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भाग 15
अल्हड़ छोटी बेगम की सुहागरात की चटाकेदार सुबह
जूनि के खूबसूरत चेहरे पर उसके खुले हुए बालों की लटे पड़ी हुई थी और उस के रस भरे होंठ और स्तन मेरे थूक से चमक रहे थे। बिस्तर पर बिछे फूल बुरी तरह से मसले जा चुके थे और पैरो के पास पायल टूट कर गिरी हुई थी। बालो का गजरा टूट कर फ़ैल चूका था परन्तु बालो में ही लटका हुआ था। हाथो के पास कुछ कांच की चुडियो के टुकड़े थे और कलाईयों पर निशाँ थे गले का हार टूट कर पता बिखर गया था, कान के झुमके गिर गए थे। बाल खुल कर फैले हुए। जूनि की चूत मेरे मोटे और बड़े लंड की जबर्जस्त चुदाई की वजह से सुर्ख हो कर फूल गई थी।
जूनि, ज़ीनत आपा और मेरे शरीर पर जहाँ तहँ कुछ फूलो की पंखुडिया चिपकी हुई थी और बिस्तर की चादर चुदाई के पानी से जगह-जगह से भीग कर तर हो चुकी थी।
जूनि अपनी टाँगें खोले बिस्तर पर कमर के बल बे सुध पड़ी हुई थी। मेरे लंड ने जूनी की फूल जैसी कोमल और टाइट चूत की वाकई में हालत खराब करके रख दी थी और वहाँ का नजारा देख कर स्पष्ट हो रहा था कि यहाँ सुहागरात में जबरदस्त चुदाई का खेल खेला गया है।
जूनी का सारा शृंगार बिगड़ गया था लेकिन अब उसका ये रूप अलग ही मोहकता लिए हुए था। जूनी की आँखे बंद थी और मैंने उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखे। तो मैं आगे बढ़ा और उसे चूमने लगा।
ज़ीनत आपा फिर जूनी का बदन देखने लगी जगह-जगह मेरे चूसने और दांतो के दबाब देने के कारण निशान पड़ गए थे और जीनत आप सब निशानों पर किस करने लगी तो जूनि कराहने लगी। ज़ीनत आपा बोली सलमान तुमने बेचारी फूल जैसी जूनी का हाल बेहाल कर दिया है! तुमने फूल से भी कमसिन और कोमल जूनि का देखो बुरा हाल कर दिया है।
जब साँसे सम्भली तो जूनी उठी और शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने जवान बदन का जायज़ा लेने में मसरूफ़ हो गई और एक-एक अंग तो बड़े गौर से देखने लगी।
मैंने कभी अपनी किसी बहन को आईने के सामने अपने नंगे बदन का जायजा लेते हुए नहीं देखा था, इसीलिए आज अपनी छोटी बेगम जूनि को इस तरह शीशे के सामने खड़े हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लेने का मंज़र मेरे लिए एक अनोखी बात थी। इसीलिए मैं कमरे में खड़ी अपनी छोटी बेगम को आयने के सामने इश्तियाक से देखने लगा और जूनी की अल्हड़ और मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बेक़रार हो रहा था।
आज जूनी की अल्हड़ जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी फिर मेरे देखते ही देखते जूनी ने एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली।
जूनी की इस अंगड़ाई से उस के मम्मे ऊपर की तरफ़ छलक उठे। तो जूनी की इस मदहोश अदा से मैं मज़ीद गरम और बेचैन हो गया।
बेड रूम में आयने के सामने खड़ी जूनी के जवान, बदन को देख-देख कर अपनी आँखे सेकने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था आगे पीछे पूरा बदन साफ़ नजर आ रहा था।
इस तरह उस सुबह जूनि की छोटी-छोटी चूचियाँ जिसपे हलके पिंक कलर के निप्पल गजब लग रहे थे मैं आगे हुआ और तुरंत ही उसे अपने बाजुओं में भर लिया और उसकी टाइट टाइट-सी छोटी-छोटी चूचियाँ जब मेरे हाथ में आयी तो मेरा तन बदन में आग लग गयी और मेरा लौड़ा सलामी देने लगा मेरी धड़कन तेज हो गयी और उसकी जिस्म की गर्मी और तेज-तेज साँसे जब मेरे बदन को छूई तब मुझे बहुत मजा आया।
मैं उसके मम्मे मींज रहा था। जूनि-सी 2 की आवाज कर रही थी। से ऐसा करते देख मेरा जोश और भी ज्यादा हो गया। मैं और जोर-जोर से उसके मम्मों को दबा-दबा कर पीने लगा। जोर से दूध पीते ही कभी-कभी मेरे दांत उसके निप्पल में गड़ जाते थे। जूनि "उ-उ-उ-उ-उ! अअअअअ! आआआआ! सी-सी-सी-सी! ऊँ--ऊँ-ऊँ।" की आवाज निकाल देती थी।
मैंने उसके होठ को छुआ तो उसने मेरा हाथ पकड़ लीया और अपनी नशीली आँखों से निहारने लगी। वह निहारती रही और मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा, फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसके रसीले होठ को चूसने लगा, वह भी मेरे होठ को डीप किश कर रही थी।
मैं जूनी के बूब्स को जोर-जोर से दबाता जा रहा था। वही दूसरी ओर मेरे लौड़े पर ताव आता जा रहा था। मेरी और जूनी की साँसे धौकनी की तरह दौड़ रही थी। हम दोनों की गरम हो रहे थे। तभी मैंने उसके बड़े से चुत्तड़ पर एक जोर की चपट लगायी। फिर उसकी जुस्फों से मैं उसके जिस्म की खुसबू लेने लगा।
मैंने अपने में सटा के उसके दोनों चूतड़ को पकड़ कर अपने लौड़े से सटा लिया, मैं उसकी मेरे लौड़े के पास आ गया मैंने ऊपर से ही लौड़े को उसके गांड में रगड़ने लगा, वह व्याकुल हो गई और मेरे बाल को सहलाने लगी। तभी ज़ीनत आपा ने मुझे रोक दीया, मेरे हाथ पकड़ लिया, मैंने कहा मैंने आप को कौल दिया है। अभी इसकी गांड नहीं मारूंगा पर मुझे छूने तो दो।
मैंने उसको बेड पर उलटी लिटा दिया और-और फिर उसके चूतड़ को दबाने लगा। वह भी मजे लेने लगी। फिर मैं उसकी पीठ और गर्दन चूमने और चूसने लगा और टाँगे फैला कर बीच में बैठ कर चूतड़ों ऊपर से ही लौड़ा रगड़ने लगा। वह खूब मजे ले रही थी और मैं भी मजे ले रहा था पर बर्दाश्त के बाहर हो रहा था।
फिर मैं उसके चूतड़ों की दरार के बीच में से उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा ओह्ह्ह!। उसकी चूत गीली हो चूकी थी। वह जोर से चिल्ला उठी आआहह!, ओमम्म्मममम!!, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और कसमसाते हुए अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह!, आहहह!!, आहहह कर रही थी।
मैंने उसकी चूत पर ऊँगली फिराई और चूत के रस को ऊँगली पर लगायी और चाट गया। ओह! अलग ही स्वाद का पानी था, उसकी चूत का।
फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
मैंने उसकी चूत में भड़के हुए शोले को खत्म करने के लिए अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सटा दिया। मेरे लंड के ठीक निशाने पर ही उसकी चूत की छेद थी। मैंने जोर से धक्का मार कर अपना आधा से अधिक लंड उसकी चूत में घुसा दिया। जूनी के मुंह से चीखें निकल गई। वह बहुत तेज से अम्मी आपि!-सी सी-सी सी! हा-हा हा! ऊऊऊँऊऊँ! उनहूँ उनहूँ! " की आवाज निकालने लगी।
और फिर मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया। उसकी चूत बहुत टाइट लगी और मुझे लगा पीछे से लंड ज्यादा अन्दर तक गया और पहले से ज्यादा मजा आया। फिर में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा।
मुझे उसे चोदने के लिए और भी ज्यादा उत्तेजना होने लगी। मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दी। मैं जल्दी-जल्दी अपनी कमर और चूतड़ आगे पीछे कर उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। जूनी घोड़ी बनी हुई चुदाई का मजा ले रही थी। उसकी चटाकेदार उंह-उंह-उंह हूँ-हूँ-हू! हमममम! अहह्ह्ह्हह!! अअई-अई! की आवाज से पूरा कमरा भरा हुआ था।
बीच-बीच में पीछे से जूनी के मोमो पकड़ कर दबाता रहा और ज़ीनत आपा मेरे पास आकर मुझे किस करने लगी।
मै भी बहोत ही मजे ले-ले कर उसकी घोड़ी बना कर पीछे से चूत चुदाई शुरू कर दी। उसकी चूत मेरे पूरे लंड को खा रही थी। मैने उसकी चुदाई को और भी ज्यादा तेज कर दी। उसकी मटकती कमर को पकड़ कर अपना लंड जोर-जोर से उसकी चूत में घुसा कर निकालने लगा। मैं अपने लंड को जड़ तक पेल रहा था। वह अपनी गांड को मटका कर उंह-उंह-उंह! हूँहूँहूँ! हमममम! अहह्ह्ह्हह! अई-अई! की आवाजो के साथ चुद रही थी।
मैं उनके लिप्स चूसते हुए करीब 25 मिनट तक लगातार जूनि को घोड़ी बना कर चोदा वह कई बार झड़ चुकी थी। उसकी टाइट चूत की रगड़ से मैं भी झड़ने की कागार पर पहुच चुका था। आखिर में उसकी चूत में मैंने एक बार फिर अपना पानी डाल दिया।
मैंने अपनी पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी।
जब मेरे और जूनि के रस का आपस में मिलाप हुआ तो जूनि पलटी और हम दोनों के जवान पसीने से भीगे हुए शरीर भी एक दूसरे लिपट गये। जूनि निढाल हो कर लेट गयी। कुछ देर तक तो मैं अपना लंड उसकी चूत में डालकर ही बिस्तर पर पड़ा रहा। मेरा लंड धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा। मेरे लंड के सिकुड़ते ही उसकी गांड से माल बाहर आने लगा। बिस्तर पर पड़े चादर पर माल बिखर गया। उसने चादर पर बिखरे हुए सारे माल को पोंछ कर उस पर लेट गई। मैं उसको प्यार से सहलाने लगा और किस करने लगा और जूनि की कमसिन नाजुक चूत बुरी तरह से सूज चुकी थी।
इसी दौरान बिस्तर पर लेटे-लेटे और अपनी छोटी बहन की गरम सिसकियों को सुनते हुए ज़ीनत आपा को अपनी चूत में कसमसाहट महसूस हुई।
अपनी चूत पर खारिस करने के लिए ज़ीनत आपा ने ज्यों ही अपने हाथ से दुबारा अपनी चूत को छुआ तो ना सिर्फ़ ज़ीनत आपा के नीचे की चादर उसी की चूत के पानी से गीली हो गई। बल्कि उनका अपना हाथ भी उस की अपनी चूत के बहते पानी से भीग-सा गया।
अपनी चूत की इस काफियत पर ज़ीनत सन्न रह गई। क्योंकि उस ने तो कभी खवाब में भी नहीं सोचा था कि जूनी की चुदाई देख कर उनकी चूत अपना पानी इस तरह छोड़ने लगेगी कि उनकी चूत से निकलता हुआ पानी चूत से निकल-निकल कर उस की मोटी गान्ड की तरफ बहने लगेगा। उन्हें ये महसूस करके बहुत हैरत हुई।
कहानी जारी रहेगी