मेरी बड़ी बहन

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"इसी के साथ चुदाने जाती हो ना तुम? या स्कूल में कोई मास्टर चोद दिया? बता ना? बता ... नहीं तो मम्मी को बोल दूंगा कि तेरी बुर पहले से ही चुदी हुई है, फिर सोच लेना।" "जाइए बोल दीजिए और छोड़िए! मम्मी चुदवाएगी तो मैं नहीं चुदाऊंगी क्या? चलिए छोड़िए, जाइए मम्मी के पास, उसी को चोदिए जाकर!"

"तुम तो गुस्सा हो गई! नहीं बोलूंगा भाई, मुझे भी तो गाली देगी और कहीं तेरे पापा को बोल दी तो बस ... राम नाम सत्य हो जाएगा।" अंकल बोले. दीदी बोली- चुपचाप चोदो ना जल्दी, बात दिन में कर लेना।

और अंकल चुपचाप चोदने लगे।

स्कूल गर्ल हॉट सेक्स करती हुई अब ज्यादा हिलने लगी थी मतलब तेजी से चुदाई चालू हो गई।

दीदी बोली- मुंह में पानी पिलाना, अंदर मत डालना। "सब सीख लिया तुमने तो?" "तुम लोगों ने ही सिखाया है दिखा दिखा के ... हुआ या नहीं? जल्दी करो ना!"

दीदी अब ऊंह आह कर रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद अंकल बोले- मुंह खोलो, पानी पी लो। दीदी का मुंह चपर उपर आवाज करने लगा.

फिर अंकल बोले- बुर देती रहना प्रभा, तुम्हारी बुर तेरी मम्मी से बढ़िया है। इसके बाद फिर अंकल चले गए।

अंकल के जाते ही मैं उठकर बैठ गया।

लाईट जल रही थी और दीदी के पूरे बदन पर तेल लगा हुआ था। दीदी का बदन तेल से चमक रहा था।

दीदी उठकर कपड़े पहनने लगी और मुझे देख देख कर मुस्कुराने लगी। कपड़े पहन कर वो बाथरूम चली गई फिर आकर लाईट बंद कर दी और मुझे पकड़ कर रजाई ओढ़ ली।

"तुम तो सो ही रहे थे, बड़ी मस्त चुदाई हुई। तभी मम्मी अंकल से चुदाती है। कब जागा था?" "जब अंकल पूछ रहे थे कि किससे चुदाई पहले?"

"अब सोने दे, अंकल के चक्कर में सोई नहीं। तू भी सो जा, अभी बहुत रात है।" और हम दोनों भाई-बहन लिपट कर सो गए।

मैं सूरज उगते समय उठा और कमरे से बाहर निकला। मम्मी आंगन में झाड़ू लगा रही थी।

मैंने संडास में जाकर पेशाब किया और बरामदे में आकर बैठ गया।

बाहर वाले कमरे में अंकल सोते दीख रहे थे।

मम्मी झाड़ू रख कर हमारे रूम में गई और तेल का मलिया लेकर निकली, पूछने लगी- तेल कौन रखा वहां? मैंने कहा- दीदी में रखी होगी।

"कब ले गयी मेरे कमरे से? रात में उठकर तेल लगा रही थी?" मम्मी फिर और नहीं बोली।

मैं समझ गया कि तेल तो अंकल लेकर आए होंगे और यहीं छोड़ कर चले गए। दीदी तो फंस जाएगी, उसको बचाना होगा. ऐसा सोच कर मैं दीदी के पास फिर रजाई में घुस गया।

मैंने दीदी को हिलाकर जगाया और धीरे से बताया- मम्मी को तेल का मलिया यहां मिला है, बोल देना तुम लाई थी, नहीं तो फंसेगी। दीदी ने मेरे गाल पर चूम लिया और 'ठीक है' बोल कर फिर आंखें बंद कर लीं।

मैं भी आंख बन्द कर सोने लगा।

थोड़ी देर बाद मम्मी आकर रजाई उघाड़ कर बोली- बाबू फिर सो गया? ये तो घोड़ी है, तू भी उठ कर सो गया! चल उठ! फिर दीदी को ध्यान से देखने लगी.

दीदी के कंधों को छुआ तो मम्मी के हाथ में तेल की चिकनाई लगी। मैं देख रहा था, मम्मी सिर झुका कर सोचने लगी।

फिर मम्मी ने दीदी की फ्राक में नीचे हाथ घुसा दिया धीरे से और दीदी के पेट-पीठ पर हाथ फिरा कर निकाल लिया और हाथ को देखने लगी।

तभी दीदी ने आंखें खोली और बोली- क्या करती हो मम्मी, सोने दो ना!

"क्यों? रात को मालिश करवाने के लिए जाग रही थी? तो अभी नींद आ रही है? तुम एकदम बिगड़ गई हो, आने दो पापा को ... वहीं ठीक करेंगे तुमको!" बोलकर मां चली गई बाहर कमरे में अंकल के पास।

मैं मम्मी के पीछे-पीछे बरामदे में आकर खड़ा हो गया था, दीदी सर पकड़ कर बिस्तर पर ही बैठी थी।

मम्मी अंकल को उठाते हुए बोली- चलो जाओ, अब मत आना मेरे यहां। तुमको मना किया कितनी बार लेकिन तुम नहीं माने। कर दी ना प्रभा की पूरी मालिश। इसके पापा में ही गलती है। हे भगवान! मैं क्या करूं? और फर्श पर बैठकर रोने लगी।

अंकल बाहर चले गए।

मम्मी रोते रोते अपने रूम में चली गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

कुछ देर तो दीदी सकते में बैठी रही, फिर मम्मी के कमरे के सामने आई उठकर और दरवाजा खटखटाते हुए रोने लगी। रोते हुए बोली- मम्मी दरवाजा खोलो ना ... गलती हो गई लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। सच्ची, विश्वास करो, सब अंकल ने ही किया जबरन। दरवाजा खोलो ना, अब नहीं करुंगी।

और दीदी दरवाजे से टेक लगा जोर से रोने लगी। फिर उठी और अपने कमरे में जा कर बीच वाले दरवाजे के छेद से झांकने लगी। फिर बरामदे में आकर मम्मी का दरवाज़ा हल्के हल्के लगातार पीटने लगी और रोने जैसी आवाज में बोलने लगी- खोलो ना मम्मी, खोलो ना मम्मी। अब बात भी नहीं करूंगी अंकल से, बहुत गंदे हैं! तुम्हारी मालिश भी ऐसे ही करते हैं ना। पहले ही भगा देती तो मेरी मालिश नहीं करते।

और दीदी ने मुझे आंख मारी।

मैं आश्चर्य से दीदी की सारी हरकतें देख रहा था. अब समझ में आता है कि छंटी हुई छिनाल थी दीदी और हमेशा चुदाई के चक्कर में ही लगी रहती थी. वो मम्मी की चुदाई देख देख कर चुदक्कड़ बन गई थी।

मम्मी के दरवाजा बंद करने से मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैं भी दरवाजा पीट पीट कर बोलने लगा- खोल न मम्मी, खोल ना! क्या हो गया जो अंकल दीदी की मालिश कर दिए, तेरी भी तो करते ही हैं। खोल ना, दीदी अब नहीं कराएगी बोली तो!

मम्मी ने दरवाजा खोल दिया।

हम दोनों भाई-बहन मम्मी से लिपट गये. मम्मी रो ही रही थी।

मैं बोला- चुप हो जा मम्मी। दीदी बोली ना कि मालिश नहीं करायेगी, फिर क्यों रो रही है! देख दीदी भी रो रही है।

मम्मी ने बैठ कर मुझे गले लगा लिया- तुम अभी नहीं समझोगे बेटा, जो हुआ, नहीं होना चाहिए था। सब तेरे पापा की गलती है। पापा से दीदी की मालिश वाली बात हम तीनों में से कोई नहीं बताएगा। और फिर दीदी के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ हिलाते हुए कहा- बहुत मन करता है मालिश का? पापा से बोल देती हूं तेरी शादी करा देंगे, खूब कराती रहना।

फिर मम्मी ने उठकर चूल्हे में कोयला डालकर सुलगा दिया और संडास चली गई।

मैंने दीदी की तरफ देखा. तब दीदी धीरे से बोली- बस हो गया मम्मी का नाटक खत्म। अंकल से अब अगर मम्मी चुदाएगी तो देख लेना मेरे को भी मम्मी ही चुदाने बोलेगी अंकल से! मम्मी पता नहीं आज निकलने देगी या नहीं। आज स्कूल की छुट्टी है, अगर नहीं निकल पाई तो तुम उमेश को बोल देना जा कर कि कल स्कूल का पूरा समय धीरज के यहां रहेंगे।

मम्मी हाथ पैर धोकर आई और बोली- दोनों बैठे क्यों हो? जाओ दोनों लैट्रिन करके ब्रश करो, चाय और परोंठा बनाती हूं।

दोनों भाई-बहन लोटा उठाने लगे तो मम्मी बोली- तू अब बाहर लैट्रिन नही जाएगी, संडास में जा। और बाबू अंकल को दूध लाने बोल देना। मैं अकेले लोटा लेकर चल दिया।

अंकल बाहर घर के सामने ही बैठ कर दातुन कर रहे थे। मैंने अंकल को दूध लाने बोल दिया और घर के पीछे ही लैट्रिन करके तुरंत लौट आया।

चूल्हे पर मम्मी पानी रख चुकी थी नहाने के लिए! दीदी ब्रश कर रही थी।

मैं भी ब्रश करने लगा तो मम्मी दीदी से बोली- कपड़े लेकर बाथरूम में चलो, पहले तुम दोनों नहा लो फिर मैं भी नहाऊंगी। तब नाश्ता बनेगा।

दीदी ने मुझे नहला दिया तो मम्मी आ गई बाथरूम में, मुझे कपड़े पहन कर धूप में बैठने बोली। बाथरूम के पास ही धूप आ रही थी, तो मैं वहीं पर खड़ा रहा।

मम्मी ने दरवाजा भिड़ा दिया और बोली- चल दिखा मुझे सिपाही ने क्या किया है? "नहीं मम्मी, तुम जाओ ना। मैं नहा लूंगी।" "देखूं तो कितनी बड़ी हो गई है! चल दिखा ... खोल!"

मम्मी की आवाज़ फिर आई- इतनी बड़े बड़े बाल हैं, साफ क्यों नहीं करती? रुक आती हूं, तब तक नहा! और मम्मी निकल कर अपने रूम में चली गई और एक डब्बा लेकर आई।

फिर बाथरूम में जाकर बोली- आ, साफ कर ले, इसको हमेशा साफ रखना चाहिए।

थोड़ी देर बाद दीदी एक साया चूची के ऊपर तक बांध कर निकली और कमरे में चली गई। फिर सिर्फ समीज पहन कर आई और साया मम्मी को बाथरूम में दे दी।

मेरे पास धूप में खड़ी होकर दीदी ने मुझे अपनी बुर दिखाई जिसपर अब एक भी बाल नहीं था। फिर दीदी कमरे में जाने लगी.

तभी सिपाही अंकल दूध का डब्बा लेकर बरामदे में आए और दीदी को देखने लगे।

दीदी ने आगे से समीज उठा कर अंकल को दिखाया और कमरे में चली गई। अंकल भी कमरे में घुस गये।

मैं भी दौड़ कर गया कि ये चुदाई न करने लगें फिर ... अभी इतना हंगामा हुआ है।

अंकल दीदी की बुर सहला रहे थे, मेरे कमरे में घुसते ही अलग होकर बाहर चले गए।

दीदी मुझे देख कर हंसते हुए बोली- एकदम चिकनी हो गई है ना? छुएगा? मैंने सहमति में सिर हिलाया और छूकर सहला दिया।

दीदी ने सलवार पहनते हुए कहा- मम्मी ने साफ किया है। "अंकल तो बुर भी चाटते हैं, अब चाटेंगे जरूर तेरी चिकनी बुर! मम्मी चाटने देगी तब ना!" मैं बोलकर आंगन में चला गया।

अंकल ने दूध रख दिया था चूल्हे पर गर्म होने के लिए और आग सेंक रहे थे चूल्हे से। मैं भी वहीं बैठ कर आग सेंकने लगा।

"मम्मी नहा रही है, चाय बनाएं क्या?" अंकल ने पूछा. मैं बोला- हां, थोड़ा ज्यादा बनाइए। अभी चाय के साथ परांठा खाना है।

अंकल ने दूध उतार कर चाय बनाना शुरू किया और आटा गूंथने लगे। दीदी अपने कमरे में बैठ कर हमें देख रही थी।

फिर मम्मी बाथरूम से निकली तो दीदी छिप गयी।

मम्मी चूचियों के ऊपर साया पकड़े निकली थी, बोली- आती हूं तो परांठा बनाती हूं।

और मम्मी कमरे में चली गई और साड़ी ब्लाउज पहन कर आ गई।

चाय खौल रही थी। मम्मी ने चाय उतार दी और बोली- बाबू, तुम खा लो और बैठ कर पढ़ो।

फिर मम्मी अंकल से बोली- बिना मुझे बताए प्रभा की मालिश करके अच्छा नहीं किया। तुम बहुत हरामी हो। उसके पापा जानेंगे तब? सिपाही अंकल सिर झुकाए हुए बोले- अब तो जो हो गया सो हो गया मालकिन, साहब को मत बोलिएगा।

"जाइए जाइए ... कोई नहीं बताएगा उनको!" मम्मी अंकल की आंखों में देखते हुए बोली- बहुत ताकत है ना, जाइए अभी मालिश कर दीजिए मेरे कमरे में। बाबू परांठा खाकर अपने कमरे में पढ़ेगा। तब तक परांठा बन जाएगा फिर सब लोग नाश्ता करेंगे।

अंकल बोले- मैं तो गुलाम हूं आपका, जो बोलेंगी करुंगा। और उठकर दीदी के कमरे में चले गए।

फिर तुरंत ही दीदी का हाथ पकड़ कर निकले और दीदी को मम्मी के कमरे में लेकर चले गए। दीदी सर झुकाए हुई थी, हमारी तरफ एक बार देखा और फिर सिर झुका ली।

मेरे आश्चर्य का ठिकाना न था। दीदी ठीक बोली थी कि मम्मी ही चुदवाएगी उसको!

मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी, अभी तो इतना गुस्सा कर रही थी फिर क्यों करा रही है दीदी की मालिश? मम्मी हंसते हुए बोली- चोरी से कराई थी इसलिए गुस्से में थी, अभी आराम से करवा लेगी तो उसका दर्द ठीक हो जाएगा। चल तू खा और पढ़ने जा! मैंने कहा- मम्मी, मैं सोऊंगा फिर उठ कर पढ़ूंगा। "ठीक है लेकिन उठकर पढ़ना जरूर! नहीं पढ़ोगे तो परीक्षा कैसे दोगे!" मम्मी बोली और परांठा सेंकने लगी।

मैंने नाश्ता कर लिया और अपने कमरे का दरवाज़ा भिड़ा कर पहले छेद से आंख सटा कर देखा तो देखा कि दीदी की चिकनी बुर में अंकल लंड घुसा कर धीरे-धीरे अन्दर बाहर कर रहे थे. दीदी की गांड पर अंकल की आंड टकरा रही थी और दीदी को अंकल ने अपने नीचे दबोच रखा था।

मेरी आंख के सामने सिर्फ अंकल की पूरी चिकनी गांड नजर आ रही थी।

तभी मम्मी के पैरों की आहट सुनाई पड़ी तो मैं भाग कर बिस्तर पर लेट गया। मम्मी की आवाज़ आई- रुक क्यों गए? करते रहो, मैं तो सिर्फ देखने चली आई कि प्रभा की मालिश ठीक से कर रहे हो या नहीं। यहीं बैठती हूं, तुम करो। बाद में परांठा बनेगा। बाबू खाकर सोने गया। पहले बाहर का दरवाजा बंद कर के आती हूं।

मम्मी मेरे कमरे में आई और मुझे रजाई ओढ़ा कर बोली- ठंड है, ओढ़ कर सोओ। फिर मेरे कमरे का दरवाज़ा भिड़ा कर चली गई।

बाहर का दरवाजा बंद होने की आवाज़ आई और फिर मम्मी के पैरों की आवाज़ उनके कमरे के अंदर जाकर रुक गयी। मैं धीरे से उठा और फिर छेद से झांकने लगा।

दीदी बिस्तर पर पैर फैलाए पूरी नंगी बैठी थी और अंकल बिस्तर से पैर लटका कर नंगे ही बैठे थे। मम्मी अंकल के सामने सट कर खड़ी थी, बोली- क्या हुआ! चलो करो मेरे सामने। देखूं कितना करते हो। प्रभा की पूरी खुजली मिटाओ। बोलती हुई मम्मी दीदी की चूचियां मसलने लगी।

दीदी ने अपना मुंह हथेलियों में ढक लिया था। मम्मी ने दीदी के हाथ हटाए और उसके गाल पर चुम्मा लिया, कहा- हम तुम दोनों अब सहेली, मिल बांट कर करेंगे। शर्म कैसी! तूने मुझे छिप कर देखा, मैं साथ रह कर देखूंगी।

फिर मम्मी दीदी के पीछे बैठ गई और दीदी को पीछे से पकड़ कर अपने ऊपर अधलेटा जैसा सुला लिया। मम्मी ने पैर फैला कर दीदी को अपने पैरों के बीच कर लिया।

दीदी के पैर थोड़े से फैले थे और उसकी चिकनी बुर और चूचियां सामने नजर आ रही थीं।

अब मम्मी सिर झुका कर दीदी के गाल पर चुम्मा ले रही थी और एक हाथ से दीदी की चूची मसल रही थी, दीदी की आंखें बंद थी।

मम्मी ने दूसरे हाथ से अंकल का लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी, बोली- चलो देवर राजा, आज से प्रभा को मेरे सामने ही मालिश करना। इसका भी मन भरा रहेगा तो इधर उधर नहीं जाएगी, नहीं तो बड़ी बदनामी होगी।

अंकल ने दीदी के बुर में उंगली डालते हुए कहा- ठीक कह रही हैं मालकिन ... लेकिन ये पहले ही खुलवा चुकी है. मैंने पूछा तो बताया नहीं। आप पूछिए कि किससे खुलवाई? "जाने दो, अब इतना कर दो कि इसे और कहीं जाने का मन ही न करे। स्कूल में करवाई रे प्रभा?" मम्मी पूछने लगी।

दीदी ने सहमति में सिर हिलाया लेकिन आंखें बन्द ही रखीं।

मम्मी बोली- मुझे तेरे लक्षण दिखाई पड़ रहे थे कि तू बिगड़ रही है. सोच रही थी कि कोई मास्टर तुझे थोड़ा बहुत हाथ लगा रहा होगा। कौन था रे? और कोई नहीं जानता न? तू समझती नहीं, बड़ी बदनामी होगी। यहीं घर में जितना करना है, कर। मैं नहीं बोलूंगी।

अब अंकल दीदी की बुर चाटने लगे थे और मम्मी दीदी की चूचियों को मसल रही थी। दीदी अपने चूतड़ों को इधर उधर हिला रही थी लेकिन अंकल ने दोनों चूतड़ों को पकड़ रखा था और बुर चाट रहे थे।

फिर अंकल बिस्तर से उतर कर खड़े हो गए, अपना लंड मम्मी के चेहरे से छुआया तब मम्मी ने गप से लंड को मुंह में ले लिया।

दीदी का चेहरा बिल्कुल पास ही था, वो आंख खोल कर मम्मी को लंड चूसते देखने लगी। मम्मी ने लंड अपने मुंह से निकाल दिया और लंड को पकड़ कर दीदी के मुंह पर सटा दिया।

दीदी ने धीरे से लंड को मुंह में ले लिया और मम्मी दीदी की चूची मसलने लगी। दीदी ने फिर आंखें बंद कर ली थी।

मम्मी बोली- आंख बंद करके क्या मजा मिलेगा! चल आंख खोल! दीदी ने आंखें खोल दीं और लंड को एक हाथ से पकड़ कर चूसने लगी।

लंड निकाल कर दीदी ने चेहरा उठाकर मम्मी के गाल पर चुम्मा लिया और उठकर मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी ने ब्रा नहीं पहनी थी तो मम्मी की चूचियां नंगी हो गयीं।

तभी मम्मी ने बिस्तर पर खड़ी होकर साड़ी साया खोल दिया और मादरजात नंगी हो गई। फिर मम्मी बिस्तर पर लेट गई और दीदी को करवट अपने सामने लिटा लिया, दोनों एक-दूसरे की चूचियां मसलने लगी।

अब अंकल भी दीदी की बगल में लेट गये और अपना लंड दीदी की गांड में सटा दिया, फिर दीदी का एक पैर उठा कर मम्मी के पैरों के ऊपर रख दिया।

तब मम्मी ने दीदी का वो पैर पकड़ कर अपने पेट पर रख लिया। अब दीदी की बुर का सुराख नजर आ रहा था।

अंकल ने दीदी की बुर में लंड घुसा दिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे।

कुछ देर बाद अंकल ने जब लंड निकाला तब दीदी की बुर से लंड का पानी चूने लगा।

मम्मी उठकर बैठ गई और दीदी की बुर को देख कर बोली- अंदर क्यों गिरा दिया? अच्छा रुको, दवा देती हूं।

तभी मम्मी बिस्तर से उतर गई, दीदी और अंकल बिस्तर पर बैठ गये। दीदी ने अंकल की छाती पर अपना सिर टिका दिया था और अंकल दीदी की कमर पकड़े हुए थे।

मम्मी ने दीदी को एक टैबलेट दी- ले खा ले और बेफिक्र होकर कर, बच्चा नहीं ठहरेगा। पानी देती हूं। कह कर मम्मी नंगी ही रूम से बाहर जाने लगी.

मैं जल्दी से रजाई के अंदर घुस गया और आंखें बन्द कर ली।

मम्मी मेरे रूम के दरवाजे तक आई, मुझे लगा कि उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा ... और फिर चली गई। मैं मम्मी के पैरों की आहट से समझ रहा था कि वो किधर किधर जा रही हैं।

गिलास में पानी भरने की आवाज आई, फिर मम्मी के पैर उनके कमरे में चले गए। मम्मी की आवाज़ आई- ले पानी, दवा खा ले। डर नहीं रहेगा। और एक बार कर लो फिर मैं करूंगी। आज सिपाही जी यहीं पर बेहोश सोयेंगे।

मैं फिर उठकर अपनी जगह से उन तीनों को देखने लगा।

मम्मी फिर अंकल के मुरझाए लंड को सहलाने लगी।

दीदी वैसे ही अंकल की छाती पर गाल रखकर उनकी छाती को सहला रही थी, बीच-बीच में छाती की घुंडी को चुटकी से मसल देती थी तो अंकल आंखें बंद करके अपना चेहरा ऊपर उठा लेते थे और दीदी की चूची ज़ोर से दबा देते थे।

अंकल दीदी के कंधे के ऊपर हाथ रख कर चूची सहला रहे थे और दीदी की गर्दन अंकल के हाथ के शिकंजे में फंसी हुई थी। एक बार अंकल दीदी के होठों को चूसते थे तो दूसरी बार मम्मी उनका चेहरा पकड़कर उनके गालों को चूमती थी।

ऐसी चुम्मा चाटी दीदी और मम्मी ने पांच-पांच, छ:-छ: बार की।

फिर मम्मी ने दीदी के हाथ में अंकल का लंड पकड़ा दिया जो अब थोड़ा सा तन गया था और अंकल को सीधे पीठ के बल लिटा दिया।

मम्मी और दीदी आमने-सामने बैठी थी और अंकल बीच में लेटे हुए थे। अंकल का लंड अब दीदी के पंजे में छत की तरफ ऊपर नीचे हो रहा था. मम्मी दोनों हाथों से दीदी की दोनो चूचियों को सहला रही थी और दीदी के होठों को चूस रही थी.

फिर मम्मी बोली- तूने बहुत चूची पी है मेरी आज मुझे पिला! अच्छा ये बता, देर तक करेगी क्या? अगर देर तक करना है तो मेरे बाद कर लेना, तब अंकल का पानी देर से गिरेगा। बोलो, लंड तैयार हो गया है अब?

मम्मी अब दीदी की चूची को चूसने लगी। दीदी मम्मी को बोली- पहले तुम कर लो मम्मी, आज ही तो इतने आराम से देख पा रही हूं नहीं तो खिड़की पर कितना देर रुकती। पापा देख लेते तो पता नहीं क्या करते। लेकिन तुमने और अंकल ने तो मुझे देख ही लिया था।

मम्मी हंसने लगी और बोली- हां रे, तेरे पापा सबसे नीचे थे तो उनका चेहरा हमारी तरफ था, अंकल मेरी गांड चोद रहे थे तो इनका चेहरा भी खिड़की की तरफ था। हम दोनों ने तुझे देखा था, उसी दिन से रोज बोलते थे ये तुझे चोदने को। मैं रोज मना करती थी लेकिन रात को तुमने बुर चुदवा ली तो गुस्सा आया. फिर मैंने सोचा कि अब तो तुम मानोगी नहीं, किसी न किसी से चुदाने लगोगी तो घर में ही चुदाओ। बदनामी तो नही होगी। पापा को जानने नहीं देंगे। लेकिन स्कूल में किससे चुदाई? मास्टर से?

दीदी के हाथ से लंड मम्मी ने ले लिया और हिलाने लगी। दीदी बोली- साथ में ही पढ़ता है। तीन चार महीने से पीछे पड़ा था। आप लोगों को देख कर मेरा भी मन किया तो हां कर दी और फ़िर एक महीने से वो मेरी गांड चोद रहा था, कल पहली बार मेरी बुर चोदकर खून निकाल दिया, बहुत दर्द हुआ। बहुत बड़ा है उसका मम्मी। आज अंकल के साथ करने में अच्छा लग रहा है।

"स्कूल में ही करती है?" बोलते हुए मम्मी दूसरे हथेली में अपना थूक लगा कर दीदी की बुर को रगड़ने लगी। "नहीं मम्मी, पीछे गन्ना खेत में वो आता है." दीदी मम्मी के कंधे पर सिर रखते हुए बोली।

"तभी नियम से दोनों टाईम खेत जाती है आजकल! अब मत जाना। वो अपने दोस्तों को बताएगा और तुम बदनाम हो जाओगी। धीरे-धीरे बहुत लोग जान जाएंगे." मम्मी ने चिंता से कहा। "नहीं बोलेगा किसी से वो!" दीदी बोली.

तो मम्मी दीदी की बुर में उंगली डालते हुए बोली- तुझे क्या मालूम लड़कों की फितरत! अब तक कितनों से बता चुका होगा। तेरी बुर तो बहुत फैल गई है, मैं तो बाथरूम में ही झांट साफ करते हुए समझ गई थी कि ये बड़े लौड़े से फैली है। अंकल से बड़ा है?

अंकल दोनों के चूतड़ मसल रहे थे, बोले- प्रभा की गांड खुल ही गई है तो मैं भी गांड मारुंगा। और दीदी की गांड में उंगली डाल दी। दीदी बोली- अंकल के लंड से उसका लंड लंबा नहीं है लेकिन मोटा बहुत है पापा जैसा! मुझे रुला रुला कर गांड मारता है, कल तो बुर चोद कर लंगड़ी बना दिया। अब नहीं जाऊंगी, अंकल का ही ठीक है। दीदी अंकल को चुम्मा लेने लगी।

मम्मी अंकल की कमर के ऊपर दोनों तरफ पैर करके बैठ गई, अंकल का लौड़ा हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में घुसाकर आगे पीछे करने लगी। अब अंकल का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था, मम्मी के बड़े-बड़े चूतड़ थे मेरे सामने!

तभी दीदी मम्मी के पीछे आई और मेरी तरफ देखकर आंख मारी. वो समझ रही थी कि मैं देख रहा हूं।

फिर अपनी दो उंगलियों पर मुंह से थूक गिराई और मम्मी के गांड पर लगा कर उंगली गांड में डाल अंदर बाहर करने लगी। मम्मी बोली- हां ऐसे ही कर मेरी गुड़िया, अच्छा लग रहा है। दोनों छेद में एक साथ चुदाने का मजा ही अलग है। अगली बार पापा बाहर जायेंगे तब तेरी दोनों छेद एक साथ चुदवा दूंगी। देखूंगी कैसा है तेरे यार का! "तुमको भी रुला देगा मम्मी उससे कराओगी तो!" दीदी ने कहा.

तब मम्मी दीदी की चूतड़ मसल कर बोली- हां, अब हम सहेली हैं ना ... मिल कर चुदाएंगी। पापा को जाने दो अगली बार! और अंकल के लंड पर मम्मी तेजी से अपनी कमर चक्की की तरह घुमाने लगी।

फिर अंकल के ऊपर लेट गई बुर में लंड घुसाए घुसाए! अंकल का लंड तुरन्त ही मुर्झा कर पूरा गीला गीला निकला और मम्मी की बुर से सफेद पानी निकल कर चूने लगा।

दीदी ने चूते पानी को उंगली से चाटा, फिर मम्मी की बुर चाट चाट कर साफ़ कर दी। मम्मी अंकल के ऊपर से हटकर बगल में लेट गई।

दीदी ने अंकल का लंड भी चाट कर साफ़ कर दिया. फ़िर अंकल के लुंज-पुंज लंड को हिला हिला कर देखने लगी।

अंकल आंखें बंद करके लेटे थे।

मम्मी पांच सात मिनट में उठकर बैठ गई और दीदी से बोली- थोड़ी देर लगेगी, फिर खड़ा करो इसको चूस चाट कर! अब जितनी देर करना है तुमलोग करते रहो। मैं परांठा बनाकर यहीं ले आती हूं। तब मम्मी कपड़े पहनने लगी तो मैं बिस्तर पर रजाई में घुस गया। मैं लेटा रहा।

दीदी की आवाज़ आई- आप का तो खड़ा ही नहीं हो रहा। क्या करूं? मम्मी तो करके चली गई, मैं क्या करूं? अंकल बोले- कम से कम एक घंटा रहने दो. फिर कम से कम एक घंटे तक पानी नहीं गिरेगा। अभी छोड़ दो इसको। मम्मी परांठा लाएगी तो खाकर यहीं रहो ऐसे ही, यहीं सटाकर हम लोग लेटेंगे। कुछ देर बात बनाएंगे तब तक खड़ा हो जाएगा फिर तुम कितना भी बोलोगी, बिना पानी गिराए नहीं छोड़ूंगा।

फिर कोई आवाज नहीं आई।

थोड़ी देर बाद मम्मी की आवाज़ आई- लो, ये क्या? देवरजी का दम खत्म हो गया! सो रहे हैं। चल प्रभा उठ, परांठा खा ले ... पानी ला रही हूं। अंकल को अब तुझे दे दिया दिन भर, पहले खिला इसको, फिर इसे दूध पिला, ताकत तो लगती ही है।

"रात से अभी तक पांच बार पानी गिराया। थोड़ा-सा ठहर जाओ।" अंकल की आवाज़ आई।

दीदी बोली- उठिए न अंकल, खाकर सोइए। मैं कुछ नहीं करुंगी, आप आराम कीजिए। जब आप की मर्जी होगी, तभी करियेगा।

मम्मी शायद पानी ले आई थी, सब के खाने की आवाज़ आ रही थी।

तब मम्मी बोली- तुम दोनों यहीं रहो, मैं बाबू के पास जाकर सो जाती हूं। मैंने सोचा कि अब खेल खत्म, दीदी चुदाएगी आज दिन भर ... और मुझे देखने नहीं मिलेगा। मम्मी आ गई मेरे पास रजाई में और हम दोनों सो ही गये।

मम्मी मेरे पास रजाई में आकर सो गई और मैं भी सो गया। मैं जागा और उठने लगा. तो मम्मी ने मुझे फिर लिटा लिया और बोली- रुक ना, मैं भी उठती हूं।

मैं बोला- मम्मी पेशाब लगा है, आता हूं करके। दीदी अभी तक मालिश करा ही रही है! तुम यहां सो रही हो?" "ठीक है चलो, मैं भी चलती हूं।"

मम्मी बरामदे में रुकी, मैं आंगन पार करने लगा तो मम्मी अपने कमरे में घुस गई और बोली- बहुत हो गया, चलो बाहर अब तुम लोग! बाबू उठ गया है और पापा भी आ सकते हैं।

पेशाब करके मैं लौटा तो देखा अंकल ऊपर से नंगे थे और लुंगी लपेटते हुए बाहर जा रहे थे, मम्मी उनके पीछे-पीछे थी।

मैं मम्मी के कमरे में घुस गया, देखा दीदी ऊपर का समीज पहन ली थी और उसके हाथ में सलवार थी। बिस्तर जगह जगह से गीला था।

दीदी ने दूसरे हाथ से बिस्तर की चादर उठाई और कमरे से बाहर निकलने लगी। बस मुझे देख कर मुस्कुरा दी और बोली- तुम सो लिए, अब मैं सोऊंगी।