दो सहेलियों की विकृत और वहशी हवस

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शाज़िया नशे में नंगी ही सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने लड़खड़ाती खड़ी हुई। उसकी पहली ठोकर घास में गिरी हुई वोडका की बोतल पर लगी। उसने झुक कर वो बोतल उठा ली। उसमें थोड़ी सी वोडका बाकी थी और वो बोतल से घूँट पीती हुई छप्पर की तरफ बढ़ी। चलते हुए उसकी नंगी चूत ऐसे महसूस हो रही थी जैसे उसमें से भाप निकल रही हो। शाज़िया का जिस्म हवस भरे जोश और सनसनी से काँप रहा था और वो नशे में काफी चूर थी। इस वजह से ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में उसके कदम सीधे नहीं पड़ रहे थे और वो छप्पर तक पहुँचने तक तीन-चार बार गिरी।

जैसे-जैसे शाज़िया छप्पर के नज़दीक आ रही थी, उसकी गरम चूत की ख़ुशबू छप्पर में तेज़ होती जा रही थी। शाज़िया को उस उत्तेजित गधे के पैरों की ज़मीन पर ठाप सुनायी दी। छप्पर के दरवाज़े पर वो कुछ लम्हों के लिए रुकी और धीरे से बहती हुई ठंडी हवा से उसके लंबे काले बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ गये और उसे लगा जैसे वो ठंडी हवा उसकी चूत की आग को भड़का रही हो। उस बेवकूफ़ गधे ने अपना सिर उछाल कर शाज़िया की तरफ देखा। गधे की अकड़ी हुई गर्दन के बाल भी सीधे खड़े हो गये और जब वो अपने दाँतों के पीछे अपने भीगे होंठ मोड़कर जोर से घुरघुराया तो उसके जबड़ों से थूक की बौंछार सी निकल गयी।

शाज़िया अंदर दाखिल हुई और बोतल में से वोडका की आखिरी घूँट पी कर दरवाजा बंद कर दिया। लकड़ी के खंबे के सहारे खड़े हो कर शाज़िया ने उस जानवर के हैरत-अंगेज़ लंड पर अपनी निगाह डाली। कुछ और नहीं तो उसका लंड पहले से ज़्यादा बड़ा हो गया लग रहा था। चूत को रगड़ते हुए देखने के लिए ये कितना हसीन और चोदू नज़ारा था।

इतना जसीम और काला, नंगा लंड बालों से भरे खोल में से बाहर निकल कर अकड़ कर खड़ा था। उसके चिकने सुपाड़े पर मनी की कुछ दूधिया बूँदें चमक रही थी।

गधे के लंड और टट्टों को घूरते हुए शाज़िया ने बोतल अपने होंठों से लगायी पर जब उसे एहसास हुआ कि वो खाली है तो उसने वो बोतल एक तरफ पटक दी और अपना हाथ चूत पे रख कर अपनी अंगुलियाँ दहकती हुई चूत में घुसा दीं। गधे ने जब उसकी मलाईदार चूत को देखा तो उसकी आँखें बाहर को उभर आयीं। उसकी लाल ज़ुबान राल टपकाती हुई उसके खुले जबड़े के किनारे फिसलने लगी। शाज़िया जैसी चुदक्कड़ और हवस परस्त औरत के लिए काफी रोमाँचक बात थी कि एक उत्तेजित गधा इतनी हसरत से उसकी चूत को घूर रहा था। उतना ही और रोमाँच शाज़िया को गधे के लंड और टट्टों को निहारने में भी आ रहा था। नशे की वजह से शाज़िया मज़बूती से एक जगह सीधी खड़ी नहीं हो पा रही थी। इसलिए उसने लकड़ी के खंबे पर अपनी कमर टिका कर अपने घुटने थोड़े से नीचे झुका लिए और गधे को अपनी खुली चूत का दीदार करवाने लगी।

वो गधा घुरघुराया और उसके फटफटाते होंठों से बुदबुदाने की अवाज़ आने लगी। उसके मज़बूत जिस्म में तनाव की लहरें उठ रही थीं। उसका लंड अकड़ कर ऐसे फूल गया था कि शाज़िया को लग रहा था कि वो लंड की ठनठनाहट सुन रही थी।

शाज़िया ने अपनी क्लिट रगड़ी तो उसका जिस्म थरथरा उठा। उसने अपनी दो अंगुलियाँ धीरे से चूत में अंदर तक घुसा दीं और उन्हें चूत में घुमाने लगी। गधे की नज़रें शाज़िया की चूत पर ऐसे गड़ी थीं जैसे वो अपनी नज़रों से उसे सहला रहा हो। शाज़िया की चूत के रस की एक धार चू कर उसकी टाँग से नीचे की ओर बह गयी। उसने अपनी अँगुलियाँ बिल्कुल अंदर तक घुसा दीं और फिर उसने आहिस्ता से बाहर खींची तो उसकी तंग चूत जैसे उसकी अंगुलियों को चूसते हुए अंदर खींचने लगी और उसकी चूत का रस उसकी चुल्लू बनी हथेली में भर गया। शाज़िया ने फिर अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दीं और अंदर-बाहर चोदते हुए अपना अंगूठा क्लिट पर आगे-पीछे फिराने लगी।

उसके चेहरे पर बदकारी और कमीनगी छायी हुई थी, आँखें सिकुड़ कर बारीक हो गयी थी और हाँफते होंठ खुले हुए थे। उसकी भी राल बह रही थी - पर उतनी नहीं जितनी उस उत्तेजित गधे की बह रही थी। उस गधे का थुथन थूक से बुरी तरह लिसड़ा हुआ था।

अपने हाथ पर अपनी चूत को ऊपर-नीचे चोदते हुए शाज़िया की गाँड आगे-पीछे झटक रही थी। उसका बहता चूत-रस और भी गर्म और खुशबूदार हो गया और उस गधे ने अपनी गर्दन तान कर शाज़िया की तरफ अपना सिर ढकेल दिया। उसकी ज़ुबान बाहर निकली हुई थी और किनारों से टपक रही थी। उसके मुँह से इतनी राल टपक रही थी कि उसकी ज़ुबान मुँह में गोते लगाती मालूम हो रही थी।

शाज़िया हवस के नशे में बदमस्त हो रही थी। उसकी टाँगें काँप रही थीं और सिर घूम रहा था। अपनी चूत में अंगुलियाँ अंदर-बाहर चोदती हुई शाज़िया गधे के करीब खिसक गयी। उसने अपना हाथ चूत से हटया। उसकी अंगुलियों पर चूत का रस रवाँ हो रहा था और उसकी हथेली भी मलाईदार रस में तरबतर थी। शाज़िया ने अपना हाथ गधे के थुथन के नज़दीक लाया तो गधे के नथुने फड़कने लगे और उसकी आँखें चमक उठी। उसकी ज़ुबान बाहर लपकी और और उस गधे ने शाज़िया के हाथ से चूत-रस सुड़कना शुरू कर दिया।

गधे की भीगी हुई गर्म ज़ुबान काफी फुर्तीली और बेचैन थी। जब वो गधा अपनी भीगी ज़ुबान से इतने जोश से उसका हाथ चाट रहा था तो शाज़िया के फ़ाजिर दिमाग में ये ख्याल आना लाज़िमी था कि गधे की ज़ुबान उसकी चूत पर फिरती हुई कैसी महसूस होगी।

शाज़िया अपने हाथ बदलने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत चोदती और दूसरा हाथ गधे के थुथन को पेश करती और फिर हाथ बदल लेती। चूत के मलाईदार रस से भीगा हुआ शाज़िया का हाथ गधे के थुथन पर जाता और फिर जब वो हाथ चूत पर वापस आता तो उस उत्तेजित जानवर के थूक से तरबतर होता।

"ऊँम्मऽऽऽ --- याऽऽऽल्लाह कोशिश कर के देखूँ क्याऽऽऽ?" शाज़िया ने सोचा। उसका ज़मीर थोड़ी सी मुख़ालिफ़त कर तो रहा था पर वो ज़लील हवस में बेइंतेहा बदमस्त थी। "सिर्फ उसकी ज़ुबान ही तो है!" उसने खुद को ही दलील पेश करी। "वो पहले से मेरे हाथ से चूत का रस चाट रहा है तो सीधे चूत से रस चाटने में क्या बुराई है। शेरू और सिम्बा भी तो मेरी चूत चाटते हैं और फिर ज़ुबान ही तो है... मैं कौनसा इससे चुदवाने वाली हूँ! बेचारा इतना इक्साइटिड है... मैं तो सिर्फ इसकी मदद कर रही हूँ... एक बे-ज़ुबान जानवर पे थोड़ी सी मेहरबानी! और फिर जब मैं इसकी ज़ुबान पर झड़ुँगी तो मेरी चूत भी मुतमइन हो जायेगी, जिससे हवस में बह कर और आगे बढ़ने का खतरा भी नहीं रहेगा!"

यहाँ तक कि शाज़िया ख़ुद की इस दलील पर मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी। शाज़िया गधे के और नज़दीक आ गयी और अपनी चिकनी जाँघें फैलाते हुए अपने घुटने थोड़े से झुका कर उसने अपनी चूत ऊपर को ठेल दी। शाज़िया ने अपने दोनों हाथ अपनी टाँगों के बीच में ले जाकर अपनी लचीली चूत के होंठ फैला दिये और चूत को मलाई के कटोरे की तरह खोल दिया।

गधे ने अपना थुथन शाज़िया की जाँघों के बीच मे ढकेल दिया। जब उसे अपनी चूत पे गधे का थुथन फड़कता हुआ महसूस हुआ तो शाजिया थरथरा उठी। जब वो गधा घुरघुराया तो उसकी गर्म साँस सीधे शाज़िया की चूत में लहरा गयी। उसका मुलायम थुथन शाज़िया की क्लिट पर रगड़ा और वो सख्त कली ऐंठ कर फड़फड़ाने लगी।

"ओहह!" शाज़िया ने गहरी साँस ली, "भोंसड़ीऽऽऽ केऽऽऽ!"

शाज़िया ने अपनी चूत के लब और भी चौड़े खोल दिये और उन लचीले लबों को गधे के थुथन पर इस तरह खींच के अपनी चूत उसके थुथन पर घुमाने लगी जैसे कि लंड पर कॉन्डम चढ़ा रही हो।

गधा उसकी चूत में घरघराया और फिर चूत की भिनी ख़ुशबू अपनी नाक में खिंची। उसकी नाक चूत में फड़क रही थी। उसकी ज़ुबान धीरे-धीरे बाहर फिसलने लगी, जैसे कि वो गधा तय नहीं कर पा रहा हो कि क्या करना है। गर्म चूत की ख़ुशबू से वो गधा यक़ीनन वाक़िफ़ था। वो एक चोदू गधा था जिसने अपने जीवन में कईं गधियों को चोदा था। लेकिन पहले कभी उसके थुथन पर किसी औरत की चूत नहीं दबायी गयी थी और इसलिए वो चकराया हुआ था।

पर फिर उसकी वहशी फितरत ने उसे अपने कबज़े में ले लिया। वो शाज़िया की चूत के बाहर चाटते हुए चूत के अंदर सुड़कने लगा और फिर उसने अपनी लंबी ज़ुबान सीधे शाज़िया की चूत में घुसेड़ दी। "आआआईईईऽऽऽ याल्लाऽऽहऽऽऽऽ आँआँहहह...." शाज़िया जोर-जोर से कराहने और सिसकने लगी। गधे की ज़ुबान इतनी बड़ी थी कि वो शाज़िया की चूत इतनी अंदर तक भर रही थी जितना की आम लंड उसकी चूत भर सकता था।

शाज़िया गधे के थुथन के सहारे हिलने-डुलने लगी। शाज़िया का सुडौल जिस्म पूरा काँप रहा था और वो मस्ती और लज़्ज़त की शिद्दत से कराह रही थी। उसके चूतड़ गोल-गोल घूम रहे थे और उसकी कमर आगे-पीछे हो रही थी। चूत को फैला कर खोलने के लिए शाज़िया को अब अपने हाथों की जरूरत नहीं थी। वो अब उस गधे का सिर पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच में दबा रही थी। गधे को भी अब और हौसला-अफ़ज़ाई की जरूरत नहीं थी। वो भी पूरे जोश से शाज़िया की चूत में चर रहा था।

गधा इतना भी बेवकूफ़ नहीं था और जल्दी ही सीख गया। हालात से डरे बगैर, वो शाज़िया की चूत में अपनी ज़ुबान ऊपर-नीचे चोद रहा था। चोदने में उसकी ज़ुबान किसी भी इंसानी लंड से कम नहीं थी।

गधे के सिर को अपने हाथों में पकड़े हुए शाज़िया अपनी चूत उस पर रगड़ रही थी। हलांकि शाज़िया हाई-हील के सैंडल पहने हुए थी, पर फिर भी वो अपने पैरों के पंजे और ज्यादा मोड़ कर ऊपर उठी और फिर वापस झुक गयी। गधे का सिर भी उसके साथ ऊपर-नीचे हुआ। जब शाज़िया की जाँघों पर उसका चूत-रस बहने लगा तो गधे ने सिर झुका कर चूत-रस की धार को मुँह में सुड़क लिया, और फिर ऊपर उठा कर चूत के बाहर लगी मलाई को चाटने लगा।

शाज़िया ने खुद को और आगे ढकेल दिया जैसे कि वो गधे का पूरा सिर अपनी चूत में लेने की कोशिश कर रही हो। गधे की ज़ुबान के किनारों से शाज़िया के चूत-रस के मोतियों की लढ़ें लटकी हुई थीं। शाज़िया फिर अपने पंजे मोड़ कर ऊँची उठी। गधे का थुथन उसकी चूत पर फिसला और उसकी लंबी ज़ुबान शाज़िया के चूतड़ों की दरार में लिपट गयी। शाज़िया के गाँड के छेद से चूत तक सुड़कती हुई गधे की ज़ुबान धीरे से वापस खिसकी।

गधे का भूरा थुथन शाज़िया की चूत की मलाई से भीगा हुआ था और उसकी ज़ुबान भी उस ज़ायकेदार पानी से तरबतर थी। वो भी शाज़िया की चूत में राल बहा रहा था। उसका थूक बुदबुदा कर निकलता हुआ शाज़िया की चूत की मलाई में मिलता जा रहा था जिससे शाज़िया की चूत और जाँघें थूक के दलदल में तब्दील हो गयी थीं।

शाज़िया ने अपने हाथ नीचे, गधे के जबड़े के पास ले जाकर उसकी ज़ुबान अपनी अंगुलियों में पकड़ ली और उसकी ज़ुबान को इस तरह अपनी क्लिट पर रगड़ने लगी जैसे कि वो वायब्रेटर से चुदाई कर रही हो लेकिन किसी भी प्लास्टिक के वायब्रेटर से उसे इतना मज़ा उसे नहीं मिला था। वो जानती थी कि इस वक़्त गधे के साथ जो वो कर रही है वो समाज की नज़रों में गुनाह-गारी और बे-राह-रवी है पर यह एहसास ही उसकी शहूत और मस्ती में इज़ाफ़ा कर रहा था।

शाज़िया ने गधे की ज़ुबान अपनी चूत में भर ली। शाज़िया की चूत ने उस ज़ुबान को चारों तरफ से झटक लिया और चूत की दीवारें ज़ुबान को चूसती और अंदर खींचती हुई उस पर चिपकने लगी। गधे की ज़ुबान भी सरकती और फिसलती हुई शाज़िया की चूत के अंदर धड़कने लगी। गधे ने ज़ुबान और अंदर ठेल दी और फिर धीरे से वापस खींच कर शाज़िया की क्लिट पर सुड़कने लगा।

शाज़िया ने अब झड़ना शुरू कर दिया। शाज़िया को ऐसा लग रहा था जैसे ऑर्गज़्म की शदीद लज़्ज़त उसकी ऐड़ियों से शुरू होकर उसकी काँपती टाँगों से ऊपर बहती हुई चूत में आ कर फूटेगी। शाज़िया की क्लिट में धमाका हुआ और उसकी चूत पिघल उठी। शाज़िया की चूत से चूत-रस की गर्म मलाई बाहर बहने लगी तो शाज़िया गधे के थुथन पर जोर-जोर से झटकने और अपनी चूत पीटने लगी।

जब शाज़िया का तीखा और पिघले मोतियों जैसा गाढ़ा और गर्म चूत-रस गधे की ज़ुबान पर बहने लगा तो गधे की ज़ुबान पागलों की तरह उसे सुड़कने लगी और गधा जोर से रेंकने लगा। शाज़िया की गाँड और चूतड़ आगे-पीछे हिलने लगे और गधे की ज़ुबान चूत के अंदर बेलचे की तरह खोदती हुई जल्दी-जल्दी चूत-रस पीने की कोशिश करने लगी।

शाज़िया का जिस्म ऐंठ कर झनझनाने लगा और वो लुत्फ़-अंदोज़ी से चींखने लगी। वो झटकने, काँपने और लड़खड़ाने लगी और जोश से उसे चक्कर आने लगा। उसे अपनी टाँगें नरम होती महसूस हुईं और उसकी सारी ताकत ऑर्गेज़्म की गर्मी में पिघलने लगी। शाज़िया अपनी लज़्ज़त की बुलंदी पर वहाँ चिपकी हुई जन्नत की मीठी-मीठी लज़्ज़त की खाई के ऊपर झूल रही थी। गधे की ज़ुबान ने चाटना जारी रखा और शाज़िया के अंदर लज़्ज़त भरी मस्ती की एक और तरंग छेड़ते हुए गधा चूत का रस पी रहा था।

झनझनाते हुए आखिरी झटके के साथ शाज़िया फिर जोर से चींखी और फिर लड़खड़ाते कदमों से पीछे हट गयी। गधे ने अपना सिर शाज़िया के साथ-साथ आगे ढकेला और आखिरी बार सुड़कते हुए अपनी ज़ुबान उसकी चूत पर फिरायी। शाज़िया में खड़े रहने की ताकत नहीं बची थी इसलिए वो अपने घुटने जमीन पर टिका कर बैठ गयी। नीम-बाज़ आँखों से शाज़िया ने गधे पर नज़र डाली - उसकी ज़ुबान से जो गज़ब का रोमाँच और मज़ा शाज़िया को मिला था, उसके लिए ये शुक्राना नज़र थी। शाज़िया ने देखा कि गधे का जबड़ा और थुथन उसके चूत-रस से दमक रहा था।

गधे ने भी शाज़िया को निहारा। गधे के चेहरे के तासुर पुर-उम्मीदगी वाले थे। शाज़िया की चूचियाँ ऊपर-नीचे उठ रही थीं और वो अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी। गधा भी हाँफ सा रहा था। गधे के चेहरे के तासुर बदले और उसकी बड़ी आँखों पर उसकी पलकें झुक गयी और वो उदास दिखने लग। शाज़िया ने ऐसे ही सोचा कि शायद गधा उसके पीछे हट जाने से उदास है। क्या उस गधे की ज़ुबान उसकी चूत को और चाटना चाहती थी! शाज़िया ने झुक कर अपनी टाँगों के बीच में देखा। उसकी चूत और जाँघें गधे के थूक से सराबोर थीं।

शाज़िया सोचने लगी कि क्या वो एक बार फिर इस तरह झड़ सकती है। ख्याल तो मज़ेदार था और उसे यकीन था कि गधा भी एक बार फिर उसकी चूत का ज़ायका लेना पसंद करेगा। उसे ये भी यकीन था कि यास्मिन अब तक तो सो चुकी होगी और उसके वहाँ आकर शाज़िया को गधे की ज़ुबान से अपनी चूत चटवाते हुए देख लेने का कोई इम्कान नहीं था। शाज़िया अपनी चूत और गधे के थुथन को बारी-बारी देखने लगी।

लेकिन तभी गधे ने अपना सिर उछाला और फिर घूम कर तिरछा खड़ा हो गया। शाज़िया की आँखों के सामने गधे का लौड़ा लहराने लगा। जब वो पुरजोश शाज़िया की चूत चाट रहा था तो उसका लंड और भी बड़ा हो गया था। उसका लौड़ा इतना बड़ा दिख रहा था जैसे कि ख़याली नमूना हो, काले पत्थर से गढ़ा हुआ खंबा।

"ओहह! बेचारा जानवर", शाज़िया ने सोचा। "मैं भी कितनी खुदगर्ज़ हूँ जो अपने मज़े के लिए इस बे-ज़ुबान जानवर को इतना गर्म और मुश्तइल कर दिया और अपनी चूत की तस्कीन होने के बाद इसे तड़पता हुआ छोड़ रही हूँ।

शाज़िया ने ज़िंदगी में कभी भी किसी जानवर के पे बेरहमी नहीं की थी और ना ही वो अब ऐसा कर सकती थी...

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घर के अंदर गेस्ट-बेडरूम में यास्मिन की चूत में फिर से मीठी लहरें उठ रही थीं और उसकी अंगुलियाँ एक बार फिर चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं। यास्मिन को दूर से गधे के रेंकने की आवाज़ आ रही थी जो उसकी चूत के अंदर भड़कती आतिश में बारूद का काम कर रही थी।

यास्मिन के होंठों पे मुस्कुराहट आ गयी। वो सोच रही थी की दो-तीन रोज़ में वो अपने घर वापस चली जायेगी। काश उसे उस गधे के लंड और टट्टों से खेलने का और सहलाने का मौका मिले। लेकिन उसे होशियार रहना होगा। अगर शाज़िया ने या किसी और ने उसे गधे का लंड सहलाते हुए देख लिया तो बहुत शर्मिन्दगी होगी और उसकी इज्जत खाक में मिल जायेगी। यास्मिन को क्या मालूम था कि बाहर शाज़िया पहले से इस वक़्त गधे के साथ इन्ही सब हरकतों को अंजाम दे रही थी।

यास्मिन तसव्वुर कर रही थी कि उसके हाथों में फड़कता हुआ वो भारी-भरकम लंड कैसा महसूस होगा। उसे खुद पे हैरत हुई जब वो इस हद तक सोचने लगी कि उस लंड का ज़ायक़ा कैसा होगा। "राँड यास्मिन!" उसने सोचा, "ये तो हद ही हो जायेगी!" यास्मिन की चूत से चिपचिपा रस फिर बाहर बहने लगा था और वो जोर-जोर से अपनी चूत को अंगुलियों से चोद रही थी।

और तभी उसे कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनायी दी।

शेरू और सिम्बा, शाज़िया के बेडरूम में सुस्ता रहे थे। यास्मिन की चूत की ख़ुशबू हवा में फैली तो दोनों सिर उठा कर खुशबूदार हवा को सूँघने लगे और फिर उत्तेजना से भौंकने लगे। उन दोनों के लंड अपने खोल में से निकल आये थे और टट्टे भी सूजने लगे थे। भौंकते हुए दोनों कुत्ते चूत की मीठी ख़ुशबू के पीछे उछलते हुए भागे।

जब यास्मिन ने कुत्तों को भौंकते और गुर्राते हुए सुना तो उसने अपनी चूत को हाथ से ढक कर ऊपर देखा। गुस्से से यास्मिन की भौंहें चढ़ गयीं। उसका ख्याल था कि शाज़िया ने उन्हें अपने बेडरूम में बंद कर रखा था पर शायद जब शाज़िया फोन सुनने अंदर आयी थी तो दरवाजा बंद करना भूल गयी होगी।

कुत्ते कहीं इस कमरे में आकर उसके मज़े में ख़लल ना डालें, इसलिए वो अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करने के लिये उठी पर खड़ी होते ही नशे की वजह से कार्पेट पर लुढ़क गयी। तभी वो दोनों कुत्ते लपकते हुए कमरे में घुसते हुए दिखायी दिये।

दोनों काफी डरावने लग रहे थे। उनके नुकीले सफ़ेद दाँत चमक रहे थे और दोनों के जबड़ों से राल टपक रही थी। खौफ की वजह से यास्मिन का ध्यान उनके सख्त लौड़ों की तरफ नहीं गया था और उसे लग रहा था कि कुत्ते उस पर हमला करने वाले हैं। वो फिर से उठी और डर से चिल्लाती और नशे में डगमगाती हुई बिस्तर की तरफ लपकी। कुत्ते भी उसके पीछे लपके तो वो डर से चींखी। उसे कुत्तों की साँसें अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगी। कुत्तों की लंबी लाल ज़ुबानें बाहर झूल रही थीं।

"बचाओऽऽऽ!" यास्मिन दहाड़ी।

कुत्ते भी भौंकते हुए गुर्रा रहे थे। दोनों अपने सिर बढ़ा कर यास्मिन के चूतड़ चाटने लगे। यास्मिन फिर जोर से चिल्लायी जब उसे अपनी गाँड पर उनकी जीभें महसूस हुई और उसे लगने लगा कि कुछ ही पलों में उनके दाँत उसके चूतड़ों में गड़ने वाले हैं। तभी सिम्बा उसके ऊपर कूदा।

सिम्बा ने उछल कर अपनी अगली टाँगें यास्मिन के कुल्हों के इर्द-गिर्द लपेट दीं। यास्मिन पहले ही नशे और हाई-हील की सैंडल की वजह से लड़खड़ा रही थी और कुत्ते के वजन की वजह से वो सिम्बा को अपने साथ घसीटती हुई दो कदम और बढ़ी और फिर लुढ़क कर ज़मीन पर गिर पड़ी।

सिम्बा ने यास्मिन को कस कर जकड़ लिया। यास्मिन ये सोच कर बिल्कुल सहम गयी कि उस कुत्ते के नुकीले दाँत उसके मुलायम जिस्म को फाड़ डालेंगे। यास्मिन को लगा कि जल्दी ही दोनों वहशी कुत्ते उसे चीर डालेंगे। यास्मिन खुद को उस जिद्दी कुत्ते से दूर घसीटने की कोशिश करने लगी। इत्तिफ़ाक़ से वो अपने घुटनों और हाथों के बल झुकी हुई थी - कुत्तों के चोदने की पोजीशन!

"ओहहह, नहींऽऽऽ!" वो सुबकने लगी।

यास्मिन घिसटती हुई दूर होने लगी तो सिम्बा ने अपनी जकड़ बनाये रखी और अपने अगले पंजों से उसे पीछे खींचने लगा। इससे यास्मिन की गाँड ऊपर उठ गयी और उसका सिर ज़मीन पर क़ालीन पे झुक गया। ये सोच कर कि अब वो मारी जाने वाली है, यास्मिन मायूस होकर सुबकने लगी। वो सिर्फ बत्तीस साल की थी और ये उम्र मरने के लिहाज़ से बोहत छोटी थी। अभी तो बहुत सारी चीज़ें थीं जिनका उसे अपनी ज़िंदगी में तजुर्बा नहीं हुआ था - जैसे की गधे के लंड को सहलाना - और अब ये जंगली कुत्ते उसे नोच कर खाने वाले थे।

लेकिन उस कुत्ते ने उसे काटा नहीं।

यास्मिन का ख़ौफ़ कुछ कम हुआ। हैरानी से उसकी भोंहें चढ़ गयीं। "क्या वो कुत्ता सिर्फ प्यार ज़ाहिर कर रहा था?"

फिर सिम्बा अपने कुल्हे आगे-पीछे हिलाने लगा।

"मादरचोद!" यास्मिन ने सोचा, "ये चोदू कुत्ते खाने के नहीं बल्कि चुदाई के भूखे हैं!"

यास्मिन राहत से खिलखिलायी। सिम्बा उसके चूतड़ों से चिपका हुआ अपने कुल्हे आगे पीछे हिला रहा था। जोश में होने की वजह से वो यास्मिन की चूत से चूक रहा था। उसका सख्त लंड यास्मिन के चूतड़ से टकरा कर पीछे होता और उसकी रानों के पीछे सरक जाता।

यास्मिन को यकीन हो गया कि वो किसी भी तरह के खतरे में नहीं थी। वो कुत्ते उसे मारने वाले नहीं थे और ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके पीछे वाला कुत्ता उसका रेप भी नहीं कर पा रहा था। उसका बड़ा लंड जोश में आगे-पीछे कूट रहा था पर उसे सही एंगल नहीं मिल रहा था। यास्मिन ने खुद से दलील करी कि उसे सिर्फ थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा जब तक कुत्ते का जोश कम नहीं हो जाता।

"या फिर वो खुद ही क्यों ना उसे अपनी चूत में लंड घुसेड़ने मे मदद कर दे?"

यास्मिन ने ये सोचते हुए लंबी साँस ली। उसकी पलकें झपकीं और उसके होंठ थरथराये। कुत्ते से चुदने का ख्याल बेइंतेहा फ़ासिक़ और बदकार था, ये यास्मिन जानती थी - पर फिर भी ये ख्याल था बेहद चोदू। यासमिन को महसूस हो रहा था कि उसके चूतड़ों पे टकराता लंड कितना बड़ा और सख्त था - और वो तसव्वुर करने लगी कि वो जसीम लंड उसकी चूत को चोदता हुआ कैसा महसूस होगा।

एक चोदू जानवर को उसके टट्टे खाली करने में मदद करके उससे बचने का यह एक मुनासिब तरीका नज़र आ रहा था।

दूसरा कुत्ता भी उनके आसपास उछलता हुआ उत्तेजना से भौंक रहा था। यास्मिन ने देखा कि उस कुत्ते की टाँगों के बीच में उसका बेहद बड़ा लंड ऐसे झूल रहा था जैसे कि समुद्री जहाज का मस्तूल। अगर वो एक कुत्ते को चोदने देती है तो, यास्मिन ने सोचा कि उसे दूसरे कुत्ते को भी चोदने देना पड़ेगा। सिर्फ एक को ही चोदने का मौका देना तो दुसरे के के साथ ना-इंसाफी होगी।

"वैसे भी दो बार चुदने में तो ज़्यादा ही मज़ा आयेगा!" नशे में चूर चुदक्कड़ औरत ने सोचा।

यास्मिन ने अपना हाथ अपने घुटनों के बीच में से पीछे ले जाकर सिम्बा के चिपचिपे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। वो बड़ा लंड यास्मिन की मुट्ठी की पकड़ में धड़कने लगा। अब यास्मिन को समझ आया कि उसके चूतड़ों पर वो लंड इतना सख्त क्यों महसूस हो रहा था। असल में उसके लंड में हड्डी सी थी जिसकी वजह से वो इतना सख्त और कड़क था। यास्मिन ने लंड को अपनी मुट्ठी में सहलाया और सिम्बा ने आगे-पीछे हिलना बंद कर दिया। वो समझ गया कि इस चुदक्कड़ औरत का हाथ मदद के लिये हाज़िर है और वो अपना लंड सही जगह पर टिकाने के लिए यास्मिन का इंतज़ार करने लगा।

यास्मिन ने फिर से अपनी मुट्ठी लंड पर आगे-पीछे चला कर उसे सहलाया। वो सोच रही थी कि क्यों ना ऐसे ही अपनी मुट्ठी से उस कुत्ते के लंड को झड़ा दे और फिर वैसे ही दूसरे कुत्ते को भी मुठ मार कर निबटा दे। कुत्तों को मुठ मार कर निबटाना, उनको चोदने जितना बदकार भी नहीं होगा, यास्मिन ने सोचा।

लेकिन इसमें चुदाई जैसा मज़ा भी तो नहीं आयेगा।

सिम्बा के लंड को जड़ से पकड़ कर यास्मिन ने अपनी कलाई तिरछी की और लंड का गर्म और दहकता सुपाड़ा अपनी गर्म चूत पर रगड़ने लगी। जब लंड का धड़कता हुआ गर्म गोश्त उसकी क्लिट को छुआ तो यास्मिन थरथरा उठी।

सिम्बा मस्ती से पागल हुआ जा रहा था और यास्मिन के कुल्हों से चिपका हुआ वो भौंकने और ठिनठिनाने लगा। उसका पूरा हट्टा-कट्टा जिस्म कांप रहा था। यासमिन यह जान कर बेइंतेहा रोमाँचित और हवस-ज़दा हो रही थी कि उसकी वजह से कुत्ता कितना मुश्त'इल हो गया था और उसे चोदने के लिये कितना मख़मूर हुआ जा रहा था। और दूसरा कुत्ता भी उतना ही मख़मूर और जोश में था और अपना सख्त लंड झुलाता हुआ उनके आसपास ही कूद रहा थ। अपनी चूत के लिये कुत्तों की लालसा देख कर यास्मिन और ज़्यादा हवस-ज़दा हुई जा रही थी। जानवरों से चुदाई के बाबत जो भी शक या शुबहा उसे था, वो उसकी मस्ती और हवस की गर्मी में पिघल कर दूर हो गया।

यास्मिन ने अपनी कलाई घुमायी और सिम्बा के लंड का सुपाड़ा अपनी मलाईदार चूत में चमचे की तरह घुमा कर अपनी चूत के रस को गर्म शोरबे में तब्दील करने लगी। फिर उसने खींच कर कुत्ते के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत में घुसा दिया लेकिन उसने अपनी पकड़ उसके लंड पर बनाये रखी। यास्मिन उस मतवाले कुत्ते को जोरदार चुदाई करने के लिए खुला छोड़ने से पहले उसके लंड से फोरप्ले का मज़ा लेना चाहती थी।

लंड का सिर्फ आधा सुपाड़ा चूत के अंदर घुसे होने से सिम्बा पागल हुआ जा रहा था। उसने आगे धक्का दिया पर यास्मिन की मुट्ठी ने उसे अंदर घुसने से रोक दिया। वो गुर्राया और अपने ताकतवर जबड़े चटकाने लगा। उसकी काली आँखें गोल-गोल घूम रही थीं और वो यास्मिन की झुकी हुई पतली कमर पर अपने जबड़ों से बहुत ज़्यादा तादाद में राल बहा रहा था। उसके पिछले पैरों के पंजे कार्पेट में गड़े हुए थे। उसके मजबूत जिस्म में हर एक रग चटक रही थी और उसके जिस्म की सब माँसपेशियाँ तनाव से खिंच रही थीं।