्टा कट्टा था। वो बोट चला रहा था। जैसे- जैसे वोट बीच से दूर हो रही थी मेरी धड़कन तेज हो रही थी। मैं आज दो अपरिचित हट्टे कट्टे मर्दो के साथ एक अपरिचित आईलैंड पर जा रही थी। मेरे साथ वहां क्या होने वाला था यह तो वक्त ही बताता पर मैं उत्तेजित थी। मुझे परिस्थितियों और भगवान पर भरोसा था।

स्टीवन मेरे पास आकर मुझसे बातें कर रहा था। वह मुझे उस आईलैंड के बारे में बता रहा था। उसकी बातों से मुझे मालूम हुआ कि वह आईलैंड खूबसूरत तो था और वहां अन्य लोगों का आना जाना नहीं था। वह अभी पर्यटन के हिसाब से विकसित नहीं हुआ था। मेरा डर एक बार के लिए और बढ़ गया। उस सुनसान आईलैंड पर इन दो मर्दों के साथ अकेले घूमना और अपने उद्देश्य की पूर्ति करना यह एक अजीब कार्य था।

मैं निर्विकार भाव से होने वाली घटनाओं की प्रतीक्षा कर रही थी। कुछ ही देर में वह टापू दिखाई देने लगा। मैं उस टापू की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध थी। वहां पहुंचने से कुछ ही देर पहले समुंद्र में कई सारी छोटी-छोटी मछलियां तैरती हुई दिखाई दी। स्टीवन ने मुझे बताया कि यह मछलियां किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाती बल्कि जब यह आपके शरीर से टकराती हैं तो आपको अद्भुत आनंद देती हैं। उसने मुझसे कहा आप चाहे तो पानी में उतर कर इसका आनंद ले सकती हैं।

उसने मुझसे यह भी पूछा कि आपको स्विमिंग आती है? मैंने हां में सर हिला दिया. मैं मछलियों की सुंदरता देखकर पानी में उतरने को तैयार हो गई. मैंने स्टीवन को भी पानी में आने को कहा. मुझे अकेले डर लग रहा था. मेरी जालीदार टॉप को एक बार फिर बाहर आ गयी।

मैंने उस टॉप को वही वोट पर रखा और स्टीवन के साथ पानी में कूद गयी। बोट चला रहा दूसरा युवक कुछ देर के लिए मेरी नग्नता का आनंद ले पाया। मैं और स्टीवन पानी में थे मछलियां बार-बार मेरी जाँघों और स्तनों से टकराती और अलग किस्म की उत्तेजना देती। कई बार वह मेरे कमर को पूरी तरह से घेर लेती थीं । कई बार स्टीवन अपने हाथों से उन मछलियों को मेरे शरीर से हटाया। स्टीवन के हाथ अपने पेट और नितंबों पर लगते ही मेरी उत्तेजना बढ़ गई। उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां मेरे नितंबों पर इस तरह लगती जैसे मानस भैया के हाथ मेरे स्तनों पर लगते थे।

मैंने स्टीवन कहां

"इट्स ओके, आई एम इंज्योयिंग"

सचमुच उन छोटी मछलियों का स्पर्श मुझे रोमांचक लग रहा था वह अपने छोटे-छोटे होठों से मेरी जाँघों और पेट को छू रही थीं। मुझे गुदगुदी हो रही थी और साथ ही साथ उत्तेजना भी।

कुछ मछलियां तो जैसे शैतानी करने के मूड में थी। वह बार-बार मेरी दोनों जांघों के बीच घुसने का प्रयास कर रही थीं। अपने होठों से वह मेरी त्वचा को कभी चुमतीं तथा तथा कभी चूसतीं। वो कभी इधर हिलती कभी उधर मुझे सचमुच उत्तेजना महसूस होने लगी।

ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति ने भी मुझे छेड़ने के लिए इन सुकुमार मछलियों को भेज दिया था। वो मेरी रानी को भी चूमने की कोशिश कर रहीं थीं। मेरी रानी ने बिकनी की चादर ओढ़ रखी थी वह मन ही मन मैदान में उतरने को तैयार थी उसे सिर्फ मेरे सहयोग के प्रतीक्षा थी वह चाह कर भी अपनी चादर हटा पाने में असमर्थ थी।

मेरा पूरा शरीर मछलियों के चुंबन का आनंद ले रहा था मैंने अपनी रानी को दुखी नहीं किया। मैंने अपने दोनों हाथ नीचे किये और अपनी बिकनी को खींचकर अपनी जांघो तक कर दिया।

पानी की ठंडी ठंडी धर मेरी रानी के होठों को छूने लगी।

कुछ मछलियां मेरे पेट और स्तनों के आसपास भी थी मैं गर्दन तक पानी में डूबी हुई थी सिर्फ और सिर्फ मेरा सर बाहर था मैंने अपने सर का आधा हिस्सा भी पानी के अंदर कर कर दिया जिससे मुझे अपने हाथ और पैर कम चलाने पर रहे थे। वैसे भी समुद्र का उत्प्लावन बल स्विमिंग पूल से ज्यादा था।

छोटी छोटी मछलीयां मेरी दोनों जांघों के बीच से बार-बार निकलती वह रानी के होठों को चुमतीं। रानी भी अब खुश हो गई थी ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह मछलियों के लिए अपना प्रेम रस उत्सर्जित कर रही थी रानी का यह प्रेम रस मछलियों को कुछ ज्यादा ही पसंद आ गया था वह उसके होठों से प्रेम रस पीने को आतुर दिख रही थीं।

कुछ ही देर में मेरी रानी के होठों पर मछलियों का जमावड़ा लगने लगा मैंने अपनी दोनों जाँघें सटा दीं। मछलियां तितर-बितर हो गई मेरे होठों पर मुस्कान आ गयी । जिसे देखकर स्टीवन ने कहा

"मैम आर यू इंजॉयिंग"

"यस दीस फिशेस आर मैग्नीफिसेंट" मेरे इतना कहते-कहते छोटी-छोटी मछलियों ने मेरी जांघों के जोड़ पर जमावड़ा लगा लिया वह मेरी दोनों जांघों को फैलाने का असफल प्रयास कर रही थी मैंने अपना दिल बड़ा करते हुए अपनी जांघों को फैला दिया एक बार फिर मेरी रानी का प्रेम रस उन्हें तृप्त कर रहा था वह उत्तेजित होकर रानी के दोनों होठों के बीच से प्रेम रस लूटने के प्रयास में थी मेरी उत्तेजना चरम पर थी जी करता था कि मैं अपने स्तनों पर से भी वह आवरण हटा दूं जो मेरी बिकनी के ऊपरी भाग ने उन्हें दिया हुआ था वह भी इस अद्भुत सुख की प्रतीक्षा में थे परंतु मैं यह हिम्मत नहीं जुटा पाई स्टीवन बगल में ही था समुंद्र के स्वच्छ जल में मेरे स्तन स्पष्ट दिखाई दे जाते।

मेरी रानी पर मछलियों का आक्रमण तेजी से हो रहा मेरी रानी मचल रही थी वह मुझ से मदद की गुहार मांग रही थी पर मैंने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया मैं उसे इस गलत होते हुए देखना चाहती आखिर इस उत्तेजना के लिए वह स्वयं आगे आई थी मछलियां दोनों होठों के बीच घुसने का प्रयास कर रही थी पर उनमें इतनी ताकत नहीं थी आज भी मानस भैया को रानी के मुख में राजकुमार को प्रवेश कराने में कुछ ताकत तो अवश्य लगानी पड़ती थी यह छोटी और प्यारी मछलियों के बस का नहीं था

इसी दौरान मछलियों ने मेरी दासी को भी घेर लिया जैसे ही मैं अपने घुटने थोड़ा ऊपर करती मेरी दासी उनकी जद में आ जाती और मेरे घुटने नीचे करते ही वह दासी से दूर भाग जातीं। मेरे नितंबों का दबाव झेल पाना उनके लिए कठिन हो जाता। मुझे अब इस खेल में मजा आने लगा था चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मैं आकाश को देख रही थी और प्रकृति की यह अद्भुत रचनाएं मेरी उत्तेजना को एक नया आयाम दे रहीं थीं।

जब मछलियां मेरी रानी के दोनों होंठो के बीच घुसने का प्रयास कर रही थीं। तभी कुछ मछलियों में मेरी भग्नासा को अपना निशाना बना लिया। उसका विशेष आकार उन्हें अपना आहार जैसा महसूस हुआ। वह तेजी से उसे चूस चूस कर खाने का प्रयास करने लगीं।

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था मैंने अपने हाथों से उन्हें हटाने का प्रयास किया पर मेरे हाथ कमर तक पहुंचकर ही रुक गए। मुझे वह उत्तेजना अद्भुत महसूस हो रही थी। मैंने अपनी रानी को सिकोड़ कर उसके होठों को करीब लाने की कोशिश की। मछलियां कुछ देर के लिए वहां से हटीं पर आकुंचन के हटते ही वह दोबारा उसके होठों पर आ गयीं। ( आज यही क्रिया कीगल क्रिया के नाम से जानी जाती है )

मैं यह अद्भुत खेल ज्यादा देर नहीं खेल पाई मेरी रानी स्खलित होने लगी. वह मछलियों के इस अद्भुत प्रेम से हार चुकी थी. उसके होंठ फैल चुके थे मछलियां जी भर कर प्रेम रस पी रही थी. मेरा मुंह खुला हुआ था आंखें आकाश की तरफ देखती हुई अद्भुत प्रकृति को धन्यवाद अर्पित कर रही थीं।

मछलियां स्टीवन के कमर के आसपास भी इकट्ठा थी। वह उसके लिंग को भी टकराकर उत्तेजित कर रही थी। उसके लिंग का उभार धीरे-धीरे बढ़ रहा था।

स्खलन पूर्ण होते ही मेरे हाथ स्स्वतः नीचे चले गए। बिकनी के ऊपर आते ही सभी मछलियां मेरी रानी को छोड़ खुशी खुशी अगल बगल मंडराने लगी। मछलियों ने और मेरी रानी ने एक दूसरे की तमन्ना पूरी कर दी थी। स्टीवन भी मुझे देखते देखते आनंदित हो चला था। तभी समुद्र की एक तेज लहर आयी।

स्टीवन मुझे सहारा दे रहा था। अचानक आयी इस लहर ने हम दोनों को असंतुलित कर दिया। मैं पूरी तरह उसके आलिंगन में आ गई। मुझे सहारा देने के लिए उसने मुझे अपने आप से चिपका लिया। एक पल के लिए मुझे लगा जैसे किसी काले साए ने मुझे अपने आगोश में ले लिया। स्टीवन की हथेलियां मेरी पीठ और नितंबों पर थी वह उनसे मुझे सहारा दिए हुए था। उसके विशालकाय लिंग का एहसास मुझे अपने पेट पर हो रहा था। वह मुझसे कद काठी में काफी बड़ा था और मैं सामान्य कद काठी की। स्टीवन ने अपने हाथ वापस पानी में डालें ताकि वह हम दोनों को पानी के ऊपर तैरता रख सके। उसके अचानक मेरी पीठ पर से हाथ हटाने से मैं पानी में नीचे जाने लगी मेरे हाथ उसके लिंग से टकराए और मैंने अपनी सारी हिम्मत जुटा कर उसे पकड़ लिया वह एक खूंटे की भांति मजबूत था।

मैं उस का सहारा लेकर ऊपर आई पर इस दौरान मैंने उसके लिंग का अंदाज लगा लिया। इस छोटी सी घटना ने स्टीवन के मन में भी उम्मीद जगा दी होगी। वह बेहद खुश दिखाई दे रहा था। हम दोनों की अठखेलियां कुछ देर यूं ही चली। मैंने इस दौरान उसके लिंग को कई बार छुआ। जितना ही मैं उसे छूती उसके आकार में उतनी ही वृद्धि होती।

मैंने मुस्कुराते हुए स्टीवन से वापस वोट पर चलने को कहा मैं अब थक चुकी थी। उसने मुझे मेरे पैरों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया। उसके वोट पर जाने वाली सीढ़ी थोड़ी ऊंची थी। स्टीवन के दोनों हाथ मेरी जांघों के निचले हिस्से पर थे तथा उसका चेहरा मेरे पेट से टकरा रहा था। उसके मोटे मोटे होंठ मेरी रानी के बिल्कुल समीप थे। मुझे अपने गांव का वह दिन याद आ गया जब मानस भैया ने मुझे मेरी युवावस्था में ऊपर से सामान निकालने के लिए उठाया था। उस दिन मैंने पहली बार मानस भैया के लिंग को देखा और संतुष्ट किया था। भगवान ने आज वही स्थिति स्टीवन के साथ ला दी थी।

यद्यपि मैं जानती थी कि मेरा और स्टीवन का मेल असंभव है हम दोनों एक दूसरे के लिए नहीं बने थे। वह अलग था और मैं अलग। मैंने बोट की सीडी पकड़ ली और धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगी। वह भी पीछे पीछे ऊपर आ गया बरमूडा के अंदर उसका लिंग अभी भी स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। वो उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था परंतु उसकी मर्दानगी छुपने लायक नहीं थी।

हम दोनों वोट पर आ चुके थे मेरी नग्नता का दर्शन अब वोट पर बैठा दूसरा आदमी भी कर रहा था। मैंने अपनी जालीदार नाइटी पहनने की कोशिश नहीं की। स्टीवन ने वोट से लाकर एक साफ और सुंदर तोलिया मुझे अपना शरीर पोछने के लिए दिया। वह पूरी व्यवस्था करके आया था। थोड़ा आराम करते हुए मैं बीच आईलैंड के आने का इंतजार कर रहे थे।

तभी मैंने देखा वह दूसरा आदमी रेड वाइन की बोतल और गिलास लिए हुए हमारे पास आ गया उसने भी बड़े आदर से मुझे कहा "मैम यू आर सो ब्यूटीफुल आर यू इन बॉलीवुड?"

मैं उसकी बात से बहुत खुश हो गई.

स्टीवन ने कहा

"ही इज माय फ्रेंड माइकल"

मैंने रेड वाइन की बोतल ले ली और अपने हाथों से उसे तीन गिलासों में डाल दिया.

माइकल मेरे हाथों से रेड वाइन का ग्लास पकड़ते हुए बहुत खुश था। मेरे लिए स्टीवन और माइकल दोनों से ही उतना ही खतरा था। यदि वह अपनी दरिंदगी पर आते तो मेरी दुर्गति करने के लिए एक ही काफी था। पर अभी तक मुझे उनके व्यवहार से सिर्फ और सिर्फ सौम्यता नजर आ रही थी। उनमें उत्तेजना तो अवश्य थी पर उन्होंने उसे नियंत्रित किया हुआ था।

यही बात मुझे सर्वाधिक पसंद है। मुझे लगता है की स्त्रियों को ही कामुकता की कमान संभालनी चाहिए और पुरुषों को उनकी इच्छा अनुसार ही सहवास करना चाहिए.

रेड वाइन पीते हुए मैं समुंद्र की ओर देखते हुए यह बातें सोच रही थी और वह दोनों मेरी नग्नता का जी भर कर आनंद ले रहे थे। रेड वाइन का ग्लास खत्म हो चुका था और मैं हलके सुरूर में आ चुकी थी।

माइकल भागकर बोट की ड्राइविंग सीट पर गया हमारी बोट आइलैंड के बिल्कुल समीप आ चुकी थी. मैं और स्टीवन उतरकर किनारे पर आ गए माइकल ने भी वोट को किनारे पर बांध दिया और वोट पर से आवश्यक सामग्री लेकर हमारे साथ आईलैंड को देखने निकल पड़ा.

हम तीनों आईलैंड की खूबसूरती का आनंद लेते हुए अंदर की तरफ चल पड़े ऊपर वाले ने आईलैंड बेहद खूबसूरती से बनाया था वहां पूरी तरह हरियाली थी अलग प्रकार के पेड़ थे और छोटी-छोटी पहाड़िया थीं. अद्भुत दृश्य था मैं प्रकृति के द्वारा बनाई खूबसूरत धूप का आनंद ले रही थी. प्रकृति के दो अनमोल नगीने मेरे साथ में थे मैं मन ही मन सोच रही थी की प्रकृति किस किस तरह के और किस-किस तरह के प्राणी बनाती है निश्चय हैं उसकी इन खूबसूरत कलाकृतियों में कोई न कोई बात रहती है जिससे हम सभी का आकर्षण बना रहता है

मैं आईलैंड पर आकर अपने आप को खुशकिस्मत महसूस कर रही थी काश मानस मेरे साथ होते कुछ ही देर में हम थक चुके थे. दोपहर के लगभग 1:00 बज रहे होंगे.

मुझे भूख लग आई थी मैंने स्टीवन से कहा वह बोला

"यस मैम आई हैव समथिंग फॉर यू"

माइकल और स्टीवन ने अपने साथ लाए सामान से एक चादर निकाली. हमने वही चादर बिछाकर खाना खाया स्टीवन और माइकल ने आईलैंड पर आने की पूरी तैयारी की थी चादर निकालते समय मैंने बैग में कंडोम के पैकेट भी देखें एक बार के लिए मेरी रूह कांप गई.

ऐसा लगा जैसे इसी चादर पर मेरा योनि मर्दन होने वाला था पर वह पैकेट बैग के अंदर ही रहा. मेरे मन का डर स्टीवन और माइकल की सौम्यता ने दबा रखा था.

कुछ ही देर में हम तीनों खाना खा रहे थे मैंने थोड़ा सा ही खाना खाया क्योंकि वह समुद्री फूड था अंत में माइकल ने एक सुंदर स्वीट डिश निकाली यह कॉन्टिनेंटल डिश थी जो मुझे बेहद पसंद थी. मैंने उसे खाया और मैं तृप्त हो गई.

मैं अभी भी अपनी बिकनी में ही थी वह दोनों मेरी नग्नता के आदि हो चुके थे. मैं भी अपने आप को सहज महसूस कर रही थी.

मेरा पेट भर चुका था सुनहरी धूप में बैठे बैठे मुझे नींद आने लगी . स्टीवन ने हवा से फूलने वाला तकिया निकाला और अपने बड़े-बड़े फेफड़ों से तीन-चार फूक में ही उसे फुला दिया और मुझसे कहा

"मैम, यू कैन टेक रेस्ट"

मेरा इतना आदर और सत्कार उन दोनों द्वारा किया जा रहा था जो एक तरफ मुझे उत्तेजित भी कर रहा था और दूसरी तरफ मेरे मन में डर भी था. फिर भी मैं वह तकिया लेकर करवट लेकर सो गयी. उसी दौरान स्टीवन के एक बात कही

" मैम, इफ यू डोंट माइंड वी कैन गिव यू रिलैक्सिंग फुट मसाज"

मैं वास्तव में थकी हुई थी और मेरे कोमल पैर दर्द भी कर रहे थे. मुझे अंततः स्टीवन का वीर्य दोहन करना ही था मैंने उसे अनुमति दे दी. कुछ ही देर में स्टीवन मेरे पैरों को दबा रहा था उसकी हथेलियां मेरे पैरों को घुटनों तक दबा रही थी वह उसके ऊपर नहीं आ रहा था शायद उसे अपनी मर्यादा मालूम थी. माइकल ने भी मेरे हाथों को दबाना शुरू किया था.

उन दोनों के इस तरह मसाज करने से मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था मुझे पता था उन दोनों को भी मेरे कोमल शरीर को छूने में निश्चय ही आनंद आ रहा होगा. मैंने अपनी पलकें खोल दीं. उन दोनों के ही लिंग पूरी तरह तने हुए थे मैंने मन ही मन यह सोच लिया था यदि संभव हुआ तो मैं दोनों का ही वीर्य दोहन करूंगी.

मैं उनकी मसाज का आनंद लेते हुए कुछ देर के लिए सो गयी. जब मैं उठी तो मैंने देखा स्टीवन और माइकल वही लेटे हुए मेरे उठने का इंतजार कर रहे थे. मेरे उठते ही दोनों चैतन्य हो गए उन्होंने मुझसे कहा

"मैम, आर यू कंफर्टेबल नाउ"

मैंने मुस्कुराकर हां में सर हिलाया. मेरी अंगड़ाई से मेरे स्तनों का उभार एक बार और उनकी निगाहों में आ चुका था. मैंने उन दोनों को ढेर सारा थैंक्यू बोला खासकर उनके उस रिलैक्सिंग मसाज के लिए. अब मुझे अपने असली उद्देश्य को पूरा करना था.

मैंने स्टीवन से कहा

"आई वांट टू गो वॉशरूम"

वह दोनों हंसने लगे स्टीवन ने कहा (

"मैम, यह प्राकृतिक द्वीप है आपको यहां यह कार्य प्राकृतिक तरीके से ही करना होगा हां आप हमसे दूर जाकर किसी पेड़ का सहारा ले सकती हैं."

हम बीच की जिस जगह पर थे वहां से हरियाली कुछ दूर थी मेरी वहां अकेले जाने की हिम्मत नहीं थी. मैंने स्टीवन को कहा अपने साथ चलने के लिए कहा वह मेरे साथ चल पड़ा.

मैं रास्ते में अपने अगले स्टेप के बारे में सोच रही थी स्टीवन थोड़ा दूर खड़ा था और मैं बाथरूम करने के लिए झाड़ी की ओट का सहारा लेकर नीचे बैठ चुकी थी इस मूत्र विसर्जन में अद्भुत आनंद आ रहा था. बहती हुई हवा मेरी रानी को सहला रही थी मेरी रानी भीगी हुई थी जिस पर या ठंडी हवा एक अद्भुत सुख दे रही थी. मैं कई वर्षों बाद इस तरह नग्न होकर बाहर खुले में मूत्र विसर्जन कर रही थी.

मैंने मूत्र को काफी देर से रोका हुआ था। एक बार जब मूत्र विसर्जन शुरू हुआ उसकी धार अद्भुत रूप से तेज थी। वह लगभग मेरे शरीर से एक हाथ दूर गिर रही थी। वहीं पास में कुछ छोटे कीड़े मकोड़े चल रहे थे मेरे न चाहते हुए भी वह उससे भीगते हुए तितर-बितर हो रहे थे। मुझे भी अब उन्हें भीगोने में मजा आने लगा था। मैं अपनी कमर को ऊपर नीचे कर अपनी मूत्र की धार से उन पर निशाना लगाती। मेरी इस प्रक्रिया में मेरे कोमल नितंब कभी ऊपर उठते कभी नीचे। अचानक मुझे ध्यान आया स्टीवन पीछे ही खड़ा है। वह क्या सोच रहा होगा? मैं शर्म के मारे लाल हो गयी अपनी मैंम का यह रूप उसने शायद सोचा भी नहीं होगा। पर जो गलती होनी थी वह हो चुकी थी।

मैंने यह अनुभव अपनी युवावस्था में कभी महसूस नहीं किया था. . जब मैं उठ कर खड़ी हुई तभी मैंने निर्णय लिया कि यदि अभी नहीं तो कभी नहीं.मैंने अपनी लाल बिकिनी अपने हाथ में ली. मैं उसी अवस्था में बाहर आ गयी. स्टीवन मुझे इस तरह नग्न देखकर आश्चर्यचकित था.

वाह अपनी बड़ी बड़ी आंखें फाड़े मुझे देख रहा था वह मेरे बिल्कुल करीब आ चुका था. मुझे ऐसा लग रहा था कि वह कभी भी अपने सब्र का बांध तोड़ कर मुझे अपनी आगोश में भर लेगा. मेरा डर एक बार फिर उफान पर था. मैं झुक कर अपनी बिकनी दोबारा पहनने लगी. स्टीवन ने घुटनों के बल बैठ कर मुझसे कहा

"मैम, इफ यू डोंट माइंड प्लीज बी लाइक दिस. आई हैव नेवर सीन सच ए ब्यूटीफुल लेडी इन माई लाइफ. वी विल नॉट टच यू. यू आर द मोस्ट ब्यूटीफुल वूमेन आई हैव एवर सीन"

तारीफ हर सुंदरी को पसंद आती है मैं भी इससे अछूती नहीं थी. मैं उसकी इस अदा की कायल हो गयी. मैंने कहा