वन नाइट स्टैंड

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अनु के साथ वन नाइट स्टैंड और उस के उस से प्यार होना
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ऑफिस की ऑउटिग

हमारे ऑफिस की परंपरा सी है कि साल में एक बार सारा स्टाफ कंपनी के खर्चे पर कही घुमने जाता है। इस में दो या तीन दिन का टूर होता है। ऑफिस के लगभग सभी लोग जाते है तथा मैं और एचआर या एडमिन जो भी हो स्टाफ के साथ जाते है। ऑउटिग की ऑउटिग भी हो जाती है तथा स्टाफ को रुटिन लाईफ से निजात भी मिलता है। ऑफिस के सभी लोग इस अवसर का बैकरारी से इंतजार करते है। इस बार हम लोग ऋषिकेश जा रहे थे।

यहाँ माहौल बहुत शान्त होता है तथा नदी में रॉफ्टिग करने से रोमांच की अनुभूति भी होती है सो सारा स्टाफ जाने का उत्सुकता से इंतजार कर रहा था। रिसोर्ट की बुकिग हो गयी थी गाड़ी भी बुक हो गयी। फिर वह दिन भी आ गया जब सारा स्टाफ हम दोनों सीनियर के साथ यात्रा के लिये निकल गया।

सारा रास्ता हल्ला-गुल्ला करते हुये निकल गया। दोपहर के बाद रिसोर्ट पहुँचे। अपनें अपनें कमरों में सामान रख कर मैंने तथा अनु जी ने सारे स्टाफ की गिनती करी और सब को निर्देश दिया कि नदी के अंदर कोई नही जायेगा। बाहर से ही नदी का मज़ा लेगे। सब लोग अपने कमरों में जा कर आराम करने लगे।

मुझे और अनु जी को एक तरफ कोने में कॉटेज दिये गये थे। हमारी जिम्मेदारी थी कि हम सब पर निगाह रखें, इस चौकेदारी की वजह से मैं यहाँ आने के लिये उत्सुक नही था लेकिन अनु जी ने जोर दिया कि उन के साथ कोई और होना चाहिये इस लिये मैं भी आ गया। ऐसे टूर पर आप अपना तो कुछ कर नही पाते हो, केवल लोगों को मैनेज करने में ही लगे रहते है। इसे भी नौकरी का पार्ट समझ कर मैं आया था। शाम की चाय सब लोगों ने एक साथ पी और सब नदी किनारे जा कर बैठ गये।

शहरी आदमी के लिये तो यह ही स्वर्ग से कम नहीं है। शान्त वातावरण, ठंड़ी हवा और नदी की कल-कल करती आवाज सारे तनाव को दूर कर देती है। मैं भी इस का आनंद ले रहा था तभी अनु जी आ कर पास में बैठ गयी और बोली कि आप तो इस का आनंद उठा रहे है, मैंने कहा कि अब जब आ ही गया हूँ तो इस से अपने को वंचित क्यों रखुँ? मेरी बात सुन कर वह हँस कर बोली कि आप की बात ही निराली है। हर हाल में मज़ा कर लेते है। मैं हँस दिया।

मैंने उन से कहा कि कल जब सब लोग नदी में रॉफ्टिग करने जायेगें तब मैं तो ट्रेकिंग करने जाऊँगा। आप भी चलना तो वह बोली कि ज्यादा तो नही चलना पड़ेगा? मैंने कहा कि 2-3 किलोमीटर का ट्रेक बता रहें है, मन भी लग जायेगा तथा कुछ फोटो भी ले लेगे। तफरी भी हो जायेगी, नहीं तो कॉटेज में बैठ कर बिसुरते रहेगे। समय का सुदुप्रयोग तो करना ही पड़ेगा, हम दोनों के सिवा सारा स्टाफ मज़ा लेगा और हम दोनों ऐसे ही बैठे रहेगें। यह तो सही नहीं रहेगा। वह बोली कि मैं तो आप के ही सहारे हूँ इसी लिये जबरदस्ती कर के आप को लायी हूँ नहीं तो इन लोगों के साथ तीन दिन में बोर हो जाती।

हम दोनों अंधेरा घिरने तक वही पर बैठे रहे। अनु जी को मैं ऑफिस में ज्यादा घास नही डालता था। वह तो आगे-बगाहे मेरे रुम में बात करने आ ही जाती थी। गोरी चिट्टी, बड़ी-बड़ी आँखों की मालकिन अनु जी सुन्दर सुगठित शरीर की मालकिन है। एक बच्ची की मां होने के बावजूद उन को देख कर कोई कह नही सकता कि वह एक बच्चे की माँ है। उन्होनें अपने शरीर को मैन्टेन कर रखा था कही पर अतिरिक्त मांस नही थी। नारी सुलभ सारे गुण थे उन में। मैंने कभी उन्हें ध्यान से देखा नही था। आँखे ही इतनी सुन्दर थी की कही और नजर जाती ही नहीं थी।

शाम का बॉन फायर और नाच

शाम को मैदान में रिसोर्ट की तरफ से खाने के बाद अलाव जला दिया गया। सारे लोग अलाव के पास बैठ कर बातें करने लगे। पहले इधर-उधर की बातें हुई फिर किसी लड़की ने वन नाईट स्टेड की बात छेड़ दी। वह तो छेड़ कर चुप हो गयी लेकिन सारे लोग मेरें पीछे पड़ गये कि सर आप का कोई वन नाईट स्टेड हुआ है कभी?

मैं यह सवाल सुन कर बड़ा परेशान हुआ कि कोई मेरे से ऐसे पर्सनल सवाल कैसे पुछ सकता है? लेकिन आज कल कॉरपोरेट में ऐसा ही चलन है जुनियर सीनियर का कोई अंतर नही है। मैंने कहा कि मैं पुराने ख्याल का आदमी हूँ ऐसे स्टेड को नही मानता हूँ। मेरी बात पर कोई विश्वास करने को तैयार नही हुआ। मैं बोला कि तुम लोग अपनी बात करो हम तो पुराने हो गये है। हमारे जमाने में इस सब का चलन नही था।

फिर किसी ने गानें चला दिये और माहौल नाच का बन गया और मेरा पीछा इस सवाल से छुट गया। मैंने सब को डांस करते देख चैन की सांस ली और एक किनारे खड़ा हो कर देखने लगा। तभी अनु जी मेरे पास आयी और बोली कि आप ने सवाल का जवाब नहीं दिया? मैंने उन की तरफ देखा और कहा कि आप भी? वह बोली कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई वन नाईट स्टेड ना रहा हो? मैंने उन्हें भी वही जवाब दिया की ऐसा कोई वाकिया मेरे साथ नही घटा है।

उन के चेहरे पर अविश्वास की छाया दिखायी दे रही थी। मैंने उन का हाथ पकड़ा और उन्हें भी नाचने के लिये घसीट लिया वह तो बढ़िया नाचती थी मैं ही इस में अनाड़ी था सो कुछ देर बाद भीड़ से अलग खड़ा हो गया, मुझे बाहर आते देख वह भी बाहर आ गयी और बोली कि अभी तो जोश आ रहा था आप ने ही मैदान छोड़ दिया। मैंने कहा कि मेरे से नाचना नहीं आता, जितना आता था आप ने देख लिया है।

मेरा कभी इन बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं रहा। इस लिये आप अनाड़ी कह सकती है हम तो बस गाने सुन का पांव हिला सकते है। मेरी बात सुन कर वह हँस पड़ी और बोली कि चलिये यह तो पता चला कि आप हँसते भी है, नहीं तो किसी ने आप के चेहरे पर गम्भीरता के सिवा और कोई दूसरा भाव देखा ही नहीं है। मैं चुप रहा।

लड़कें-लड़कियां देर रात तक नाचते-गाते रहें। जब थक गये तो हम दोनों ने कहा कि सब लोग अब सोने जाये, सुबह जल्दी उठना है। हमारी बात सुन कर सब लोग अपने कमरों की तरफ चले गये। हम दोनों ही अकेलें रह गये। मैं अपने कमरे में गया और अपना केमरा उठा लाया। उसे देख कर अनु जी बोली कि आप को नहीं सोना? तो मैंने कहा कि आप सोने चले, मैं कुछ फोटो खींच कर आता हूँ। आकाश की, तारों की ऐसी फोटो शहरों में नहीं ली जा सकती है। वह बोली कि मैं भी देखना चाहती हूँ कि आप क्या-क्या है?

रिसोर्ट की बत्तियां बंद कर दी गयी थी। चारों तरफ घना अंधकार फैल गया, कुछ देर बाद जब आकाश की तरफ देखा तो अद्भुत दृश्य था, आकाश में चारों तरफ तारें चमक रहे थे मानों किसी ने तारों से भरा हुआ कटोरा उल्टा करके रख दिया हो। मैं उस की फोटो खिचंने में व्यस्त हो गया। अनु जी मेरे साथ खड़ी-खड़ी उस दृश्य को निहार रही थी।

जब मैं चलने लगा तो वह बोली कि आप ने अच्छा किया कि मुझे यह नजारा दिखा दिया नहीं तो मैं कैसे जान पाती कि आकाश ऐसा भी होता है? मैंने उन्हें बताया कि शहरों में जलने वाली लाईटों के कारण यह तारें दिखायी नहीं देते है। यहाँ और कोई प्रकाश नही है इस लिये आकाश इतना साफ दिखाई दे रहा है। वह मेरे साथ ही वापस अपने कमरे की तरफ चली आयी।

अपने कमरें में जाने से पहले बोली कि सुबह मुझे उठा दिजियेगा, आप के साथ चलने को, आप अकेले नही चले जाना। मैंने कहा कि पहले आप को और मेरे को इस ग्रुप को रॉफ्टिग के लिये भेजना है उस के बाद ही हम कुछ और काम कर सकते है। उन्होने हाँ में सर हिलाया। मैं भी अपने कमरें में चला आया।

नींद ना आना

सफर की थकान थी लेकिन जब सोने के लिये बिस्तर पर लेटा तो नींद नही आ रही थी। बिस्तर पर काफी देर करवटें बदलनें के बाद मैं बिस्तर से उठ गया और कमरें में टहलने लगा लेकिन चैन नहीं आ रहा था, इस लिये दरवाजा खोल कर कमरें के बाहर आ गया। बाहर गहन अंधकार था, कीड़ों के बोलने की आवाजें आ रही थी, मंद सुंगंधित बयार बह रही थी, वहाँ खड़ा होना अच्छा लग रहा था, सो रेलिंग का सहारा ले कर खड़ा हो गया।

कुछ देर बाद लगा कि किसी ने दरवाजा खोला है। अधेंरें में देखने की कोशिश की तो सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन कुछ देर बाद ऐसा लगा की अनु जी शॅल ओढ़ें आ रही थी, वहीं थी नाइटसुट पर शॉल लपेटे थी। मुझे देख कर बोली कि लगता है आप को भी नींद नहीं आ रही है? मैंने कहा हाँ यही वजह है कि मैं बाहर खड़ा हूँ यहाँ कुछ चैन मिल रहा है। वह बोली की मेरी भी यही हालत है इसी लिये मैं आप के पास ही आ रही थी तभी देखा कि आप बाहर ही खड़े है।

हम दोनों कुछ देर वही खड़े रहे फिर ठंड़ लगने पर मेरे कमरे में आ गये। मैंने उन्हें बैठने के लिये कहा और पुछा कि कुछ हार्ड चलेगा? उन्होनें मुझे देखा और कहा कि क्या है? मैंने कहा कि शाम को ही पौवा मंगवाया था और कुछ यहाँ मिला नहीं। वह बोली कि शायद इस से ही नींद आ जाये। मैंने एक गिलास में शराब डाल कर उन के हाथ में दे दिया वह बोली की आप नहीं ले रहें, मैंने कहा कि अपने लिये बना रहा हूँ पहले आप तो ले। उन्होनें सिप लेना शुरु कर दिया।

मैंने भी एक पैग अपने लिये बना लिया। वह बोली कि इतना लम्बा सफर करने की थकान के बावजूद भी नींद नही आ रही है, मैंने कहा कि मेरे साथ तो ऐसा होता है मैं जब भी किसी नयी जगह पर जाता हूँ तो एक-दो दिन नींद नही आती है। अनु जी बोली कि मुझे तो ऐसी कोई समस्या नही है। वैसे भी दो या तीन जगहों को छोड़ कर कही नही जाती इस लिये ऐसा नही होता है, लेकिन आज बहुत बैचेनी हो रही है जब नही सहा गया तो आप को परेशान करने आ गयी। मैंने कहा कि इस में परेशानी की कोई बात नहीं है। मैं भी तो जगा ही हुआ हूँ वह बोली कि और सारा स्टाफ घोड़ें बेच कर सोया हुँआ है।

मैंने कहा कि उन सब के जीवन में अभी परेशानियाँ कम है, हम लोग तो परेशानियों से घिरे हुये है। इस लिये यह हालात है। तनाव ही मेरे ख्याल से इस के पीछे प्रमुख कारण है। वह बोली कि आप सही कहते है। हम दोनों ऐसे ही बातें करते रहे। फिर जब तीन पैग हो गये तो मैंने अनु जी से कहा कि अब आप सोने की कोशिश करो शायद नींद आ जाये क्योंकि कल का दिन बहुत व्यस्त रहने वाला है हमें कुछ तो आराम करना पड़ेगा।

वह बोली कि आप हर बात का समाधान ढुढ़ लेते है। मैंने हँस कर कहा कि मेरा काम ही यही है। मैं उन्हें उन के कमरे तक छोड़ कर आया तो उन्होने आते में मेरा हाथ थाम कर छोड़ दिया मुझे कुछ समझ नही आया और मैं कमरें में आ कर लेट गया, शराब के कारण शायद शरीर का तनाव शिथिल हो गया था इसी लिये कुछ ही देर में मुझे नींद आ गयी।

सुबह राफ्टिग पर जाना

सुबह फोन के अलार्म को सुन कर मेरी नींद खुली, जल्दी से उठ कर नित्य कर्म करके मैं बाहर आया तो देखा कि अनु जी अभी उठी नहीं थी। उन के कमरे पर जा कर उन का दरवाजा खटखटाया तो उन की उनींदी सी आवाज सुनाई पड़ी कौन है? मैंने कहा अनु जी मैं हूँ। मेरी आवाज सुन कर उन्होंने दरवाजा खोल दिया, वह रात के कपड़ों में ही थी। मुझे कमरे के अंदर ले कर दरवाजा बंद करके बोली कि आप इतनी सुबह कैसे उठ गये? मैंने कहा फोन के अलार्म की महिमा है।

मेरी बात सुन कर बोली कि मैं तो अलार्म लगाना ही भुल गयी। अच्छा हुआ आप ने उठा दिया। मैंने कहा हाथ मुँह धो लिजिये, तब तक मैं सब को उठा देता हूँ फिर चाय को बोल देता हूँ। वह बोली की इतना कम सोने के बाद भी आप तरोताजा लग रहे है। मैंने कहा अनु जी इस की आदत पड़ गयी है। आप चाहों तो नहा लो, वह बोली नहीं पहले चाय पीनी है। मैंने कहा कि उस का इंतजाम करता हूँ। यह कह कर मैं कमरे के बाहर हो गया।

बाहर आ कर मैंने सब के दरवाजे खटखटा दिये और उन को जगा कर कहा कि चाय के लिये रेडी हो जाओ। इस के बाद चाय के लिये रिसोर्ट के स्टाफ के पास गया तो देखा कि वह पहले से ही चाय का इंतजाम कर रहे थे। मुझे देख कर बोले की सर आप परेशान मत होयों सारा इंतजाम हो जायेगा, हमारा यह रोज का काम है। मैं उन के पास से लौटा तो अनु जी भी मुझे कॅरिडोर में मिल गयी वह कपड़े बदल कर हाथ मुँह धो कर तैयार खड़ी थी। मैंने उन्हें बताया कि चाय अभी आ रही है, सब को उठा दिया है, बताये और कुछ बाकी तो नही है, वह हँस कर बोली की नही बस चाय पीना ही बाकी है। मैंने भी हँस कर उन का साथ दिया।

चाय के बाद सब लोग नहाने और तैयार होने के लिये चले गये। मैंने अनु जी से कहा कि अगर बैकपैक है तो कुछ सामान जैसे केमरा, बिस्कुट, शॉल, छतरी, पानी की बोतल आदि उस में रख कर उसे पैक कर ले। मेरी बात सुन पर वह बोली कि और सब कुछ तो सही है लेकिन छतरी तो नहीं है। मैंने कहा कि उस का भी इंतजाम करते है ट्रेकिग में हो सकता है बारिश आ जाये। वह बोली कि मौसम तो साफ दिख रहा है मैंने उन्हें बताया कि पहाड़ों पर मौसम अक्सर दगा दे जाता है इस लिये पुरी तैयारी करनी चाहिये। मेरी बात सुन कर वह मुस्करा दी। उन की मुस्कराहट मुझे बड़ी रहस्यमय लगी।

मैंने अपने बैकपैक में सारा सामान रख लिया एक फ्लास्क में कॉफी भी भरवा कर रख ली। एक छतरी मिल गयी तो उसे भी रख लिया। दो छडियों का भी इंतजाम करवा लिया। अपना काम करके मैं बाहर सब की तैयारी देखने आया तो पता चला कि अभी तक लड़कियां तैयार नहीं हुई थी। जब उन से पुछा तो पता चला कि नहाना बाकी है, मैंने कहा की अभी मत नहाओं रॉफ्टिग के बाद वैसे भी गीले हो जाओंगें इस लिये बाद में नहा लेना अभी तो ऐसे कपड़ें पहन कर तैयार हो जाओ जो रॉफ्ट में परेशानी ना करें।

मेरी बात सुन कर लड़कियां खुश हो गयी और तैयार होने चली गयी। जब सब तैयार हो कर बाहर आ गये तो हम सब बस में बैठ कर रॉफ्टिग की शुरुआत की जगह के लिये चल दिये। वहाँ पहुँच कर देखा तो वहाँ लोगों की भीड़ लगी थी। अपने ग्रुप के इंचार्ज को सब से परिचय करा कर हम दोनों वहाँ से वापस रिसोर्ट आ गये। हम दोनों ने भरपुर नाश्ता किया और रिसोर्ट वालों से ट्रेकिग रुट का पता करा। इस के बाद कमरों को ताला लगा कर पीठ पर अपने-अपने बैकपैक लाद कर हम रिसोर्ट से बाहर चल दिये।

ट्रेकिग करना

सड़क पर कुछ दूर जा कर जगंल में जाने के लिये कच्ची पगडन्डी मिली। उसी को पकड़ कर ट्रेक पर निकल पड़े। अनु जी ने इसके पहले कभी भी ट्रेकिग नही की थी। वह मेरे साथ धीरे-धीरे चल रही थी। हम शहरियों को ज्यादा पैदल चलने की आदत तो होती नही है इस लिये पहाड़ों पर परेशानी होती है। मैंने अनु जी से पुछा की इतना पैदल चलने में परेशानी तो नही होगी? तो वह बोली कि लगता तो नहीं है, मैं भी छोटे शहर में पली-बढ़ी हूँ खुब पैदल चलती थी।

फिर वह बोली कि आप मुझे अनु जी ना कहें, खाली अनु सही रहेगा। आप के मुँह से जी सुनना सही नहीं लगता। मैंने कहा कि जी नही कहेगे। खाली अनु से ही काम चला लेगे। मेरी इस बात पर वह हँस दी। मैंने कहा कि रात की अनु में और अब की अनु में इतना अंतर क्यों है? कुछ देर तो वह चुप रही फिर बोली कि आप की नजर बड़ी तेज है, छोटी से छोटी बात पकड़ लेते है। वह बोली कि क्या बताऊँ तनाव ही कारण था। इन को फोन किया तो यह बात ही नहीं कर रहे थे। मैंने कहा कि कही व्यस्त होगे? बोली रात को किस क्लाइट के पास होगे? मुझे पता है कहाँ थे? इस लिये फोन नही अटेन्ड कर रहे थे। इसी कारण से नींद नही आ रही थी।

आप के साथ बात करके नींद आयी। मैंने हँस कर कहा कि बात करके नहीं शराब पी कर नींद आयी होगी, क्योंकि शराब नें तनाव को कम कर दिया होगा। वह बोली कि हो सकता है यही बात रही हो। लेकिन नींद आ गयी यही बहुत था, चिन्ता के कारण सिर फटा जा रहा था। मैंने कहा कि रात को यह बताती तो सिर दर्द की दवाई दे देता। वह बोली कि हर चीज का इलाज है आप के पास। मैंने कहा कि नहीं हर चीज का तो नही लेकिन जो बातें बार-बार परेशान करती है उन का इलाज रखना पड़ता है।

मुझे बहुत तेज माईग्रेन होता है इस लिये दवाई साथ में रखता हूँ। वह बोली कि आप ने कभी बताया नही? मैंने कहा कि अपने महसुस नही किया की कभी-कभी मैं आप से बात करने की बजाए आप को टरका देता हूँ तो वह बोली कि हाँ कई बार लगा तो है। मैंने कहा कि उस का कारण यही माईग्रेन है, उस समय किसी से बात करने का मन नही करता। सर फट रहा होता है। किसी को बता कर भी क्या होगा? आज बात चली है तो मुँह से निकल गया। वह बोली कि मुझे तो आप बता सकते है। मैंने कहा आगे से ध्यान रखुँगा।

तभी उन का फोन बजा, उन्होनें फोन उठाया, उन के बात करने के अन्दाज से पता चला कि पति का फोन था। मैं उन्हें प्राईवेसी देने के लिये आगे बढ़ गया और एक पत्थर पर बैठ गया। कुछ देर बाद वह आती दिखाई दी। बोली आप का अन्दाजा सही है वही थे रात के लिये माफी मांग रहे थे। मैंने हँस कर पुछा कि माफ कर दिया? वह बोली कि इतनी आसानी से थोड़ी ना माफी मिल जाती है। मैंने कहा आप बड़ी कठोर है, वह बोली कि कभी-कभी कठोरता दिखानी पड़ती है नहीं तो आदमी लोग हाथ से निकल जाते है। मैं यह सुन कर हँस दिया। वह भी हँस दी।

उन की सांस फुल रही थी सो मैंने उन्हें पत्थर पर बैठने का इशारा किया और बैकपैक से फ्लास्क निकाल कर कॉफी पीने को दी। कॉफी हाथ में ले कर वह बोली की इस का कैसे ध्यान रहा? मैंने कहा कि आप साथ थी तो तैयारी पुरी करनी थी। चाय, कॉफी पीने से थकान मिट जाती है अब आप तरोताजा हो कर आगे चल पायेगी। वह कॉफी का मजा लेती रही। कुछ देर बाद हम फिर से चल दिये, अब थोड़ी चढ़ाई बढ़ गयी थी इस लिये चलना धीमा हो गया था। बातें करते करते कब रास्ता बीत गया पता ही नहीं चला।

गंतव्य पर पहुँच कर चारों तरफ का नजारा देख कर तन की सारी थकान दूर हो गयी। मैं फोटो खीचंने में लग गया, मैंने अनु से पुछा कि आप की फोटो लु तो कोई परेशानी तो नही होगी, वह बोली कि परेशानी कैसी? मैंने कहा कि किसी की निजि फोटो खीचंने से पहले मैं पुछ लेना सही समझता हूँ। वह मेरी बात सुन कर बोली कि आप का यह रुप तो कभी सामने नहीं आया था। मैं यह तो जानती हूँ कि आप केयरिंग है लेकिन इतना ध्यान देते है यह आज ही पता चला।

मैंने कहा कि पता कैसे चलता आज से पहले मेरे साथ कभी कहीं गयी भी तो नहीं है? मैंने उन्हें साथ में लाया पैक खाना खाने को दिया, हम दोनों ने खाना खा कर कुछ देर आराम किया फिर वापस चल दिये। कुछ देर बाद ही मौसम बिगड़ गया, घने बादल छा गये तथा बिजली कड़कने लगी। हम लोग चलते रहे, और कोई चारा भी नहीं था।

कुछ देर में घनघोर बारिश होने लगी। हमारें पास एक ही छतरी थी उस से दोनों का बचाव नही हो रहा था। रास्तें में एक चट्टान के नीचे एक गुफा सी दिखी उसी में घुस गये। जगह बहुत कम थी दो लोगों का खड़ा होना मुश्किल था। मैंने बैठने का निर्णय किया, अनु भी बैठ गयी। कुछ देर बाद वह खड़ी हो गयी और बोली की मुझ से बैठा नहीं जा रहा है। मैंने कहा कि आप पहले बैकपैक को नीचे रख कर उस पर बैठ जायो, फिर मैं बैठता हूँ बाहर निकले तो बुरी तरह से भीग जायेगे।

कोई और चारा ना देख कर हम दोनों घुटने मोड़ कर बैठ गये, मैं इस से पहले उन के साथ इतना निकट नही बैठा था उन के तन की सुगंध मेरी नाक में भर रही थी। कुछ देर बाद उन के दिन की धड़कन भी सुनाई देने लगी। तभी बड़े जोर से बिजली कड़की और हमारे पास ही कही गिरी। इस से डर कर अनु पीछे से मुझ से लिपट गयी। अब उन के स्तन मेरी पीठ पर दबाव डाल रहे थे। कुछ देर तक हम ऐसे ही बैठे रहें।

वह बोली कि मौसम तो बहुत खराब हो गया है वापिस कैसे जायेगे? मैंने कहा देखियेगा कुछ देर बाद यह सब कुछ समाप्त हो जायेगा। वैसा ही हुआ, दस मिनट बाद सब कुछ सामान्य हो गया बारिश रुक गयी और मौसम खुल गया। यह देख कर वह बोली कि यह सब आप को कैसे पता है? मैंने कहा कि जो लोग पहाड़ों पर नियमित रुप से आते है वह यह जानते है कि 2 या 3 बजे बारिश जरुर होती है। इसी लिये तो मैं छतरी ले कर आया था लेकिन वह कम पड़ गयी। हम दोनों रास्ते भर चुप ही रहे। कुछ बेकार सी बातें समय काटने के लिये करते रहे।

जब रिसोर्ट पहुँचे तो देखा कि उसी समय स्टाफ भी रॉफ्टिग करके वापिस लौट रहा था। सब बुरी तरह से थके हुये थे। मैंने सब को कहा कि पहले सब लोग नहा लो। फिर खाना खा कर आराम करना नही तो खाना नही खा पायोंगे। मेरी बात मान कर सब नहाने और कपड़ें बदलने चले गये। हम दोनों भी अपने कपड़ें बदलने चले गये। कुछ देर बाद रिसोर्ट के स्टाफ ने कहा कि खाना लग गया है। अनु जी सब को बुलाने चली गयी, सब लोगों ने भरपेट खाना खाया। इस दौरान सब ने कहा कि बुरी तरह से थक गये है अब कुछ और नही करेगें। मैंने कहा कि जा कर सब लोग आराम करों शाम तक और कुछ करने को है भी नही।

मैं भी खाने के बाद कुछ देर के लिये लेट गया, थका तो था ही लेटते ही नींद आ गयी। कमरे के दरवाजे को खटखटाये जाने की आवाज से नींद टूटी। दरवाजा खोला तो देखा कि अनु जी खड़ी थी बोली कि आप इतनी देर से दरवाजा नही खोल रहे थे, फोन का भी जबाव नही दे रहे थे मुझे तो चिन्ता हो गयी। मैंने कहा कि थकान की वजह से आँख लग गयी थी। दरवाजे की खडखड़ाहट से नींद खुली है। सॉरी आप को परेशानी हुई, वह बोली कि सॉरी किस बात की चाय पीने चलते है।

मैंने उन को रुकने को कहा और मुँह धोने बाथरुम में चला गया, जब आया तो अनु जी आराम से बैठी मेरा इंतजार कर रही थी, मुझे देख कर बोली कि कही शेर भी मुँह धोते है? मैंने कहा हम कहाँ के शेर है यह तो बस लबादा है, स्टाफ के सामने जाये तो सही तरीके से जाना चाहिये। मेरी बात सुन कर वह हँसी और बोली कि आज कल आप का नया ही रुप देखने को मिल रहा है। अब तक इसे कहाँ पर छुपा कर रखा था?

मैंने कोई जबाव नहीं दिया और उन को साथ लेकर बाहर चल दिया। दरवाजा बंद करके हम हॉल में पहुँच गये जहाँ सब इकठ्ठे थे, चुहलबाजी की आवाजें आ रही थी हम दोनों को देखते ही सन्नाटा छा गया। मैं बोला की इतना सन्नाटा अच्छा नहीं लगता, आप सब बताये की आज का आप का अनुभव कैसा था? एक आवाज आयी कि सर आप दोनों को भी आना चाहिये था, बहुत ही रोमांचक था। उफनती नदी में रॉफ्टिग करना।

मैंने कहा कि जाने का मन तो था लेकिन पिछली बार आये लोगों के अनुभव सुनने के बाद जाना स्थगित कर दिया। अब शरीर इतना फलैक्सिबल नहीं रहा है। काफी दिन थकान रहती है तुम्हारी तरह हम लोग छुट्टी नहीं ले सकते। हम ने भी आज खुब इंजाय किया है तुम लोग जब रॉफ्टिग पर गये थे तब मैं और मैडम जी ट्रेकिंग पर गये थे, बढ़िया रहा, आते में जोरदार बारिश से भी मुकाबला हुआ। हमारे सामने ही आकाश से बिजली भी गिरी, समझ लो आज बच ही गये। सो रोमांच तो हमने भी बहुत महसुस किया है।

आगे का क्या प्रोग्राम है? एक स्वर से जबाव मिला सर कुछ नही करेगें आराम करना है सारा शरीर, बाहें, टांगें बुरी तरह से दुख रही है। मैंने कहा कि सब चाय पीते है फिर कुछ देर बाहर नदी के किनारे की हवा खाते है। इस के बाद खाना खा कर सोते है। मेरी बात पर सब ने सर हिलाया। सब लोग चाय पीने लग गये।

स्टाफ का थक जाना और खाना खा कर सोने जाना

मैं और अनु जी तथा कुछ लोग नदी के किनारे बैठ गये, कुछ पानी में टांग डाल कर ठंडे़ पानी का आनंद उठाने लगे। हवा बढ़िया चल रही थी, समय कैसे कट गया पता ही नहीं चला। खाना खाने का समय हो गया था सो सब लोग हॉल में इकठ्ठें हो गये। खाने पर सब लोग टुट पड़ें। खाना खत्म होने के बाद मैं और अनु जी सब को उन के कमरों में छोड़ कर तथा यह सुनिश्चित करके कि कोई रह तो नही गया है अपने कमरों में चले गये। मुझे लगा कि आज तो मुझे नींद आ जायेगी लेकिन नींद का नामों निशान नहीं था। कुछ देर मोबाइल पर काम किया लेकिन नींद नही आयी तो कमरें के बाहर आ कर केरीडोर का एक चक्कर लगा कर देखा कि सब कमरों में है या कोई बाहर तो नहीं घुम रहा है।

जब यह तय हो गया कि कोई भी बाहर नहीं है तो मैं अपने कमरे के बाहर खड़ा हो कर आकाश को देखने लगा। आज बादल छा रहे थे इस कारण से आकाश का कल वाला रुप नहीं दिखायी दे रहा था। कुछ देर बाद अनु जी मेरी तरफ आती दिखायी दी। उन्हें देख कर मैं कुछ अचरज में था, वह मेरे पास आयी और मेरे कमरे में चली गयी। अब मुझे भी अंदर जाना ही पड़ेगा लेकिन मैं कुछ देर बाहर ही रहा कि कोई इन के पीछे तो नहीं आ रहा लेकिन वहाँ कोई नहीं था। फिर मैं भी कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर चला गया।

अंदर आ कर मैंने दरवाजा बंद नही किया तो अनु जी की आवाज आयी कि इसे तो बंद कर दे। मैंने दरवाजा लॉक कर दिया। अनु एक कुर्सी पर बैठी थी, कल की तरह नाइटसुट पर शॅल डाल रखी थी। वह बोली कि आज भी नींद नही आ रही थी सोचा आप के पास चलती हूँ। मैंने कहा कोई बात नहीं मुझे भी नींद नही आ रही है। वह बोली कि मैं काफी देर से आप को देख रही थी कि आप घुम रहे है फिर खड़े हो कर सोच रहें है। लगा कि हम दोनों एक ही कश्ती के सवार है। मैंने कहा आज तो सोच रहा था कि थकान की वजह से नींद आ जायेगी लेकिन वह तो आज भी नदारद है।