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Click hereएक जवान बहु की अपने ससुरजि से मस्ती और चुदवाने की एक और दास्ताँ।
प्रिय पाठको, शुभोदय! और आप सब को नूतन वर्ष 2022 की शुभ कामनाएं। मैं हेमा, हेमा नंदिनी एक बार फिरसे आपके मनोरंजन के लिए आपके सम्मुख। इस से पहले अपने मेरे, 'ससुरजी के साथ मेरी रंगरेलियां' का तीन भाग पढ़ चुके हैं, आईये आज चौथी एपिसोड की ओर चलते हैं उसके आनंद लेने।
मेरे पति के अनुपस्थिति में मैं अपने ससुरजी से खूब मजे किये है। वैसे वह है तो 50 के लगभग लेकिन चुदाई करने मे माहिर है। उनसे करवाने में मुझे बहुत आनंद आता है। वह कभी कभी दोपहर की हमारे यहाँ आते है और शाम तक यहाँ रुक कर जाते है। वैसे ही उस दिन भी कोई एक बजे के समय आये हैं। उन्हें खाना परोसते मैंने मेरे पति को फ़ोन किया और ससुरजी के आनेकी बात कही। वह शाम सात बजे तक आने को कह बाबूजी यानि के मेरे ससूरजजी को रुकने को बोले। इस से मुझे पक्का हो गाया है कि वह शाम से पहले नहीं आने वाले है। उसके बाद ससुरजी ने मेरे बेडरूम में मेरे रिसते बुर में अपना मुस्टंड पेलकर मुझे लेते हुए संगीता से उनकी चुदाई के बारेमें बताये। संगीता मेरी ननद है और ससुरजी की पहली पत्नी से जन्मी बेटी है। (ससुरजी से मेरे रंगरेलियां 3) में पढ़िए।
इसके दुसरे दिन में सुबह गयारह बजे संगीता के घर पहुंची। "ओह हेमा आवो" कहकर उसने मुझे अंदर बुलाई और हम दोनों उसके बैडरूम में बैठे हे।
वह तब तक अपने घर का काम काज ख़तम कर चुकी है और अपने एक वर्ष के बेटे को दूध पिलाने लगी। उसेक गोरे और दूध से भरी मम्मे बहुत ही लुभावनी थे। उसके बड़े बड़े चुच्चियोंके केंद्र में शहद के रंग के सर्कल्स और कुछ ऊपर उसके कड़े निप्पल्स मुझे दिखे। एक निप्पल को उसका बेटा चुभला रहा है। उसके मम्मे देख कर मेरे मुहं में पानी आगयी। मेरे उसके उसकी नंगी चूची को घूरना देख कर वह बोली।
"हे! हेमा ऐसे क्या घूर के देख रही है... कभी चूची नहीं देखि क्या...?" संगीता मेरी ननद ही नहीं एक अच्छी सहेलि भी है और हम दोनों में छेढ़ चाढ़ चलती है।
"देखि है, लेकिन ऐसी मदभरी नहीं देखि लगता है ऎसी चूची दिखाकर ही तुमने मेरे ससुरजी को फंसाया है" मैंने अपने एक आँख दबाती बोली। एकाध मिनिट के लिए मैं क्या बोली वह समझ नहीं पायी। जब समझमे आया तो बोली "हेमा मैं तुम्हारी ननद हूँ, ननद को आदर करना सीखो" संगीता बोली।
"वही तो कर ही रही हूँ मेरी जान" मैं कही और उसके बगल में बैठ कर उसकी नंगी दुद्दू को दबायी। जैसे ही मैंने उसे दबाये उसमे से दूध बह आयी। "इसी दूध से तुमने तुमने ससुरजी का लिंग का अभिषेक किये हैना..." बोलते हुए एक बार फिर उसकी चूची को दबाकर दूध निछोड़ती पूछी।
"Ooooohh तो डैडी ने तुम से सब कुछ कह डाली.. इसका मतलब है की ...' उसने मेरी आंखोंमे आँख ड़ालकर देखि..
मैंने खिल खिलाकर हँसी और एक आंख दबायी।
इसके एक हप्ते बाद मेरे पति एक बार फिरसे टूर पर जाना पड़ा और जैसे पिछली बार हुआ है, बाबूजी मेरे यहाँ रुकने आगये। उस रत नौ बजे....
मैंने और ससुरजी ने डिनर किये और मेरे बैडरूम में मेरे बेड पर बेठे। उस समय मैं हलके नीले रंग का see through मटेरियल का एक छोटासा गाउन पहनी थी। वह गाउन नीचे मेरे नितम्बों को भी ठीक तरह से ढक नहीं पा रही है। और ऊपर मेर ब्रैस्ट को एलास्टिक बांड से जकड़ी थी। भुजावों पर तो सर्फ नाड़े जैसे स्ट्रिप्स थी। जिस से मेरो गोलाईयाँ खूब नुमायां हो रहे थे। मेरे जाँघों में मैंने एक गुलाबी रंग का पैंटी पहनी थी। नीले रंगी की गाउन और गुलाबी रंगत पैंटी का कॉम्बिनेशन देखने लायक थी।
मैं मेरे ससुरजी के गोद में बौठि थी और वह मेरे गलों को चूम रहे थे। उनका एक हाथ मेरी मुलायम गांड को मसल रहे हैं तो दूसरा हाथ मेरी मदभरी दूधियों से खिलवाड़ कर रहे है। मुझे उनके गोद में बैठने से बहुत मज़ा अता है। मेरे गुदाज गांड में मेरे ससुरजी का मस्ताना रगड़ रही है। मैं कभी उनके गलों को तो कभी ओंठों को चूम रही थी और मेरी गांड को उनके उभरे लंड पर दबा रही थी। मेरे ससुरजी मेरे गलों को चूमने के साथ मेरे सारा मुहं को चाट भी रहे थे।
उनकी टंग (tongue) कभी मेरे कान में तो कभी मेरी नाक में पोक कर रही है। उनके इन हरकतों से मेरा सारा बदन गुद गुदा रहा है। और जांघों के बीच में पानी रिसने लगी। मेरे ससुरजी अपनी राम कहानी सुना रहे थे कैसे वह अपनी पत्नी के साथ मज़ा लेते थे, चटकारे लेकर सुना रहे थे। उनके बातें सुनकर मेरी तो हालत ख़राब होने लगी। मैं उनके गोद से उठ गयी और उनके लुंगी के अंदर हाथ दाल कर उनके काला भुजंग को पकड़ कर मसलने लगी।
"क्यों मरी गुड़िया रानी गरमा गयी ...?" वह मेरी गलों को काटते पूछे।
आप ऐसे खेल खेलेंगे और कहानी सुनियेंगे तो गरमा नहीं जावुगी..." मैं उनके लंड जोर से दबती बोली।
"तो क्या फर्क पड़ता है... मैं ठंडा कर दूंगा..." मेरे गुलाबी गलोंको को चुभलाते बोले।
"आज सवेरे मैं संगीता के घर गयी थी..." वहां क्या हुआ था याद करते बोली।
"ओह! क्या बोली वह...?" अपनों बेटी के ख्यालों में खोकर बोले। वह बोल रही थी की पिछले चार वर्षों से आप के लिए पागल हुए जा रहीथी...कह रही थी की उसे ख़ुशी है की उसके यह fantasy पूर्ण हुयी" में बोली।
"मुझे मालूम है..." ससुरजी बोले..." वह मेरे ऊपर घुड़सवार करते मुझसे बोलि थि लेकिन में उस से यह् नही पूछ सका की ऐसे कैसे हो गया..?"
"मुझे बोली है वह..उसने जब ग्रेजुएशन में थी तब एक दिन उन्होंने आप को मूठ मारते देख ली थी। तब से वह आपके लंड के लिए तरस रही थी।
"सच हेमा बाबा का लैंड देखकर मैं बहुत उत्तेजीत हुई, और बाबा पर तरस भी आ रही है 'बिचारे पापा मम्मी को कितना मिस कर रहे है.. तब मै सोची थी की क्यों न मै ही बाबा को मम्मी का सुख दूँ और मेरे यह वांछा या यह कहो कि तृष्णा दिन बा दिन बढ़ रही थी इसके साथ साथ मेरी बुर की खुजली भी। बहुत बार सोचा की बाबा को सुख दूँ लेकिन ढर भी लग रहा था की कहीं मैं प्रेग्नेंट न हो जावू..."
"लेकिन संगीता, तुम्हारे बाबा तो वासेक्टोमी (vasectomy) करवा चुके है..."
यह बात मुझे अब मालूम है, तब तो मालूम नहीं थी..थी खैर अब चार वर्ष बाद मेरी मुराद तुम्हारी वजह से पूरी हुयी.. थैंक यू हेमा.." और उसने मुझे गले लगाकर चूमी .. " मैं संगीता के यहाँ जो हुआ था ससुर जी को बतायी।
"हाँ संगीता बहुत ही अच्छी और संवेदनशील लड़की है..?" बाबूजी बोले।
"तो क्या में अच्छी नहीं हं या संवेदनशील नहीं हूँ... आप बड़े वोह है.. अपनी बेटी का तारीफ कर रहे है..." मैं मुहं बिसुड बोली।
"आरी साली तेरे जैसा कोई हो ही नहीं एकता..."
"ओह बाबूजी, यह क्या आप मझे साली कह रहे है.... मैं आप की बहु हूँ..."
"आरी मेरी गुड़िया... तू मेरा बहु है साथ साथ मेरी साली भी है, दिलवाली भी है और मेरे लंड की मलकिन भी है.. कसम तेरी इन चूचियों की तू एकदम हसीन हो" और उन्हने मेरी चूचियों को जोर से मींजे "aaahhhaaaa बाबूजी जरा धीरे से क्या मेरे उखड़ देंगे...?" मैं कराहती बोली।
"सच कहू मेरा जी चाहता है की मैं इन्हे उखाड़कर मेरे बैग में रखलूं और जब दिल बोले तब मसलूँ ..." वह एक बार मेरी दुद्दुओं को दबाते और कड़क हो चुके घुंडियों को पिंच करते बोले!
उनके बातों पर मैं खिल खिलाकर हँसते बोली "बेचारा..."
"कौन....?"
"और कौन... आपका बेटा और मेरा पति बेचारा मेरी चूची मसलने के लिए तड़पेगा ना मैं अपने ससुर को आँख मारते बोली।
"तेरी तो..."
"क्या तेरी तो.. बोलो.. बोलो...: में उन्हें छेढ़ रही थी।
मेरे ससुरजी के साथ ऐसे खेल खेलने में मुझे बहुत मजा अता है और वह भी बहुत छाव के साथ छेढ़ चाढ़ करते है। इस तरह हमारी छेढ़ चाढ़ और हंसी मजाक चल रह था। जो एक बात मैं उन्हें नहीं बताई वह यह है की...
उस दिन संगीता के घर में बातों बातों में संगीता ने कही है की "हेमा मेरा पति तुम्हारे लिए पागल हुए जा रहा है.."
"क्या...." मैं चकित होकर बोली।
"हाँ हेमा...हरीश तुम्हारे पर पागल है..." वह बोली। हरीश संगीता का पति है।
"यह बात हरीश भैय्या तुम्हारे से कही...?" मैं संगीता से पूछी। मैं उन्हें भैय्या बुलाती हूँ। मैंने हरीश भैय्या को मेरे मधभरी चूचियों को, मेरी मटकती गांड को या मेरे जाँघों के बीच घूरते बहूत बार देख चुकी हूँ।
चांस मिलने पर हरीश भैय्या ने एक दो बार मेरे गोलाईयों पर हाथ भी फेरे थे और मैं मुस्कुरा कर रह गयी। यह बात उन्हीने अपनी पत्नी से कहेंगे यह मैं नहीं सोची।
"सिर्फ कही ही नहीं बल्कि वह कभी कभी मेरे में अपना घुसाते है तो कहते 'रानी, हेमा जैसे एक्ट करना"
"और तुम करती थी...!" संगीता की बात पर मैं चकित होलार पूछी।
"हाँ.. आई लव हिम..." संगीता बेहिचक बोली।
"हरीश जोभी कहते मैं वह करती हूँ..." संगीता बोली। एक बात और है.. सॉरी..सॉरी..एक नहीं दो बातें है। ... एक मैं बिस्तर पर तुम बन जाती हूँ तो .मैंने महसूस किया की उनका मस्ताना बहुत स्ट्रांग हो जाता है और वह मुझे हमच कर पेलते है तो मुझे खूब मजा अता है...और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर पेलवाती हूँ" संगीता मेरी चूची को मींजते बोली।
"अच्छा दूसरी बात जय है...? मैं पूछी।
"हेमा तुम इतना दिलकश हो की अगर मेरे पास लंड होता तो मैं भी तुम्हारे बुर में पेलती थी।"
"लंड नही तो क्या हुआ, आज रात घर आजाओ मौज करते है" मैं संगीता की चूची दबाती बोली। वास्तव में मेरा कुछ और ही प्लान है अगर वह रात को आजाती तो...
"नहीं। . आज नहीं, आज वह घर पे है... कल वह लाइन पर जाते है.. कल आजावूँगी" वह बोली। उसका पति हरीश शेखर रेल्वी में TTE है।
"ठीक है, कल ही सही" मैं बोली और निकली।
यह सब सोचते और मेरे ससुरजी से मौज मस्ती करते मज़ा उडारही थी की फ़ोन बजी। "हैल्लो..." मैंने रिसीवर उठाकर कही।
"हाय हेमा..." उधर से परे पति की आवाज आयी।
"हाय स्वीट हार्ट कैसे हैं..?" में मेरे पति को फ़ोन पे एक चुम्मा देकर पूछी।
"फाइन डिअर, सब कुछ ठीक है, बस एक ही कमी है तुम्हारी..."बस अपना हाथ जगन्नाध कर रहा हूँ...." मेरे पति बोल रहे थे... फ़ोन का माइक ऑन और उनकी बातें मेरे ससुरजी (FIL) सुन कर अपने आप में मुस्करा रहे है। में तो शर्म लाल हो गयी।
"ओह! डियर हाउ स्वीट ऑफ़ यू में भी तुम्हारी कमी महसूस कर रही हूँ..." में मेरे ससुरजी के गोद बैठ कर उनके लैंड को मेरी गांड पर महसूस करती बोली।
"तुम बाबूजी को बुलाने वाली थी.. वह आये क्या...?"
"हाँ.. तुम्हारे माँ को बहुत मुश्किल से समझा पायी की जब कभी भी तुम्हरी अब्सेंसे में बाबूजी को हमारे यहाँ रहने के लिए... वैसे में तो सासुमा को भी आने के लिए कहा है पर वह नहीं मानी और बाउजी को रहने की अनुमति देदी... चलो अच्छा हुआ.. अब मुझे अकेली रहना न पड़ेगा नो...""
"यह तो तुमने अच्छा किया हेमा डार्लिंग.. मुझे मालूम है तुम जादूगरनी हो..you are a witch... आखिर तुम माँ पर भी अपना जादू चला ही दिया...बाबूजी का अच्छे से ख्याल रखना... वह वहां है क्या...मैं उन्हें हल्लो बोलना चाहता हूँ...?" मेरा पति मुझ से पूछ रहे थे।
"वह बॉलकनी में बैठे है.. ठहरो में उन्हें फ़ोन देती हूँ...
वैसे तुमने क्या कहा मुझे मैं बिच (bitch) हूँ क्या...?"
"अरे नहीं मेरी बुल बुल बिच नहीं विच (witch) यानि जादूगरनी।। और में तुम्हे कैसे बिच कह सकता हूँ .. यू ऐ माय लव यू नो (know )..." उधर से मेरे पति मेरे ऐसे पूछने से गभराकर बोले। उन्हें ढर है की कहीं मैं रूठ न जावूं।
"ठीक है फिर ठहरो मैं ससुर जी को मोबाइल देती हूँ" कही और पांच छह सेकंड बाद फ़ोन ससुरजी को दी।
मेरे ससुरजी मेरे गालों पिंच करते फ़ोन लिए और "अपने बेटे को "हेलो" कहे। फ़ोन का माइक ऑन होने की वजह से मैं अपनी पति की अवाज़ सुन रही हूँ..
"हाय डैड, मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है की आप हेमा के साथ है... अब उसे रात में अकेले रहना न पड़ेगा...रात के टाइम अकेला पन उसे खलती है..टेक केयर ऑफ़ हर...' (take care of her)' मेरे पति मोहन अपने पिता से रिक्वेस्ट कर रहे थे। वह सुनकर मैं मुस्कुरा उठी।
"ओह मोहन तुम बिलकुल ही परेशान नहीं होना... तुम अपना काम पर ध्यान दो.. मैं इधर हूँ ना... मैं सब कुछ सम्भालूंगा... वैसे वह अब बच्चीं नहीं है... अब मेरी उसे दखने की बात... मैं क्या उसकी देखभाल करूंगा... वही मेरा देखबाल कर रही है... वह अच्छी मेजबान है..और बहुत समझदार भी..." मेरे ससुरजी अपना एक हाथ मेरे फ्रॉक के ऊपर से ही मेरी गीली हो रही बुर को खुरेद ते हुए अपने बेटे से बात कर रहे थे।
मेरे ससुरजी अपना दूस्ररा हाथ फ्रॉक के ऊपर से ही मेरे उभरे हुए गेंदों को दबा रहे थे, तो में उनके अकड़ रही लवडे को लूंगी के ऊपर से ही पकड़ कर उनकी ओर देख मुस्कुरा रहै थी। वह अपने बेटे को कह रहे थे "हेमा ने मेरा इतना ख्याल रखती की वास्तव में मैं मेरे बहु के आभारी हूँ"
"अच्छा ऐसा क्या ख्याल रखा उसने आपका...' उधर से मेरे पति पूछ रहे थे।
"आज वह मूली पराठे और गाजर का रायता खिलाई सुच बहुत लजीज परोठा बहुत ही लजीज थे, और ऐसी आम लेके आयी की बस कुछ पूछो मत जितना मैं उन्हें निचोड़कर रस पी रहा हूँ उस आम में से उतना और रस निकल रहा है..." कहते ससुरजि ने मेरे गेंदों को आम की तरह निचोड़ रहे है।
जैसे जैसे ससुरजी मेरे आमों से खेला रहे है, मेरे मुहं से "आअह्ह्ह्हह" निकल रही है, लेकिन मैं उसे रोक रही थी की कहीं मेरे पति उस मधभरी 'आअह्ह्ह्ह' न सुने।
"गुड, मुझे खुशी है डैडी की आप संतुष्ट है...जरा हेमा को फोन तो देना..." स्पीकर से मैं उनकी सारे बातें सुन रहीथी।
"हाँ बोलिये पतिदेव आप का क्या सेवा कर सकता हूँ..?" में ससुरजी के हाथ से फ़ोन लेकर बोली।
"हेमा मै डार्लिंग, यार कभी हमें भी ऐसी लजीज पराठा खिलाओ यार, सर्फ अपने ससुरजी को खिलाओगी...?'
"ओह डिअर.. यह क्या.. ससुरजी क्या समझेंगे... तुम जो पराठा चाहो वह तुम्हे भी मिलेगा... वैसे तुम्हारे डैड ने मार्केट से बहुत लम्बे मूली और गाजर ले आये उसी से मैंने पराठे बनाये है, एक मिनिट.. मैं जरा बेडरूम चलूँ" में फ़ोन पे कही जैसे मैं बालकनी में हूँ.. वास्तव में में बॉलकनी गयी ही नहीं.. वहीँ बेडरूम में ही यहसब बाते चल रही थी। मैं बिस्तर पर चित लेट गयी, मेरे फ्रॉक को ऊपर मेरी कमर तक उठाकर पिंक पैंटी को निचे की और मेरी चिकनी चूत और उभरे हुए फांकों को ससुरजी को दिखाई और फ़ोन पे बोली "डिअर वह मूली दखते ही मुझे कुछ यद् आया... तुम्हे मालूम है क्या यद् आया..." मैं पति से पूछी।
"अच्छा.. क्या यद् आया डिअर...?" उधर से मेरे पति की आवाज।
"तुम्हारा मस्ताना लंड..." में बोली और ससुरजी के लंड को मुट्ठी जकड़ ली।
"अच्छा..." मेरे पति बोले।
"मैंने एक लम्बा वाला मूली अलग निकालके रखली..." ससुरजी के लंड को मुट्ठी में जकड़ती बोली।
'वह क्यों...?"
'बुद्दू इतना भी नहीं समझते... लम्बा वाला एक औरत को किस काम अति है.."
"किस काम आती मई डिअर.. मैं तो औरत नहीं हूँ जो की लम्बा वाला मूली किस काम आएगी जान ने के लिए... जरा समझा दोना..."
"सुनो में क्या कर रही हूँ .... आज मैं फ्रॉक पहनी हुयी हूँ..... और अब फ्रॉक कमर तक ऊपर करके पैंटी नीचे खींची और उस लम्बे वाले मूली को धीरे से अंदर डाल रही हूँ.. " में रुकी, जैसा जैसा में कह रही हूँ... मेरे ससुरजी अपना मूली मेरी गीली बुर में धकेल रहे है।
"पांच, छह, सात इंच तो अंदर चला गया डिअर...." मैं फ़ोन पे कही, जैसे जैसे मेरे ससुरजी का अंदर जा रहा है में फ़ोन पे बोलने लगी 'आआअह्हह्हुउउम्म्म' डिअर यह तो पूरा नौ इंच लगता है, पूरा जड तक अंदर चली गयी सच तुम्हारी बहुत याद आ रही है..." और में अपने ससुरजी को छिछोरेपन से आँख मारी।
"मेरी रानी दो दिन का इंतज़ार करो... में आते ही तुहारी पूरी खुजली मिटा दूँगा..."
"वह तो ठीक है... लेकिन दो दिन तक इस चुदासी बुर का क्या करूँ .. तुम्हारे बिना बेचैन हूँ.. चलो ठीक है.. इसी मूली से काम चला लूंगी.." में नीचे से अपनी गांड सासुरजी के लिए उठाते बोली।
"हेमा डार्लिंग... तेरे लिए किसी यार को ढूंढ ले ..." मेरे पति उधर से बोल रहे है। ऐसे dialogueतो मेरे और मेरे पती के बीच साधारण है
"शर्म नहीं अति अपनी वाइफ को ऐसे कहते, किसको पटावूं बोलो....? तुम्हारे डैडी को पटावूं? घर की बात घर में रहेगी" में खिल खिलाकर हँसते बोली। इधर मेरे FIL अपना पूरी लम्बाई मेरो गीलो बुर में डालकर चोदम चोदी कर रहे है।
अपने बेटे और बहु की ऐसी गन्दी बातें सुनते, अपनी बहु को चोदने में ससुरजी को भी खूब मज़ा आ रहा था और वह हमच हमच चोदते मेरी चूत का मलाई निकल रहे है।
सो प्यारे पाठको अबमैं भी थक गई हूँ.. सच में मेरे ससुरजी ने जमकर चुदाई करते है। उसके बाद क्या हुआ.. दुसरे दिन जब संगीता आयी थी तो हम दोनों, यानि की मैं और मेरी ननद कैसे मेरे ससुरजी से मज़े लिए एक और एपिसोड में लिखूंगी। तब तक के लिए आपकी चहेती हेमा के बाई बाई खूबूल करो.. हमे शा की तरह अपना प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखे।
आप की चहेती हेमा
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