दो सहेलियों की विकृत और वहशी हवस

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कुत्ते के वजन के नीचे अपने चूतड़ हिलाती हुई यास्मिन हवस की मस्ती और बदकार चुदाई की शदीद लज़्ज़त की उम्मीद से कलकलाने लगी। कुत्ते के लंड का सुपाड़ा उसकी खुली चूत मे चौड़ा फैलने लगा और उसकी चूत के बाहरी लब उसे गिरफ़्त में लेकर उस गर्म और लाल लंड को खींचते हुए अंदर चूसने लगे।

सिम्बा के लंड का पेशाब वाला छेद लहरा कर खुला और यास्मिन सिसकने लगी जब उसे अपनी मलाईदार गुफा में कुत्ते की गरम लेसदार मज़ी चूती हुई महसूस हुई। एक कुत्ते का लंड यासमीन की मुट्ठी में भिनभिना और ठनठना रहा था और दूसरे का लंड उसकी चूत में ज़बरदस्त कुटाई कर रहा थ। लंड में से और ज़्यादा तादाद में चिपचिपा रस चूने लगा। यास्मिन को इस फोरप्ले में बहुत मज़ा आ रहा था पर कुत्ते के लंड से चिपचिपा रस इतना सारा इखराज हो रहा था कि उसे फ़िक्र होने लगी कि कहीं वो चोदू कुत्ता वक़्त से पहले ही ना झड़ जाये - कहीं वो अपना लंड उसकी चूत में पूरा अंदर ठेलने से पहले ही अपनी मनी उसकी चूत में ना दाग दे।

यास्मिन ने बाकी का फूला हुआ सुपाड़ा अपनी चूत में खींचा। उसकी गीली चूत की तहों ने उसे घेर लिया और चूत के गुलाबी होंठ उस मोटे लंड के इर्द-गिर्द जकड़ गये। यासमीन को मालूम था कि सुपाड़ा चूत में धंसने के बाद अब कुत्ते को उसके हाथ की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने हाथ की जकड़ से लंड को आज़ाद करके वो अपने हाथ को उसके लंड पर सरकाती हुई पीछे ले गयी और उसके फूले हुए टट्टों को सहलाने लगी।

यास्मिन ने प्यार से टट्टों को अपनी अँगुलियों से मसला जैसे कि कुत्ते के टट्टों में उफनती हुई मनी महसूस कर रही हो। फिर उसने अपना हाथ वहाँ से दूर खींच लिया। अपनी गाँड और ऊँची उचका कर और सिर नीचे झुका कर यास्मिन उस ताकतवर कुत्ते की जोरदार चुदाई शुरू होने का इंतज़ार करने लगी। एक पल के लिए सिम्बा बे-हरकत रहा। सिर्फ उसका सुपाड़ा यास्मिन की चूत में था और उसके लंड में से बह कर और ज़्यादा मज़ी यास्मिन की चूत में बुदबुदाने लगी।

यास्मिन का जवान नशीला जिस्म स्प्रिंग की तरह लछिया गया - उसने अपनी गाँड और चूतड़ ऊपर उठाये और अपना पेट और चूचियाँ पीछे धकेलीं तो उसकी पीठ और मुड़ गयी और उसका जिस्म सिकुड़ गया। यासमीन ने फिर एक झटका दिया और उसकी चूत में कुत्ते का और डेढ़-दो इंच लंड घुस गया। जब उसके लंड पर यास्मिन की चूत खिसकी तो सिम्बा जोर से गुर्राया। सिम्बा के पुट्ठे अकड़ गये और उसने जोर से एक वहशियाना धक्का दिया और अपना कड़कड़ाता पूरा लंड यास्मिन की चूत में गाड़ दिया।

"ओहहहहहह... याऽऽऽल्लाहहह आआआआहहह! यास्मिन चींखी जब उसे अपनी चूत में पहली बार किसी जानवर का लंड भरा हुआ महसूस हुआ। सिम्बा ने पूरी बेफिक्री से धुँआधार अपना लंड यास्मिन की चूत में चोदना शुरू कर दिया। उसका पूरा लंड टट्टों तक चूत में धँसता और फिर झटक कर इतना बाहर निकल आता कि सिर्फ सुपाड़ा ही अंदर रहता और फिर जोर से अंदर धँस जाता। सिम्बा का लंड यासमिन की चूत की लचीली दीवारों को फैलाता हुआ उसकी दहकती चूत की गहराइयों में धक्के मारता हुआ चोद रहा था।

यास्मिन की चूत उस लंड के चारों ओर जैसे साँचे में ढल गयी थी और लंड के फिसलते हुए हर एक हिस्से पर जकड़ कर चिपकी हुई थी। चूत की दीवारों ने चोदू लंड को पूरी ताक़त से चूसना शुरू कर दिया। यास्मिन के नशे ने उसमें नया जोश और ताकत भर दी थी और वो उस चोदू कुत्ते के जोश की बराबरी कर रही थी। सिम्बा का लंड जब उसकी चूत में अंदर धँसता तो यास्मिन उतनी ही ताकत से अपने चूतड़ पीछे ठेल देती और जब सिम्बा अपना लंड बहर खींचता तो यास्मिन अपने कुल्हे दांय-बांय घुमाती। सिम्बा शिद्दत से अपना लंड यास्मिन की चूत में ठेल रहा था और उसके फूले हुए टट्टे चूत के बाहर चपेतें मार रहे थे।

कुत्ते का लंड काफी बड़ा था और हर धक्के के साथ वो और ज़्यादा फूल रहा था। यास्मिन को लंड का सुपाड़ा अपनी चूत की बेहद गहरयी में धड़कता हुआ महसूस हो रहा था। सिम्बा का लंड उसकी चूत को कगार तक भर रहा था। जब भी वो झटक कर अपना सख्त लंड बाहर खींचता तो चूत के होंठ घिसट कर तकरीबन पलट से जाते। अंदर-बाहर ठिलते हुए लंड की छड़ का हर एक हिस्सा यास्मिन की क्लिट पर रगड़ रहा था।

किसी भी लम्हे, यास्मिन उस कुत्ते से गरमागरम मनी अपनी चूत में दागने की उम्मीद कर रही थी। वो भी उस चिपचिपे गाढ़े रस की खुराक के लिए मुश्ताक़ थी, पर फिर भी हवस से भरी शहवतपरस्त औरत को इस चुदाई में इस कदर मज़ा आ रहा था कि वो इसका खातिमा होना नहीं चाहती थी। यास्मिन चाहती थी कि कुत्ते के झड़ने के पहले उसकी चूत की चटनी बन जाये।

सिम्बा पूरी गरजना से चोद रह था। हालांकि उसके टट्टे सुबह ही शाज़िया के चूत में खारिज हुए थे, इसलिए वो इस वक़्त मज़बूती से चुदाई कर रहा था। हर लम्हे उसका लंड पहले से ज्यादा फूल रहा था और उसके टट्टे भी वैसे ही फूल रहे थे। कुत्ते के लंड के खुले हुए पेशाब वाले छेद से रक़ीक़ मज़ी लगातार चूत में टपक रही थी लेकिन सिम्बा अभी झड़ने के लिये तैयार नहीं था। यास्मिन को इस बात का एहसास नहीं था और उसे सिम्बा के जल्दी ही झड़ने का अंदेशा था, इसलिए उसने अपनी नज़रें दूसरे कुत्ते की तरफ घुमायीं और सिम्बा के झड़ने के पहले से ही यास्मिन मस्ती में शेरू के लंड और मनी का तसव्वुर करने लगी। यास्मिन का चेहरा दमक रहा था जब उसने उस नज़र-अंदाज़ कुत्ते की तरफ देखा और पाया कि वो भी चुदाई के लिए कितना तड़प रहा था।

शेरू झुक कर यास्मिन के सामने बैठ गया। उसका ज़ोरावर और जसीम लंड सीधा खड़ा था और उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मज़ी के झाग से लिसड़ा हुआ था। वो गाढ़ा रस लंड के सुपाड़े के लाल गोश्त पर पारे की तरह बह रहा था। मज़ी की पतली-पतली धारायें लंड से नीचे की तरफ बह रही थीं और चाँदी की तरह झिलमिलाती एक डोरी-सी उसके पेशाब वाले छेद से कालीन तक लटकी हुई थी।

यास्मिन ये देख कर ठिनठिनाने लगी। वो शेरू के ताक़तवर लंड की ख्वाहिश से सरगर्म होने लगी जबकि सिम्बा उतने ही ज़ोरावर लंड से उसकी चूत की लगातार धुनायी कर रहा था।

यास्मिन को फ़िक्र होने लगी थी कि दूसरा कुत्ता, बेचारा जो इतनी देर से नज़र अंदाज़ था, कहीं ऐसे ही झड़ ना जाये और उसकी गर्म और गाढ़ी मनी ज़ाया हो जाये। यास्मिन हाथ बढ़ा कर उसके लंड और टट्टों को सहलाना चाह रही थी लेकिन उसे डर था थी कि कहीं गल्ती से कुत्ता झड़ ना जाये।

तभी सिम्बा ने पीछे से यास्मिन की चूत में जोर के झटके से एक करारा धक्का लगाया जिससे वो आगे की तरफ, शेरू के नज़दीक खिसक गयी। शेरू ने सिर उठा कर देखा। उसकी ज़ुबान बाहर लटकी हुई थी। वो कुत्ता शाज़िया की सरपरस्ती में बख़ूबी सीखा सिखाया हुआ था और औरतों के मीठे राज़ और कैफियत समझता था। यास्मिन का खूबसूरत चेहरा कालीन पर नीचे शेरू के पेट के करीब झुका हुआ था। शेरू रिरियाता हुआ खड़ा हो गया और उसने अपनी अगली टाँगें यास्मिन की गर्दन में डाल दीं और यास्मिन के सिर पर इस तरह सवार हो गया जैसे सिम्बा यास्मिन के चूतड़ों पर सवार था। शेरू ने अपना लंड यास्मिन के चेहरे पर धकेल दिया।

यास्मिन ने चौंक कर अपना सिर घुमाया और कुत्ते का पत्थर की तरह सख्त लंड उसके गाल पर छूने लग और कुत्ते की मज़ी की चिपचिपी धार उसके गाल पर बहने लगी। "मादरचोद - ये चोदू कुत्ता तो लंड चुसवाना चाहता है", यास्मिन को एहसास हुआ तो इस ख्याल से वो दहल गयी।

कुत्ते के लंड को चूसने का ख्याल यास्मिन को कुत्ते से चुदवाने से भी ज्यादा बदकार लगा - पर उतना ही ज़्यादा रोमाँचक भी। अपने दोनों तरफ़ आगे पीछे से कुत्तों के लंड एक साथ लेने के तसव्वुर से उस शहवत-परस्त और अय्याश औरत की हवस और बढ़ गयी और वो उस कुत्ते का लंड अपने मुँह में लेने के लिये बेसब्र हो गयी। यास्मिन का सिर अभी भी एक तरफ घूमा हुआ था और शेरू उत्तेजना से आगे-पीछे धक्के मारता हुआ उसके मुँह में अपना लंड डालने को छटपटा रहा था। वो नाकामी की वजह से भौंकने और रिरियाने लगा। कुत्ते की शिद्दत और जोश असरदार था। यास्मिन की पलकें फड़फड़ायीं और उसके थरथरते होंठों में से उसकी ज़ुबान बाहर फिसल आयी।

शेरू थोड़ा सा पीछे हटा और उसके लंड का मज़ी से चूता हुआ सुपाड़ा यास्मिन के मुँह पर फिसलने लगा और मज़ी उसके होठों पर बुदबुदाते हुए झाग बनाने लगी। यास्मिन ने अपनी ज़ुबान फिरा कर वो चिपचिपी लेसदार मज़ी चाटी तो जोश में उसके मुँह से सिसकरी निकल गयी। कुत्ते ने फिर से आगे की ओर धक्का लगाया तो उसके मोटे और मनी से लबालब भरे टट्टे यास्मिन की ठुड्डी से टकराये। यास्मीन ने अभी तक अपना मुँह नहीं खोला था। वो पूरी तरह फैसला नहीं कर पायी थी कि वो कुत्ते का लंड चूसे या नहीं। कुत्ते के लंड का सुपाड़ा यास्मिन के बंद होठों पर टक्कर मार रहा था जिससे यास्मिन का सिर पीछे झुका हुआ था।

यास्मिन ने अपनी मुट्ठी उसके लंड पर लपेट दी और अपने मुँह के सामने पकड़ कर उसकी चिकनी निचली सतह चूमने लगी। यास्मिन ने अपनी नाक उस चिकने लंड पर रगड़ी और कुत्ते की तीखी पर मीठी ख़ुशबू लेने लगी। उसने लंड को ऊपर-नीचे सहलाया तो सुपाड़ा जोर-जोर से धड़कने लगा और यास्मिन के बंद होंठों पर और ज़्यादा मज़ी छलक गयी।

उसके पीछे, सिम्बा ने एक वहशियाना धक्का मार कर जोर से अपना लंड यास्मिन की चूत में ठेला और यास्मिन जोर से चिल्लायी। वो खुद भी इस वक़्त किसी जानवर की तरह ही बेलगाम हवस और शहवत के नशे में चूर थी। वो जानती थी कि शायद सब कुछ ठंडा होने पर उसे अफसोस हो पर इस वक़्त तो वो बदकार शहवत की जकड़ में बेबस और मजबूर थी। सिम्बा ने फिर उसकी चूत में जोर से धक्का लगाया और यास्मिन का चेहरा शेरू के लंड और टट्टों पर दब गया। यास्मिन ने सिसकरी भरी और उसकी ज़ुबान फिर बाहर फिसल आयी। उसने शेरू के लंड के सुपाड़े की भीगी हुई निचली सतह चाटनी सूरू कर दी।

उसकी ज़ुबान पर कुत्ते के लंड का तेज़ ज़ायका पड़ा तो यास्मिन मज़े से चिल्ला उठी। यास्मीन ने अपनी बदचलन ज़िन्दगी में सैंकड़ो लौड़ों की मनी का ज़ायका लिया हुआ था लेकिन कुत्ते के लंड का ज़ायका उन सबसे मुख़्तलिफ़ और बेमिसाल था। कुत्ते का लंड इतना चोदू ज़ायकेदार था कि मस्ती के आलम में उसकी आँखों में पानी आ गया।

उसकी गाँड और चूतड़ आगे पीछे झटकने लगे और वो गर्म और चुदास औरत बदमस्त होकर चुदवाने लगी। वो इस कदर पुर-जोश और ख़र-मस्त थी कि हक़ीक़त में वो सिम्बा से भी ज्यादा तेज चुदाई कर रही थी और उसके लंड पर पिस्टन की तरह अपनी चूत ऊपर-नीचे चला रही थी।

यास्मिन की ज़ुबान शेरू के रसीले लंड पर हर जगह फिसल रही थी। कुत्ते के लंड से चिपचिपा रस बुदबुदा कर निकलता और यास्मिन झट से उसे चाट लेती और उसके थूक का झाग भी कुत्ते के लंड पर इकट्ठा हो रहा था। कुत्ते के लंड की मज़ी शराब और हवस के नशे में चूर उस औरत की भूख में इज़ाफ़ा कर रही थी और वो कुत्ते के टट्टों में उबलती हुई तमाम मनी को पीने के लिये तड़पने लगी थी। कुत्ते की मनी आदमी की मनी से ज़्यादा गर्म और तीखी थी और यास्मिन उस लंड को चूसती हुई चुदासी मस्ती की बुलंदी पर झूल रही थी।

यास्मिन ने अपनी ज़ुबान की नोक कुत्ते के लंड के फैले हुए पेशाब वाले छेद में घुसा दी और लंड के सुपाड़े को चूसती हुई वो उस छेद को ज़ुबान से चोदने लगी। फिर उसने धीरे से अपने होंठ खोले और कुत्ते के लंड का ज़ायकेदार सुपाड़ा अपने मुँह के अंदर ले लिया। उसके होंठों ने चिकने लंड के चारों और से ढक लिया और वो लालसा से लंड को मुँह में भर कर चूसने लगी।

"ऊँऊँऊँमममममम", वो निहाल हो कर गोंगियाई।

कुत्ते के लंड को चूसते हुए यास्मिन के गाल अंदर पिचक गये और उसके होंठ लंड के चारों ओर बाहर की तरफ मुड़ गये। उसकी ज़ुबान लंड की निचली सतह पर फिसलने लगी। कुत्ते की मज़ी अब यासमीन की ज़ुबान पर बाढ़ की तरह लगातर बह रही थी। हालांकि कुत्ता अभी झड़ा नहीं था लेकिन उसकी मज़ी भी किसी आम आदमी के झड़ने के बाद इख़राज़ हुई मनी से भी काफी ज़्यादा थी। यास्मिन मस्त हो कर उसे निगल रही थी।

शेरू ने आगे-पीछे धक्के मारते हुए यास्मिन के मुँह में अपना लंड इस तरह चोदना शुरू कर दिया जैसे कि वो यास्मीन की चूत हो। यास्मिन का मुँह कुत्ते को चूत की तरह महसूस हो रहा था - और यास्मिन को भी। उसकी ज़ुबान उसकी क्लिट की तरह ही गर्म थी और वो इतनी ज़्यादा मिक़दार में राल टपका रही थी जितनी कि उसकी चूत अपना मलाईदार रस छोड़ रही थी। शेरू ने धक्का मार कर यास्मिन का सिर पीछे झुकाते हुए अपने लंड का सुपाड़ा यास्मिन के हलक में ठाँस दिया।

"ऊँममघघ" कुत्ते का लंड गले में अटकने से यास्मिन की साँस घुटने लगी। फिर जब कुत्ते ने अपना लंड बाहर खींचा तो यास्मिन ने बिल्ली जैसे घुरघुराते हुए लंड के आरपर हर बेशक़ीमती हिस्से को चूसा।

उस चुदासी औरत पर आगे पीछे दोनों तरफ़ से सवार, यास्मिन को आपस में बाँटते हुए, शेरू और सिम्बा यास्मिन के पीठ के ऊपर से एक दूसरे को ताक रहे थे। उनकी जीभें बाहर लटकी हुई थीं और आँखें चमक रही थीं। पूरी तरह से सीखे सिखाये हुए कुत्तों की तरह दोनों यासमिन को एक ताल और लय में चोद रहे थे। सूल्तान यास्मिन की चूत में धक्का मार कर चोदता और यास्मिन का सिर शेरू के लंड पर और आगे ढकेल देता। फिर शेरू उसके मुँह में अपना लंड ठेल कर उसकी चूत को वापस सूल्तान के लंड पर पीछे ढकेल देता। यांस्मिन एक हड्डी की तरह उनके बीच में मालूम हो रही थी जिसके लिये दोनों कुत्ते लड़ रहे हों।

यास्मिन फैसला नहीं कर पा रही थी कि ये दोहरी चुदाई किस छोर से उसे ज़्यादा लुत्फ दे रही थी। उसकी चूत थी कि मुँह की तरह सिम्बा का लंड चूस रही थी और उसका मुँह चूत की तरह चुद रहा था और वो चूदास औरत सातवें आसमन पर थी।

शेरू ने अपना तमाम जसीम लंड उसके मुँह में गाढ़ दिया और उसके टट्टे यास्मिन की ठुड्डी के नीचे टकराने लगे। फिर सिम्बा ने भी उसकी चूत पूरी तरह अपने लहराते हुए लंड से भर दी। वो उन दोनों लौड़ों के ज़रिये इस तरह आरपार छिदी हुई मालूम हो रही थी जैसे सरिये से छिदा हुआ सुअर आग के ऊपर भुना जा रहा हो। यास्मिन को सिम्बा का लंड अपनी चूत में बिल्कुल अंदर तक धड़कता महसूस हुआ और फिर उसे शेरू का लंड अपने हलक़ में टकराता महसूस हुआ। उसे शक़ हुआ कि क्या दोनों कुत्तों के लौड़ों के सुपाड़े उसके जिस्म के बीच में कहीं आपस में टकरा रहे हैं।

यास्मिन की चूत से मलाईदार रस बह रहा था और मुँह से थूक की राल बह रही थी। बेइंतेहा चुदासे लुत्फ़ की तूफानी लहरें उसकी टाँगों से उठ कर उसकी चूत और पेट तक बह रही थीं और उसकी ज़ुबान सनसना रही थी।

जब शेरू ने अपना लंड यास्मिन के हलक़ तक ठाँस कर उसके पेट में अपनी मनी की धारायें छोड़ी तो यास्मिन गोंगियाने लगी। यास्मिन के होंठ शेरू के लंड की बालों से ढकी जड़ पर लिपट गये और उसकी चूत के होंठ भी सिम्बा के लंड की जड़ पर फैल गये।

दोनों कुत्ते इंज़ाल के मज़े की तरफ बढ़ते हुए भौंकने और गुर्राने लगे। यास्मिन की चूत पहले से ही अपनी मलाई छोड़ रही थी और उसकी चूत जब पटाखों की लढ़ी की तरह फूटने लगी तो यास्मिन कराहती और चिल्लाती हुई कुत्तों के झड़ने का इंतज़ार करने लगी। अपने मुँह और चूत में कुत्तों की मनी की पिचकारी छूटने के लिए यास्मिन तड़प रही थी।

झड़ने की कगार पर पहुँचते हुए सिम्बा इतनी तेजी और ताकत से अपना लंड यास्मिन की चूत में चोद रहा था कि उसकी पिछली टाँगें धुंधली दिखायी दे रही थीं। यास्मिन को उसका लंड अपनी चूत में बहुत ज़्यादा फूलता हुआ महसूस हो रहा था और उसकी चूत की दीवारें भी उस धड़कते हुए लंड के चारों और फैल रही थीं। वो शेरू के सुहावने लंड को बेहद शौक से चूस रही थी और मस्ती में हलक़ तक भर कर निगलते हुए कलकल की आवाज़ निकाल रही थी। एक चुदक्कड़ औरत के लिये ये किस कदर लुत्फ़-अन्दोज़ी की हालत थी।

यास्मिन बार-बार बाशिद्दत झड़ रही थी और दोनों कुत्ते भी झड़ने के कगार पर थे।

घुड़कते और गुर्राते हुए दोनों कुत्ते पूरे जोश में अपने लंड यास्मिन की चूत और मुँह में चोद रहे थे। यास्मिन को सिम्बा का पूरा लंड बहुत जोर से अपनी चूत में घुसता महसूस हुआ तो वो सिसकी पर मुँह में शेरू का लंड भरे होने की वजह से उसकी सिसकरी की आवाज़ दब गयी। फिर शेरू ने भी आगे धक्का दिया और यास्मिन का मुँह अपने लंड से इतना भर दिया कि उसके दोनों गाल एक साथ बाहर की ओर फूल गये।

यास्मिन ने भी अपनी चूत सिम्बा के लंड पर जड़ तक पीछे ढकेल दी और शेरू के लंड को इतनी जोर से चूसने लगी कि वो उसके लंड को अपने फेफड़ों में खींचती हुई मालूम हो रही थी। तभी यासमीन को अपनी चूत में सिम्बा के लंड की गाँठ और ज़्यादा फूलती हुई महसूस हुई। एक बार तो उसने अपनी चूत को भींच कर वो गाँठ चूत से बाहर ढकेलने की नाकाम कोशिश की। फिर उसे एहसास हुआ दरअसल उसे गाँठ के चूत में फूलने से मज़ा आने लगा था। चूत में कुत्ते के लंड की गाँठ की लर्ज़िश उसे बेहद मज़ा दे रही थी।

सिम्बा के लंड से मनी का एक ढेर, रॉकेट की तरह निकल कर यास्मिन की पिघलती हुई चूत में फट पड़ा। यास्मिन कराही और दूसरे ही पल शेरू के लंड से भी गरमागरम मनी भभक कर उसके मुँह में भर गयी।

वो कुत्ते यास्मिन के दोनों छोरों में अपनी मनी भर रहे थे। सिम्बा ने अपना लंड जड़ तक उसकी चूत में ठाँस दिया और उसके लंड की जड़ फूल कर एक डाट की तरह चूत में फँस गयी। यास्मिन की चूत उसकी मनी से लबालब भरने लगी। शेरू भी उसके मुँह में इतनी ज्यादा मिक़दार में मनी बहा रह था कि, हालाँकि यास्मिन बड़े-बड़े घूँट पी कर मनी निगल रही थी पर फिर भी बहुत सारा बेश-क़ीमती आब-ए-हयात उसके होंठों से बाहर निकल कर उसकी ठुड्डी के दोनों किनारों से नीचे बह रहा था। वो जोर-जोर से कुत्ते का लंड चूसते हुए उस की मनी उसकी मनी निगल रही थी। कुत्तों का इतनी सारी मनी उसकी चूत में झटपट ऊपर दौड़ रही थी और हलक के नीचे बह रही थी कि उसे लगने लगा कि उसका पेट गुब्बारे की तरह फूलने लगेगा। मनी के ढेर के ढेर उसकी चूत में फूट रहे थे और दूसरे सिरे पर उसके मुँह में भर-भर कर मनी बह रही थी। दोनों कुत्ते कराहते हुए डगमगाने लगे और जैसे-जैसे उनके टट्टे खाली होने लगे उनके धक्के भी डाँवाँ-डोल हो गये।

आसानी से मुतमइन न होने वाली चुदक्कड़ यास्मिन दोनों कुत्तों के बीच में अभी भी हिल रही थी और अपनी चूत सिम्बा के लंड पर चोदती हुई, मनी से रिसते शेरू के लंड को चूस रही थी। कुत्तों ने हिलना बंद कर दिया था और हाँफते हुए, उसके चूतड़ और कंधे के सहारे उससे चिपके हुए थे। यास्मिन उन दोनों के बीच झटकती हुई उनके झड़े हुए लौड़ों पर अपनी चूत की आखिरी तरंगें महसूस कर रही थी।

उसकी चूत की दीवारें सिम्बा के लंड पर ऐंठ कर उसकी चिपचिपी मनी के आखिरी कतरे खींचने लगी। शेरू के लंड को भी यासमिन अपना सिर हिला-हिला कर चूसती हुई उसमें से मनी के बहुमूल्य कतरे अपनी ज़ुबान पर निकालने की कोशिश कर रही थी। वो मस्ती में ज़ोर से जब उसकी क्लिट में एक आखिरी झनझनाहट उठी। फिर उसने हिलना बंद कर दिया।

जैसे ही यास्मिन बेहद ज़बरदस्त तरीके से झड़ने के बाद थोड़ी सी संभली तो उसने सिम्बा को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की, लेकिन कुत्ते के लंड की गाँठ उन दोनों को कस कर एक साथ जकड़े हुए थी। असल में यास्मिन को वो गाँठ और भी बड़ी होती हुई महसूस हुई। सिम्बा ने अपनी टाँगें यास्मिन की कमर से हटा लीं और पीछे घूम गया जिससे अब उन दोनों की गाँड एक दूसरे से जुड़ी हुई थी। यास्मिन को हैरत हुई कि सिम्बा अपना लंड उसकी चूत में से बाहर क्यों नहीं निकाल पा रहा था और उसके लंड की गाँठ अभी भी यास्मिन की चूत में फँसी हुई थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करेगी। यास्मिन ने घबरा कर अपनी गाँड को दो-तीन झटके दे कर खुद को कुत्ते से आज़ाद करने की कोशिश की पर जब इससे यास्मिन को बहुत दर्द हुआ तो उसने कुत्ते से अलग होने की कोशिश छोड़ दी।

यास्मिन को याद आया कि कुत्तिया को चोदने के बाद कुत्तों का लंड कुछ देर तक अंदर फँसा रहता है। यास्मिन की परेशानी कुछ कम हुई और उसने सोचा कि उसे कुत्ते के लंड की गाँठ के सिकुड़ने का कुछ देर इंतज़ार करना पडेग़ा और वैसे उसे गाँठ के फूलने से मज़ा भी आ रहा था। वो शेरू के लंड को भी मुँह में लिये हुए थी। वो सोच रही थी कि क्या ऐसा हो सकता है कि उसकी चूत और मुँह से बाहर निकलने के पहले ही वो लंड फिर सख्त हो जायें? काफी हवत-अफ़्ज़ा ख्याल था और नये जोश के ईशारे की उम्मीद में उसने अपनी चूत की दीवारों को सिम्बा के लंड पर एक बार भींच दिया।

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शाज़िया, उस वक़्त, गधे के चट्टान जैसे सख्त लंड का इलाज कर रही थी।

गधा तिरछा घूम गया था और शाज़िया ललचायी नज़रों से उसके जसीम लंड को निहार रही थी। इसमें कोई ताज्जुब नहीं था कि वो जानवर इतना हट्टा-कट्टा था, शाज़िया ने सोचा। इतने भारी लंड और टट्टों को हर वक़्त ढोने से शरीर तो ताकतवर बनेगा ही।

अब वक्त आ गया था उस गधे के बोझ को कम करने का - उसके टट्टों को खाली करके उसके लंड के अकड़ाव को कम करने का। शाज़िया घुटनों के बल उसके नज़दीक खिसकी। गधा रेंकने लगा और उसके लंड की मांसपेशियाँ फड़कने लगी और वो लंबा लंड ऊपर-नीचे झटकने लगा। जब वो लंड ऊपर की ओर झटकता तो उसका चमकीला काला सुपाड़ा गधे की छाती से टकराता। वो मूसल काला लंड मज़ी से चुपड़ा हुआ था और जब वो गधे की छाती पर टकराया तो लिसलिसी मज़ी के छींटे उड़े। यह देख कर शाज़िया ने सिसकरी भरी और वो अपने होंठ चाटने लगी।

शाज़िया ने अपना हाथ बढ़ा कर उस उत्तेजित गधे के लंड पर टट्टों से सुपाड़े तक फिराया। लंड की मोटी नस शाज़िया के हाथ में धड़कने लगी। शाज़िया ने अपनी अँगुलियाँ उसके सुपाड़े के निचले हिस्से पर फिरायीं और उसकी दरार से और ज़्यादा लिसलिसा रस चू कर सुपाड़े पर से बहता हुआ शाज़िया के हाथ में टपकने लगा।

उसने अपना चिकना हाथ वापस खींचा और अपने चेहरे के सामने ला कर उस चिपचिपी मनी में अपनी ज़ुबान डुबा दी। शाज़ीया की आँखें सिकुड़ गयी और उसकी लंबी पलकें फड़फड़ाने लगी। उसने अपने खुले होंठ अपने हाथ पर दबा कर गधे की मनी अपने मुँह में अंदर सुड़क ली। वो मनी इतनी गाढ़ी और चिपचिपी थी कि शाज़िया को लगा जैसे उसके मुँह में कच्ची झींगा मछली हो। फिर वो रस शाज़या की गरम ज़ुबान पर पिघल गया और वो रिरियाते हुए उसे पी गयी।

गधे ने सिर घुमा कर शाज़िया को देखा। उसकी जाँघें थरथराने लगी और उसका लंड आगे निकल कर हवा में लहराते हुए अपने पेशाब वाले छेद से और ज़्यादा मनी छलकाने लगा।

हाथ से चाटने के बावजूद गधे की मनी बहुत ज़ायकेदार थी और शाज़िया लालच से कराहने लगी। उसकी लंड चूसने की ख्वाहिश तेज़ हो गयी थी।

शाज़िया ने झुक कर अपनी ज़ुबान गधे के लंड के सुपाड़े पर फिरानी शुरू कर दी। उसकी गुलाबी ज़ुबान गीलेपन के साथ लंड के काले गोश्त पर फिसलने लगी और उस पर चुपड़ा हुआ चिपचिपा रस चाटने लगी। गधा उत्तेजना से कांपने लगा। गधा समझ नहीं पा रहा था कि हो क्या रहा है - इस औरत की लंड चूसने की दिलचस्पी उस बेवकूफ गधे के लिये रहस्य थी - पर उसे बहुत ही अजीब सा मज़ा महसूस हो रहा था।

गधे का लंड फिर से लहराने लगा और उसका सुपाड़ा शाज़िया के होंठों पर फिसलने लगा। शाज़िया ने उसके लंड की लंबी और चमड़े जैसी रॉड को चाटना शुरू कर दिया और वो अपनी ज़ुबान उस पर लपेट कर फिराती हुई मशग़ूल हो कर चाट रही थी। फिर वो अपनी ज़ुबान सपाट करके गधे के लंड की नीचे की फड़कती हुई मोटी नस पर सरकाती हुई पीछे लंड की जड़ तक ले गयी और फिर कुछ वक़्त उसके फूले हुए टट्टों पर ज़ुबान फिराने में बिताया।

गधे का नज़र-अंदाज़ लंड फिर कूदने लगा। शाज़िया को डर था कि कहीं वो गधा जल्दी ही अपनी मनी ना छोड़ दे। मनी की भूखी वो औरत चाहती थी कि चिपचिपी मनी के झरने के फुटने के वक्त, उसका मुँह सही जगह पर हो। शाज़िया उसके लंड की छड़ पर अपने होंठ कस कर उसकी बांसुरी बजाती हुई आगे की तरफ चाटने लगी। उस हलब्बी लंड के भारी सुपाड़े पर अपने होंठ आगे खिसकाते हुए शाज़िया का मुँह उस लंड के तीखे लेकिन रसभरे ज़ायके की लज़्ज़त से सनसना रहा था।

लंड के सुपाड़े के निचले हिस्से पर अपनी ज़ुबान और होंठ सपाट करके शाज़िया उसकी उस नाज़ुक जगह को सहलाने लगी जहाँ लंड की छड़ की मोटी नस सुपाड़े के नीचे त्रिकोण में फैलती है। फिर उसने अपना मुँह सुपाड़े के इर्द-गिर्द खोलना शुरू कर दिया।

उस सुनसान माहौल में शाज़िया को घर की तरफ से कुत्तों के गुर्राने और भौंकने की धुंधली सी आवाज़ें आ रही थी। शाज़िया सोच रही थी कि शेरू और सिम्बा शायद उसे चोदने के इंतज़ार में मुश्तइल हो रहे होंगे पर उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उसके कुत्ते उसकी सहेली को चोद कर मतवाले हो रहे हैं।

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