तलाक

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

ममता कुछ देर ऐसे ही बैठी रही फिर उस के कुल्हें हिलने लगे और वह मेरे लिंग को अंदर बाहर करने लगे। उस के प्रहार भी काफी जोरदार थे। वह भी काफी दिनों की प्यासी थी। उस की गति भी तेज थी मैं अपनी जीभ से उस के लटकते उरोजों के निप्पलों से खेलता रहा। कुछ देर बाद ममता थक कर मेरे पर लेट गयी। मैंने उसे कस कर लपेट लिया। लेकिन अभी हमारी प्यास बुझी नही थी सो नया दौर तो चलना था।

मैनें करवट ली और ममता को नीचे कर के उस के उपर आ कर लिंग को योनि में डाल दिया और धक्कें लगाने लगा। मेरा सारा शरीर पसीने से नहा गया था ममता का भी यही हाल था लेकिन हम दोनों में से कोई डिस्चार्ज नहीं हुआ था सो खेल खत्म नहीं हुआ था। फिर अचानक मेरी आखों के आगें तारें झिलमिला गये और मेरे लिंग के मुह पर आग सी लग गयी। इतना गर्म वीर्य निकला था कि लिंग का मुँह जल सा रहा था। कुछ छण बाद ममता भी डिस्चार्ज हो गयी और उस का गरम पानी भी मेरे लिंग को नहाने लगा। इस सब के कारण में बेसुध सा हो कर ममता के ऊपर गिर गया। ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा। जब चेतना आयी तो ममता के उपर से हट कर उस की बगल में लेट गया। दोनों की सासें धोकनी के समान चल रही थी। इतने समय के बाद हम दोनों ने जोरदार सेक्स किया था और ममता की तो पता नहीं लेकिन मैंने उस का भरपुर आनंद लिया था। इस के बाद कब नींद आ गयी मुझे पता नहीं चला।

सुबह जब आंख खुली तो देखा कि ममता भी मेरी बगल में सोई पड़ी थी वह भी रात को उठी नहीं थी, क्योकि उस ने कपड़ें नहीं पहने थे। सुबह के कारण लिंग फिर से भरपुर तनाव में था। जब बगल में बीवी बिना कपड़ों के पड़ी हो तो पति से कहाँ रुका जाता है सो मैंने उस के पीछे से प्रवेश किया। वह कसमसाई लेकिन उसी करवट पड़ी रही। शायद जाग रही थी लेकिन सोने का बहाना कर रही थी। मेरे हाथ उस के उरोजों को सहलाने लग गये और लिंग उस के कुल्हों पर जोर जोर जोर से वार कर रहा था। पुरा लिंग अंदर नहीं जा पा रहा था लेकिन जितना जा रहा था वही काफी था। कोई पांच मिनट बाद में डिस्चार्ज हो गया। मैंने जब लिंग ममता की योनि में से निकाला तो वह करवट बदल कर मुझ से लिपट गयी और मेरी छाती में सिर छिपा करके सुबकने लगी। मैंने हाथों से उसका चेहरा उठा कर उपर किया तो वह बोली कि

मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ, इतने दिन तुम्हारें बिना कैसे गुजारे है मैं ही जानती हूँ।

लेकिन फोन तो नहीं किया

तुम ने क्यों नहीं किया

मैं नाराज था, तुम ने मर्यादा तोड़ी थी

मैं बहुत गुस्से में थी।

मेरे से बात करनी थी, मुझे मार सकती थी

तुम्हें पता है मैं कभी नहीं कर सकती

लेकिन दूर जा कर सता सकती हो?

तुम्हें नहीं अपने आप को सजा दे रही थी

अब मन भर गया

हाँ खुब

एक बात याद रखना, हम दोनों चाहे दिन में कितना भी लड़ें लेकिन रात में एक ही बिस्तर पर सोयेगे। यही हमारी दवा है।

हाँ यह बात सही है, माँ ने भी यही कहा है कि रात को झगड़ा नहीं होना चाहिये।

अगर मैं तुम्हें संतुष्ट नहीं कर पा रहा था तो मुझे बताना था

मुझे खुद ही पता नहीं था कि ऐसा कुछ हो रहा है

आगे भी हो सकता है कि मैं थकान की वजह से या काम के बोझ की वजह से तुम्हें शारीरिक सुख नहीं या कम दे पाऊं तो मुझ से बात करना हम दोनों इस का हल निकाल लेगे।

मैंने कब ऐसा कहा कि मैं संतुष्ट नहीं हूँ, आज भी तो सारा बदन तोड़ दिया है

मेरी भी कमर दर्द कर रही है, बहुत दिनों बाद सेक्स करने के कारण, लेकिन मौका छोड़ नहीं सकता

तुम बहुत बदल गये हो, मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह बदलाव कैसे हुआ है?

बदलाव अच्छा है या बुरा?

मेरे लिये तो बहुत अच्छा है।

तो चिन्ता किस बात की है

कही तुम फिर से बदल ना जाओ

यार अब हद कर रही हो

मजाक कर रही थी

उस ने उचक कर मेरे होंठ अपने होंठों से सील कर दिये। नये दिन की बढ़िया शुरुआत थी। फिर वह कपड़ें पहनने लगी और उस के बाद कमरे से बाहर निकल गयी। मैं भी उठ कर बैठ गया और कपड़ें पहनने लगा। मुझे पता था कि वह अभी चाय ले कर आ रही होगी, अगर मुझे बिना कपड़ों के देखा तो पता नहीं क्या करें इसी वजह से मैं तैयार हो गया। ममता चाय लेकर आ गयी और हम दोनों चाय पीने लगे। आज मैंने छुट्टी ले रखी थी तो मैंने उस से पुछा कि आज कहीं बाहर घुमने चलते है तो वह बोली कि हाँ काफी समय से घर में ही बंद हूँ।

हम दोनों अपने अपने कामों में लग गये फिर नाश्ता करके बाहर घुमने के लिये निकल गये। मन में किसी खास जगह जाने की सोच नहीं थी, केवल दोनों को एक साथ समय बिताना है यही सोच थी। मुख्य बाजार में घुमते रहे और और खरीदारी करते रहे। जब थक गये तो रेस्टोरेंट में खाना खा कर घर के लिये निकल पड़ें। घर पहुँच कर सामान रख कर जब आराम करने बैठे तो ममता बोली कि आज तो अगली-पिछली सारी शापिंग कर डाली। मैंने कहा कि मैं भी काफी लंबें समय के बाद बाजार गया हूँ। यह सुन कर ममता ने मेरी तरफ देखा, मानों उसे इस पर यकीन नहीं हो रहा है। मैंने कहा कि तुम्हारें घर से जाने के बाद मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगा है केवल नौकरी करी है।

घर से ऑफिस और ऑफिस के घर बस यही किया है। किसी के साथ भी बाहर नहीं गया। तुम्हारें बिना कहीं जाने का मन ही नही था। यह हो सकता है कि तुम से कह नहीं सका लेकिन तुम्हारें बिना जीने की कल्पना में नहीं कर सकता। लेकिन तुम्हारें मेरे बीच की दूरियाँ मुझ से नहीं पाटी गयी। यह मेरी गल्ती है। इस का मैं कसूरवार हूँ। मेरी बात सुन कर ममता बोली कि यह बात तुम मुझ से नहीं कह सकते थे। मैं यही सोच कर परेशान रही कि तुम्हारें जीवन में अब मेरी जगह नहीं रही। तुम्हारें बिना मैं कैसे जिऊँगी? यह मुझे समझ ही नहीं आ रहा था।

घर में सब ने पुछा कि तुम्हारा कहीं कोई चक्कर तो नहीं है जिस कारण तुम मुझे नेगलेक्ट कर रहे हो। इस का मेरे पास कोई जबाव नहीं था लेकिन मेरा मन यह नहीं मान सकता था कि तुम्हारा किसी और औरत के साथ संबंध है। इतना तो मैं तुम को जानती हूँ। लेकिन तुम ने इस बीच कोई फोन ही नहीं किया। मैंने उसे बताया कि मैं तुम्हारें इस तरह से घर छोड़ कर जाने से बहुत नाराज था। तुम अपना घर छोड़ कर गयी थी मैंने जाने के लिये नहीं कहा था। जब गुस्सा कम हुआ तो समझ आया कि अगर तुम गलत कर रही हो तो मैं भी तो सही नहीं कर रहा हूँ।

यह गुस्सा हम दोनों का जीवन बर्वाद कर रहा था और यह मैं होने नहीं दे सकता था इसी लिये तुम्हारें घर फोन किया। लेट किया यह मैं मानता हूँ लेकिन जो हो गया अब उसे बदला नहीं जा सकता। हम यह कर सकते है और करना चाहिये कि हम लड़ें जरुर लेकिन हमारी लड़ाई बिस्तर पर नहीं होनी चाहिये। सेक्स बंद नहीं होना चाहिये। सेक्स सारे झगड़ों को खत्म कर देता है। यह अनुभवी लोगों का कहना है।

मेरी बात सुन कर ममता मुस्काई और बोली कि तुम अपनी कहो तुम्हें तो बिना लडे़ं भी सेक्स करने का टाईम नहीं था। मैंने कहा कि यह मेरी बहुत बड़ी गल्ती थी। भविष्य में कोशिश रहेगी कि ऐसा दूबारा ना हो। मेरी बात सुन कर ममता बोली कि मैं भी तो तुम्हारें को झिड़क देती थी यह मेरी गल्ती थी जो मुझे नहीं करनी थी। आगे से ऐसा नहीं करुँगी। जो बीत गया उसे बिसार कर आगे की सुधि लेते है।

शाम हो चली थी, चाय की तलब लग रही थी, मैं किचन में चाय बनाने गया तो ममता मेरे पीछे-पीछे आ गयी और बोली कि क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि आज तुम मेरे हाथ की बनी चाय पी कर बताओ कि मैं चाय बनाना सीखा या नहीं। मेरी बात सुन कर ममता मेरे साथ खड़ी मुझे चाय बनाता देखती रही। फिर हम दोनों चाय और नमकीन ले कर कमरे में आ गये। चाय का सिप लेने के बाद ममता बोली कि चाय तो बढ़िया बनानी आ गयी है तुम्हें। और क्या-क्या बनाना सीखा है?

मैंने उसे बताया कि ब्रेड टोस्ट बनाना भी सीख लिया है किसी दिन उसे भी बना कर खिलाऊँगा। मेरी बात सुन कर ममता बोली कि हमारे झगड़ें का यह प्लस पाइंट है कि तुम किचन में आना सीख गये हो। मैंने कहा कि मेरी माँ बढ़िया खाना बनाती थी, मेरी बीवी बढ़िया खाना बनाती है तो मैं क्यों रसोई में आऊँ? ममता मेरी इस बात पर खिलखिला दी। उसी की यह हंसी मैंने बहुत दिनों बाद देखी थी और मैं इसे खोना नहीं चाहता था।

शाम बढ़िया बीत गयी और रात आ गयी, रात को भी बढ़िया बनाने का विचार मन में था लेकिन इस के लिये ममता के सहयोग की आवश्यकता थी। रात को जब सोने लगे तो देखा कि ममता मेरी मनपसन्द पोशाक पहन कर आयी थी। जाली की नाईटी। उस के नीचे उस ने बॉड़ी कलर के अन्डर गारमेंट पहन रखे थे। यह देख कर तो मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी। उस ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया तो मैं बेड से उठ कर खड़ा हो गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया। वह भी यही चाहती थी। मुझ से लता की तरह लिपट गयी।

उस के शरीर की सुगंध मेरे नथुनों में समा गयी और हम दोनों के लब एक दूसरे से जुड़ गये। लम्बा और गहरा चुम्बन चला, जब सांस उखड़ने लगी तब दोनों अलग हुये लेकिन अभी भी ममता मेरी बांहों ही में थी। मैं भी उसे मुक्त नहीं करना चाहता था। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे वह भी अपने हाथों से मेरी पीठ को सहला रही थी, फिर हम दोनों के हाथ नीचे की तरफ चले आये और गहराई में उतर गये। मैं और वह चिहुके तो लेकिन इस का आनंद उठाते रहे।

मैंने हाथ उस की कमर से नीचे जाँघों के बीच ले जा कर उस की पेंटी को सहलाना शुरु कर दिया। उस का हाथ भी मेरी जाँघों के मध्य के तनाव को ब्रीफ के उपर से सहलाने लग गया। कुछ देर बाद जब हम से उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई तो हम दोनों ने अपने-अपने कपडे़ं उतार फैकें और बेड पर आ गये। मैंने ममता की ब्रा उतार दी और उस के उरोजों को चुमना सहलाना शुरु कर दिया उसके मुंह से आहहहहह उहहहहहहहह निकलने लग गयी थी। तने निप्पलों का स्वाद ले कर मेरी जिव्हा उस की कमर पर नाभी को चुम कर गहराई में आ गयी और बाधा बन रही पेंटी को नीचे खिसका कर भंग के उभरे भाग को चाटा।

इसके बाद उस की योनि पर उपर से नीचे जीभ घुमायी। इस के बाद योनि को खोल कर उस के अन्दर जीभ घुसा दी। आनंद के मारे ममता ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा सर अपनी योनि से चिपका दिया। मैं योनि का मजा लेता रहा फिर उस की केले के समान मोटी जाँघों को चुमता हुआ नीचे पंजों तक पहुँचा और उन का स्वाद ले कर उपर की तरफ गया और कुल्हों के उभारों को चुम कर उन की गहराई में जीभ घुमा दी। ममता तड़पड़ाई लेकिन हिली नहीं। मैंने उस की गरदन पर चुम्बन दे कर उसे उल्टा किया और उस के होठों को चुम लिया। अब तक वासना की आग हम दोनों में पुरी तरह से धधक चुकी थी और उस का शमन जरुरी था।

मैं बेड पर बैठ गया और ममता की दोनों टागों को पकड़ कर अपने दोनों तरफ कर के उसे बांहों से उठा कर अपनी जाँघों पर बिठा लिया। अब उस का चेहरा मेरी तरफ था और मैं उस के उरोजों को सहला सकता था। मैंने उस के कुल्हों को उठा कर अपने तने लिंग के उपर उस की योनि को टिकाया और धीरे से उन्हें नीचे की तरफ दबाया तो लिंग योनि में समा गया। कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे फिर हम दोनों के कुल्हें उछल-कुद करने लग गये। इस आसन में लिंग योनि में गहरायी तक जाता है इस कारण से लिंग ममता की बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मार रहा था। इस कारण से ममता कराह रही थी और आहहहहहहहह उईईईई उहहहह कर रही थी। मैं इस का आनंद ले रहा था। मुझे कुछ ध्यान आया तो मैंने हाथ बढ़ा कर तकिये के नीचे से कंड़ोम निकाल लिया। ममता नें मेरी तरफ देखा तो मैंने आंख दबायी, वह कुछ नहीं समझी लेकिन उस ने कुल्हें उठा कर लिंग को योनि से निकाल दिया।

मैं कंड़ोम का कवर फाड़ कर उसे अपने लिंग पर चढ़ा लिया। इस कंड़ो पर डॉट बने थे जो ममता को मजा देने वाले थे, अभी ममता तो यह पता नहीं था लेकिन जब उस ने लिंग को दूबारा योनि में डाला तो उसे महसुस हुआ, फिर जब उस के कुल्हें और मेरे चुतड़ों में ऊपर-नीचे होने की रेस लगी तो ममता आहहह उहहहहहहह करने लग गयी। उस के दांत मेरे कंधे के मांस में गढ़ गये थे। बांहें मेरी चारों तरफ कसी हुई थी। काफी देर हम दोनों इस आसन में संभोग करते रहे। फिर थक जाने पर मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उस के उपर आ गया।

ममता के कुल्हें जोर-जोर से उछल कर लिंग को अंदर समा लेने के लिये आतुर थे लेकिन मैं भी लिंग को अंदर बाहर कर रहा था। ममता अब जब भी लिंग अंदर जाता आनंद से चिखने सी लगती थी। उस के नाखुन मेरी पीठ में घाव कर रहे थे। दोनों के शरीर में लगी आग शरीर को जला रही थी और हम दोनों उस से मुक्ति चाहते थे, कुछ देर बाद विस्फोट सा हुआ और मैं ममता पर पसर गया। ममता भी गहरी सांसे ले रही थी। कुछ देर बाद जब मुझे चेतना आयी तो मैं उस के ऊपर से उठ कर बगल में लेट गया। ममता की छाती अभी भी उत्तेजना के कारण उपर-नीचे हो रही थी। कुछ देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे। दम आने पर ममता मेरी तरफ पलटी और बोली कि यह क्या था?

मैंने पुछा कि मजा आया या नहीं?

उस की तो हद हो गयी है। डॉट ने कमाल कर दिया है। यह आइडिया कहां से आया?

मैने उसे बताया कि केमिस्ट की दुकान पर जब यह कंड़ोम देखा तो लगा कि आज इसे यूज करके देखते है। ममता बोली कि तुम्हें कैसा लगा तो मैंने उसे बताया कि कंड़ोम पहनने के बाद मुझे कुछ महसुस नहीं होता है। इसी वजह से डिस्चार्ज होने में भी देर हुई है। वह बोली कि मुझे तो डॉट के घर्षण से मजा आया लेकिन अगर तुम्हें कुछ पता नहीं चला तो क्या फायदा?

मैंने उसे सहलाया और कहा कि तुम्हें अच्छा लगा तो बढ़िया है वह बोली कि नहीं हम दोनों को मजा आना चाहिये।

मैंने कहा कि मुझे भी इस आसन में बहुत मजा आता है। तुम्हें याद है जब हमारी शादी हुई थी तो हम यह आसन बहुत किया करते थे। वह बोली कि हाँ मुझे याद है और मुझे भी यह अच्छा लगता है।

ममता बोली कि कंड़ोम की जगह किसी और चीज का इस्तेमाल किया करेगे। मैं भी उस की बात से सहमत था। मैंने हाथ नीचे कर के लिंग पर चढ़ें कंड़ोम को उतार लिया। वह वीर्य से भरा था। बाहर से भी योनि द्वव की चिपचिपाहट से भरा था। उसे उस के पाउच में रख कर मैंने उसे बेड के नीचे रख दिया। ममता आज के अनुभव से संतुष्ट थी यही मेरे लिये काफी था। लम्बें संभोग ने दोनों को थका दिया था सो दोनों एक दूसरे को बांहों में भर कर लेट गये। कब नींद आ गयी यह पता ही नहीं चला।

सुबह जब आंख खुली तो देखा कि ममता उठ कर चली गयी थी। और मुझे चद्दर उढ़ा गयी थी। मैं भी उठ गया तो देखा कि मेरा कमर से नीचे का हिस्सा चिपचिपा हो रहा था। कल रात के संभोग में काफी द्रव निकला था सो वही शरीर पर चिपक गया था। ब्रीफ पहनी और बाथरुम में घुस गया। जब वहां से निकाला तो ममता चाय ले कर आ चुकी थी। हम दोनों बेड पर बैठ कर चाय का आनंद लेने लगे। ममता के चेहरे से पता चल रहा था कि रात का अनुभव उसे पसन्द आया था। उस के चेहरे पर अलग ही तरह की चमक थी जिसे में पहचानता था। लेकिन काफी समय से उसे उस के चेहरे पर देखा नहीं था। अब समझ आया कि सेक्स में सन्तुष्ट होने पर चेहरे पर एक अलग ही तरह की चमक आ जाती है। उस को इग्नोर नहीं किया जा सकता है।

मैं उठ कर अपने काम में लग गया। फिर तैयार हो कर नाश्ता करके ऑफिस के लिये निकल गया। दोपहर में ऑफिस में ममता का फोन आया कि उस के माता-पिता आये हुये है। इस खबर को सुन कर मुझे लगा कि उन दोनों का आना सही है कम से कम उन्हें अपनी आंखों से देखना चाहिये कि बेटी दामाद के बीच क्या चल रहा है। मैं आप को खाना पैक करा के ले गया। रात को खाना खाते में सास बोली कि बाहर का खाना क्यों ले आये आप?

मैनें कहा कि ममता से जब पता चला कि आप दोनों आये है तो मन किया कि आज बाहर का खाना खाते है तो लेता चला आया आप बताये कि स्वाद कैसा है? इस बार जबाव ससुर जी ने दिया कि खाना लाजबाव है। खा कर मजा आ गया। उन की बात सुन कर सास और ममता मुस्करा गयी। दोनों के चेहरों पर कुछ पढ़ा नहीं जा रहा था, मैं उन की हालत समझ सकता था जिन की बेटी तीन महीने के बाद ससुराल वापस आयी हो और बात तलाक तक पहुंच चुकी हो वहाँ मन को आश्वसथ होने में समय लगेगा। हो सकता है हम दोनों दिखावे केलिये सब कुछ कर रहे हो? कोई कुछ भी समझ सकता था।

खाना खा कर सब सोने चले गये। हम दोनों कल की वजह से थके से थे सो आज एक दूसरे की बगल में लेट कर बातें कर रहे थे। ममता बोली कि मम्मी पापा के आने से नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि नहीं नाराज नहीं हूँ मैं उन की परेशानी समझ सकता हूँ। हम दोनों की गल्तियों की सजा कितने लोग भोग रहे है। तुम देखना की मेरी तरफ से भी कोई बहन जरुर आयेगी यह देखने की सब कुछ सही है या नहीं?

ममता बोली कि उन की चिन्ता भी सही है लगता है वह भी आने ही वाली है। यही सब बातें करते करते हम कब सो गये पता नहीं चला।

सुबह मैं तो ऑफिस चला गया और ममता से कहा गया कि दोनों को बाजार घुमा लाये ताकि उन का मन लग जाये। ऑफिस में ममता का फोन आया कि एक बात बताओ तुम कोई क्रीम भी लाये थे। मैंने कहा हाँ एक वाटर बैस्ड जैल की ट्यूब लाया था। वह बोली कि किस काम की है मैंने कहा कि तुम सोचों किस काम आ सकती है तो वह हँस कर बोली कि मैं जो सोच रही थी वही बात सही है। मैं बोला कि तुम सही सोच रही हो, यह क्रीम घर्षण कम करती है ताकि अंदर जख्म ना हो। वह आगे कुछ नहीं बोली और फोन काट दिया।

घर आ कर मैंने उस के बारें में ममता से कुछ नहीं पुछा। रात को बेड पर ममता बोली कि मैंने वह क्रीम मम्मी तो दे दी है। उन्हें बड़ा दर्द हो रहा था। मैंने कहा कि उन की उम्र के लिये तो यह बहुत काम की चीज है। अगर चहिये तो एक और ला कर दे देता हूँ। वह बोली कि अभी रुकों। पहले पता तो चलने दो को फायदा है कि या नहीं। यह कह कर वह मुस्करा दी। मुझे उस की मुस्कराहट बड़ी रहस्यमय लगी लेकिन मैनें कुछ नहीं पुछा।

दूसरे दिन ममता नें ऑफिस फोन करके कहा कि तुम जैल की दो ट्यूब आते में लेते आना। उस ने बढ़िया काम है। मैंने ज्यादा नहीं पुछा लेकिन मुझे कुछ कुछ समझ में आ रहा था। शाम को घर आते में मैं जैल की दो ट्यूब लेता आया। रात को सोते समय ममता नें बताया कि मम्मी को संभोग में बड़ा दर्द हो रहा था जब यहाँ दोनों नें संबंध बनाये तो भी ऐसा ही हुआ, सुबह माँ नें जब बताया तो मैंने तुम से पुछा और उन को वह जैल दे दिया।

कल रात संबंध बनाते समय जब उस को लगाया तो आराम मिला और दर्द नहीं हुआ। मम्मी ने सुबह मुझ से कहा कि क्रीम बढ़िया है तु दो ट्यूब मंगा कर दे दे। वहाँ पर यह मिले ना मिले। सो मैंने तुम्हें बता दिया। मैनें ममता को बताया कि उम्र के साथ-साथ अंदर नमी कम हो जाती है और संभोग के समय दर्द होने लगता है, यह जैल उसी नमी का काम करता है और दर्द नहीं होने देता। ममता बोली कि यह दोनों तो हम दोनों की खोज-खबर लेने आये थे, हम ने ही उन की मदद कर दी।

मैंने कहा कि हम दोनों इतने बड़े है कि अगर उन की कोई मदद करते है तो अपना कर्तव्य ही निभा रहे है। वह बोली कि माँ यहां तो मुझ से यह बात कर पायी लेकिन वहां पर बहु से यह नहीं कह पाती और दर्द के कारण दोनों में संबंध बनना कम हो जाता और लड़ाइयां होने लगती। मैं उस की बात चुपचाप सुनता रहा। मुझे अच्छा लगा कि मैं अपनी सास की कोई सहायता कर सका। उन्होंने मेरी इतनी बड़ी सहायता करी थी यह को उस के आगे कुछ भी नहीं था। हमारी बात हमारे संभोग से खत्म हुयी।

तीन दिन बाद सास-ससुर वापस चले गये। मुझे लग रहा था कि अब मेरे घर से कोई आयेगा। माँ का आना तो मुश्किल था लेकिन भाभी या बहन कोई भी आ सकती थी। और ऐसा ही हुआ अगले दिन मेरी बड़ी बहन आ गयी। उस ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन हम दोनों जानते थे कि वह क्यों आयी है। रात को खाना खाते में बहन बोली की माँ बहुत चिन्ता कर रही थी, भाई को छुट्टी नहीं मिल पा रही थी इस लिये मैं यह देखने आयी हूं कि तुम दोनों अब कैसे रह रहे हो? उस ने कहा कि इस के लिये हमने इतने जतन से लड़की देखी थी और सब खुश थे कि जोड़ी बढ़िया है लेकिन ना जाने किस की नजर लग गयी कि बात इतनी दूर निकल गयी।

तुम दोनों को किसी बड़ें से बात करनी चाहिये थी। सब कुछ अपने आप ही तय कर लिया। मैं उस की बात सुनता रहा। ममता बोली कि दीदी हमारी गल्ती थी कि हमने किसी बड़ें को यह बात नहीं बतायी नहीं तो बात इतनी नहीं बिगड़ती। बहन ने बताया कि जब से माँ को यह बात पता चली थी वह बहुत परेशान थी, छोटी बहु तो उन की सबसे पसंदीदा बहु थी। वह ही ऐसा कर रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था। अपने लड़के से भी वह नाराज थी। सेहत के कारण आ नहीं सकती थी नहीं तो तुम दोनों के कान खिचती।

हम दोनों चुपचाप उस की डांट सुनते रहे। फिर वह बोली कि अब क्या हाल है? हम दोनों बोले कि सब सही है और हमें अपनी गल्ती पता चल गयी है आगे भविष्य में उसे नहीं दोहरायेगे, ताकि हमारी वजह से बड़ों को कोई दूख पहुंचे। यह सुन कर वह बोली कि मुझे तो इस बात पर विस्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरा सबसे समझदार भाई ऐसा कर सकता है। लेकिन मिया-बीबी के बीच की सही बात कोई नहीं जान सकता। जो हुआ उसे भुल जाओ और आगे की सुध लो। जब समय मिले तो माँ को पास घुम आना। भइया भाभी भी बहुत परेशान थे। अब जब मैं जा कर बताउगी तो कुछ आराम पड़ेगा। लेकिन जब तक तुम दोनों खुद नहीं जाओगें बात पुरी तरह से नहीं सुलझेगी। मैंने कहा कि मुझे जैसे ही छुट्टी मिलती है मैं और ममता घर हो कर आते है आप चिन्ता ना करो। यह सुन कर उस के चेहरे पर सुकुन नजर आया। दो दिन रह कर वह भी चली गयी।

हमें पता था कि हमें घर भी जाना पड़ेगा। सो उस की तैयारी करनी शुरु कर दी। लेकिन इस बीच मुख्य बात यह थी कि हम दोनों रोज प्यार करने की कोशिश करते थे और रोज अपने प्यार का इजहार जरुर करते थे। दोनों के मन में डर था कि कहीं फिर से अविश्वास का राक्षस हम दोनों के मध्य ना खड़ा हो जाये। नियमित सेक्स ही उस राक्षस को मध्य में आने से रोकता है यह अब हम दोनों जानते थे। सेक्स लाइफ सही रहने के कारण दोनों के मध्य तकरार के मौके भी बहुत कम हो गये थे। अगर तकरार होती भी थी तो उस का अंत बिस्तर पर जोरदार सेक्स से होता था। सुबह सब सही हो जाता था। यह सबक हमने बहुत मुश्किलें झेल कर सिखा था सो उसे भुलना नहीं चाहते थे।

।। समाप्त ।।

12
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

बदला पति का पत्नी से पत्नी का सरकारी पद मिलने के बाद पति को छोड़ना, पति का बदलाin Romance
वन नाइट स्टैंड अनु के साथ वन नाइट स्टैंड और उस के उस से प्यार होनाin Erotic Couplings
Life Doesn't Go As Planned The decade after college for former friends with benefits.in Romance
अनजाने संबंध Ch. 01 नदी से लड़की का बचाव और उस के बाद की घटनाएँ.in Group Sex
Undoing the Wrappings of Lies Thanks to a little virus.in Loving Wives
More Stories