खानदानी निकाह 12

Story Info
छोटी बेगम की सुहागरात ​
1.5k words
3.2
136
00

Part 12 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

भाग 12

छोटी बेगम की सुहागरात ​

फिर मैं जूनी के ओंठ चूसते-चूसते उसके बूब्स दबाने लगा जैसे-जैसे मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे मज़ा आने लगा।

उसकी चूचियाँ चकित कर देने वाली थी। सन्तरे के आकार की चूचियाँ और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे, बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे। मैंने उनको ख़ूब दबाया। जूनी बोली ऊई! दर्द हो रहा है।

मैंने उसे लिटा दिया और उसका सर एक और तकिया लगा कर ऊँचा किया और सर हो सहलाने लगा। मेरी उँगलियाँ उसके बालों में घूमने लगीं जैसे मुझे उसकी नस-नस से वाकफियत हो। कहाँ दबाना है। कितना ज़ोर देना है। कितनी देर तक दबाना है। मैं धीरे-धीरे उसके बदन को सहलाता रहा। वह बस मज़े ले रही थी। गर्दन के पीछे, कान के पास, आँखों के बीच, ऐसी-ऐसी जगहों पर दबाव डाला कि ज़रा ही देर में सारा दर्द चला गया। अब मैं उसके गालों, ठोड़ी और सामने की गर्दन पर ध्यान देने लगा। जूनी ने अपनी आँखें मूँद लीं।

अब मेरे हाथ कन्धों पर चलने लगे थे। मैंने गर्दन और कन्धों पर जितनी गांठें थीं सब सहला डाला और मसल-मसल कर गांठें निकाल दीं। जूनी की टांगें अपने आप ज़ोर से जुड़ गई थीं। मैंने उसे चूमा और फिर औंधा लिटा दिया और उसकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराने लगा। उसकी चिकने कमसिन जिस्म को देख और महसूस करके मेरे रोंगटे खड़े होने लगे। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उधर जूनी की चूत और बदन मेरे सहलाने से उत्तेजित हो रहा था और-और खुशी से तर हो चली थी।

अब मैं थोड़ा नीचे सरक गया और अपनी मुठ्ठियों से जूनी के गोल सुडोल और चिकने चूतड़ों को गूंथने लगा। जैसे आटा गूंदते हैं उस प्रकार मेरी मुठ्ठियाँ कूल्हों और जाँघों पर चल रही थीं। अब जूनी की टांगें अपने आप थोड़ा खुल गईं। मैंने आगे हो कर उसके चूतड़ों को चूम लिया।

ऊ ऊ-ऊ ऊह! ये क्या कर रहे हो दूल्हे भाई मुझे कुछ हो रहा है? मैंने जूनी की जाँघों और चूतड़ों को कुछ देर सहलाया चूमा और चाटा। मेरी उँगलियाँ और अंगूठे उसकी चूत के बहुत करीब जा-जा कर उसकी चूत को छेड़ रहे थे। जैसइ वह कांप रही थी उससे साफ़ था कि जूनी के बदन में रोमांच का तूफ़ान आने लगा था। उसकी योनि धड़क रही थी। योनि को मेरी उँगलियों के स्पर्श की लालसा-सी हो रही थी और वह योनि को इस तरह से हिलाने लगी के मेरी उंगलिया उसकी योनि को छुए और छेड़े लेकिन मैं जा कर उसकी योनि को नहि छु रहा था मुझे उसे सताने और तड़पाने में मजा आ रहा था? फिर मुझे उसकी योनि के गीली होने का अहसास हुआ और जूनी ने अपनी टांगें भींच लीं। लेकिन उसके चेहरे पर सकूं था क्योंकि उसे भी मज़ा आ रहा था। एक ऐसा मज़ा जो पहले कभी नहीं आया था।

मैंने फिर अपनी हथेलियों की एड़ी से जूनी के चूतड़ों को सहलाना, मसलना और गूंदना शुरू किया और मेरे अंगूठे उसके चूतड़ों की दरार में दस्तक देने लगे। मैं बहुत चतुराई से जूनी के नाजुक कमसिन अंगों से खिलवाड़ कर रहा था। उसे धीरे-धीरे उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपना ध्यान जूनि की लम्बी और चिकनी टांगों पर किया और उनको सहलाने लगा और कभी-कभी अपनी उँगलियाँ जूनि के घुटनों के पीछे के नाज़ुक हिस्से पर चलाता तो जूनिमजे से आअह्ह्ह! आअह्ह्ह! करने लगती और उचक रही थी। मेरे हाथ उसके पैरो से लेकर उसके नितम्बो की बीच की दरार में उंगली फिराने के बाद पीठ और कंधो तक जा रहे थे।

और जब मैंने अपनी जीभ उसके निप्पल्स पर लगाई तो वह सिसकारी लेकर उछाल पड़ी और मुझसे लता की तरह लिपट गयी और बोली भाई मुझे क्या हो रहा है बहुत ही मज़ा आ रहा है, थोड़े और जोरसे मसलो न मज़ा अत है और मैंने भी जहा तक वह बर्दास्त कर सके वह तक उसकी छतियो को मसलता रहा चूमता रहा चाटता रहा उफ़ बिना चुदाई केवल उसकी खुशबू से मुझे जन्नत की सैर का मज़ा आ रहा था, जूनि मेरे अब्बा के भाई द्वारा अपनी माँ की बहन मेरी चाची की मस्त चुदाई की संतान थी और अपने अब्बा के भाई के लड़के से छोड़ने की तयारी में मस्त हो रही थी।

जूनि नाज़ुक इतनी थी की मेरे किश करने से जहा मैंने ज्यादा होंठ के दवाब डाला था वहाँ की गोली स्किन गुलाबी हो गयी थी और नज़ाकत से भरी इस गुलाबी गोरी के खुले हुए घुटनो तक लहराते बालों से खेलते हुए मैंने उसके लम्बी घने रेशमी बालो को पूरे जिस्म पर पहला दिया, गज़ब का सेक्सी मौहाल था और में बड़े प्यार से उसके कमसिन चिकने गोरे जिस्म को अपनी बांहो में भर कर अपनी मर्ज़ी आये वही चूमता था। हलके-हलके दन्त का दवाब डालता था और फिर मैंने उसकी गर्दन पर जोर से उसकी स्किन की चुसाई की और वह तो वासना की आग में दधक उठी।

फिर जल्द ही जूनि का पूरा बदन एक बार अकड़-सा गया और फिर उसमें अत्यंत आनन्ददायक झटके से आने लगे। पहले 2-3 तेज़ और फिर न जाने कितने सारे हल्के झटकों ने जूनि को सराबोर कर दिया। वह सिहर गई।

जूनि बोली भाई बहुत मज़ा आ रहा है लेकिन कुछ और करो नहीं तो इस मज़े से मेरी पेशाब निकलने वाली है और में समझ गया की जूस निकलने वाला गुलाबो रानी का, आज जब चूदेगी तभी इसकी आग ठंडी होगी।

उसकी योनि में एक अजीब-सा कोलाहल हुआ और चूत रस की कुछ बूंदे बाहर छलक गयी और फिर जूनि का शरीर शांत हो गया। शांत होने के बाद मैंने प्यार से अपना हाथ जूनि की पीठ पर कुछ देर तक फिराया। ये उसका अभूतपूर्व सेक्स के आनन्द का पहला अनुभव था।

लेकिन उस कमरे में अब सिर्फ मैं और जूनी ही उत्तेजित नहीं थे हमारी हरकते देख कर ज़ीनत भी गर्म हो गयी थी और अपनी चूत और बूब्स मींज रही थी।

कुछ देर बाद मैंने जूनि को पलट कर सीधा होने के लिए इशारा किया और वह झट से सीधी हो गई।

मैंने देखा ज़ीनत गर्म हो रही है तो मैंने ज़ीनत के ओंठो पर किश किया और फिर ज़ीनत के चुचों को किस किया। वह अधलेटी-सी हो गयी। उसने अपने शरीर का भार अपनी बांहों पर कर दिया। मैंने उसे देख कर मुस्काराते हुए उसके होंठों पर एक मीठी चुम्मी कर दी।

फिर मैं थोड़ा दूर हुआ और उसके खुले बालों को पीछे किया। वह अपना चेहरा आगे ले आयी और मैं उसे धीरे-धीरे किस करने लगा। मेरे हाथ उसके मम्मों को सहलाते हुए पेट, कमर, गांड पर चलने लगे।

मैंने फ़ौरन उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, जूनि एक तरफ लेट गई और हमारा खेल देखने लगी। आज जीनत की चूचियों में जो कड़कपन था, वह और दिन के मुकाबले अलग ही था।

मैं उसकी चूचियों को चूसने में लग गया। मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब चूसा, मेरा लंड और कड़क हो गया था। मैंने अपना कुरता उतार दिया।

मैंने जीनत आपा को बिस्तर पर लिटा लिया और उसकी बुर पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया, उसने भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया। मैंने अपनी छोटी और कमसिन बीवी जूनि को इसी तरफ़ देखता देख, मैंने अपनी जीनत की बुर में उंगली करना शुरू कर दिया और जीनत अब काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी और हमे देख कर जूनि भी गर्म हो रही।

मैं जीनत की चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था। तभी जीनत आपा ने मेरा पायजामा उतारा, अंडरवियर नीचे किया और लंड पकड़ कर सहलाने लगी और बोली जूनि अब तू बहुत मजे लेगी तैयार हो जा।

अब मैंने जूनी की बुर को देखा वाह क्या कुंवारी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा-सा गुलाबी छेद।

मैंने उसकी बुर को सहलाया तो जूनि 'आआआह हहहह करने लगी।'

इस पर ज़ीनत आपा बोली-मियाँ जी, कमसिन और कुंवारी है, इसकी बुर बहुत छोटी और टाइट है। थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो जी।

"कैसा लग रहा है?" मैंने जूनि से पूछा।

जूनि कुछ नहीं बोली और आह ओह्ह करने लगी उसकी आवाज में दर्द कम मजा ज्यादा था।

"क्यों जूनि! अच्छा नहीं लग रहा?" मैंने जान बूझ कर पुछा.

जूनि चुप ही रही।

"ओह! शायद तुम्हें मज़ा नहीं आया। देखो शायद अब आये!" कहते हुए मैं ऊपर हुआ और अपने होंट जूनि के ओंठो पर रख दिए।

जूनि के ओंठो पर ओंठ रख कर मैंने अपनी जीभ के ज़ोर से पहले उसके ओंठ और फिर दांत खोले और अपनी जीभ को उसकी मुँह में घुसा दिया। फिर जीभ को दायें-बाएँ और ऊपर नीचे करके उसके मुँह के रस को चूसने लगा और अपनी जीभ से जूनि के मुँह का अंदर से मुआयना करने लगा। साथ ही उसने अपना हाथ जूनि के पेट और छाती पर दोबारा से घुमाना चालू कर दिया। कुछ देर अपनी जीभ से जूनि के मुँह में खेलने के बाद मैंने उसकी जीभ अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा।

मैंने उसे खूब चूमा और अपनी बांहो में होले-होले दबाने लगा, जूनि भी उत्तेजित थी और मेरे चूमने का जवाब अपने चुंबनों से देने लगी। मैंने उसके दोनों बूब्स सहलाये और हल्के हलके दबाने लगा। क्या सख्त थे उसके बूब्स और बड़ी सेक्सी थी उसके बदन की खुशबू और उतनी ही मादक उसकी सिसकारियाँ।

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

एक नौजवान के कारनामे 001 एक युवा के पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ आगमन और परिचय.in Incest/Taboo
राजमहल 1 राज्य के वारिस के लिए राजकुमार की तीसरी शादी और सुहागरातin First Time
My Lovely Virgin Venus Lucy Pt. 01 My Lovely Virgin Venus Lucy Part 01.in First Time
Halala of My Virgin Cousin 02 Spending a night with my divorced Cousin as her husband.in Incest/Taboo
अंतरंग हमसफ़र भाग 001 अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.in Erotic Couplings
More Stories