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Click hereपिंटू की राजरानी मामी लंबी चौड़ी, गोरी, भरपूर स्त्री थीं। ठसकेदार। उभरी हुई छातियां, उभरा गोरा पेट जिसपर साड़ी नीचे खिसकती जाती थी, और बाहर को उभरे हुए भारी भरकम गोल चूतड़। चाल भी मस्तानी थी, धीरे धीर रोआब से चलने वाली बड़ी औरत की। बहुत सुन्दर तो नहीं कहलाता उनका चेहरा लेकिन कुल मिला कर पैकेज बड़ा आकर्षक था। वह जहां हों उनकी मौजूदगी का अहसास अपने आप सबको होता रहता था।
पिंटू ने एक बार अपनी मां को रिश्ते की किसी औरत से यह कहते सुन लिया था कि राजरानी तो बड़ी गरम औरत है। मेरा भाई तो बड़ा सीधा साधा है, दिन रात मेहनत करता है घर पर यह उसका दम निकाल लेती है। पर इसकी गरमी ठंडी नहीं होती। तब से मामीजी को देखने की उसकी निगाह बदल गई थी।उसी साल 18 का हुआ था। हर बार की तरह कानपुर से जब गरमियों की छुट्टी में मामा के घर अमृतसर गया तो हर समय चोरी चोरी उनको देखता रहता था।
मामा बुढ़ा रहे थे। ज्यादातर काम पर बाहर रहते थे। गरम मामी प्यासी रहती थी। २२-२३ साल का एक जवान बेटा था घर में। बहुत बिगड़ा हुआ, शराबी। सुबह से रात तक बाहर दोस्तों के साथ आवारागर्दी करता था। घर छोटा था। मामी, बेटा कमरे में सोते थे, मामा देर से आते, दालान में सो जाते। बीवी की चुदाई की मांगों से भी बच जाते।
पिंटू को भी मामी ने कमरे में सोने को कहा। रात सब लेटे तो बीच में मामी अगल बगल बेटा और पिंटू। मामी ने ब्रा उतार कर गर्मी में ब्लाउज के दो बटन खोल दिए थे। बेटा नशे में धुत सो गया था। नीचे सिर्फ पेटीकोट था। चड्ढी भी उतार दी थी। पिंटू को इतनी पास इतनी मस्त, सेक्सी औरत और अपने सपनों की मामी को देख कर नशा चढ़ रहा था। मामी का उभरा पेट, झांकती छातियां, घुटनों तक उठा पेटीकोट सब मादक थे। सोच कर, हिम्मत करके बोला- मामी, मुझे मम्मी के पेट पर हाथ रख कर सोने की आदत है।...
तो मेरे पेट पर रख ले बेटा, मम्मी जैसे ही। आ जा।
मामी के कहते ही पिंटू ने उसकी तरफ मुंह करके हाथ उनके पेट पर रख दिया और सोने का नाटक करने लगा। मामी धीरे धीरे नींद में जाने लगीं। थोड़ी देर में जब उसे लगा कि वो सो गईं हैं तो धीरे धीरे मुलायम पेट पर हाथ चलाने लगा। हल्के से नाभी तक गया, अंगुली डाल कर घुमाने लगा। मजा नया था, उस पर हावी होने लगा। पिंटू की उम्र भले ही 18 से कुछ महीने ज्यादा हो गई थी पर वह सीधा था ज्यादा चालाक नहीं। चाहता था किसी तरह छातियां छू ले, देखे, सहलाए पर हिम्मत नहीं पड़ रही थी। पर एक बार हाथ बहक कर मामी की छातियों को थोडा कस के छू गया तो मामी की नींद कुछ टूटी। पहले लगा गलती से लडके का हाथ छू गया होगा। पर जब बार बार हाथ पेट सहलाता, छातियों का निचला हिस्सा छूने लगा तो समझ गई भांजा उस तरह से छू रहा है। पहले तो गुस्से में हाथ झटकने का ख्याल आया पर तभी लगा छू लेने दे न राजरानी, जवान हो गया है लड़का, और अच्छा भी लग रहा है। ज्यादा बढ़ेगा तो रोक दूंगी।
पर पिंटू का छूना बढ़ता गया, मामी ने नहीं रोका। उसे लगा मामी गहरी नींद में हैं तो हिम्मत कर के खुले बटनों से छलकती छातियों को सहला दिया। मामी सिहर गई। पर रोका नहीं भांजे को। सोचा, देखती हूं कहां तक जाता है। पिंटू का हाथ ब्लाउज के भीतर रेंग गया। निप्पल तक पहुंच कर पिंटू सहम गया, सांस रोके मामी की प्रतिक्रिया देखने लगा। वह न हिली तो धीरे धीरे ब्लाउज के सारे बटन खोल कर छातियां नंगी कर दीं। फिर भी मामी सोती रही तो पिंटू ने कचकचा कर पूरी छाती पकड लगी, रोक न सका। भूल गया कि साथ मामी का बेटा भी सो रहा है, उसे पता चल गया तो साला गुंडा मार मार के भुरकस बना देगा।
पर अब तक मामीजी भी सालों बाद मिले इस मजे में इतना डूब चुकी थी कि उसने अपनी चूची पकड़े भांजे के हाथ पर अपना हाथ रख कर दबा दिया और सिसकती हुई बोली- आह क्या कर रहा है पिंटू...
घबरा कर पिंटू ने हाथ खींचा पर उस पर मामी की पक़ड और कडी हो गई। फुसफुसा कर बोली- मामी के दुद्धू क्यों पकड़ रखे हैं बेटा...
सकपकाया पिंटू फुसफुसाया- मामी वो वो ...हाथ चला गया गलती से
मम्मी के दुद्धू पकड़ कर सोता है क्या...कोई बात नहीं पकड़ ले पर कस के मत दबाना...दर्द होता है..
पिंटू को यकीन नहीं हुआ कि मामी ने छातियां पकड़ने की छूट दे दी है। पर मामी के हाथ ने अपनी छाती पर उसके हाथ को दबा रखा था, तो उसने हिम्मत करके कस के जकड़ ली चूची और बोला- हां मामी, ऐसे ही सोता हूं..
कोई बात नहीं बेटा, पकड के ही सो जा, छोटे बच्चे ऐसे ही सोते हैं हालांकि तू तो बड़ा हो गया है..
फिर हंस कर बोली- दुद्धू पकड़ता ही है न पीता तो नहीं अभी तक...पकड़ तो ऐसे रखा है जैसे मुंह लगा ही देगा अभी...
पिंटू समझ गया मामी नाराज नहीं हैं, छूट ही दे रही हैं तो मजाक को बढ़ाते हुए बोला- मामी मन तो बहुत कर रहा है..मारोगी तो नहीं...
मामी ने तो कमाल किया, पिंटू की तरफ करवट ले ली और चूचियों को उसके मुंह से लगा के बोली- ले मन कर रहा है इतना तो पी भी ले...
पिंटू को तो स्वर्ग मिल गया। लपक कर दोनों हाथों में भारी चूचियां भर लीं और एक निप्पल मुंह में। हूं हूं करते हुए पागलों की तरह चूसने लगा अपनी जिन्दगी की पहली औरत की नंगी चूची।
मामी भी पूरी तरह तैयार हो गई थी भांजे से मजे लेने के लिए। फुसफुसाई- ले पी ले बेटा, पूरा पी ले...अपनी मम्मी के दुद्धू समझ कर पी ले...और उसने पिंटू को अपनी मोटी बाहों में दबोच लिया। ...पर रुक ब्लाउज उतार दूं, फट न जाए...यह कह कर मामीजी ने झटके से ब्लाउज उतार दिया, ऊपर से पूरी नंगी हो गई और भांजे का मुंह अपनी छातियों में कस कर कैद कर लिया।
अब तक पिंटूजी की नुन्नी बंबू हो गई थी। मामी की जांघों पर टकरा, रगड़ रही थी। मामी ने महसूस कर लिया, समझ गई। और झट से उसे नेकर के ऊपर से पकड़ कर कहा- ए, ये क्या है...क्या कर रहा है तू...
मामी ईईईईईईई...पता नहीं मुझे क्या हो गया है यह अपने आप हो गया है...
साले अपनी मामी को छूकर खड़ी हो गई तेरी नुन्नी...पर यह तो अच्छा खासा बड़ा लग रहा है..ला देखूं...
यह कह कर राजरानी ने अपने बेटे से छोटे भांजे की नेकर झटके से खींच कर उसके सात इंची लंड को मुट्ठी में भर लिया, फिर अचरज से फुसफुसाई- अरे इतना बड़ा...तेरी नुन्नी तो लंड बन गई है बेटा...आह...और मामी सालों बाद हाथ में कड़क लंड पा कर होश खो बैठी...हाय कितना अच्छा है कितना बड़ा, कितना कड़ा है...हाय पिंटू...कहती कस कस के मुठियाने लगी मामी और पिंटू को बेतहाशा चूमने लगी।
लाइन खुली मिली तो पिंटू भी मामी की भारी भरकम चूचियों को कस कस के मसलता कभी उनके होठों कभी चूचियों, निप्पलों को चूसता चूमता चिपट गया उनसे।
तभी मामी फुसफुसाई- निक्कर उतार दे और ऊपर खिसक...
पिंटू जल्दी से निकर उतार ऊपर हुआ तो मामी ने लंड मुंह में भर लिया। पिंटू किसी दूसरी दुनिया में चला गया। उसने इसकी तो कल्पना भी नहीं की थी।
हाय मामी हाय मामी, कितना अच्छा है...मामी तब तक गले तक लंड को गटक कर वहशियों की तरह बुरी तरह चुदासी हो चुकी थी, चूस चूस कर लगता था खा ही जाएगी...
दो मिनट में ही पिंटू झड़ने लगा भलभला कर। मामीईईईईई...मामी ने लंड नहीं छोडा।
पंद्रह मिनट मामी-भांजा चुदाई के बाद की हल्की बेहोशी में चुप लेटे रहे, एक दूसरे के बदन को सहलाते रहे। मामी की नंगी चूचियों, नंगे चिकने पेट और जांघों को सहलाते सहलाते पिंटू का लंड फिर खड़ा होने लगा। उसके हाथ मामी के ढीले पेटीकोट के अंदर झाँटों के जंगल में घूमने लगे थे। मामी की चुदास तो पहले ही भड़की हुई थी। फुसफुसा कर बोली...ऐ की कर रया हैं तूं पिंटू? मामी दी फुद्दी वी चाइदी ऐ कि तैंनूं?
पिंटू मगन हो कर बोला, हां मामीजी मैं तुहाड्डी फुद्दी वी मारनी है।
मेरी फुद्दी मारेंगा तूं?...चल मार ला मामी दी फुद्दी, बड़े दिनां ते सुक्खी पई ऐ...तेरा लंड तां मामी दी फुद्दी वास्ते बड़ा चंगा ऐ पिंटू...
मामी मैं तेरी बुंड वी मारनी ऐ...
ऐं, बुंड मारेगा सालया...मैं तां तेरे मामे नूं वी नईं मारन दई...पर तूं बड़ा मज़ा दित्ता ई चल तैंनूं बुंड वी दे देआंगी...मेरे नाल ओस रंडी बिमला दी वी मार लईं...बडे गोल गोल घुमा के फिरदी है हरामजादी...
हां मामी ओनांदी वी मारांगा, त्वाड्डे सामने ई...हाय किन्ने सोने, किन्ने वड्डे वड्डे ने तुहाड्डे चुत्तड...किन्ने गोल ते मुलायम...गद्दे वरगे...
चल गल्लां बाद च बनाईं पैल्लां मैंनू मख्खन ल्यान दे। सुक्की मारेंगा तां बुंड फट जाऊगी मेरी। तेरा है वी तां एन्ना वड्डा...चल रसोई च ई चल ओत्थे ही कर लांगे, आवाज नईं होएगी
मामी भांजा रसोई में चले गए। ऊपर से नंगी मामी ने फ्रिज से मक्खन की कटोरी निकाली और पिंटू से कहा- लै ए मक्खन मेरी बुंड च लगा पैल्लां, ओनू चिकनी कर दे। पिंटू ने लपक कर एक उंगली में मक्खन लगाया। मामी ने अपने आप काउंटर पर झुक कर अपना पेटीकोट ऊपर कर के अपने हलब्बी चूतड़ों को नंगा किया, दोनों हाथ से चूतड़ों को खींचा और गनगनाए स्वर में बोली- चल कंजरे हुन लगा मक्खन अपनी मामी दी बुंड विच, आज पैल्ली बार तेरी मामी बुंड मरान जा रही है। पिंटू ने पहले तो मामी की गांड़ को खूब पुच पुच कर चूमा- चाटा फिर मक्खन छेद में अंगुली के साथ घुसा दिया। एक बार फिर डााला। गांड बहुत कसी हुई थी, अंगुली धीरे धीरे जा रही थी। मामी सिसकी- हौली हौली उंगली कर एदे विच...हां ऐस तरह...आह...चंगा है...होर लगा पुत्त...भांजे ने तीसरी बार मक्खन गांड़ में भर दिया और अब चिकनी हो चुकी गांड़ में कस कस के उंगली अंदर बाहर करने लगा। मामी सिसक रही थी...हुन दूसरी उंगली वी पा दे अन्दर...पिंटू समझ गया। झट से दो अंगुलियां घुसा कर कस कस के घुसाने निकालने लगा।
मामी अब पूरी तरह तैयार थी, सिसक कर बोली- पिंटू हुन जल्दी नाल अपना लंड कर दे अन्दर। पिंटू इंतजार ही कर रहा था। झट अपना फनफनाया लंड मामी की गांड़ के छेद पर लगा कर जोर लगाया तो मोटा सुपाड़ा घुस गया मुट्ठी की तरह कसी गांड में। मामी कराही कस के- आ आ आ..ओए सालया फाड़ दयेंगा की...रुक जा। राजरानी की गांड में पहली बार मर्द का लंड गया था, सांस रुक गई। पर दर्द में चुदाई का नशा भी था। आज उसने तय कर लिया था कि अब जो भी हो जाए वह सब कुछ करेगी जो अब तक भीतर दबा बैठा था। जब थोड़ी ठीक हुई तो बोली- चल पिंटू हुन कर दे अन्दर हौली हौली...। और पिंटू बड़ी मुश्किल से झटके से लंड पूरा घुसा देने की इच्छा को रोके था, धीरे धीरे जोर लगाते 2 मिनट में पूरा 7 इंची अपनी अधेड़ मामी की गांड में घुसा कर ही रुका।
मामी हांफने लगीं थीं। पहली बार गांड़ खुली थी और वह भी इतनी मोटे तगड़े लंड से। परपरा रही थी। लग रहा था फट जाएगी। दर्द हो रहा था पर मीठा मीठा...वह बढ़ कर जब मजा बन गया पूरा तो बोली- चल पुत्त हुन मार मामी दी बुंड कस के...फाड़ दे आज ओदी कुंवारी बुंड...आह किन्ना मजा आ रया है...बिलकुल नया मज़ा...शाबाश पुत्त आज तूं मामी नूं नई दुनिया दिखा दित्ती...आह ...हां एद्दां ही...हाय मैंनू पैल्लां पता हुंदा तां ऐन्ने साल जाया न करदी...हुन मैं तेरी आं...सारी कसर निकाल देवांगी...चल मार सालया...होर कस के...फाड़ दे साली नूं...
पिंटू अब पूरा जोर लगा कर हचक हचक की मामी की गांड़ मार रहा था। इतनी कसी गांड़ में जब लंड घुसता था तो ऐसा गजब का मज़ा आता था, लगता था लंड बाहर नहीं निकल पाएगा। और फिर वह भक से घुसेड़ देता। दो मिनट बाद ही वह झड़ने लगा...मामी जी मैं झड़ रया हां झड़ रया हां...हां हां बेटा झड़ जा...बुंड दे अंदर ही पा दे अपनी सारी मलाई...आआआआ...किन्ना सारा फेदा कडया है तूं...
दोनों वहीं खड़े खड़े हांफने लगे...तीन चार मिनट ऐसे ही सांस लेते रहे लंबी फिर पिंटू ने लंड मामी की गांड़ से निकाल लिया...मुरझाया लंड फेदा टपका रहा था। मामी घूम कर नीचे बैठी, फिर बहुत प्यार से अपने प्यारे भांजे के लंड को हाथ में ले लिया जिसने आज उसे यह नया मजा दिया था...हाय किन्ना प्यारा लग रया है तेरा लंड...आ देख तेरी मलाई मिल गई है मक्खन दे नाल...ल्या मैं ऐनू चखना ऐ...और राजरानी ने भांजे के लसलसे लंड को जो उसकी गांड़ से निकला था...गांड के माल से भी लिथड़ा हुआ था अपने मुंह में ले लिया...इस अजीब नए स्वाद को भी चुदासी मामी शौक से चाटती रही जब तक लंड उसकी लार से चमचमाने नहीं लगा।
अब तक मामी की चूत चुदासी होकर फुफकार रही थी। इतनी सालों बाद की चुदाई ने मामी की पुरानी चुदास को भड़का कर आग बना दिया था। भांजे से बोली, पुत्त हुन मेरी फुद्दी वी मार दे। ल्या मैं तेरा लंड फेर खड़ा कर दिन्नी आं चूस के। फिर मामी ने पिंटू के लंड को हर तरफ से चाट कर, चूस कर प्यार से खड़ा कर दिया। इस बीच पिंटू मामी की लटकती लौकी जैसी चूचियों को दबाता, मसलता मज़े ले रहा था। फिर एक एक करके दोनों को निप्पल मुंह में डाल कर चूसता रहा। अब उसका मन भी मामी की चूत देखने, चोदने का कर रहा था। उसने कहा, मामीजी मैंने अपनी फुद्दी दिखा दओ। मामी वहीं फरश पर लेट गई, टांगे फैला दीं, अपने हाथों से अपनी बड़ी चूत को फैला कर बोली, आ जा पुत्त, देख लै अपनी मामी दी फुद्दी। पिंटू काली झांटों के बीच झांकती चूत को देख कर मस्त हो गया। झुक कर उसने पास से जो देखा तो उससे निकलती आदिम खुशबू से गनगना गया। मामी बोली, बेटा ऐनूं प्यार कर जरा। यह कह कर मामी ने भांजे का मुंह अपनी काली बुर पर दबा दिया। पिंटू की नाक चूत में घुस गई। उसने जीभ निकाल कर बुर को टटोला तो मजा आया। बस उसे रास्ता मिल गया। लंबी जीभ निकाल कर नीचे से ऊपर तक मामी की चूत को पागलों की तरह चाटने लगा। कुत्ते की तरह। मामी गनगना गई। उसका सिर चूत पर कस कर दबा कर बोली हां बेटा एद्दां ही मेरी फुद्दी चाट दे सारी, अंतर तक। पी जा सारा पानी एदा। एनू चौड़ा करके अंदर तक जीभ डाल के चाट, हां हां एहोई घुंडी नू चूस लै..हा..हाय...होर कस के...हां होर अंदर तक। पाँच मिनट की चूत चटाई के बाद मामी हाँफने लगी, और आवाज रोकने के चक्कर में घूं घूं करके भलाभल झड़ने लगी भांजे के मुंह में। इतने साल का जमा चूत का पानी बारिश के झरने की तरह निकला और पिंटू के मुंह में चला गया। बेचारा सब पी गया। पीने के बाद उसका स्वाद उसे अच्छा लगा। फिर तो जीभ गड़ा गड़ा कर चाट चाट कर एक एक बूंद मामी की बुर के रस की पी गया पिंटू।
झड़ने के दो-तीन मिनट तक तो मामी सन्नाटे में रही फिर एकाएक चूत की प्यास भड़की और भांजे के बाल पकड़ कर उसको अपनी टांगों के बीच से उठाया और दबे स्वर में दाँत पीस कर बोली, सालया हुन फौरन अपना लंड मेरी फुद्दी विच पा के कस के चोद मैंनूं नहीं ते मेरी जान निकल जाएगी। पेल दे अपने बंबू नूं मेरी बुर विच...हाय मैंनु तूं पागल कर दित्ता है। पिंटू ने झट से अपना कड़क लंड मामी के भोसड़े में पेल दिया और हचक हचक के पूरी ताकत लगा कर ठोकने लगा मामी की चूत को। मामी हाय पिंटू हाय पिंटू करने लगी। हां बेटा, होर जोर न, हां हां...फाड़ दे इस हरामी बुर नूं ...बौत तरसी है...पिंटू ने इतनी बेरहमी से पिस्टन की तरह चोदा मामी को कि वह दोनों एक साथ झड़ने लगे।
मामी बोली, मैं जा रही हां पिंटू, हाय मैं गई...मेरी हो गई...मैं झड़ गई, भर दे मेरी फुद्दी नूं अपने फेदे नाल...हां...किन्ना गरम गरम माल गिर रया है तेरा...
थोड़ी देर पिंटू यूं ही नंगी मामी के ऊपर नंगा लेटा रहा, दोनों की सांस जब लौटी तो मामी बोली, चल हुन सो जांदे आं...कल जद राजू काम ते चला जाएगा फेर तेरी मामी चंगी तरह चुदवाएगी तेरे तों...कल उस हरामिन मेरी रंडी सहेली बिमला नूं वी बुला लयांगी। दो दो औरतां नूं चोदीं सारा दिन नंगी करके।
बिमला राजरानी की सबसे जिगरी सहेली थी। वह भी ५६-५७ साल की लंबी चौड़ी, गोरी, चिकनी भरपूर औरत थी, असली पंजाबन। पूरी चुदक्कड़ थी। नए नए लंड ढ़ूंढती रहती थी और राजरानी को अपनी चुदाई के किस्से चटखारे लेकर सुनाती थी। बिना गंदी गालियों के बात करने में उसको मज़ा ही नही आता था। मामी के एक दो यार थे पर अब चले गए थे, बूढ़े भी हो गए थे। मामी की नीचे की मांग बेचारी इसीलिए भूखी प्यासी थी जो जवान भांजे के स्पर्श से हरी हो गई थी। अब वह जितने दिन पिंटू को वहां रहना था उसका पूरा मजा लेना चाहती थी। सुबह मामी अपने काम पर लग गई। मामी-भांजे अलग अलग रहे, सामान्य बातें करते रहे। मामी का बेटा राजू जब तैयार होकर, नाश्ता करके चला गया तो मामी ने झट से दरवाजा बंद किया और इंतजार कर रहे पिंटू के पास पहुंच गई। पिंटू लपक कर मामी से लिपट गया, चूमने चाटने लगा। बिना ब्रा के ब्लाउज के ऊपर से ही मामी के हलब्बी थनों को कस के पकड़ कर मसलने लगा, अपना मुंह घुसा कर ऊपर से ही निपल चबाने लगा। मामी हंसी। ओए ऐनी हडबड़ी न मचा। मैं किते जा नहीं रही। सारा दिन पया है साड्डे कोल।
आ, मामी दे दुध चाहिए न.. पहलां मामी नू नंगी कर, तू वी नंगा होजा, तद मजे करांगे। यह कह कर मुस्कुराती मामी पिंटु के सामने खड़ी हो गई। भांजे ने लपक कर मामी का ब्लाउज खोला, पेटीकोट का नाड़ा खोला और अपने से ऊंची मामी को नंगा कर दिया। मामी को भांजे के सामने नंगई करने में मजा आ रहा था। रंडी की तरह बेशरम होकर नंगी होने, बोलने, और हाव भाव दिखाने में एक अजीब नया ही रस आ रहा था। उसने पिंटू की नेकर, कमीज उतार कर उसको भी नंगा कर दिया। फिर उसके सामने बैठ कर उसके लंड को मुंह में भर लिया। अभी वो ढीला ही था। उसका मुलायम लंड अपने मुंह में मामी को अच्छा लग रहा था। पिंटू मामी की नंगी चूचियों से खेल रहा था, घुंडियां मसल रहा था।
लंड थोड़ा कड़ा हुआ तो मामी बोली चल आज साथ नहाएंगे। इससे साथ ही उसने बिमला को फोन किया। बोली, साली बिमला की किथे बुंड मरा रही है छिनाल। बिमला बोली, हैं सबेरे सबेरे तैंने ए रंडीपना कित्थों चढ़ गया है? मामी बोली, फौरन सब कुछ छड के ऐथे आ बहुत खास गल है। तेरा नया यार बैठा इंतजार कर रया है।