मेरी बड़ी बहन

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मम्मी फिर बोली- तू तो मेरा राजा बेटा है, मेरी चूचियों को पी सकता है, ले चूस ना! मैं मम्मी की चूची चूसने लगा, फिर दूसरी चूची को मसलने भी लगा।

कुछ देर के बाद मम्मी बोली- अब जाकर देखती हूं उन दोनों को, तू दीदी के पास चला जा! मम्मी को देखना नहीं। अगर देखना ही है तो वहीं चलकर ठीक से देख! लेकिन फिर कोई गांड मार देगा तेरी वहां पर ... सोच ले! और उठकर अपनी चूची अंदर कर ली।

फिर मम्मी चली गई।

मैं दीदी के पास चला गया, मुझे ठीक नहीं लगा कि मम्मी चुदवाएगी तो मैं बिल्कुल पास में रहूं। मेरा मन कर भी रहा था कि चला जाऊं लेकिन गांड मराने के डर से नहीं गया।

दीदी के नजदीक गया तो देखा कि दीदी एकदम गहरी नींद में सो रही थी।

हालांकि मम्मी ने देखने को मना किया था लेकिन मेरा मन नहीं माना और मैं दरवाजे के छेद से देखने लगा।

वहां उमेश पेट के बल आधा बिस्तर पर था और उसके पैर बिस्तर के नीचे थे और अंकल उसकी गांड मार रहे थे। अंकल ने उमेश को उसकी बगलों के नीचे से हाथ डाल कर कंधों को जकड़ रखा था और उसके ऊपर अपनी कमर तेजी से चला रहे थे।

मम्मी बिस्तर पर चढ़ कर उमेश के सामने बैठ गई थी। मम्मी उमेश का सिर और चेहरे को सहला रही थी।

उमेश ने मम्मी की चूचियां पकड़ ली थी और दबा रहा था। फिर उसने मम्मी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मम्मी अंकल के हाथ उमेश की बगलों से निकालते हुए बोली- रुको जरा, ठहर जाओ, इतनी जल्दी जल्दी क्यों कर रहे हो?"

अंकल उमेश की गांड में से लंड निकाल कर खड़े हो गए। उमेश भी खड़ा हो गया। उमेश और अंकल दोनों के लंड पूरे खड़े थे। उमेश का लंड अंकल से दुगना मोटा लग रहा था और लंबाई बराबर ही थी।

मम्मी ने एक हाथ से उमेश का लंड पकड़ लिया और दूसरे हाथ से साड़ी-साया ऊपर करते हुए बोली- देख धीरे धीरे करना ... नहीं तो मेरी चूत भी फट जायेगी और तब किसको चोदेगा? प्रभा तो हफ्ते भर के बाद ही चुदाने लायक होगी। धीरे धीरे आराम से नहीं कर सकता तू? चल आ।

बोल कर मम्मी अंकल से बोली- चलो तुम लेटो पहले! अंकल बोले- कपड़े तो खोल दो रानी! और बिस्तर पर लेट गए। उनका लंड छत की तरफ खड़ा हो गया।

उमेश मम्मी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा और मम्मी साया की डोरी खोल कर साया साड़ी हटाने लगी। तुरंत ही पूरी नंगी हो गई मम्मी।

फिर मम्मी ने अंकल के पूरे लंड पर अपना थूक लगाया और अंकल के तरफ पीठ करके अंकल का लंड अपनी गांड में सटा कर धीरे-धीरे लंड के ऊपर बैठ गई। मुझे छेद से अपने सामने मम्मी गांड में लंड लिए नजर आ रही थी और अंकल का चेहरा अब दिखाई नहीं दे रहा था।

फिर मम्मी ने उमेश का लंड पकड़ लिया और बोली- इसमें तेल लगा अच्छे से! देख वहां है आलमारी पर। गधे जैसा लंड है तेरा, बिना तेल के घुसाएगा तो फाड़ देगा। और फिर मम्मी अंकल के लंड पर से अपनी गांड उठाकर फिर उसपर बैठ गई।

और एक बार उठकर बैठी तो उमेश मम्मी की चूत पर तेल लगाने लगा। फिर अपने लंड पर तेल लगाया और बिस्तर पर चढ़ गया।

अब मम्मी पैर फैलाए अंकल का लंड गांड में घुसा कर अंकल के ऊपर पीठ के बल लेट गई। अंकल हाथ से मम्मी की चूचियां पकड़ कर लेटे थे, मम्मी ने अपने दोनों हाथों से घुटनों को मोड़कर नीचे से पकड़ लिया था और अपनी जांघों को फैला लिया था।

मम्मी की गांड में अंकल का लंड पूरा घुसा हुआ था और मम्मी के चूत का सुराख साफ़ नज़र आ रहा था। तभी उमेश मम्मी के सामने बैठ गया और हाथ से अपना लंड पकड़ कर चूत में घुसाने लगा।

थोड़ा-सा लंड घुसने के बाद उमेश ने हाथ हटा लिया और मम्मी के कंधों को पकड़ लिया। मम्मी के कंधे पकड़ कर उमेश ने लंड को तीन चार बार थोड़ा सा ही अंदर बाहर किया फिर एक बार में ही पूरा लंड घुसा दिया।

मम्मी चिहुंक उठी और उनके हाथ घुटनों से हटकर उमेश की कमर पर आ गए और उसकी कमर पकड़कर मम्मी हटाने लगी- आह आह ... फट गई रे बाप ... हट निकाल गदहा लंड। मर जाऊंगी, ओह ओह ... एक बार में ही काहे डाल दिया रे! मम्मी रुआंसी आवाज़ में बोली।

लेकिन उमेश ने अपने चूतड़ मम्मी के ऊपर जोर से दबा रखे थे और चुपचाप मम्मी को पकड़ कर लेटा हुआ था। मम्मी उमेश की कमर ऊपर धकेल रही थी और रुआंसी हो कर बोल रही थी- हट ना, देखने दे ... फट गई रे, लग रहा है कि अंदर खून बह रहा है।

उमेश हार्ड सेक्स करते हुए बोला- फटी चूत क्या फटेगी आंटी! कुछ नहीं हुआ। मोटा है तो थोड़ा सा लगेगा। अभी ठीक हो जाएगा। बोलकर उमेश ने आधा लंड निकाल लिया और फिर पेल दिया। फिर आधा ही निकाला और फिर पेल दिया।

मम्मी फफक कर रोने लगी. तब अंकल बोले- उमेश धीरे धीरे कर ... दर्द हो रहा है मालकिन को! निकालना नहीं, पेलते रहो। अभी ठीक हो जाएगी।

अब उमेश लंड को चूत से बाहर नहीं निकाल रहा था, बस चूतड़ हिला रहा था धीरे-धीरे! मम्मी रोती रोती बोल रही थी- निकाल लो ना ... फिर थोड़ी देर बाद करना। ये सिपहिया साला गांडू है, इसी की गांड फाड़ो, मुझे छोड़ दो।

उमेश बोला- बस, हो तो गया आंटी। थोड़ा-सा बर्दाश्त करो और! और एकदम से तेज तेज पेलने लगा मम्मी को।

थोड़ी देर बाद मम्मी की रुलाई रुकने लगी थी और अब उमेश को पीठ पर पकड़ कर उन्होंने अपनी बाहों में भर लिया, बोली- अब ठीक है, चोदो जितना चोदना है। बहुत दिन बाद चुदाई हुई ऐसी कि इतना दर्द हुआ। मज़ा आ रहा है। अब रोज चोदना मुझे! अरे देवरजी, तुम भी मरा लो इससे, मन भर जाएगा। कुछ हिलो ना नीचे से। चुपचाप मुर्दा जैसे क्यों पड़े हो?

अब अंकल भी अपनी कमर उठाने लगे। जब उमेश अपनी कमर ऊपर खींचता तो अंकल अपनी कमर नीचे खींच लेते और जब उमेश अपनी कमर दबा कर चूत में लंड पेलता था ठीक उसी वक्त अंकल अपना लंड मम्मी की गांड में पेल देते थे।

अब मम्मी भी खुश होकर बोल रही थी- हां ऐसे ही करो दोनों ... मज़ा आ गया आज तो! मैं रंडी हूं तुम दोनों की! रोज चोदना मुझे ऐसे ही। जल्दी जल्दी करो ... आह आह ... मैं गई गई गई! ओ मेरी मां ... उमेश, अब तक कहां था तू? तू तो राजा बन गया मेरा! और तेज, और तेज!

उमेश ने अब मम्मी की चूतड़ों को पकड़ कर तेजी से चोदना शुरू कर दिया था और अंकल का लंड मम्मी की गांड में पानी गिरा कर बाहर आ गया था। मम्मी की गांड से सफेद पानी निकल कर बिस्तर पर चू रहा था।

अंकल नीचे से खिसककर हट गये और उमेश मम्मी को चोदे जा रहा था। मम्मी बोली- हट ना रे, कितना करेगा! मेरा हो गया।

तब उमेश अपना लंड निकाल कर बैठा और तुरंत हाथ से पकड़ कर मम्मी की गांड में पेल दिया पूरा एक ही बार में। मम्मी चिहुंक उठी और चिल्ला पड़ी- अरे हरामी, ये भी आज ही करेगा? धीरे कर ... धीरे-धीरे! बहुत बड़ा है तेरा ... बाप रे, फैली चूत में दर्द भर दिया और गांड भी दुखने लगी अब! हे भगवान! ऐसा लंड!

अब उमेश मम्मी की गांड चोद रहा था तेजी से! वह मम्मी का कभी चुम्मा ले रहा था, कभी चूची चूसने लगता था, कभी मम्मी की चूची पर हाथ से मारता था। बोल रहा था- रोज चुदवाएगी ना आंटी? एक बार चूत और एक बार गांड चोदूंगा रोज! बहुत मज़ा दे रही हो तुम आज। पहली बार चूत चोदने मिली आज अच्छे से! लड़की लोग की फट जाती है और दुबारा नहीं देती मुझे!

मम्मी बोली- प्रभा चुदाएगी दुबारा और चुदाती रहेगी। दोनों मां बेटी तेरे से चुदेंगी। रोज आ जाना इसी टाईम! जल्दी कर ना! सिपाही की गांड नहीं चोदेगा? उसने तो गांड मार ली तेरी! "मारुंगा न, पहले तू तो मरा ले।" बोलते हुए उमेश मम्मी को जोर से पकड़ कर गांड चोदने लगा। अंकल बिस्तर पर बैठ कर देख रहे थे दोनों को।

उमेश अपना आधा लंड निकालता और मम्मी की गांड में फिर पूरा-पूरा ही डाल देता। ऐसे ही उमेश तेजी से हार्ड सेक्स करता रहा और फिर मम्मी की चूचियां पकड़ कर मम्मी के ऊपर ही लेट गया।

दो मिनट के बाद उमेश ने मम्मी के होठों को चूसने लगा और मम्मी की गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया, मुरझाया था लेकिन अभी भी देखने में बड़ा ही लग रहा था। मम्मी की गांड से सफेद पानी भलभला कर निकला, उमेश का ही था।

तब मम्मी उठी और उमेश के होठों पर चुम्मा लेने लगी और एक हाथ से अंकल की छाती मसलने लगी।

"मज़ा आ गया आज उमेश के जवान लंड का! तुम भी लेकर देखो देवर जी, साहब से तो ज्यादा ही मोटा है। अच्छा लगेगा तुमको भी!" बोलकर मम्मी बिस्तर से नीचे उतर गई, एक गमछे से अपनी बुर-गांड पौंछी फिर उमेश का लंड पौंछने लगी।

अंकल पहले ही अपना लंड बिस्तर की चादर में पौंछ चुके थे।

मम्मी ने उमेश के मुरझाए लंड को पकड़ कर कहा- इससे तो किसी की नयी चूत तो फट ही जायेगी ना! जब मेरी हालत खराब हो गई तो कम उम्र लड़कियां क्या पेलवाएंगी। देख लो प्रभा को, हफ्ते भर के बाद ही चुदवाने का सोचेगी। प्रभा से पहले कितनी लड़कियों की सील तोड़ी है तुमने उमेश? और उमेश के लंड को चाटने लगी।

उमेश ने कहा- कहां आंटी, दो लड़कियों को एकदम थोड़ा थोड़ा सा डाला था तो खून आ गया, फिर वो कितना बुलाने से भी नहीं आती। सील तो प्रभा की ही तोड़ी है आज पहली बार! लेकिन आपके साथ जो मजा मिला, आज तक नहीं मिला था। अब तो रोज चोदूंगा आपको!

मम्मी हंसकर बोली- हां रे, इतना फ्री कहां मिलेगा तुझे! मां को चोद, बेटी को चोद, सिपाही अंकल की गांड मार ...पर बाबू की गांड की तरफ मत देख, छोटा है अभी! "हुंह छोटा है ... जितना प्रभा की गांड में नहीं गया उससे ज्यादा तो बाबू के अंदर गया हुआ है, एक दिन और मारुंगा तो मेरा पूरा घुस जाएगा।" उमेश बोला।

"ठीक है ठीक है ... हम सबको चोदने के बाद भी तेरा लंड खड़ा रहेगा तब ना! मम्मी उमेश का सिकुड़ा हुआ लंड अपने मुंह में पूरा-पूरा घुसा कर मुंह को ऊपर नीचे करने लगी।

जैसे जैसे उमेश के लंड में तनाव आता गया, मम्मी के मुंह से बाहर निकलता गया। अंत में तो खाली सुपारा ही ले पा रही थी मम्मी मुंह में!

अंकल भी बैठे बैठे मम्मी की चूचियां मसल रहे थे और उमेश की छाती के चुचूक भी चुटकी से मसल देते थे।

वे बोले- हां मालकिन, हम लोगों की तरह फ्री परिवार नहीं मिलेगा उमेश को मज़ा करने के लिए! मैं सोचता ही रह गया आपके चक्कर में ... प्रभा तो कब से चुदवाना चाहती थी। मैं चोद लेता तो उमेश से फिर थोड़ी न चुदवाती, और उमेश का लंड हम दोनों को नहीं मिलता। थोड़ा-सा मेरा भी चूस दीजिए ना। नया मिलते ही पुराने को भूल गयीं!

मम्मी हंस कर बोली- तुमको तो मरते दम तक नहीं भूलूंगी राजा, तुम्हारे चक्कर में ही तो रंडी जैसी हो गई हूं। और अंकल का लंड चूसने लगी।

अंकल उमेश का लंड चूसने लगे थे और मम्मी अंकल का। तब अंकल बोले- आइए मालकिन, डाल लेता हूं, फिर उमेश डालेगा।

मम्मी लेट गई, अंकल मम्मी के चूत में लंड घुसा कर मम्मी के ऊपर लेट गये और उमेश को बोले- धीरे धीरे अपना लंड डालो मेरी गांड में! एकदम से मत डालना, दर्द क्यों देते हो सबको? प्रेम से करो तो किसी को दर्द नहीं होगा, होगा भी तो बर्दाश्त कर लेगा।

उमेश का लंड फिर विकराल रूप ले चुका था। उसने लंड पर फिर तेल लगाया और अंकल की गांड में धीरे धीरे घुसाने लगा।

पूरा लंड घुसा कर उमेश ने बाहर निकाल लिया, फिर घुसाया, फिर निकाला।

जब उमेश जोर से दबा कर लंड डालता तो अंकल दबा कर मम्मी की चूत में डाल देते। जब उमेश का लंड बाहर निकलता, अंकल का भी निकल जाता।

बहुत देर तक ये खेल चला, फिर मम्मी बोली- तुम लोग करो। मुझे जाने दो। अगली बार उमेश सिर्फ मेरी चूत चोदेगा। अंकल ने लंड निकाल लिया, उनका पानी गिर चुका था।

मम्मी ने चूत से निकलते सफेद गाढ़े पानी को हाथ से रोका और अंकल के नीचे से निकल गई। अब उमेश अंकल की गांड को तेजी से चोदने लगा।

अंकल ने भी आह-ऊंह करना शुरू कर दिया था। मम्मी कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकल गयी।

जल्द ही उमेश ने जोर से अंकल को पकड़ कर अपना लंड कस के पेला और रुक गया। अंकल कसमसाते हुए बोले- छोड़ यार, अब तो छोड़ ... सचमुच बहुत बड़ा लंड है। अच्छी अच्छी चुदक्कड़ पनाह मांगते नजर आएंगी।

उमेश ने लंड निकाल लिया, अंकल ने उठकर अपनी गांड पौंछी, फिर उमेश का लंड पौंछ दिया।

तभी मम्मी मेरे पीछे आयी, मुझे कंधे से पकड़ कर खड़ा करके बोली- पूरा सिनेमा देख लिया ना, चल जा अब मेरे कमरे में जाकर सो जा। कोई कुछ नहीं कर पाएगा अभी तेरे साथ, सबका पूरा माल निकल गया है। मैं दीदी के पास सो जाऊंगी, रात को उठेगी तो दिक्कत होगी इसको!

मैं मम्मी के कमरे में गया तो दोनों कपड़े पहन रहे थे। फिर कपड़े पहन कर दोनों दीदी के कमरे में गये, दीदी को देखा और फिर बाहर निकल गये।

अंकल तो बाहर ही चले गए लेकिन उमेश दरवाजा बंद करके फिर मम्मी के कमरे में ही चला आया।

मैं लेटा था बिस्तर पर ... उमेश भी बिस्तर पर लेट गया और आंखें बंद कर लीं। आंखें बंद किए हुए ही वो बोल रहा था- बहुत अच्छे से चुदाती है तेरी मम्मी, अभी और एक बार चोद कर जाऊंगा घर! जा भेज उसको, खूब देर तक करुंगा अभी ... टंकी तो खाली हो गया है लेकिन पानी निकाल कर ही छोड़ूंगा। फिर घर जाकर बेहोश सोऊंगा और तेरी मम्मी यहां बेहोश सोएगी।

मैं उठकर मम्मी के पास गया तो मम्मी बोली- मैंने सुन लिया है। तू यहीं रह दीदी के पास, मैं जाती हूं।

तो मैं रुक गया दीदी के पास और मम्मी चली गई उमेश के पास!

अब चुदाई देखने का मन नहीं कर रहा था तो मैं दीदी के पास लेट गया. लेकिन मेरे कान मम्मी के कमरे की तरफ ही लगे रहे।

मम्मी उधर उमेश के पास जाते ही बोलने लगी- अब कल करना, एक ही दिन इतना इतना करोगे तो तबियत बिगड़ जाएगी। और आठ बज गए हैं, तुमको घर भी जाना है। तुम मुझे परेशान करने के लिए करना चाहते हो ना? उमेश की आवाज़ आई- कुछ नहीं होगा। मुझे और एक बार करना है बस ... उसके बाद चला ही जाऊंगा। कपड़े खोलने की जरूरत नहीं है, बस आ जाओ बगल में!

"कल कर लेना ना, इतना किया तुम दोनों ने कि थक गई हूं पूरा! अब सिर्फ सोने का मन कर रहा है, और कुछ नहीं।" "आओ ना आंटी, आप सिर्फ बगल में लेट जाइए, मैं आराम आराम से करुंगा। अभी एक घंटा समय है घर जाने में, हो जाएगा इतनी देर में और आपको भी देर तक चुदाने का मजा मिलेगा।

मम्मी बोली- चलो कर लो ... तुम तो मानोगे नहीं ... लेकिन पीछे में नहीं करना। उमेश की हंसी सुनाई पड़ी- हां, बस ऐसे ही रहो। लास्ट में खाली पानी पिलाऊंगा मुंह में ... गांड में नहीं डालूंगा।

मम्मी सिसकारी- सीऽऽ ... अरे धीरे कर ना! बोला आराम से करेगा और पेल दिया एक ही बार में! जान लेगा क्या? "तुम तो जान हो गई हो मेरी आंटी, अपनी जान कैसे लूंगा! और चूत चुदाने से कोई मरता है क्या?"

"अरे, ऐसे गदहलंड से इस तरह करेगा तो मर ही जाऊंगी ना। थोड़ा-सा धीरे धीरे कर ना राजा!" उमेश बोला- लंड घुसने के बाद धीरे धीरे थोड़ी न होगा रंडी साली। चुपचाप लेटी रह, ज्यादा नाटक मत कर। इतना चुदवाती है सबसे और मेरे चोदने से गांड फट रही है! फिर मम्मी आह-ऊंह करने लगी।

थोड़ी देर बाद मम्मी की रुआंसी आवाज़ आई- छोड़ दे ना अब ... बहुत जल रहा है अंदर! छोड़ ... अब नहीं करुंगी तेरे साथ। तुम ठीक में जानवर हो, ऐसे मत करो। देखो, पांव पकड़ती हूं, छोड़ दो, कल करना। आह ... आह ... ओ मां ... ऊंह ... ऊंह ... ईइऽऽ ... मार दिया ये! और मम्मी के रोने की आवाज आने लगी।

मुझे लगा कहीं मम्मी की चूत से भी खून निकाल दिया उमेश ने तो फिर क्या होगा? दीदी और मम्मी दोनों बिस्तर पकड़ लेगी तो क्या करुंगा मैं? मेरी बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं उठकर वहां चला गया.

उमेश मम्मी से चिपक कर बड़ी तेज़ी से चोद रहा था और मम्मी रो रही थी। मम्मी उमेश को हाथों से धक्का दे रही थी लेकिन उमेश ने मम्मी की बगलों के नीचे से जकड़ रखा था।

मैंने उमेश को पकड़ लिया- छोड़ ना, छोड़ मम्मी को ... देखता नहीं कैसे रो रही है! "तू क्या करने आया रे मादरचोद? ले, छोड़ देता हूं ... आ तेरी गांड ही खोल देता हूं आज!" बोलते हुए उमेश ने मम्मी की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया और मुझे पकड़ लिया।

मम्मी उठकर बैठ गई और रोते रोते बोली- नहीं नहीं, ये छोटा है। इसकी गांड भी तुम फाड़ दोगे। छोड़ दो इसको! उमेश झल्लाया- तो ये खड़ा लंड लेकर तेरी मां चोदूं? खुद चुदाएगी नहीं और इसकी गांड भी नहीं मारने देगी, तो मैं जाता हूं फिर प्रभा को ही चोदने! मम्मी रोते रोते बोली- तू मेरी चूत ही चोद, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे!

उमेश ने फिर मम्मी की चूत में लंड घुसा दिया और हचक कर चोदने लगा। मैं वहीं बैठ कर मम्मी के आंसू पौंछने लगा।

मम्मी ने अपने दांतों को भींच लिया था और आंखें बंद करके बिस्तर को पकड़ रखा था।

थोड़ी देर में मम्मी ने रोना बंद किया और बोली- चोद साले, कितना चोदेगा मैं भी देखूं। मेरे बच्चों को छुआ तो देखना मैं क्या करूंगी। उमेश चोदते हुए बोला- सबको चोदूंगा बारी बारी कल से, देखना न रे रंडी ... तेरी बेटी भी रंडी बनेगी और बेटा गांडू! मम्मी के गाल पर दांत से काट लिया उमेश ने और मम्मी की चूची दबाने लगा।

इसी तरह चोदते हुए रुक कर कभी चूची पर ब्लाउज के ऊपर से ही दांत गड़ा देता, कभी कंधे पर काट लेता और कभी गाल को काट लेता।

बहुत देर तक चोदता रहा उमेश मम्मी को, मम्मी फिर रोने लगी थी चुपचाप दांत भींच कर बिस्तर को जोर से पकड़ कर!

मैं उमेश के कंधे पकड़ कर धकेल रहा था कि मम्मी के ऊपर से वो हट जाए लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। बस फच-फच की आवाज़ हो रही थीं लंड चूत के मिलन से!

अचानक उमेश बोला- चल मुंह खोल, बहुत थक गई है ना? चल पानी पी ले। उमेश ने चूत से लंड बाहर निकाल दिया और मम्मी के पूरे चेहरे पर पानी गिरा दिया।

फिर मम्मी की साड़ी से लंड पौंछा और मम्मी की गाल पर चिकोटी काट कर बोला- अब जा रहा हूं, कल फिर देगी ना? नहीं देगी तो प्रभा नहीं तो बाबू को ही पेलूंगा, सोच लेना। मम्मी ने दर्द भरी मुस्कान के साथ सहमति में सर हिलाया।

उमेश कमरे से निकल कर दीदी के रूम में चला गया। मैं उसके पीछे-पीछे था, उमेश ने अपनी किताब और दूध की खाली बाल्टी उठाई और घर से बाहर चला गया।

दरवाजा बंद करके मैं मम्मी के पास गया तो देखा, मम्मी बिस्तर से उठी भी नहीं थी ... बस साड़ी नीचे कर ली थी और लेटी हुई थी। मम्मी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- आ बेटा, मेरे पास सो जा!

मैं मम्मी के साथ लेट गया और मम्मी को पकड़े पकड़े कब सो गया, पता ही नहीं चला।

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